Adultery Chudasi (चुदासी )
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Re: Adultery Chudasi (चुदासी )
बहुत मस्त स्टोरी है भाई लाजवाब
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Re: Adultery Chudasi (चुदासी )
मैं- “मैंने तुम्हारा लण्ड खड़ा किया था, मैंने तुम्हें गरम किया था। तू मुझे गरम करके दिखा?” मैंने कहा।
मेरी बात सुनकर अब्दुल मेरे सामने देखता रहा और फिर बोला- “चलो ये भी करते हैं...
”
वैसे मैं अब यहां से निकलना चाहती थी, लेकिन जब तक खुशबू का फोन ना आए तब तक निकलना नहीं चाहती थी।
अब्दुल मेरे पैरों के पास जाकर झुक गया और दोनों पैरों की एक-एक उंगलियों को बारी-बारी चूसने लगा। फिर दूसरी, तीसरी, चौथी और बाद में अंगूठे को भी चूसा, फिर पैरों के पंजों को और फिर उंगली से धीरे-धीरे करके घुटने तक जबान से चाटता हुवा ऊपर आया और फिर दूसरे पैर पर भी वही किया। थोड़ी देर पहले मुझे कुतिया कहने वाला इस वक़्त कुत्ता बनकर मेरे तलवे चाट रहा था।
फिर अब्दुल मेरी जांघों को चाटने लगा और एक ठंडी सी आह निकली मेरे मुँह से, और जब अब्दुल चूत तक पहुँचा तब तक वो ठंडी आह्ह मादक सिसकारियां बन गई। तभी मेरा मोबाइल बजा, मेरा पर्स मेरे पास में ही पड़ा था तो मैंने पर्स खोलकर मोबाइल निकाला। खुशबू का ही फोन था।
मैं- “हेलो...”
खुशबू- “दीदी, मैं खुशबू..”
खुशबू की आवाज सुनते ही मेरा दिल धड़कने लगा की कहीं अब्दुल को मालूम पड़ जाए की मैं किससे बात कर रही हूँ तो वो मुझे मार ही डाले। मैंने उसके ऊपर नजर डाली तो वो मेरी चूत चाटने में मसगूल था।
मैं- “जल्दी बोल, क्या हुवा?”
खुशबू- “मैं नाडियाद पहुँच गई दीदी, एक घंटे पहले निकली...”
मैं- “ओके, मैं बाद में फोन करती हूँ...” कहकर मैंने मोबाइल पर्स में डालते हुये उसमें समय देखा तो छ बजकर पचास मिनट हुई थी।
अब्दुल- “किसका फोन था? तेरी माँ का?” अब्दुल ने ऊपर देखे बिना ही पूछा। वो मेरी चूत को ध्यान से देख रहा था।
मैं- “मेरी नहीं, तेरी माँ का फोन था...” मैंने कहा जो बिल्कुल भी झूठ नहीं था, क्योंकि बेटियां बड़ी होने के बाद बाप का खयाल माँ की तरह ही रखती हैं।
अब्दुल- “गुस्सा बहुत जल्दी आता है रानी को, बहुत ही कड़क चीज है तू..."
अब्दुल ने मेरे ज़ी-स्पाट को ढूँढ़। निकाला था, उसे छेड़ते हुये कहा।
मैं- “कड़क चीज नहीं, कड़क औरत...” मैंने उसके बालों को खींचते हुये कहा।
मेरा मकसद पूरा हो चुका था, खुशबू और पप्पू निकल चुके थे और साथ में मेरे बदन की गर्मी भी ठंडी पड़ चुकी थी। लेकिन मैंने अभी-अभी ही अब्दुल को मुझे गरम करने को कहा था, उसे अब कैसे रोकें वो मुझे समझ में नहीं आ रहा था। खुशबू का फोन आया उसके बाद मैं खुश होने की बजाय टेन्शन में आ गई थी। अब्दुल को । मालूम पड़ेगा की खुशबू को भागने (मोबाइल की डीटेल से पता चल सकता है) में मेरा हाथ है तो वो जो हंगामा करेगा उसके बारे सोचकर मुझे डर लग रहा था।
तभी मेरे दिमाग में एक बात आई की मैं खुद ही अब्दुल को ये सब अभी बता देती हूँ, फिर जो होगा वो देखा जाएगा। मैंने अब्दुल की तरफ देखा तो मैंने महसूस किया की वो मेरा ज़ी-स्पाट चूस रहा है। कोई और वक़्त । होता तो मैं कब की पिघल गई होती। लेकिन टेन्शन और दो बार झड़ने की वजह से मैं अभी तक गरम भी नहीं हुई थी।
मैं- “अब्दुल...”
