Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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rajan
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Re: Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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कड़ी_62
रात हो जाती है, और रीत अपने रूम में रोते-रोते सोई हुई थी। तभी सुखजीत की आवाज से वो उठ जाती है। रीत उठकर अपने आपको शीशे में देखती है, उसकी दोनों आँखें सूजी हुई थी। वो एक बार फिर उस पल को याद करके रोने लगती है। जिस लड़के की उसने फोन पर आवाज सुनी थी, वो और कोई नहीं मलिक ही होता है।

रीत को वो सारे मेसेज पढ़कर ये पता चल जाता है, की उसका प्यार मलिक और उसकी सबसे अच्छी दोस्त ज्योति, दोनों मिलकर उसे धोखा दे रहे हैं। जिस दिन मलिक रीत और ज्योति को फ्लैट में ले गया था। उसी दिन ज्योति मलिक के पैसे देखकर उसपर फिदा हो गई थी, और उसने रीत के साथ यार-मारी कर दी थी। रीत को अब अपने आपसे बहुत नफरत हो रही थी। वो अपने ही खयालों में खोई हुई थी। तभी सुखजीत की आवाज फिर आती है। और फिर रीत अपना मुँह हाथ धोकर नीचे डिनर करने के लिए आ जाती है।

डिनर करने के बाद रीत अपने रूम में जाकर लम्बी लेट जाती है, और सोचने लगती है की मलिक ऐसा ही था, उसने सिर्फ उसका इश्तेमाल किया था। मलिक ने रीत को एक बार ठोंका और वो साइड हो गया था। पर रीत को सबसे ज्यादा ज्योति अपनी आँखों में खटक रही थी। क्योंकी उसने मलिक जैसे धोखेबाज लड़के के लिए अपनी बरसों पुरानी दोस्ती को छोड़ दिया था। इसलिए अब रीत ज्योति से इसका बदला लेने का फैसला कर चुकी थी।

सुबह हो जाती है, और रीत रोज की तरह नहा धोकर तैयार हो जाती है। पटियाला सलवार और एकदम टाइट कमीज डालकर रीत अपनी चूचियों को एकदम गोल कर लेती है। और फिर वो अक्टिवा उठाकर स्कूल की तरफ चली जाती है। रीत का अंदर ही अंदर मन नहीं होता ज्योति की शकल देखने का। पर उसको उसके पास जाना पड़ता है, ताकी उसको जरा सा भी शक ना हो।

रीत ज्योति को उठाकर सीधे स्कूल की तरफ चल पड़ती है। रास्ते में ज्योति मोबाइल पर लगी होती है। रीत समझ जाती है, की वो मलिक के साथ लगी हुई है। इतने में ज्योति का यार हरी, बुलेट लेकर रीत की अक्टिवा के साथ-साथ चलने लगता है। ज्योति अब फोन को छोड़ देती है, और हरी को स्माइल करने लगती है।

हरी स्कर्ट में ज्योति की नंगी टाँगें देखकर बोला- "कैसी हो?"

ज्योति- ठीक हूँ।

हरी रीत की तरफ देखता है और रीत भी एक प्यारी सी स्माइल कर देती है। आज से पहले रीत ने कभी भी हरी को स्माइल नहीं करी थी। और तो और उसने कभी उसकी तरफ आज से पहले देखा तक नहीं था। पर आज रीत जैसी कमाल सेक्सी जट्टी की सेक्सी स्माइल देखकर धन्य हो जाता है, और बोला।
हरी- कैसी हो रीत?

रीत- ठीक हूँ।

फिर हरी ज्योति से बातें करने लगता है। और वो दोनों बातें करते-करते कुछ ही देर में स्कूल में पहुँच जाते हैं। रीत हरी और ज्योति के आगे चल रही होती है। जिससे हरी की नजरें रीत के मोटे-मोटे गोल चूतरों से हटने के नाम तक नहीं ले रही होती हैं। हरी का लण्ड ज्योति से बातें करते-करते खड़ा हो जाता है। रीत को भी पता होता है, की हरी की आँखें कहां पर जमी हुई हैं।

फिर सब क्लास में चले जाते हैं, और स्टडी शुरू हो जाती है। लंच टाइम होता है, और बेल बजते ही ज्योति धीरे से अपने बैग में से अपना फोन निकालकर सीधा अपनी स्कर्ट की पाकेट में डाल लेटी है। और फिर वहां क्लास रूम से बाहर जाने लगती है, वो जाते-जाते रीत से बोली।
ज्योति- “रीत मैं अभी आती हूँ बाथरूम करके...”
rajan
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Re: Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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रीत भी उसे मीठी सी स्माइल करके बोली- “ठीक है जा तू."

