Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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rajan
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Re: Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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सुखजीत भी लण्ड को देखकर नीचे बैठ जाती है और उसके लंबे और मोटे लण्ड को देखकर पागल हो जाती है। सुखजीत अब प्यारेलाल की तरफ देखती हुई कहती है- “की गाल है, इस बार तो ये बहुत बड़ा और टाइट है...”

प्यारेलाल- इसमें क्या होना ये सब आपके फिगर का कमाल है।

सुखजीत- “अच्छा.." और सुखजीत उसको हाथों में लेकर ऊपर-नीचे करती है और लण्ड पर एक किस भी कर देती है।

प्यारेलाल- “भाभी अब इसे मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दे...”

सुखजीत ने पहले उसको अपने चेहरे पर घुमाया और फिर उसके बाद ऐसे ही मुँह में ले लिया और बड़े ही मजे से चूसने लगी। प्यारेलाल को भी बहुत मजा आ रहा था और वो मजे से लण्ड को चुसवा रहा था। सुखजीत बड़े ही मजे से लोलीपोप की तरह लण्ड को चूस रही थी और उसपर अपनी थूक लगाकर उसे पूरा गीला कर रही थी।

और फिर ऐसे ही बीच-बीच में गले में लेकर वो लण्ड को और पागल कर रही थी।

प्यारेलाल को भी इतनी सुंदर भाभी के मुँह में लण्ड को चुसवाने का खूब मजा आ रहा था। फिर ऐसे ही अब प्यारेलाल उसको मुँह से लण्ड निकालने को कहता है और सुखजीत को पेड़ के साथ लगाकर झुकने को कहता है

और वो धीरे-धीरे झुक जाती है।

अब वो उसको घोड़ी बनाकर उसकी सलवार और पैंटी नीचे कर देता है और अपनी लोवर भी नीचे करके अपना लण्ड उसकी चूत पर रख देता है। अब सुखजीत थोड़ा पीछे होकर लण्ड को चूत में लेने के लिए कहती है।
""
प्यारेलाल- "तो अब कसरत के लिए तैयार है भाभी तू?"

सुखजीत- हाँ हाँ मैं तैयार हूँ।


प्यारेलाल अब लण्ड को चूत में डालता है तो आधा जाने से वो चीख पड़ती है और फिर ऐसे ही प्यारेलाल उसकी चूत में आधे से ज्यादा लण्ड डालकर चोदने लगता है।

अब सुखजीत भी चुदाई का खूब मजा ले रही होती है। वो तो जैसे पागल हो रही होती है। प्यारेलाल उसकी चूत को अब जोर-जोर चोदने लगता है। सुखजीत भी अहह... करती हुई पूरे मजे लेती है और पेड़ को पकड़कर खूब चुदवाती है।

उन दोनों की वहां जो सिचुयेशन होती है उसमें उनका फँसने का भी डर होता है। पर उसी डर में चुदाई का अपना ही मजा होता है। अब प्यारेलाल उसकी कमीज में हाथ देकर उसकी चूचियों को दबाते हुए चोदने लगता है। उनको ऐसे करते हुए अब तक 30 मिनट हो जाते है, और उधर सुखजीत का एक बार हो जाता है।

अब जब ऐसे ही काफी देर तक करने के बाद प्यारेलाल को लगता है की अब उसका होने वाला है तो वो भी मजे से चोदने लगता है, उसका मन होता है की वो अंदर ही निकाल दे पर वो ऐसा नहीं कर सकता। फिर वो लण्ड को जोर-जोर से चोदकर बाहर निकालता है और फिर सुखजीत की गाण्ड पर निकाल देता है। सुखजीत भी बिना माल को साफ किए पैंटी डालकर सलवार ऊपर करके नाड़ा बाँधती है और फिर उसके बाद वहां से जाने लगती है। तभी प्यारेलाल उसकी बाजू पकड़कर अपनी ओर खींचा है तो वो उसकी छाती से लग जाती है।

प्यारेलाल कहता है- “एक बार हो जाए दुबारा..."

सुखजीत पीछे होती हुई कहती है- “नहीं जी, अब अगली बार का प्रोग्राम बनाना ओके... अब मैं जा रही हूँ..” और ये कहकर वो घर आ जाती है।

घर पर शीला खाना बनाकर रखी होती है और फिर हरपाल के आने पर सब खाना खाते हैं और फिर सब सो जाते हैं।
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rajan
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Re: Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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कड़ी_59

अगले दिन चढ़ जाता है, और आज सोच में पड़ी रीत को आज रिंकू के साथ डेट पर जाना पड़ रहा था। पर अपने यार मलिक को धोखा नहीं दे रही थी, सिर्फ अपने प्यार को बचा रही थी। रीत सुबह उठकर स्कूल जाने के लिए तैयार होती है। स्कूल की ड्रेस में रीत की चूचियों को सांस नहीं आ रही थी। रीत ने अपने बालों का पोनी स्टाइल किया हुआ था, जिसमें वो बहुत ही सुंदर लग रही थी। उसकी सलवार में उसके बाहर निकले मोटे-मोटे चूतर बहुत ही कमाल के लग रहे थे। उसकी कमीज का पल्ला उसके चूतरों से उठा हुआ था। ये पल्ला अब बता रहा था, की रीत अब जवान हो गई है। तभी रीत का फोन रिंग करने लगता है।

रीत देखती है, की ये नंबर रिंकू का था। वो फोन उठाकर बोली- “हेलो..."

