Adultery Chudasi (चुदासी )

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rajsharma
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Re: Chudasi (चुदासी )

Post by rajsharma »

बहुत ही शानदार अपडेट है दोस्त

😠 😱 😘

😡 😡 😡 😡 😡 😡
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
josef
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Re: Chudasi (चुदासी )

Post by josef »

बढ़िया मस्त अपडेट है दोस्त
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा


(^@@^-1rs2) 😘 😓 😱
cool_moon
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Re: Chudasi (चुदासी )

Post by cool_moon »

बहुत ही बढ़िया अपडेट..
adeswal
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Re: Chudasi (चुदासी )

Post by adeswal »

मेरी टाँगें उनकी कमर पे थी और अंकल जब भी लण्ड को चूत के अंदर डालते थे तब मैं टांगों को कमर पे सख्ती से भींच देती थी और वो अंदर से बाहर खींचते थे तब मैं मेरी गिरफ्त को खोल देती थी। अंकल ने दोनों हाथों से बैठक को पकड़ा हुवा था, मेरी गाण्ड को मैंने सरका के बैठक के आगे की हुई थी। अंकल चोदते हुये। झुक के मेरी गर्दन को फिर से चूमने, चाटने लगे थे।

मेरे और अंकल के मुँह से सिसकारियां गूंजने लगी थीं। तभी मुझे शरारत सूझी और मैंने मेरा हाथ नीचे किया और जैसे ही अंकल का लण्ड बाहर आया तो मैंने उसे पकड़ लिया तो अंकल रुक गये।

तब मैंने मादक आवाज में कहा- “चोदो ना अंकल...”

मेरे बोलते ही अंकल के लण्ड ने झटका मारा और ज्यादा सख्त हो गया। मैंने लण्ड छोड़ दिया और अंकल ने फिर से चुदाई चालू कर दी।

मुझे ज्यादा मजा आने लगा, मैंने अंकल का शर्ट ऊपर किया और उनकी पीठ सहलाने लगी और बोलने लगी

चोदो अंकल, जोर से चोदो...” बोलते हुये मेरी सांसें भारी होने लगी थी।

अंकल- “वाह बिटिया वाह... तुम तो बहुत काबिल बन गई चुदवाने में...” कहते हुये अंकल ने और स्पीड बढ़ाई।

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अंकल की भी आवाज मेरी तरह ही हो गई थी और मैं अंकल को उकसा रही थी अलग-अलग तरीकों से। धीरेधीरे मुझे मेरी मंजिल करीब दिखने लगी थी। अंकल की भारी सांसों की आवाज से लग रहा था शायद वो भी मेरी तरह मंजिल के करीब हैं। अंकल ने गर्दन चूमना बंद किया और अपना सिर ऊपर करके मेरे होंठों को उनके होंठों से चूसना चालू किया। अंकल मेरे ऊपर के होंठ चूस रहे थे और मैं उनके नीचे के होंठ चूस रही थी। आज अंकल जवान हो गये थे, और वो अपनी रफ़्तार बढ़ाते ही जा रहे थे।

थोड़ी देर ऐसे ही हम दोनों चुदाई करते-करते एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे, 3-4 मिनट निकल गये और मुझे लगा की मैं सातवें आसमान पर उड़ रही हूँ। मैं झड़ गई और मेरे साथ-साथ अंकल भी झड़ गये। झड़ते वक़्त अंकल ने अपनी जीभ बाहर निकाली, जो मैंने मेरे दोनों होंठों के बीच ले ली और उसे चूसने लगी। आज भी अंकल ने बहुत कम वीर्य मेरी चूत में छोड़ा।

झड़ने के आधे मिनट बाद अंकल तुरंत खड़े हो गये और बोले- “जल्दी करो निशा रानी, हमारे कपड़े पहनने के बाद हमें आंटी को भी तैयार करना पड़ेगा..."

अंकल की बात सुनकर मैं भी फटाफट खड़ी हो गई, और मेरे कपड़े और बालों को ठीक करने लगी।


फिर मैंने और अंकल ने आंटी के कपड़े बदले और रूम का दरवाजा खोल दिया। बाहर नीरव नहीं था। थोड़ी देर बाद नीरव और वो भाई दोनों एक साथ रूम में आए।

नीरव ने आकर अंकल को कहा- “हम निकलते हैं अंकल..” इतना कहकर नीरव ने मेरी तरफ देखकर कहा- “चलो निशा, निकलते हैं..."

मैंने सिर हिलाते हुये निकलने का इशारा किया और रूम के बाहर निकल गई, और मेरे पीछे नीरव भी बाहर निकल आया।

पीछे से अंकल की आवाज आई- “बिटिया हर रोज आया कर, हम आंटी के कपड़े बदलते रहेंगे...”
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