पर रीत को पता होता है, की वो कौन सा बाथरूम करने गई है। इतने में रीत पीछे बैठे हरी को देखकर कातिल स्माइल पास कर देती है। जिसको देखकर हरी से अब और नहीं रहा जाता, और वो अब उठकर रीत के साथ आकर उसकी बेंच पर बैठ जाता है। हरी की तरफ रीत की कमीज का पल्ला थोड़ा उठा होता है। जिसके कारण हरी के सामने रीत के मोटे-मोटे चूतड़ थे, हरी बार-बार वहीं पर देख रहा था। रीत हरी की नजरों को पढ़ चुकी थी। अब वो मोका देखकर हरी से बोली।

रीत- “क्या बात है हरी, आजकल तू स्कूल नहीं आता?"

हरी- “ओहह... यार ऐसी कोई बात नहीं है। क्योंकी मैंने सारी ट्यूशन रखी हई है, मैं वहां पर सारी स्टडी कर लेता हूँ। अगर कोई दिक्कत आती है तो मैं ज्योति से बात कर लेता हूँ..."

रीत प्यारी सी स्माइल करके हरी से बोली- “अच्छा अगर कोई दोस्त तुझे याद करती हो, तो क्या तू उसके लिए भी स्कूल नहीं आएगा क्या?"

हरी को यकीन ही नहीं हो रहा था। क्योंकी रीत ने कभी हरी को भाव तक नहीं दिया था, और आज उसने हरी को अपना दोस्त बता दिया था।

हरी- “अच्छा कौन करती है याद मुझे? जरा मैं भी तो जानूं?"

रीत- अच्छा अच्छा तू सिर्फ ज्योति का ही दोस्त है, हमारा कुछ भी नहीं है क्या तू?

हरी- तूने कभी अपना माना ही नहीं।

रीत- तू भी तो सिर्फ ज्योति का ही है, हमारा कहां तू कुछ है?

हरी- तू एक बार मोका तो दे, मैं तेरा हो जाऊँगा।

रीत बीच की दीवार वाली साइड बैठी हुई थी, और हरी बेंच के दूसरे कोने में बैठा हुआ था। रीत बिना कुछ बोले खड़ी हो जाती है, और वो हरी के लण्ड के ऊपर अपने चूतर रगड़कर आगे निकल जाती है। और पीछे मुड़कर स्माइल करते हुए वो हरी से बोली।

रीत- “हरी मोका मिलता नहीं, लेना पड़ता है..” कहकर रीत हँसकर वहां से चली जाती है।

हरी रीत का ये अंदाज देखकर एकदम जाम गया था। और उसका लण्ड अब रीत से बातें करने लगा था। ऊपर से उसके लण्ड पर रीत अपने सेक्सी चूतर रगड़कर चली गई थी। इससे हरी और उसके लण्ड का बुरा हाल हो गया था। इससे हरी का लण्ड से थोड़ा सा पानी भी निकल गया था। रीत ने जाते-जाते हरी के अंदर ऐसी आग भर दी थी, जो आग कभी भी उसे ज्योति के अंदर देखने को मिली नहीं थी। हरी का लण्ड उस आग में जलकर अपना पानी छोड़ने लगा था। रीत उसे स्माइल करके वहां से बाहर निकल चुकी थी। इससे हरी रीत का अब आशिक बन चुका था।

क्लास फिर से शुरू हो जाती है। ज्योति वापिस आ जाती है और रीत एकदम नार्मल होकर उसके पास बैठी हुई थी, और हरी भी ज्योति के साथ बातें कर रहा होता है। पर उसका सारा ध्यान रीत और उसके सेक्स से भरे जिश्म पर होता है। रीत भी ज्योति से बचकर बार-बार हरी को स्माइल कर रही थी। जिसे देखकर हरी पागल हो रहा होता है।

ऐसे ही पूरा दिन निकल जाता है, और फिर स्कूल की छुट्टी हो जाती है।
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rajan
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Re: Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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कड़ी_63
स्कूल की छुट्टी हो जाती है और रीत अपनी अक्टिवा लेने के लिए पार्किंग में जाती है। और ज्योति बाहर खड़ी होती है, हरी मोका देखकर अपनी बुलेट लेने के बहाने रीत के पास जाता है और रीत से बोला।

हरी- “किसी ने सही कहा है, मोका मिलता नहीं लेना पड़ता है। देखो आज मैंने बात करने का मोका ले लिया..."

रीत हँसकर बोली- अच्छा जी, वो जो आपकी सहेली बाहर खड़ी है, उसका क्या होगा फिर?

