बहुत ही शानदार अपडेट है दोस्त
कमसिन बहन
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Re: कमसिन बहन
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Re: कमसिन बहन
बहुत ही बढ़िया अपडेट..
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Re: कमसिन बहन
कुछ देर बाद तो नेहा ने भी अपनी तरफ से रिस्पॉन्ड करना शुरू कर दिया उन लड़को को...
और अंदर ही अंदर एक इच्छा ने भी जन्म ले लिया की काश इनमे से कोई स्मार्ट सा लड़का उसके फूल जैसे जिस्म को रगड़ डाले..
वहीं दूसरी तरफ मंजू भी नेहा के बदलते बर्ताव को देखकर मंद-2 मुस्कुरा रही थी...
वो अपनी बचपन की सहेली को अच्छे से जानती थी,
विक्की से खुलने के बाद उसमें काफ़ी बदलाव आ चुका था...
अब वो बाहर के लड़को के साथ भी खुलकर मज़े लेने के मूड में थी...
उनमे से एक लड़का ख़ासकर नेहा के पीछे ही पड़ा हुआ था...
उसी ने अभी तक उसके नितंबो और कमर पर हाथ लगाकर सबसे ज्यादा उसे अच्छे से महसूस किया था...
नेहा भी उसके स्पर्श को एंजाय कर रही थी...
वो तो चाह रही थी की वो लड़का उसके मुम्मो को पकड़कर मसल डाले पर इतने लोगो के सामने ये काम थोड़ा मुश्किल था...
खैर, नाच गाने से निपटकर जब थक हारकर वो दोनो एक कोने में बैठी थी तो मंजू ने नेहा से पूछा : "क्या बात है नेहा डार्लिंग, आज कुछ ज़्यादा ही जलवे बिखेर रही है...''
नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा : ''आज बड़े दिनों बाद ये माहौल मिला है, ऐसे में जलवे बिखेरना तो बनता ही है ना...''
ऐसा कहते हुए उसने एक आँख मार दी उसे...
फिर उसकी नज़रें उसी लड़के को ढूँढने लगी, पर वो कही नही दिखा...
उन दोनो के अंदर एक आग लगाकर वो छिछोरे लड़को की टोली गायब हो चुकी थी..
और शादी के मौके पर ऐसे गायब होने का सिर्फ़ एक ही मतलब होता है, दारू पीना..
वो सब भी इकट्ठे होकर बाहर खड़ी गाडियों में जाम छलका रहे थे..
नेहा : "क्या यार...अक्चा भला मूड बनाकर साले गायब हो गये.....आज की शाम लगता है बकवास जाने वाली है...''
मंजू ने उसके कान के पास होंठ लाते हुए कहा : "मेरे होते चिंता करने की क्या ज़रूरत है मेरी जान....चल मेरे साथ...मैंने एक लड़के को पटा लिया है मजे लेने के लिए ''
इतना कहकर वो उसका हाथ पकड़कर टेंट के पीछे वाले हिस्से की तरफ चल दी...
मंजू के मम्मी पापा अपने रिश्तेदारों में मस्त थे ,
उन्हे मंजू और नेहा की कोई फ़िक्र नही थी,
वो जानते थे की दोनो आपस में मस्त होंगी...
बेचारे ये नही जानते थे की मस्त होने के साथ-2 मस्ती लेने भी चल पड़ी है दोनो...
मंजू ने अपना फोन निकाला और विक्की को फोन मिलाकर सीधा एक ही सवाल पूछा : "कहाँ हो...''
विक्की : "और कहाँ ...वहीं टेंट के पीछे....आधे घंटे से खड़ा हूँ ...''
मंजू ने मुस्कुराते हुए कहा : "सब्र करो...सब्र का फल मीठा होता है...''
इतना कहकर वो मुस्कुराते हुए नेहा का हाथ पकड़कर चल दी...
नेहा : "तू तो बड़ी चालू निकली साली....मैं नाचती रह गयी और तूने अपना बंदा सेट कर लिया...शाबाश मेरी जान ....अब तो सब्र नही हो पा रहा मुझसे....इस वक़्त कोई ना मिला ना तो उस हलवाई के सामने ही नंगी हो जाउंगी मैं ....''
