Incest घर की मुर्गियाँ

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mastram
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Re: घर की मुर्गियाँ

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अंजली- नेहा समीर कहां है?

नेहा- अपने रूम में फाइल बना रहे हैं।

अंजली- मैं मार्केट से सब्जियां लेने जा रही हूँ, तू तब तक सफाई कर ले।

नेहा- जी मम्मी।

अंजली मार्केट चली गई, तो नेहा के चेहरे पर एक सेक्सी स्माइल आ गई। जैसे एकदम से दिमाग में प्लान ने जन्म लिया हो। नेहा ने मुख्य दरवाजा बंद किया और अपने रूम में जाकर शार्ट कमीज पहन ली, और समीर के रूम में पहुंच गई।

नेहा- क्या कर रहे हो भइया?

समीर बिना नेहा की तरफ नजर उठाए- “फाइल बना रहा हूँ.."

नेहा- कैसी फाइल बना रहे हो? क्या हल्प करूं?

समीर- नहीं, ये एक प्राजेक्ट फाइल है। कंप्यूटर से कापी कर रहा हूँ।

नेहा- इससे क्या होगा।

समीर- मुझे जाब मिलेगी।

नेहा- भइया कितना काम बाकी है?

समीर- बस 5 मिनट में तैयार हो जायेगी।

नेहा- चाय पियोगे?

समीर- “क्या बात है आज..." और इस बार समीर की नजरें नेहा की तरफ चली गईं। समीर नेहा की हालत देखकर चौंक गया, और कहा- "ये सब क्या पहन रखा है तूने? शर्म नहीं आई इस हालत में मेरे सामने आते हए? जा अभी चेंज कर ये सब..."

नेहा- "क्या भइया... टीना भी तो ऐसे ही कपड़े पहनती है। उसे तो कभी टोका नहीं। आज मैंने पहन लिए तो कितना डाँट रहे हो? और मेरी आँखों से आँसू निकल जायेंगे..."

समीर- “देख मेरी प्यारी बहना, लड़की जितनी ठकी-छुपी होती है उतना ही अच्छा है। जिश्म की नुमाइश करने से कुछ नहीं होता। बाहर वाले सब गंदी-गंदी नजरों से देखेंगे तो तुझे ये सब अच्छा लगेगा? कोई तेरा हाथ पकड़ ले और गंदे कामेंट मारे।

नेहा- “मैं कोई बाहर थोड़ी ही ऐसे कपड़े पहनकर जा रही हूँ। घर में मेरे और आपके अलावा कौन है? क्या घर में भी ऐसे कपड़े नहीं पहन सकती? अपने दिल की खावहिश पूरी नहीं कर सकती?" और नेहा सुबकने लगी, आँसू की बूंदें गालों पर बहने लगीं।

समीर- “अच्छा बाबा सारी... अब रो क्यों रही है? मगर सिर्फ घर पर ही पहनना ऐसे कपड़े..."

नेहा के चेहरे पर खुशी झलक आई, और समीर के हाथ पकड़कर- “थॅंक यू भइया...' कहा।

समीर- चल जा चाय बना ला। तब तक मेरी फाइल भी कम्प्लीट हो जायेगी।

फिर नेहा किचेन से चाय बना लाई।
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mastram
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Re: घर की मुर्गियाँ

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नेहा के चेहरे पर खुशी झलक आई, और समीर के हाथ पकड़कर- “थॅंक यू भइया...' कहा।

समीर- चल जा चाय बना ला। तब तक मेरी फाइल भी कम्प्लीट हो जायेगी।

फिर नेहा किचेन से चाय बना लाई।

समीर- मम्मी ने तुझे कुछ नहीं कहा इन कपड़ों में देखकर?

नेहा- वो तो मार्केट गई हैं।

समीर- तभी तुझे ये सब करने की सूझी।

नेहा- भइया आप कल शर्त भी तो हार गये थे?

समीर- हाँ बोल, क्या करना है मुझे?

नेहा- आपको गुस्सा तो बहुत जल्दी आ जाता है।

समीर- ऐसा क्या करना चाहती है मुझसे?

नेहा- पहले प्रामिस करो मुझे डाँटोगे नहीं।

समीर- “अच्छा बाबा प्रामिस... अब बोल..."

नेहा- टीना एक रात आपके रूम में सोयेगी।

समीर- "ये क्या बकवास है? तेरा कोई दिमाग तो नहीं चल गया? डाक्टर के पास चली जा...”

नेहा- “मुझे पागल बना दिया। क्या मैं तुम्हें पागल दिखती हैं? ऐसे ही शर्त लगाते हो जब पूरी नहीं कर सकते.."

समीर- नेहा ये सब गलत है। तू समझती क्यों नहीं?

नेहा- "सिर्फ सोने के लिए ही तो बोल रही हूँ, उल्टा सीधा कुछ करने को तो नहीं बोला मैंने। एक रात की ही तो बात है। आगे से शर्त पूरी ना कर सको तो लगाना भी मत.."

समीर को अब जैसे चेलेंज सा मिल रहा था। अब मना करने का सवाल ही नहीं उठता। समीर बोला- "अच्छा अगर मैं कहूँ की टीना मेरे साथ सो सकती है, तो टीना इस बात के लिए तैयार होगी?"

नेहा- वो सब मुझ पर छोड़ दो।

समीर- तू जरूर किसी दिन मुझे मरवायेगी।

नेहा- “मरें आपके दुश्मन.." और नेहा ने समीर को हग कर लिया।
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