जादू की लकड़ी

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josef
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Re: जादू की लकड़ी

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अध्याय 8

प्रेक्टिस के बाद मैं स्टेडियम से बाहर मैदान में एक कोने पर बैठा था…निशा ने जो कहा था उसने मेरे दिमाग में एक हलचल सा मचा कर रख दिया था ,कुछ समझ नही आ रहा था की आखिर मैं उसे क्या समझू,

मुझे सबसे बड़ा डर था की कही वो मेरे प्रति शाररिक रूप से आकर्षित तो नही हो गई थी,मुझे इन सबका कोई भी एक्सपेरिएंस नही था,और उससे भी ज्यादा डर ये था की कहि मैं उसके प्रति जिस्मानी आकर्षण से ना भर जाऊ,मेरी बहनो से जीवन में पहली बार अच्छे रिश्ते बने थे जिस्म की वासना उन्हें पूरी तरह से खराब कर सकती थी,

मुझे इस चीज की कोई समझ नही थी की आखिर ये आकर्षण जिस्मानी ,रूहानी है की बस रिश्तो के बीच रहने वाला एक सहज प्रेम …

निशा ने कुछ भी हिंट नही दिया था ,लेकिन वो स्वाभाविक जरूर थी ..

सबसे ज्यादा डर मुझे खुद से लग रहा था क्योकि बाबा जी ने कहा था की मैं किसी को भी आकर्षित कर सकता हु,लेकिन मैंने उन्हें ये नही पूछा था की ये आकर्षण असल में होता क्या है,उसके मायने क्या है,क्या ये केवल जिस्मानी आकर्षण होगा,या फिर किसी अन्य तरह का आकर्षण …

तो क्या निशा मेरे ताबीज के कारण मुझसे आकर्षित हो रही थी ,अगर ऐसा था तो वो आकर्षण आखिर किस तरह का था…..

“क्या हुआ राज आज मुड़ ऑफ दिख रहा है तुम्हारा .”

काजल मेडम मेरे बाजू में बैठते हुए बोली

“कुछ नही मेम..”

“तुम चाहो तो मुझे बता सकते हो .”एक बार उन्हें देखा उनके होठो में मुस्कान साफ साफ झलक रही थी

“मेडम ये आकर्षण क्या होता है क्यों होता है .”

इस बार मेडम मुझे भेद देने वाली निगाहों से घूरने लगी .

“रश्मि से झगड़ा हुआ क्या ??”

“नही तो क्यो..”

“क्योकि ऐसे प्रश्न इंसान के दिमाग में तभी आते है जब वो कोई दुख में होता है या फिर इतना सुख पा चुका होता है की उससे ऊबने लगता है ..”

“मेरे साथ दोनो ही नही है “

“तो फिर ये व्यर्थ के सवाल क्यो??”

“क्योकि मेरे लिये ये सवाल जीवन से जुड़े हुए है ..”

“हम्म्म्म आज पहली बार तुम्हे इतना सीरियस देख रही हु ,जरूर ये बेहद ही इम्पोर्टेन्ट सवाल होंगे तुम्हारे लिए ….”

वो कुछ देर तक चुप रही ..

“जीवन की महिमा और गरिमा दोनो ही अजीब है राज,जो चीजे आपको आगे बढ़ाती है वही आपको पीछे भी धकेल देती है,और वो है इंसान की चाहते,इच्छाए हसरते…..यही हमे आगे बढ़ाती है जीवन में एक मकसद देती है ,लेकिन जब ये अपने काबू से बाहर होने लगे तो ये ही हमारे पैरो की सबसे बड़ी जंजीर बन जाती है…….

तुम जानना चाहते हो की आकर्षण क्या है ,मेरे खयाल से ये बस एक अहसासो की अभिव्यक्ति है जो हसरतो से पैदा होती है,किसी चीज को पाने की हसरते हमे उनकी ओर आकर्षित करती है ..”

काजल मेडम की बातो को मैं ध्यान से सुन रहा था लेकिन मुझे समझ नही आया की निशा की बातो से मैं इसे कैसे लिंक करू..

“क्या जिस्म की हसरते और प्यार की हसरतो में कोई समानता हो सकती है “

मैंने फिर से प्रश्न किया ,इस बार काजल मेडम ने फिर से भेद देने वाली निगाहों से मुझे देखा लेकिन मेरे चहरे पर सब कुछ शून्य ही था……

“प्रेम और शरीर का संबंध बेहद ही गहरा है,जब इंसान प्रेम को अभिव्यक्त करता है तो जिस्म का सहारा लेता है,लेकिन लोग जिस्म की वासना को पूरा करने के लिए प्रेम शब्द का सहारा भी लेते है,तो जब ऐसा सिचुएशन आ जाए की तुम्हे समझ ना आये की ये प्रेम है या महज वासना के आंधी से उठा हुआ जलजला तो खुद की सुनना ,क्या पता तुम्हे क्या चाहिए,प्रेम और वासना कभी कभी एक दूसरे के अंदर इस हद तक छिपे होते है की उन्हें अलग कर पाना बेहद ही मुश्किल हो जाता है,तो तुम्हे फैसला करना है की तुम्हे प्रेम चाहिए की अपने जिस्म की वासना शांत करनी है .”

“लेकिन ये तो गलत होगा ना ,जिस्म की वासना ..”

मेडम ने मुझे मुस्कुराते हुए देखा

“गलत चीजे नही इंसान होते है राज,वासना का उदभव शरीर में हमारे विकास के लिए होता है लेकिन लोग इसे अपने मजे के लिए इस्तमाल करते है,जिस्म की वासना ही तो है जो संसार को आगे बढाती है,और प्रेम के हिलोरों में प्रेमी जवा दिलो को भटकाती है .प्रेम तो पूज्यनीय है लेकिन वासना के बिना प्रेम भी नही हो सकता,कभी सुना है की किसी नपुंसक को प्रेम हो गया,नही, नही होता…

प्रेम होता ही उन्हें है जो जिसके अंदर ताकत हो, जिस्म की ताकत ,वासना की ताकत……”

मैं काजल मेडम के चहरे को देख रहा था वो दीप्त था प्रकाशमय बिल्कुल शांत और निडर ,मुस्कुराता हुआ उनका चहरा मेरे दिल को सुकून देने के लिए काफी था….

“मेडम मुझे डर लग रहा है ….”

आखिर मैंने वो कह दिया जो मैं कहना चाहता था ,वो भी चौकी ..

“किससे …...किसी ने धमकी दी है “

उनकी बात से मैं मुस्कुरा उठा..

“इंसानो और परिस्थितियों से डरना तो मैंने कब का छोड़ दिया है मेडम ….लेकिन मुझे डर अपने आप से लग रहा है ,अपनी वासना से लग रहा है,शायद मैं उसका सामना नही कर पाऊंगा,शायद मैं उसके बहकावे में आ जाऊंगा,शायद वो मुझसे गलत काम करवा देगा…”

मेरे चहरे में सच में चिंता के भाव आ गए थे,मेडम ने मेरे सर पर अपना हाथ फेरा …

“मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ पता लगा की कैसे तुम पहले हुआ करते थे फिर जंगल में भटकने के बाद जब तुम वापस आये तो तुमने अपने डर को भी छोड़ दिया,जरूर वंहा तुमने उन डर का सामना किया था जिससे तुम जीवन भर भागते आ रहे थे,ये डर भी वैसा है राज ,तुम्हारी उम्र ही ऐसी है जब शाररिक वासना बेहद ही ताकतवर होती है,अगर तुम इसका सामना नही करोगे डर जाओगे तो वो तुम्हारे ऊपर हावी हो जाएगी,इसे दबाने की कोशिस करोगे तो ये और भी बढ़ने लगेगी,जिस्म की आग जिस्म को जालाये तब तक ठीक है लेकिन ये अगर मन की गहराइयों में पहुच जाए तो ये मन को भी जलाने लगती है,तुम्हारे विचारो को अश्लील कर देती है ,ये समय है राज जब तुम्हे सबसे ज्यादा हिम्मत दिखानी होगी,इनसे लड़ कर तुम इसे नही जीत सकते तुम इसे समझ कर ही इसे जीत सकते हो,तो डरना बंद करो और सामना करो ….”

