Adultery * * * * *पाप (30 कहानियां) * * * * *

Post Reply
Fan of RSS
Novice User
Posts: 2499
Joined: 31 Mar 2017 20:01

Re: * * * * * लाटरी * * * * *

Post by Fan of RSS »

Dhansu update bhai Bahut hi Shandar aur lajawab ekdum jhakaas mind-blowing.
Keep going
We will wait for next update
(^^^-1$i7)
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: * * * * * टैबू (वर्जना) * * * * *

Post by rajaarkey »

साथ बने रहने के लिए शुक्रिया दोस्तो 😆
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

* * * * * टैबू (वर्जना) * * * * *

Post by rajaarkey »

25 टैबू (वर्जना)



तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे सिद्धू?” आशा फोन पर चिल्लाई।


मैं ऐसा ही करूंगा मोम..” दूसरी तरफ से सिद्धू की बेचैन आवाज आई- “अगर मैं आपके साथ नहीं जी सकता तो फिर जीने का कोई मतलब ही नहीं बनता.."


तुम मेरे साथ ही तो जी रहे हो मेरे बच्चे..” आशा का जैसे रोना छूट पड़ा- “मैं माँ हूँ तेरी, हमेशा तेरे साथ हूँ, जिंदगी भर..."


“नहीं मोम..” सिद्धू जिद पर अड़ा हुआ था- “आप जानती हैं मैं क्या कह रहा हूँ। माँ बेटे का रिश्ता तो हमने उसी रात खतम कर दिया था जब पहली बार मैं और आप एक मर्द और औरत की तरह साथ थे...”


“चुप हो जा सिद्धू। प्लीज... मैं हाथ जोड़ती हूँ तेरे...” आशा ने पानी से भरी आँखें बंद करते हुए कहा।

नहीं माँ... अब चुप नहीं हो सकता मैं। एक महीने से घुट घुट कर जी रहा हूँ पर अब और नहीं। अब नहीं जी पाऊँगा मैं...”

और तब पहली बार आशा को एहसास हुआ के वो लड़का कितना सीरियस था। वो एमोशनल होकर यूँ ही बकवास नहीं कर रहा था। उसकी आवाज में शामिल संजीदगी पहली बार आशा पर जाहिर हुई।

नहीं सिद्धू.. तुझे मेरी कसम है। कुछ उल्टा सीधा मत करना..” आशा ने कहा।

बहुत देर हो चुकी माँ... बहुत देर हो चुकी..."


कोई देर नहीं हुई सिद्धू। मेरी बात सुन...” आशा ने समझने की कोशिश की।


आप मेरी बात सुनो माँ..." सिद्धू ने बात बीच में ही काट दी- “क्या चाहती हो आप... मैं तो दोनों तरफ से पिस रहा हूँ ना... अगर मैं सब भूलकर फिर आपके साथ माँ बेटे का रिश्ता बना हूँ तो सारी जिंदगी अपने आपसे आँख नहीं मिला पाऊँगा की मैंने अपनी माँ के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाया था। दूसरी तरफ से मैं अगर ये सोचें की। मैं कितना चाहता हूँ आपको, कितना तरसता हूँ आपके लिए, एक बेटे की तरह नहीं पर एक मर्द की तरह तो भी नुकसान मेरा ही है क्योंकी आपका कहना है की हम एक नहीं हो सकते...”


तूं अच्छी तरह जानता है की हम क्यों एक नहीं हो सकते। समझाया था मैंने तुझे उस दिन...” आशा लगभग चिल्लाती हुई बोली।

क्या सिर्फ वही एक वजह है..” सिद्धू ने पूछा।

“तू मेरा बेटा है और मैं तेरी माँ। इससे बड़ी वजह और क्या हो सकती है..” आशा इस बार चिल्ला ही पड़ी- “पाप है ये। घोर पाप..”

तो ठीक है माँ। फिर एक पाप और कर लेने दो मुझे। इस तरह से जिंदा नहीं रह सकता मैं। बस अब बर्दाश्त नहीं होता..."

