जादू की लकड़ी

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josef
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Re: जादू की लकड़ी

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अध्याय 3

जब नींद आती है तो नरम बिस्तर की परवाह नही रह जाती ,यही मेरे साथ हुआ मुश्किल घड़ी में भी ना जाने कब मैं नींद के आगोश में चला गया था,

मेरी नींद खुली टॉमी की गुर्राने से मैं तुरंत ही सतर्क हो गया ,टॉमी सामने देख कर गुर्रा रहा था,सामने देखा तो मानो मुझे सांप ही सूंघ लिया क्योकि सामने सच में सांप ही था ,फन फैलाये वो भी फुंकार मार रहा था,मैं घर में एक अदन छिपकली को भी देखकर भाग जाता हु और यंहा नागराज स्वयं पधारे थे ..

वही टॉमी लड़ने की पोजिशन ले चुका था वो उसे देख कर गुर्रा रहा था,दोनों की निगाहे एक दूसरे से मिली हुई थी ,मुझे पता नही था की एक पालतू कुत्ता इस तरह शिकारी भी हो सकता है,शायद ये उसके खून में हो ,कुछ चीजे जानवरो को कभी नही सीखनी पड़ी वो उसे जन्म से ही सीखकर पैदा होते है ,जैसे सेक्स करना ..

टॉमी ने अपना एक पंजा सांप की ओर किया और सांप ने उपसर झपट्टा मार दिया ,वही टॉमी ने दूसरे पंजे से सीधे सांप के गले पर वार किया और इससे पहले की सांप कुछ समझ पाए टॉमी ने अपने दांतो से उसके गर्दन को दबोच लिया और रामनाम सत्य….

टॉमी की इस बहादुरी पर मुझे थोड़ा आश्चर्य भी हो रहा था लेकिन आज उसने मेरी जान बचा ली थी …

अभी तो ये शुरुवात थी ना जाने मुझे इस जंगल में और क्या क्या देखना पड़ेगा ……..

रात भारी बारिश हुई थी और पास जिस नदी के साथ मैं चल रहा था उसे देखकर मेरा दिल ही भर आया था,कारण था की उसमें पानी लबालब भरा हुआ था,नदी का वेग तेज हो गया था साथ ही उसका पानी बारिश के कारण गंदा भी हो चुका था,मुझे रोना इसलिए भी आ रहा था क्योकि मैं घर में फिल्टर का पानी पिया करता था ,कल तक नदी का पानी साफ़ था लेकिन आज ,मुझे आग जलानी होगी..

जब पेट में चूहों ने कोहराम मचा दिया तो मेरे दिमाग में एक ही बात आयी की आग जलाओ और कुछ पका कर खाओ लेकिन क्या..??

टॉमी फिर से सूंघता हुआ अपने जुगाड़ में लग गया था मैं उसके पीछे पीछे चलता हुआ ना जाने कहा तक निकल गया बस मैं ध्यान ये रख रहा था की नदी की दिशा में ही चलता जाऊं ,रास्ते में जो खाने के लायक मिल जाता मैं उसे खा लेता था ,दो ही दिन में मैं सिख गया था की कौन सी चीज खाई जा सकती है ,इसे कहते है जीवन का संघर्ष ..

चलते चलते मैं थक कर बैठ चुका था ,कही कोई उम्मीद की किरण नही दिख रही थी लेकिन फिर भी मुझे चलते रहना था,तभी मानो कुछ हुआ मेरे कानो में शंख की गूंज सुनाई पड़ी ,मैं उछाल कर खड़ा हो गया मानो फिर से शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार हो गया हो..

“टॉमी तुमने सुना ,ये तो शंख की गूंज है यानी कोई इंसान आस पास ही होगा “

अब बेचारा टॉमी बोलता भी क्या वो बस मुझे ही देखे जा रहा था ..

मैं उस शंख की ध्वनि के सहारे आगे बड़ा और मैंने जो देखा उसे देखकर मेरा दिल बाग बाग हो गया था ,दूर पहाड़ पे मुझे एक मंदिर दिखाई दिया,मैंने अब देर नही की और उसी ओर बढ़ने लगा,मैं ठीक उस पहाड़ के नीचे था जिसके ऊपर मंदिर था,दोपहर से शाम होने को आई थी और मैं थक कर चूर था लेकिन फिर भी जब बात जीने मारने की हो तो कौन देखता है ,मैंने गहरी सांसे ली ..

“बस वंहा तक पहुच जा कोई ना कोई तो मिल ही जाएगा “

मैंने खुद से कहा और चलने ही वाला था की टॉमी की हरकत से मैं थोड़ा ठिठका …

वो पीछे किसी को देख रहा था ,जब मैं पीछे मुड़ा तो ……

तो लगा जैसे अब हार्ट अटैक आने वाला हो ..

एक बिल्कुल ही शार्प चीता मुझे लालची निगाहों से देख रहा था ,वो हमशे कुछ ही दूरी पर था ,मेरे हाथ पैर मानो शून्य पड़ गए थे,दिल ने धड़कना ही बंद कर दिया था,आज तक लोगो ने मुझे डरपोक कहा था लेकिन डर होता क्या है ये शायद आज मुझे पता चला,वो बड़े ही प्यार से मुझे निहार रहा था जैसे कोई भूखा व्यक्ति अपने खाने को निहारता है ..

कुछ पल के लिए लगा मानो सब कुछ थम सा गया हो ,मरे हाथो में वो भाला था जो मैंने जोड़ तोड़ कर बनाया था लेकिन उसपर भी मेरी पकड़ धीमी पड़ने लगी थी …

वो बहुत ही धीरे धीरे मेरी ओर बढ़ रहा था ,वही टॉमी की भी सिट्टी पिट्टी गुम थी ,वो भी बस उसे ही देख रहा था शायद मेरे जैसी स्तिथि उसकी भी थी ..

“है भगवान बचा ले ...माँ “

मेरे दिल से ये फरियाद निकली ,मानो मेरा पूरा प्राण बस उसे ही पुकार रहा हो ,अचानक मेरे अंदर ये भावना आयी की जब मरना ही है तो लड़ कर मारूंगा ..

मेरे चहरे का भाव बदलने लगा , ना जाने कहा से एक ऊर्जा सी मेरे भीतर उमड़ गई ,डर रोमांच में बदल गया ,हाथो में रखे भाले पर मेरी मुठ्ठी कसने लगी ,मैं पहली बार मेरे पैरों में मुझे जान आने की अनुभूति हुई ,मैं वैसे ही पोजिशन में आ गया जैसे की टॉमी आज सुबह सांप के सामने था ,शिकारी वाली पोजिशन में मैं उसके तरफ थोड़ा सा झुक गया था और भाले को अपने एक हाथ में पकड़ा हुआ अपने से पैरलर रखे हुए था,मुझे याद आया हॉलीवुड मूवी 300 का वो सीन जब स्पार्टा का युवराज लियोनार्डस एक अदमखोर जानवर का शिकार करता है……

मैं खुद को उसके ही जगह में पा रहा था,मेरे हाथो में भी भाला था,मैं भी अकेले था,बस वंहा बर्फ पड़ रही थी और यंहा धूप निकली हुई थी ,मुझे देखकर मानो चीता भी शिकारी मूड में आ गया था वो झपट्टा मारने को पूरी तरह से तैयार था ,और मैं भी उससे भिड़ने को तैयार हो गया था ..

तभी ..

शंख की ध्वनि फिर से पूरे माहौल में गूंज गई ,इस बार वो बहुत पास सी आती हुई प्रतीत हुई ,उसे सुनकर चीते को ना जाने क्या हुआ वो तुरंत ही सामान्य हुआ और वंहा से खिसक लिया ,मैं बड़े ही आश्चर्य से ध्वनि की ओर देखने लगा, सामने कुछ ही दूर पर पहाड़ के एक बड़े पत्थर पर खड़ा हुआ सन्यासी मुझे देख रहा था ,उसके हाथो में शंख था और हाथो में त्रिशूल ,पूर्ण नग्न था लेकिन पूरे शरीर में राख मले हुआ था ,बड़ी बड़ी जटाएं फैली हुई थी ,दुबला पतला ही था लेकिन मानो चहरे और शरीर से एक तेज सा निकल रहा हो,वो बस मुझे देखने लगा ,और मैं …….

मैं वही दंडवत हो गया…

******************

हम पहाड़ी के चोटी पर बने उस मंदिर में थे,मंदिर छोटा सा ही था लेकिन पहाड़ की चोटी पर होने के कारण दूर से दिखता था,शिव के उस मंदिर में एक शिव लिंग की स्थापना की गई थी ,वो मंदिर कम और इस बाबा जी का आश्रम ज्यादा थी …

पास की कुटिया में उन्होंने हमे बिठाया जो केवल एक झोपड़ी सा था ,मैं उनके सामने बैठा था मेरे बाजू में टॉमी बैठा हुआ था,

मेरे सामने एक अग्निकुंड था जो की अभी ठंडा था ..

“यंहा क्या कर रहे हो बच्चे ..”

उनकी बात सुनकर पता नही मुझे क्या हुआ मानो इतना सारा दुख जो मैं दो दिनों से अपने अंदर ही दबा कर रखा था वो बाहर फुट पड़ा मैं जोरो से रोया …

रोते रोते मैंने उन्हें पूरी बात बतला दी की कैसे मैं यंहा तक आया ,साथ ही मैंने ये भी बता दिया की कैसे निशा और चंदू ने मिलकर मेरा माजक उड़ाया और वो ऐसा क्यो करते है,सभी चीजे जो मेरे दिल में सालो से था……

वो काफी देर तक मुझे बिना टोके ही मेरी बात को सुनते रहे …..

