Erotica मेरी कामुकता का सफ़र

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naik
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र

Post by naik »

(^^^-1$i7) (#%j&((7) (^@@^-1rs7)
fantastic update brother keep posting
waiting for the next update 😪
cool_moon
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र

Post by cool_moon »

अगले अपडेट का इंतजार रहेगा..
adeswal
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र

Post by adeswal »

पायल को छोड़ हम तीनो ने नाश्ता ख़त्म कर लिया था. वो शायद बातों की वजह से पीछे रह गयी या ज्यादा खाना लेने की वजह से.

अशोक ने प्लान बताया कि पहले हम लोग आस पास की जगहों पर घूमेंगे जो बहुत फेमस हैं.

दोपहर लंच के बाद हम लोग थोड़ा दूर कुदरत के बीच जंगल ट्रेल पर जायेंगे जिसका पता उन्होंने कर लिया हैं. वहा बहुत कम लोग जाते हैं क्यों कि वो फेमस नहीं हैं पर खूबसूरत और शांत जगह हैं.

नाश्ता ख़त्म कर नौ बजे के बाद हम लोग किराए पर ली गाड़ी से अपनी पहली मंजिल की तरफ निकल पड़े.

डीपू ने खुद गाडी चलाने का फैसला किया और मेरे पति उसके साथ आगे की सीट पर बैठ गए.

आधे घंटे बाद हम एक पहाड़ी एरिया में थे. वहा वाहनों का जमावड़ा था. काफी फेमस जगह थी तो भीड़ की उम्मीद भी थी.

गाड़ी पार्क कर हम लोग पैदल ही दूसरे कई लोगो की भीड़ के बीच उस जगह की खूबसूरती का आनंद लेने लगे.

पायल अपने फोटो अच्छे निकलवाने की जिद में मेरे पति का हाथ पकड इधर उधर खींचते हुए ले जा रही थी और अपने फोटो निकालने को बोल रही थी.

मेरे पति भी वादे के अनुसार उसका साथ दे रहे थे.

मुझे फोटो का इतना शोक नहीं था तो मैं उनसे थोड़ा दूर ही थी.

डीपू को पायल से दूर रहने की सजा मिली थी तो वो मेरे साथ रहने की कोशिश कर रहा था.

मैं उसकी कल रात की गलती के बाद माफ़ करने के मूड में नहीं थी और उसको इग्नोर कर रही थी.

वो मेरे छोट कपड़ो से झांकते बदन को घूर भी रहा था.

वैसे वो अकेला नहीं था, वहा भीड़ में कुछ लोग मेरे छोटे कपड़ो को मौका देख ताड़ रहे थे, और उनकी बीवियां उनको खिंच कर दूर ले जा रही थी.

ऐसा नहीं था कि मैंने अकेली ने ही ऐसे कपडे पहने थे, ओर भी लड़किया थी पर बहुत कम का फिगर सेक्सी था.

मैंने सोचा कही मैंने ऐसे कपडे पहन कर गलती तो नहीं कर दी, अगर ये इसी तरह घूरता रहा तो पायल या मेरे पति को शक हो जायेगा.

पर फिर सोचा किसी ओर के गलत सोचने की वजह से मैं अपने पसंद के कपडे पहनना क्यों छोड़ू.

पायल बीच बीच में मेरे पति को भी अपने साथ में खड़ा कर सेल्फी ले रही थी. सेल्फी लेते वक्त वो दोनों बहुत करीब होते.

कई बार पति ने पायल के कंधो और कमर पर भी हाथ रखा. मेरा शक फिर गहराने लगा कही कल रात को ये दोनों साथ में तो नहीं थे.

डीपू भी उनको इस तरह देख सकता था पर उसको तो अपनी पत्नी पर कोई शक ही नहीं था.

शायद उसको मुझे देखने से ही फुर्सत नहीं थी.

डीपू ने अब मेरे साथ अपनी सेल्फी लेनी चाही और मेरे पास आकर खड़ा हो गया.

