कभी गुस्सा तो कभी प्यार
नमस्कार दोस्तों, इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है और उनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है और अगर ऐसा कुछ होता है तो यह मात्र एक संयोग हो सकता है। इस कहानी का उद्देश्य सिर्फ लोगों का मनोरंजन करना है और किसी भी धर्म, जाती, भाषा, समुदाय का अपमान करना नहीं।
इस कहानी के कुछ दृश्य आपको विचलित कर सकते हैं, पाठकगण कृपया अपने विवेक से निर्णय लें। यह कहानी मात्र वयस्कों के लिए लिखी गयी है, इसलिए 18 वर्ष से अधिक की उम्र होने पर ही आप इस कहानी को पढ़ें।
आपके कमेंट और सुझाव सादर आमंत्रित हैं जिससे मुझे खुद को और कहानी को बेहतर बनाने में सहयोग मिले। आशा करता हूँ की यहाँ भी आप इसे पसंद करेंगे और मेरा उत्साहवर्धन करते रहेंगे। धन्यवाद
ये कहानी आज से 12-13 साल पहले की है जब स्मार्ट फोन तो नही ही आया था, फोन भी बहुत कम लोगों के हाथ मे था. और हमारी इस कहना की मुख्य किरदार है पूनम सक्सेना. एक सीधी सादी सिंपल और शरीफ लड़की की. और ये सारी खूबियाँ उसमे तब थी जब वो देखने
मे बेहद हसीन थी. लंबा उँचा कद, गोरा बदन, घने काले लंबे बाल, पूरी काली आँखें जिनमे देख कर कोई व मदहोश हो जाए. पतले गुलाबी
होठ जिनके रस को पीने के लिए कोई भी बेकरार हो जाए. 5'5" हाइट और 32सी 28 34 की कातिल फिगर.
अपर मिड्ल क्लास होने की वजह से उसकी अदाएँ भी कातिल थी. वो अच्छे बड़े कॉनवेंट स्कूल मे पढ़ी थी और स्टाइल और सादगी का संगम थी हमारी कहानी की हेरोइन पूनम सक्सेना. उसके बोलने का लहज़ा इतना आकर्षक था कि लगे कि बस वो बोलती ही रहे और लोग सुनते ही रहें. चाल इतनी मस्तानी की बस उसकी हिलती हुई कमर को ही देख कर कोई भी खो जाए. कपड़े सिंपल लेकिन इतने लगता कि बस
उसके लिए ही बना है और ऐसे फिट कि उसके बदन का निखार और बढ़ जाता था. हो सकता है कि तारीफ करते करते मैं कुच्छ ज़्यादा
बहक गया हूँ, लेकिन पूनम एक बेमिसाल लड़की थी.
पूनम के पापा एक सरकारी कंपनी मे जॉब करते थे और पुराने ख्यालों के थे. उनका रहन सहन भी सादा ही था. पूनम की माँ भी एक साधारण घरेलू औरत थी. घर मे माँ पापा और बस वो रहते थे. उसका एक बड़ा भाई था जो बाहर पढ़ाई करने के बाद वहीं जॉब कर रहा था.
उसकी एक बड़ी बहन भी थी जिसकी शादी हो चुकी थी और वो अपने ससुराल मे रहती थी.
पूनम के पापा ने एक नया घर बनवाया था और वो लोग वहाँ अभी हाल मे ही शिफ्ट हुए थे. ये एक नया बन रहा मुहल्ला था जहाँ अभी बहुत कम घर बने थे और कई सारे घर अंडर कन्स्ट्रक्षन थे.
हालाँकि पूनम बहुत अच्छी और शरीफ लड़की थी, लेकिन जब जवानी का नशा चढ़ता है तो कितनो क कदम बहक जाते हैं. अभी कुच्छ दिन पहले ही पूनम 21 साल की हुई थी और जवानी की इस बहकी हुई हवा मे पूनम के भी कदम फिसल गये और अब उसका भी एक बाय्फ्रेंड था.
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कभी गुस्सा तो कभी प्यार
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गुजारिश Running....वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना Running....वर्दी वाला गुण्डा / वेदप्रकाश शर्मा ....