जब मैं शांत हुआ तो उन्होंने मुझसे बस ये कहा

“भूख लगी है “

मैंने हा में सर हिलाया ,उनके होठो में एक मुस्कान आ गई

वो मेरे साथ झोपड़ी से बाहर आये और पहाड़ी से नीचे की ओर इशारा किया ,

“वंहा तुम्हे कुछ फल और कंदमूल मिल जाएंगे ,अपने लिए और मेरे लिए ले आओ “

मेरा तो चहरा ही उतर गया ,मुझे फिर से नीचे जाना था और इनके लिए भी फल लाने थे …

“लेकिन महाराज अगर कोई जानवर फिर से मुझपर आक्रमण कर दिया तो “

मेरी बात सुनकर वो जोरो से हंसे

“रुको ..”

वो झोपड़ी के अंदर गए और जब वो बाहर आये तो उनके हाथो में एक छोटी सी त्रिशूल थी उसे उन्होंने मुझे थमा दिया,साथ ही दूसरे हाथो में एक छोटा सा लकड़ी का टुकड़ा था कुछ एक उंगल जितना लंबा ,बेलनाकार ...उसे उन्होंने मुझे दिया

“ये कोई आम लड़की का टुकड़ा नही है ये जादुई लकड़ी का टुकड़ा है,अगर कोई मुसीबत आये तो इसे चाट लेना ,तुम्हारे अंदर इतनी ताकत आ जाएगी की तुम चीता ,शेर ,हाथी ,आदमी सभी तरह के जानवरो को पछाड़ दोगे…”

मैंने उन्हें आश्चर्य से देखा लेकिन वो मेरी बात सुनकर बस मुस्कुराए

“ये चंदन का एक छोटा सा टुकड़ा ही है जिसे मैंने अपने मंत्रों से सिद्ध किया है ,अब ये कोई सामान्य चीज नही है,मानो ये कोई मनी है,जिसे मिल जाए उसकी जिंदगी बना दे,वो हर चीज दिला दे जो वो चाहता है ,ताकत,हिम्मत ,हौशला,और जिसकी तुम्हारे अंदर बहुत कमी है आत्मविस्वास और आकर्षण ये जब तुम्हे सब कुछ देगा …….”

उनकी बात सुनकर मुझे माँ की बात याद आ गई मुझे लगा जैसे भगवान ने मेरी सुन ली और ये फरिश्ता मेरे पास भेज दिया ,मैं खुसी खुशी टॉमी को लेकर नीचे चला गया ….

शाम से रात हो गई थी जब मैं वापस आ रहा था ,लेकिन रात के उस अंधियारे में भी डर की कोई छोटी सी लकीर मेरे जेहन में नही थी ,जबकि ये रात का अंधियारा और ये अकेलापन भी मुझे बड़ा ही सुहा रहा था क्योकि मन में कोई डर नही था,मुझे हमेशा लग रहा था की कोई अदम्य शक्ति मेरे साथ है जो की वक्त पड़ने पर मुझे किसी भी मुसीबत से निकाल देगा,मैंने बहुत से फल टोकरी में भर लिए थे ,टॉमी तो अपना जुगाड़ खुद ही कर रहा था ,जीवन में पहली बात मुझे पता चला की बिना डर के जीना क्या होता है,निर्भीकता क्या होती है ,साहस और शांति क्या होती है……

मैं झूमता हुआ गुनगुनाता हुआ मस्ती में टॉमी के साथ बड़े ही मजे से पहाड़ी चढ़ कर फिर से आश्रम तक पहुच गया ,बाबा जी ध्यान में बैठे थे ,तब तक मैं ऊपर रखे एक पत्थर पर बैठा दूर देखने लगा ,दूर दूर तक बस जंगल ही जंगल था ,रात होने के साथ चांद की रोशनी में वो जगह किसी जन्नत से कम ना थी ,इसीलिए साधु सन्यासी जंगलों की ओर चले आते है,हवाओ में थोड़ी सी ठंड होने लगी थी ,कभी कभी थोड़ी कपकपी सी लग जाती ..

थोड़ी देर बाद ही बाबा जी बाहर आये और मुझे देखकर अपने पास बुला लिया,मैंने अपने साथ लाये हुए फल और कुछ कंदमूल उन्हें धो कर दिए ,और पास ही बैठकर मैं भी खाने लगा ….

“तुम मंदिर के अंदर ही सो जाना ,बाहर रात होने के साथ साथ ठंड और भी बढ़ेगी “

मैंने हा में सर हिलाया …….

सुबह होते ही मैं उनके साथ पास की नदी में नहाने और पानी लेने चला गया,आते आते उनके साथ कुछ लकड़ियां भी बीनते हुए ले आये,साथ ही कुछ फल और पत्ते और कंदमूल भी ,उन्होंने मुझे बताया की क्या खाते है क्या नही खाते,किस पेड़ की जड़ को खाया जाता है,और कुछ ऐसे पेड़ और पौधों के बारे में उन्होंने बताया की मैं सुनकर दंग ही रह गया,सच में प्रकृति हमे कितना कुछ देती है ……

ऊपर आते ही उन्होंने कहा की इतना पानी मेरे लिए ही काफी होता है तुम और पानी ले आओ ,नदी कुछ किलोमीटर दूर थी लेकिन मेरे पास समय ही समय था ..मैं खुसी खुसी फिर से नीचे चला गया मैं अपने पर खुद ही हैरान था की मेरे अंदर इतनी ऊर्जा कहा से आ रही है,मैं थक ही नही रहा था,वो लड़की अब भी मेरे पास थी,पानी लाकर मैं फिर से नीचे फल और कंदमूल की तलाश में निकल पड़ा और शाम होने से पहले तक लकड़ियो के साथ वापस भी आ गया …

हम शाम का भोजन कर रहे थे ..

“तो वो लकड़ी तुमने सम्हाल कर तो रखी है ना “

“जी महाराज ,ये तो कमाल है ,मुझे अपने जीवन में कभी इतनी ऊर्जा और शांति का अनुभव नही हुआ था,ना ही इतनी निडरता मेरे अंदर कभी भी थी ..”

वो मुस्कुराए

“अभी तो ये बस शुरवात है तुम सोच भी नही सकते की ये तुम्हारे लिए क्या कुछ नही कर देगी ,तुम जिसे चाहो अपना गुलाम बना लोगे तुम्हारी वाणी में वो तेज आ जाएगा ,जो चाहोगे वो पा लोगे तुम्हारे अंदर उतनी ऊर्जा और ताकत आ जाएगी ,शाररिक क्षमता मानसिक क्षमता जो भी तुम बढ़ाना चाहो सब इसके उपयोग से बढ़ा सकते हो ,बस तुम्हे शुरवात करनी होगी बाकी मदद ये कर देगा ,तुम इसे एक ताबीज की तरह बनाकर रख लो मैं तुम्हे रेशम का एक धागा दे देता हु,मेरी तरफ से ये तुम्हारे लिए उपहार है ...अभी तुम्हे कुछ दिन यही रहना होगा,जब गांव से कोई इधर आएगा या फारेस्ट वाले लोग इधर आएंगे तो तुम उनके साथ चले जाना “

उनकी बात सुनकर मुझे कैसा लगा ये तो मैं बता भी नही सकता,मैं उमंग से भर गया था ,मैं इतना खुश था की मेरे आंखों से कुछ आंसू गिर पड़े…

********************

मैं लगभग 10 दिन तक वही रहा,उस पहाड़ी में चढ़ना उतारना मेरे लिए बच्चों का खेल बन गया था,मैं अपने को बहुत ही ताजा और ताकतवर महसूस कर रहा था,मैं हमेशा ही उमंग में रहता था ,मैं टॉमी के साथ खेलता हुआ जंगल में दूर तक निकल जाता ,कई किलोमीटर यू ही दौड़ जाता जाता था मुझे ये जंगल ही अपना घर लग रहा था ,सच कहु तो मुझे यंहा से वापस जाने का भी मन नही कर रहा था लेकिन …

लेकिन वो दिन आ गया जब मुझे जाना था ,फारेस्ट डिपार्टमेंट के कुछ लोग पेट्रोलिंग करते हुए वंहा पहुच गए थे ,बाबा जी ने उन्हें मेरे बारे में बताया ..

“अच्छा तो ये लड़का है ,हमने इसे बहुत ढूंढने की कोशिस की लेकिन ये कही नही मिला,पुलिस वाले अब भी इसकी तलाश कर रहे है,हम इसे पुलिस के पास ले जाएंगे वंहा से इसे इसके घर पहुचा दिया जाएगा “

जाते वक्त बाबा ने मेरे सर पर हाथ फेरा ,उनके स्पर्श में बहुत ही स्नेह था ,मैं तो फफक कर रो ही पड़ा ऐसे लगा जैसे ये ही मेरा घर था और मुझे किसी अनजान जगह जाना पड़ रहा हो …

उन्होंने मुझे प्यार से समझाया

“अपने पर और मेरी विद्या पर भरोसा रखना तुम जितने के लिए ही पैदा हुए हो “

उन्होंने मेरे कानो में कहा और मैं आंसू पोछता हुआ उनके चरणों में गिर गया ..

“मैं यही रहना चाहता हु बाबा ..’

