Erotica नेहा और उसका शैतान दिमाग
- rajababu
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Re: Erotica नेहा और उसका शैतान दिमाग
बहुत बहुत धन्यवाद
- rajababu
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Re: Erotica नेहा और उसका शैतान दिमाग
चूचे... उसकी माँ के चूचे। वहीं पर नजर थी उसकी। नाइट सूट में कैद थे वो भारी भरकम मम्मे। समर को खुद पे बहुत गुस्सा आ रहा था। वो एक बेटा था और एक मर्द भी। उसके अंदर की दोनों साइड आपस में लड़ रही थी। एक उसे याद दिला रही थी की ये उसकी माँ है, तो दूसरी कह रही थी की ये एक सेक्सी औरत है। जिसके 38डी के बड़े-बड़े मम्मे हैं।
प्रीति सफाई में खोई हुई थी। वो साफ करने के लिए दीवार को रगड़ने लगी। इस वजह से उसका शरीर भी हिलने लगा, और शरीर के साथ झूलने लगे उसके चूचे।
एक और चीज झूल रही थी- समर के कच्छे के अंदर पड़ी चीज। समर सख्त हो रहा था। अपनी माँ को देखकर। ना चाहते हुए भी, खुद को इतना समझाने के बाद भी, ये हो रहा था। अपनी मम्मी के सुपर साइज के चूचे देखकर समर पागल हुआ जा रहा। प्रीति के चूचे नेहा जैसे तने हुए नहीं थे, उमर की वजह से थोड़े लटक से रहे थे। लेकिन आज भी वो चूचे एक मुर्दे का लण्ड खड़ा कर सकते थे। ऊपर-नीचे उछलते मम्मों ने समर के लण्ड से प्री-कम निकलवा दिया।
माँ अपने काम में मगन थी, उसे आइडिया तक नहीं था की उसका बेटा उसके उछलते चूचों को देख रहा है और उसका लण्ड गीला हो रहा है। प्रीति ने कुछ देर बाद सफाई पूरी की। वो सोफे से नीचे उतरी तो देखा की समर अब भी वहीं खड़ा है। उसे थोड़ा अटपटा लगा।
प्रीति- “समर... क्या हो गया है तुझे... तू अभी तक यहीं खड़ा है? तेरी तबीयट तो ठीक है?" प्रीति ने पूछा। वो पशीने से थोड़ी गीली हो गई थी। उसके गले से होता हुआ पशीना उसकी खाईं जैसी क्लीवेज में घुस रहा था।
समर का लण्ड लाल होने लगा, कहा- “मोम वो... वो आपसे कुछ बात करनी थी..” उसने ऐनीवे जो मन में आया बोल दिया।
प्रीति ने पूछा- “क्या बात करनी है?"
समर- "वो... वो...” उसे समझ नहीं आया की क्या बोले? फिर कहा- “वो आज शापिंग करने चलते हैं..." उसके दिमाग में यही आया।
प्रीति- “आज... तू पागल है? अभी तो तुझे बताया की मैं और तेरे पापा तेरे चाचा के यहां जा रहे हैं। सोया हुआ
था क्या?" प्रीति ने नाराजी भरी आवाज में कहा।
सोया नहीं, खोया हुआ था समर उस वक्त। वो भी खुद अपनी माँ में।
समर- “ओहह... हाँ सारी मोम... भूल गया था..” उसने कहा- "ठीक है। अगले हफ्ते चले जायेंगे शापिंग..” ये बोलकर समर वहां से उल्टे पाँव भाग गया।
“अई......” प्रीति ने कहा ही था, मगर समर निकल गया। समर का बिहेवियर उसे अजीब सा लगा था। पता नहीं
क्या चाहता है ये लड़का?
