Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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koushal
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Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

राइटर-vijayveg

रीमा खुद को शीशे में निहार रही थी | क्या मै बूढी हो रही हूँ? अपने चेहरे को गौर से देखते हुए, चेहरे के एक एक हिस्से की गौर से जाँच करते हुआ, जैसे कोई खूबसूरत औरत अधेड़ हो जाने के बाद खुद की खूबसूरती का जायजा लेती है | वो अभी भी जवान है और किसी भी मर्द के होश उडा देने में सक्षम है, ये उसे भी पता है लेकिन आज कुछ ऐसा हुआ जिसने गंभीरतापूर्वक विचार करने पर मजबूर कर दिया, पहली बार उसे अहसास हुआ की अब वो जवानी की दहलीज से फिसलना शुरू कर चुकी है | इसी के साथ टब में डुबकी लगा देती है |


35 साल की खूबसूरत रीमा टब से नहाकर बाहर निकलती है और तेजी से खुद के नंगे बदन को तौलिये से लपेट लेती है, लेकिन आईने तक आते आते तौलियाफिसल जाता है | खुद को नंगे आईने में देखते हुए अपनी हल्की भूरी चूची को रगड़ने लगती है, कुछ ही सेकंडो में उसकी चुचियाँ कड़ी हो जाती है, वो अपने उरोजो को अपने हाथ में लेकर प्यार से मसलती है, और उसके शरीर में कामसुख की एक लहर दौड़ जाती है |


रीमा को पता है वो उत्तेजित है और उसे सेक्स चाहिए | एक खूबसूरत विधवा के लिए उच्च चरित्र का जीवन जीना आसान नहीं होता | उसके सामाजिक दायरे में किसी भी भद्र पुरुष की तरफ वो कभी आकर्षित नहीं हुई सिवाय अपने देवर के, जिसका नाम रोहित है | समाज में रीमा को लोग बेहद उच्च चरित्र की महिला मानते है और काफी सम्मान भी देते है | रीमा ने भी इस गरिमा को बनाकर रखा हुआ है, रोहित को छोड़कर आजतक किसी और पुरुष के लिए उसके मन में कभी विचार नहीं आया, हालाँकि वो रोहित को भी वो अपने दिल की बात ये सोच कर नहीं बता पाई, कि पता नहीं क्या सोचेगा |


इधर रीमा में एक नई बात महसूस करी थी कि उसको नए लड़के बहुत अच्छे लगते थे, जब भी वो किशोरवय लड़के को देखती, उसकी दबी कुचली सेक्स इच्छाए जाग उठती और इस बात को लेकर वो बहुत ही परेशान हो जाती थी | आज रोहित का जन्मदिन था इसलिए रीमा कुछ दिनों के लिए रोहित के घर आई हुई थी | वो नहाने के बाद अपने कपडे पहनकर किचन की तरफ आई, तभी उसे लगा की घर में कोई और भी मौजूद है | पहले उसे लगा, रोहित का लड़का प्रियम होगा, लेकिन वो गलत थी| उसने प्रियम के कमरे से आती आवाजो पर ध्यान दिया, उसे प्रियम के अलावा भी कुछ और आवाजे सुनाई दे रही थी, उसे लगा प्रियम के दोस्त होंगे, लेकिन जब उसके कानो में कामुक सिसकारियों की आवाज पड़ी तो उसके कदम ठिठक गए | भले ही उसको सेक्स किये सालो गुजर गए हो लेकिन सेक्स की मादकता से भरी सिसकारियां जैसे ही उसके कानो में पड़ी वो समझ गयी, अन्दर जरुर कुछ चल रहा है | आश्चर्य और सतर्कता से वो प्रियम के कमरे की तरफ बढ़ने लगी, जैसे जैसे वो प्रियम के कमरे की तरफ बढती जाती, सिसकारियो की आवाज तेज होती जा रही, जब वो प्रियम के कमरे के पास पंहुची, तो कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था | रीमा ने जो भी आँखों से देखा उस पर उसे यकीन नहीं हुआ | प्रियम और उसका दोस्त राजू, पड़ोस में रहने वाले मनोज शर्मा की बेटी नूतन को बिस्तर पर लिटाकर उसके स्तन चूस रहे थे | नूतन ने ऊपर सिर्फ एक लूज स्वेटर पहना हुआ था जिसे दोनों ने ऊपर खिसकाकर नूतन के चेहरे को ढक दिया था | राजू दोनों हाथो से नूतन का बाया स्तन चूस रहा था, जबकि प्रियम सिर्फ एक साथ में लेकर ही चुसाई कर रहा था |

