Adultery Chudasi (चुदासी )

Post Reply
adeswal
Pro Member
Posts: 3173
Joined: 18 Aug 2018 21:39

Re: Adultery Chudasi (चुदासी )

Post by adeswal »

जावेद- “मैं पहले से तुम्हें मिलता तो तुम मुझ पर यकीन नहीं करती...”

उसकी बात तो सही थी। मैं उसे मिले बिना भी उसपर शक तो कर रही थी। तभी बाहर से एक स्कूल ड्रेस में एक पाँच साल का लड़का आया और जावेद को ‘पापा, पापा' कहकर उसकी गोद में बैठ गया। मैंने उसके बालों को सहलाते हुये जावेद से पूछा- “इसकी अम्मी नहीं दिखाई दे रही...”

मेरी बात सुनकर जावेद कुछ पल मेरे सामने देखता रहा और फिर बोला- “नगमा इसे जनम देते वक़्त अल्लाह को प्यारी हो गई...”

कुछ ही पल में जावेद का बेटा मुझसे घुल-मिल गया। मैंने आंटी का दिया हुवा शरबत पीते हुये उसका नाम पूछा- “बेटे तुम्हारा नाम क्या है?”

आदिल- “आंटी, आप मेरे पापा की क्या लगती हो?"

उसके सवाल से मैं सोच में डूब गई की क्या जवाब दें? मुझे कालेज के वो दिनों की याद आ गई, जब जावेद ने। मुझसे दोस्ती करने को कहा था- “हम आपके पापा की दोस्त हैं बेटा...”

आदिल- “बेस्ट फ्रेंड..”

मैं- “हाँ बेटा, हम आपके पापा के बेस्ट फ्रेंड हैं."

आदिल- “तो फिर आप मेरी भी फ्रेंड हुई ना?” उसका एक और सवाल।

मैं- “हाँ बेटा...” मैंने जवाब दिया।

आदिल- “तो फिर आप मेरे साथ मेरे रूम में चलिए, वहां मैं आपको खिलौने दिखाता हूँ..” आदिल ने मेरा हाथ खींचते हुये कहा।

मैं थोड़ा शर्मा रही थी पर उसका मन रखने के लिए उसके कमरे में गई। थोड़ी देर बाद जब आदिल अपने खिलौनों से खेलने में मशगूल हो गया तो मैं उसके कमरे से बाहर निकलने गई तो मेरे कानों में आंटी कीआवाज टकराई- “बेटा, ये वोही निशा है ना, जिसकी याद में तुम शादी नहीं करना चाहते थे?”

जावेद ने मेरी पहचान उन्हें दी थी तब क्यों उनकी आँखें चमक उठी थी वो मैं अब समझी।

जावेद- “हाँ... अम्मी ये वोही है...” जावेद की आवाज आई।

“बेटा, तूने उसे सारी बातें बताई लेकिन ये नहीं बताया की तू उसे कितना प्यार करता था...”

जावेद- “अम्मी, मैं उसे आज भी उतना ही प्यार करता हूँ। मैंने नगमा से शादी भी अम्मी तुम्हारा दिल रखने के लिए ही की थी और शायद उसी वजह से नगमा मुझे छोड़कर खुदा के पास चली गई...”

लेकिन बेटे तुम्हें खुदा ने मोका दिया था अपने दिल का हाल बताने का...”

जावेद- “अम्मी, एक बार तो मैंने उसके आगे अपने प्यार का झूठा इजहार किया था। अब दूसरी बार करता तो वो मुझ पर विस्वास नहीं करती और अम्मी मुझे उसके प्यार का अहसास तब हुवा, जब वो मुझसे दूर हुई और अब तो वो शादीशुदा है, वैसे में उससे ऐसी बात करना मुझे अच्छा नहीं लगा...”

जावेद की बात अभी पूरी नहीं हुई थी लेकिन मैं जहां खड़ी थी वहां ज्यादा देर तक छुप के रहेना मुश्किल था तो मैंने उनका ध्यान खींचने के लिए आदिल को कहा- “बाइ बेटे...”

