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Adultery चुदने को बेताब पड़ोसन complete

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adeswal
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Adultery चुदने को बेताब पड़ोसन complete

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चुदने को बेताब पड़ोसन






दोस्तों, मेरा नाम राज शर्मा है। अभी मैं दिल्ली में एक फ्लैट लेकर अकेला रहता हूँ। मेरी उम्र 27 साल, लम्बाई 56 इंच है, और यह कहानी 4 साल पुरानी, सर्दियों के दिनों की है, जब मैं दिल्ली के जमरूदपुर इलाके में किराए के मकान में अपने दोस्त के साथ रहता था।
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वह पूरा चार-मंजिला मकान किराएदारों के लिए ही बना हुआ था। इसलिए मकान-मालकिन वहाँ नहीं रहती थी। दूसरे फ्लोर पर जीने के साथ ही मेरा पहला कमरा था। सभी के लिए टायलेट, बाथरूम और पानी भरने के लिए एक ही जगह बनी थी। जो ठीक जीने के साथ मेरे कमरे के सामने थी। एक फ्लोर में 5 कमरे थे और चारों फ्लोर किराएदारों से भरे हए थे। जिनमें अधिकतर परिवार वाले ही रहते थे।

कहानी यहीं से शुरू होती है। मेरे कोने वाले कमरे में एक उड़ीसा की भाभी, कल्पना अपने दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ रहती थी। जिसकी उम्र 22 साल, लम्बाई 56” फिट थी, वो देखने में काफी सुन्दर और मनमोहनी थी, दो बच्चे होने पर भी उसका फिगर मस्त था।

उसका पति शादी और पार्टियों में खाना बनाने का ठेका लेता था। इसलिए वह अक्सर दो-तीन दिन तक घर से बाहर ही रहता था। वह सारा दिन मेरे कमरे के सामने जीने में बैठकर बाकी औरतों से बातें करती रहती थी। वो उन औरतों से बातें करते समय मुझे चोर नजरों से देखती रहती थी।

मैं और मेरे दोस्त की शिफ्ट में इयूटी होने के कारण हम जल्दी ही कमरे में आ जाते थे। या कभी देर में जाते थे। वो मुझसे कुछ ही दिनों में जल्दी ही खूब घुलमिल गई थी।

कुछ दिन बातें करते हुए एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है?

मैंने मना कर दिया, साथ ही मैंने बात भी बदल दी। पर दूसरे दिन उन्होंने फिर वही सवाल पूछा तो मैंने कहा“आप हो तो गर्लफ्रेण्ड की क्या जरूरत?”

वो शर्मा गई।
मैंने अपना नम्बर उन्हें यह कहकर दे दिया कि कभी बाजार से कोई सामान मंगवाना हो तो मुझे बता देना। मैं ले आऊँगा।


धीरे-धीरे हमारी फोन पर बातें होने लगीं। एक दिन कपड़े धोते समय उन्होंने शरारत करते हुए मेरे ऊपर पानी डाला और भागने लगीं। मैंने तुरन्त उनका हाथ पकड़ा और उन्हें भी भिगो दिया।

वो जल्दी से हाथ छुड़ाकर बोली- “बेशरम..” और अपने कमरे में भाग गई और वहाँ से मुश्कुराने लगी।

अगले दिन वो मुझे फिर छेड़ने लगी।

मैंने कहा- भाभी मुझे बार-बार मत छेड़ा करो। नहीं तो मैं भी छेडूंगा।

भाभी- “तो छेड़ो ना, किसने मना किया है..” यह कहते हुए वो मुश्कुराने लगी।
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Re: चुदने को बेताब पड़ोसन

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मैंने इधर-उधर देखा। सभी दिन में आराम कर रहे थे। बाहर कोई नहीं था। मेरा दोस्त भी ड्यूटी गया था। मौका अच्छा था। मैंने उनको लपक कर पकड़ लिया और उनका एक मम्मा सूट के ऊपर से ही दबा दिया। उनके मुँह से एक 'आह' निकली। मैंने फिर दूसरे मम्मे को भी जोर से मसल दिया।

भाभी बोली- “क्या करते हो? कोई देख लेगा...”

मैं समझ गया कि भाभी का मन तो है। पर इर रही हैं। मैं उन्हें खींचते हुए सामने बाथरूम में ले गया। दरवाजा बंद करके उन्हें बाहों में भर लिया और बोला- मेरी गर्ल फ्रेण्ड बनोगी भाभी?