समर झट से अपने कमरे में चला गया। उसे यकीन नहीं हुआ की क्या हुआ? उसका लण्ड तना हुआ, अपनी माँ के लिए। अपनी माँ की जो साइड उसने आज दखी थी वो पिचले 18 सालों में नहीं देखी थी। कितना हसीन बदन है मम्मी का, कितना सेक्सी। उसे समझ में नहीं आ रहा था की अपनी बहन पे गुस्सा हो की उसने माँ के ऐसे विचार दिमाग में डाल दिए, या उसको शुक्रिया अदा करे, की उसने माँ की इतनी सेक्सी साइड से उसका परिचय करवाया? वो अपने लण्ड को बाहर निकालने ही वाला था की तभी उसके दरवाजे पे दस्तक हई।
नेहा- “समर.." नेहा की आवाज थी।
अपने लण्ड पे काबू करते हुए उसने दरवाजा खोला।
नेहा- “कैसा लगा माँ का बदन?” नेहा ने पूछा, मगर इससे पहले समर कुछ बोलता वो खुद ही बोली- “अच्छा, ये मुझे बाद में बतइयो। तुझे पता है की माँ पापा बाहर जा रहे हैं?”
समर- “हाँ... चाचा के यहां..” समर ने कहा।
नेहा- “इसका मतलब क्या है, पता है?" नेहा ने पूछा।
समर ने पूछा- “क्या?"
नेहा- “मतलब, हम दोनों अकेले होंगे घर पे। एकदम अकेले...”
प्रीति सफाई में खोई हुई थी। वो साफ करने के लिए दीवार को रगड़ने लगी। इस वजह से उसका शरीर भी हिलने लगा, और शरीर के साथ झूलने लगे उसके चूचे।
एक और चीज झूल रही थी- समर के कच्छे के अंदर पड़ी चीज। समर सख्त हो रहा था। अपनी माँ को देखकर। ना चाहते हुए भी, खुद को इतना समझाने के बाद भी, ये हो रहा था। अपनी मम्मी के सुपर साइज के चूचे देखकर समर पागल हुआ जा रहा। प्रीति के चूचे नेहा जैसे तने हुए नहीं थे, उमर की वजह से थोड़े लटक से रहे थे। लेकिन आज भी वो चूचे एक मुर्दे का लण्ड खड़ा कर सकते थे। ऊपर-नीचे उछलते मम्मों ने समर के लण्ड से प्री-कम निकलवा दिया।
माँ अपने काम में मगन थी, उसे आइडिया तक नहीं था की उसका बेटा उसके उछलते चूचों को देख रहा है और उसका लण्ड गीला हो रहा है। प्रीति ने कुछ देर बाद सफाई पूरी की। वो सोफे से नीचे उतरी तो देखा की समर अब भी वहीं खड़ा है। उसे थोड़ा अटपटा लगा।
प्रीति- “समर... क्या हो गया है तुझे... तू अभी तक यहीं खड़ा है? तेरी तबीयट तो ठीक है?" प्रीति ने पूछा। वो पशीने से थोड़ी गीली हो गई थी। उसके गले से होता हुआ पशीना उसकी खाईं जैसी क्लीवेज में घुस रहा था।
समर का लण्ड लाल होने लगा, कहा- “मोम वो... वो आपसे कुछ बात करनी थी..” उसने ऐनीवे जो मन में आया बोल दिया।
प्रीति ने पूछा- “क्या बात करनी है?"
समर- "वो... वो...” उसे समझ नहीं आया की क्या बोले? फिर कहा- “वो आज शापिंग करने चलते हैं..." उसके दिमाग में यही आया।
प्रीति- “आज... तू पागल है? अभी तो तुझे बताया की मैं और तेरे पापा तेरे चाचा के यहां जा रहे हैं। सोया हुआ
था क्या?" प्रीति ने नाराजी भरी आवाज में कहा।
सोया नहीं, खोया हुआ था समर उस वक्त। वो भी खुद अपनी माँ में।
समर- “ओहह... हाँ सारी मोम... भूल गया था..” उसने कहा- "ठीक है। अगले हफ्ते चले जायेंगे शापिंग..” ये बोलकर समर वहां से उल्टे पाँव भाग गया।
“अई......” प्रीति ने कहा ही था, मगर समर निकल गया। समर का बिहेवियर उसे अजीब सा लगा था। पता नहीं
क्या चाहता है ये लड़का?