प्रीत की ख्वाहिश ....अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म ) ....
कमसिन बहन .... साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ.... द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}by rocksanna .... अनौखी दुनियाँ चूत लंड की .......क़त्ल एक हसीना का
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Re: कभी गुस्सा तो कभी प्यार
कदम फिसलने का ये बिल्कुल मतलब नही था कि पूनम कुच्छ ग़लत हरकत कर चुकी थी. वो अपने बाय्फ्रेंड के साथ डेट पे गयी थी लेकिन
एक सिंपल हग और माथे पे किस के अलावा ना तो पूनम ने कुच्छ करने दिया था और ना ही उसके बाय्फ्रेंड अमित ने कुच्छ किया था.
पूनम के पिता रूढ़िवादी ख़यालों के थे और बहुत रिस्ट्रिक्ट थे. लेकिन जैसे जैसे टाइम बदलता जाता है तो लोग अपने बच्चों के हिसाब से बदल जाते हैं. पूनम चाहती थी कि शादी के पहले कम से कम वो कुच्छ तो कर ले, अपने आपको साबित कर पाए. पूनम के पिता को ये पसंद नही था की उनकी बेटियाँ नौकरी करे, उसके पिता अब उसकी शादी करने के मूड मे थे. पूनम की दीदी भी अभी 23 साल की ही थी और उसकी
शादी कर दी गयी थी. लेकिन पूनम की अपनी ज़िद थी कि वो कहीं जॉब करे.
आख़िरकार उसके पिता को उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा और पूनम एक प्राइवेट. कंपनी मे कंप्यूटर डेटा अनलयसिस्त के जॉब पे लग गयी. उसका ऑफीस अच्छा था और घर से थोड़ा ही दूर था. सुबह वो 9:30 मे अपने घर से पैदल ही ऑफीस पहुँच जाती थी और शाम मे 6:00 बजे वो ऑफीस से निकल कर वापस अपने घर आ जाती थी.
पूनम को जॉब करते हुए 3 महीने हो चुके थे और उसे अपने काम मे बहुत मन लग रहा था. 12000 रुपये महीने मिलते थे उसे और वो अपनी मर्ज़ी से उन रुपयों को खर्च करती थी. अपने पैसों से उसने अपनी माँ को एक साड़ी और पापा को एक सूट गिफ्ट किया था. वो बहुत खुश थी अपने लाइफ से.
पिच्छले कुच्छ दिनो से वो नोटीस कर रही थी कि 2 लड़का उसे ऑफीस आते और जाते वक्त घूरते रहते थे, लेकिन वो उनको इग्नोर करती थी. ये कोई नयी बात नही थी उसके लिए. जब से उसने जवानी की दहलीज़ पे कदम रखा था, तब से ये हो रहा था उसके साथ. ऑफीस मे भी कितने ही लोगों ने उसे प्रपोज करने की कोशिश की थी, लेकिन उसका हाव भाव इतना शांत रहता था कि किसी को लगा ही नही कि पूनम
उसके ज़्यादा करीब आ गयी है और उसे प्रपोज किया जा सकता है. वो अपने बाय्फ्रेंड के लिए कोँमिटेड थी और बस उसी से वो बातें करती थी. लेकिन अभी भी उन दोनो ने वो लिमिट पर नही की थी.
एक दिन जब पूनम ऑफीस से लौट रही थी तो उसे देखा कि वो दोनो लड़के किसी आदमी को पीट रहे थे और वहाँ भीड़ लगी हुई थी. घर आने पे रात मे उसके पापा ने उसे बताया उन्दोनो के बारे मे कि वो दोनो रोड बना रहे ठेकेदार हैं. एक तो पहले से ही पूनम अपने मन मे
उनके लिए बुरा सोचे हुए थी, अब ये सब सुनने और देखने के बाद तो उसके मन मे उन लड़कों के लिए नफ़रत आ गयी थी और साथ ही
साथ पूनम के मन मे एक डर भी बैठ गया था.
अगले दिन फिर पूनम ऑफीस जा रही थी तो फिर से दोनो लड़के एक चाइ के ठेले पे खड़े थे और पूनम को देख कर मुस्कुरा रहे थे.