हरी- अब उसका भी कुछ करना होगा।

रीत- अच्छा फिर ऐसा करो पहले उसका कुछ करके, फिर आप मेरे साथ बात करना।

हरी- ठीक है।

फिर हरी अपनी बुलेट स्टार्ट करता है, और वहां से चला जाता है। रीत भी ज्योति को लेकर स्कूल से निकल लेती है। उसे उसके घर छोड़कर आगे अपने घर की ओर निकलती है। जैसे ही रीत ज्योति को उसके घर छोड़ती है, तभी हरी अपनी बुलेट उसके साथ लगाकर चलने लगता है।

रीत उसको देखकर फिर से स्माइल करती है, और अपने मन में सोचती है- "ये मुर्गा फँस गया मेरे जाल में.."

हरी- मिल गया जी मोका अब तो।

रीत- अब मोका मिल गया है, तो मोका का फायदा भी उठाओ ना।

हरी का लण्ड रीत की डबल मीनिंग बातें सुनकर खड़ा हो जाता है और फिर बोला- “कैसे उठाऊँ रीत?"

रीत- क्या?

हरी- मोका का फायदा?

रीत भी हरी की बातों का मतलब समझ जाती है और बोलती है- “बातें करके और कैसे?"

हरी- वैसे बातें तो फोन पर काफी अच्छी होती है।

रीत देखती है, की आगे उसकी कालोनी आने वाली है। इसलिए वो रुक कर हरी को अपना फोन नंबर दे देती है,

और हरी को वहां से भेज देती है। घर जाकर रीत अपने कपड़े चेंज करके अपने रूम में आराम करती है।

दूसरी तरफ सोशल क्लब की हेड सुखजीत पूरी जोर-शोर के साथ तैयार हो रही होती है। उसके बाहर निकले चूतर और उसकी चूचियां एकदम खड़ी थीं। उसकी चूचियां और चूतर ब्लू कलर के टाइट सूट में काफी अच्छी लग रही थीं। उसको इस रूप में देखकर अच्छे-अच्छों का लण्ड बड़े आराम से खड़ा हो सकता था।

सुखजीत बाहर जाने ही वाली होती है, इतने में हरपाल घर आ जाता है। हरपाल बहुत ही परेशान लग रहा होता है। और वो ऊँची आवाज में फोन पर गुस्से में किसी से बात कर रहा होता है। ये देखकर सुखजीत घबरा जाती है, क्योंकी उसने हरपाल को कभी भी इतना परेशानी में नहीं देखा था।

हरपाल ऊँची आवाज में बोल रहा था- “सर, मैंने सच में कुछ नहीं किया, मैं निर्दोष हूँ। मुझ जैसे शरीफ आदमी को फँसाने की कोशिश करी जा रही है...” ।

सुखजीत ये सुनकर अब और भी घबरा जाती है।

रीत भी अब अपने रूम से बाहर आ जाती है और बोली- “मम्मी पापा को क्या हो गया है?"

हरपाल रीत को देखकर बोला- “कुछ नहीं हुआ, तू अपने रूम में जा...” कहकर हरपाल भी अपने रूम में चला जाता है।

सुखजीत भी उसके पीछे-पीछे जाकर बोली- “क्या हुआ जी?"

हरपाल परेशानी में बोला- “कार्पोरेसन में मेरे ऊपर एक रिश्वत लेने का इल्ज़ाम लगाकर मुझे दफ्तर से निकल दिया है। पर मैंने कुछ नहीं किया है, मैं एकदम बेकसूर हूँ। मुझे फंसाया जा रहा है.."

सुखजीत अपने पति हरपाल को दिलाशा देती हुई बोली- “देखो जी कुछ नहीं होता, कोई ना कोई हल तो जरूर निकल जाएगा..."

इतने में हरपाल फिर से फोन मिलाने लगता है, अपने दोस्तों को।

इतने सोनू और रिंकू घर आ जाते हैं, उन दोनों को कुछ भी नहीं पता होता। वो दोनों आकर सोनू के रूम में जाते हैं। पर रिंकू सोनू के रूम में जाने से पहले रीत के रूम में जाता है। रीत के रूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला होता है, वो उसमें से अंदर देखता है, तो उसका लण्ड एकदम से खड़ा हो जाता है, क्योंकी उसके सामने रीत की उभरी गाण्ड थी, जो साफ-साफ दिखाई देती है।

रीत अपने बेड पर उल्टी लेटी हुई थी। उसने एक टाइट पाजामा डाला हुआ था। जिसमें उसकी पैंटी भी साफ-साफ चमक रही थी। रिंकू के आगे रीत के एकदम गोल-गोल चूतर साफ-साफ नजर आ रहे थे। रीत के चूतर देखकर रिंकू का बुरा हाल हो गया था। वो अपनी पैंट में हाथ डालकर अपना लण्ड मसलने लगा था। वो सोच रहा था, की अब ऐसे बात नहीं बनेगी। अब उसे ही कुछ करना होगा, तभी उसके दिमाग एक आइडिया आता है।
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