समर झट से अपने कमरे में चला गया। उसे यकीन नहीं हुआ की क्या हुआ? उसका लण्ड तना हुआ, अपनी माँ के लिए। अपनी माँ की जो साइड उसने आज दखी थी वो पिचले 18 सालों में नहीं देखी थी। कितना हसीन बदन है मम्मी का, कितना सेक्सी। उसे समझ में नहीं आ रहा था की अपनी बहन पे गुस्सा हो की उसने माँ के ऐसे विचार दिमाग में डाल दिए, या उसको शुक्रिया अदा करे, की उसने माँ की इतनी सेक्सी साइड से उसका परिचय करवाया? वो अपने लण्ड को बाहर निकालने ही वाला था की तभी उसके दरवाजे पे दस्तक हई।
नेहा- “समर.." नेहा की आवाज थी।
अपने लण्ड पे काबू करते हुए उसने दरवाजा खोला।
नेहा- “कैसा लगा माँ का बदन?” नेहा ने पूछा, मगर इससे पहले समर कुछ बोलता वो खुद ही बोली- “अच्छा, ये मुझे बाद में बतइयो। तुझे पता है की माँ पापा बाहर जा रहे हैं?”
समर- “हाँ... चाचा के यहां..” समर ने कहा।
नेहा- “इसका मतलब क्या है, पता है?" नेहा ने पूछा।
समर ने पूछा- “क्या?"
नेहा- “मतलब, हम दोनों अकेले होंगे घर पे। एकदम अकेले...”
- rajababu
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एक घंटे के अंदर प्रीति और यतीन घर से निकल गये थे। अब वो दो-तीन घंटे बाद ही आने वाले थे। नेहा ने एक मिनट भी बरबाद किए बिना समर को अपने कमरे में बुलाया।
समर अपने उछलते मन को लेते हए नेहा के कमरे में पहँचा। अंदर घुसते ही उसने पाया की नेहा अपने बिस्तर पे लेटी है। उसके चेहरे पे एक प्यारी सी मुश्कान है, आँखों में चमक है। ध्यान से देखने पे समर ने पाया की नेहा का एक हाथ उसके पाजामे के अंदर हिल रहा था। नेहा उंगली कर रही थी। समर का लण्ड उठने लगा। आज क्या होगा? ये सोच-सोचकर उसके पेट में तितलियां उड़ रही थी।
नेहा- “तेरा इंतेजार कर रही थी तो मुझे लगा की मैं खुद ही शुरू हो जाऊँ.." नेहा बोली। उसने अपना हाथ बाहर निकाला और समर के पास आकर खड़ी हो गई। एक हाथ उसने समर की गाण्ड पे रखा और उसे दबाया, दूसरा चूत के पानी से सना हुआ हाथ उसने सीधा समर के मुँह में घुसा दिया।
आज फिर समर को अपनी बहन की चूत का स्वाद मिला
नेहा- “ले भाई, चख ले मेरी चूत.." नेहा बोली।
समर खो गया उस टेस्ट में, और पागलों की तरह उसे चूसने लगा।
नेहा- “चल समर, आज मुझे तुझको पूरा नंगा देखना है, अपने कपड़े उतार। एक भी कपड़ा नहीं रहना चाहिये..." नेहा ने समर के कान में कहा।
समर ने एकाएक उंगलियां चूसना बंद कर दिया। नेहा ने अपना हाथ बाहर निकाला और समर के आगे बेड के किनारे पे बैठ गई- "स्ट्रिपिंग शुरू कर...” उसने कहा।
समर अभी तक अपनी बहन के सामने पूरा नंगा नहीं हुआ था। हल्की सी शर्म भी आ रही थी उसे। मगर नंगा तो होना ही पड़ेगा, दीदी ने जो कहा है। एक मोशन में उसने अपनी टी-शर्ट उतार दी। पाजामा भी उतर गया।
अंडरवेर में था। उसके अंदर उसका जागा हआ लण्ड साफ दिख रहा था। नेहा की चत गीली हो गई। समर ने अपने हाथ अपनी अंडरवेर में फँसाए और अगले पल वो एकदम नंगा हो गया।
नेहा की आँखों ने ऐसी दृश्य पहली बार देखी थी। एक मर्द, बिना किसी कपड़ों के... उसके सामने और ये मर्द और कोई नहीं, उसका अपना छोटा भाई था। आग लग गई नेहा के शरीर में। वो अपनी जगह से उठी और समर के पास आई। उसने उसके शरीर को ध्यान से देख। स्लिम और फर्म बाडी थी उसकी। मसल्स कम थीं, मगर फिर भी बहुत अट्रैक्टिव लग रहा था।
नेहा बोली- “जरा घूम तो.."