मेरी आवाज सुनकर वो दोनों चुप हो गये।

आदिल- “बाइ, आंटी..” आदिल ने अंदर से कहा।

मैंने बाहर आकर जावेद से कहा- “मुझे देरी हो रही है, थोड़ी जल्दी करो...”

पोलिस कमिश्नर से मिलकर मुझे ऐसा लगा की उन्होंने मुझे सिर्फ फारमेलिटीस पूरी करने के लिए ही बुलाया है। क्योंकि उन्होंने मुझसे तीन-चार सवाल करके जाने को कहा।
adeswal
Pro Member
Posts: 3173
Joined: 18 Aug 2018 21:39

Re: Adultery Chudasi (चुदासी )

Post by adeswal »

वहां से निकलकर मैं दीदी के घर गई। वहां जीजू के बड़े भैया (अजय) और भाभी (पूनम) मिले। अजय भैया से मैं दीदी की शादी के बाद पहली बार मिल रही थी, क्योंकि जीजू जब हमारे घर नहीं आते थे तब उनके रिश्तेदार भी हमें नहीं मिलते थे।

शाम के छ बजे राजकोट के लिए मेरी बस थी इसलिए मैं दीदी के यहां ज्यादा देर नहीं रुकी और घर जाकर थोड़ा नाश्ता करके पापा के साथ स्टेशन जाने के लिए निकली। लिफ्ट से बाहर निकलते ही मुझे खुशबू मिली, उसके चेहरे की लाली और पेट के उभार से मुझे वो प्रेगनेंट है ऐसा लगा, तो मैंने उससे पूछा तो उसने 'हाँ' कहा फिर मैंने उससे प्रेम का हाल पूछा और वहां से निकल गई।

रत को 9:00 बजे मैं राजकोट पहुँच गई। नीरव स्टेशन पर आया था मुझे लेने के लिए और फिर रात के दो बजे तक नीरव ने मुझे सोने नहीं दिया। लेकिन अंत में उसके ‘टाई टाई फिस्स' से मेरा मूड आफ हो गया। उसके बाद पंद्रह दिन निकल गये। मेरी जिंदगी फिर से सामान्य होने लगी थी। उस बीच तीन-चार बार मैंने नीरव से रिपोर्ट के बारे में बात की, लेकिन वो हमेशा की तरह बात को टाल देता था। खुशबू को पेट से देखा तब से मेरे दिल की चाह और बढ़ गई थी, लेकिन मेरी किश्मत मुझे इसमें साथ नहीं दे रही थी।

दो दिन बाद रात के दो बजे नीरव का मोबाइल बजा और उसके बाद मैंने फिर से एक ऐसा काम किया जो मुझे नहीं करना चाहिए था।

वो फोन वीरंग भैया का था, उन्होंने बताया- “पापा (मेरे ससुर) को हार्ट-अटैक आया है और उन्हें हास्पिटल ले जा रहे हैं...”

मैं और नीरव तुरंत हास्पिटल पहुँचे, वहां बाहर लाबी में मेरी सास और जेठानी पहले से ही मौजूद थे। हमने मेरी सास से वीरंग भैया के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया की वो अंदर आई.सी.यू. में पापा के पास बैठे हुये हैं, जो सुनकर नीरव भी अंदर गया और मैं उनके पास बैठ गई।
फिर मैंने डाक्टर ने क्या कहा ये पूछा तो भाभी ने कहा- “पापा को भारी अटैक आया है, जल्द ही आपरेशन करने
की जरूरत है लेकिन डायबिटीस 400 के ऊपर है, वो जब तक नार्मल नहीं होगा तब तक आपरेशन नहीं हो पाएगा ऐसा डाक्टर का कहना है..."

मैं- “कब तक नार्मल हो जाएगा?"

“डाक्टर ने डायबिटीस के इंजेक्सन और मेडिसिन चालू कर दी है, दो-तीन दिन में डायबिटीस कंट्रोल में आ जाएगा ऐसा उनका कहना है...”