प्रियम का दूसरा हाथ नूतन की कमर की नीचे था और कपड़ो के ऊपर से ही कभी जांघो और कभी उसके बीच की जगह को सहला रहा था | ये द्रश्य देखकर रीमा को अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हुआ | प्रियम तो अभी बहुत छोटा है ये कैसे कर सकता है ? ये बच्चे इस उम्र में यह सब कैसे कर सकते है ? इनको ये सब करने के बारे में कैसे पता चला ? ऐसे कई सवाल उसके दिमाग में बिजली की तरह कौंध गए | वो सदमे में थी और उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था जो वो देख रही है वो सच है | तभी प्रियम ने नूतन की चूची में दांत गडा दिये | नूतन के मुहँ से दर्द भरी सिसकारी निकल गयी - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |

प्रियम - तुम हमें अपनी चिकनी गोरी चूत के दर्शन का करावोगी ?
koushal
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मादक नशे में तैरती उफनती नूतन ने झट से बोली - कभी और, अभी बस चूस के काम चलावो |
प्रियम – अभी क्यों नही इतना कहकर उसने नूतन के स्तन पर दांत गडा दिए
अन्दर का नजारा देख रीमा भी गरम हो चली, उसका शरीर भी उत्तेजना के आवेश में आने लगा, लेकिन तभी उसने खुद को संयत करते हुए, बच्चो को रोकने की ठानी |

रीमा ने तेज आवाज में खाँसा और कमरे के अन्दर की तरफ बढ़ चली | रीमा के खांसने की आवाज सुनते ही नूतन ने अपना स्वेटर तेजी से नीचे किया और झट से बिस्तर से उठकर बैठ गयी और दोनों को दूर ठेल दिया | दोनों बिस्तर पर इधर उधर लुढ़क गए और जब तक रीमा कमरे के अन्दर आती, नूतन बाल सही करके खड़ी हो गयी | प्रियम और राजू दोनों बिस्तर पर इधर उधर लुढकने के बाद उठकर खड़े हो गए |

कमरे के अन्दर आते की गुस्से में रीमा पूछने लगी - प्रियम ये सब क्या हो रहा है ?
तीनो सर झुकाकर जमींन की तरफ देखने लगे | रीमा ने दुबारा जोर देकर पुछा तो प्रियम उनके पैरो की तरफ निगाह रखकर हिचकिचाते हुए कहने लगा - ओह रीमा चाची क्या सरप्राइज है ?