मैं चुप था वो भी चुप थी ,थोड़ी देर हम यू ही चुप ही बैठे रहे ..

“एक पर्सनल सवाल है ,जवाब देना चाहो तो देना वरना किसी तरह की जबरदस्ती नही है,क्या तुमने कभी मास्टरबेशन (हस्तमैथून) किया है ..?”

मैं उनकी तरफ देख कर मुस्कुराया ,और ना में सर हिलाया

“झूठ मत बोलो सभी करते है “

मेडम भी मुस्कुरा रही थी

“पता नही क्यो करते है ,मुझे तो आज तक समझ नही आया ,जो चीज कही और जाने के लिए बनी है उसे खुद ही..”

मेरी बात सुनकर वो हंस पड़ी ..

“अच्छा तो तुम ये सोचते हो ...तो कभी सेक्स किया है,ऐसे तुम्हारे पास एक हॉट गर्लफ्रैंड भी है..”

मैंने फिर ना में सर हिलाया

“क्यो..??”

“कभी माहौल ही नही बना ,और आप करती है मास्टरबेशन “

उन्होंने मुझे झूठे गुस्से से देखा

“नही जरूरत नही पड़ती “

“ओह तो आपका बॉयफ्रेंड है…मुझे लगा ही था आप इतनी हॉट जो हो “

वो फिर से हँसी

“नही मेरा कोई बॉयफ्रेंड नही है “

मैंने उन्हें आश्चर्य से देखा

“यानी आप शादीशुदा हो ??”

“नही वो भी नही “वो अब भी मुस्कुरा रही थी

“तो आपको क्यो जरूरत नही पड़ती,आप एलियन हो ..”

वो हँस पड़ी थी ..

“मेरे लिए मेरा आर्ट ही सब कुछ है ,ये कला और मेरा काम मैं इसमे ही इतनी व्यस्त रहती हु की मेरा ध्यान उधर जाता ही नही ..”

उन्होंने स्वाभाविक सा उत्तर दिया

“लेकिन अपने ही तो कहा की जिस्म की जरूरते और वासना की शक्ति के बारे में फिर आपको भी तो ये सताती होंगी ..”

“हा लेकिन जिस्म से ज्यादा ताकतवर तो मन है ना,अगर तुम्हे ख्याल ही ना आये तो क्या होगा ,तो जिस्म भी चुप हो जाता है ,मेरा मन अपने काम में समर्पित है तो मेरे मन में वासना का ख्याल भी नही आता “

“ओह...यानी मुझे देखकर भी नही “

वो थोड़ी देर तक मुझे आश्चर्य से देखने लगी फिर मुस्कराते हुए मेरे गालो में एक हल्की सी चपत लगा दी

“बदमाश कही के ,खुद को देखो और मुझे देखो मैं तुम्हे देखकर एक्साइट होऊँगी ..”

“क्यो क्या कमी है मुझमे जवान हु ,हेंडसम हु “

“हा तुम हो लेकिन अभी मेरे सामने बच्चे हो “

वो खिलखिलाने लगी ,क्या मुस्कान थी उनकी मेरा सारा भय ,तकलीफ ,चिंता सब जाती रही ,मन में चल रहा कौतूहल मानो शांत हो गया था ……

“अगर कभी आपके मन में जिस्म की भूख जागे और किसी की मदद की जरूरत पड़े तो मुझे याद कर लीजियेगा,मुझे खुशी होगी आपकी मदद करने में “

वो इस बार सीरियस तरीके से मुझे देखने लगी

“ये तुम्हारा मजाक है ??”

“नही प्रपोजल है “मैंने मुस्कुराते हुए कहा

वो भी मस्कुराते हुए उठी और वंहा से जाने लगी ,मैं उनके जिस्म को गौर से देख रहा था ,पूरा जिस्म गठीला था,हर हिस्सा कसा हुआ,और हॉट पेंट में वो और भी कयामत लग रही थी ,एक्सरसाइज करने के कारण वो पूरी तरह से शेप में थी …

और साथ ही उनकी अदाएं और सुंदर चहेरा ...वाह भगवान की इस कलाकारी पर मेरा दिल आ गया था …

“मेडम सुनिए बस एक सवाल “

मैंने थोड़े जोर से कहा वो रुकी और पीछे मुड़कर मुझे देखने लगी ..और मेरी ओर बढ़ी

“अगर मैं ऐसी सिचुएशन में फंस जाऊ की मुझे कुछ समझ ना आये,दिल और दिमाग अलग अलग बाते करने लगे तो मैं क्या करू…”

वो थोड़ी देर सोचती रही ..

“अपने दिल की सुनना ..”

“लेकिन विचार करना तो दिमाग का काम है ना ,सही गलत की समझ दिमाग को ही होती है ,कही दिल कुछ गलत ना करवा दे “

वो फिर से मुस्कराते हुए मुझे देखने लगी ..

“दिल की सुनो और दिल की करो ...लेकिन दिल की सच्ची आवाज को सुनना जरूरी है जो शांति में ही आती है विचारो की भीड़ में नही ...अब मिल गया तुम्हे जवाब “

मैंने हा में सर हिलाया ,वो फिर मुस्कराते हुए जाने लगी

“मेडम सुनिए ना “मैं फिर से चिल्लाया,वो पलटी तो मैं भी खड़ा हो कर उनके पास जाने लगा..

“मेरा दिल मुझसे कुछ बोल रहा है ..”

मैं उनके पास पहुच गया था ,उन्होंने आंखों से ही पूछा क्या

“की आप बहुत अच्छी है ,और शायद मैं आपके मोहोब्बत में गिरिफ्तार हो गया हु “

वो खिलखिला कर हंस पड़ी

“ओह ये बात है तुम नही सुधरोगे ..”

वो हसंते हुए जाने लगी

“आप सच में मुझे बच्चा समझती है कभी सीरियस ही नही लेती “

उन्होंने मेरे गालो को पकड़कर उसे खींच दिया “

“तुम तो हो ही बच्चे ..”

मैंने बुरा सा मुह बनाया तो उन्होंने मेरे गालो में एक किस ले दिया ,

“अब खुश “

सच कहु तो मैं खुशी से झूम गया था,ये कोई वासना नही थी ना ही किसी प्रकार का जमाने की नजर में होने वाला प्रेम नही ये बस एक अपनत्व था जो उन्होंने मुझपर दिखाया था ,,मैं नाच रहा था वही वो मेरी हरकतों को देखकर खिलखिलाने लगी थी ...और उनकी ये खिलखिलाहट ही मेरे लिए मेरा असली इनाम था …...


josef
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अध्याय 9

जंगल से आने के बाद से मैं अब्दुल काका और रामु काका के साथ बैठकर दारू नही पिया था,आजकल वो मुझसे थोड़ा डरे हुए बाते करते थे ,तो मैंने सोचा की क्यो ना आज उनके साथ बैठा जाए मैं 3 क्वाटर देशी के ले कर उनके पास चला गया,

“नही छोटे साहब मैं रामु के साथ बैठकर शराब नही पियूँगा “

अब्दुल काका की बात से मुझे थोडा अजीब लगा ऐसे भी मैं हमेशा किसी एक के साथ बैठकर पीता था लेकिन मैंने सोचा की दोनो को एक साथ बुला लू लेकिन दोनो ने इनकार कर दिया ..

