Adultery प्यास बुझाई नौकर से

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Jemsbond
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Re: प्यास बुझाई नौकर से

Post by Jemsbond »

रूबी ने अपनी आँखें ऊपर की तो रामू उसकी तरफ ही देख रहा था। रूबी ने झट से अपनी आँखें नीचे कर ली। कुछ देर बाद रामू ने ट्यूबवेल चलाया और गाय को नहलाने लगा। रूबी बीच-बीच में उसकी तरफ देख भी लेती थी और रामू की आँखें भी रूबी की तरफ घूम जाती थी। कुछ देर बाद रामू खुद नहाने लगता है और रूबी की नजरें उसके मर्दाने जिश्म का जायजा लेती हैं।

रामू भी उसे अपनी तरफ घूरते देख लेता है। पर रूबी नजरें चुरा लेती है। रामू इतना समझ गया था की रूबी के दिल में भी चोर है, वरना इतनी हसीन औरत अपने नौकर को चोरी-चोरी नहाते क्यों देखती?

उस रात रूबी यही सोचती रही की जो भी रामू आज कर रहा था वो इत्तेफाक था या जानबूझ कर कर रहा था। रामू ने जैसे उसपर जादू कर दिया था। वो उसके बारे में सोचे बिना नहीं रह पा रही थी। उसकी अंदर की आग बढ़ने लगी तो उसने अपनी चूत को सलवार के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में सलवार ने रूबी के जिश्म का साथ छोड़ दिया, और रूबी अपनी जांघों के बीच तकिया रखकर अपनी चूत को आगे पीछे करने लगी।

उधर रामू ने पहली बार रूबी को इतने करीब से देखा था, और उसकी गोलाईयों को भी जी भरके देखा था। वो जब भी अपनी आँखें बंद करता तो रूबी की गोलाईयां याद आ जाती। उसकी नींद उड़ गई थी। उसका दिल किया की एक बार रूबी को देख ले बस। पर वो तो अभी सो रही होगी। पर दिल है की मानता नहीं। वो उठा और धीरे-धीरे रूबी के कमरे की खिड़की के पास पहुंच गया। खिड़की का पर्दा पूरा अच्छी तरह खिड़की को कवर नहीं कर रहा था। थोड़ी सी जगह थी जहां से अंदर देखा जा सजता था। अंदर धीमी लाइट जल रही थी। राम ने उस दरार से अंदर देखा तो अंदर का नजारा देखकर दंग रह गया। रूबी पैंटी में थी और चूत को तकिये से रगड़ रही थी।

रामू टकटकी लगाकर रूबी को अपनी जिश्म की भूख को शांत करते देखता रहा। कुछ देर बाद रूबी निढाल पड़ गई और फिर अपनी सलवार पहनकर कम्बल लेकर सो गई। रामू वापिस अपने कमरे में आ गया। अपने बिस्तर में लेटा-लेटा सोच रहा था की यह बात तो पक्की है के रूबी मर्द के लिए तड़प रही है। पर वो मुझे मिलेगी कैसे? उसका लण्ड उसकी पैंट में हिल-डुल रहा था। रामू जनता था की यह ऐसे शांत नहीं होगा इसे आजाद करना होगा।

रामू ने अपनी पैंट खोली और अंडरवेर में हाथ डालकर 9" इंच का काला लण्ड बाहर निकाला और रूबी के बारे में सोचते हुए उसे रगड़ने लगा। उसने आँखें बंद कर ली और सोचने लगा, जैसे वो रूबी की चूत में अपना लण्ड पेल रहा हो। धीरे-धीरे उसकी स्पीड बढ़ने लगी और उसके शरीर में अकड़न आ गई। उसने रूबी के बारे में सोचते हुए अपने लण्ड का पानी निकाला। वो सोच रहा था की आज छोटी मालेकिन ने उसे उभारों को घूरते हये देखा है, पता नहीं कल मालेकिन क्या करेगी? कैसे कपड़े पहनेगी? कल गोलाईयों के दर्शन हो भी पाएंगे या नहीं?


अगले दिन रूबी डिसाइड नहीं कर पा रही थी की वो आज क्या पहने? उसे डर था की रामू कहीं आज उसकी चूचियां को देखने के लिए कोई बहाना न करे, जिससे उसे समझाने के लिए नीचे झुकना पड़े और रामू को उसकी गोलाईयों के दर्शन हो सकें। वो राम को यह एहसास नहीं होने देना चाहती थी की उसके मन में भी लड्डू फूट रहे हैं। उसने आज ग्रे कलर का ट्रैक सूट पहन लिया।

सास बहू धूप में बैठी थी और तभी ठीक 10 बजे रामू रूबी के पास आ गया। रूबी ने उसकी तरफ देखा और नजरें झुका ली और बिना कुछ बोले अंदर चली गई। इधर रामू भी पीछे-पीछे चल पड़ा। रामू ने झाड़ देना शुरू किया और रूबी इन्स्ट्रक्सन देती रही। रामू ने देखा की रूबी ने ट्रैक सूट पहना है तो उसे आज उसकी दूध जैसी गोरे चूचियां देखने का चान्स नहीं मिलने वाला था।
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Re: प्यास बुझाई नौकर से

Post by Jemsbond »

तभी कमलजीत ने आवाज लगाई- “बहू हमारे कमरे की लाइट भी चेंज करवा देना, परसों से खराब है.."