मैं उनके चरणों में पड़े हुए आखिर अपने दिल की बात कह ही दी

“बेटा के जगह तुम्हारे लिए नही है ,पहले जीवन को जी तो लो फिर सन्यास लेना ,मेरे दरवाजे तुम्हारे लिए हमेशा खुले रहेंगे लेकिन अभी समय नही आया है ,अभी तो तुम्हे इस जीवन को जीना है इससे भागना नही है ..”

उन्होंने क्या कहा मुझे उतना तो पल्ले नही पड़ा बस ये समझ आ गया की मुझे वापस जाना होगा …

***********

फारेस्ट वाले मुझे पुलिस के हवाले कर दिए जिन्होंने मेरे घर में फोन कर उन्हें बता दिया की मैं मिल गया हु और पुलिस के साथ वापस आ रहा हु …

मैं घर जा रहा था कुछ 12-13 दिन बाद ,लेकिन अब मैं वो राज नही था जो गलती से जंगलों में खो गया था ,मैं एक अलग ही इंसान था ,मैं वो था जिसने दो दिन तक अकेले घने जंगल में सरवाइव किया था,मैं वो था जिसने मौत को करीब से देखा था,मैं वो था जो एक ऊंचे झरने से गिरने के बाद भी जिंदा बचा था,मैं वो था जो एक जंगली चीते के सामने उससे लड़ने को तैयार खड़ा था,मैं वो था जो दिन में कई बार ऊंची पहाड़ी पर उतर और चढ़ सकता था वो भी सर में एक पूरी भरी मटकी ले कर ,और मैं वो था जिसके साथ एक तपस्वी ,योगी ,सिद्ध पुरुष का आशीर्वाद था ………



josef
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Re: जादू की लकड़ी

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अध्याय 4

सामने मेरा घर था जिसे मैं आज तक अपना घर कहता रहा था,लेकिन यकीन मानिए ये कभी मुझे अपना घर नही लगा,और वो 10 दिन जो मैंने उस पहाड़ी के मंदिर में बिताए थे ,मुझे लगने लगा था की यही मेरा असली घर है,आज मुझे लग रहा था की मैं अपने असली घर को छोड़कर किसी दूसरी जगह आ रहा हु…

सामने गेट था और अब मेरी नई दुनिया में प्रवेश करने का समय आ चुका था…..

पुलिस ने मेरे घर वालो को पहले ही मेरे आने की खबर दे दी थी तो मुझे यकीन था की सभी ,सभी ना सही कम से कम मेरी प्यारी माँ तो मेरे आने का इंतजार कर ही रही होगी ,ऐसे भी इस घर में मैं बस उन्हें ही देखना चाहता था और वो ही तो एक थी जिसे मुझसे प्यार था…….

दरवाजा खुला और मेरी मैं ने दौड़ाते हुए मुझे गले से लगा लिया .

“बेटा तू कहा चला गया था “

वो मेरे गालों को बेतहाशा चूमने लगी थी ,मेरी उम्मीद के विपरीत यंहा घर का हर सदस्य था और सारे नॉकर भी …

“ऐसे क्या लाड़ दिखा रही हो इसे, ये कोई जंग जीतकर नही आया है,अपनी गलती से खो गया था ,कहा भाग गया था तू ..”

मेरा बाप चिल्लाया ,मैंने इस बार नजर नीचे नही की बल्कि उसे एक बार घूर कर देखा और फिर अपनी माँ की तरफ देखने लगा,रो रो कर बेचारी के आंख सूज गए थे,मैं उसके गालों को प्यार से सहलाने लगा..

मेरा बाप फिर से भड़का

“कुछ पूछा जा रहा है तुमसे ,कहा भाग गए थे तुम “

“ये अभी तो आया है और आप ..”

माँ कुछ बोलने वाली थी की पापा ने अपना हाथ दिखा के रोक दिया आखिर मुझे बोलना ही पड़ा..

“मैं कही भागा नही था,आपकी प्यारी बेटी और उसके बॉयफ्रेंड ने मिलकर मुझे जंगल में भरी बारिश में अकेले छोड़ दिया था …”

मैंने घूरकर निशा की ओर देखा मेरी बातों से वो सकपका सीं गई थी ..

“कुछ भी मत बोल लूजर ,.”

वो भड़की लेकिन इस बार मेरा सर झुका नही बल्कि मेरे होठो में एक कमीनी सी मुस्कान आ गई ,मेरे इस एटीट्यूड को देखकर निशा मानो जल सी गई ..

“पापा ये ..”

पापा ने उसे फिर से रोका

“अपनी गलती को अपनी बहन पर मत डालो “

वो कुछ और बोलते की मैं बोल पड़ा

“बहन ….हा हा हा…”मैंने बड़े ही व्यंगात्मक अंदाज से निशा की ओर देखा ,पता नही मेरी आंखों में क्या था की वो घबरा सी गई और सहम गई,मुझे लगा की ये मेरे उस ताबीज वाली लकड़ी का कमाल है जो भी हो अब तो मैं राजा था …..

“पहले इससे तो पूछ लो की इसने कब मुझे अपना भाई माना है ..माँ मुझे बहुत जोरो की भूख लग रही है आपके हाथो का खाना खाये मानो बरसो हो गए ,जल्दी से खाना लगा दो मैं फ्रेश होकर आता हु ..”

मेरी बात और कांफिडेंस से मेरी माँ भी चकित थी ,मैं मुड़ा और पुलिस वालो को खुद ही धन्यवाद कहा और बिना किसी से कुछ कहे टॉमी की साथ अपने कमरे में आ गया …..

कितना सरल था …

जिन चीजों से मैं आज तक डरता रहा था उनका सामना करना इतना सरल होगा ये मैंने सोचा ही नही था …

मैंने अपने ताबीज को चूमा ,टॉमी को नहलाया और खुद भी नहा कर नीचे आ गया ,अब घर में कोई भी नही दिख रहा था ,मैं डायनिंग टेबल पर बैठा था मेरे पास ही माँ भी बैठी थी ..

“हो क्या गया है तुझे ,अपने पापा से ऐसे बात कर रहा था ,तू ठीक तो है ना बेटा ..”

उन्होंने मुझे खाना परोसते हुए कहा

मैं जोरो से हँस पड़ा

“हा माँ अब ही तो ठीक हुआ हु “

मेरे इस बात से माँ के आंखों में आंसू आ गए ,मैं समझ सकता था की क्यो,उन्होंने मुझे जीवन भर घुटते हुए देखा था,हमेशा ही दबकर रहते हुए देखा था ,उनके लिए इससे ज्यादा खुसी की बात और क्या हो सकती थी की उनका बेटा अपनी जिंदगी सर उठा कर जिये …

मैं खाना खाकर स्कूल के लिए निकलने लगा ,माँ ने फिर से मुझे रोक लिया

“बेटा आज भी स्कूल जाएगा,पहले तो स्कूल के नाम से तेरा चहरा उतर जाता था ..”

मैं बस मुस्कुरा कर रह गया ….


स्कूल में जैसे मैं एक खास अट्रेक्सन था ,क्लास में जाते ही चंदू मुझे मिल गया ..

“क्यो बे चुतिये कहा भाग गया था ..”

मैं अपने बेंच में बैठा ही था की वो मेरे सामने आकर खड़ा हो गया था,चंदू की बात का मैंने कोई जवाब नही दिया बल्कि बस उसको देख कर मुस्कुरा दिया,पता नही क्यो लेकिन मुझे लगा जैसे मेरे मुस्कान में वो ताकत है जो मेरी बातों में नही होगी ,सच था क्योकि चंदू थोड़ा झल्ला गया था,मैं उसके आंखों में आंखे मिलाकर उसके प्रश्न का जवाब दिए बिना बस मुस्कुरा रहा था जैसे उसके प्रश्न की मेरे लिए कोई अहमियत ही नही हो ..

निशा दूर खड़ी हम दोनों को देख रही थी वही जैसे ही रश्मि की नजर मुझपर पड़ी वो दौड़ाते हुए मेरे पास आ गई ..

“कहा थे तुम, ना जाने तुम्हारे बारे में कितनी कहानियां ये लोग फैला रहे थे,की तुम घर छोड़ कर भाग गए हो...“

उसने चंदू को घृणा की दृष्टि से देखा

“बस जंगल घूमने का मन किया तो निकल पड़ा ,ऐसे जंगल बेहद ही खूबसूरत था….. तुम्हारी तरह ..”

मैंने ये बात उसकी आंखों में देखकर कही थी ,और इससे उसके साथ साथ चंदू का भी मुह खुला का खुला रह गया था,रश्मि इतने दिनों से मेरी दोस्त थी लेकिन मैंने आजतक कभी उससे दोस्तो की तरह बात नही की थी ,और आज आते ही मैं उससे फ्लर्टिंग करने लगा था,मुझे नही पता था की ये मुझसे कैसे हो रहा है बस मुझे अब डर नही लग रहा था,मेरे साथ बाबा जी का आशीर्वाद जो था,तो मैं जो मुह में आये वो बोल रहा था दिल से बोल रहा था ,अपने दिमाग को मैंने थोड़ा साइड कर दिया था,क्योकि दिमाग सोचता बहुत है ,अच्छा- बुरा,ये- वो, दुनिया- दारी..

इतना सोचता है की हम जी ही नही पाते तो दिमाग को रिलेक्स रखो और अपनी जिंदगी जिओ ,बाबा ने मुझे यही सिखाया था ..

