Incest सबका लाडला (फैमिली स्टोरी )
- Rohit Kapoor
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Re: Incest सबका लाडला (फैमिली स्टोरी )
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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- Pavan
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Re: Incest सबका लाडला (फैमिली स्टोरी )
Nice update
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- Rohit Kapoor
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Re: Incest सबका लाडला (फैमिली स्टोरी )
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Re: Incest सबका लाडला (फैमिली स्टोरी )
Hello दोस्तो...
आप सभी से माफी चाहता हूँ.बहुत दिनों तक आपसे दूर रहा.आपको पता है की कोविड चल रहा है, इसमे सभी की life अस्त व्यस्त हो रखी हैं.
बहुत दिनों से अपडेट नहीं दे पा रहा हूं. जिससे आप नाराज होंगे,पर मैं भी कहानी को आगे बढ़ाना चाहता हूँ.
अब पूरी कोशिश करूँगा की टाइम पर और continue अपडेट दूँ
# अपडेट - 100
अब तक आपने पढ़ा की मैं नानी के घर से आ गया.आते ही मुझे एक खबर मिली कि मैं बाप बनने वाला हूँ.. उस खुशी मे सुबह सुबह मैंने और पंकज ने रंगरलीया मनाई...
आगे...
कुछ गेर तक हम लेटे रहे,फिर हम दोनों खड़े हुए, वो कपड़े पहन कर बाहर चली गई और मैं फ्रेश होने चला गया...
मैं नहा के रेडी होकर हॉल मे आ गया और न्यूज पेपर पढ़ने लगा. कुछ देर मे मम्मी भी आ गये...
मम्मी - ऊठ गया तु...
मैं - हां मम्मी... और मैंने अनजान बनते हुए पूछा - आप कहाँ पर थे
मम्मी - मैं और तेरे पापा मंदिर गये थे...
मैं - पापा कहाँ हैं..?
मम्मी - वो खेत मे गये हैं, फसल देखने... चल आजा नाश्ता कर ले...
मैंने हलवा खा लिया था तो बोला - मैंने नाश्ता कर लिया है..
फिर मैं बोला - मम्मी मैं हवेली जाकर आता हूँ...
मम्मी - राहुल.. बेटा सच्च सच्च बता कोई बात तो नहीं है ना.
मैं - मम्मी ऐसा कुछ नहीं है.
मम्मी - राहुल.. हमारे और ठाकुर परिवार के बीच संबंध बरसों पुराने हैं. दोनों परिवारों मे बहुत अच्छा मेलजोल हैं. मैं नहीं चाहती कि कुछ प्रॉब्लम हो. दोनों परिवार हमेशा निकट रहे हैं...
मैं - मम्मी आप टेंशन मत लीजिए. ऐसी कोई बात नहीं है. अगर कुछ होती तो मैं आपको बता देता...
मम्मी - ठीक हैं, आराम से जाना...
मैं मम्मी को बाय बोलकर हवेली चला गया. बाहर किसी ने मुझे नहीं रोका, सब जानते थे...
मैं अंदर गया तो बैठक मे मुनीम जी थे. उन्होंने बताया कि ठाकुर अपने कमरे मे आराम कर रहे हैं. तो मैं सीधा अंदर चला गया..
घर मे नौकर चाकर काम कर रहे थे. मुझे कमरे का पता नहीं था तो, मैंने उनसे कमरा पूछा और कमरे की तरफ चला गया.
मैंने रूम के पास जाकर गेट नॉक किया... तो अंदर से ठकुराइन की आवाज आई - कौन हैं..?
मैं - मैं हूँ राहुल...
फिर ठकुराइन की आवाज आई - अंदर आ जाओ...
मैं रूम का गेट खोलकर अंदर चला गया... ठाकुर बैड पर लेटे हुए थे.
मैंने उनको नमस्ते किया और आशीर्वाद लिया...
ठाकुर, ठकुराइन - जीते रहो बेटा...
ठकुराइन - बैठो राहुल...
मैं चेयर पर बैठ गया.
मैं - कैसे है ताऊजी आप...
ठाकुर - पहले से अब ठीक हूँ.
मैं - और रणजीत कैसा है... कहाँ है वो...
ठकुराइन - रणजीत की हालत मे भी कुछ सुधार हुआ है. अभी वो हॉस्पिटल मे ही हैं...
फिर ठाकुर बोले - कौशल्या राहुल के लिए कुछ खाने का इंतजाम करो...
मैं - नहीं.. नहीं ताईजी आप चिंता मत करिये. मैं नाश्ता कर के आया हूँ...
ठकुराइन - राहुल तुम चुप रहो. हम नाश्ता लेकर आते हैं..
ठकुराइन बाहर चली गई...