भाभी ने मादकता भरे स्वर में कहा- “मैंने कब मना किया...”

इतना सुनते ही मैंने उनके गालों और होंठों पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी।

भाभी- हटो, यह क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- गर्लफ्रेण्ड को चुम्मी कर रहा हूँ।

भाभी इठलाते हुए बोली- कोई ऐसा करता है भला?

मैं कहाँ मानने वाला था। चुम्बन के साथ-साथ उनके दोनों मम्मों को लगातार दबाने लगा।

वो गरम होने लगी। पर बार-बार ‘ना... ना मत करो' कह रही थी।

मैंने अपना एक हाथ उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया। तो वह और गरम हो गई और अजीब सी आवाजें निकालने लगी।


फिर वह मेरा साथ देने लगी और मुझे भी चुम्बन करने लगी। मैंने उनके पाजामे का नाड़ा खोल दिया और हाथ अन्दर ले गया तथा पैन्टी के अन्दर हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा। उनकी चूत बहुत ज्यादा गरम हो रही थी। मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी।

उन्हें मजा आने लगा। वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी। मैंने तुरन्त अपने होंठ उनके होंठों से लगा लिए और उनका हाथ पकड़कर अपने पैन्ट के ऊपर से ही लण्ड पर रख दिया। जो कि अब तक राड जैसा सख्त हो गया था।

वो भी मतवाली होकर मेरी चैन खोलकर मेरा लण्ड सहलाने लगी। थोड़ी ही देर में उनकी में से पानी रिसने लगा।

मैं जोर-जोर से अंगुली करने लगा। अब हम दोनों ही बहुत ज्यादा गरम हो गए थे। पर इर भी रहे थे कि कोई
आ ना जाए।

थोड़ी ही देर में भाभी की चूत से पानी चूने लगा। वो झड़ने के बाद निढाल सी होते हुए बोली- “प्लीज राज अब मत करो मैं पागल हो जाऊँगी...”

मैं उसके चूतरस से भीगी ऊँगली को चूसता हुआ बोला- “भाभी मजा आया?”

वो बोली- बहुत ज्यादा।

मैं बोला- और मजे लोगी?

वो बोली- यहाँ नहीं, इधर हम पकड़े जाएगें बाकी बाद में। आज रात को करेंगे।

मैं- भाभी मैं कब से तड़प रहा हूँ। अभी इसे शान्त तो करो।

भाभी मुश्कुरा कर बोली- “इसे तो मैं अभी शान्त कर देती हूँ, बाकि बाद में। सब्र करो... सब्र का फल मीठा होता है...” वो झुक गई और मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया और मुँह को आगे-पीछे करने लगी। मैंने फिल्मों में ऐसा तो दोस्तों के साथ बहुत देखा था। पर मैं पहली बार ये सब कर रहा था। बड़ा मजा आ रहा था, पर डर भी रहा था। थोड़ी ही देर में मैंने अपना सारा लावा उनके मुँह में भर दिया।

जिसे वो पी गई और बोली- “तुम्हारा माल तो बहुत ज्यादा निकलता है और बहुत गाढ़ा और टेस्टी भी है। आज
के बाद इसे बरबाद मत कर देना...” उन्होंने चाटकर पूरा लिंग साफ कर दिया।

फिर हमने फटाफट कपड़े ठीक किए और जाने से पहले एक-एक चुम्मी ली और एक-एक करके बाथरूम से बाहर
आ गए। हम दोनों ने रात में मिलने का वादा किया था।
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Re: चुदने को बेताब पड़ोसन

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कुछ देर बाद मैंने भाभी को फोन किया और पूछा- भाभी कैसा लगा, मजा आया?

भाभी बोली- मेरे पति घर से तीन-तीन दिन तक गायब रहते हैं और तुमने मेरी प्यास और बढ़ा दी है। अब इस प्यास को कब बुझाओगे?

मैंने कहा- अभी आ जाऊँ?

भाभी- अभी मरवाओगे क्या? अभी नहीं, मैं रात को काल करूंगी।

मैं रात का इन्तजार करने लगा। मैंने अपना फोन साईलेन्ट मोड में डाल दिया ताकि दोस्त को पता ना चले। रात को दोस्त भी आ गया, हमने साथ-साथ खाना खाया। पर भाभी का फोन नहीं आया। मैं परेशान हो गया और टीवी देखने लगा।

दोस्त बोला- यार कल मुझे सुबह 6:00 बजे ड्यूटी जाना है। तुझे कब जाना है?