अचानक से पूनम की नज़र उनपे चली गयी और नज़र मिलते ही वो मुस्कुरा दिए. पूनम को उन लड़कों पे और गुस्सा आ गया और वो बुरा
सा मुँह बनाती हुई आगे बढ़ गयी.
एक सिंपल हग और माथे पे किस के अलावा ना तो पूनम ने कुच्छ करने दिया था और ना ही उसके बाय्फ्रेंड अमित ने कुच्छ किया था.
पूनम के पिता रूढ़िवादी ख़यालों के थे और बहुत रिस्ट्रिक्ट थे. लेकिन जैसे जैसे टाइम बदलता जाता है तो लोग अपने बच्चों के हिसाब से बदल जाते हैं. पूनम चाहती थी कि शादी के पहले कम से कम वो कुच्छ तो कर ले, अपने आपको साबित कर पाए. पूनम के पिता को ये पसंद नही था की उनकी बेटियाँ नौकरी करे, उसके पिता अब उसकी शादी करने के मूड मे थे. पूनम की दीदी भी अभी 23 साल की ही थी और उसकी
शादी कर दी गयी थी. लेकिन पूनम की अपनी ज़िद थी कि वो कहीं जॉब करे.
आख़िरकार उसके पिता को उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा और पूनम एक प्राइवेट. कंपनी मे कंप्यूटर डेटा अनलयसिस्त के जॉब पे लग गयी. उसका ऑफीस अच्छा था और घर से थोड़ा ही दूर था. सुबह वो 9:30 मे अपने घर से पैदल ही ऑफीस पहुँच जाती थी और शाम मे 6:00 बजे वो ऑफीस से निकल कर वापस अपने घर आ जाती थी.
पूनम को जॉब करते हुए 3 महीने हो चुके थे और उसे अपने काम मे बहुत मन लग रहा था. 12000 रुपये महीने मिलते थे उसे और वो अपनी मर्ज़ी से उन रुपयों को खर्च करती थी. अपने पैसों से उसने अपनी माँ को एक साड़ी और पापा को एक सूट गिफ्ट किया था. वो बहुत खुश थी अपने लाइफ से.
पिच्छले कुच्छ दिनो से वो नोटीस कर रही थी कि 2 लड़का उसे ऑफीस आते और जाते वक्त घूरते रहते थे, लेकिन वो उनको इग्नोर करती थी. ये कोई नयी बात नही थी उसके लिए. जब से उसने जवानी की दहलीज़ पे कदम रखा था, तब से ये हो रहा था उसके साथ. ऑफीस मे भी कितने ही लोगों ने उसे प्रपोज करने की कोशिश की थी, लेकिन उसका हाव भाव इतना शांत रहता था कि किसी को लगा ही नही कि पूनम
उसके ज़्यादा करीब आ गयी है और उसे प्रपोज किया जा सकता है. वो अपने बाय्फ्रेंड के लिए कोँमिटेड थी और बस उसी से वो बातें करती थी. लेकिन अभी भी उन दोनो ने वो लिमिट पर नही की थी.
एक दिन जब पूनम ऑफीस से लौट रही थी तो उसे देखा कि वो दोनो लड़के किसी आदमी को पीट रहे थे और वहाँ भीड़ लगी हुई थी. घर आने पे रात मे उसके पापा ने उसे बताया उन्दोनो के बारे मे कि वो दोनो रोड बना रहे ठेकेदार हैं. एक तो पहले से ही पूनम अपने मन मे
उनके लिए बुरा सोचे हुए थी, अब ये सब सुनने और देखने के बाद तो उसके मन मे उन लड़कों के लिए नफ़रत आ गयी थी और साथ ही
साथ पूनम के मन मे एक डर भी बैठ गया था.
अगले दिन फिर पूनम ऑफीस जा रही थी तो फिर से दोनो लड़के एक चाइ के ठेले पे खड़े थे और पूनम को देख कर मुस्कुरा रहे थे.