टेंट के पीछे बैठा मोटा हलवाई भी उन दोनो के हुस्न को देखकर अपने भद्दे होंठों पर जीभ फेर रहा था....
उसे पता होता की उसकी ही बात कर रही है नेहा तो पूडी तलना छोड़कर उसके पीछे ही हो लेता वो भी..
हलवाई के छोटे टेंट को पार करके वो दोनो पिछली तरफ आ गये....
ये एक बड़ा सा ग्राउंड था, जिसके आधे हिस्से पर ही ये सब कार्यकर्म हो रहा था...
बाकी का हिस्सा सुनसान सा पड़ा था...
दूर अंधेरे में विक्की एक पेड़ के नीचे पड़ी बेंच पर बैठा उनका इंतजार कर रहा था...
उन्हें आता देखकर वो खड़ा हो गया
नेहा की आँखे चमक उठी उस नौजवान को देखकर...
उसकी हाइट और बॉडी दूर से देखकर ही उसकी चूत में पानी आ गया.....
अब ऐसा भी नही था की उसे चूत मरवाने की आग लगी हुई थी...
वो तो वैसे भी उसने अपने भाई के लिए ही रख छोड़ी थी,
पर आज के माहौल में जिस तरह से उसके जिस्म को रगड़ा गया था,
कम से कम उस खुजली को शांत करना तो बनता ही था,
और वो खुजली तो स्मूच और मुम्मे चुसवाने से ही दूर हो सकती थी...
एक अलग ही रोमांच का अनुभव कर रही थी नेहा...
इन्फेक्ट मंजू भी काफ़ी रोमांचित हो रही थी ऐसी स्थिति में नेहा और विक्की को मिलवाकर...
अब जो भी होने वाला था उसमे उन दोनो भाई बहन को तो मज़ा आने ही वाला था,
साथ ही साथ वो भी जानती थी की उसे बीच में कैसे मज़े लेने है...
अपनी प्लानिंग और अक्लमंदी पर मुस्कुराते हुए उसने नेहा से कहा : "देख....ये लड़का हमे दूर से देख रहा था, हमारी तरफ का ही है...इसलिए शरमा रहा है, वो सिर्फ़ एक ही शर्त पर यहां पीछे आने को तैयार हुआ है की जो भी होगा, अंधेरे में ही होगा...ताकि बाद में उसके लिए कोई प्राब्लम ना हो...''
नेहा : "अरे साला ...ये तो लड़कियो से भी ज़्यादा शरमाता है....जब इतना शरमा रहा है तो करेगा कैसे...हे हे''
पर नेहा को इस वक़्त उसके इस अनोखे व्यवहार से ज़्यादा अपने बदन की गर्मी की पड़ी थी....
इसलिए मंजू की बात में हाँ मिलाकर वो उसकी तरफ चल दी...
अब असली खेल शुरू होने वाला था....
जिसका विक्की धड़कते दिल से इंतजार कर रहा था.
******************
और अंदर ही अंदर एक इच्छा ने भी जन्म ले लिया की काश इनमे से कोई स्मार्ट सा लड़का उसके फूल जैसे जिस्म को रगड़ डाले..
वहीं दूसरी तरफ मंजू भी नेहा के बदलते बर्ताव को देखकर मंद-2 मुस्कुरा रही थी...
वो अपनी बचपन की सहेली को अच्छे से जानती थी,
विक्की से खुलने के बाद उसमें काफ़ी बदलाव आ चुका था...
अब वो बाहर के लड़को के साथ भी खुलकर मज़े लेने के मूड में थी...
उनमे से एक लड़का ख़ासकर नेहा के पीछे ही पड़ा हुआ था...
उसी ने अभी तक उसके नितंबो और कमर पर हाथ लगाकर सबसे ज्यादा उसे अच्छे से महसूस किया था...
नेहा भी उसके स्पर्श को एंजाय कर रही थी...