“क्या बात है आखिर ..”

“जब हम दोनो साथ होते है तो एक दूसरे की बीबियों को गाली देने लगते है फिर हमारे बीच झगड़े हो जाते है उससे अच्छा है की हम साथ ना ही पिये …

अब मुझे पूरी कहानी समझ आ गई थी लेकिन अब मैं पीने के मूड में तो आ ही गया था तो अब क्या करू…

मैं हमारे बंगले के पीछे बने एक सर्विस क्वाटर में बैठा था जन्हा मैं अधिकतर बैठा शराब पीता था,वही अब्दुल और रामु काका वंहा से थोड़ी दूर पर ही रहते थे,चन्दू और सना के लिए पिता जी ने अलग अलग कमरे दे रखे थे जिसमे सना का कमर गेस्ट रूम और मा-पापा के कमरे के पास था वही चन्दू सामने के तरफ बने हुए सर्विस क्वाटर में रहता था …..

मैंने रामु काका से बात की तो उन्होंने भी यही बात कर दी ,तभी मुझे चन्दू दिखाई दिया ,मैंने उसे आवाज लगाई और वो मेरे पास आ गया ..

“चल दारू पीते है “

उसने मुझे अजीब निगाहों से देखा लेकिन कुछ बोला नही मैं उसे उसी सर्विस क्वाटर में ले गया और बोलता खोल ली ,हमने बिना बोले ही 2 पैक भी लगा लिए थे,अब हमे थोड़ा थोड़ा नशा चढ़ने लगा था,मुझे अहसास हुआ की पहले मुझे ज्यादा नशा होता था लेकिन अब मुझे इतने पर भी कुछ फर्क नही पड़ रहा था,शायद एक्सरसाइज ज्यादा करने की वजह से शरीर की कैपिसिटी बढ़ गई थी ……

“तुम आजकल मुझसे इतने दूर दूर क्यो रहते हो ..”

आखिर तीसरा पैक खत्म कर मैंने कहा ..

“नही ऐसा नही है …….”

उसने एक ही घुट में पूरा माल अंदर कर लिया था जरूर उसके अंदर कुछ तो उबल रहा था …

अब उसे भी नशा अपनी जकड़ में ले रहा था ,उसकी आंखे लाल हो गई थी मैंने तुरंत ही उसके लिए एक और पैक बना दिया उसने उसे भी एक ही सांस में अंदर कर लिया जैसे किसी बड़े दुख से गुजर रहा हो और उसे राहत चाहिए …..

“अब बोल भी दे ..”

उसने मुझे देखा उसकी आंखों में गुस्सा साफ दिख रहा था,लाल आंखों से जैसे खून टपक रहा था ……

“क्या बोलू ..?की तूने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी “

उसने अगला पैक भी तुरंत ही अपने अंदर उतार लिया ..

“मैंने???”

उसकी बातो से मुझे आश्चर्य हुआ की आखिर मैंने क्या किया है ..

“तू जंगल क्या गया साले वंहा से तोप बन कर आ गया,और मेरे पूरे अरमानो पर तूने पानी फेर दिया,जी चाहता है की तुझे यही मार दु “

उसकी आवाज में नफरत भरी थी…

लेकिन मैं अब भी शांत था मैं जानना चाहता था की आखिर उसके दिल में क्या है ….

“मुझसे इतनी नफरत ??? आखिर क्यो??”

“क्यो???”वो जोरो से हंसा चल मेरे साथ ,..

वो मेरा हाथ पकड़े हुए मुझे बंगले के मुख्य घर की ओर ले जाने लगा,फिर अंडरग्राउंड गैरेज/पार्किंग में ले गया,वंहा कई गाड़िया खड़ी थी वो मुझे दूसरी तरफ ले गया ,मुझे पता था की यंहा एक कमरा है ,कंट्रोल रूम जैसा लेकिन अब कंट्रोल रूम गार्ड के कमरे के पास बना दिया गया था तो ये कमरा अब खाली था,लेकिन कमरे की खिड़किया खुली हुई थी और अंदर से प्रकाश बाहर आ रहा था,मैं समझ गया था की यंहा कोई है लेकिन जैसे ही मैं खिड़की के पास पहुचा तो मेरी आंखे फ़टी की फ़टी रह गई …….

अंदर मेरे पिता शबीना काकी (अब्दुल की बीबी) के ऊपर चढ़े हुए थे और धक्के लगा रहे थे वही कांता काकी (चन्दू की मा और रामु की बीवी) नंगी उनके बाजू में सोई हुई थी लग रहा था की अभी अभी उसके साथ भी कुछ किया गया था…

सिसकियों की आवाजे बाहर तक आ रही थी और उनकी हिम्मत की खिड़की ही नही दरवाजा भी खुला हुआ था,सभी बेखोफ लग गए थे ,दुनिया की परवाह किये बिना अपने ही मजे में मगन थे..

पिता जी का ये रूप देखकर मैं दंग रह गया था,मैंने ये तो सुना था की वो ऐसा करते है लेकिन आज सामने देखकर मेरी सांसे ही रुक गई ,वही वो दृश्य बेहद ही उत्तेजक भी था,

शबीना काकी दूध जैसी गोरी थी और उन्होंने पापा के सर को जोरो से जकड़ लिया था ,वो आहे भर रही थी वही पिता जी की कमर किसी पिस्टन के जैसे अंदर बाहर हो रही थी ,वही सवाली सलोनी कांता काकी के भरे हुए शरीर को देखकर एक बार को मेरा लिंग भी तन गया था,उनके जांघो के बीच बालो की झड़िया उगी हुई थी और वो उन्हें अपने उंगली से सहला रही थी ,वो तेजी से उंगली चलाती फिर जब उंगली गीली हो जाती तो शबीना के मुह में उसे डाल देती,कभी वो शबीना के होठो में आपने होठ लगा देती ,

“दूर हट मादरचोद”जब कांता शबीना के होठो में होठ रखने वाली थी तो पापा ने उसके चहरे को पकड़ कर जोर से दूर फेक दिया ,ये देखकर चन्दू वंहा से तुरत ही हट गया था,मैं उसके रोने की आवाज सुन सकता था,वही कांता पापा के इस बर्ताव के बाद भी फिर से उनकी ओर जाती है और उनके पैरो को चाटने लगती है,

“मादरचोद तेरे चुद से ज्यादा पानी आ रहा है क्या “

कांता ने हा में सर हिला दिया ,पापा शबीना को छोड़ उसके बालो को खीचकर ऊपर ले आये और कांता के जांघो के जोड़ को शबीना के मुह में रख दिया…

“चूस इस रंडी की चुद को साली बहुत मचल रही है ..”

कांता हसने लगी थी ,वही पापा ने फिर से शबीना के योनि में अपना लिंग डाल दिया..

साफ लग रहा था की ये दोनो उनके लिए किसी सेक्स स्लेव जैसी ही है…

मेरी नजर वहां से हटी तो मुझे चन्दू दूर खड़ा रोता हुआ दिखा,मैं समझ सकता था की अपनी माँ को ऐसा देखकर उस बेचारे के दिल में क्या बीत रही होगी,उसे मेरे बाप से जलील होना पड़ता होगा क्या पता की पिता जी को चन्दू की उपस्थिति का पता हो ,हो भी सकता था क्योकि उन्हें दुसरो को जलील करने में बहुत मजा जो आता था,मुझे मेरे पुराने दिनों की याद आ गई लेकिन फिर भी मेरे साथ जो भी हुआ हो ये इससे बुरा तो नही था.