रिंकू- गुड मार्निंग जी, तैयार हो फिर आज के लिए?

रीत- "रिंकू मेरी हिम्मत नहीं हो रही है, प्लीज़्ज़... ऐसा ना कर प्लीज़्ज़.."

रिंकू- देख रीत, तेरा भाई सोनू मेरा बहुत अच्छा और खास दोस्त है। उसे मेरी बात पर यकीन करते एक मिनट भी नहीं लगना। देख ले फिर मैं तेरे भाई को सब कुछ बता देता हूँ।

रीत डर जाती है और बोली- “ठीक है ठीक है, बोल कहां मिलना है?"

रिंकू- माल की पार्किंग में अपनी अक्टिवा पार्क कर ले, फिर मैं तुझे वहीं से पिकप कर लूँगा।

रीत- "ठीक है..” कहकर रीत फोन कट कर देती है, और फिर वो ज्योति को फोन मिलाती है।

ज्योति- हेलो।

रीत- “हेलो ज्योति, यार मैं आज स्कूल नहीं आऊँगी। ऐसा करियो तू खुद ही निकल जइओ ओके.."

ज्योति- “क्यों क्या हुआ, क्यों स्कूल नहीं आ रही है तू? लगता है आज फिर अपने यार के साथ जा रही है तू.."

रीत- नहीं यार, मेरी तबीयत ठीक नहीं है।

ज्योति- “रहने दे रीत, तू किसे बेवकूफ बना रही है। मुझे सब पता है, आज से पहले तो तूने कभी तबीयत खराब होने पर भी छुट्टी नहीं मारी। और आज तू छुट्टी मार रही है...”

रीत- सच में बीमार हूँ यार।

ज्योति- “पता है मुझे कितनी बीमार है तू, आज अपने यार के आगे जब तू सलवार खोलेगी। तब तेरी सारी की सारी बीमारी दूर हो जाएगी..."

रीत हँसते हए बोली- “ओह्ह... यार शटप यार, अब तूने जो समझना है वो समझ। पर मैं आज स्कूल नहीं आ रही हूँ ओके बाइ...”

रीत घर से अक्टिवा लेकर सीधी माल की तरफ निकल जाती है। वो पार्किंग में अपनी अक्टिवा लगा देती है। वो देखती है की रिंकू अपनी कार में बैठा उसे देखकर स्माइल कर रहा था, और उसे अंदर बैठने का इशारा करता है। रीत उसके पास जाती है और उसकी कार में जाकर बैठ जाती है। आज रिंकू की खुशी का ठिकाना नहीं होता। रीत जैसी एकदम खूबसूरत लड़की जो एक नंबर की पटोला है। वो आज उसके साथ कार की फ्रंट सीट पर बैठी हुई थी। रीत के पर्दूम की खुश्बू के पूरी कार महक जाती है।
rajan
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Re: Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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रिंकू- “देख रीत यार, मैं सच में तुझे बहुत ही पसंद करता हूँ। मैं तेरा दोस्त बनना चाहता हूँ। अगर तुझे ऐसा लगता है, की मैं तेरा एक अच्छा दोस्त भी बनने के काबिल नहीं हैं। तो तू अभी के अभी कार से निकल सकती

रीत थोड़ी देर सोचती है, की वैसे रिंकू इतना खराब बंदा भी नहीं है। इसे मैं अपना दोस्त तो बना ही सकती हूँ।

और अब उसे रिंकू से दोस्ती कर ही लेनी चाहिये क्योंकी अब उसका स्कूल का बंक तो लग ही गया है।

रीत ये सब सोचकर बोली- “ठीक है रिंकू, तू आज से मेरा दोस्त है.."

रिंकू ये सुनकर खिल उठता है और खुशी के मारे थोड़ा से जोर से बोला- “हाए ओई रब्बा... मैं मर जावां... इतनी सुंदर लड़की मेरी सहेली है। खुशी के मारे कहीं मुझे कुछ हो ना जाए..."