वो तो चाह रही थी की वो लड़का उसके मुम्मो को पकड़कर मसल डाले पर इतने लोगो के सामने ये काम थोड़ा मुश्किल था...
खैर, नाच गाने से निपटकर जब थक हारकर वो दोनो एक कोने में बैठी थी तो मंजू ने नेहा से पूछा : "क्या बात है नेहा डार्लिंग, आज कुछ ज़्यादा ही जलवे बिखेर रही है...''
नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा : ''आज बड़े दिनों बाद ये माहौल मिला है, ऐसे में जलवे बिखेरना तो बनता ही है ना...''
ऐसा कहते हुए उसने एक आँख मार दी उसे...
फिर उसकी नज़रें उसी लड़के को ढूँढने लगी, पर वो कही नही दिखा...
उन दोनो के अंदर एक आग लगाकर वो छिछोरे लड़को की टोली गायब हो चुकी थी..
और शादी के मौके पर ऐसे गायब होने का सिर्फ़ एक ही मतलब होता है, दारू पीना..
वो सब भी इकट्ठे होकर बाहर खड़ी गाडियों में जाम छलका रहे थे..
नेहा : "क्या यार...अक्चा भला मूड बनाकर साले गायब हो गये.....आज की शाम लगता है बकवास जाने वाली है...''
मंजू ने उसके कान के पास होंठ लाते हुए कहा : "मेरे होते चिंता करने की क्या ज़रूरत है मेरी जान....चल मेरे साथ...मैंने एक लड़के को पटा लिया है मजे लेने के लिए ''
इतना कहकर वो उसका हाथ पकड़कर टेंट के पीछे वाले हिस्से की तरफ चल दी...
मंजू के मम्मी पापा अपने रिश्तेदारों में मस्त थे ,
उन्हे मंजू और नेहा की कोई फ़िक्र नही थी,
वो जानते थे की दोनो आपस में मस्त होंगी...
बेचारे ये नही जानते थे की मस्त होने के साथ-2 मस्ती लेने भी चल पड़ी है दोनो...
मंजू ने अपना फोन निकाला और विक्की को फोन मिलाकर सीधा एक ही सवाल पूछा : "कहाँ हो...''
विक्की : "और कहाँ ...वहीं टेंट के पीछे....आधे घंटे से खड़ा हूँ ...''
मंजू ने मुस्कुराते हुए कहा : "सब्र करो...सब्र का फल मीठा होता है...''
इतना कहकर वो मुस्कुराते हुए नेहा का हाथ पकड़कर चल दी...
नेहा : "तू तो बड़ी चालू निकली साली....मैं नाचती रह गयी और तूने अपना बंदा सेट कर लिया...शाबाश मेरी जान ....अब तो सब्र नही हो पा रहा मुझसे....इस वक़्त कोई ना मिला ना तो उस हलवाई के सामने ही नंगी हो जाउंगी मैं ....''
टेंट के पीछे बैठा मोटा हलवाई भी उन दोनो के हुस्न को देखकर अपने भद्दे होंठों पर जीभ फेर रहा था....
उसे पता होता की उसकी ही बात कर रही है नेहा तो पूडी तलना छोड़कर उसके पीछे ही हो लेता वो भी..
हलवाई के छोटे टेंट को पार करके वो दोनो पिछली तरफ आ गये....
ये एक बड़ा सा ग्राउंड था, जिसके आधे हिस्से पर ही ये सब कार्यकर्म हो रहा था...
बाकी का हिस्सा सुनसान सा पड़ा था...
दूर अंधेरे में विक्की एक पेड़ के नीचे पड़ी बेंच पर बैठा उनका इंतजार कर रहा था...
उन्हें आता देखकर वो खड़ा हो गया
नेहा की आँखे चमक उठी उस नौजवान को देखकर...
उसकी हाइट और बॉडी दूर से देखकर ही उसकी चूत में पानी आ गया.....
अब ऐसा भी नही था की उसे चूत मरवाने की आग लगी हुई थी...