सिद्धू सुन... कुछ उल्टा सीधा नहीं करना। मेरी कसम है तुझे। अपने साथ तूने कुछ भी किया तो...” इससे पहले की आशा बात पूरी करती, सिद्धू फोन काट चुका था।

आशा ने फौरन दोबारा फोन मिलाया, पर सिद्धार्थ का सेल स्विच्ड आफ था। उसने फौरन अपने घर का लण्डलाइन नंबर मिलाया, पर बिजी टोन आती रही। यानी किसी ने रिसीवर को उठाकर एक तरफ रखा हुआ था। वो बेचैन हो उठी। समझ नहीं आया की क्या करे?

एक बार को उसने किसी और को फोन करने की सोची पर फिर ये ख्याल आते ही रुक गई की क्या कहेगी... की उसका बैठा आत्महत्या कर रहा है, जाके रोको उसको.. क्यों करना चाहता है आत्महत्या?

झल्लाकर वो जल्दी से उठी और अपना बैग उठाकर होटल रूम से बाहर निकली। सामान पैक करने का टाइम था नहीं इसलिए रूम से चेक आउट नहीं किया। लाबी में आकर उसने अपनी गाड़ी निकली और तेजी से अपने घर की तरफ भगा दी।

हे भगवान... प्लीज सिद्धू.. कुछ करना मत बेटा..." दिल ही दिल में वो सोचती जा रही थी।

वो उस रात एक किटी पार्टी में थी जब पहली बार उसका और उसके बेटे सिद्धार्थ का रिश्ता बदल गया था। हर महीने वो और उसकी कुछ दोस्त मिलकर एक किटी पार्टी रखते थे जहाँ पर सिर्फ औरतें होती है, और वो सब आशा की अच्छी दोस्त थीं।


पार्टी के दौरान शराब बहुत ही आम बात थी। पार्टी में मौजूद सारी औरतें पीती थी और उसके बाद पार्न मूवीस और गंदी बातों का सिलसिला चलता। जब वहाँ मौजूद औरतें अपना मुँह खोलती, तो शर्म के सारे पर्दे हटाकर बात करती।

अपने ग्रुप में एक आशा को छोड़कर सब औरतों के बायफ्रेंड थे, ज्यादातर जवान लड़के और वहाँ सब अपने एक्सपीरियेन्सेस शेयर करती। कौन किस पोज में किससे चुदी, कब चुदी, कितनी देर चुदी, कैसे चुदी, सब खुलकर बताया जाता। पार्टी में चलेंज था की कौन सी औरत एक साथ कितने मर्दो को झेल सकती है और उसका रेकार्ड फिलहाल मिसेज कुलकर्णी के नाम था जिन्होंने एक साथ एक ही बिस्तर पर चार मर्दो से चुदवाया था। पूफ के तौर पर उन्होंने अपनी खुद की बनाई हुई एक फिल्म लाकर दिखाई थी जिसमें वो अपने बेडरूम में चार चार के साथ अकेली भिड़ी पड़ी थी।


उस रात भी यही हाल था। शराब और वासना हवा में थी और बेशर्मी हर औरत की जुबान पर। पर हद तब हो गई जब मिसेज शर्मा ने अपने पर्स से नशे की सिगरेट्स निकाली। आशा स्मोक तो करती थी पर ड्रग्स उसने पहली बार उस पार्टी में ली थी। पूरी सिगरेट खतम होने के बाद उसे अपना कोई होश नहीं था पर साथ ही साथ वो ये जानती थी की वो क्या कर रही है। सिगरेट में मौजूद ड्रग्स ने उसकी हालत अजीब कर दी थी। वो अपने होश में थी भी और नहीं भी।निकल रही हो..." रात के एक बजे जब आशा ने अपना समान पैक करना शुरू किया तो पास ही खड़ी मिसेज भट्टी ने पूछा।

हाँ..” आशा ने जवाब दिया।

कौन पिक कर रहा है?”

मेरा बेटा सिद्धार्थ..” आशा बोली।
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: * * * * * टैबू (वर्जना) * * * * *

Post by rajaarkey »

उसकी बात सुनकर मिसेज भट्टी थोड़ा नजदीक होकर बैठ गई।

हाउ ओल्ड इस योर सोन... 20 साल?”

*22 साल आक्च्युयली...” आशा ने मुश्कुराते हुए कहा।

कुछ सिखाया की नहीं उसको अब तक?”

