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कहानी की नायिका निशा की जबानी
थोड़ा धीरे उम्म... उंगली सीधी रख के करो उम्म... चूसो ना आहह...” नीरव (मेरे पति) अपनी उंगली मेरी योनि में अंदर-बाहर कर रहे थे, मैं चरम सीमा पर थी। मैं असीम सुख में खोई हुई नीरव का हाथ पकड़कर उसे उंगली हिलाने में मदद करते हुये लंबी-लंबी सांसें लेते हुये पानी छोड़ रही हैं। नीरव समझ जाता है कि मैं झड़ चुकी हूँ।
तो वो मेरे होंठों पे किस करके साइड हो जाता है।
मेरे नार्मल होते ही नीरव पूछता है- “मजा आया?”
मैं 'हाँ' कहती हूँ।
नीरव- “हमारी शादी के 6 साल बाद भी तुम नई नवेली दुल्हन की तरह धीरे-धीरे करने को क्यों कहती हो? और ये उंगली थी इससे इतना डर?” नीरव हँसते हुये कहता है।
मैं नीरव की बात का जवाब टालकर सिर्फ मुश्कुराते हुये कहती हैं- “तुमको करना है?”
नीरव- “हाँ, यार तुम तो जानती हो की वो मेरे लिए नींद की गोली है..” कहते हुये नीरव अपना पायजामा घुटनों तक नीचे कर देता है।
मैं नीरव की तरफ होकर उसकी टी-शर्ट गले तक कर देती हूँ। मैं नीरव का लिंग पकड़कर सहलाने लगती हूँ।
नीरव- “किस करो...” नीरव कहता है।
मैं नीरव का लिंग हिलाते हुये उसके होंठों पर मेरे होंठ रख देती हूँ।
नीरव अपने एक हाथ की बाहों में मुझे जकड़ लेता है और फुसफुसाता है- “जोर से हिलाओ निशु...”
मैं जोरों से हिलाने लगती हूँ।
नीरव मेरे होंठों को जोरों से चूसने लगता है। वो जीभ निकालकर मेरे होंठों के बीच दबाता है। मैं मेरा मुँह भींच लेती हूँ। नीरव मुझे बाहों के घेरे से मुक्त करके कहता है- “निशु मेरी गर्दन को चूमो...”
मैं नीरव की गर्दन से टी-शर्ट नीचे करके उसके गले को चूमती हुई जोरों से लिंग हिलाने लगती हूँ।
नीरव जोरों से सांसें लेने लगता है। मैं मेरी हिलाने की गति और बढ़ाती हूँ और नीरव झड़ जाता है। उसके लिंग में से निकली हुई वीर्य की कुछ बूंदें मेरे हाथों पर पड़ती हैं, और कुछ नीरव के पेट पर पड़ती हैं। नीरव को किस करके मैं बेडरूम से बाहर आती हूँ, वाश-बेसिन में हाथ धोती हूँ और गार्गल करके बाथरूम में जाकर मैं वापस बेडरूम में आती हूँ। तब तक तो नीरव के खर्राटों की आवाजें चालू हो गई होती हैं। मैं मन ही मन मुश्कुराती हूँ।
की नींद की गोली लेते ही नींद आ गई और फिर मैं भी नींद की आगोश में समा जाती हूँ।
मैं निशा, एक साधारण घर की असाधारण रूप की मालकिन। शादी से पहले मेरे रूप के चर्चे हमारी समझ में इतने थे की हर कुँवारा लड़का सिर्फ मुझसे ही शादी करना चाहता था।
नीरव हमारे शहर का सबसे ज्यादा समृद्ध और नामचीन फेमिली का था और साथ में सबसे खूबसूरत लड़का, हर कुंवारी लड़की की ख्वाहश था नीरव। जब हम दोनों की शादी हुई तब न जाने कितने लड़के और लड़कियों का दिल टूटा।
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इतनी हशीन जोड़ी होने के बावजूद हमारी शादी के बाद मेरे सास-ससुर को मुझ पर हमेशा अविस्वास ही रहा। उनको हमेशा लगता था की मैं उनके पैसे मेरे माँ-बापू को भेजती हैं। उन्होंने हम दोनों को दूसरा फ्लैट दिला। दिया, जहां मैं और नीरव अलग रहते हैं।
ज्यादातर घर की चीजें वो ही भेजते हैं, बाकी के खर्चे के लिए हर महीने फिक्स अमाउंट दे देते हैं। बिजनेस तो हमारा जाइंट ही है। मेरे ससुर, जेठ और नीरव तीनों साथ ही काम करते हैं। मेरे सास-ससुर के ऐसे रवैए के । बावजूद मैं बहुत खुश हूँ। मेरी लाइफ से, पूरी संतुष्ट हूँ, क्योंकी नीरव मुझे बहुत प्यार करता है, हमेशा मेरा पूरा ख्याल रखता है।
सुबह 5:45 बजे बेल बजी। डींग-डोंग, डींग-डोंग...