मैंने कहा- कल मैं दोपहर में जाऊँगा इसलिए अभी एक फिल्म देगा।

दोस्त ने कहा- आवाज कम करके देख और मुझे सोने दे।

मैंने कम आवाज की और फोन का इन्तजार करते हुए फिल्म देखने लगा। जब 11:50 तक भी फोन नहीं आया। तो मैं भी सोने की तैयारी करने लगा। रात को 12:30 बजे, जब सभी गहरी नींद में सो गए और मुझे भी नींद आने ही लगी थी, कि तभी मेरे फोन पर भाभी का मैसेज आया कि छत पर मिलो।

सर्दी के दिन थे। रात में छत पर कोई नहीं जाता था। मैंने तेज खांसकर चैक किया कि दोस्त सोया है कि नहीं, वह गहरी नींद में था। मैं चुपचाप उठा। बाहर देखा कोई नहीं था। सभी अपने-अपने दरवाजे बंद करके कबके सो चुके थे। जब मैं छत पर पहुँचा। भाभी वहाँ पहले से ही खड़ी थी।

भाभी- “बच्चे अभी सोये हैं, मैं उन्हें ज्यादा देर अकेला नहीं छोड़ सकती, प्लीज राज, जो भी करना है। जल्दी करो...”

मैं- पर भाभी, यहाँ पर कैसे?
भाभी- ये देखो, मैंने आज दोपहर में ही एक गद्दा छत पर सूखने डाला था। जिसे मैं नीचे नहीं ले गई। यहीं पर
मैं- भाभी आप तो बहुत तेज हो।
भाभी चुदासी सी बोल पड़ीं- “जब नीचे आग लगी होती है तो तेज तो होना ही पड़ता है। अब जल्दी से वो कोने में ही गद्दा बिछाओ और जो दो टीन की चादरें रखी हैं। उनको दीवार के सहारे लगाओ।

मैंने फटाफट बिल्कुल कोने में जीने से दूर गद्दा बिछाया और उसे दीवार के सहारे टीन की चादरें लगाकर ऊपर से ढक दिया। छत पर पहले से ही बहुत अंधेरा था। फिर भी कोई आ गया तो चादरों के नीचे कोई है, ये किसी को दिखाई नहीं देगा।
मैं भाभी के दिमाग को मान गया। भाभी रात में कोई झंझट ना हो इसलिए वो साड़ी पहनकर आई थी। मैंने भाभी को लेटने को कहा और खुद उनके बगल में लेट गया और धीरे-धीरे उनके मम्मे दबाने लगा।
भाभी तो पहले से ही बहुत गरम और चुदासी थी। वो सीधे मेरे से चिपट गई और मेरा लौड़ा पकड़ते हुए बोलीप्लीज राज, जो भी करना है जल्दी करो। मैं बहुत दिनों से तड़प रही हूँ। मेरी प्यास बुझा दो...”
मैंने कहा- जरूर भाभी, पहले थोड़ा मजे तो ले लो।
उन्होंने मुझे पूरे कपड़े नहीं उतारने दिए, कहा- “फिर कभी मजे ले लेना। आज जो भी करना है, फटाफट करो। मैं अब ये आग नहीं सह सकती..."
फिर भी मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए और ब्रा को ऊपर उठाकर उनके निप्पल चूसने लगा। दूसरे हाथ से उनके पेटीकोट को ऊपर करके पैन्टी उतार दी और उनकी चूत सहलाने लगा। वहाँ तो पहले से ही रस का । दरिया बह रहा था, उन्हीं की पैन्टी से चूत साफ की और जीभ से चूत चाटने लगा, उन्हें मजा आने लगा। फिर हम 69 अवस्था में आ गए और वो भी मेरा लण्ड चूसने लगी। जब उन्हें मजा आने लगा तो वो तेज-तेज मुँह चलाने लगी।
मैंने मना किया- “ऐसे तो मेरा माल गिर जाएगा...”
तब उन्होंने मुझे अपने ऊपर से हटा लिया और किसी रांड की तरह टांगें चौड़ी करते हुए बोली- “राज अब मत सताओ, आ जाओ। मेरी चूत का काम तमाम कर दो...”
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मैं भी देर ना करते हुए उनकी टांगों के बीच में आ गया और अपना लण्ड उनकी चूत में लगाने लगा। मेरा लौड़ा बार-बार चूत के छेद से फिसल रहा था।
उन्होंने लण्ड हाथ से पकड़कर चूत के मुहाने पर रखा और कहा- “अब धक्का लगाओ...”
मैंने एक जोर का धक्का लगाया तो उनके मुँह से एक चीख निकल गई। मैंने तुरंत अपने होंठ उनके होठों पर रख दिए और थोड़ी देर वैसे ही पड़ा रहा और उनकी चूचियां मसलने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने होंठ हटाए और पूछा- “चिल्लाई क्यों?"
भाभी बोली- “तुम्हारे भैया ने मुझे अपने काम के चक्कर में तीन महीनों से नहीं चोदा है और तुम्हारा उनसे लम्बा और मोटा है। इसलिए दो बच्चों की माँ होने पर भी तुमने मेरी चीख निकाल दी..."