“तुम्हे क्या हो गया आज ,तुमने जिंदगी में पहली बार मेरी खूबसूरती की तारीफ की है ..कुछ बदले बदले लग रहे हो “

रश्मि की बात से मैं खुल कर हँस पड़ा था ,जिसे वो दोनों ऐसे देख रहे थे जैसे कोई भूत देख लिया हो मानो जो देखा उसपर यकीन ही नही आ रहा हो …

“अरे यार मैंने तो बस सच कहा है ,ऐसे तुम बहुत याद आई मुझे ,जंगल में मेरे अकेलेपन में, आखिर तुम ही तो एक दोस्त हो मेरी “

ऐसे ये बात पूरी तरह से गलत थी क्योकि मुझे उसकी बिल्कुल भी याद नही आयी थी लेकिन मेरी बात सुनकर वो मुस्कराई ,

“तुम सच में बहुत बदल गए हो ..”

उसने बस इतना ही कहा और अपने सीट पर चली गई ..

उसके जाते ही चंदू मेरी ओर हुआ

“क्यो बे साले बहुत हीरो बन रहा है तू ,रश्मि से फ्लर्ट करेगा “

उसने मुझे धमकाने वाले अंदाज में कहा ,

“क्यो तेरी बहन है क्या ..”

मैंने मुस्कुराते हुए कहा ,

“तेरी तो ..”उसने मुक्का ताना लेकिन रुक गया ,मैं अब भी उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था,यकीन मानो मेरे दिमाग में उसके लिए कोई गुस्सा ही नही था वो तो मुझे बच्चे जैसा लग रहा था,

अर्ज किया है

मैं तो चीता से लड़ने वाला इंसान था ,ये तो मेरे लिए झांट समान था ..वाह वाह वाह वाह

जैसे ही मेरे मन में ये बात आयी मेरी मुस्कान और भी गहरा गई ..

“साले बहुत बोल रहा है तू,अपने को बड़ा तीसमार खान समझ रहा है ना,बहन की बात करता है पता है ना तेरी बहन के साथ क्या किया था कार में “

मुझे उसकी बात से गुस्सा या शर्म आना था लेकिन दोनों ही नही आया ,मैंने बस के अंगड़ाई ली ,मैंने देखा की निशा उसी ओर आ रही थी ...

“तुझे निशा को चोदना है ना ,चोद उसे, लेकिन उसे मेरी बहन बोलकर बहन शब्द को गाली मत दे ..”

मेरी बात निशा के भी कानो में गई होगी ,वो सन्न थी जबकि चंदू निरुत्तर, वो खिसियाया हुआ अपने सीट में चला गया ,वही निशा गुस्से से भरी हुई मुझे देख रही थी लेकिन मैंने उसको बिल्कुल ही इग्नोर कर दिया था ….

दो क्लास के बाद ब्रेक हुआ और एक मोटा लड़का मेरे सामने आकर खड़ा हो गया,ये लड़का रश्मि का दीवाना था इसलिए स्वाभाविक रूप से मुझसे जलता था और मुझे परेशान किया करता था ..

“क्यो बे चोदू कहा था इतने दिन “

उसने अपने दांत निकाले ,एक बार उसने रश्मि की ओर देखा की कही वो आ तो नही रही है लेकिन रश्मि अपनी एक सहेली से बातों में बिजी थी ..

“सामने से हट बे गैंडे मुझे मूतने जाना है “

मेरी बात सुनकर वो थोड़ा चौका क्योकि उसे इस उत्तर की उम्मीद नही थी ,

“मादरचोद तेरी तो “

उसने अपना हाथ मेरे कॉलर को पकड़ने के लिए उठाया ही था की ..

चटाक ..

एक करारा झापड़ मैंने उसके गाल पर झड़ दिया ,

वो इतना जोर का था की उसका एक दांत टूट कर बाहर आ गया ,मुह से खून बह रहा था ,पूरी क्लास हमे ही देख रही थी ,मैंने उसे सामने से हटाया और पूरे एटीट्यूड के साथ क्लास से बाहर निकल गया ,वो अब भी अपना टूटा हुआ जबड़ा पकड़कर मुझे देख रहा था लेकिन वो क्या किसी की इतनी हिम्मत नही हुई की मुझे रोक सके …..

मुझे लगा था की वो प्रिंसपल के पास जाएगा फिर याद आया की ये तो स्कूल के बदमाशो के एक लोकल गैंग का मेम्बर है तो वो मेरी शिकायत नही करेगा बल्कि स्कूल के बाहर ही सबक सिखाने की सोचेगा...खैर मुझे क्या फर्क पड़ता है मेरे पास तो मेरी लकड़ी थी …

क्लास शुरू होने के बाद वो लड़का मुझे नही दिखा,शायद वो अपने गैंग के लोगो को इकठ्ठा कर रहा होगा ,लांग रिसेस के समय रश्मि मेरे साथ हो ली ,वो मेरे बदले हुए रूप को देखकर बहुत खुश हुई लेकिन वो थोड़ी घबराई हुई भी थी ..

“जानते हो ना जिस लड़के को तुमने मारा वो गुंडा टाइप का है उसका गैंग भी है ..”

रश्मि ने डरते हुए कहा

“हा तो क्या हुआ “

“तुम्हे डर नही लगता ,पहले तो सर झुकाए घूमते रहते थे,कोई भी डरा दिया करता था और अब आखिर हुआ क्या है तुम्हारे साथ जंगल में ..”

रश्मि बड़े ही आकर्षक अंदाज में मुझे देख रही थी ,मैं उसके साथ इतने सालो से था लेकिन मैंने कभी उसके चहरे को ध्यान से नही देखा था ,वो सच में बेहद ही सुंदर थी ..

“बस समझ लो मुझे कुछ ऐसा मिल गया जिसकी मुझे तलाश थी ,मैंने मौत को इतने पास से देखा की मेरा पूरा डर ही जाता रहा,”

मैं कुछ देर के लिए चुप हो गया ,वो हादसे मेरे दिमाग में चल रहे थे..जबकि रश्मि मुझे ही घूर रही थी ..

“ऐसे क्या देख रही हो “

मैंने उसे खुद को देखता पाकर कहा

“ऐसे ही रहना ,हमेशा…”

हमारी आंखे मिली और मानो कुछ स्पार्क सा हुआ और उसने तुरंत ही नजर झुका ली ,मुझे पता था की क्या हुआ था ,बाबा जी ने कहा था की मेरे अंदर आकर्षण आ जाएगा ,शायद यही बजह थी की रश्मि मुझसे आकर्षित हो गई हो ,उसके चहरे में शर्म साफ दिख रही थी ,एक ही दिन में क्या क्या होने वाला था मेरे साथ ,मैंने मन ही मन बाबा जी को धन्यवाद दिया …

क्लास शुरू हुई तो रश्मि अपनी जगह को छोड़कर मेरे बाजू में आकर बैठ गई ,उसकी इस हरकत से सभी की निगाहे फिर से एक बार मुझपर टिक गई थी,निशा और चंदू का चहरा तो छोटा ही पड़ गया था ,शायद उन्हें अभी भी, घटित हो रही बातों पर विस्वास नही हो रहा हो ….

रश्मि ने मुझे बताया की आज एक नई टीचर हिस्ट्री पढ़ने के लिए आने वाली है ,

पहले जो हिस्ट्री के सर थे वो बड़े ही खड़ूस थे तो मुझे लगा की ये अच्छा ही हुआ ..

तभी एक साड़ी में लिपटी हुई औरत कमरे में आई ,उसके आने से पहले उसके पायलों की खन खन की आवाज मेरे कानो तक आ पहुची थी ,घने घुंघराले बाल लहराती हुई ,मेरी नजर पहले उसके पैरों में गई वो साड़ी पहने हुई थी,स्लेटी कलर की रेशमी पतली साड़ी,और मेरी नजर उसके कमर में जाकर रुक ही गई ,जैसे थूक गले में रुक गया हो ,गोरी चिकनी कमर पर एक चांदी का पतला करधन था,कमर पतले होने की वजह से उसके पिछवाड़े उभरे हुए लग रहे थे ,जब नजर थोड़ी ऊपर गई तो वक्षो की चोटिया दिखाई देने लगी ,और सुराहीदार गर्दन के ऊपर उसके होठ जो अभी मुझसे कुछ ही दूरी पर थे ..

वो हिले ..

“हल्लो क्लास ..”

ऐसे लगा जैसे समय बहुत ही धीमा चल रहा हो ,मैं उसके होठो के हिलने को भी देख सकता था,फिर मेरी नजर उनकी बड़ी बड़ी आंखों पर गई जो नाचते हुए पूरे क्लास का मुआयना कर रही थी ,माथे में एक छोटी सी टिकली थी और अचानक मैंने उनके पूरे मुखड़े को एक साथ देखा ,

“वाह “

मेरे मुह से अनायास ही निकल गया था ,इतनी सुंदर औरत मैंने आज तक नही देखी थी ,पूरे क्लास के सभी लड़को का मुह मेरी ही तरह खुला हुआ था,तभी रश्मि ने मुझे कोहनी मारी ..

“कुछ तो शर्म करो ,कुत्तों जैसे मुह फाड़ के देख रहे हो “

उसकी बात सुनकर मैं अचानक ही होश में आया ..

“हल्लो क्लास आई आम काजल ,मैं आप लोगो की नई हिस्ट्री टीचर हु ..”

नजर घुमाते हुए उनकी नजर मुझपर पड़ी और मैंने एक आंख बंद करते हुए उन्हें आंख मार दी ,मेरी इस हरकत से वो थोड़ी चौकी लेकिन अपने को सम्हाल के सामान्य करते हुए क्लास से बात करने लगी …….