वो तो वैसे भी उसने अपने भाई के लिए ही रख छोड़ी थी,
पर आज के माहौल में जिस तरह से उसके जिस्म को रगड़ा गया था,
कम से कम उस खुजली को शांत करना तो बनता ही था,
और वो खुजली तो स्मूच और मुम्मे चुसवाने से ही दूर हो सकती थी...
एक अलग ही रोमांच का अनुभव कर रही थी नेहा...
इन्फेक्ट मंजू भी काफ़ी रोमांचित हो रही थी ऐसी स्थिति में नेहा और विक्की को मिलवाकर...
अब जो भी होने वाला था उसमे उन दोनो भाई बहन को तो मज़ा आने ही वाला था,
साथ ही साथ वो भी जानती थी की उसे बीच में कैसे मज़े लेने है...
अपनी प्लानिंग और अक्लमंदी पर मुस्कुराते हुए उसने नेहा से कहा : "देख....ये लड़का हमे दूर से देख रहा था, हमारी तरफ का ही है...इसलिए शरमा रहा है, वो सिर्फ़ एक ही शर्त पर यहां पीछे आने को तैयार हुआ है की जो भी होगा, अंधेरे में ही होगा...ताकि बाद में उसके लिए कोई प्राब्लम ना हो...''
नेहा : "अरे साला ...ये तो लड़कियो से भी ज़्यादा शरमाता है....जब इतना शरमा रहा है तो करेगा कैसे...हे हे''
पर नेहा को इस वक़्त उसके इस अनोखे व्यवहार से ज़्यादा अपने बदन की गर्मी की पड़ी थी....
इसलिए मंजू की बात में हाँ मिलाकर वो उसकी तरफ चल दी...
अब असली खेल शुरू होने वाला था....
जिसका विक्की धड़कते दिल से इंतजार कर रहा था.
******************
Thriller इंसाफ Running....बहुरुपिया शिकारी Running....
गुजारिश Running....वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना Running....वर्दी वाला गुण्डा / वेदप्रकाश शर्मा ....
प्रीत की ख्वाहिश ....अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म ) ....
कमसिन बहन .... साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ.... द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}by rocksanna .... अनौखी दुनियाँ चूत लंड की .......क़त्ल एक हसीना का
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Re: कमसिन बहन
विक्की तक जाते हुए नेहा के दिल की धड़कन तेज होने लगी....
उसके निप्पल कड़क होकर अलग से चमकने लगे...
उसकी जाँघो के बीच गीलापन आ गया.
मन ही मन वो सोच रही थी की आज उसकी जवानी को उसके भाई के अलावा कोई दूसरा हाथ लगाएगा...
विक्की भी धड़कते दिल और खड़े लंड के साथ अपनी बहन को अपनी तरफ आते देखकर कुलबुला रहा था...
हालाँकि वो अच्छी तरह जानता था की घर में वो नेहा से ज़्यादा अच्छी तरह से मज़े ले सकता है
पर इस स्थिति में एक अलग ही तरह का रोमांच था..
साथ ही उसने आज सोच लिया था की वो एक साथ दोनो से मज़े लेगा..
वो उसके करीब पहुँची तो चाहकर भी विक्की का चेहरा ठीक से देख नही पाई,
घुप्प अंधेरा था वहाँ, उपर से वो जिस पेड़ के नीचे खड़ा था वो भी काफ़ी घना था, इसलिए सिर्फ़ नेहा उसके शरीर को महसूस कर सकती थी, देख नही पा रही थी..
वैसे भी इस वक़्त नेहा के अंदर इतनी चुदासी भरी पड़ी थी की उसे उसकी शक्ल से ज़्यादा उसका लंड देखने की पड़ी थी...
एक अजीब सी शांति छा गयी जब तीनो एक दूसरे के सामने पहुँचे तो...
मंजू ने विक्की को कुछ भी बोलने से मना किया था क्योंकि उसकी आवाज़ से उनका भांडा फूट जाता..
चुप्पी को तोड़ते हुए मंजू ने कहा : "अर्रे यार, ऐसे ही खड़े रहना है तो अंदर ही चलते है ना...जल्दी करो जो भी करना है, ऐसा ना हो की कोई आ जाए...''