समर जो अब तक शर्म से लाल हुआ खड़ा था, अपनी बहन के लिए घूमा।
नेहा ने उसकी गाण्ड देखी। जो उसे अच्छी लगी। लण्ड तो उसे पहले से ही भाया हुआ था। वो एकदम समर के पास आ गई- “हाट है तू छोटे भाई..” ये बोलकर वो उसकी बैक पे हाथ फेरने लगी।
समर को थोड़ा प्राउड महसूस हुआ। नेहा धीरे-धीरे उसकी पीठ नोंच रही थी। मगर समर को मजा आ रहा था। नेहा का हाथ फिर सीधा समर की गाण्ड पर गया। वो उसे दबाने लगी।
नेहा- “कल रात को मेरी गाण्ड के बहुत मजे लिए थे ना तू...” वो बोली- “अब मेरी बरी...” ये बोलकर वो उसे
और जोरों से दबाने लगी।
समर अपने उछलते मन को लेते हए नेहा के कमरे में पहँचा। अंदर घुसते ही उसने पाया की नेहा अपने बिस्तर पे लेटी है। उसके चेहरे पे एक प्यारी सी मुश्कान है, आँखों में चमक है। ध्यान से देखने पे समर ने पाया की नेहा का एक हाथ उसके पाजामे के अंदर हिल रहा था। नेहा उंगली कर रही थी। समर का लण्ड उठने लगा। आज क्या होगा? ये सोच-सोचकर उसके पेट में तितलियां उड़ रही थी।
नेहा- “तेरा इंतेजार कर रही थी तो मुझे लगा की मैं खुद ही शुरू हो जाऊँ.." नेहा बोली। उसने अपना हाथ बाहर निकाला और समर के पास आकर खड़ी हो गई। एक हाथ उसने समर की गाण्ड पे रखा और उसे दबाया, दूसरा चूत के पानी से सना हुआ हाथ उसने सीधा समर के मुँह में घुसा दिया।
आज फिर समर को अपनी बहन की चूत का स्वाद मिला
नेहा- “ले भाई, चख ले मेरी चूत.." नेहा बोली।
समर खो गया उस टेस्ट में, और पागलों की तरह उसे चूसने लगा।
नेहा- “चल समर, आज मुझे तुझको पूरा नंगा देखना है, अपने कपड़े उतार। एक भी कपड़ा नहीं रहना चाहिये..." नेहा ने समर के कान में कहा।
समर ने एकाएक उंगलियां चूसना बंद कर दिया। नेहा ने अपना हाथ बाहर निकाला और समर के आगे बेड के किनारे पे बैठ गई- "स्ट्रिपिंग शुरू कर...” उसने कहा।
समर अभी तक अपनी बहन के सामने पूरा नंगा नहीं हुआ था। हल्की सी शर्म भी आ रही थी उसे। मगर नंगा तो होना ही पड़ेगा, दीदी ने जो कहा है। एक मोशन में उसने अपनी टी-शर्ट उतार दी। पाजामा भी उतर गया।
अंडरवेर में था। उसके अंदर उसका जागा हआ लण्ड साफ दिख रहा था। नेहा की चत गीली हो गई। समर ने अपने हाथ अपनी अंडरवेर में फँसाए और अगले पल वो एकदम नंगा हो गया।
नेहा की आँखों ने ऐसी दृश्य पहली बार देखी थी। एक मर्द, बिना किसी कपड़ों के... उसके सामने और ये मर्द और कोई नहीं, उसका अपना छोटा भाई था। आग लग गई नेहा के शरीर में। वो अपनी जगह से उठी और समर के पास आई। उसने उसके शरीर को ध्यान से देख। स्लिम और फर्म बाडी थी उसकी। मसल्स कम थीं, मगर फिर भी बहुत अट्रैक्टिव लग रहा था।
नेहा बोली- “जरा घूम तो.."