अब्दुल- “हाँ...”
मैं- “एक बात कहनी थी तुम्हें...”
अब्दुल- “कह देना, पहले तुम मुझे एक बात का जवाब दे?” अब्दुल ने मेरे ज़ी-स्पाट को उसके दोनों होंठों के बीच दबाकर चूसा।
तब मेरे मुँह से आह निकल गई- “उंहह... पूछ?”
मेरी बात सुनकर अब्दुल मेरे सामने देखता रहा और फिर बोला- “चलो ये भी करते हैं...
”
वैसे मैं अब यहां से निकलना चाहती थी, लेकिन जब तक खुशबू का फोन ना आए तब तक निकलना नहीं चाहती थी।
अब्दुल मेरे पैरों के पास जाकर झुक गया और दोनों पैरों की एक-एक उंगलियों को बारी-बारी चूसने लगा। फिर दूसरी, तीसरी, चौथी और बाद में अंगूठे को भी चूसा, फिर पैरों के पंजों को और फिर उंगली से धीरे-धीरे करके घुटने तक जबान से चाटता हुवा ऊपर आया और फिर दूसरे पैर पर भी वही किया। थोड़ी देर पहले मुझे कुतिया कहने वाला इस वक़्त कुत्ता बनकर मेरे तलवे चाट रहा था।
फिर अब्दुल मेरी जांघों को चाटने लगा और एक ठंडी सी आह निकली मेरे मुँह से, और जब अब्दुल चूत तक पहुँचा तब तक वो ठंडी आह्ह मादक सिसकारियां बन गई। तभी मेरा मोबाइल बजा, मेरा पर्स मेरे पास में ही पड़ा था तो मैंने पर्स खोलकर मोबाइल निकाला। खुशबू का ही फोन था।
मैं- “हेलो...”
खुशबू- “दीदी, मैं खुशबू..”
खुशबू की आवाज सुनते ही मेरा दिल धड़कने लगा की कहीं अब्दुल को मालूम पड़ जाए की मैं किससे बात कर रही हूँ तो वो मुझे मार ही डाले। मैंने उसके ऊपर नजर डाली तो वो मेरी चूत चाटने में मसगूल था।
मैं- “जल्दी बोल, क्या हुवा?”
खुशबू- “मैं नाडियाद पहुँच गई दीदी, एक घंटे पहले निकली...”
मैं- “ओके, मैं बाद में फोन करती हूँ...” कहकर मैंने मोबाइल पर्स में डालते हुये उसमें समय देखा तो छ बजकर पचास मिनट हुई थी।
अब्दुल- “किसका फोन था? तेरी माँ का?” अब्दुल ने ऊपर देखे बिना ही पूछा। वो मेरी चूत को ध्यान से देख रहा था।
मैं- “मेरी नहीं, तेरी माँ का फोन था...” मैंने कहा जो बिल्कुल भी झूठ नहीं था, क्योंकि बेटियां बड़ी होने के बाद बाप का खयाल माँ की तरह ही रखती हैं।
अब्दुल- “गुस्सा बहुत जल्दी आता है रानी को, बहुत ही कड़क चीज है तू..."
अब्दुल ने मेरे ज़ी-स्पाट को ढूँढ़। निकाला था, उसे छेड़ते हुये कहा।
मैं- “कड़क चीज नहीं, कड़क औरत...” मैंने उसके बालों को खींचते हुये कहा।
मेरा मकसद पूरा हो चुका था, खुशबू और पप्पू निकल चुके थे और साथ में मेरे बदन की गर्मी भी ठंडी पड़ चुकी थी। लेकिन मैंने अभी-अभी ही अब्दुल को मुझे गरम करने को कहा था, उसे अब कैसे रोकें वो मुझे समझ में नहीं आ रहा था। खुशबू का फोन आया उसके बाद मैं खुश होने की बजाय टेन्शन में आ गई थी। अब्दुल को । मालूम पड़ेगा की खुशबू को भागने (मोबाइल की डीटेल से पता चल सकता है) में मेरा हाथ है तो वो जो हंगामा करेगा उसके बारे सोचकर मुझे डर लग रहा था।
तभी मेरे दिमाग में एक बात आई की मैं खुद ही अब्दुल को ये सब अभी बता देती हूँ, फिर जो होगा वो देखा जाएगा। मैंने अब्दुल की तरफ देखा तो मैंने महसूस किया की वो मेरा ज़ी-स्पाट चूस रहा है। कोई और वक़्त । होता तो मैं कब की पिघल गई होती। लेकिन टेन्शन और दो बार झड़ने की वजह से मैं अभी तक गरम भी नहीं हुई थी।
मैं- “अब्दुल...”