मैं चन्दू के पास पहुचा ,चन्दू फिर से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सर्विस क्वाटर में ले आया था ,और आते ही उसने बची हुई शराब को बोतल से ही निगल लिया …..

“चन्दू..”

मैं कुछ बोलता उससे पहले ही वो भड़क गया

“चुप कर मादरचोद,देखा ना तेरा बाप मेरी माँ के साथ क्या करता है,और तू पूछ रहा था की मैं तुझसे नफरत क्यो करता हु,मैं तो तेरे पूरे परिवार से नफरत करता हु और साथ ही अपने बाप से भी ,अब्दुल और मेरे बाप दोनो को पता है की उनकी बीबियां चंदानी की रंडिया है लेकिन साले नामर्द है ….किसी की हिम्मत नही की उन्हें रोक सके ,या बदला ले लेकिन मैं लूंगा ,मैं तेरे बाप से बदला लूंगा...जानता है वो मेरा भी बाप है ,हा राज मैं और सना दोनो ही उसकी नजायज औलादे है ,हमारे बाप तो बस नाम के ही बाप है ,साले नामर्द कहि के...ऐसे में मैं तेरा भाई हुआ ना ...लेकिन फिर भी देख तू क्या है और मैं क्या हु ,तेरा बाप मेरे और सना की अच्छी देखभाल करता है लेकिन क्या वो हमे वो दर्जा दे सकता है जो तुझे और तेरी बहनो को मिला है ...नही ..क्योकि हम नाजायज औलाद है उसकी…...हम उसके हवस की निशानी है राज …

लेकिन मेरे पास एक उम्मीद थी ,क्योकि उसका बेटा भी नामर्द ही निकल गया था ,एक डरपोक जिससे चंदानी नफरत करता था,मैंने इसका पूरा फायदा उठाया अपने को इस लायक बनाया की चंदानी की नजर में उठ सकू उठा भी ,उसे यही लगने लगा था की मैं ही उसका असली खून हु,मेरे अंदर ही उसके खून ने रंग दिखाया है,मैं निशा के करीब हो गया था,ताकि मैं उसे अपने प्यार में फंसा लू लेकिन ….

लेकिन तू जंगल से आया और चंदानी का असली खून बोल उठा,ताकत और आकर्षण...आज चंदानी के नजरो में मेरी कोई इज्जत नही रह गई निशा मुझसे अलग हो गई,सिर्फ तेरे कारण..साले मैं तो तुझे अभी मार देना चाहता हु ,लेकिन क्या करू मैं कुछ भी नही कर सकता ,लेकिन मेरा वादा है तुझसे की एक दिन आएगा जब मैं चंदानी और उसके परिवार को बर्बाद कर दूंगा ..”

वो रोने लगा था ,असल में ये सब सुनकर गुस्सा आना चाहिए था लेकिन जो मैंने देखा था उसे देखकर मुझे चन्दू पर दया आ रही थी ..

“और तेरी माँ ,उसे भी सब कुछ पता है की मैं और सना कौन है लेकिन वो भी साली ..”

चन्दू इतना ही बोला था की मैंने उसके जबड़े को पकड़ लिया,मेरी पकड़ इतनी मजबूत ही की वो हिल भी नही पा रहा था..

“मादरचोद माँ के बारे में कुछ नही बोलना “

मैंने जब उसे छोड़ा तो वो रोते हुए भी हसने लगा..

“हा कुछ नही बोलूंगा क्योकि वो तेरी माँ है ,और मेरी माँ का क्या जिसे चंदानी नंगी करके चोद रहा है,वो भी दरवाजा खोल कर ,कोई उसे देखे उसे कोई फर्क नही पड़ता,वो मादरचोद तो मेरे बाप के सामने भी उसे चोद देता है ...तेरी माँ की इज्जत है और मेरी माँ बस एक रंडी..?????”

इसे बार वो रोते रोते बैठ गया था ,मैं उसे क्या बोलू मेरे समझ के बाहर था,अपने पिता के इस रूप से मुझे घृणा सी आ रही थी ,और उससे ज्यादा गुस्सा अब्दुल और रामु काका पर जो अपनी ही बीबियों की अस्मिता की रक्षा नही कर पाते,लेकिन फिर मुझे याद आया की मैं भी तो ऐसा ही था,मेरा बाप सबको ऐसा ही बना देता है ,लोग उसे कमीना ऐसे ही नही कहते..

चन्दू अब मुझे देखने लगा..

“राज मैं जानता हु की तू अब ताकतवर हो गया है लेकिन चाहे जो हो जाए एक दिन मैं चंदानी को उसके किये की सजा जरूर दूंगा,तेरे परिवार को उनके किये की सजा मिलेगी ..”

“मेरे रहते तू मेरे परिवार का बाल भी बांका नही कर सकता चन्दू तो सोचना भी मत “

मैं पहली बार उसे धमकाया था लेकिन मेरा आवाज सामान्य ही था क्योकि मेरे दिल में उसके लिए एक सहानुभूति जाग गई थी ,

वो हंसा

“तुझे क्या लगता है की निशा और तेरा बाप तेरे साथ है ,नही राज वो लोग सिर्फ ताकत के साथ होते है ,जिसके पास मिल जाए वो उधर चले जाएंगे,आज निशा तुझसे चिपक कर तुझे भाई भाई बोल रही है ना,तेरी एक हार और वो फिर से तुझे देखना भी पसंद नही करेगी ,वो सेल्फीज़ है राज ,पहले मेरे साथ थी अब तेरे साथ है और कल किसी और के साथ हो जाएगी …”

“जबान सम्हाल चन्दू “

इस बार मैं चीखा था लेकिन चन्दू अभी भी हंस ही था..

“मुझे मरना है तुझे???मार ले और कर भी क्या सकता है तू लेकिन मैं उस दिन तुझपर फिर से हसूंगा जब निशा फिर से मेरे पास होगी हा हा हा..”

वो हसने लगा ,उसे देखकर मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई थी ,मैं चाहता तो अभी इसकी हड्डी पसलियां तोड़ सकता था लेकिन मैंने ऐसा नही किया ,अगर ये खेलना चाहता था तो ठीक है आखिर देखूं तो चन्दू कौन सा खेल दिखाता है ..

“ऐसी बात है तो चल तुझे बेस्ट ऑफ लक,लेकिन याद रखना आज से हम दुश्मन है ,और मैं अपने दुश्मनो को नही छोड़ता “

मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराया

“राज तू तो जिस दिन पैदा हुआ उसी दिन से मेरा दुश्मन बन गया था ,हा पता तुझे आज चला है लेकिन पता तुझे अभी भी नही है कि तेरा किससे पाला पड़ा है और मैं क्या कर सकता हु"

उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा था,लेकिन….

अजीब बात थी की हम दोनो के चहरे में कमीनी मुस्कान थी….







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Re: जादू की लकड़ी

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अध्याय 10

मेरे दिमाग में चन्दू की बात घूम रही थी ,हल्का दारू का नशा भी था और साथ ही साथ वो दृश्य भी जो मैंने देखा था,

वो जितना मुझे याद आता मेरा लिंग उतना ही कड़ा हो जाता,मैं परेशान होने लगा,मुझे काजल मेडम की बात याद आई जब उन्होंने पूछा था की मास्टरबेशन करते हो..