भाभी से बात करके मैं भी रूम में गई, वहां अंदर वीरंग भैया और नीरव डाक्टर से बातें कर रहे थे। मैं मेरे ससुर को हाल पूछकर वापस बाहर आ गई। उनकी हालत बहुत ही दयनीय थी, उनके मुँह से आवाज भी नहीं निकल रही थी। सुबह मैं और नीरव मेरी सास को लेकर घर गये और वहां हम फ्रेश होकर वापस हास्पिटल आए। उसके बाद वीरंग भैया और भाभी घर गये, वो लोग दोपहर का खाना खाकर आए और हमारे लिए टिफिन लेकर आए।


उसके बाद हम घर गये और शाम को उनके लिए टिफिन लेकर आए। रात को मैं और मेरी जेठानी घर गईं और दोनों भाई और मेरी सास वहीं पर सो गये।
adeswal
Pro Member
Posts: 3173
Joined: 18 Aug 2018 21:39

Re: Adultery Chudasi (चुदासी )

Post by adeswal »

भाभी से बात करके मैं भी रूम में गई, वहां अंदर वीरंग भैया और नीरव डाक्टर से बातें कर रहे थे। मैं मेरे ससुर को हाल पूछकर वापस बाहर आ गई। उनकी हालत बहुत ही दयनीय थी, उनके मुँह से आवाज भी नहीं निकल रही थी। सुबह मैं और नीरव मेरी सास को लेकर घर गये और वहां हम फ्रेश होकर वापस हास्पिटल आए। उसके बाद वीरंग भैया और भाभी घर गये, वो लोग दोपहर का खाना खाकर आए और हमारे लिए टिफिन लेकर आए।


उसके बाद हम घर गये और शाम को उनके लिए टिफिन लेकर आए। रात को मैं और मेरी जेठानी घर गईं और दोनों भाई और मेरी सास वहीं पर सो गये।

दो दिन निकल गये लेकिन ना तो डायबिटीस कम हो रहा था, ना मेरे ससुर की तबीयत में कोई सुधार आ रहा था। हम सभी एक घर (हम लोग उनके साथ रहने गये थे) में रहने लगे थे। मेरी सास की तबीयत भी ठीक नहीं रह रही थी, जिस वजह से वो हास्पिटल नहीं जा रही थी।

तीसरे दिन दोपहर को मैं और नीरव हास्पिटल में बैठे थे। तभी नीरव को क्लाइंट का फोन आया और जरूरीआफिस आने को कहा। जाना जरूरी था इसलिए नीरव मुझे पापा का ध्यान रखने को कहकर निकल गया। दसपंद्रह मिनट बाद मेरे ससुर ने मुझे बताया की उन्हें लेट्रिन जाना है। मैं जल्दी से बाहर गई और वाईवाय को। बुलाकर लाई।

वाईवाय मेरे ससुर को बाथरूम ले जाने के लिए धीरे-धीरे करके एक तरफ के हाथ को पकड़कर पलंग पर से नीचे उतार रहा था, तभी उसका बैलेन्स नहीं रहा और मेरे ससुर पलंग पर से नीचे की तरफ झुक गये। वाईवाय डर गया और मैं जल्दी से वहां गई और मैंने मेरे ससुर को दूसरी तरफ से पकड़ लिया और मेरे ससुर गिरते-गिरते बच गये। लेकिन ये सब करते हुये मेरी साड़ी का पल्लू मेरे ब्लाउज पर से हटकर नीचे सरक गया और मेरी
आधी नंगी चूचियां दिखने लगीं, जिसे वाईवाय घूरने लगा। और कोई वक़्त होता तो मैं अपने ससुर का हाथ छोड़ देती। लेकिन मेरे पास और कोई चारा नहीं था तो मैंने उसे नजर अंदाज किया और मेरे ससुर को बाथरूम तक छोड़कर मैं अपनी साड़ी ठीक करने लगी।


उसके बाद और दो दिन निकल गये। लेकिन मेरे ससुर की तबीयत में कोई खास सुधार नहीं दिख रहा था। दोपहर से पहले मैं और नीरव हास्पिटल जाते थे, और दोपहर के बाद भैया और भाभी रहते थे।


नीरव जब भी मुझे अकेला हास्पिटल छोड़ जाता था, तब वो वाईवाय बिना वजह एक दो चक्कर लगा जाता था। मैं उसके मुँह नहीं लगती थी, फिर भी वो आकर अपनी बक-बक से मेरा सिर दुखा जाता था। बातों ही बातों में उसने मुझे बताया की वो मराठी है। मेरे साथ बात करना उसके लिए एक बहाना था, बात करते वक़्त उसकी नजर हमेशा मेरे बदन के उस हिस्से पर टिकी रहती थी जो उसने आकस्मात से देख ली थी।