रीमा - मैंने पुछा यहाँ क्या हो रहा था ?
कुछ नहीं रीमा चाची, हम तो अगले शनिवार पिकनिक मनाने की प्लानिंग कर रहे थे - राजू ने बहाना बनाया | रीमा - अच्छा फिर ठीक है आने दो रोहित को और तुम दोनों के माँ बाप को | यहाँ जो कुछ हो रहा था सब बताउंगी |
इतना कहकर वो तेजी से कमरे से निकल गयी और ऊपर की मंजिल में अपने कमरे में जाकर बैठ गयी | अभी भी उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये सब वो रोहित को बताये या नहीं | ये सब उसके लिए बहुत ही शर्मनाक था |
कुछ देर बाद उसने रोहित को फ़ोन मिलाया और कमरे में जो कुछ हो रहा था वो सब बता दिया |
रोहित ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा - रीमा तुम मजाक तो नहीं कर रही हो, क्या तुमने सच में देखा है |
रीमा - हाँ रोहित तुम्हे यकीन नहीं हो रहा मुझे भी नहीं हो रहा था, लेकिन ये सच है प्रियम नूतन की चूची चूस रहा था, उसके स्तन दबा रहा था और उसकी जांघो के बीच सहला रहा था और इसमे उसका दोस्त राजू भी साथ दे रहा था | प्रियम ने तो नूतन की चूची और स्तन पर दांत भी गडाए |
रोहित माफ़ी मागता हुआ – रीमा मै माफ़ी चाहताहूँ बात ही ऐसी है की यकीन होना मुश्किलहै
प्रियम अभी बहुत छोटा है, हो सकता है अभी उसका ठीक से खड़ा भी न होता हो |
रीमा - तुमारी बात सही है लेकिन मैंने तो की पेंट तम्बू की तरह तनी देखि है | प्रियम तो नूतन की चूत देखने के बारे में भी पूछ रहा था |
रोहित- ठीक तुमने बता दिया ये भी अच्छा कियाअब परेशान न हो मै प्रियम को समझाता हूँ लेकिन तब तक तुम इस बारे में किसी और से कोई बात नहीं करना इतनी रिक्वेस्ट है मेरी | बेवजह लोग बाते बनायेगें नहीं तो | जन्मदिन की शुभकामनाये रीमा |
रीमा - थैंक्यू रोहित, प्रियम पर कोई सख्ती मत करना, आखिर वो बच्चा ही तो है |
रीमा ने फ़ोन रखा और वो हल्की हल्की शर्म महसूस कर रही थी, आखिर चूत और चूची जैसे शब्दों के साथ उसने रोहित से बात की | लेकिन मन तो संतोष भी था, की उसने मौसी होने के नाते अपना फर्ज निभाया | अगर वो प्रियम के बारे में नहीं भी बताती तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था, लेकिन उसने जो भी किया उसको उसका संतोष था | इसी विचार के साथ वो खाने की लिए सामान लाने बाहर चली गयी |
koushal
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Re: वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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शाम को बिस्तर पर लेटे लेटे दिन में हुई घटना के बारे में ही सोच रही थी | साथ में रोहित की बारे में भी सोच रही थी | रीमा के पति शादी के बाद २ साल बाद ही मर गए थे | तब से रीमा ने न दूसरी शादी करी न किसी और मर्द के बारे में सोचा | हालाँकि कभी कभी वो रोहित के बारे में फैंटसी करती थी और उसको ये गलत भी नहीं लगता | आखिर रोहित उसका देवर जो था | रोहित तलाकशुदा था और अपने लिए लडकियों का इंतजाम कर ही लेता था | शुरू से रीमा ने अपनी छवि भी पाक साफ़ बना रखी थी और कभी वासना की नजरो से रोहित को देखा भी नहीं, न ही अन्दर की भावना कभी बाहर आने दी | इसलिए रोहित ने भी रीमा को कभी अप्रोच नहीं किया | पति की मौत के बाद एक डॉक्टर के साथ रीमा का साल भर अफेयर रहा, लेकिन उसके बाद से रीमा अकेले ही रही | अपनी सेक्सुअल डिजायर को एक कोने में दबा दिया | पिछले कुछ महीनो से उसकी सेक्सुअल उत्तेजना काफी बढ़ गयी थी | वो आये दिन चुदाई की फैतासी के बारे में सोचती रहती | फिर ये सोचकर मन मसोस लेती की ये सब उसके जिंदगीमें नहीं लिखा है | आज प्रियम वाली घटना ने रीमा को सेक्सुअली हिलाकर रख दिया | उसने सारे कपडे उतार दिए और अपने लिए दो पैग बनाये और धीरे धीरे पीने लगी और आज हुई घटना के बारे में सोचने लगी | किस तरह से प्रियम नूतन की चूची चूस रहा था, उसके शरीर को सहला रहा था | रीमा ने अपने शरीर को सोफे पर फैलाते हुए टांगे आगे को फैला दी | पैग पीकर गिलास अलग रख दिया और दोनों हाथो से अपने स्तनों को हलके हलके मसलने लगी | रीमा ने निप्पल कड़े होने लगे | रीमा ने आंखे बंद कर ली | रीमा ने स्तनों को तेजी से मसलना शुरू कर दिया और एक हाथ नाभि सहलाता हुआ, दोनों जांघो के बीच पेट के निचले हिस्से तक पहुच गया | पेट के निचले हिस्से से होते हुए फड़कती चिकनी चूत तक पहुच गया और उंगलिया चूत के दाने के पास तक पहुच गयी |