अचानक से पूनम की नज़र उनपे चली गयी और नज़र मिलते ही वो मुस्कुरा दिए. पूनम को उन लड़कों पे और गुस्सा आ गया और वो बुरा
सा मुँह बनाती हुई आगे बढ़ गयी.
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Re: कभी गुस्सा तो कभी प्यार
शाम को जब पूनम वापस घर आ रही थी तो उनमे से एक लड़का उसके घर के लिए जाने वाली गली के कॉर्नर पे खड़ा था. पूनम का घर मेन रोड से अंदर एक गली आती थी, उसमे लगभग 200-250 मीटर अंदर था. पूनम का बदन सिहर गया. एक अंजाने भय और रोमांच से उसका जिस्म हिल उठा.
वो चुपचाप अपनी नज़रें नीचे किए, अपने घर की तरफ बढ़ती रही. उसे लग रहा था कि पता नही क्या होगा, कहीं उसने रास्ता रोक लिया तो, हाथ पकड़ लिया तो या कुच्छ बदतमीज़ी ही कर दी तो. पूनम मन ही मन खुद की हिम्मत बढ़ाते हुए और आगे बढ़ती रही. पूनम उसके
सामने से गुज़री लेकिन उस लड़के ने कुच्छ नही किया और जब पूनम अपने घर के पास पहुँच गयी तब उसकी जान मे जान आई.
रात मे पूनम उस लड़कों के बारे मे सोच रही थी. दिखता तो ठीक ही है, पता नही मेरे पिछे क्यूँ पड़ा है. उस दिन मारपीट कर रहा था, ठेकेदार है तो शरीफ तो नही ही होगा. पता नही ऐसा गुंडा मेरे पिछे क्यूँ पड़ गया. कहीं ऐसा ना हो कि ये कुच्छ ऐसे वैसे कर दे कि इसके
चक्कर मे फिर पापा घर से निकलना ना बंद करा दें. फिर तो हो गयी नौकरी और हो गयी मस्ती. ऑफीस के लिए घर से निकलूंगी ही नही तो फिर अमित से कैसे मिलूंगी. नही, मैं ऐसा नही होने दे सकती.'
वो बहुत देर तक उन्दोनो के बारे मे सोचती रही और मन मे ये ठान ली कि अगर उन लड़कों ने कभी उसे कुच्छ कहा या बदतमीज़ी की तो
मैं उन लोगों को ज़ोर से डाँट दूँगी और साफ साफ मना कर दूँगी.
अगले दिन पूनम जब घर से निकली तो रोड पे पोलीस की वॅन खड़ी थी और वो दोनो लड़के वॅन मे बैठे पोलीस वालों से हंस हंस कर बातें कर रहे थे. सभी मस्ती मे चाइ पी रहे थे. दोनो पूनम को जाते हुए देख रहे थे. पूनम इन दोनो को इग्नोर करते हुए ऑफीस चल दी लेकिन पिछे जो ज़ोर की हँसी सुनाई दी सबकी, तो पूनम को लगा कि ये हँसी उसी के बारे मे है. उसे और गुस्सा आया और इसबार ये गुस्सा उन
पोलीस वालों के लिए था. 'ऐसे गुणडो के साथ ऐसे बातें कर रहे हैं जैसे कितने गहरे दोस्त हों. अरे... मार पीट करते हैं, लड़कियाँ छेड़ते हैं.
इन्हे पकरो और जैल मे डालो. लेकिन यहाँ खड़े होकर उनके साथ गप्पें लड़ा रहे हैं.'
दोपहर मे पूनम अपने बाय्फ्रेंड अमित से मिली. लंच टाइम था तो पूनम उसी के साथ एक रेस्टोरेंट मे लंच मे कर रही थी. पूनम कई रोज़ से इसी उधेड़बुन मे थी कि अमित को बताए कि नही. आज फाइनली वो अमित को पूरी बात बता दी. अमित उनलोगों को जानता था और पूनम को समझाते हुए बोला "दूर रहना इन गुंडे मवालियों से, सालों का काम ही यही है. मारपीट करना, लोगों को डराना धमकाना. अब एक नेता
का हाथ पड़ गया है उनके सिर पे तो ठेकेदार बन गये हैं. इसी गुंडई क दम पे पैसा कमाते हैं. जैल भी जा चुके हैं, लेकिन क्या फ़र्क पड़ता है उससे इन जैसे लोगों को."