उनकी इस असहजता को देख कर मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई थी





josef
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Re: जादू की लकड़ी

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अध्याय 5

स्कूल के बाद रश्मि ने मुझे लिफ्ट आफर की ..

असल मेरा घर स्कूल से कुछ 2 किलो मीटर की दूरी पर ही था,निशा कार से स्कूल आया करती थी जबकि चंदू अपनी बाइक से ,वही मैं पैदल …

अब ऐसा क्यो था ये बताने की जरूरत नही ,ये मेरे बापू जी के वजह से था,उन्होंने मुझे कोई गाड़ी खरीदकर नही दी थी जबकि मेरे सभी बहनो के पास उनका खुद का कार था..

तो कभी कभी चंदू लिफ्ट दे देता था तो कभी रश्मि मुझे छोड़ दिया करती थी ,तो कभी हम पैदल ही निकल पड़ते थे…

लेकिन आज रश्मि का अपनी स्कूटी में मुझे लिफ्ट देने का एक खास रीजन था जो मुझे बाद में पता चला था..

पहले तो मैंने उसे इनकार कर दिया ..

“मैं बोल रही हु ना चलो ..”

उसने जोर दिया तो मैं मना नही कर पाया ..

मेरे घर और स्कूल के बीच एक सुनसान सी जगह पड़ती थी ,खाली पड़े सरकारी जमीन पर पेड़ पौधे उगाये गए थे जिससे एक छोटा जंगल जैसे बन गया था ,जब हम वंहा से गुजरे तो मैंने देखा सामने लकड़ो का झुंड था ,मुझे समझ आ गया था की रश्मि ने मुझे अपने साथ क्यो लाया है ,क्योकि झुंड में वही मोटा था जिसे मैंने स्कूल में पीटा था,वो अपने गैंग के साथ मेरे आने का इंतजार कर रहा था लेकिन जब उसकी नजर रश्मि पर पड़ी वो बस वही खड़ा रह गया,रश्मि ये बात जानती थी की मोटा उस पसंद करता है और उसके सामने वो कुछ ऐसी वैसी हरकत नही करेगा इसलिए मुझे बचाने के लिए वो मेरे साथ ही आ गई ..उसकी इन्ही बातो पर तो मुझे बेहद प्यार आता था ..

मेरी नजर मोटे पर पड़ी वो खिसियाई निगाहों से मुझे देख रहा था,मैंने उसे दिखाते हुए अपना हाथ रश्मि के कमर पर जकड़ दिया ,मोटे का चहरा और भी गुस्से से भर गया जब उसने मेरे होठो की वो मुस्कान देखी जो मैंने उसे जलाने के लिए अपने चहरे में लाई थी ,वही मेरी इस हरकत से रश्मि जैसे जड़वत हो गई थी ..

जब हम वंहा से निकले तो उसने थोड़ी राहत की सांस ली ..

“मैं जानती थी की ये लोग यंहा तुम्हारा इंतजार कर रहे होंगे”

“तुम पागल हो मुझे बचाने के लिए ये सब किया ,ऐसे बचने की जरूरत तो उन्हें थी ..”

वो मेरी बात सुनकर हंसी

“तुम ना ज्यादा हीरो गिरी मत दिखाओ अब,और ये मेरी कमर को ऐसे क्यो पकड़ कर रखे हो,उसे चिढाना था वो चिढा दिया अब तो छोड़ दो ..”

मैं उसकी कमर छोड़ने की बजाय उसे और जकड़ लिया और खुद को भी उससे चिपका लिया

“ये क्या कर रहे हो “

इस बार उसकी आवाज धीमी थी ..

“तुम जब मुझे ऐसे लोगो से बचाती हो ,मेरे लिए लड़ती ह तो तुमपर बहुत प्यार आता है ,कभी कहने की हिम्मत नही हुई लेकिन आज कह रहा हु “

गाड़ी चलते हुए भी रश्मि का शरीर थोड़ा झुक गया था ..

“सब आज ही कह डालोगे क्या “

रश्मि ने इतना ही कहा था की घर आ गया ..

मैंने उसकी स्कूटी से उतरते हुए उसे देखा

“चलो एक काफी हो जाए मेरी मम्मी बहुत अच्छी काफी बनाती है..”

उसने पहले मेरे चहरे का मुआइना किया फिर मुस्कुराती हुई स्कूटी से उतर गई …

मेरी माँ रश्मि को देखकर बहुत खुश हुई ..

और खूब खातिरदारी भी की ,वही निशा और चंदू का चहरा उसे देखकर उतर ही गया ..उन्होंने एक शब्द भी बात नही की ..

“बेटा घर आते रहा करो तुम्हारी मम्मी और चाची से तो मुलाकात होते ही रहती है लेकिन तुम हमारे घर पहली बार आ रही हो ..”

मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा

“आंटी जी आपके बेटे ने पहली बार तो मुझे अंदर बुलाया है वरना इसे छोड़ने तो आते ही रहती हु,तू बाइक क्यो नही ले लेते “

रश्मि की बात सुनकर मम्मी का चहरा थोड़ा उतर गया इसे सम्हालने के लिए मैं बीच में बोला

“यार अगर बाइक ले लिया तो तुम मुझे छोड़ने कैसे आ पाओगी ,और तुम्हारे पीछे बैठने का जो मजा है वो बाइक का कहा ..”

मैंने रश्मि को आंख भी मार दी जिससे वो थोड़ा झेंपी और आंखों से झूठा गुस्सा दिखाया ..

“बेटा अर्चना(रश्मि की माँ) और सुमन (उसकी चाची ) को कहना की मैं उन्हें याद कर रही थी ..”

माँ ने आखिरी में रश्मि से कहा ……..


रश्मि के जाते ही माँ मेरी तरफ देखते हुए बोली

“क्या इशारे कर रहा था उसे “

मैं हंस पड़ा

“कुछ नही माँ आप भी “

“ऐसे लड़की बहुत अच्छी है “माँ ने फिर से कहा

“आप से सुंदर थोड़ी ना है “

मैंने माँ को जकड़ लिया और उनके गालो में एक जोरदार किस किया

दो तीन किस करने के बाद माँ बोल उठी

“धत पागल कहि के ,छोड़ भी दे अब”

**************

मैं खुश था ,मैं बहुत ही खुश था ,खुशी स्वाभाविक ही आनी चाहिए और स्वाभाविक ही आ रही थी ……

दूसरे दिन मेरी नींद आदत के अनुसार 3 बजे ही खुल गया ,ये वही समय था जब हम जंगल में जाग जाया करते थे,ऐसे वंहा तो घड़ी नही थी लेकिन जब हम जागते थे तो अंधेरा घना रहता था और हमारे नदी में जाकर,एक्सरसाइज करके ,योग करके , नहा कर फल तोड़ने ,पानी भरने तक अंधेरा ही रहता था,वापस आते आते सूर्य की किरणे निकलनी शुरू होती थी ,तो शायद यही वो समय रहा होगा जब हम जाग जाते थे ,

लेकिन अब यंहा 3 बजे उठाकर मैं क्या करू मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,मेरे साथ साथ टॉमी भी उठ चुका था,मैं उसे लेकर घर से बाहर निकल गया और पास के ही एक मैदान में चला गया ,वो यूनिवर्सिटी का मैदान था जो बहुत बड़ा था और अधिकतर लोग यंहा ,दौड़ाने आते थे ,साथ ही बहुत से लोग यंहा फुटबॉल या क्रिकेट खेला करते थे..

मैं वंहा जाकर दौड़ाने लगा,टॉमी भी मेरे साथ दौड़ रहा था असल में हम दोनो खेल ही रहे थे वो मुझे पकड़ने की कोशिस कर रहा था और मैं इधर उधर दौड़ रहा था,बहुत देर तक हम ऐसे ही दौड़ाते रहे लेकिन सूर्य अभी भी नही निकला था ,मैंने लगे हाथो योग आसान और एक्सरसाइज भी कर लिए जो बाबा जी ने मुझे सिखाये थे,तब भी सूर्य नही निकला था तो मैं मैदान के किनारे हरे घास पर बैठकर ध्यान करने लगा …….

बाबा ने मुझे रोज 2 घंटे ध्यान करने को कहा था एक घण्टे सुबह और एक घंटे शाम ,इसके बाद जब भी समय मिले…

ना जाने मैं कितने देर तक बैठा रहा ,मेरा ध्यान खुला कुछ लोगो की आवाज से ..

“उठ साले क्या साधु बना बैठा है “

जब मैंने आंखे खोली तो सामने वही लड़का था जिसे मैंने मारा था और उसके साथ उसका पूरा गैंग था ,सभी के हाथो में कुछ ना कुछ तो था,किसी के हाथो में बैट था तो कोई स्टाम्प पकड़े था,तो कोई झड़ी को ही तोड़ कर ले आया था,असल में ये यंहा क्रिकेट खेलने आते है लेकिन गलती से मैं इन्हें यंहा दिख गया ..सूर्य की किरणे अपनी छटा फैला रही थी ,चिड़ियों की आवाज भी आ रही थी ,टॉमी दूर कुछ सुन्ध रहा था,ऐसे वो हमेशा ही कुछ ना कुछ सूंघता ही रहता था ,

और हल्की हल्की ठंडी हवाये चल रही थी ,जिसमे बड़ी ही प्यारी सुगंध थी शायद पास के ही बगीचे से होकर आ रही थी …

इतना मनोहर दृश्य था और ये साला मोटा इसे खराब कर रहा था …

मैंने उसे बड़े ही आराम से देखा ..