चौथे दिन रात को मेरे ससुर की तबीयत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई (सुबह तक फिर से पहले की तरह सामान्य हो गई), पूरी रात हम सब हास्पिटल में बैठे रहे। सुबह सभी बहुत थके हुये थे इसलिए नीरव अकेला हास्पिटल में रहा और हम सभी घर आए।


घर आकर वीरंग भैया सो गये और हम सब फ्रेश होकर रसोई करने में व्यस्त हो गये। दस बजे मेरी सास मंदिर गई, उसके थोड़ी देर बाद भाभी भैया को जगाने के लिए गईं। मैं जो भी काम रह गया था वो निपटाने में लग गई। तभी मेरी सास मंदिर से वापस आई।


सास ने आते ही कहा- “मैं मंदिर से डोरा (धागा) लाई हूँ, वो तुम पूजा (मेरी जेठानी) को दे आओ और कहना की हास्पिटल जाते ही महा मृत्युंजय का पाठ करते हुये पापा की कलाई पे बाँध देना...”

मैं- “ये अच्छा किया, मम्मी जो आप ले आई, भाभी बाहर आएंगी तब दे देंगी...” मैंने डोरा उनके हाथ से लेते हुये कहा।

सास- “नहीं अभी देकर आओ फिर कहीं भूल गये तो? आज का दिन शुभ है, पूजा को कहना अभी ही उसके पर्स में रख दे...” मेरी सास उनके रूम में जाते हुये बोली।

मैं- “ठीक है...” कहती हुई मैं भैया और भाभी के रूम की तरफ गई। उनका कमरा ऊपर की तरफ था (फ्लैट इयूप्लेक्स है) मैं सीढ़ियां चढ़कर जैसे ही भाभी को आवाज लगाने गई तभी उनकी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी।

भाभी- “आज तो आ जाएगी ना वसीयत?”

वसीयत की बात सुनकर मैं वही पर रुक गई और उनकी बात ध्यान से सुनने लगी।
adeswal
Pro Member
Posts: 3173
Joined: 18 Aug 2018 21:39

Re: Adultery Chudasi (चुदासी )

Post by adeswal »

वीरंग- “हाँ... कहा तो है...” भैया ने कहा।

भाभी- “मतलब की आज भी फिक्स नहीं है, कितने दिन हो गये वसीयत बनाने में?” भाभी ने कहा।

वीरंग- “काम तो दो दिन पहले ही शुरू किया है...”

भाभी- “मैं एक महीने से आपको कह रही हूँ की पापा से मैं किसी भी तरह साइन करवा देंगी, लेकिन आप हैं। की..” भाभी गुस्से में थी फिर भी दबी आवाज में बोल रही थी।

वीरंग- “कोई ऐरा-गैरा तो नहीं बना देगा ना? अपनी पहचान वाला होना चाहिए। बाद में किसी को बता दे या हमें ब्लैकमेल करे तो ये सोचकर मैंने अपने दोस्त से वसीयत बनाने की सोची और वो फारेन में था, दो दिन पहले। ही इंडिया में आया, आते ही पहला काम हमारा हाथ में लिया है...”

भाभी- “लेकिन उसके पहले पापा को कछ हो गया तो?"

वीरंग- “देख तू जितना सोचती है उतना आसान नहीं है ये, इसमें दो गवाह की साइन भी लेनी पड़ती है और रजिस्ट्री भी करवाना पड़ता है। इसलिए मैंने मेरे दोस्त को काम दिया है उसकी पहुँच ऊपर तक है...”

भाभी- “वो पुरानी वसीयत जिसमें नीरव भी हिस्सेदर है, वो रेजिस्टर्ड हैं क्या?” हमारा जिकर आते ही मैं और चौंकन्नी हो गई।

वीरंग- “अरे यार, वो रजिस्टर्ड नहीं होती तो क्या टेन्शन था? उसका हिस्सा लेने के लिए तो हमने ये सब किया है, लेकिन तू पापा को जल्दी लपेट न सकी...”