मैंने आज तक नही हिलाया था ,लेकिन वो दृश्य मेरे कोमल मन के लिए बहुत ज्यादा था,दो औरतो को इस हालत में देखने के बाद मेरा अकेले होने पर मेरा हाल बेहाल हो रहा था,मैं पागल हो रहा था,मैं शबीना काकी को पापा की तरह निचोड़ने के ख्याल से भर गया वही कांता का शरीर भी मेरे आंखों में घूम रहा था.वो सचमें भरी हुई माल थी,

“कास साली को लिटा कर ..”

मेरा हाथ मेरे लिंग में आ गया था तभी ..

“भौ भौ”

ओह नो,ये साल टॉमी ..

मैन जब टॉमी को देखा वो मुझे ही देख रहा था जैसे मुझे देखकर मुस्कुरा रहा हो ,पता नही क्यो खुश था शायद मेरे कमरे में आने के कारण ,मैं बिस्तर में गिरा लेकिन टॉमी मेरे बाजू में आकर सो गया,अब मैं उसके सामने तो हिला नही सकता था,कमीना मुझे ही देख रहा था ,मैंने उसे उठाकर नीचे कर दिया ..

अब मैं आराम से पूरे बिस्तर में अकेले था,मैंने आंखे बंद की तो सामने वही दृश्य था..

“आओ ये देखो…”ऐसे लगा जैसे कांता काकी मुझे टांगे खोलकर अपने योनि को दर्शन करवा रही हो,मैंने तुरंत ही चद्दर ओढ़ ली और अपने लिंग को अपने शार्ट से निकाल कर उसे मसाला..

“आह…”क्या मजा था साला,मैं इतने दिनों तक इस मजे से बेगाना रहा ..

मैं थोड़ा और मसल पाता की..

“आप कहा चले गए थे..”

निशा सीधे कमरे में घुसकर मेरे बिस्तर में आकर चादर के अंदर घुस गई,

मुझे उसकी आवाज से एक जोर का झटका लगा ,मैंने तुरंत ही अपने अकड़े लिंग को अपने शार्ट के अंदर कर लिया,लगा जैसे वो चोरी ना पकड़ ले,लेकिन वो बेखबर थी और सीधे वो मुझसे लिपट गई ,लिंग अभी भी अकड़ा हुआ ही था,और सांसे अभी भी बेहद तेज थी ,धड़कने भी तेज ही चल रही थी ..

“क्या हुआ ऐसे हांफ क्यो रहे हो ,अपकी हार्टबीट तो मुझे सुनाई दे रही है “

उसने अपना चहरा ऊपर किया ..

“कुछ नही वो दौड़ते दौड़ते ऊपर आया ना इसलिये..”

मैंने जैसे तैसे कहा

“दारू पी है आपने ,”

उसने अपने नाक सिकोड़े

“हा वो थोड़ी सी ..”

“कभी मुझे भी पिला दिया करो क्या अकेले अकेले पीते हो “

वो फिर से मेरे सीने से लग गई ..

मैं बिना कुछ बोले ही उसे अपने बांहो में भर लिया,मुझे उसकी बात याद आयी की वो मुझसे आकर्षित है…

ऐसे भी लिंग तो अकड़ा हुआ था ही दिमाग ने दौड़ाना शुरू कर दिया लेकिन फिर मैंने ग्लानि महसूस की …

‘साला मैं सच में उसी हवसी बाप का बेटा हु जो अपनी प्यारी सी बहन के बारे में ऐसा कुछ सोच रहा हु …’मैंने अपने दिमाग में ही कहा …

मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे की निशा थोड़ी मचली,मुझे उसके उन्नत वक्षो का अहसास हुआ,अपनी ढीली टीशर्ट के अंदर उसने ब्रा नही पहनी थी,उसके वक्ष बड़े ही कोमल लग रहे थे मैं सोचना तो नही चाहता था लेकिन जिस्म मेरा भी मर्द का था और वो एक पूरी जवान लड़की थी,मेरे नाक में उसके शरीर का सुगंध भी भर रही थी जो की बेहद ही प्यारी थी,

तभी निशा ने अपना एक पैर मेरे कमर से क्रॉस करके दूसरी ओर रख दिया ..

‘है भगवान उसे पता ना चले ‘मैंने मन ही मन सोचा क्योकि उसकी जांघ मेरे लिंग के ऊपर थी और लिंग ….वो पूरे शबाब में था,

उसने अपना सर उठाकर मुझे देखा ..

मेरी फट कर चार हो चुकी थी …

“आपको क्या हुआ आज इतने उत्तेजित हो..”

मैं समझ गया था की उसे इस बात का अहसास हो गया ,लेकिन अब मैं क्या बोलता, मैं चुप ही था,

“क्या देख लिया अपने ,या रश्मि की याद आ रही है ,या फिर काजल मेडम की ...कही मेरे कारण तो नही “

वो शरारत से मुस्कुराई

“चुप कर कुछ भी बोलती है तेरे कारण क्यो होगा ..असल में वो पार्किंग में ..”

मैं कुछ बोलने वाला था की मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ ..

और मैं रुक गया ..

“ओह तो पापा की रासलीला देख ली अपने “

मैं बुरी तरह से चौक गया

“तुझे कैसे पता “

वो जोरो से हंसी

“आपके सिवा इस घर में सबको पता है ,ऐसे आज किसके साथ थे ..”

“किसके साथ होते है ..??”

मैंने तो सोचा था की शबीना और कांता के साथ ही हो सकते थे,

“उनका क्या भरोसा ,कभी शबीना काकी तो कभी कांता कभी देवकी(हमारी एक नॉकरानी) तो कभी एक साथ सभी ,या कोई दूसरी बाहर वाली कोई ..”

उसकी बात सुनकर मैं चुप हो गया था …

“कितना बड़ा कमीना है हमारा बाप “

मेरे मुह से घृणा से निकल गया ..

“और उसी के कमीनेपन को देखकर आप उत्तेजित हो रहे हो ,हा आप भी तो उसके ही बेटे हो मैं कैसे भूल गई ये “

उसके चहरे में अजीब से भाव आये ..

“मैंने ये पहली बार देखा इसलिए शायद बहक गया था,ऐसे तुझे उनपर गुस्सा नही आता “

“क्यो वो सभी औरते अपनी मर्जी से उनके साथ है,वो किसी पर कोई जबरदस्ती नही करते..”

“लेकिन माँ की तो सोच ..”

“ह्म्म्म माँ को सबकुछ पता है ,हमेशा से पता था वो बेचारी भोली भाली कभी पापा के सामने मुह नही खोलती ,हा उनके ऊपर दया आती है लेकिन पापा भी क्या करेंगे अगर माँ उनकी इच्छाओ को पूरा नही कर पाती होगी तो...उन्हें तो बाहर ही मुह मरना पड़ेगा ना “

अब क्या सही था और क्या गलत ये समझ पाना मेरे लिए मुश्किल था…..

“वो सब छोड़ो आप बताओ कैसा लगा देखकर “उसने फिर से शरारत से कहा

“चुप कर भाई से ऐसे बात करती है”

“क्यों नही अब तो मेरा भाई भी जवान हो गया है,और ये ...”

उसने अपनी जांघ को हल्के से हिलाया ,उसके नीचे मेरा लिंग तना हुआ था जो इस रगड़ से बुरी तरह से कांप गया..

मैंने झटके से उसके जांघ को अपनी कमर से हटा दिया ..

“कितनी बेशर्म है तू निशा...मैं तेरा भाई हुई और ये सब ..पाप है ..”