रीमा नूतन को इमेजिन करने लगी, कैसे उसके स्तनों की चुसाई दबाई हो रही थी | असल में ये रीमा की फंतैसी थी की कोई उसके स्तनों को चुसे दबाये काटे लेकिन वो नूतन के जरिये इमेजिन कर रही थी | रीमा क्या कर रही थी ये बिना सोचे चूत के दाने को रगड़ना शुरू कर दिया | अब रीमा के मुहँ से सिसकारियां निकने लगी | टांगो के बीच की में लगातार रीमा का हाथ चल रहा था, उत्तेजना के मारे चूत भी गीली होने लगी, धड़कने और तेज हो गयी, जैसे जैसे चूत का दाना रीमा रगडती, उसके चुतड उछाल लेने लगे, रीमा ने दूसरा हाथ नही चूत पर रख दिया, एक हाथ से वो चूत का दाना रगड़ रही थी दूसरे से चूत को तेजी से सहला रही थी, उसके मुहँ से सिसकारियो की आवाजे तेजी से निकलने लगी, वासना से भरी चूत की दरार से पानी रिसने लगा | उसका पेट और नाभि भी इस उत्तेजना के चरम में फद्फड़ाने लगे, पेट और चुतड सोफे से उचलने लगे | रीमा के हाथो ने चूत को और तेजी से रगड़ना शुरू कर दिया |


रीमा को इस समय न को लाज थी न शर्म, रीमा की आंखे बंद थी, ओठ भींचे हुए थे, उत्तेजना का सेंसेशन अपने चरम पर था | कभी निचले ओठ से ऊपर वाले को काटती, कभी उपरी ओठ से निचले वाले को | सांसे धौकनी की तरह चल रही थी| चूत की दरार से निकलता गीलापन अब उंगलिया भिगो रहा था, कुछ बह कर जांघो की तरफ बढ़ चला था | रीमा नूतन को प्रियम द्वारा चोदे जाने की कल्पना कर कर के खुद की चूत दोनों हाथो से रगड़े जा रही थी | अगर इस हालत में उसे कोई भी पकड़ लेता तो उसके लिए बेहद शर्मनाक होता | वो कंफ्यूज थी जो कुछ भी हो रहा है कौन शैतान उसके शरीर को छु रहा है, कौन है जो उसके अन्दर सेक्स की सोई इक्षा जगा रहा है, इस हद तक बढाये दे रहा है की वो सारी लाज शर्म छोड़ कर, खुले कमरे में पूरी तरह नंगी होकर खुद की चूत रगड़ रगड़ कर अपने भतीजे के बारे में सोच रही है | कितना गलत है ये ? लेकिन ये सब सोचते हुए भी उंगलिया चूत पर तेजी से चल रही थी | जब कोई औरत को चुदाई में मजा आने लगता है तो वो चुतड उठा उठाकर साथ देने लगती है | इसी तरह रीमा बार बार चुतड ऊपर की तरफ उछाल रही थी | वो ये सब नहीं करना चाहती थी लेकिन शरीर की वासना के आगे बेबस थी | एक तरफ उसकी चूत से लगातार पानी बह रहा था दूसरी तरफ तो सही गलत के उधेड़बुन में खोयी हुई थी | उसे होश ही नहीं था की वो कहाँ है, उसका दिमाग कही और था शरीर कही और था | ऐसा लग रहा था एक शैतान उसके शरीर से खेल रहा है और उसके हाथ पाव सब उसी शैतान के कब्जे में है | वो ये सब नहीं करना चाहती है लेकिन चूत के पतले ओठो पर नाच रही उंगलियों पर उसका कोई बस नहीं है | चूत की दरार से बहते पानी को रोकने में वो लाचार है | वासना के कारन थिरकते चुतड को रोकने में असमर्थ है | उसे पता है ये सब रोकने का अब कोई रास्ता नहीं है | अगर वो अपने अन्दर की वासना को तृप्त करने के लिए कुछ नहीं करेगी तो वो सो नहीं पायेगी | सिसकारियो के बीच उसने अपने एक उंगली चूत की दरार के बीच डाली, फिर दो चार बार अंदर बाहर करने के बाद, दो हाथो से चूत के दोनों ओठ फलाये | और फिर से उंगली अन्दर घुसेड दी | दूसरे हाथ से दाने को रगड़ना जारी रखा |
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Re: वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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धीरे धीरे वो सोफे पर पूरी तरह लेट गयी | दोनों जांघे ऊपर की तरह उठा दी और दो उंगलियों को कसी चूत के छेद में घुसेड के अन्दर बाहर करने लगी |