अब्दुल- “हाँ...”
मैं- “एक बात कहनी थी तुम्हें...”
अब्दुल- “कह देना, पहले तुम मुझे एक बात का जवाब दे?” अब्दुल ने मेरे ज़ी-स्पाट को उसके दोनों होंठों के बीच दबाकर चूसा।
तब मेरे मुँह से आह निकल गई- “उंहह... पूछ?”
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: Adultery Chudasi (चुदासी )
अब्दुल- “तुम मुझे अब्दुल कहकर क्यों बुलाती हो? मेरी उमर के हिसाब से तो तुम्हें मुझे अंकल कहना चाहिए."
क्या जवाब दूं मैं अब्दुल को की मुझे तुमसे नफरत थी इसलिए नहीं कह सकती ये मैं उसे, तभी मुझे करण याद आ गया वो मुझे ‘तुम कुँवारी हो' ये कहकर बेवफूक बना गया था। मैंने अब्दुल को करण जैसा ही जवाब दिया- “मैंने तुम्हें अंकल क्यों नहीं कहा? क्योंकि तुम अंकल जैसे दिखते ही नहीं, तुम बहुत ही खूबसूरत दिखते हो...”
मेरी बात सुनकर अब्दुल का चेहरा ऐसे खिला जैसे वो आसमान में उड़ रहा हो। वो बेड पर चढ़कर उल्टा हो गया और मेरे चेहरे के सामने उसका लण्ड ले आ गया, वो अब 69 करना चाहता था।
मैं- “अब मैं जो कहना चाहती हूँ, वो कहूँ?” मैंने उसके लण्ड को मुँह में लेते हुये कहा।
अब्दुल- “हाँ, हाँ कहो...” अब्दुल मुँह से मेरी चूत चाटते हुये बोला।
मैं- “मेरी एक फ्रेंड है, उसे तुम्हारी मदद की जरूरत है, तुम करोगे?” मैंने कहा।
अब्दुल- “जरूर, क्यों नहीं करेंगे, बताओ क्या बात है?"
मैं- “वो एक मुस्लिम लड़के से प्यार करती है, उसी से शादी करना चाहती है...” मुझे खुशबू की बात सीधी ही उसे बताने की बजाय इस तरह बताना लाजमी लग रहा था।
अब्दुल- “प्राब्लम क्या है?”
मैं- “लड़की के घर से ना कह रहे हैं..."
अब्दुल- “क्यों?”
मैं- “लड़की हिंदू है, और लड़का मुस्लिम है इसलिए..”
अब्दुल- “पागल हैं उसके घर वाले, लड़का अच्छा हो तो हिंदू हो या मुस्लिम क्या फर्क पड़ता है?"
मैं- “फर्क तो पड़ेगा ही ना, लड़की को उसका धरम बदलना पड़ेगा वो उसके घरवालों को मंजूर नहीं है...”
अब्दुल- “ऊपर अल्लाह और राम एक ही हैं, हम यहां नीचे ये सब सोचते हैं...”
मैं- “वो तो तुम लड़का मुस्लिम है इसलिए ये सब कह रहे हो। अगर लड़की मुस्लिम होती तो मानते उह्ह... ये क्या कर रहे हो?” अब्दुल ने मेरी जांघ पर काट लिया था।
अब्दुल- “छोड़ तेरी फ्रेंड को, तू कहेगी तो उसे जो मदद चाहिए वो दे दूंगा। पहले मेरा लण्ड देख तीसरी बार खड़ा हो गया, पहले चोदने के बाद में बात करते हैं...” अब्दुल मेरी दो टांगों के बीच में आकर मेरी चूत में उसका लण्ड दाखिल करके हिला रहा था।
क्या जवाब दूं मैं अब्दुल को की मुझे तुमसे नफरत थी इसलिए नहीं कह सकती ये मैं उसे, तभी मुझे करण याद आ गया वो मुझे ‘तुम कुँवारी हो' ये कहकर बेवफूक बना गया था। मैंने अब्दुल को करण जैसा ही जवाब दिया- “मैंने तुम्हें अंकल क्यों नहीं कहा? क्योंकि तुम अंकल जैसे दिखते ही नहीं, तुम बहुत ही खूबसूरत दिखते हो...”