वो चुपचाप अपनी नज़रें नीचे किए, अपने घर की तरफ बढ़ती रही. उसे लग रहा था कि पता नही क्या होगा, कहीं उसने रास्ता रोक लिया तो, हाथ पकड़ लिया तो या कुच्छ बदतमीज़ी ही कर दी तो. पूनम मन ही मन खुद की हिम्मत बढ़ाते हुए और आगे बढ़ती रही. पूनम उसके
सामने से गुज़री लेकिन उस लड़के ने कुच्छ नही किया और जब पूनम अपने घर के पास पहुँच गयी तब उसकी जान मे जान आई.
रात मे पूनम उस लड़कों के बारे मे सोच रही थी. दिखता तो ठीक ही है, पता नही मेरे पिछे क्यूँ पड़ा है. उस दिन मारपीट कर रहा था, ठेकेदार है तो शरीफ तो नही ही होगा. पता नही ऐसा गुंडा मेरे पिछे क्यूँ पड़ गया. कहीं ऐसा ना हो कि ये कुच्छ ऐसे वैसे कर दे कि इसके
चक्कर मे फिर पापा घर से निकलना ना बंद करा दें. फिर तो हो गयी नौकरी और हो गयी मस्ती. ऑफीस के लिए घर से निकलूंगी ही नही तो फिर अमित से कैसे मिलूंगी. नही, मैं ऐसा नही होने दे सकती.'
वो बहुत देर तक उन्दोनो के बारे मे सोचती रही और मन मे ये ठान ली कि अगर उन लड़कों ने कभी उसे कुच्छ कहा या बदतमीज़ी की तो
मैं उन लोगों को ज़ोर से डाँट दूँगी और साफ साफ मना कर दूँगी.
अगले दिन पूनम जब घर से निकली तो रोड पे पोलीस की वॅन खड़ी थी और वो दोनो लड़के वॅन मे बैठे पोलीस वालों से हंस हंस कर बातें कर रहे थे. सभी मस्ती मे चाइ पी रहे थे. दोनो पूनम को जाते हुए देख रहे थे. पूनम इन दोनो को इग्नोर करते हुए ऑफीस चल दी लेकिन पिछे जो ज़ोर की हँसी सुनाई दी सबकी, तो पूनम को लगा कि ये हँसी उसी के बारे मे है. उसे और गुस्सा आया और इसबार ये गुस्सा उन
पोलीस वालों के लिए था. 'ऐसे गुणडो के साथ ऐसे बातें कर रहे हैं जैसे कितने गहरे दोस्त हों. अरे... मार पीट करते हैं, लड़कियाँ छेड़ते हैं.
इन्हे पकरो और जैल मे डालो. लेकिन यहाँ खड़े होकर उनके साथ गप्पें लड़ा रहे हैं.'
दोपहर मे पूनम अपने बाय्फ्रेंड अमित से मिली. लंच टाइम था तो पूनम उसी के साथ एक रेस्टोरेंट मे लंच मे कर रही थी. पूनम कई रोज़ से इसी उधेड़बुन मे थी कि अमित को बताए कि नही. आज फाइनली वो अमित को पूरी बात बता दी. अमित उनलोगों को जानता था और पूनम को समझाते हुए बोला "दूर रहना इन गुंडे मवालियों से, सालों का काम ही यही है. मारपीट करना, लोगों को डराना धमकाना. अब एक नेता
का हाथ पड़ गया है उनके सिर पे तो ठेकेदार बन गये हैं. इसी गुंडई क दम पे पैसा कमाते हैं. जैल भी जा चुके हैं, लेकिन क्या फ़र्क पड़ता है उससे इन जैसे लोगों को."