ठाकुर - बेटा रणजीत की हालत मे सुधार तो है पर..
मैं - पर क्या ताऊजी...
ठाकुर - डॉक्टर कह रहे हैं कि अब वो शायद पहले जैसा नहीं हो पायेगा...
मैं - मतलब...?
ठाकुर - उसकी रीढ़ की हड्डी मे चोट आई हैं, जिस कारण उसका शरीर पूरी तरह काम नहीं कर पायेगा. अभी वो हॉस्पिटल मे ही हैं. कुछ टाइम उसे वहीं रखना होगा...
मैं - पर ताऊजी, कोई इलाज होगा.
ठाकुर - हमने उसकी रिपोर्ट्स देश के बड़े बड़े डॉक्टर को दिखाई सबका ये ही कहना है कि वो अब पूरी तरह ठीक नहीं हो सकता...
बोलते बोलते ताऊजी की आँखों मे आँसू आ गये... मैं उनके आंसू पूछते हुए बोला - ताऊजी आप चिंता मत करिये सब ठीक होगा... अगर आप हिम्मत हारेंगे तो सबका क्या होगा...
ठाकुर - हम और कितना ये सब संभालेगे, हमारी उम्र होने वाली हैं. हमने सोचा की हमारी खानदानी विरासत, हमारे बिजनेस को रणजीत संभलेगा पर...
मैं - ताऊजी आप चिंता मत करिये कोई ना कोई तो रास्ता निकलेगा...
ठाकुर - हम उन हरामजादो को ढूंढ रहे हैं. जिसने ये सब किया. जिस दिन वो मिला, वो उसका आखिरी दिन होगा... बेटा तुमने ये बात किसी को बताई तो नहीं है ना..
मैं - मैंने आप से वादा किया था, कि मैं किसी को कुछ नहीं बतांऊगा... मैंने किसी को नहीं बताया...
ठाकुर - थैंक्यू बेटा. हमने सबको बता रखा है कि रणजीत बाहर गया है काम से.......
फिर ताईजी आ गई तो हम चुप हो गये... ताईजी दो कप चाय और नाश्ता ले आई.
मैं चाय तो पीता नहीं हूँ तो मैंने कहा - ताईजी मैं चाय नहीं पीता हूं...
ठाकुर - राहुल के लिये दूध ले आओ...
ठकुराइन मेरे लिये दूध लेने चली गई... हम बात कर रहे थे तभी मेरे मोबाइल पर कॉल आया... कॉल मनीष का था. मैं कॉल ऊठा नहीं रहा था तो ताऊजी बोले कि बात कर लो...
मैं - हाँ, भाई...
मनीष - कहाँ हैं भाई तु...
मैं - घर पर हूं...
मनीष - यार एक प्रॉब्लम हो गई हैं...
मैं - क्या...?
मनीष - यार वो आज क्लास मे सर आये थे वो तेरे बारे मे पूछ रहे थे, कि तेरी इतनी अबशेंट क्यों हैं. साला बोल रहा था कि तुझे निकाल देगा...
मैं - अच्छा.. ये तो टेंशन हो गई. मैं कल आता हूँ कॉलेज..
मनीष - ओके... Bye...
मैंने कॉल कट कर दिया...
मेरी बात सुनकर ताऊजी बोले - क्या हुआ राहुल.. क्या बात है.
मैंने उनको सारी बात बता दी.
ᎠᎬᏙᏆᏞ ...
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Re: Incest सबका लाडला (फैमिली स्टोरी )
# अपडेट - 101
मेरी बात सुनकर ताऊजी बोले - क्या हुआ राहुल.. क्या बात है.
मैंने उनको सारी बात बता दी.
मेरी बात सुनकर वो बोले - तुम्हारी प्रिंसिपल के ऑफिस मे कॉल करो...
मैं - क्यों ताऊजी...
ताऊजी - तुम कॉल करो...
मेरे पास नंबर था तो मैंने कॉल लगाकर ताऊजी को दे दिया...
ठाकुर - हैलो...
सामने से - ...
ठाकुर - हम ठाकुर सज्जन सिंह बोल रहे हैं...
सामने -
ठाकुर - हां... ये मेरा फोन नहीं हैं...
फिर ताऊजी ने प्रिंसिपल को सारी बात बताई कि. मेरा नाम, क्लास, और जो मनीष ने बताई वो सब... फिर वो बोले - राहुल हमारे परिवार का सदस्य हैं, इसको कुछ प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए...
वो ऐसे बात कर रहे थे कि वो प्रिंसिपल को जानते हैं.
सामने से - ...
ठाकुर - ओके... थैंक्यू...