समर जो अब तक शर्म से लाल हुआ खड़ा था, अपनी बहन के लिए घूमा।
नेहा ने उसकी गाण्ड देखी। जो उसे अच्छी लगी। लण्ड तो उसे पहले से ही भाया हुआ था। वो एकदम समर के पास आ गई- “हाट है तू छोटे भाई..” ये बोलकर वो उसकी बैक पे हाथ फेरने लगी।
समर को थोड़ा प्राउड महसूस हुआ। नेहा धीरे-धीरे उसकी पीठ नोंच रही थी। मगर समर को मजा आ रहा था। नेहा का हाथ फिर सीधा समर की गाण्ड पर गया। वो उसे दबाने लगी।
नेहा- “कल रात को मेरी गाण्ड के बहुत मजे लिए थे ना तू...” वो बोली- “अब मेरी बरी...” ये बोलकर वो उसे
और जोरों से दबाने लगी।
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Re: Erotica नेहा और उसका शैतान दिमाग
समर को मजा भी आ रहा था और अजीब भी लग रहा था। नेहा समर की गाण्ड पे जोर-जोर से थप्पड़ जड़ने लगी। ऐसा लगा मानो कल रात का बदला ले रही हो। नेहा के मन की हवस दिख रही थी। वो गरम हो चुकी थी। समर को भी अपनी दीदी के कोमल हाथ अपनी गाण्ड पर पड़ते अच्छे लग रहे थे।
फिर नेहा ने एकदम से समर को घुमा दिया। समर चाहता था की नेहा अब उसके लण्ड को सहलाए। मगर नेहा ने अपने हाथ समर की छाती पर रख दिए। वो वहां अपने हाथ घुमाने लगी। उसके कोमल हाथ अपने भाई की छाती नाप रहे थे। नेहा ने फिर दोनों तरफ अपने हाथ रखे और जोर से उसकी छाती नोच ली।
समर- “अयाया...” समर के मुँह से चीख निकली।
नेहा- “क्यों समर, तू भी यही चाहता है ना? ऐसे ही नोचना चाहता है ना मेरी छाती?” नेहा ने फिर से उसकी छाती दबाते हुए कहा।
हाँ वो यह चाहता था। उसकी आँखें अपने आप नेहा के चूचों पर चली गई। वो दो फर्म मम्मे उसके टाप से आजाद होने के लिए मर रहे थे। कब मिलेगा मुझे इनपे हाथ रखने का मौका? वो सोच रहा था।
नेहा- “बोल... चाहता है तू इनसे खेलना.” नेहा ने अपने कूल्हों पर हाथ रख दिया, और कहा- “बोल?"
समर- “हाँ.. दीदी..” समर ने खुद को और नेहा को हैरान करते हुए बोल ही दिया- “मैं आपके मम्मों को छूना चाहता हूँ, उनसे खेलना चाहता हूँ..."