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Re: कभी गुस्सा तो कभी प्यार
पूनम का डर और बढ़ गया था. शाम मे फिर वही हुआ, पूनम के घर आते वक़्त आज फिर वो लड़का वहीं कॉर्नर पे खड़ा था. शाम का वक़्त था तो कोई इधर रहता नही था. वैसे भी ये नया डेवेलप हो रहा एरिया था तो इधर लोग कम ही रहते थे. आज पूनम को कल की तरह बैचैनि
नही हो रही थे, आज उसे डर लग रहा था. अमित की बातें उसे याद आ रही थी. 'क्या गॅरेंटी ऐसे लड़कों का कि क्या कर दें. इसे किसी चीज़
का डर तो है नही. पोलीस, नेता सब तो इसी के हैं. हे भगवान... उफ़फ्फ़....'
वो मन ही मन खुद को मज़बूत बनाते हुए आगे बढ़ती रही. उसे डर भी लग रहा था. एक तो आसपास कोई नही था और उसपर से ये लोग
मामूली लड़के नही थे.
जैसे ही पूनम उसके सामने से गुज़री, वो लड़का धीरे से बोला तुम बहुत सुंदर हो पूनम. पूनम का मन हुआ कि उसे चाँटा मार दे या कुच्छ
डाँट दे, लेकिन उसकी भी इतनी हिम्मत नही हुई और चुपचाप सीधे अपने घर आ गयी. घर आने के बाद उसे बहुत अफ़सोस हो रहा था कि
वो चुपचाप क्यू सुन ली, अब इन लड़कों की हिम्मत और भी बढ़ जाएगी.
पूनम फिर से उसी लड़के के बारे मे सोच रही थी. एक बार उसका मन हुआ कि अपनी माँ को बता दे. लेकिन माँ को या पापा को बताने का मतलब होता कि उसकी नौकरी बंद और घर से बाहर निकलना बंद. फिर जल्दी से उसकी शादी की बात चलने लगती. पूनम सोचते सोचते ही सो गयी.
सुबह पूनम देखी कि दोनो लड़के रोड पे खड़े थे और उसे देख कर मुस्कुरा रहे थे. पूनम की नज़र उनसे मिली और पता नही ऐसा कैसे हुआ, लेकिन पूनम के चेहरे पे मुस्कुराहट फैल गयी. वो जल्दी से अपनी मुस्कुराहट रोकने की कोशिश की और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा ली,
लेकिन वो दोनो इस हसीन मुस्कान को पूनम के होठों पे नाचते हुए देख चुके थे.
पूनम ऑफीस आ गयी. उसे अपने पे गुस्सा भी आ रहा था. वो सोच ली कि आज अगर वो लड़का वहाँ पे खड़ा होगा तो मैं रुक कर अपनी
तरफ से उन्हे क्लियर कर दूँगी और अपना पीछा करने से मना कर दूँगी.
नही हो रही थे, आज उसे डर लग रहा था. अमित की बातें उसे याद आ रही थी. 'क्या गॅरेंटी ऐसे लड़कों का कि क्या कर दें. इसे किसी चीज़
का डर तो है नही. पोलीस, नेता सब तो इसी के हैं. हे भगवान... उफ़फ्फ़....'
वो मन ही मन खुद को मज़बूत बनाते हुए आगे बढ़ती रही. उसे डर भी लग रहा था. एक तो आसपास कोई नही था और उसपर से ये लोग
मामूली लड़के नही थे.
जैसे ही पूनम उसके सामने से गुज़री, वो लड़का धीरे से बोला तुम बहुत सुंदर हो पूनम. पूनम का मन हुआ कि उसे चाँटा मार दे या कुच्छ
डाँट दे, लेकिन उसकी भी इतनी हिम्मत नही हुई और चुपचाप सीधे अपने घर आ गयी. घर आने के बाद उसे बहुत अफ़सोस हो रहा था कि
वो चुपचाप क्यू सुन ली, अब इन लड़कों की हिम्मत और भी बढ़ जाएगी.
पूनम फिर से उसी लड़के के बारे मे सोच रही थी. एक बार उसका मन हुआ कि अपनी माँ को बता दे. लेकिन माँ को या पापा को बताने का मतलब होता कि उसकी नौकरी बंद और घर से बाहर निकलना बंद. फिर जल्दी से उसकी शादी की बात चलने लगती. पूनम सोचते सोचते ही सो गयी.