फिर ताऊजी ने कॉल कट कर दिया... मुझे फोन देते हुए बोले - तुम्हारी प्रॉब्लम सॉल्व...
मैं - ताऊजी आप प्रिंसिपल को जानते हैं...
ठाकुर - हां, जानता हूँ...
मैं - अच्छा...तभी वो मान गई..
ठाकुर - तुम्हें पता है तुम्हारी कॉलेज का बोर्ड हैं..
मैं - हाँ ताऊजी... उसमें 4-5 लोग हैं. हमारी प्रिंसिपल और उनके हंस्बेंड भी हैं...
ठाकुर - हाँ.. तुम्हारी कॉलेज का मालिक कौन हैं तुम्हें पता है.
मैं - नहीं ताऊजी. अभी एडमिशन लिया है. मुझे कुछ ज्यादा पता नहीं है. हाँ हमारी कॉलेज पुरानी कॉलेज जो आजादी के टाईम से हैं
ठाकुर - राहुल वो कॉलेज हमारी हैं...
( मैं ठाकुर की बात सुनकर चौंक गया. मैंने सुना जरूर था कि इनकी कॉलेज वगैरह हैं. पर ये नहीं पता था कि हमारी कॉलेज इनकी हैं. हमारी कॉलेज बहुत बड़ी और फेमस कॉलेज हैं जयपुर कि....... )
मैं - आपकी...?
ठाकुर - हां हमारी... वो कॉलेज हमारे पिताजी की शुरू की हुई हैं...
मैं - पर उसे तो ****** एज्युकेशन ग्रूप चलाता है ना...
ठाकुर - हां, वो हमारे दोस्त का ही हैं,वो और 1-2 लोग है. तो हमने हमारी कॉलेज उनको चलाने के लिए दे रखी हैं. हम तो कॉलेज चला नहीं सकते. और बिजनेस से टाइम ही नहीं मिलता.
हम उनसे कुछ प्रॉफिट लेते हैं...
फिर ठकुराइन मेरे लिये दूध ले आई. कुछ देर रूक कर मैं वहां से वापिस घर आ गया...
घर पर आते ही मम्मी ने पूछा की क्या हुआ तो मैंने ऐसे ही कुछ बोल दिया.
मैं बड़े ताऊजी की तरफ आ गया, सोचा की कोई से भाई मिलेंगे तो थोड़ी देर बैठकर टाइम करूँगा. लेकिन वहां जाकर पता चला कि रामानंद भाई तो शहर गये हैं और अनिल भाई गाँव मे ही गये हैं.
तो मैं वापिस आने लगा तो छत पर संगीता भाभी दिखाई दी. वो मुझे इशारा कर रही थी. वो मुझे छत पर बुला रही थी. मैं खाली ही था तो ऊपर छत पर चला गया.
ताऊजी की छत पर कमरे बने हुए थे, भाभी उनकी सफाई कर रही थी.
मैं जब कमरे मे गया तो वो मुझ पर झपट पड़ी और मुझे चुमने लगी...
मैंने भाभी के चेहरे को पकड़ा और उसके होंठों पर किस करने लगा. 2 मिनट तक हम एक दूसरे के होंठ चुसते रहे...
फिर वो बोली - जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो, नीचे बहुत आग लगी हैं...
मैं - जल्दी से कपड़े उतारो..
हम दोनों कुछ ही पलो मे नंगे हो गये... मैंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और उसे दबोच लिया और उसकी चूचियों को दबाने लगे.
वो तो कामुकता भरी वासना की अग्नि में झुलसने लगी थी और बड़ी बेकरारी अपने साथ होने वाली कामक्रीड़ा का आनंद लेने को लालायित हो उठी थी.
संगीता - जल्दी... जो आग लगाई है उसे बुझा दो मेरे राजा.
मैंने उसे अपनी बांहों में दबोच कर बिस्तर पर गिरा दिया और बेहताशा चुम्बनों की बौछार करने लगा..
मैं अपनी जीभ उसके मुंह घुसा कर चुभलाने लगा और उसकी चूचियों को बेरहमी से मसलने लगा.
उसकी सिसकारियां मेरे मुंह मे बंद थीं.
संगीता - हाय... इतनी बेसब्री किस बात की, आराम से करो ना...
मैं - अब क्या आराम से, तुम्हारी आग को बुझा रहा हूं
इतना बोलकर मैंने दो उंगली चूत में भच्च से पेल दी . इस आकस्मिक हमले से वो चिहुंक उठी.
संगीता - आआह.. ओओओह्ह्ह्.. उफ़फ्फ़..
मैं उससे अलग हुआ और बोला जल्दी से मेरे लंड को चुस... वो तो तैयार थी..
ᎠᎬᏙᏆᏞ ...