इस बार निशा ने अजीब निगाहों से मुझे देखा

“मैं जानती हु की ये सब पाप है लेकिन …”

वो चुप हो गई और उठकर जाने लगी ,उसका इस तरह उठकर जाना मुझे समझ नही आ रहा था मैंने तुरन्त ही उसका हाथ पकड़ लिया..

“”ए क्या हो गया तू उदास क्यो हो गई “

उसके आंखों में कुछ आंसू की बूंदे थी …

“कुछ नही भाई आप नही समझ पाओगे..”

उसकी आवाज में दर्द था एक अजीब सा दर्द …

“अरे बता तो सही ..”

“आई लव यू भाई…..”

“लव यू टू बेबी ..”

“लेकिन मेरा प्यार वैसा है जैसा आपके और रश्मि का ..”

इस बार मैं अवाक रह गया था ,आखिर ये क्या बात हो गई थी ,निशा जो हमेशा से मुझसे लड़ती रही वो अचानक कहती है की उसे मुझसे प्यार है वो भी भाई बहन वाला नही ,gf वाला …

मुझे लग रहा था की मुझे फिर से बाबा के पास जाकर इस लकड़ी के बारे में और अच्छे से जानना पड़ेगा वरना इसके ताकत के चक्कर में मैं ही फस जाऊंगा…

शक्ति के साथ प्रॉब्लम यही होती है की वो अच्छी या बुरी नही होती,उसका इस्माल करने वाला उसे अच्छा या बुरा बनाता है,और अगर आपके पास कोई जादुई शक्ति हो लेकिन आपको पता ही ना हो की उसका इस्तमाल कैसे करते है तो…...तो समझ लो आपकी लग गई …….

“तू कब से मुझे प्यार करने लगी ,हमेशा तो मुझसे लड़ती रहती थी मुझे नीचा दिखाने में लगी रहती थी “

उसने इस बार घूर कर मुझे देखा,उसका प्यार चहरा आंसुओ में और भी प्यार लग रहा था ,

“शायद मैं इसीलिए आपसे लड़ती थी की मैं आपसे बहुत प्यार करती थी,मैं आपसे कुछ नही मांग रही हु बस मुझे खुद से प्यार करने दीजिये ..”

“लेकिन तुझे कैसे पता की ये प्यार ही है ,महज आकर्षण नही ..”

वो थोड़ी देर तक चुप रही ..

“आपको मुझपर यकीन ना आये तो नेहा दीदी से पूछ लेना ,जब भी हमारी लड़ाई होती थी मैं अपने कमरे में आकर घण्टो तक रोती थी,उन्हें भी मेरे दिल की बात का पता है ,जब आप जंगल नही गए थे उससे पहले से पता है ,वो मुझे कुछ नही कहती और कभी कहती है तो मैं मना कर देती हु,लेकिन मुझे लगता है की वो जानती है की मैं आपसे कैसे वाला प्यार करती हु …”

“नेहा दीदी ??”

मैं कुछ और कह पाता उससे पहले निशा आकर मुझसे लिपट गई ..

“भाई यूज मि ...मैं जानती हु की आप रश्मि से प्यार करते हो ,मैं उससे आपको जुदा नही करूँगी ,जस्ट यूज मि भईया,मैं उसे ही अपना सौभाग्य मान लुंगी की मेरे कारण आपको कुछ मिला..प्लीज भइया प्लीज..”

निशा मेरे ऊपर जैसे टूट ही पड़ी थी वो मेरे होठो को चुम रही थी ,मैं उससे छूटने की कोशिस कर रहा था लेकिन मैं उसे चोट नही पहुचना चाहता था..

“निशा पागल हो गई है क्या ??ये सब क्या कर रही है तू …”

“भइया मैं जानती हु की आपके जिस्म को अभी एक लड़की की जरूरत है ,मैं वो लड़की क्यो नही हो सकती भइया,मुझे प्यार ना करो तो कम से कम मेरे जिस्म को ही भोग लो ,मुझे थोड़ा सुकून मिल जाएगा की मैं आपको कुछ दे पाई ..”

निशा के इस समर्पण से मैं भी पिघलने लगा था,मेरे मन में वासना तो पहले भी छलांग लगा रही थी लेकिन निशा ने जब खुद को मुझे सौप दिया तो उसके कोमल जिस्म की गर्माहट और उसके होठो की नर्माहट से मैं बेकाबू सा होने लगा था …

मेरा विरोध धीमा पड़ रहा था ,और हमारे होठ मिल गए पहले तो निशा ने ही अपने होठो को चलाया लेकिन फिर मैं भी उसका साथ देने लगा था …….

तभी मेरे फोन की घण्टी बजी ……

दूसरे बार काल करने आने पर मैंने उसे देखा कोई अननोन नंबर था ..

“हल्लो ..”

मेरी सांसे थोड़ी तेज हो गई थी निशा अब भी मेरे जिस्मो को चुम रही थी तो मैं वंहा से उठाकर उससे थोड़ी दूर चला गया ..

“राज ,मेरी बार ध्यान से सुनो कुछ भी मत बोलना जब तक बात पूरी ना हो जाए …….निशा के साथ अगर तुम कुछ करने वाले हो तो कुछ भी मत करना,ये सब एक जाल है तुम्हे फसाने के लिए,तुम मेरा फोन रोंग नंबर बोल कर काट दो और कल मुझे आकर मिलो मैंने अपना पता तुम्हे मेसेज कर रहा हु .. “

और काल कट गया ……

मैं बुरी तरह से परेशान था की ये क्या हुआ …

मेरी नजर निशा पर गई और चन्दू की कही बात मेरे दिमाग में घूमने लगी ,तो ये ताबीज का असर नही कोई चाल है..??
मैंने निशा की आंखों में देखा ...उसके आंखों में मुझे बस मासूमियत ही दिखाई दी ,..

आखिर क्या सच है और क्या गलत ,ये जाने बिना कुछ भी करना खुद किसी जाल में फसाना ही था…

“किसका फोन था “

निशा ने बड़े ही मासूमियत से कहा वही वो मुझे बड़ी अदा से अपने पास बुला रही थी ,

“रोंग नंबर था “

तभी मेरे मोबाइल में के मेसेज आया ..

“निशा प्लीज् ये सब मुझसे नही होगा तुम जाओ यंहा से “

उसका चहरा उतर गया लेकिन जाते जाते उसने मेरे गालो में एक जोर की पप्पी ले ली ..

“ठीक है लेकिन मैं आपकी हो चुकी हु मानो या ना मानो ..”

वो मुसकुराते हुए वंहा से निकल गई थी ..

मेरा ध्यान मेसेज पर गया उसमे के पता दिया गया था और साथ ही एक नाम ….

विवेक अग्निहोत्री ….
josef
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Re: जादू की लकड़ी

Post by josef »

अध्याय 11

एडवाकेट विवेक अग्निहोत्री ..शहर के एक बहुत बड़े लॉयर(वकील) थे,साथ ही मेरे नाना जी के पुराने वकील भी थे,हमारे घर अक्सर आया करते थे लेकिन मैं कभी उनसे पर्सनली नही मिला था बस पहचानता था ….

उन्होंने मुझे अदंर बुलाया …

“आओ राज आओ “

हम दोनो ने हाथ मिलाया और मैं उनके सामने एक चेयर में बैठ गया ..

“आखिर बात क्या है वकील साहब “

“कॉल मि अंकल ...तुम्हारे नाना जी मेरे पिता के दोस्त थे और मैं तुम्हारी माँ और पिता का दोस्त रहा हु ,पर्सनली लेकिन प्रोफेसनली मैं वकील हु और वकील किसी का दोस्त नही होता ..”