सुबह पूनम देखी कि दोनो लड़के रोड पे खड़े थे और उसे देख कर मुस्कुरा रहे थे. पूनम की नज़र उनसे मिली और पता नही ऐसा कैसे हुआ, लेकिन पूनम के चेहरे पे मुस्कुराहट फैल गयी. वो जल्दी से अपनी मुस्कुराहट रोकने की कोशिश की और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा ली,
लेकिन वो दोनो इस हसीन मुस्कान को पूनम के होठों पे नाचते हुए देख चुके थे.
पूनम ऑफीस आ गयी. उसे अपने पे गुस्सा भी आ रहा था. वो सोच ली कि आज अगर वो लड़का वहाँ पे खड़ा होगा तो मैं रुक कर अपनी
तरफ से उन्हे क्लियर कर दूँगी और अपना पीछा करने से मना कर दूँगी.
Thriller इंसाफ Running....बहुरुपिया शिकारी Running....
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Re: कभी गुस्सा तो कभी प्यार
शाम मे जब पूनम वापस घर आ रही थी तो आज वहाँ कोई नही था. वो दोनो लड़के कहीं दिख नही रहे थे. पूनम थोड़ा रिलॅक्स फील की. जैसे ही पूनम गली के लिए मूडी, एक 7-8 साल की लड़की दौड़ती हुई उसके पास आई और उसे एक एन्वेलप देती हुई बोली दीदी, ये आपके लिए जीजा जी ने दिया है.
जब तक पूनम कुच्छ समझ कर रिक्ट कर पाती, वो लड़की उसे एन्वेलप पकड़ा कर वापस भाग चुकी थी. पूनम उसे आवाज़ देकर पुछ्ने जा रही थी लेकिन वो अपने घर के पास आ गयी थी, तो वो उस लड़की को आवाज़ नही दी और सोचने लगी कि एन्वेलप का क्या करे. तभी उसे
उसकी माँ घर का मेन गाते खोलती हुई दिखी तो वो झट से एन्वेलप को अपने पर्स मे रख ली.
पूनम की माँ सब्जी लाने जा रही थी. पूनम घर मे आई और गेट अंदर से बंद कर ली. उसके पापा अभी ऑफीस से आए नही थे. वो रूम मे जाकर सब से पहले पर्स से एन्वेलप निकाल कर उसे खोलने लगी. उसे लगा कि अंदर उन लड़कों ने लव लेटर लिखा होगा. उसका दिल जोरों
से धड़क रहा था. उसे बहुत डर लग रहा था. उसे अपने आप पे गुस्सा आ रहा था कि उस दिन वो उन लोगों को देख कर हँसी क्यू थी.
पूनम इस तरह की लड़की नही थी और उसपे वो अपने बाय्फ्रेंड को लेकर कमिटेड थी. उसे इस बात का भी अफ़सोस हो रहा था कि वो एन्वेलप ली ही क्यू, और अगर ली भी तो उसे वहीं पे फेक क़्न नही दी. उसे उस लड़की की बात याद आ गयी "दीदी, ये आपके लिए जीजा जी ने दिया है." पूनम को गुस्सा तो आ ही रहा वो था, साथ ही साथ हँसी भी आ गयी कि दीदी के साथ जीजा भी बन गये वो लोग.
पूनम अभी भी बस यही सोच रही थी कि लेटर पढ़ लूँगी और माँ के आने से पहले उसे फाड़ कर दूर फेंक दूँगी.
एन्वेलप के उपर 3 स्टेप्लर पिन लगा हुआ था, जिसे पूनम खोल रही थी. एन्वेलप से गुलाब की खुश्बू बाहर आ रही थी. वैसे तो वो एन्वेलप
खोलती भी नही, लेकिन चूँकि अभी उसकी माँ घर पे नही थी, इसलिए उसके पास तोड़ा टाइम था और उसकी हिम्मत बनी हुई थी.
वो एन्वेलप का पिन हटाकर पूनम बेड पे ठीक से रखी. एन्वेलप खोलते ही उसके नथूनो मे गुलाब की खुश्बू भर गयी. एन्वेलप के अंदर से एक पेपर बाहर झाँक रहा था. पूनम जल्दी से उस पेपर को बाहर निकाली और एन्वेलप को बेड पे रखने लगी, लेकिन उसे एन्वेलप मे और भी कुच्छ होने का अंदाज़ा लगा.