नेहा सुनकर हैरान हो गई। उसकी आँखें चौड़ी हो गई और मुँह पे एक मुश्कान आ गई- “वाह समर... काफी खुल गया है। अच्छा लगा..." नेहा बोली।
मगर समर तो सुन नहीं रहा था। वो तो ये सोच रहा था की उसके मुँह से ये शब्द निकले कैसे? ये क्या कह दिया उसने? लेकिन नेहा के अगले शब्द सुनकर उसका और उसके लण्ड दोनों का ध्यान वापस आ गया।
नेहा- “चाहती तो मैं भी यही हूँ की तू इनसे खेले, इनको नोचे, इनको चूसे..." नेहा बोली- “मगर जल्दी क्या है? हम अभी बहुत कुछ कर सकते हैं..." और उसने अपना पाजमा उतार दिया, फिर नेहा ने नजरें ऊपर की।
समर की आँखें फटी हुई थी। उसकी बड़ी बहन उसके सामने अपनी नंगी टाँगें लिए खड़ी थी। टांगों के बीच में एक काली पैंटी दिख रही थी, जो
उसकी चूत को ढक रही थी। उसका टाप छोटा था जिसकी वजह से पैंटी के ऊपर थोड़ा उसकी सेक्सी वेस्ट दिख रही थी। क्या सीन था। इतना प्यारा रंग था नेहा का। ऐसा जिसे देखकर बुरे से बुरा वक्त अच्छा बन जाए। गुस्से से लाल हुआ इंसान, खुशी से खिलखिला उठे। वाह... गोरे सफेद रंग में हल्का सा गुलाबी निखार।
नेहा को उसके इस मूव का रिएक्सन समर के लण्ड पे दिख रहा था, जिसका टोपा अब प्री-कम से गीला हो गया था। नेहा के मुँह में ये देखकर पानी आ गया। वो अपने भाई के सामने अर्धनग्न खड़ी थी। दिल उसका भी तेजी से धड़क रहा था। अंग प्रदर्शन करके उसकी चूत में भी हलचल हो रही थी। उसने अपनी मखमली टांगों को आपस में मसला।
समर की आँखें उसकी टांगों पर ऊपर से नीचे दौड़ रही थी। नेहा की लंबी टाँगें बहुत ज्यादा हाट थी। रंग तो था ही सेक्सी, एक भी बाल नहीं था। देखकर ही मखमल से भी ज्यादा नरम लग रही थी। समर का मन किया की उसकी टाँगें चाट जाए। उसकी आँखें आगे बढ़ीं और अपनी बहन की ब्लैक पैंटी पे आकर रुक गई। वो 'वी' की शेप में उसकी चूत को छुपा रही थी। हाए.. कितना मन था समर का की नेहा वो भी उतार दे। कैसी होगी दीदी की चूत?
नेहा ने देखा की समर उसकी पैंटी देख रहा है। उसने अपना हाथ अपनी पैंटी के ऊपर चूत वाली जगह पर रख दिया, और कहा- “अभी तुझे मेरी चूत नहीं दिखेगी भाई, अभी उसमें टाइम है." नेहा बोली।
अपनी बहन के मुँह से चूत शब्द सुनकर समर के लण्ड में और खून चढ़ गया।
फिर नेहा ने एकदम से समर को घुमा दिया। समर चाहता था की नेहा अब उसके लण्ड को सहलाए। मगर नेहा ने अपने हाथ समर की छाती पर रख दिए। वो वहां अपने हाथ घुमाने लगी। उसके कोमल हाथ अपने भाई की छाती नाप रहे थे। नेहा ने फिर दोनों तरफ अपने हाथ रखे और जोर से उसकी छाती नोच ली।
समर- “अयाया...” समर के मुँह से चीख निकली।
नेहा- “क्यों समर, तू भी यही चाहता है ना? ऐसे ही नोचना चाहता है ना मेरी छाती?” नेहा ने फिर से उसकी छाती दबाते हुए कहा।
हाँ वो यह चाहता था। उसकी आँखें अपने आप नेहा के चूचों पर चली गई। वो दो फर्म मम्मे उसके टाप से आजाद होने के लिए मर रहे थे। कब मिलेगा मुझे इनपे हाथ रखने का मौका? वो सोच रहा था।
नेहा- “बोल... चाहता है तू इनसे खेलना.” नेहा ने अपने कूल्हों पर हाथ रख दिया, और कहा- “बोल?"