मेरी बात सुनकर अब्दुल का चेहरा ऐसे खिला जैसे वो आसमान में उड़ रहा हो। वो बेड पर चढ़कर उल्टा हो गया और मेरे चेहरे के सामने उसका लण्ड ले आ गया, वो अब 69 करना चाहता था।
मैं- “अब मैं जो कहना चाहती हूँ, वो कहूँ?” मैंने उसके लण्ड को मुँह में लेते हुये कहा।
अब्दुल- “हाँ, हाँ कहो...” अब्दुल मुँह से मेरी चूत चाटते हुये बोला।
मैं- “मेरी एक फ्रेंड है, उसे तुम्हारी मदद की जरूरत है, तुम करोगे?” मैंने कहा।
अब्दुल- “जरूर, क्यों नहीं करेंगे, बताओ क्या बात है?"
मैं- “वो एक मुस्लिम लड़के से प्यार करती है, उसी से शादी करना चाहती है...” मुझे खुशबू की बात सीधी ही उसे बताने की बजाय इस तरह बताना लाजमी लग रहा था।
अब्दुल- “प्राब्लम क्या है?”
मैं- “लड़की के घर से ना कह रहे हैं..."
अब्दुल- “क्यों?”
मैं- “लड़की हिंदू है, और लड़का मुस्लिम है इसलिए..”
अब्दुल- “पागल हैं उसके घर वाले, लड़का अच्छा हो तो हिंदू हो या मुस्लिम क्या फर्क पड़ता है?"
मैं- “फर्क तो पड़ेगा ही ना, लड़की को उसका धरम बदलना पड़ेगा वो उसके घरवालों को मंजूर नहीं है...”
अब्दुल- “ऊपर अल्लाह और राम एक ही हैं, हम यहां नीचे ये सब सोचते हैं...”
मैं- “वो तो तुम लड़का मुस्लिम है इसलिए ये सब कह रहे हो। अगर लड़की मुस्लिम होती तो मानते उह्ह... ये क्या कर रहे हो?” अब्दुल ने मेरी जांघ पर काट लिया था।
अब्दुल- “छोड़ तेरी फ्रेंड को, तू कहेगी तो उसे जो मदद चाहिए वो दे दूंगा। पहले मेरा लण्ड देख तीसरी बार खड़ा हो गया, पहले चोदने के बाद में बात करते हैं...” अब्दुल मेरी दो टांगों के बीच में आकर मेरी चूत में उसका लण्ड दाखिल करके हिला रहा था।
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: Adultery Chudasi (चुदासी )
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: Adultery Chudasi (चुदासी )
अब्दुल- “छोड़ तेरी फ्रेंड को, तू कहेगी तो उसे जो मदद चाहिए वो दे दूंगा। पहले मेरा लण्ड देख तीसरी बार खड़ा हो गया, पहले चोदने के बाद में बात करते हैं...” अब्दुल मेरी दो टांगों के बीच में आकर मेरी चूत में उसका लण्ड दाखिल करके हिला रहा था।
मैं भी मेरी टांगों को चौड़ी करके, मेरी गाण्ड उठाकर चुदवा रही थी। अब्दुल की जबान ने मेरी चूत पर कुछ ऐसा असर किया था की थोड़ी ही देर में मैं थकान भूलकर चुदवाने को राजी हो गई। अब्दुल कभी उसका सिर । झुकाकर मेरा निप्पल मुँह में लेता था तो कभी मेरी गर्दन चाट लेता था, जिससे मैं और गरम होकर उसे बाहों में दबोच लेती थी।
अब्दुल का लण्ड मेरी चूत में उसका आकर और विस्तार बढ़ाता ही जा रहा था। अब्दुल ने मेरे गालों पर चुंबन अंकित किया और फिर मेरे कान की लौ को मुँह में लेकर चूसा।
मैं उसकी इस हरकत से इतनी उत्तेजित हो गई की उसकी टांगों से मेरी टाँगें जकड़कर खींचने लगी। मैंने अब्दुल के चेहरे को मेरी तरफ किया और उसके होंठों को मेरे होंठों के बीच लेकर चूसने लगी। अब्दुल लगातार उसकी स्पीड बढ़ाता हुवा मेरी चुदाई कर रहा था और मैं भी उसे पूरा सहयोग दे रही थी।