पूनम एन्वेलप को उल्टा कर दी और अंदर से 10 पोस्टकार्ड साइज़ के फोटो और साथ मे गुलाब की कई सारी पंखुड़ियाँ उसके हाथों मे और ज़मीन पे आ गिरी. उसकी नज़र अपने हाथ के उन फोटोस पे पारी और उपर वाला पहला फोटो देखते ही पूनम का दिमाग़ घूम गया. उसका
बदन झंझणा उठा और उसकी रूह सिहर गयी.
जब तक पूनम कुच्छ समझ कर रिक्ट कर पाती, वो लड़की उसे एन्वेलप पकड़ा कर वापस भाग चुकी थी. पूनम उसे आवाज़ देकर पुछ्ने जा रही थी लेकिन वो अपने घर के पास आ गयी थी, तो वो उस लड़की को आवाज़ नही दी और सोचने लगी कि एन्वेलप का क्या करे. तभी उसे
उसकी माँ घर का मेन गाते खोलती हुई दिखी तो वो झट से एन्वेलप को अपने पर्स मे रख ली.
पूनम की माँ सब्जी लाने जा रही थी. पूनम घर मे आई और गेट अंदर से बंद कर ली. उसके पापा अभी ऑफीस से आए नही थे. वो रूम मे जाकर सब से पहले पर्स से एन्वेलप निकाल कर उसे खोलने लगी. उसे लगा कि अंदर उन लड़कों ने लव लेटर लिखा होगा. उसका दिल जोरों
से धड़क रहा था. उसे बहुत डर लग रहा था. उसे अपने आप पे गुस्सा आ रहा था कि उस दिन वो उन लोगों को देख कर हँसी क्यू थी.
पूनम इस तरह की लड़की नही थी और उसपे वो अपने बाय्फ्रेंड को लेकर कमिटेड थी. उसे इस बात का भी अफ़सोस हो रहा था कि वो एन्वेलप ली ही क्यू, और अगर ली भी तो उसे वहीं पे फेक क़्न नही दी. उसे उस लड़की की बात याद आ गयी "दीदी, ये आपके लिए जीजा जी ने दिया है." पूनम को गुस्सा तो आ ही रहा वो था, साथ ही साथ हँसी भी आ गयी कि दीदी के साथ जीजा भी बन गये वो लोग.
पूनम अभी भी बस यही सोच रही थी कि लेटर पढ़ लूँगी और माँ के आने से पहले उसे फाड़ कर दूर फेंक दूँगी.
एन्वेलप के उपर 3 स्टेप्लर पिन लगा हुआ था, जिसे पूनम खोल रही थी. एन्वेलप से गुलाब की खुश्बू बाहर आ रही थी. वैसे तो वो एन्वेलप
खोलती भी नही, लेकिन चूँकि अभी उसकी माँ घर पे नही थी, इसलिए उसके पास तोड़ा टाइम था और उसकी हिम्मत बनी हुई थी.
वो एन्वेलप का पिन हटाकर पूनम बेड पे ठीक से रखी. एन्वेलप खोलते ही उसके नथूनो मे गुलाब की खुश्बू भर गयी. एन्वेलप के अंदर से एक पेपर बाहर झाँक रहा था. पूनम जल्दी से उस पेपर को बाहर निकाली और एन्वेलप को बेड पे रखने लगी, लेकिन उसे एन्वेलप मे और भी कुच्छ होने का अंदाज़ा लगा.
पूनम एन्वेलप को उल्टा कर दी और अंदर से 10 पोस्टकार्ड साइज़ के फोटो और साथ मे गुलाब की कई सारी पंखुड़ियाँ उसके हाथों मे और ज़मीन पे आ गिरी. उसकी नज़र अपने हाथ के उन फोटोस पे पारी और उपर वाला पहला फोटो देखते ही पूनम का दिमाग़ घूम गया. उसका
बदन झंझणा उठा और उसकी रूह सिहर गयी.
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