“मादरचोद कल तो तू रश्मि के पीछे छिप गया था ,लेकिन आज तू नही बचेगा ..”

वो गुर्राया ,लेकिन इससे अच्छा तो मेरा टॉमी गुर्राता है ..

मैं हंस पड़ा ,और धीरे से हँसते हुए खड़ा हुआ ,बहुत देर तक पद्मासन लगा कर बैठने के कारण मेरा पैर थोड़ा शून्य हो गया था ,मैं आराम से उठा मैं अभी भी हंस रहा था..

“साले अपने को बहुत बड़ा साना समझता है तू ,मारो इसे “

मेरे उठाते ही मोटा चिल्लाया और उसके बाजू में खड़ा दूसरा लड़का अपने हाथो में पकड़े हुए बैट को घुमाया ,मैं अभी अभी ध्यान से उठा था,जो लोग गहरे ध्यान में जाना जानते है वो समझ पाएंगे की 1-2 घण्टे गहरे ध्यान से उठने के बाद क्या स्तिथि होती है,सब कुछ बहुत ही शांत मालूम पड़ता है,जैसे समय रुक सा गया हो,हर चीज स्पष्ट दिखाई और सुनाई देती है,लेकिन दिल में कोई भी भाव नही आता सब कुछ बस शांत ..

मुझे बल्ला अपनी ओर आता दिखा,मैं बैठ गया और बल्ला मेरे सर के ऊपर से थोड़ी ही दूरी से गुजर गया,बैठते ही मेरा हाथ घुमा और सीधे उस लड़के के पेट से ऊपर पसलियों के जा लगा,मेरी मुठ्ठी का एंगल ऐसा था की पसली उंगलियो के जोड़ो से टकराई ,ऐसा लगा जैसे वो थोड़ा अंदर तक भेद गई …

“आह…”एक कर्णभेदी और दर्दनाक चीख निकली ,वो लड़का बौखला गया था,आंखे बाहर को हो गई थी और हाथो से बल्ला छूट गया था,उसकी इस हालत और मेरे इस एक्शन को देखकर सभी कुछ सेकंड के लिए बिल्कुल ही जम से गए ..

“साले ये क्या किया “

मोटे को भी विस्वास नही हो रहा था की मैंने आखिर ये क्या किया लेकिन असल में मैंने कुछ भी नही किया था जो मुझे सही लगा बस वही किया ,वो सभी मख्खिओ जैसे मुझपर टूट पड़े ,अब मेरे लिए मुश्किल होने लगी थी,मैंने अपने घुटने को सीधे मोटे के पेट में दे मारा ,लेकिन उसे कोई खास फर्क नही पड़ा ,मैं तुरन्त ही नीचे बैठा और कोहनी से उसके जांघो के बीच वार कर दिया,इस बार मोटे की फ़टी वो अपनी माँ को याद करता हुआ जमीन में बैठ गया था,

मुझे मजा आ रहा था लेकिन लड़को की संख्या ज्यादा ही थी ,और सभी एक साथ मुझपर टूट गए थे,मैं वंहा से भागा वो लोग मेरे पीछे भागे,

“टॉमी..”मैंने टॉमी को चिल्लाया और वो भी मेरे साथ भागने लगा,थोड़ी थोड़ी देर में मैं रुक जाता और एक दो लोगो को घायल करता और फिर दौड़ जाता,वो लोग थकने लगे थे,घायल थे लेकिन फिर भी जैसे तैसे मेरे पीछे दौड़ रहे थे,तभी मैंने उनके पीछे टॉमी को छोड़ दिया,वो लोग अब डर कर दौड़ रहे थे,इधर उधर भाग रहे थे,जैसे ही वो मुझसे दूर हुए मैंने टॉमी को अपने पास बुला लिया,और खुद थोड़ा आराम कर फिर से दौड़ाने लगा ,वो फिर से मेरे पीछे थे लेकिन मैं जानता था की इतना दौड़ाने के बाद उनकी हालत खराब हो गई होगी ,और उन्हें अब टॉमी से भी डर लग रहा होगा , मैं दौड़ाता हुआ यूनिवर्सिटी के पीछे वाले हिस्से में आया जो सुनसान सा था और वंहा आकर मैं रुक गया …….

मैं पीछे पलटा ,

“अब मैं यंहा तुमलोगो को अच्छे से मरूँगा ,साला वंहा बहुत भीड़ थी,”

मेरी बात सुनकर सबकी जैसे फट ही गई ,ऐसे भी जब वो मुझे मारने आये थे तो कोई 15-20 लोग थे जो की अब 10-15 ही बचे थे,वो भी दौड़ाने के कारण हांफ रहे थे,तो कोई चोट खाया हुआ था ..

‘साले अपने को बहुत बड़ा तीसमारखाँ समझता है “

मोटा ऐसे हाँफ रहा था जैसे अभी गिर कर मर जाएगा ,अपने जीवन में साला कभी इतना नही दौड़ा होगा ,वो इतना बोलकर वही बैठ गया

“क्या हुआ बे मोटे तू तो अभी से मर गया ‘

मैं उसकी हालत देखकर जोरो से हँसने लगा

“भाई ये साला बहुत कमीना है ,दौड़ा दौड़ा कर ही मार देगा,साले ने कुत्ता भी छोड़ दिया हमारे ऊपर ,छोड़ो ना भाई इसे हम चलते है आज तो क्रिकेट भी नही खेल पाएंगे “

उसके ग्रुप में एक लड़का बोल पड़ा ..

मोटे ने उसे अजीब निगाहों से देखा,फिर मुझे देखा

मुझे उसके चहरे को देखकर हंसी आ रही थी ,मोटा काला थुलथुला शरीर पसीने से पूरी तरह से भीगा हुआ था,ऐसे लग रहा था जैसे अभी रो देगा ..

“मैं तुझे देख लूंगा साले”वो हांफते हुए मुझे बोला

“टॉमी अटैक ..”

मैं चिल्लाया ,टॉमी गुर्राया ही था की

“नही नही भाई माफ कर दो अब और नही ..”

मोटा बैठे बैठे हाथ जोड़कर जैसे लेट ही गया था,

“अब और नही दौड़ सकता ,मुझे हार्ट अटैक आ जाएगा “

उसकी बात सुनकर मैं जोरो से हंस पड़ा ...और हंसते हंसते पेट को पकडलिया

“मोटे अब मुझसे पंगा नही लेना “

मैं वंहा से जाने लगा था की अचानक ..

“तेरे माँ की ..”धड़ाक

मेरे सर पर कोई चीज जोर से टकराई ,ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे पीछे से मेरे सर पर स्टंप दे मारा हो ,मेरे सर से खून बह रहा था और सर झन्ना गया था,मुझे चक्कर सा आ गया ,और वो लोग जो अभी हार कर बैठे थे मानो नए उत्साह से झूम उठे,सभी ने अपना अपना हथियार सम्हाला और मेरे ऊपर टूट पड़े कोई बल्ले से तो कोई स्टंप से जंहा चाहे वंहा मुझे मार रहा था ,

टॉमी मुझे बचाने को कूदा लेकिन सबने डंडा घुमा दिया था ,टॉमी को भी बुरी तरह से मारने लगे थे,मैं सम्हल ही नही पा रहा था तभी अचानक एक आवाज आयी ..

“छोड़ो उसे ..”

सभी ने आवाज की तरफ देखा लेकिन उसे इग्नोर कर दिया और धड़ाक धड़ाक …

मेरा तो सर घूम रहा था कुछ साफ नही दिख रहा था बस एक कुछ लोग दिखे जो इन लोगो को मार कर वंहा से भगा रहे थे ..

मेरी आंखे बन्द ही होने वाली थी की फिर से आवाज आयी ..

“इसे उठाओ और रूम में ले जाओ ‘

थोड़ी देर बाद मुझे कुछ लोग उठाकर कही ले गए ,रास्ते भर वो चहरा चिंता से भरा हुआ मेरे सामने आ जाता था जिसने उन लोगो से मुझे बचाया था ..

उसका चहरा बहुत ही जाना पहचाना लगा ,हा मैं स्पष्ट नही देख पा रहा था लेकिन फिर भी वो आवाज और वो चहरा कुछ पहचाना सा था ,अचानक मेरे दिमाग में उसका नाम आ गया ,और होठो में मुस्कान

“काजल मेडम …..”






josef
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Re: जादू की लकड़ी

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अध्याय 6

“तुम पागल हो क्या जो उनसे भिड़ाने चले गए वो भी ऐसे सुनसान से इलाके में “

एक छोटे डिंडोर स्टेडियम की एक सीढ़ी में बैठे हुए काजल मेडम मेरे सर के चोट पर मरहमपट्टी कर रही थी वही कुछ लड़के टॉमी के घाव में मरहम लगा रहे थे…

वो बेहद ही चिंता में लग रही थी

“मैं कही नही गया था वो लोग मेरे पास आ गए थे मुझसे भिड़ने ..”

“अपने आप को बहुत स्मार्ट समझते हो ,कल क्लास में भी तुमने... खतरों से भिड़ने का बहुत शौक है तुम्हे ,”

उनकी बात से मैं मुस्कुरा पड़ा

“आप कोई खतरा थोड़े ही हो ,मैं तो आपको देखते ही आपका दीवाना हो गया ..”

मैं मुकुराया लेकिन मेडम नही ..