मैं- बोलो, अब क्या करना है?
भाभी- अब धीरे-धीरे धक्के लगाओ।
थोड़ी देर में मुझे भी और भाभी को भी मजा आने लगा। मैंने स्पीड बढ़ा दी।
भाभी- “आह्ह... आह... ओह... ओह... आह... और जोर से राज आह्ह... और जोर से ओह्ह... मैं कब से तड़फ रही थी राज। आज मेरी सारी प्यास बुझा दो राज... बहुत मजा आ रहा है... राज, फाड़ दो मेरी चूत आज
ओह... बहुत सताया है इसने मुझे... आज इसकी सारी गर्मी निकाल दो राज। चोदो... और जोर से आह्ह... आहह..." उनके चूतड़ों का उछल-उछलकर लण्ड को निगलना देखते ही बनता था।
मैं- मेरा भी वही हाल था भाभी। जब से तुम्हें देखा है, रोज तुम्हारे नाम की मुठ मारता था।
भाभी- “अब कभी मत मारना। जब भी मन करे, मुझे बता देना। पर अभी और जोर से राज... रगड़ दो मुझे...
आहह...”
छत पर हमारी तेज-तेज आवाजें गूजने लगीं। पर सर्दी की रात होने के कारण डर नहीं था और हम दोनों एकदूसरे को रौंदने लगे। मैं पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था और भाभी नीचे से गाण्ड उठा-उठाकर मेरा पूरा साथ दे रही थी।
थोड़ी देर बाद भाभी अकड़ते हुए बोली- “मेरा होने वाला है। तुम जरा जल्दी करो...”
कुछ धक्कों के बाद मैंने भी कहा- “मेरा भी निकलने वाला है...”
भाभी बोली- अन्दर मत गिराना। मेरे मुँह में गिराओ। मैं तुम्हारी जवानी का रस पीना चाहती हूँ।
मैंने फटाफट अपना हथियार निकालकर उनके मुँह में डाल दिया। लौड़े से दो-चार धक्के उनके मुँह में मारने के बाद लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। भाभी ने मेरा सारा रस निचोड़ लिया और लण्ड को चाटकर अच्छे से साफ भी कर दिया।
हम दोनों बहुत थक गए थे।
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद भाभी बोली- “राज, तुमने मुझे आज बहुत मजा दिया। इसके लिए मैं कब से तड़प रही थी। मेरे पति जब भी आते हैं थक-हारकर सो जाते हैं और मेरी तरफ देखते भी नहीं। मेरी 18 साल में शादी हो गई थी और जल्दी ही दो बच्चे भी हो गए। पर अभी तो मैं पूरी जवानी में आई हैं। उन्हें मेरी कोई फिक्र ही नहीं है। राज तुम इसी तरह मेरा साथ देना...”
मैं- ठीक है भाभी, चलो एक राउण्ड और हो जाए। अभी मन नहीं भरा।