मैंने उठाकर जल्दी-जल्दी नाइटी पे गाउन पहन लिया। मैं हमेशा रात को नाइटी पहनती हैं, जो स्लीवलेश और घुटनों तक की ही है। गाउन पहनकर बर्तन लेकर मैंने दरवाजा खोला। दूध वाले गोपाल चाचा थे, लगभग 55 साल के होंगे। जो बरसों से मेरे ससुराल में दूध देने आते हैं।
गोपाल चाचा- “कितना दूं?”
मैं- “एक लिटर..."
गोपाल चाचा- “छोटे साहब बिजनेस टूर पे नहीं गये क्या?” चाचा ने पूछा।
मैं- “नहीं, इसलिए तो पूरा ले रही हूँ..” मैंने जवाब दिया।
चाचा ने दूध दिया तो मैं दरवाजा बंद करके फिर से थोड़ी देर के लिए सो गई। 11:30 बजे मैं खाना बना रही। थी, टिफिन वाला कभी भी आ सकता था। बहुत ही जल्दी थी। तभी मोबाइल बज उठा, देखा तो मेरी मम्मी का फोन था, मैं बात करते-करते टिफिन भरने लगी।
मम्मी- “मैं तो अच्छी भली हूँ, पर तेरे पापा की तबीयत ठीक नहीं रहती...”
मैं- “थोड़ा खयाल रखिए पापा का..” तभी बेल बजी। मैंने मम्मी को कहा- “मैं बाद में फोन करूंगी...” कहकर फोन काट दिया।
टिफिन लेकर दरवाजा खोला, टिफिन वाले, शंकर भैया थे। शंकर उ.प्र. का भैया है। लगभग 25 साल का होगा पर देखने में 15-16 साल का हो ऐसा लगता है, सिंगल बाडी का छोटे क़द का है। वो हमारे दोनों घर से टिफिन ले जाता है। मैंने टिफिन उसके हाथ में दिया तो मुझे ऐसा लगा की टिफिन लेते वक़्त शंकर ने जानबूझ कर मेरे हाथों को छूने की कोशिश की। मैंने सोचा शायद मेरा वहम होगा।
मैं दरवाजा बंद करके खाना खाने बैठ गई। दोपहर को एक बजे मैं टीवी देख रही थी तभी रामू आया। रामू हमारी बिल्डिंग का रात का चौकीदार है और दिन में 4-5 घर में झाडू बरतन करता है। पहले ये काम उसकी बीवी करती थी, पर दो साल पहले वो भाग गई, तबसे रामू करता है। बेचारी क्या करती रामू पूरा दिन मरता रहता था। रामू की उमर तो 35 साल की होगी, पर दिखने 45 साल का लगता है। कद्दावर शरीर, काला और डरावना चेहरा, पूरा दिन मुँह में तंबाकू उसकी उमर बढ़ा देते हैं। रामू बर्तन धो रहा था, तभी मेरी नींद लग गई।
टीवी देखते-देखते मेरी आँखें भारी हो गई और मैं सो गई।
मैं दिन में घर पे पूरा दिन गाउन ही पहनती हैं। कहीं जाना होता है तो ही साड़ी या ड्रेस पहनती हूँ। अचानक ही मुझे ऐसा लगा की कोई मेरे पैर को सहला रहा है, मेरे पैर पर साँप या विच्छू चढ़ गया है ऐसा मुझे महसूस हुवा तो मैं डर जाती हूँ और चीखते हुये जाग जाती हूँ।
रामू- “क्या हुवा मेडम?” रामू हाथ में पोंछा लेकर खड़ा है और पूछता है।
मेरा पूरा बदन पशीने से तरबतर हो गया था- “कुछ नहीं ऐसे ही...” मैं जवाब देती हूँ पर मन ही मन सोचती हूँ। की आज के बाद अकेली रामू की हाजरी में नहीं सोऊँगी।
3:00 बजे मैंने मम्मी को फोन लगाया, और कहा- “वो टिफिन वाला आ गया था ना इसलिए...”