आशा चौंक पड़ी।

ओह कम ओन...” उसके चेहरे को देख मिसेज भट्टी ने कहा- “सारी जिंदगी एक ही लण्ड लेकर गुजारेगी क्या? अगर बाहर का नहीं मंजूर तो अपने बेटे का ट्राई कर ले...”



“यू आर जोकिंग, राइट...” नशे में होने के बाद भी आशा का दिमाग ये बात सुनकर घूमने लगा था।

वाइ... इट्स नाट लाइक ही इज एनी डिफरेंट। दे आर आल गाइस। थोड़ी देर के लिए बिस्तर पर एक मर्द समझ ले और फिर बिस्तर से उठके माँ बन जा। हाउ टफ इस तट... टेल मी, हव यू नेवर काट योर सोन टेकिंग आ पीक अट युवर ब्रेस्ट्स आर अट युवर आस.."

मिसेज भट्टी ने पूछा तो आशा का दिमाग सोच में पड़ गया। उसको कई बार ये महसूस हुआ था की सिद्धार्थ उसके जिश्म को घूरता है पर फिर अपना वहम समझ कर उसने बात भुला दी।

लेट मी टेल यू समथिंग...” कहते हुए मिसेज भट्टी ने बोलना शुरू किया और फिर अगले आधे घंटे तक, जब तक की सिद्धार्थ आ नहीं गया, वो आशा के दिमाग में यही गोबर भरती रही की उसका अपने बेटे से जिस्मानी रिश्ता बनाना कोई गलत बात नहीं थी, की अगर आशा को घर के बाहर किसी से अफेयर में बदनामी का डर है। तो घर में मौजूद अपने बेटे से बना ले। घर की बात घर में ही रहेगी।

शराब और ड्रग्स दोनों का नशा आशा के दिमाग पर सावर था। जिस बात पर वो शायद और किसी दिन मिसेज भट्टी को थप्पड़ मार देती, उस बात पर वो उस रात सीरियस्ली सोच रही थी।

एक काम कर..." मिसेज भट्टी ने आगे बढ़कर आशा के ब्लाउज के बटन खोलते हुए कहा था- “इनको थोड़ा दिखा... अगर तेरा बेटा बार बार यहीं देख रहा है, तो समझ जा की वो भी यही चाहता है...”

जब वो रात के दो बजे पार्टी से कार में सिद्धार्थ के साथ निकली तो उसके दिमाग में तब भी मिसेज भट्टी की बातें चल रही थी। उसने एक नजर अपने गिरेबान की तरफ डाली तो मुश्कुरा उठी। ब्लाउज के सारे बटन्स खुले हुए थे, सिर्फ एक नीचे का बटन बंद था। उसकी छोटी छोटी छातियां 70% दिखाई दे रही थी। साइज छोटा होने की वजह से वो अक्सर ब्रा नहीं पहनती थी और आज रात भी नहीं पहन रखा था।

“इफ ही इस लुकिंग अट युवर ब्रेस्ट्स स्वीटी, तो समझ जा की तेरा बेटा भी वही चाहता है जो तू चाहती है...” मिसेज भट्टी की आवाज अब भी उसके कानों में गूंज रही थी।

आशा ने मुश्कुराते हुए एक नजर सिद्धार्थ पर डाली जो उसके दिमाग में चल रही बातों से बेखबर कार चला रहा था। उसको देखकर अचानक आशा के दिमाग में एक आइडिया आया। अपने साड़ी के पल्लू के नीचे हाथ डालकर उसने अपने ब्लाउज का आखिरी बटन भी खोल दिया। अब पल्लू के नीचे उसकी छातियां पूरी तरह नंगी थी। उसने ऐसा दिखाया जैसे की वो बहुत नशे में है और बेखबर सो रही है। कार की खिड़की का शीशा नीचे था और बाहर ठंडी हवा चल रही थी।

आशा ने अपने हाथ थोड़े से फैलाकर साइड में गिरा दिए जिससे पल्लू को कोई सहारा ना मिले। जो उसने सोचा था वही हुआ। खिड़की से आती हवा से पल्लू फौरन सरक कर नीचे जा गिरा। “हम्म्म्म..” ठीक उसी वक़्त उसने मुँह से ऐसी आवाज निकली जैसे नींद में बड़बड़ा रही हो।