मैंने उसको हल्का धक्का देते हुए अपने से दूर कर दिया. आस पास खड़े लोगो को लगा इन दोनों पति पत्नी में झगड़ा हुआ लगता हैं. वो लोग हम दोनों का तमाशा देखने लगे.

मुझे बड़ी शरम महसूस हुई. डीपू पर तो जैसे कोई असर ही नहीं हुआ. उसने एक बार फिर प्रयास किया और मेरे पास आ सेल्फी लेने को फ़ोन ऊपर उठाया.

आस पास के कुछ लोग अभी भी हमें देख रहे थे. मुझे तमाशा बनना अच्छा नहीं लगा और उसको सेल्फी लेने दी.

डीपू ने इसका फायदा उठाया और मेरे कंधो पर अपना हाथ रख दिया. मैंने अपने गुस्से को पीते हुए उसका हाथ सहन कर लिया.

दूसरे लोग खुश हो अब अपने अपने काम में लग गए.

डीपू ने एक ओर सेल्फी लेनी चाही पर पर मैं अब मुड़ कर वहा से चली गयी. पायल और अशोक अभी भी आपस में लगे हुए थे.
adeswal
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र

Post by adeswal »



बीच बीच में वो आकर हमें अपने फोटो दिखाते कि कैसी आयी. इसी तरह हम वहा घूमते रहे और फोटो सेशन चलते रहे.

बारह बज चुके थे और हमने फैसला लिया कि अब हम यहाँ से अपनी दूसरी मंजिल की तरफ निकलते हैं जो कि थोड़ी दुरी पर हैं तो समय लगेगा. उससे पहले हम बीच में कही लंच के लिए रुकेंगे.

हम लोग अब एक रेस्टॉरेंट में आ गये. मैं वाशरूम में हो आयी. बाकी तीनो ने तब तक खाना आर्डर कर दिया. मैं आकर बैठी और पायल वाशरूम में जाने को निकली.

पति ने भी बोला कि वो बाहर की शॉप से बाद में काम आने लायक कुछ छोटा मोटा सामान खरीद कर गाडी में रखने जा रहे हैं.

अब टेबल पर सिर्फ मैं और डीपू थे. उसने टेबल पर रखे मेरे हाथों पर अपना हाथ रख दिया.

मैंने तुरंत उसका हाथ झटक दिया और उसको गुस्से से देखा.

उसने फिर मुझको समझाना शुरू किया. उसने अपने फ़ोन पर मुझको एक आर्टिकल की दो तीन लाइन भी पढाई.

उसमे लिखा था कि दो पीरियड के एक दम बीच के पांच दिन गर्भधारण के लिए उपयुक्त होते हैं. ये सब तो मुझे भी थोड़ा पता था अपने पहले बच्चे के लिए ट्राय कर चुकी थी.

वैसे भी एक बार चुदने से पिछली बार मुझे कुछ नहीं हुआ था, अगर आपने मेरी पिछली कहानी “समझौता साजिश और सेक्स” पढ़ी हो तो पता होगा कि हमारा पहला शिकार मुझे गर्भवती नहीं कर पाया था.

सान्या खान और उसके सगे भाई के बिच लिखी उनकी इंडियन सेक्स स्टोरीज इन हिन्दी कर मजा लीजिये, सानिया की कहानी उसकी जिबानी.

डीपू मुझे विश्वास दिलाने लगा कि मैं प्रेगनेंट नहीं होउंगी. अगर चाहिए तो वो मेरे लिए इमरजेंसी पिल भी खरीद लेगा.

मैं उसकी तरफ विश्वास भरी नजरो से देखने लगी. उसने दर्द दिया हैं तो दवा भी उसी को देनी होगी. उसने मुझे आगाह भी किया कि इन दवाओं के कभी साइड इफ़ेक्ट भी होते हैं. मेरे लिए वो पिल लाने की बात कर रहा था उसी से मुझे संतुष्टि मिल गयी थी.

