Adultery * * * * *पाप (30 कहानियां) * * * * *

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rajaarkey
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अगले ही पल वो फिर सिद्धार्थ की तरफ झुकी और सीट के साइड में लगे लीवर को खींचकर ड्राइवर सीट को । पूरा पीछे तक खींच दिया। अब वो तकरीबन आधा लेटा हुआ था और आशा के लिए काफी जगह बन चुकी थी। उसने अपनी साड़ी फिर ऊपर को उठाई और सरक कर सिद्धार्थ के ऊपर चढ़कर बैठ गई। वो दोनों एक ही सीट पर थे इसलिए जगह कम थी जिसकी वजह से वो तकरीबन उसके ऊपर लेटी ही हुई थी। दोनों टांगे उसने सिद्धार्थ की कमर के दोनों तरफ कर रही थी और एक घुटने में कुछ चुभ रहा था उस चीज की परवाह आशा को उस वक़्त बिल्कुल नहीं थी।


उसने अपनी गाण्ड थोड़ी सी ऊपर उठाई। बीच से एक हाथ में सिद्धार्थ का लण्ड पकड़ा, अपनी चूत पर लगाया और हल्के हल्के नीचे हो गई।

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ओह मोम..” सिद्धार्थ लगभग चिल्ला पड़ा।

आशा के पूरे जिम में जैसे संतुष्टि की लहर सी दौड़ पड़ी। ये लहर इस बात की थी की वो चुद रही थी या इस बात की की उसके पास भी बाकी औरतों के साथ शेयर करने को कुछ था, ये कह पाना खुद उसके लिए भी मुश्किल था। “घोर पाप...” फिर उसके दिमाग में कहीं एक आवाज उठी और एक बार फिर पूँज कर कहीं खो गई। लण्ड जब जड़ तक चूत के अंदर धंस गया तो वो नीचे को झुकी और अपनी एक छाती सिद्धार्थ के मुँह में घुसा दी।


सक इट...” उसने कहा और अपनी गाण्ड ऊपर उठाकर लण्ड को चूत से हल्का सा बाहर निकाला और फिर अंदर ले लिया।

सिद्धार्थ नया लौंडा था, पहली बार किसी औरत के साथ था, इतनी देर से अपने आपको रोक रखा था, पहले खुद लण्ड हिलाया, फिर आशा ने हिलाया, फिर हूसा, ये सब उसके लिए पहली बार में बहुत ज्यादा था। आशा के पहले ही धक्के ने काम कर दिया और उसका वीर्य अपनी आशा की चूत को भरने लगा। वो नीचे लेटा लंबी और गहरी साँस भरने लगा। आशा को एक पल के लिए इतना गुस्सा आया की उसके बाल नोच ले और थप्पड़ मार दे पर फिर उसको याद आया की ये उसका बेटा था, पहली बार था।

कुछ सिखाया की नहीं अपने बेटे को?” मिसेज भट्टी की आवाज उसके दिमाग में गूंजी।

कोई बात नहीं..” वो धीरे से सिद्धार्थ के कान में बोली- “मैं सिखा दूंगी...”

उसके बाद घर पहुँचने तक उन दोनों ने आपस में कोई बात नहीं की। जब घर खोलकर वो अंदर आए और सिद्धार्थ सर झुकाए अपने कमरे में जाने लगा।

आशा ने पीछे से उसे आवाज दी- “यू वान्ट टु डु इट अगेन?”

सिद्धार्थ ने पलट कर उसकी तरफ देखा। मुँह से वो कुछ बोला नहीं पर उसकी आँखों में हाँ आशा को साफ दिखाई दे रही थी। उस रात नशे की हालत में वो अपने ही बेटे के साथ उसी के बिस्तर पर रात भर चुदती रही। कितनी बार, ये उसको याद नहीं था।

सुबह 6:00 बजे जब सिद्धार्थ थक कर सो गया तो वो भी उठकर अपने बेडरूम में पहुँच गई। दिल दो हिस्सो में बटा हुआ था। एक हिस्सा खुश था की उसने भी आज अपनी बाकी सार दोस्तों की तरह एक लण्ड और चख लिया था और दूसरा हिस्सा उसे कोस रहा था की उसने अपने बेटे के साथ ही।

अगले दिन सनई था और वो देर तक पी सोती रही। जब दोपहर को उसकी आँख खुली तो नशा उतार चुका था और जमीर फिर जाग उठा था। एक एक करके याद आ रहा था की पिछली रात क्या हआ था। वो शाम तक अपने कमरे में ही घुसी रही और रोती रही। बाहर किस मुंह से निकले और कैसे अपने बेटे का सामना करे, ये समझ में नहीं आ रहा था।

जब शाम हो गई तो मजबूरन उसे बाहर आना पड़ा। अगले कुछ दिन तक वो और सिद्धार्थ दोनों एक दूसरे से नजर चुराते रहे। उसने कई बार सोचा की अपने बेटे से बात करे पर शरमिंदगी के एहसास ने ऐसा करने नहीं दिया।

बस दिल ही दिल में भगवान से ये दुआ करती रही की कुछ दिन ऐसे ही गुजर जाएं और सिद्धार्थ भी इस बात को भूल जाए। भूल जाए की उस रात उन दोनों ने क्या पाप किया था और फिर एक बार आशा का घर वैसा ही हो जाए जैसा की पहले था।


पर उसकी हर दुआ उस दिन गलत हो गई जब सिद्धार्थ उसको अकेला पाकर उसके कमरे में आया और बोला
मोम, कैन वी डु इट अगेन...”

आशा ने अपनी तरफ से हर कोशिश की सिद्धार्थ को समझने की पर वो अपनी जिद पर अड़ा रहा। बार बार यही कहता रहा की वो आशा से प्यार करता है, और उस एक रात ने उन दोनों के बीच सब बदल दिया था। हफ़्तों तक जब भी वो अकेली होती, सिद्धार्थ आ जाता और उसे कन्विन्स करने की कोशिश करने लगता और
वो पलटकर उसको समझने की कोशिश करने लगती के ये गलत था।

इट वास नाट रांग दैट नाइट। इट वास नाट रांग वेन यू युवरसेल्फ डिड इट दैट नाइट, देन वाइ इस इट सो रांग नाउ... आल आफ आ सडन..."

वो उसे समझाती रही की उस रात वो नशे में थी पर वो माना नहीं। जिंदगी फिर एक बार आगे चलने लगी पर सिद्धार्थ का पागलपन कम होने के बजाय बढ़ता ही रहा।
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Dhansu update bhai Bahut hi Shandar aur lajawab ekdum jhakaas mind-blowing.
Keep going
We will wait for next update
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