भाभी- अरे नहीं, अभी और नहीं, अब तो मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ। अभी तो खेल शुरू हुआ है, सब्र रखो, सब्र का फल मीठा होता है।
मैंने हँसते हुए कहा- “हाँ... वो तो मैंने चख कर देख लिया। बहुत मीठा था। हाहाहा...”
भाभी- चलो अब जल्दी नीचे चलो। कहीं बच्चे जाग ना जाएं। नहीं तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी। बाकी कल का पक्का वादा।
मैं- अच्छा चलो एक चुम्मा तो दे दो।
भाभी ने जल्दी से होठों पर एक चुम्मा दिया। मैंने तुरंत उनके मम्में दबा दिए। भाभी ने एक प्यारी सी 'आह' निकाली और कल मिलने का वादा करके अपने कमरे में भाग गईं।
भाभी को मैंने लगातार छः माह तक खूब चोदा।।
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फिर उनका इस फ्लैट से किसी वजह से जाना तय हो गया तो मैंने उन्हें अपने लौड़े के लिए कोई इंतजाम के लिए कहा तो भाभी ने कमरा छोड़ते वक्त मुझे बताया कि मकान मालकिन तेज है और प्यार को तड़फ रही है। इसलिए अब मैंने अपना सारा ध्यान मकान मालकिन की तरफ लगाना शुरू कर दिया।
इस बार किराया देने मैं उसके घर गया। उसने अपने बालों में मेहंदी लगा रखी थी इसलिए बाहर बरामदे में बैठी
थी। उनके पास जाने का रास्ता कमरे के अन्दर से जाता था।
मैंने आवाज दी तो बोली- “यहाँ बरामदे में आ जाओ...” उसने सलवार-सूट पहना हुआ था। उम्र कोई 45 साल की होगी। पर 35 साल से ऊपर की नहीं लग रही थी।
उसका गठीला बदन था और भरी-पूरी जवानी थी, उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी और उसके साथ उसका एक लड़का और एक लड़की थे। दोनों इस समय कालेज गए हुए थे।
मैं- भाभी अन्दर आ जाऊँ?
मकान मालकिन क्यों रे... तुझे मैं भाभी नजर आ रही हूँ?
मैं- भाभी को भाभी ना कहूँ तो क्या कहूँ?
मालकिन- मेरी उम्र का तो ख्याल कर जरा?
मैं- “क्यों 30 साल की ही तो लग रही हो...” मैंने झूठ बोला।


मालकिन- अच्छा, झूठ मत बोल।
मैं- नहीं भाभी, झूठ नहीं बोल रहा हूँ। आप तो इस उमर में भी हर मामले में जवान लड़कियों को फेल कर दोगी।
वो भी हँसने लगी।
मालकिन- “बोल, क्यों आया है?”
मैं- भाभी किराया देना था।
मालकिन- ठीक है, वहाँ सामने टेबल पर रख दे। मैं बाद में उठा लूंगी। अभी मैं जरा अपने बाल सुखा हूँ।
मैंने भी पैसे टेबल पर रख दिए और चलने लगा- “अच्छा भाभी चलता हूँ। मैंने आपको भाभी कहा आपको बुरा तो नहीं लगा?”
मालकिन- नहीं, बुरा क्यों मानूंगी। चल अब जा।
फिर मैं किसी ना किसी बहाने से उसके घर जाने लगा। धीरे-धीरे हमारी बोलचाल बढ़ गई और हम आपस में । मजाक भी करने लगे। जिसका वो बुरा नहीं मानती थी। मेरी बातचीत में अब ‘आप’ की जगह 'तुम' ने स्थान ले लिया था। एक दिन मैंने कहा- “तुम चाय तो पिलाती नहीं। कभी मेरे कमरे में आओ, मैं तुम्हें चाय पिलाऊँगा...”
मालकिन- अच्छा ठीक है, कब आऊँ बता?
मैं- “तुम्हारा अपना मकान है। जब चाहो आओ, सुबह, दोपहर, शाम, रात, आधी रात, तुमको कौन रोकने वाला है...” यह कहकर मैं हँसने लगा।
मालकिन- “चलो, कल सुबह आऊँगी..” अब वो धीरे-धीरे मेरे कमरे में आने लगी और चाय पीकर जाने लगी। इस बीच, हम मजाक के बीच में आपस में छेड़खानी भी करने लगे। जिसमें उसे बहुत मजा आता था।
मुझे लगने लगा था कि अब इसकी चुदाई के दिन नजदीक आने वाले हैं और यह जल्दी ही मेरे लण्ड के नीचे । होगी। एक बार मेरा दोस्त एक हफ्ते के लिए गाँव गया था। जिसके बारे में मैं उसे बातों-बातों में बता चुका था। एक दिन मैं शाम को अकेला था, सारे पड़ोसी पार्क में घूमने गए थे।
वो आई और बोली- राज क्या कर रहे हो?
मैं- कुछ नहीं भाभी, अकेला बैठा बोर हो रहा हूँ, आओ चाय पीकर जाओ।
मालकिन- नहीं, बच्चे टयूशन गए हैं अभी एक घण्टे में वापस आ जाएंगे। मैं भी चलती हैं।
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