Erotica मेरी कामुकता का सफ़र

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rajsharma
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Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: मेरी कामुकता का सफ़र

Post by rajsharma »

बहुत ही शानदार अपडेट है दोस्त

😠 😱 😘

😡 😡 😡 😡 😡 😡
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
josef
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र

Post by josef »

बढ़िया मस्त अपडेट है दोस्त
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा


(^@@^-1rs2) 😘 😓 😱
cool_moon
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र

Post by cool_moon »

बहुत ही बढ़िया अपडेट..
adeswal
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र

Post by adeswal »

यह कह कर वो उठा और मेरे चेहरे की तरफ आ गया और नीचे बैठ कर अपना कड़क कठोर लंड मेरे मुँह के पास ले आया।

मैंने भी अपना मुँह खोलकर उसका स्वागत किया। उसने तो पूरा छह इंच का लोहा मेरी मुँह में घुसा दिया। वह अब अपने हाथों से मेरे मम्मे दबाने लगा। मैं जितना हो सकता था उसका लंड अपने मुँह से चूस रही थी।

थोड़ी ही देर में मैं चक्रासन करते थक गयी और मैं धीरे धीरे अपने शरीर को नीचे लाते हुए पीठ के बल लेटने लगी।

मैंने उसका लंड मुँह से नहीं छोड़ा, जिससे वो भी मेरे साथ ही नीचे होता गया और मेरी कमर के दोनों तरफ अपने हाथों के बल मेरे ऊपर था।

मैं नीचे लेटी थी और उसका लंड मेरे मुँह में था। उसने अपने हाथों को मोड़ा और मेरे ऊपर पूरा लेट गया। हम 69 पोजीशन में आ गए। मेरी ये पसंदीदा पोजीशन थी। उसने अपने होठ मेरी चिकनी चूत पर रख दिए और मेरी चूत की पंखुडिया को नोचने लगा।

थोड़ी देर हम दोनों ने एक दूसरे के अंगो को चूसने का आनंद लिया। जब मेरा मन भर गया तो मैंने उसको उठने को बोला।

उसने कहा कि उसको तो अभी अंदर डालना बाकी हैं। उसने मुझे फिर तैयार किया चक्रासन में आने को। मैं एक बार फिर अपनी हिम्मत झूटा कर उसी स्तिथि में आ गयी।

वो एक बार फिर मेरे पैरो के पास आया और इस बार जो मैं चाहती वो चीज़ सही जगह डाली।

उसने अपने हाथों में मेरी नाजुक पतली कमर पकड़ी और मुझे थोड़ा सहारा दिया। अब वो तेजी से अंदर बाहर धक्के मारता हुआ मुझे चोदने लगा। उसने अगर मेरी कमर को पकड़ सहारा नहीं दिया होता तो उसके जोर के झटको की वजह से मेरा संतुलन बिगड़ जाता और मैं गिर जाती।

उसका लंड इतना लम्बा था कि मुझसे तो सहन ही नहीं हो रहा था। ऐसा लगा जैसे मेरी चूत में ड्रिल करते हुए खड्डा खोद रहा था। मेरे मुँह से दर्द के साथ मजे से भरी सिसकिया निकल रही थी।

धीरे, आहह्ह्ह अम्म ओहह्ह्ह ओह हो हो धीरे धीरे चोद आहहह फट जायेगा। लंड डाला हैं हमम्म अम्म या लोहे की रॉड, आह्ह।

कुछ मिनट बात ही इस पोजीशन के कारण मेरी कमर जवाब देने लगी। मैंने उसको मुझे छोड़ने को कहा। अनिच्छा से उसने मुझे छोड़ा।

मैं अब बिस्तर पर जा सीधा लेट गयी और अपने पाँव चौड़े कर लिए। वो मेरे पास आया, मेरी चूत की दरार खुली पड़ी थी उसके लिए।

उसने अपना अंगूठा मेरी चूत के छेद पर रखा और अंगूठा ऊपर करते हुए जैसे मेरी चूत की दरार को तिलक कर रहा हो।

उसका अंगूठा मेरी दरार को रगड़ता हुआ नीचे से ऊपर आता रहा और मैं लंबी लंबी आहें भरने लगी। वह अब मेरे ऊपर आया अपना लंड मेरी चूत में फिर घुसा दिया।

अब उसका सीना मेरे छाती पर आ मेरे मम्मो को दबा रहा था। मैं मुँह खोल कर आह आह करने लगी। उसके तेज तेज झटके शुरू हो गए। उसका हर एक झटका मेरे अंदर तक जा रहा था, और मस्ती के मारे मेरे मुँह से सिसकिया झर झर बह रही थी।

इस वक्त मैं बिलकुल नहीं चाहती थी कि पति वापिस आ जाये।

थोड़ी ही देर में मेरी चूत से चप्प चप्प की आवाज आने लगी। हम दोनों उस नशीली आवाज में खोने लगे।

उसने अब अपने हाथ सीधे खड़े कर सारा वजन अपने हाथों के पंजो पर ले लिया, जिससे उसका सीना मेरी छाती से थोड़ा दूर हो गया।

इससे वो ओर भी जोर के झटके मार पा रहा था। मेरा तो पानी निकलना शुरू गया था। जल्दी ही फचाक फचाक की आवाज़े आने लगी। मेरी चूत के अंदर सब चिकना चिकना हो चूका था।

मेरे मुँह से लगातार आ अहह्ह्ह आ अहहह की रट निकलने लगी। झड़ने के करीब आयी तो मेरे मुंह से निकलने लगा “हां, यही पे , यही पे , जोर से कर लो , हा ह हा ह… जल्दी… हा ऐसे वाला… आहह्ह्ह जल्दी… आह्ह्हह। उई माँ… हां ये वाला… उईमाँ… उईमाँ उई माँ… आह्ह्ह अ उम्म” और चीखते हुए मैं झड़ गयी।

राज अब भी मुझे बेतहाशा चोदे जा रहा था। मुझे अच्छा लगा कि उसने अभी तक पानी नहीं छोड़ा था मेरे अंदर।

मैंने उसको फिर से याद दिला दिया कि उसको पानी अंदर नहीं छोड़ना हैं। पता नहीं उसने मुझे सुना कि नहीं, वो अपना काम करे जा रहा था।
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