तभी सामने से पायल आते हुए दिखाई दी. हम लोग फिर संभल गए और डीपू ने टॉपिक बदल लिया. थोड़ी देर में अशोक भी आ गए और वेटर खाना लगा गया.

हम लोग खाना खाने लगे. खाना खाते वक्त मेरे पेरो पर कोई अपना पैर रगड़ रहा था और मुझे गुदगुदी हो रही थी.

पति मेरे साथ वाली सीट पर बैठे थे, तो सामने की तरफ बैठे पायल और डीपू ही ऐसा कर सकते थे. मैं और डीपू, आमने सामने बैठे थे तो शक उसी पर था, वैसे भी पायल ये नहीं कर सकती थी.

वह अब अपने पाँव ओर भी ऊपर ले कर मेरी जांघो तक ले आया और रगड़ने लगा. मुझे खाना खाते बड़ी मुश्किल से गुदगुदी से होने वाली अपनी हंसी दबा रही थी.

तभी पायल एकदम जोर से खिलखिलाने लगी. गुदगुदी मुझे हो रही थी पर खिलखिला वो रही थी, कही उसे पता तो नहीं चल गया था कि राज मेरे साथ क्या कर रहा हैं.

राज ने भी अपना पैर पीछे खींच लिया और हम दोनों पायल की तरफ देखने लगे. पति को तो कोई फर्क ही नहीं पड़ा और अपना खाना खाते रहे.

पायल बोली कि उसे कोई पुरानी फनी बात याद आ गयी थी.

मुझे फिर शक हुआ, कही अशोक भी तो टेबल के नीचे से पायल की स्कर्ट के अंदर पाँव डाल गुदगुदी नहीं कर रहे थे?

राज ने भी राहत की सांस ली.

मैं, मेरे पति और पायल के ही बारे में सोच रही थी कि मैंने राज का पाँव फिर अपनी टांगो पर फिरते हुए महसूस किया.

मेरी दोनों टाँगे खुली थी तो वो अपना पाँव मेरी दोनों टांगो के बीच चूत तक ले आया और मलने लगा.

मैं उसको सजा देने के लिए दोनों घुटनो की हड्डियों से उसकी टांग को जोर से दबा दिया.

उसके चेहरे को देख कर लगा था कि उसको दर्द तो हुआ होगा. जैसे ही मैंने पकड़ छोड़ी उसने अपना पाँव पीछे खींच लिया.

पुरे खाने के दौरान राज ने फिर मेरे पाँव को छूने की कोशिश नहीं की, पर उस दौरान पायल रह रह कर खिलखिलाती रही.

उसकी इस हंसी से, मेरे दिल पर छुरियां चल रही थी. एक बार तो मन किया चम्मच नीचे गिरा के टेबल के नीचे झाँक ही लू कि क्या चल रहा हैं.

खाना ख़त्म करने के बाद हम लोग वहा से निकले. इस बार अशोक ने कार चलाना शुरू किया और राज उसके साथ में बैठा क्यों कि अशोक ने मैप्स पर रास्ता देखा था.

तक़रीबन एक घंटे का ड्राइव था और जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे ट्राफिक कम होता जा रहा था, हम शहर से काफी दूर आ गए थे और जंगल जैसा रास्ता शुरू हो गया था.

हम लोग पहाड़ी के दामन में थे. गाडी पार्क की, वहा सिर्फ दो गाड़िया खड़ी थी. मतलब वहा पिछली जगह की तरह भीड़ नहीं होने वाली थी इसकी हमें ख़ुशी थी. वहा पहाड़ थे और वहा एक छोटी नदी भी थी जो पहाड़ो के साथ चल रही थी.

पत्थरो और कंकरो की मदद से एक कच्चा रास्ता बना था चलने के लिए हम उसी के ऊपर चल रहे थे.

थोड़ा आगे जाकर हमने निर्णय लिया कि हम लोग इस रास्ते को छोड़ कर पेड़ो और घाटियों से होते हुए जाते हैं तो ज्यादा रोमांच होगा.
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