ये सुनते ही विक्की के हाथ हरकत में आ गये, वो हाथ बढ़ाकर नेहा के मुम्मे पकड़ने ही वाला था की उससे पहले ही नेहा के हाथ सीधा उसके लंड पर पहुँच गये...
विक्की ने तो सोचा भी नही था की उसकी शरीफ सी दिखने वाली बहन ऐसी हरकत या पहल कर सकती है...
वो जीन्स में फँसे उसके लंड को अच्छे से सहला रही थी,
एक अलग ही टीला सा बना हुआ था विक्की की पेंट में,
नेहा ने सिसकारी मारते हुए अपने शरीर को विक्की से सटाया और अपनी नन्ही बूबियां उसकी छाती पर रखकर ज़ोर से मसल डाली....
अब विक्की के लिए भी रुकना मुश्किल था...
उसने अपने दोनो हाथो मे उसकी चुचियों को पकड़ा और अपना मुँह नीचे करते हुए उसके लरजते हुए होंठों पर अपने होंठ रखकर उन्हे चूस डाला...
एक बिजली सी कड़क गयी जब दोनो के गीले होंठ मिले तो....
हालाँकि ये पहली बार नही था जब दोनो भाई बहन एक दूसरे को चूम रहे थे, विक्की को तो पता था की वो नेहा को ही चूम रहा है, पर नेहा को दूर - 2 तक अंदाज़ा भी नही था की वो उसका खुद का भाई है जिसके साथ वो इस रोमांचक पल में मज़े ले रही है...
नेहा ने फड़फड़ाते हाथों से विक्की की जीन्स खोल डाली और उसके कबूतर को बाहर निकाल लिया....
लंड के बाहर आते ही एक अजीब सा नशा फैल गया हवा में....
नेहा की बेसब्री का आलम ये था की उसने अपनी स्मूच तोड़ते हुए नीचे फिसलना शुरू कर दिया और अपने पंजो पर बैठकर अपने भाई के लंड को एक ही बार में निगल गयी....
विक्की ने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह से आआआआआहह की आवाज़ को निकलने से बचाया..
बाकी का काम मंजू ने आसान कर दिया,
वो लपक कर आगे आई और उसने अपने होंठ विक्की के होंठो पर रखकर उन्हे चूसने लगी...
उपर के होंठो पर मंजू के होंठ, नीचे लंड पर नेहा के होंठ, दो लड़कियो को ऐसे चूसने का मौका मिल जाए तो दुनिया के किसी भी मर्द को अपने आप पर गर्व होने लगेगा...
मंजू ने अपने सूट को उपर करके उसे उतार कर साइड के बेंच पर रख दिया,
ब्रा भी उसने एक ही झटके में खिसका कर अपने स्तनो से ऊपर खींच दी,
अब वो विक्की के सामने टॉपलेस होकर खड़ी थी,
विक्की ने भी देर नही लगाई और उसके मदमस्त मुम्मो को एक-2 करके चूसने लगा...
उसके निप्पल कड़क होकर अलग से चमकने लगे...
उसकी जाँघो के बीच गीलापन आ गया.
मन ही मन वो सोच रही थी की आज उसकी जवानी को उसके भाई के अलावा कोई दूसरा हाथ लगाएगा...
विक्की भी धड़कते दिल और खड़े लंड के साथ अपनी बहन को अपनी तरफ आते देखकर कुलबुला रहा था...
हालाँकि वो अच्छी तरह जानता था की घर में वो नेहा से ज़्यादा अच्छी तरह से मज़े ले सकता है
पर इस स्थिति में एक अलग ही तरह का रोमांच था..
साथ ही उसने आज सोच लिया था की वो एक साथ दोनो से मज़े लेगा..
वो उसके करीब पहुँची तो चाहकर भी विक्की का चेहरा ठीक से देख नही पाई,
घुप्प अंधेरा था वहाँ, उपर से वो जिस पेड़ के नीचे खड़ा था वो भी काफ़ी घना था, इसलिए सिर्फ़ नेहा उसके शरीर को महसूस कर सकती थी, देख नही पा रही थी..