अब्दुल ने उसकी जबान मेरे मुँह में डाली और मेरे मुँह में घूमने लगा। उसकी जबान के साथ उसका थूक भी मेरे मुँह में आ रहा था, जो मेरे गले से मेरे पेट में जा रहा था।
मैंने अब मेरी टाँगें उसकी कमर में डाल दी थी जिससे मेरी चूत थोड़ी ऊपर हो गई थी और मुझे मेरी गाण्ड ऊपर-नीचे करने में आसानी हो रही थी। हम दोनों की गरम सांसें एक दूसरे से टकरा रही थीं, मुँह में से निकलने वाली सिसकारियां भी एक दूसरे के मुँह में जाकर विलीन हो रही थीं। धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे में समाने की
कोशिश करने लगे।
अब्दुल अपना लण्ड जितना अंदर जा सके उतना घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था। मैं भी मेरी गाण्ड ऊपर करके उसे पूरा खा जाने की कोशिश कर रही थी। मैंने मेरे हाथ नीचे करके अब्दुल के टेटूओं को सहलाकर छोड़ दिया। मेरी इस हरकत ने अब्दुल के बदन में 440 वोल्ट का झटका दे दिया। उसके लण्ड में एक जबरदस्त तनाव आ गया और वो ज्यादा फूल गया जिससे मेरी चूत में मजा दोगुना हो गया और मेरी सिसकारियां भी बढ़ गईं।
मैं भी मेरी टांगों को चौड़ी करके, मेरी गाण्ड उठाकर चुदवा रही थी। अब्दुल की जबान ने मेरी चूत पर कुछ ऐसा असर किया था की थोड़ी ही देर में मैं थकान भूलकर चुदवाने को राजी हो गई। अब्दुल कभी उसका सिर । झुकाकर मेरा निप्पल मुँह में लेता था तो कभी मेरी गर्दन चाट लेता था, जिससे मैं और गरम होकर उसे बाहों में दबोच लेती थी।
अब्दुल का लण्ड मेरी चूत में उसका आकर और विस्तार बढ़ाता ही जा रहा था। अब्दुल ने मेरे गालों पर चुंबन अंकित किया और फिर मेरे कान की लौ को मुँह में लेकर चूसा।
मैं उसकी इस हरकत से इतनी उत्तेजित हो गई की उसकी टांगों से मेरी टाँगें जकड़कर खींचने लगी। मैंने अब्दुल के चेहरे को मेरी तरफ किया और उसके होंठों को मेरे होंठों के बीच लेकर चूसने लगी। अब्दुल लगातार उसकी स्पीड बढ़ाता हुवा मेरी चुदाई कर रहा था और मैं भी उसे पूरा सहयोग दे रही थी।
अब्दुल ने उसकी जबान मेरे मुँह में डाली और मेरे मुँह में घूमने लगा। उसकी जबान के साथ उसका थूक भी मेरे मुँह में आ रहा था, जो मेरे गले से मेरे पेट में जा रहा था।
मैंने अब मेरी टाँगें उसकी कमर में डाल दी थी जिससे मेरी चूत थोड़ी ऊपर हो गई थी और मुझे मेरी गाण्ड ऊपर-नीचे करने में आसानी हो रही थी। हम दोनों की गरम सांसें एक दूसरे से टकरा रही थीं, मुँह में से निकलने वाली सिसकारियां भी एक दूसरे के मुँह में जाकर विलीन हो रही थीं। धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे में समाने की
कोशिश करने लगे।
अब्दुल अपना लण्ड जितना अंदर जा सके उतना घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था। मैं भी मेरी गाण्ड ऊपर करके उसे पूरा खा जाने की कोशिश कर रही थी। मैंने मेरे हाथ नीचे करके अब्दुल के टेटूओं को सहलाकर छोड़ दिया। मेरी इस हरकत ने अब्दुल के बदन में 440 वोल्ट का झटका दे दिया। उसके लण्ड में एक जबरदस्त तनाव आ गया और वो ज्यादा फूल गया जिससे मेरी चूत में मजा दोगुना हो गया और मेरी सिसकारियां भी बढ़ गईं।
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