Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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rajan
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Re: Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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जब रीत आगे वाली सीट पर बैठी तो मलिक को देखकर अपनी नजरें नीचे कर ली। मलिक ने रीत को स्माइल पास करी और कहा- "बहुत अच्छा डान्स करते हो आप..."

रीत शर्माते हुए- थॅंक यू ।

जब रीत की नजर मिरर पर गई तो उसने देखा की, पीछे पिंकी रणबीर की बाहों में बाहें डालकर दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे। ये देखकर रीत की गाल लाल हो गये। मलिक को पता था की पीछे वाली सीट पर क्या चल रहा है। पर वो रीत पर अपनी आँख टिकाकर बैठा हुआ था।

मलिक- कहां से हो आप जी?

रीत नखरा करते हुए बोली- क्यों आपने क्या करना है मुझे पूछ कर?

मलिक- यार हमको भी तो पता चले, की ऐसी परियां कहां रहती हैं?

रीत ये सुनकर शर्मा गई और बोली- "अच्छा जी... परियां तो स्वर्ग में रहती हैं। उनको देखने के लिए तो आपको स्वर्ग में जाना पड़ेगा...”

मलिक- हमने तो जीते जी स्वर्ग देख लिया आपको देखकर।

रीत ये सुनकर और ज्यादा शर्मा जाती है। और जब उसकी नजर फिर से शीशे पर गई तो उसने देखा की रणबीर पिंकी की कमीज के गले के अंदर हाथ डालकर उसकी चूचियों को मसल रहा था, और साथ में उसके होंठों को चूस रहा था। रीत ये देखकर पानी-पानी हो गई।


इतने में पिंकी ने अपने होंठ रणबीर के होंठों से निकले और बोली- “जान अब मुझे जाने दो, घर वाले मुझे देख रहे होंगे?"

रणबीर पिंकी के चूतरों पर हाथ फेरते बोला- “दो मिनट और रुक जा ना, तुझसे दूर जाने का मन नहीं होता..."

पिंकी- "रणबीर प्लीज़्ज़... यार समझा करो, कोई पंगा ना पड़ जाए। मैं कल आ जाऊँगी कमाद में वहां जो करना
है वो कर लियो...”

रणबीर- तेरे बिना अब रहा नहीं जाता।

जैसे ही रणबीर पिंकी के चूतरों को मसलता है, तो पिंकी मचलकर रणबीर को अपनी बाहों में भर लेती है और बोलती है- “जान अब मुझे जाने दो प्लीज़्ज़...” फिर पिंकी रणबीर के होंठों पर एक किस करती है, और वो कार
से बाहर आ जाती है।

रीत भी कार से बाहर निकल जाती है।

जाते जाते मलिक रीत को बाइ कहता है, और रीत भी उसे बाइ कह देती है। फिर वो दोनों वहां से चले जाते हैं।

पिंकी और रीत दोनों घर की ओर निकल जाती है। जाते हये रीत पिंकी को छेड़ कर बोली- “क्या बात जान के बिना रहा नहीं जाता, बहुत कस-कसकर झफ्फियां डाली जा रही थी..."

पिंकी- तू चुप कर। घर में ना किसी को बता दियो समझी। ‘

रीत- नहीं बताती यार, पर ये सब कब से चल रहा है?

पिंकी- दो साल हो गये हैं, रणबीर मेरी जान बन गया है अब।

रीत- हाँ वो तो पता चल ही गया है, जब कमीज के अंदर हाथ डाला था उसने।

पिंकी- कमीनी चुप कर जा... तू मरवगी मुझे। किसी के सामने ना बोल दियो। और तू ज्यादा मत बन अपने आपको। मुझे सब पता है, उस दिन तू कमाद में छुप-छुपकर मुझे देख रही थी, और अपनी सलवार के अंदर अपना हाथ डाल रही थी।

रीत पिंकी की ये बात सुनते ही पानी-पानी हो गई और सोचने लगी- "पिंकी को ये सब कैसे पता चल गया इस गश्ती को...”

पिंकी- “सोचती क्या है रीत? मैंने उस दिन सब देख लिया था। और तू फिकर ना कर मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी..."

रीत शर्मा गई।

फिर पिंकी ने पूछा- अच्छा एक बात बता मलिक कैसा लगा तुझे?