वैसे भी इस वक़्त नेहा के अंदर इतनी चुदासी भरी पड़ी थी की उसे उसकी शक्ल से ज़्यादा उसका लंड देखने की पड़ी थी...
एक अजीब सी शांति छा गयी जब तीनो एक दूसरे के सामने पहुँचे तो...
मंजू ने विक्की को कुछ भी बोलने से मना किया था क्योंकि उसकी आवाज़ से उनका भांडा फूट जाता..
चुप्पी को तोड़ते हुए मंजू ने कहा : "अर्रे यार, ऐसे ही खड़े रहना है तो अंदर ही चलते है ना...जल्दी करो जो भी करना है, ऐसा ना हो की कोई आ जाए...''
ये सुनते ही विक्की के हाथ हरकत में आ गये, वो हाथ बढ़ाकर नेहा के मुम्मे पकड़ने ही वाला था की उससे पहले ही नेहा के हाथ सीधा उसके लंड पर पहुँच गये...
विक्की ने तो सोचा भी नही था की उसकी शरीफ सी दिखने वाली बहन ऐसी हरकत या पहल कर सकती है...
वो जीन्स में फँसे उसके लंड को अच्छे से सहला रही थी,
एक अलग ही टीला सा बना हुआ था विक्की की पेंट में,
नेहा ने सिसकारी मारते हुए अपने शरीर को विक्की से सटाया और अपनी नन्ही बूबियां उसकी छाती पर रखकर ज़ोर से मसल डाली....
अब विक्की के लिए भी रुकना मुश्किल था...
उसने अपने दोनो हाथो मे उसकी चुचियों को पकड़ा और अपना मुँह नीचे करते हुए उसके लरजते हुए होंठों पर अपने होंठ रखकर उन्हे चूस डाला...
एक बिजली सी कड़क गयी जब दोनो के गीले होंठ मिले तो....
हालाँकि ये पहली बार नही था जब दोनो भाई बहन एक दूसरे को चूम रहे थे, विक्की को तो पता था की वो नेहा को ही चूम रहा है, पर नेहा को दूर - 2 तक अंदाज़ा भी नही था की वो उसका खुद का भाई है जिसके साथ वो इस रोमांचक पल में मज़े ले रही है...
नेहा ने फड़फड़ाते हाथों से विक्की की जीन्स खोल डाली और उसके कबूतर को बाहर निकाल लिया....
लंड के बाहर आते ही एक अजीब सा नशा फैल गया हवा में....
नेहा की बेसब्री का आलम ये था की उसने अपनी स्मूच तोड़ते हुए नीचे फिसलना शुरू कर दिया और अपने पंजो पर बैठकर अपने भाई के लंड को एक ही बार में निगल गयी....
विक्की ने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह से आआआआआहह की आवाज़ को निकलने से बचाया..
बाकी का काम मंजू ने आसान कर दिया,
वो लपक कर आगे आई और उसने अपने होंठ विक्की के होंठो पर रखकर उन्हे चूसने लगी...
उपर के होंठो पर मंजू के होंठ, नीचे लंड पर नेहा के होंठ, दो लड़कियो को ऐसे चूसने का मौका मिल जाए तो दुनिया के किसी भी मर्द को अपने आप पर गर्व होने लगेगा...
मंजू ने अपने सूट को उपर करके उसे उतार कर साइड के बेंच पर रख दिया,
ब्रा भी उसने एक ही झटके में खिसका कर अपने स्तनो से ऊपर खींच दी,
अब वो विक्की के सामने टॉपलेस होकर खड़ी थी,
विक्की ने भी देर नही लगाई और उसके मदमस्त मुम्मो को एक-2 करके चूसने लगा...
Thriller इंसाफ Running....बहुरुपिया शिकारी Running....
गुजारिश Running....वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना Running....वर्दी वाला गुण्डा / वेदप्रकाश शर्मा ....
प्रीत की ख्वाहिश ....अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म ) ....
कमसिन बहन .... साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ.... द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}by rocksanna .... अनौखी दुनियाँ चूत लंड की .......क़त्ल एक हसीना का