रूबी और रामू की नजरें आपस में टकराई। रामू रूबी की इन्स्ट्रक्सन का इंतजार करने लगा। लेकिन रूबी ने उसे अभी झाड़ देने को ही बोला। कुछ देर तक रामू सफाई करता रहा और तभी उसने नोट किया हीरूबी वहां पे नहीं है। राम हरदयाल के कमरे की तरफ देखने के लिए बढ़ा और क्या देखता है की रूबी स्टूल के ऊपर चढ़कर लाइट बदलने की कोशिश कर रही है। स्टूल का साइज छोटा था, इसलिए रूबी का हाथ ठीक से बल्ब तक नहीं पहुँच पा रहा था। बल्ब तक पहुँचने की कोशिश में उसकी ट्रैक जैकेट उसकी कमर के ऊपर हो गई थी। इससे यह हुआ की रूबी के सुडौल मोटे-मोटे चूतर राम की नजरों में आ गये।

रूबी की पैंटी की आउट-लाइन रामू को साफ-साफ दिखाई दे रही थी। रामू धीरे-धीरे दबे पैर रूबी की तरफ बढ़ने लगा। उसके बिल्कुल पास आकर रुक गया और चूतरों को निहारने लगा। हालाँकि कल उसने रात को रूबी को पैंटी में देखा था, पर उस टाइम धीमी लाइट जल रही थी कमरे में और इतना करीब से नहीं देखा था। आज इतने करीब से उसके चूतरों को देखने पर रामू को उसके चूतरों के साइज का अंदाजा हुआ।

रूबी रामू के उसके पीछे खड़े होने से बेखबर अपने काम में बिजी थी और खराब बल्ब तक पहुँचने की कोशिश में थी। इसी चक्कर में उसने अपनी एंड़ियां उठा रखी थी और सिर्फ पैरों की उंगलियों के सहारे बल्ब तक पहुँचने की कोशिश में थी। इधर राम का चेह रूबी के चूतरों के बेहद करीब था। उसका दिल कर रहा था की वो आगे बढ़कर चूतरों को चूम ले। रामू अपनी नाक से रूबी के जिश्म की खुश्बू सूंघ रहा था।
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Re: प्यास बुझाई नौकर से

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Re: प्यास बुझाई नौकर से

Post by Jemsbond »

रूबी रामू के उसके पीछे खड़े होने से बेखबर अपने काम में बिजी थी और खराब बल्ब तक पहुँचने की कोशिश में थी। इसी चक्कर में उसने अपनी एंड़ियां उठा रखी थी और सिर्फ पैरों की उंगलियों के सहारे बल्ब तक पहुँचने की कोशिश में थी। इधर राम का चेह रूबी के चूतरों के बेहद करीब था। उसका दिल कर रहा था की वो आगे बढ़कर चूतरों को चूम ले। रामू अपनी नाक से रूबी के जिश्म की खुश्बू सूंघ रहा था।

तभी रूबी थोड़ा सा पीछे हई तो उसके चूतर रामू की नाक से टकरा गये। रूबी घबरा गई और पलटी जिससे उसका बैलेन्स बिगड़ गया और सीधा रामू की ऊपर गिर गई। रामू भी अचानक से हुए इस वाकिये में कुछ समझ नहीं पाया और रूबी और अपने आपको चोट से बचाने के लिए रूबी को गिरते-गिरते पकड़ लेता है और दोनों नीचे गिर जाते हैं। नीचे गिरने के इन्सिडेंट में राम का एक हाथ रूबी के नितंबों पे आ जाता है।

अब दृश्य यह था की रामू नीचे था और रूबी उसके ऊपर। उसके उभार राम के चेहरे से रगड़ रहे थे। रामू की नाक दोनों उभारों की दरार में थी। अब राम की हालत पतली हो रही थी। उसके लण्ड ने हरकत की और टाइट होने लगा। रामू ने आगे तक रूबी को पकड़ा हुआ था। उधर अपने हाथ से रामू ने इस मौके का फायदा उठाकर रूबी के चूतरों पे हाथ फेरना शुरू किया।

रूबी हड़बड़ाहट में उठने की कोशिश करती है और बैलेन्स बिगड़ने से दुबारा उसके ऊपर गिर जाती है और उसकी गोलाइयां रामू के चेहरे से जा टकराती हैं। दोनों की नजरें आपस में टकराती है। रूबी इस नाजुक माहौल में से निकलना चाहती है। तभी रामू चुप्पी तोड़ता है।

रामू- बीवीजी, आपको चोट तो नहीं लगी?

रूबी कुछ नहीं बोलती और उठने की कोशिश करती है। उसके पैर में मोच आ जाती है और वो ठीक से खड़ा नहीं हो पा रही थी। रामू समझ जाता है और उसको सहारा देकर उसके बेडरूम में ले जाने लगता है। उसने एक हाथ रूबी की कमर में डाल रखा था और दूसरे हाथ से रूबी के हाथ को पकड़ रखा था, जो की राम की गर्दन का सहारा लिए था। राम के लिए तो यह सब सपना था की उसकी छोटी मालेकिन की कमर में उसका हाथ घूम रहा है।

रूबी को दर्द इतना था की वो रामू की हाथ की मूव्मेंट का एहसास नहीं कर पा रही थी। रामू का हाथ धीरे-धीरे रूबी की कमर का पूरा जायजा ले रहा था। कुछ देर में वो रुबी के कमरे में पहुँच गये। रामू ने सहारा देकर रूबी को बेड पे बिठा दिया।

रूबी अपने हाथों में अपने पैर को लेकर मसलने लगती है, और तभी देखती है की राम सरसों का तेल लेकर उसके पास खड़ा हो गया है। इससे पहले रूबी कुछ बोलती की राम रूबी का हाथ पकड़कर साइड में करता है। रूबी को एहसास होता है की राम के हाथ खेतों का काम करते-करते काफी सख्त मानो जैसे पत्थर के बन गये थे। रामू अपने हाथों से रूबी के गोरे पैर पे तेल से मालिश शुरू कर देता है। दोनों कुछ नहीं बोलते।
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