रीमा को ठीक से याद भी नहीं आखिरी बार कब लंड उसकी चूत के अन्दर गया था | इसलिए चूत की कसावट बिलकुल कुवारी चूत की तरह थी | दोनों उंगलिया को अन्दर डालने के लिए जोर लगाना पड़ रहा था | चूत की कसी हुई मखमली दीवारे उंगलियों को कस के जकड ले रही थी | उंगलियों की चुदाई उत्तेजना में चार चाँद लगा रही थी, इससे मिलने वाले चरम सुख की कोई सीमा नहीं थी | मुहँ से सिसकारियो का सिलसिला लगातार चल रहा था, उगलियाँ के चूत में अन्दर बाहर होने से शरीर भी उसी अनुसार लय में आगे पीछे हो रहा था | रीमा अपनी उंगलियों से खुद को चोद के अपनी वासना की आग बुझा रही थी | और सोच वो नूतन और प्रियम की चुदाई के बारे में रही थी | अब न कोई शर्म थी, न कोई हिचक थी, बस एक आग थी और उसे बुझाना था किसी भी तरह, उंगलिया अपनी चरम गति से चूत में आ जा रही थी और उसी के साथ दाने को भी अधिक ताकत और गति से रगड़ने का सिलसिला शुरू हो गया था |

अब लग रहा था जैसे चरम अब निकट ही है, एक तूफ़ान जो अन्दर धमाल मचाये हुआ था अब बस गुजर जाने को है | अब न कोई इमेजिनेशन था, न किसी की सोच | बस वासना थी वासना थी और सिर्फ वासना थी | रीमा अब सोफे पर तेजी से उछालने लगी | उसकी कमर जोर जोर के झटके खाने लगी | उंगलिया जिस गहराई तक जा सकती थी, वहां तक जाकर अन्दर बाहर होने लगी | पहले चूत में दो उंगलिया भी बड़ी मुश्किल से जा रही थी अब तीन भी आराम से जा रही थी | रीमा का हाथ पूरी ताकत से अन्दर बाहर के झटके दे रहा था | अचानक उसका पूरा शरीर अकड़ गया, सिसकारियो का न रुकने वाला सिलसिला शुरू हो गया, जांघे अपने आप खुलने बंद होने लगी, जबकि उसकी अंगुलियां अभी भी चूत की गहराई में गोते लगाकर आ जा रही थी, दाना फूलकर दोगुने साइज़ का हो गया था लेकिन रीमा ने उसे रगड़ना अभी भी बंद नहीं किया था | दाने के रगड़ने से चूत के कोने कोने तक में उत्तेजना की सिहरन थी | चूत की दीवारों में एक नया प्रकार का सेंसेशन होने लगा, कमर और जांघे अपने आप कापने लगी, रीमा को पता चल गया अब अंत निकट है, ये वासना के तूफ़ान की अंतिम लहर है | उसने चूत से उंगलियाँ निकाल ली, चूत रस तेजी से बाहर की तरफ बहने लगा | सारा शरीर कापने लगा, उत्तेजना के चरम का अहसास ने उसके शरीर पर से बचा खुचा नियंत्रण भी ख़त्म कर दिया |