“ओके अंकल तो अपने मुझे यंहा क्यो बुलाया और कल रात …”

“राज तुम एक बड़े मुसिबत में फंसे हो खासकर जब से तुम जंगल से आये हो बहुत कुछ बदल गया ,बातो को समझने के लिए हमे अतीत में थोड़ा पीछे जाना होगा ….”

मैंने हा में सर हिलाया और उन्होंने बोलना शुरू किया ..

“तुम्हे पता होगा की तुम्हारे नाना रत्नानी जी का एक बहुत बड़ा बिजनेस अम्पायर था ,और तुम्हारी माँ उनकी इकलौती बेटी थी ,तुम्हारे नाना और तुम्हारे दादा दोस्त थे इसलिए उन्होंने तुम्हारे माँ पिता की शादी करवा दी,तुम्हारे पिता भी अपने पिता के इकलौते बेटे थे इस तरह से दो बड़े बिजनेस एम्पायर एक हो गए ..

चंदानी ग्रुप और रत्नानी ग्रुप …

लेकिन ….तुम्हरे दादा जी और नाना जी दोनो को इस बात का इल्म हो गया था की तुम्हारे पिता जी एक ऐय्याश किस्म के इंसान है,और तुम्हरी माँ बहुत ही सीधी साधी महिला है,इसलिए उन्होंने एक वसीयत तैयार की …

वसीयत मैंने और मेरे पिता जी ने मिलकर बनाई थी ,उस समय दोनो ग्रुप्स की कुल सम्प्पति उस समय लगभग 200 करोड़ की थी जो की आज 1200 करोड़ हो चुकी है ,अब तुम्हारे पूरी संम्पति का कुल 60% तुम्हारे दादा जी के तरफ से आया है जबकि 40% नाना जी की तरफ से ,दादा की वसीयत बोलती है की उनका जो पोता होगा उसे जवान होने पर ये संपत्ति दे दी जाय,जो की तुम हो ..

वही नाना की वसीयत के अनुसार तुम्हारी माँ के सारे बच्चों के जवान होने पर , सम्प्पति बराबर बटेगी ..और अब सभी बच्चे जवान हो चुके है ...मतलब की अब तुम्हारे पिता का सम्प्पति पर कोई भी अधिकार नही रह जाता,ये बात तुम्हारे पिता को भी पता है लेकिन अभी तक उन्होंने शायद तुम्हे ये बताया नही है …”

उनकी बात सुनकर मैं बुरी तरह से चौक गया था ,इतनी दौलत और हमे पता भी नही है ……..

“तो प्रॉब्लम क्या है ???”

“प्रॉब्लम है की इस दौलत को पाने के लिए कुछ लोग उस समय से प्रयास कर रहे है जब से तुम जन्म लिए ,देखो नाना की दौलत से तो तुम्हे कोई भी महरूम नही कर सकता क्योकि तुम अपनी माँ के बेटे हो और वसीयत के हिसाब से दौलत तुम्हारे और तुम्हारी बहनो में समान रूप से बांटी जाएगी ,लेकिन दादा जी की जो दौलत है जो की कुल संम्पति की करीब 60% है उसपर सिर्फ तुम्हारा या चन्दू का हक है “

इस बार मुझे जोर का झटका लगा

“वाट मतलब ..”

“मतलब साफ है की चन्दू भी रतन चंदानी का बेटा है और कोर्ट में एक DNA टेस्ट और सब कुछ साफ हो जाएगा ..”

“मलतब सम्प्पति दो हिस्सो में बटेगी ..”

“नही सिर्फ एक, चन्दू और उसके सहयोगी तुम्हे फूटी कौड़ी नही देते ,तुम्हारी जैसी पर्सनाल्टी थी उन्हें तुमसे कोई भी खतरा नही था तब तक की तुम जंगल से नही आ गए ,अब तुम उनके लिए खतरा बन गए हो ..तो तुम्हे रास्ते से हटाना उनके लिए जरूरी हो गया है …”

अब मुझे समझ आया की आखिर चन्दू ने ये क्यो कहा था की जब से मेरा जन्म हुआ है तब से हमारी दुश्मनी है ..

“उसके सहयोगी कौन है और निशा के जरिये मुझे कैसे फसाया जा रहा था…??”

इस बार विवेक अंकल के चहरे में थोड़ी टेंशन आ गई ….

“क्या हुआ अंकल बताइये ना की आखिर चन्दू को कौन सपोर्ट कर रहा है जो मुझे रास्ते से हटाना चाहता है..”

अंकल धीरे से बोलने लगे ..

“चन्दू को दौलत दिलाने का पूरा जिम्मा मेरा था ..’

“वाट’

जैसे मैं कुर्सी से उछल ही गया ..

“राज मेरी बात सुनो,मैं तुम्हे कभी भी मरना नही चाहता था मेरी तो बस इतनी सी प्लानिंग थी की तुम्हे दबा कर रखा जाय और जब समय आये तो तुम कमजोर पड़ जाओ ,तुम्हे इतना हुमिलेट कर दिया जाय की तुम घर छोड़ कर भाग जाओ,उसके लिए हमारे पास एक दूसरा प्लान भी था ,जब तुम जंगल में खो गए तो हमे लगा की वक्त से पहले ही हमारा काम हो गया ….लेकिन ऐसा नही हुआ,तुम वापस आ गए और जब वापस आये तो तुम वो इंसान ही नही थे जिसे हम मेनुपुलेट कर सके ….”

मैं गहरे सोच में पड़ गया था ,ये मेरे साथ क्या हो रहा है...अंकल ने बोलना जारी रखा ..

“देखो मुझे तुम्हारे पिता के आचरण के बारे में पहले से ही पता था और फिर जब तुम्हारे दादा और नाना ने वसीयत बनाई तो मेरे दिमाग में एक प्लान बन गया,वसीयत के अनुसार जब तक तुम लोग पूरी तरह से जायजाद पाने के लायक नही हो जाते तब तक हमे वो वसीयत छुपा कर रखनी थी ,मलतब तुम्हारे पिता को भी इसके बारे में पता नही था,उन्हें हमने तुम्हारी बड़ी बहन के लायक होने पर हमने बताया ...और इसी बात का फायदा उठाकर मैंने तुम्हारे घर में दो औरतो को भेज दिया ,कांता और शबीना ये दोनो पहले मेरे पास ही काम किया करती थी ,उनके पति कुछ करोड़ की बात सुनकर ही लार टपकाने लगे थे और वो भी इस प्लान का हिस्सा बन गए ,मुझे पता था की तुम्हारे पिता जरूर इनसे नाजायज संबंध बनाएंगे और उससे तुम्हारे दादा के एक वारिस मिलने की पूरी संभावना मुझे थी और वो चन्दू के रूप में पूरी हुई ,लेकिन कुछ महीने बाद ही तुम्हारा भी जन्म हो गया,मैंने इंतजार करने की सोची…

तुम्हारे प्रति तुम्हारे पिता का बर्ताव और तुम्हारा दब्बूपन देख मुझे बहुत खुशी होती क्योकि तब तुम्हे आराम से मेनुपुलेट किया जा सकता था,लेकिन …..”

“लेकिन मैं जंगल से वापस आया और आपके सभी किये कराए पर पानी फिर गया यही ना ...इन सबमे मेरी बहनो का क्या रोल है…”

“मुझे एक घर का आदमी चाहिए था मेरे प्लान को पूरी तरह से सक्सेस करने के लिए ,चन्दू ने ये जिम्मा ले लिया जब उसे कुछ महीनों पहले ही इन सबके बारे में पता चला….मुझे नही पता की वो कौन है लेकिन तुम्हारे तीनो बहनो में से एक चन्दू की दीवानी जरूर है ..”