उसकी आवाज सुनकर सिद्धार्थ ने सड़क से नजर हटाकर अपनी माँ की तरफ देखा और फिर देखता रह गया। आशा पीछे को सर टिकाए सोने का नाटक कर रही थी। पल्लू सरक कर नीचे गिरा पड़ा था और ब्लाउज पूरी तरह खुला हुआ। उसकी दोनों छातियां खुली हुई सिद्धार्थ के सामने थी। उसने फौरन गाड़ी को ब्रेक लगाए और किनारे लेकर रोकी। जिस जगह वो दोनों उस वक़्त थे वो इलाका रात को सुनसान ही रहता था। रात को ट्रक्स के सिवा वहाँ से कोई नहीं गुजरता था।

आँखें बंद किए हुए भी आशा को एहसास हो गया था की गाड़ी रुकी है और सिद्धार्थ सरक कर उसके नजदीक आया है।

मोम..” आवाज आशा के कानों में पड़ी तो उसने जवाब नहीं दिया। अपनी आँखें बंद ही रखी।

सिद्धार्थ ने उसके बाद दो-तीन बार उसको पुकारा पर आशा ने जवाब नहीं दिया। साड़ी का पल्लू अभी भी सरका हुआ था और हिसाब से सिद्धार्थ को सबसे पहले वो उठाकर सही करना था पर ऐसा हुआ नहीं। उसने आशा का
कंधा हिलाकर उसको जगाने की कोशिश की पर जब वो उठी नहीं तो उसने भी अपना हाथ पीछे खींच लिया। आशा के कानों में गाड़ी के शीशे ऊपर होने की आवाज आई और फिर सब शांत हो गया। कोई दो-तीन मिनट तक वो यूं ही आँखें बंद किए पड़ी रही पर कुछ भी हुआ नहीं। ना तो गाड़ी आगे बढ़ी, ना सिद्धार्थ ने उसको जगाने की कोशिश की और ना ही उसके कपड़े ठीक किए।
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: * * * * * टैबू (वर्जना) * * * * *

Post by rajaarkey »

आशा ने धीरे से अपनी आँखें हल्की सी खोलकर सिद्धार्थ की तरफ देखा और जो नजर आया, वो देखकर उसका पूरा शरीर काँप उठा।


सिद्धार्थ नजर जमाए अपनी माँ के खुले पड़े जिश्म को घूर रहा था। उसका एक हाथ तेजी के साथ ऊपर नीचे हो रहा था। गाड़ी में अंधेरा होने के कारण आशा को कुछ नजर तो नहीं आया पर वो जानती थी की वो क्या कर रहा है। कार के काले शीशे ऊपर हो चुके थे, पर आशा की तरफ की खिड़की का शीशा हल्का सा नीचा था जिससे आती रोशनी उसके नंगे जिश्म पर पड़ रही थी। वो उसकी छातियां देखते हुए अपना लण्ड हिलाने में इतना मगन था की उसे एहसास तक नहीं हुआ जब आशा ने अपनी पूरी आँखें खोल दी और गर्दन घुमाकर उसकी तरफ देखने लगी।

लाइक वाट यू सी...” वो अचानक बोल पड़ी।

तो सिद्धार्थ इस तरह उछला जैसे हार्ट अटक आ गया हो।

यू नीड आ हैंड विद तट.” आशा ने मुश्कुराते हुए पूछा। कहीं दिमाग के एक कोने में बार बार ये आवाज गूंज रही थी की रुक जा, क्या कर रही है, पर उस वक़्त उस आवाज से कहीं ज्यादा असरदार उसके दिमाग पर सवर नशा था।

सारी मोम..” कहता हुआ सिद्धार्थ अपना लण्ड फिर पैंट के अंदर करने लगा।


वाइ... वाट आर यू सारी फार... इट्स ओके... लेट मोम हेल्प यू...” कहते हुए आशा आगे को सरकी और फौरन सिद्धार्थ का लण्ड पकड़ लिया। रात का वक़्त और कार में काले शीशे होने की वजह से कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा था पर वो जानती थी की उसके हाथ में क्या था और उसको क्या करना था।


“पागल हो गई है क्या? रुक जा..” दिमाग में फिर आवाज पूँजी पर नशे में कहीं दब कर रह गई।