कमर अपने आप ही हिल रही थी, पैर काँप रहे थे, मुहँ से चरम की आहे निकल रही थी | और फिर अंतिम झटके के साथ पुरे शरीर में कंपकपी दौड़ गयी और पूरा शरीर सोफे पर धडाम से ढेर हो दया |

रीमा आनंद के सागर में गोते लगाते लगाते लगभग मुर्क्षा की हालत में पंहुच गयी | धीरे धीरे सांसे काबू में आने लगी, चूत के दाना की सुजन कम होने लगी, स्तनों की कठोरता कम होने लगी | अपनी उखड़ती सांसे संभाले रीमा अपने आप के स्त्रीत्व को महसूस करने लगी, उसे अपने औरत होने का अहसास होने लगा | उसने शरीर को ढीला छोड़ दिया | उसने अपने ही चुचे और चूत का अहसाह पहली बार किया |उसके शरीर में होते हुए भी आज तक इनसे अनजान थी | उसके दिमाग सेक्स को लेकर जो भी दुविधा थी दूर हो गयी | अब वो खुद की सेक्स की चाह को दबाएगी नहीं | वो खुद को एन्जॉय करेगी | अपनी औरतपन को एन्जॉय करेगी | उसने इतने साल दकियानुकुसी में काट दिए, जबकि खुद में एन्जॉय करना तो कोई अपराध नहीं है | यही सोचते सोचते कब उसकी आंख लग गयी पता ही नहीं चला |

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Re: वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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रोहित ने बड़े प्यार से प्रियम से बात करी, और बड़ी सावधानी से उसने हर वो सवाल पूछ लिया जो उसे पूछना चाहिए था | उसे पता था प्रियम झूठ नहीं बोलेगा, प्रियम ने ईमानदारी से जो कुछ भी वो नूतन के साथ कर रहा था सब बता दिया लेकिन उसने एक बात जोर देकर और कसम खाकर कही कि जब चाची कमरे में आई तब नूतन का स्वेटर का स्वेटर बिलकुल ठीक था | रोहित ने अंदाजा लगाया की इसका मतलब ये है की रीमा पहले से ही दरवाजे की ओट से झांक रही थी और बच्चे जो भी कर रहे थे वो सब उसने कुछ देर रूककर देखा होगा |प्रियम जब तीन साल का था तभी उसकी माँ उसे छोड़कर चली गयी थी, तब से लेकर अब तक रोहित ने माँ और बाप बनकर उसको इतना बड़ा किया था | रोहित कई बार रिलेशनशिप में भी रहा लेकिन किसी भी लड़की से इतना लगाव नहीं हुआ की उसको प्रियम की माँ बना ले | बच्चे की खातिर उसने एक दो बार प्रियम की माँ से समझौता करने के कोशिश भी की लेकिन सफलता नहीं मिली | बीबी के छोड़ के जाने के बाद रोहित की बहुत गर्लफ्रेंड रही लेकिन जितना वो आकर्षित वो रीमा की तरफ होता था उतना किसी लड़की की तरफ नहीं होता था | अपने भाई और रीमा के पति की मौत के बाद उसने कई बार अपने दिल की बात रीमा को बताने की सोची लेकिन हर बार पीछे हट गया | अपने स्वर्गीय भाई की विधवा जवान पत्नी से इस तरह की बात करना उसे गलत लगा |