समर- “हाँ.. दीदी..” समर ने खुद को और नेहा को हैरान करते हुए बोल ही दिया- “मैं आपके मम्मों को छूना चाहता हूँ, उनसे खेलना चाहता हूँ..."
नेहा सुनकर हैरान हो गई। उसकी आँखें चौड़ी हो गई और मुँह पे एक मुश्कान आ गई- “वाह समर... काफी खुल गया है। अच्छा लगा..." नेहा बोली।
मगर समर तो सुन नहीं रहा था। वो तो ये सोच रहा था की उसके मुँह से ये शब्द निकले कैसे? ये क्या कह दिया उसने? लेकिन नेहा के अगले शब्द सुनकर उसका और उसके लण्ड दोनों का ध्यान वापस आ गया।
नेहा- “चाहती तो मैं भी यही हूँ की तू इनसे खेले, इनको नोचे, इनको चूसे..." नेहा बोली- “मगर जल्दी क्या है? हम अभी बहुत कुछ कर सकते हैं..." और उसने अपना पाजमा उतार दिया, फिर नेहा ने नजरें ऊपर की।
समर की आँखें फटी हुई थी। उसकी बड़ी बहन उसके सामने अपनी नंगी टाँगें लिए खड़ी थी। टांगों के बीच में एक काली पैंटी दिख रही थी, जो
उसकी चूत को ढक रही थी। उसका टाप छोटा था जिसकी वजह से पैंटी के ऊपर थोड़ा उसकी सेक्सी वेस्ट दिख रही थी। क्या सीन था। इतना प्यारा रंग था नेहा का। ऐसा जिसे देखकर बुरे से बुरा वक्त अच्छा बन जाए। गुस्से से लाल हुआ इंसान, खुशी से खिलखिला उठे। वाह... गोरे सफेद रंग में हल्का सा गुलाबी निखार।
नेहा को उसके इस मूव का रिएक्सन समर के लण्ड पे दिख रहा था, जिसका टोपा अब प्री-कम से गीला हो गया था। नेहा के मुँह में ये देखकर पानी आ गया। वो अपने भाई के सामने अर्धनग्न खड़ी थी। दिल उसका भी तेजी से धड़क रहा था। अंग प्रदर्शन करके उसकी चूत में भी हलचल हो रही थी। उसने अपनी मखमली टांगों को आपस में मसला।
समर की आँखें उसकी टांगों पर ऊपर से नीचे दौड़ रही थी। नेहा की लंबी टाँगें बहुत ज्यादा हाट थी। रंग तो था ही सेक्सी, एक भी बाल नहीं था। देखकर ही मखमल से भी ज्यादा नरम लग रही थी। समर का मन किया की उसकी टाँगें चाट जाए। उसकी आँखें आगे बढ़ीं और अपनी बहन की ब्लैक पैंटी पे आकर रुक गई। वो 'वी' की शेप में उसकी चूत को छुपा रही थी। हाए.. कितना मन था समर का की नेहा वो भी उतार दे। कैसी होगी दीदी की चूत?
नेहा ने देखा की समर उसकी पैंटी देख रहा है। उसने अपना हाथ अपनी पैंटी के ऊपर चूत वाली जगह पर रख दिया, और कहा- “अभी तुझे मेरी चूत नहीं दिखेगी भाई, अभी उसमें टाइम है." नेहा बोली।
अपनी बहन के मुँह से चूत शब्द सुनकर समर के लण्ड में और खून चढ़ गया।