भैया की बात सुनकर मैं चौंक गई- “क्या भाभी और मेरे ससुर? नहीं इसका और कोई मतलब होता होगा...” मैंने सोचा।


भाभी- “तुमने जो कहा वो सब मैंने किया। मेरी एक भी ना ना तूने सुनी थी? मैं अपनी मर्जी से तुम्हारे पापा के साथ सोती नहीं थी, तुम्हारे कहने पर मैंने ये किया था। फिर भी तुम मेरी गलती निकाल रहे हो...” बोलते हुये भाभी की आवाज भारी हो गई थी और मेरा दिमाग।

वीरंग- “चल अब चुप कर, मैं फोन करके पूछता हूँ वसीयत बन गई है की नहीं?” कहकर भैया चुप हो गये और कुछ सेकेंड बाद उनकी आवाज फिर से सुनाई दी- “बन गई, ओके मैं आधे घंटे में ले जाता हूँ...”

भाभी- “बन गई...” भाभी की आवाज सुनाई दी, शायद भैया ने फोन रख दिया होगा।

वीरंग- “हाँ... जानेमन अब जल्दी कर, आज ही खतम कर देते हैं हम अपना काम..” भैया ने कहा।

और मैं सोच में पड़ गई की अब क्या होगा? वसीयत में पापा की साइन हो गई तो हमारा क्या होगा? ऐसे भी नीरव की कोई अहमियत नहीं है इस घर में, साइन हो गई तो भैया और भाभी तो हमें घर से भी निकाल देंगे। मैं जल्दी से वापस किचन के पास आ गई, मैं किसी भी तरह भैया और भाभी को हास्पिटल जाने से रोकना चाहती थी। लेकिन मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या करूं?

तभी मेरे दिमाग में एक बात आई। मैं किचन के पास वहीं नीचे बैठ गई। थोड़ी देर बाद मेरी सास कमरे से बाहर आई तो मैंने उन्हें झूठ कहा- “मेरा मासिक (पीरियड) आ गया है...”

मासिक में हमारे यहां मंदिर और किचन में नहीं जाते। मेरी बात सुनकर मेरी सास ने पूछा- “वो डोरा?”

मैंने मेरे हाथ की मुट्ठी खोलकर उन्हें डोरा दिखाया।

सास- "हे भगवान्... अब तो ये काम नहीं आएगा... नहीं तो पूजा को भेज देते डोरा बाँधने के लिए...” ।

हम बात ही कर रहे थे तभी भाभी ऊपर से आई, और पूछा- क्या हुवा?

सास- “निशा का मासिक आ गया, अब रसोई की पूरी जिमेदारी तुझ पर आ गई है। एक काम करो मुझे और निशा को खाना दे दो..” मेरी सास ने कहा।

भाभी- “देती हूँ..” कहते हुये भाभी दो थाली लेकर आई।

हम खाना खा ही रहे थे कि वीरंग भैया आए. “जल्दी करो पूजा हमें हास्पिटल जाना है...”

सास- “हास्पिटल पूजा नहीं निशा जाएगी...” मेरी सास ने कहा।

वीरंग- “क्यों?” भैया ने पूछा।

सास- “पूजा हास्पिटल जाएगी तो रसोई कौन बनाएगा? निशा मासिक में है...” मेरी सास ने कहा।


मैंने भैया की तरफ देखा। उनका मुँह लटक गया था।

वीरंग- “ऐसा करो ना मम्मी, हम थोड़ी देर के लिये चले जाते हैं बाद में निशा को भेजना, वो बोर हो जाएगी अकेली...”

सास- “निशा अकेली नहीं जाने वाली, तुम जाओगे उसके साथ। अब दो दिन तक निशा ही वहां रहेगी और तुम दोनों भाई बारी-बारी..” मेरी सास ने अपना हुकुम सुना दिया।

थोड़ी देर बाद मैं और भैया हास्पिटल जाने के लिए निकले, रास्ते में भैया ने फोन भी किया- “मैं बाद में ले जाऊँगा..."

मैं समझ गई थी की वो किस चीज की बात कर रहे हैं।
* *
* * *
*
* * *
Post Reply