मोम...” सिद्धार्थ की फिर आवाज आई

ओहह...” आशा ने इशारा किया और उसके लण्ड को धीरे से सहलाया। 22 साल के उस लड़के पर क्या गुजर रही होगी जो अपनी माँ को देखकर हिलाते हुए पकड़ा गया हो, ये वो अच्छी तरह जानती थी।
रिलैक्स...” आशा ने कहा पर सिद्धार्थ अब भी साफ तौर पर शाक में था। लण्ड को थोड़ा सहलाया तो वो पूरे जोर पर आ गया और आशा के हाथ में फूलने लगा।

कभी पति के सिवा कोई और लण्ड भी चखकर देख..” उसको पार्टी में मौजूद दूसरी औरतों की बातें याद आई। वो अक्सर यही कहकर उसका मजाक उड़ाया करती थी।

तू तो कुछ बोल मत। सारी जिंदगी एक ही बल्ला पकड़ा है और बड़ी खिलाड़ी समझती है अपने आपको..”

एक दूसरी औरत का ताना उसको याद आया। एक पल के लिए वो रुकी और फिर नीचे झुक कर लण्ड अपने मुँह में भर लिया।

माँन्न..” सिद्धार्थ की आवाज आई।

एक तरफ तो आशा के दिल में एक गर्व जैसा एहसास उठा की आज उसने भी एक और लण्ड चख ही लिया पर दूसरी ही तरफ फिर कहीं से आवाज उठी की ये पाप है। एक बार फिर वो आवाज नशे में दब गई।

आशा का एक्सपर्ट मुँह अपने बेटे के लण्ड पर ऊपर नीचे होने लगा। वो दोनों अब भी फ्रंट सीट्स पर बैठे थे। सिद्धार्थ कमर टिकाए बैठा था और दोनों हाथों से अपनी माँ का सर पकड़ रखा था। आशा पेस्सेंगर सीट पर बैठी सरक कर अपने बेटे के नजदीक हो गई थी और आधी उसकी गोद में झुकी हुई थी।

अपनी चूत के साथ तू ऐसा कैसे कर सकती है... सारी जिंदगी सिर्फ एक लण्ड कम ओन... योर कंट डिजर्स बेटर दैन दैट...”

एक एक करके उसको पार्टी की औरतों की बातें याद आ रही थी और उकसा रही थी।

तू तो रहने ही दे। सारी जिंदगी एक लण्ड से चुदी है, तुझे क्या पता की लंबा लण्ड कैसा होता है, मोटा कैसा होता है, छोटा लण्ड किसे कहते हैं। वाट डू यू नो अबौट साइजेस?”

जिस दिन तेरी चूत एक लण्ड भी और नाप ले ना, तब आके बात करियो..."

आशा लण्ड चूस रही थी और दिमाग में सारी बातें एक एक करके आ रही थी। मुँह में लण्ड उसके अपने बेटे का था, ये तो वो कब की भूल चुकी थी। जो एक आवाज दिमाग में उठ रही थी, उसको ऐसा करने से रोक रही थी, वो भी अब बंद हो चुकी थी।

ओह्ह.. मोम...” अचानक सिद्धार्थ ने उसका सर कसके पकड़ लिया और अपनी गाण्ड हिलाने लगा। आशा अनुभवी थी, जानती थी की क्या होने वाला है?

ओहह... रिलैक्स...” उसने लण्ड फौरन अपने मुँह से निकाल दिया और सीधी होकर बैठ गई। अंधेरे में दोनों के चेहरे एक दूसरे को नजर नहीं आ रहे थे इसलिए कह पाना मुश्किल था की सिद्धार्थ के चहेरे पर क्या एक्सप्रेशन्स थे।

और आशा को इस वक़्त एक्सप्रेशन्स से कोई लेना देना था भी नहीं। उसको एक लण्ड और नापना था ताकि पार्टी में औरतों के साथ वो भी बराबर की बहस कर सके। वो अपनी सीट पर एक पल के लिए आराम से बैठी, हाथ नीचे लेजाकर अपनी साड़ी ऊपर उठाई, पैंटी पकड़कर नीचे खींची और उतारकर सामने डैशबोर्ड पर रख दी।
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
Post Reply