जब भी वो रीमा को देखता एक बार ये ख्याल जरुर आता की वो अपने दिल की बात उसको कह दे | आखिर वो भी अकेला है और रीमा भी अकेली है | जवानी में सेक्स उफान मारता ही है लेकिन रीमा जिस तरह से खुद की पतिव्रता इमेज में खुद को बांधे थी उस वजह से रोहित की कभी हिम्मत ही नहीं हुई ऐसी बात करने की | रीमा सिर्फ रोहित के मरे भाई की बीबी नहीं थी बल्कि उसकी सबसे बड़ी फंतासी थी जिसके लिए रोहित अलग अलग लडकियों को पटाकर अपनी फंतासी न पूरा कर पाने की खीझ मिटाता था | रीमा खूबसूरत थी, भरा पूरा शरीर था हालाँकि मेकअप नहीं लगाती थी फिर भी बच्चे से बूढ़ा जो भी एक बार देख लेता था फिर नजरो से ओझल होने तक उसको ही देखता रहता था | रोहित भी पार्टी में जब ड्रिंक पीकर धुत होता था तब अकसर रीमा की बांहों में सिमट के घर आता था और ऐसा वो जानबूझकर करता था | जब भी वो इसको कार में बैठाती, वो नीद के बहाने अपना सर रीमा के सीने पर रख देता और छोटे बच्चे की तरह सोने का नाटक करने लगता,हालाँकि इतना करीब होने के बावजूद उसकी कभी हिम्मत नहीं हुई की सीने से सर उठाकर उसके चेहरे तक ले जाये और उसके रसीले ओठ चूम ले | साल दर साल इसी तरह गुजरते रहे, दिल की तमन्ना दिल के कोने में ही दबी रह गयी | रीमा भी रोहित का साथ चाहती थी लेकिन रिश्तो की मर्यादा लोकलाज और खुद की बनायीं इमेज में उसकी सारी खवाइश दब गयी | रीमा भी रोहित को उसके घर छोड़कर अपने घर चली जाती थी | कभी खुद की बनायीं लक्ष्मण रेखा लांघी ही नहीं |

रोहित को आज की घटना के बाद लगा, रीमा ने नूतन प्रियम के बारे में उसे बढ़ा चढ़ा कर बताया है, इतने साल अकेले रहने के कारण क्या वो सेक्सुअली अवसाद में तो नहीं चली गयी | उसने कई सालो से सेक्स नहीं किया है और उसका कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं है | इसलिए सेक्सुअल चीजो को लेकर कुंठित हो गयी है | बच्चो के कमरे में घुसने से पहले काफी देर तक झांक कर उनकी फन एक्टिविटी को सेक्स बता रही है | लगता है रीमा को सेक्स की तलब है, उसको चुदाई चाहिए | लेकिन अगले पल ही उसके दिमाग में सवाल आया ये मै कैसे कर सकता हूँ?

अगले दिन राजू और प्रियम जब स्कूल जा रहे थे तो रास्ते में राजू ने पूछ लिया - प्रियम तेरे पापा ने क्या कहा, पिटाई तो नहीं की |

प्रियम-किस बात को लेकर?

राजू ने इशारे से समझाने की कोशिश की | प्रियम-नहीं यार मेरे डैड बहुत अच्छे है, उन्होंने ने बस इतना कहा की मै अभी इन सब चीजो के लिए बहुत छोटा हूँ और अभी कुछ साल उसे ये सब नहीं करना चाहिए |

राजू चहकते हुए-अबे बस इतना ही, साले मुझे तो लगा था की तेरी हड्डी पसली तोड़ देंगे|

प्रियम-नहीं यार ऐसा कुछ नहीं हुआ, मेरे डैड बहुत कूल है| लेकिन मेरी एक बात समझ नहीं आई वो ये क्यों पूछ रहे थे की चाची सीधे कमरे में आ गयी या छुप छुप के दरवाजे की ओट से हमें देख रही थी |

राजू-मतलब?

प्रियम-अरे यार मतलब क्या वो हमें पहले से देख रही थी? कही हमें देखकर वो.....इतना कहकर उसने दाई आंख मार दी|

राजू-साले तेरी चाची है कुछ तो लिहाज रख |
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