रीत रिंकू की ये पागलपंथी देखकर हँसने लगती है। रिंकू रीत का दिल जीतने में कामयाब हो जाता है, और वो फिर वहां से कार निकल लेता है। रास्ते में रिंकू बहुत मजाक वाली बातें करके रीत को खूब हँसाता है। उसका असर ये हो रहा था, की अब रीत रिंकू ले साथ काफी अच्छा महसूस कर रही थी, और अब वो भी उससे बातें कर रही थी।

रिंकू रीत को फिर मूवी दिखाने के लिए ले जाता है। वहां एक हारर मूवी लगी हुई थी।

बाहर उस मूवी का पोस्टर देखकर ही रीत डर जाती है, और वो बोली- “रिंकू ये मूवी प्लीज़्ज... ना देखो मुझे हारर मूवी से बहुत डर लगता है."

रिंकू- फिकर ना कर रीत, में हूँ ना तेरे साथ। अगर ऐसा वैसा कुछ हुआ तो, तू मुझे कसकर पकड़ लियो।

रीत रिंकू के कंधे पर थप्पड़ मारकर बोली- “ओ चुप कर रिंकू। सीरियस्ली मुझे बहुत डर लगता है.."

रिंकू- कुछ नहीं होता रीत। चल ना देखते हैं ये हारर मूवी।

रिंकू के लाख बार कहने पर रीत उसके साथ जाने को मान जाती है। फिर वो दोनों मूवी देखने के लिए मूवी हाल में चले जाते हैं। मूवी देखने के लिए काफी सारे लोग आए हुए थे। कुछ ही देर में मूवी शुरू हो जाती है। फिल्म के बीच में ही एक बहुत डरवाना सीन आता है, जिसे देखकर रीत काफी डर जाती है, और वो कसकर रिंकू का हाथ पकड़ लेती है।

जब रीत को पता चलता है, की उसने डर के मारे रिंकू का हाथ पकड़ लिया है, तो वो शर्माकर उसका हाथ छोड़ दी। रिंकू भी ये देखकर खुश हो जाता है, क्योंकी रिंकू ने रीत को जानबूझ कर ये हारर मूवी दिखाई थी। थोड़ी ही देर में एक हाट सीन भी आ जाता है। जिसमें हीरो लड़की को पूरा नंगी करके बेड पर लेटा देता है, और एक चादर लेकर उसके ऊपर आ जाता है। फिर वो उसे जमकर चूसता है, और नीचे उसकी दोनों टाँगें खोलकर उसे ठोंक देता है।

रीत की चूत ये सीन देखते ही पानी निकालने लगती है। मोका देखकर रिंकू रीत के चूतड़ों पर हाथ फेरने लगता है। अपने चूतड़ों पर हाथ महसूस होते ही रीत ने रिंकू का हाथ साइड में कर दिया।

पर रिंकू कहां मानने वाला था, उसने फिर से एक बार अपना हाथ रीत के चूतड़ों पर रखा दिया। और उसके चूतड़ों को सलने लगा। रीत पहले ही ऐसा गरम सीन देखकर गरम हो रही थी। ऊपर से रिंकू के हाथ उसके जिश्म में आग लगाने लगते हैं।

रीत से अब अपनी आग पर कंट्रोल नहीं हो रहा था। इसलिए अब वो रिंकू को भी कुछ नहीं कह रही थी। अब रिंकू ने अपना अगला कदम उठाया। उसने अचानक से रीत का मुंह पकड़ा और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर जोर-जोर से चूसने लगा। साथ ही उसने अपना एक हाथ रीत की चूत पर रख दिया और धीरे-धीरे उसकी चूत को मसलने लगा।

रीत पर ये इस अचानक हमले को वो समझ नहीं पाई, ऊपर से वो इतनी गरम हो चुकी थी। इसलिए अब उसे रिंकू के होंठों का भी मजा आने लगा था, वो जोर-जोर से उसके होंठों को चूसने लगी थी। तभी अचानक मूवी में एक गोली चलती है, जिसकी आवाज से रीत फिर से होश में आ जाती है, और वो रिंकू को एकदम से धक्का देकर अपने से अलग करती है, और वो उससे दूर होकर सोचने लगती है की।

रीत- “हाए रब्बा... ये क्या हो गया मेरे से..." और रीत को अपनी इस हरकत पर अब बहुत ज्यादा पछतावा हो रहा था, की उसने गर्मी गर्मी में ये क्या कर दिया था।

फिर मूवी खतम हो जाती है, और उसके स्कूल की छुट्टी का भी टाइम हो गया था। पर रीत रिंकू से कोई बात नहीं कर रही थी। फिर रिंकू उसे कार में बिठाकर रीत को माल की पार्किंग में छोड़ देता है। रीत वहां से अपनी अक्टिवा उठाकर सीधी अपने घर की ओर निकल जाती है।

अगला दिन हो जाता है और रोजाना की तरह रीत ज्योति को स्कूल लेकर आ जाती है। वो अब रिंकू के बारे सोच रही होती है। क्योंकी अब तक रिंकू से उसकी बात नहीं हुई होती है।
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