“ओ मजनू की औलाद ऐसे बहुत लड़के रहते है मेरे पीछे और ये देखो मैं रियाल खतरा हु “

उन्होंने अपने कमर में बंधी हुई ब्लैक बेल्ट की ओर इशारा किया ,उस इंडोर स्टेडियम में कराटे,कुंफ और मार्सल आर्ट सिखाया जाता था ,मेडम वंहा पर टीचर थी ,और जब वो लोग मैदान में दौड़ रहे थे तभी उन्होंने मुझे लड़को से लड़ते हुए देखा था,और फिर भागकर उन्हें थकाकर सुनसान इलाके में ले जाते …

“यकीन नही होता की आप कराटे टीचर है आपका हाथ तो बेहद ही मुलायम है “

इस बार मैंने बड़ी ही मासूमियत से कहा था,उनके होठो पर भी एक मुस्कान उभर आयी..

“अगर कभी पड़ेगा ना तब समझ आ जाएगा,ऐसे तुमने लड़ना कहा से सीखा ..?”

उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा

“कही नही मैं तो जीवन में पहली बार लड़ रहा था..”

उनके होठो की मुस्कान और भी गहरी हो गई थी ..

“तुम सच में बहुत बड़े झूठे हो ,जैसा पंच तुमने उस लड़के को मारा था वो कराटे में ही सिखाते है ,और फिर वो कोहनियो का वार ..”

“मैं सच कह रहा हु मैंने कही से नही सीखा बस मन में आया तो घुमा दिया “

वो मुझे घूरने लगी …

“तब तो तुम्हे यंहा आकर सीखना चाहिए,मेरे ख्याल से तुम अच्छे फाइटर बनोगे,”

“आप सिखाएंगी “

मैंने मासूमियत भरे हुए कमीने पन से कहा

वो मुस्कुरा उठी …

“तुम कमीने हो..,हा मैं ही सिखाऊंगी ऐसे एक ग्रैंड मास्टर भी है लेकिन उनके अनुपस्थिति में हम लोगो ही सिखाते है जो की यंहा के पुराने स्टूडेंट्स है ,हमारे मास्टर देश विदेश में घूमते रहते है साल में एक दो बार ही आते है …….”

“अब लगता है की आपके सानिध्य में बहुत कुछ सिख जाऊंगा ,अच्छा लग रहा है”

उन्होंने मुस्कुराते हुए हल्की सी चपत मेरे गालो में मार दी ……

तभी मेरी नजर गेट पर पड़ी जंहा मुझे चन्दू और निशा खड़े हुए दिखाई दिए ,मेरे देखते ही उन्होंने अपनी निगाहे फेर ली …

***********

मैं घर आया तो मम्मी से ढेर सारी डांट खाई ,वो अपने प्यार के कारण मुझे डांट रही थी ,मैंने उन्हें बताया की मैं किसी भारी चीज से टकरा गया था,मेरे सर पर पट्टी बंधी हुई थी ,आज रश्मि मुझे लेने घर आयी और घर से निकलते ही मुझपर बरस पड़ी ..

“तुम आंटी से झूठ बोल सकते हो मुझसे नही ,सच सच बताओ उस मोटे ने तुम्हे मारा है ना “

मैं स्कूटी में पीछे बैठा हुआ था ,मैं जोरो से हंस पड़ा

“अरे वो मोटा मुझे क्या मरेगा मैंने ही उसे धोया था,ऐसी जगह मारा हु की साला अब लड़ने से पहले दो बार सोचेगा जरूर,लेकिन सालो ने पीछे से वार कर दिया ..”

“तुम जंगल से क्या आये हो पागल ही हो गए हो ,तुम्हे जरूरत क्या थी उनसे लड़ने की सॉरी बोलकर निकल जाते “

रश्मि चिंतित थी ,मैंने उसके कमर को जकड़ लिया ..

“हमेशा से तो यही करता आया हु,अब और नही ..”

मैंने अपना सर उसके कंधे में रख दिया वो कुछ भी नही बोल रही थी………

स्कूल में मुझे और मोटे को काजल मेडम ने टीचर्स स्टाफ रूम में बुलाया था..

“तुम्हारे जो भी गीले शिकवे है वो यही भुला दो और हाथ मिला लो ,हमारे स्कूल के बच्चे आवारा जैसे लड़ रहे थे ये बात अगर प्रिंसपल को पता चल गई तो तुम दोनो की खैर नही ..”

मोटे ने एक बार मुझे देखा मैंने उसे आंख मार दी ,वो कुछ बोला नही ….

“मेडम मुझे इससे कोई प्रॉब्लम नही है ,लेकिन अगर इसने फिर से मुझे अपने लफंगे दोस्तो के साथ घेरा तो अभी तो चोट किया हु,अगले बार इसके दोनो बॉल्स फोड़ दूंगा ,निंजा टेक्निक से "

मेरी बात सुनकर मेडम हल्के से मुस्कुराई फिर झूठा गुस्सा दिखाते हुए मुझे डांटने लगी ..

“चुप करो तुम, तुम्हे निंजा टेक्निक आती है तो क्या तुम किसी को भी मरते फिरोगे..और तुम ...एक आदमी को मारने के लिए 20 लोगो को ले जाते हो “

मेडम की बात सुनकर मोटे ने बड़े ही अजीब निगाहों से मुझे देखा

“तूने कब निंजा टेक्निक सिख ली “

वो आश्चर्य से बोला ,मैंने बस उसे आंख मार दिया

“चलो बहुत हुआ हाथ मिलाओ और फिर मत लड़ना “

हम दोनो ने एक दूसरे से हाथ मिलाया ,मोटा वंहा से जा चुका था,मेडम उसके जाते ही मुह दबा कर हंस पड़ी

“ये क्या नया सगुफ़ा छोड़ दिया तुमने निंजा टेक्निक “

“अरे मेडम आप निकलोडियन नही देखती क्या ,हथोड़ी और शिन्जो एक निंजा है और सिसिमानो उनका कुत्ता वैसे ही मेरे पास है मेरा सीसीमानो टॉमी.”

“क्या????”

मेरी बात मेडम को समझ नही आयी,और जिन्हें अभी भी नही आयी उन्हें बता दु की निकिलोड़ियन एक टीवी का कार्टून चेनल है जिसमे निंजा हथोड़ी करके एक सीरियल चलता है और उसमे हथोड़ी एक निंजा है किसके पास कई तरह की निंजा टेक्निक होती है ……..

“छोड़िये जब आपके बच्चे हो जाएंगे तब मेरी बात समझ आ जायेगी.”

मेडम ने अपना सर हिलाया जैसे कह रही हो हे भगवान ..


*************

रात का समय था मैं अपने कमरे में बैठा हुआ मूवी देख रहा था,मूवी थी ‘नेवर बेक डाउन ‘

मारधाड़ और मार्सल आर्ट से भरपूर ..

तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला सामने निशा थी ..

“अब तुम्हारी चोट कैसी है “

उसने धीरे से कहा ,

मैंने उसे अजीब निगाहों से देखा

“तुम्हे कब से फर्क पड़ने लगा “

वो सर झुकाये खड़ी थी लेकिन वो सुबक रही थी ,मुझे ये अजीब बात लगी आज तक जो लड़की कभी मुझसे सीधे मुह बात भी नही करती थी आज वो मेरे सामने खड़ी सुबक रही है …

“तुम मुझे बहुत ही गलत समझते हो भाई “

आज उसने पहली बार मुझे भाई कहा था

“ओह भाई ...तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना ,कही दिमाग तो नही हिल गया है जो मुझे भाई कह रही हो “

वो और भी जोरो से रोने लगी थी

“अब यंहा खड़ी खड़ी रो क्यो रही हो जाओ यंहा से मुझे मूवी देखना है “

लेकिन वो नही गई

“मुझे तुमसे बात करनी है “

“बात और मुझसे ..जाओ अपने बॉयफ्रेंड से जाकर बात करो ,”

“वो मेरा बॉयफ्रेंड नही है ,बस अच्छा दोस्त है “

“अच्छे दोस्त जांघो को नही मसला करते ,बॉयफ्रेंड नही तो शायद फक बॉडी होगा ,”

“राज ..”

वो चिल्लाई

“तुम जाओ यार यंहा से तुम्हे जिससे मरवाना हो मरवाओ लेकिन मेरा दिमाग मत खाओ “

वो जोरो से रो पड़ी

“मेरे भाई होकर तुम मुझसे ऐसी बाते कर रहे हो “

अब मुझसे बर्दास्त नही हुआ,मैं खड़ा हुआ और उसके पास जाकर उसके गालो को अपने हाथो से दबा लिया ..

उसका चहरा लाल पड़ चुका था,उसके आंखे आंसुओ से गीली थी,होठ कांप रहे थे,बाल बिखरे हुए थे,और आंखों में मेरे कृत्य के कारण एक डर सा आ गया था…

“एक बात समझ लो की मैं तुम्हारा भाई नही हु,तुमने कब मुझे अपना भाई माना जो आज बहन होने की दुहाई दे रही हो ,तुमने हमेशा ही मुझे नीचा दिखाने की कोशिस की है ,कभी मुझे भाई कहकर या मेरे असली नाम से बुलाया है तुमने ,तुमने मुझे लूजर कहा ,कुत्ता कहा और वैसा ही बर्ताव किया ,और अब तुम मुझे अपना भाई कह रही हो “

मेरी आंखे गुस्से से लाल थी ,निशा के गुलाबी होठ फड़क रहे थे ,मैंने उसके गालो को छोड़ दिया,उसके गालो पर मेरे उंगलियो के निशान पड़ चुके थे,उसके गाल बहुत मुलायम और फुले हुए थे,रंग बेहद ही गोरा था ,थोड़ा अंग्रेजो जैसे इसलिए उंगलियो के निशान साफ साफ दिखाई दे रहे थे..