मम्मी- “कोई बात नहीं बेटा..”
मैं- “पापा की तबीयत का खयाल रखना...”
मम्मी- “खयाल तो रखते हैं बेटा, पर हाथ तंग होने की वजह से दवाई बराबर नहीं होती...”
मैं- “दीदी मिली थी?”
मम्मी- “दस दिन पहले मिली थी बेटा, पर बहुत थक गई है। मालूम नहीं बेटा तेरी शादी में क्या हुवा था तब से तेरे जीजू घर पे नहीं आते, ना तो मनीषा (मेरी दीदी) को आने देते हैं। भगवान जाने क्या हुवा तेरे जीजू को? उसके पहले तो बहुत ध्यान रखते थे हमारा...”
मैं- “छोड़ो ना मम्मी पुरानी बातें, चलो मैं रखती हूँ..” कहकर मैंने फोन काट दिया। फोन रखकर मैं अतीत की यादों में खो गई।
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मुझे मेरी शादी का दिन याद आ गया। उस वक़्त याद आ गया जब जीजू मुझे अकेली देखकर रूम में आ गये थे। जीजू और दीदी की भी जोड़ी कोई कम नहीं थी, जितनी दीदी खूबसूरत हैं उतने ही जीजू भी खूबसूरत। दोनों रति और कामदेव की जोड़ी लगते हैं। जीजू ने मुझे बाहों में जकड़ लिया और पलंग पे धकेलकर मुझ पर चढ़ बैठे।
मैं छटपटाते हुये बोली- “ये क्या कर रहे हैं?”
जीजू मस्ती में बोले- “रात को तो तेरी सील खुलने ही वाली है, तो मैं दिन में खोल दें तो क्या हर्ज है?”
मैंने जीजू को कभी ऐसी बात करते नहीं देखा था। मैं चिल्लाई- “जीजू छोड़ो...”
जीजू और मस्ती में बोले- “दोनों बहनें एक ही आदमी से सील खुलवावोगी तो अच्छा रहेगा...” कहकर जीजू ने ऊपर से मेरे उरोजों को मसला और मेरे होंठों को चूसने लगे।
मुझमें भी थोड़ा जोश आ गया, दिलो-दिमाग में मस्ती छाने लगी। पर तुरंत दीदी का खयाल आते ही जोश और मस्ती हवा हो गई, और जीजू को धक्का देकर चिल्लाई- “जाओ यहां से, नहीं तो सब को इकट्ठा करूंगी. जीजू हो इसलिए नहीं...”
जीजू- “नहीं तो क्या करती? तेरे पे कब से मेरी नजर है, आज तो तुझे चोदकर ही रहूँगा..." जीजू भी तैश में आ गये थे। जीजू ने फिर से मुझे बाहों में लेने की कोशिश की।
मेरा हाथ उठ गया, और मैंने जीजू के गालों पर थप्पड़ दे दिया।
जीजू बहुत गुस्सा हो गये- “जब तू सामने से आकर कहेगी और गिड़गिड़ाएगी ना की चोदो जीजू चोदो... तब चोदूंगा और तब तक ना मैं इस घर में आऊँगा ना मनीषा को आने दूंगा...” इतना कहकर जीजू तुरन्त बाहर निकलकर दीदी को लेकर घर छोड़कर चले गये।
उस दिन से आज तक जीजू ना तो खुद घर पे आए, ना दीदी को आने दिया। और मैंने भी आज तक ये बात किसी को नहीं बताई।
शाम को रसोई में नींबू की जरूरत पड़ी, जो घर में नहीं था। मैं मेरे ही फ्लोर पर रहनेवाले मिस्टर आंड मिसेज़ गुप्ता के घर पे गई। उनकी उमर होगी तकरीबन 60 साल के ऊपर की, क्योंकी अंकल (मिस्टर गुप्ता) बैंक से रिटायर हो चुके हैं। उनका बेटा अमेरिका में है। यहां वो दोनों अकेले रहते हैं। अंकल का कद छोटा और तोंद ज्यादा बाहर निकली हुई है। पर आंटी ने अभी तक अपना फिगर बनाए रखा है। मुझे हमेशा लगता है की अंकल की नजर हमेशा मुझे घूरती ही रहती है, और मुझसे बात करने का कोई चान्स वो छोड़ते नहीं हैं।
मेरे अंदर जाते ही अंकल ने पूछा- “बहुत दिनों बाद दिखाई दी, कहां रहती हो पूरा दिन?”