ये सुनकर मेरा दिल ही बैठ गया ..

“निशा .??”

“मुझे नही पता क्योकि उसने कभी बताया नही ,लेकिन उसने ये जरूर बताया की तुम्हे घर से बाहर कैसे निकाला जाए ..और उसका जरिया निशा ही थी ,निशा तुम्हारे ऊपर डोरे डालेगी और तुम्हे उत्तेजित करेगी और किसी कमजोर पल में तुम बहक जाओगे ,और इसी का फायदा उठाकर चन्दू तुम्हरे पिता को ये बात बता देगा और फिर वही तमाशा होगा तुम्हारा पिता तुम्हे मार मार कर घर से बाहर निकाल देगा क्योकि वो सबसे ज्यादा निशा से ही प्यार करता है तो तुम्हारा रास्ता साफ ,तुम्हरा पिता चन्दू को अपना बेटा घोसित करता जिसके लिए मैं उसे उकसाता ताकि पूरी प्रोपर्टी बर्बाद ना हो जाए और फिर सब कुछ चन्दू का और नान की प्रोपर्टी तुम्हारे 3 बहनो में ही बट जाती,तुम कभी उसपर क्लेम करने की सोच भी नही पाते क्योकि तुम्हे इन सब चीजो का पता भी नही था और ना चल पाता,फिर जब प्रोपर्टी एक बार हाथ में लग गई तो तुम्हारी उस बहन का चन्दू से शादी करवा दिया जाता,तुम्हारे माँ बाप कुछ भी नही कर पाते क्योकि पूरी प्रोपर्टी चन्दू की हो ही चुकी होती,नाना की प्रोपर्टी का एक हिस्सा उस बहन का होता,बाकी दो बहने अपना हिस्सा लेकर अलग हो चुकी होती,तो बात खत्म थी ,कोई कुछ नही कह पाता और करोड़ो की दौलत के हम मालिक बन जाते…..”

इतना कहकर वो चुप हो गए …….

“वाह क्या प्लान था ..लेकिन अब मुझपर इतनी दया क्यो …की आप खुद ही सब कुछ मुझे बता रहे है..”

उन्होंने एक गहरी सांस छोड़ी ..

“कल रात चन्दू ने मुझे फोन किया ,बहुत दारू पी हुई थी उसने,वो मेरे साथ काम करने से मना करने लगा ,साथ ही मुझे ये भी बताया की आज तुम्हारे घर में बवाल होगा,वो अपने प्लान पर काम करेगा और साथ ही ये भी कहा की उसे अब मेरी कोई जरूरत नही है,उसे मुझसे ताकतवर लोग मिल चुके है जो तुम्हे मारना चाहते है ,अब वो तुम्हे मार डालेगा और जायजाद अपने नाम करवाएगा ….मैं खून खराबा नही चाहता राज...पहले भी नही चाहता था ,मैं काफी देर तक सोच में ही पड़ा रहा की आखिर क्या करू...मैंने सोचा की मैं खुद को इन सबसे दूर रखु लेकिन ...लेकिन किसी ने मुझे फोन कर कहा की अगर मैंने तुम्हे ये सब नही बताया तो वो मुझे मार देगी ..”

ये मेरे लिए एक और झटका था ..

“वाट..कौन ..”

“मुझे नही पता लेकिन मैं बुरी तरह से डर गया था,पहले चन्दू मरने मारने की बात कर रहा था और अब ये लड़की ..असल में उस लड़की को भी नही पता था की असल बात क्या है उसने पहले मुझसे कहा की मैं तुम्हे वार्न करू और फिर तुम्हे अपने पास बुलाकर पूरी बात बताऊ,उसके बाद वो मुझसे मेरे घर में आकर मिली और काफी देर बात करके पूरी जानकारी ली ..”

“आखिर वो दिखती कैसी है...कितने उम्र की रही होगी ..”

“ज्यादा उम्र की तो नही थी लेकिन जब वो मेरे घर आयी थी तो उसके साथ कुछ लोग और भी थे,बड़े ही खतरनाक लग रहे थे,उसने मुझसे कहा की मैं इस मामले से दूर रहू और वसीयत के पेपर्स तुम्हें सौप दु ,ताकि वो चन्दू के हाथ ना लगे ..मुझे लगता है की कोई बड़ी ताकते इन सबमे शामिल हो गई है ,वो लड़की एक फाइटर लग रही थी ,चहरा मासूम था लेकिन ...बहुत ही दमदार थी,वही चन्दू भी कह रहा था की उसे ताकतवर लोग मिल गए है जो तुम्हे मार देंगे,मुझे कुछ समझ नही आ रहा है राज की आखिर ये हो क्या रहा है लेकिन जो भी हो तुम सम्हालकर रहना .”

उनकी बात सुनकर मैं जोरो से हंसा

“जो शख्स मुझे बर्बाद करने को तुला था वो आज मेरी सलामती की बात कर रहा है ……”

मैं खड़ा हुआ

“वो पेपर्स मुझे चाहिए “

“वो ...उसे तो मैंने अपने बैक के लॉकर में रखा हुआ है ,”

“तो बैक चलते है “

“आज तो रविवार है बैंक बंद होगा,कल बैक खुलते ही मैं वो पेपर्स तुम्हारे हवाले कर दूंगा ..”

“हम्म्म्म “

मैं पलटा और बाहर की तरफ जाने लगा तभी मेरे दिमाग में एक ख्याल आया ..

मैं फिर से विवेक की तरफ पलटा ..

“कही वो लड़की ये तो नही “

मैंने मोबाइल से एक फ़ोटो निकाल कर उन्हें दिखाई जिसे देखकर उनकी आंखे चौड़ी हो गई…

“हा यही है यही है “

मेरे होठो में मुस्कान और दिल में शंका के कई बादल एक साथ उमड़ पड़े थे ,क्योकि ये तस्वीर काजल मेडम की थी ..

सुंदर चहरे वाली फाइटर ……..

**************

रविवार होने की वजह से बैक बंद था ,इसलिए मुझे वो पेपर्स नही मिल पाए थे,वही मेरे दिमाग में बार बार काजल मेडम का ख्याल आ रहा था की आखिर उन्हें कैसे पता चला की चन्दू किससे बात कर रहा था,और फिर उन्होंने सीधे मुझे काल क्यो नही किया बल्कि विवेक को कॉल कर मुझे आगाह करने क्यो कहा ,वही वो आखिर है कौन जो की इतने लोगो के साथ मेरी रक्षा का जिम्मा उठाये हुए है ???.......

घर में आज मैंने चन्दू को ढूंढने की कोशिस की लेकिन चन्दू और उसका बाप(रामु) दोनो ही गायब थे ,पूछने पर पता चला की रात से ही गायब है ,अब मेरा दिमाग और भी घुमा की साला आखिर हो क्या रहा है …….

शाम बैठा हुआ मैं बोर हो रहा था,tv का चैनल बदलते हुए अचानक एक न्यूज़ से मैं उछल पड़ा ……

‘शहर के जाने माने सीनियर वकील की अपने ऑफिस की छत से गिरकर मौत...पुलिस को है हत्या की आशंका, सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है वही उनके ऑफिस में काम करने वाले लोगो से बात भी की जा रही है ,आखिर ये आत्महत्या थी या सोची समझी हत्या …….’
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