“हा मैं तुम्हे चिढ़ाती थी ,तुम्हे जलील करती थी क्योकि तुम वैसे थे..इसमे मेरी कोई गलती नही है,मुझे तो तुम्हे भाई बोलते हुए भी शर्म आती थी,और तुम ही बताओ की तुमने भाई वाला कौन सा काम किया है जो मैं तुम्हे भाई बोलू,तुम तो एक डरपोक इंसान थे ,तुम्हे क्या लगता है की उस दिन कार में तुम्हारे गुम जाने के बाद मुझे खुशी हुई,तुम्हारे लिए हम सभी बहने रोती थी लेकिन छिप छिपकर …...लेकिन तुम ...तुम तो थे ही ऐसे ,तुम आज ऐसे पेश आ रहे हो मुझे थोड़ा भी आश्चर्य नही हो रहा है,असल में तुमने कभी हमे अपनी बहन नही माना ,वरना तुम उस दिन चन्दू से भीड़ जाते ,तुम मार खाने से नही डरते ,लेकिन तुम डरपोक थे ,तुम्हारे लिए तुम्हारी बहन की इज्जत के भी कोई मोल नही थे..

क्लास में कई लड़के तुम्हारे सामने ही मुझे छेड़ दिया करते थे लेकिन तुमने आज तक क्या किया ,तुम बस सर झुकाये उस रश्मि के पल्लू से दबे रहे ,तो कैसे तुम्हे अपना भाई बोलती..

जानते हो रक्षाबंधन में बहन अपने भाई के कलाई पर राखी क्यो बंधती है ...ताकि वो भाई उसके इज्जत की रक्षा करे ना की नामर्दो जैसे सर झुककर अपनी बहन की बेज्जती होते देखता रहे ..तो तुम ही बताओ मैं क्या करती,कैसे तुम्हे अपना भाई कहती ……तुम्हारी ऐसी हालत को देखकर दिल में दुख होता था ,तकलीफ होती थी लेकिन ये मेरा तुम्हारे लिए गुस्सा था जिसके कारण में तुम्हे जलील करती थी,सोचती की कभी तो तुम्हारा जमीर जागेगा लेकिन नही ...तुम्हारा तो जमीर ही मर चुका था “

निशा की बात सुनकर मैं अवाक रह गया था,उसका गाल पूरे तरह से आंसुओ से भीग चुका था,वही मेरे आंखों से भी आंसू आने लगे थे,आज तक मैं कई बार जलील हुआ था,मुझे हमेशा ही लगता था की ये उन लोगो की गलती है जो मुझे जलील कर रहे है,मैंने कभी अपने कमियों के बारे में नही सोचा,मैने कभी अपनी गलतियों को नही देखा ,कभी उसे सुधारने की कोशिस नही की ,आज निशा की बातो ने मुझे एक नया नजरिया दिया था,आज मुझे अपने ही किये कामो पर ग्लानि सी महसूस हो रही थी ,आज मुझे अपनी गलतियों का आभास हो रहा था,ज्ञानियो ने सही कहा है ,आप की असफलता आपकी ही गलती होती है,...

“हम सभी बहने तुमसे बहुत प्यार करती है भाई,मैं भी तुम्हे भाई बोलने को तराशती थी लेकिन तुम...तुम्हारे हरकतों के कारण मैं खुद को रोक लिया करती थी ,आखिर तुम ही तो हमारे एकलौते भाई हो ,तुम्हे जलाया ,तुझे जलील किया की तुम्हे कुछ तो समझ आये लेकिन कभी नही आया और तुम सब छोड़कर भाग गए ,कभी हिम्मत करके हमारे ऊपर प्यार जताया ,नही..तुम्हे तो कभी हमे बहन कहने तक की हिम्मत नही जुटाई,जानते हो कैसा लगता है एक भाई के होते हुए भी उसका ना होना, ..जानते हो हमे कितना दुख हुआ तुम्हारे जाने से,हमे अपनी गलती का अहसास हुआ लेकिन बहुत देर हो चुकी थी ,जब तुम वापस आये तो ...तुम बाहर से पूरी तरह से बदले हुए थे,लेकिन अंदर से आज भी वैसे ही हो, आज भी तुम हमे अपनी बहन नही मानते ,आज भी तुम्हारे नजरो में रिश्तों के कोई मायने नही है,तुम आज भी वैसे ही हो .. ”

वो रोने लगी थी फुट फुट कर रो रही थी ,मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया …

“मुझे माफ कर दे बहन ...मुझे माफ कर दे ..”

मैं क्यो रो रहा था ???

मुझे नही पता लेकिन मुझे दुख था,ग्लानि से मेरा कलेजा जले जा रहा था ,निशा की बातें खंजर की तरह मेरे सीने को छलनी किये जा रही थी ,मैं उसे बहुत जोरो से जकड़े हुए था वही वो भी मुझे बहुत ही जोरो से जकड़े थी……

मैं उसके सर को उसके बालो के ऊपर से ही चुम रहा था,वो मेरे सीने से लगी सुबक रही थी …

“हमारा भी कोई चांस है क्या “

दरवाजे में खड़ी निकिता दीदी ने कहा,निकिता और नेहा दीदी दोनो ही अपने आंखों से आंसू पोछ रहे थे,मैंने अपनी बांहे फैला दी और वो दौड़ते हुए मुझसे लिपट गए …

मुझे समझ नही आ रहा था की ये क्या और क्यो हो रहा है,जो इतने सालो में नही हो रहा वो आज अचानक कैसे हो रहा है,क्या ये बाबा जी के ताबीज वाली लकड़ी का कमाल था ,या सच में बस एक ऐसी दीवार का टूटना जो दीवार हमने ही अपनी गलतियों से बना लिया था,जो भी हो मुझे लगा जैसे आज मेरा पुनर्जन्म हुआ है……

मेरी बहनो ने मुझे प्यार से भाई कहा था ,मुझे याद है बचपन में वो मुझे राखी बंधा करती थी ,मेरे गालो में चुम्मी लिया करती थी,सच में मेरी बहने मुझे कितना प्यार करती थी ,फिर क्या हुआ ??

फिर क्या ऐसा होने लगा की हम अलग होने लगे,निकिता और नेहा दीदी से बातचित ही बन्द होने लगी और निशा तो मुझसे नफरत करने लगी ….

शायद वक्त को यही मंजूर था,क्योकि जो चीजे आसानी से मिल जाती है उसकी लोग कद्र ही नही करते ……..


***************

आज मेरी बहनो के कहने पर डिनर टेबल में गया,वरना मैं कमरे में ही खाना खा लिया करता था क्योकि मुझे पापा का सामना नही करना था..

“ये चोट कैसे लगी “

मेरे सर पर पट्टी देखकर पापा ने पूछा ,उनके आवाज में वही रौब था जो हमेशा होता था लेकिन आज मुझे उससे डर नही लग रहा था..

“वो क्लास में एक लड़का निशा को छेड़ रहा था तो उससे लड़ाई हो गई “

मेरी बात सुनकर निशा खाँसने लगी ,उसने आश्चर्य में मुझे देखा और मैंने बस उसे आंख मार दिया ..

“तुमने लड़ाई की ,तुम तो बोल रहे थे कही टकरा गए थे “

अब बारी माँ की थी ..

“तो आपको क्या बताता की मैदान में लड़के मुझे घेर लिए थे ,आप को तो हार्टअटैक आ जाता “

मेरी बात सुनकर सभी हँसने लगे सिवाय पापा और मम्मी के ..

मम्मी ने बुरा सा मुह बनाया ,वही पापा मुझे घूरने लगे

“तुमने सच में निशा के लिए लड़ाई की “

“हा मेरी बहन को कोई मेरे सामने छेड़े तो मैं देखता रहूंगा “

पापा ने आश्चर्य से निशा की ओर देखा ,निशा ने मासूमियत से हा में सर हिला दिया

“शाबास ,ये तुमने मेरे बेटे वाला काम किया ..ज्यादा चोट तो नही आई “

मत पूछिये की कैसा लगा ,बस ऐसा लगा की जाकर अपने पिता के गले से लग जाऊ ,क्या पूरे जीवन वो मुझसे यही चाहते थे की मैं उनके तरह मर्द बनू,शायद ...शायद इसलिए वो मुझसे ऐसे रूखे रूखे पेश आया करते थे ,

“नही ,वो पीछे से मार दिया सालो ने वरना..”

“ठीक है ठीक है चलो खाना खा लो “

पापा खाना खाने लगे वही मेरी प्यारी माँ मेरे और मेरे बहनो की कैमेस्ट्री देखकर दंग थी उसके आंखों में आंसू थे..

पापा के जाते ही वो मेरे गले से लग गई ,

“मेरे बच्चे एक दूसरे से बात करने लगे है ,साथ शरारत करने लगे है ,मैं तो सोचती थी की मैं ये सब देखे बिना ही मर ना जाऊ “

मेरी माँ थोड़ी ज्यादा इमोशनल थी ..

सभी बहनो और मैंने आकर उन्हें जकड़ लिया और उनके गाल को चुम्मीया दे देकर भिगो दिया ….


cool_moon
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Re: जादू की लकड़ी

Post by cool_moon »

बहुत ही अच्छी शुरुआत..
अगले अपडेट का इंतजार रहेगा..
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