रीत- ठीक है।

पिंकी- ओके।

फिर वो दोनों घर के अंदर चली जाती है।

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naik
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Re: Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

Post by naik »

(^^^-1$i7) (#%j&((7) (^@@^-1rs7)
fantastic update brother keep posting
waiting for the next update 😪
rajan
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Re: Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

Post by rajan »

कड़ी_29

पिंकी और रीत दोनों घर चली जाती है। रीत अपने गेस्ट वाले रूम में चली जाती है। वो रूम में अकेली ही होती है। क्योंकी हरपाल अभी भी बलविंदर के साथ बैठकर दारू पी रहा था। सुखजीत चरणजीत के साथ घर का काम करवा रही थी।

रीत रूम में आते ही सीधा रजाई के अंदर लेट जाती है। पर जब रीत अपनी आँखें बंद करती है, तो उसकी आँखों के सामने पिंकी का कार वाला सीन आ जाता है। अब रीत का भी दिल करने लगा था, मजे लेने का। रीत का अब अंदर से मन का रहा था, की कोई उसकी चूचियों को मसल-मसलकर चूसे। उसके दोनों होंठों को चूसे और उसके चूतरों पर कोई हाथ फेरे।
ये सब सोचकर रीत इतनी गरम हो जाती है, की वो अपनी टी-शर्ट चूचियों तक ऊपर कर लेती है। और अपना एक हाथ मजमे के अंदर डाल लेती है। रीत अपनी चूत को मसलते हुए अपनी आँखें बंद कर लेती है। फिर रीत अपनी कमर उठाकर अपनी चूत में अपनी दो उंगलियां डाल लेती है।

रीत मजे में अपने एक हाथ से एक चूची को मसलने लगती है। रीत के मन में पिंकी की चुसाई वाला सीन चल रहा था। रीत के दोनों हाथ बहुत तेज चलने लगते हैं रीत का जिश्म एकदम अकड़ जाता है, और अपनी सारी मलाई निकल देती है। जैसे ही उसकी चूत का पानी निकलता है, उसकी जान निकल जाती है। रीत वैसे ही लेट जाती है, जैसे उसके जिश्म में जान ही ना हो।

दूसरी तरफ हरपाल, बलविंदर बिटू और मीता सारा प्रोग्राम खतम होने के बाद मोटर पर चले जाते हैं। और वहां बैठकर दारू पी रहे होते हैं। वहां उन्होंने चूत मारने का प्लान बनाया हुआ था, मोटर पर उन्होंने नवनीत नाम की लड़की बुलाई होती है, जो एक जुगाड़ होती है।

पर हरपाल वहां बैठा भी पिंकी के बारे में सोच रहा था, उसको अपनी भतीजी ही पहली नजर में भा गई थी। पिंकी की नोकीली चूचियां जब हरपाल के सीने में घुसी थीं, तब हरपाल का लण्ड खड़ा हो गया था।

दर्शल बात ये थी की हरपाल पिंकी की जवानी और उसके मस्त जिश्म को देखकर उसपर फिदा हो गया था। जब भी हरपाल पिंकी के जिश्म के बारे सोचता था, तो वो ये भूल जाता था। की वो उसकी भतीजी है। अभी बलविंदर मोटर वाले रूम में मंजा लगा रहा होता है। और हरपाल मीता और बिटू बाहर बैठे पेग मार रहे थे। बिटू को पता था की हरपाल की नजर पिंकी के हश्न पर है। इसलिए वो जानबूझ कर मजा लेने के लिए बोला।

बिटू- भाई क्या बात है?

हरपाल- कुछ नहीं बिटू तू सुना।

बिटू- भाई आज जो लड़की आ रही है, वो पिंकी जैसी है।

बिटू की ये बात सुनते ही हरपाल के कान खड़े हो जाते हैं, और वो बोला- "भाई तू क्या कह रहा है?"

बिटू- हाँ भाईजी, उसके मोटे-मोटे चूतर और चूचियां एकदम बलविंदर की लड़की जैसी है। यानी आपकी भतीजी
जैसी।

हरपाल- ओये तू क्या बात रहा है, मेरी भतीजी जैसे?

बिटू मीता को देखकर आँख मारकर इशारा करके बोला- “हाँ यार, हरपाल तू तो ऐसे बन रहा है। जैसे तूने
अपनी भतीजी के चूतर और चूचियां कभी देखे ही नहीं.."

हरपाल ये सुनकर चुप हो जाता है। नशे में बोला- "ओये साले तूने कब देखा लिया मुझे उसके नजारे लेते हुए?”

मीता- ओ भाई रहने दे तू, तू जब से आया है ना। तब से तू अपने बड़े भाई की लड़की को ही देख रहा है।

बिटू पेग बनाकर बोला- “भाई देखे भी क्यों ना... साली इतनी मस्त जिश्म की मालेकिन जो है। सुनने में आया
है वो सरपंच के लड़के के साथ सेट है, और रोज उसके नीचे लेटती है.."
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