अजय के धक्के चालू हो गये। तेल लगा होने से लण्ड ने जगह बना ली थी। अब लण्ड अंदर-बाहर होने लगा। मगर अजय को बड़ी मेहनत करनी पड़ रही थी। दोनों हांफ रहे थे।सांसें रूम में सिसकी गूंज रही थी।
अजय- देखो पूरा चला गया, कैसा लग रहा है तुम्हें?
अंजली- मेरी क्या परवाह है तुम्हें? कितना दर्द हुआ मुझे?
अजय- यार एक बार तो होता ही है। अब जगह बन गई। अब बोलो कैसा लग रहा है?
अंजली- ठीक है।
अजय धक्के लगाता रहा। अंजली भी हल्के-हल्के पीछे को मूव करने लगी।
टीना की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। चूत से झर-झर झरना बहने लग गया था। टीना अंकल को छोड़कर
समीर के रूम में पहुँची। मगर यहां तो नेहा और समीर की चुदाई हो रही थी।
टीना मन ही मन- “ये नेहा कब आ गई?" टीना की हालत ऐसी नहीं थी जो बाहर खड़े ये रासलीला देखती। इसलिये अंदर घुस गई।
समीर का लण्ड नेहा की चूत में बड़ी स्पीड से अंदर-बाहर हो रहा था।
टीना- तू कब आई?
नेहा- “आह्ह... सस्स्सी ... 10 मिनट हो गये.."
टीना- तुझे तो नींद आ रही थी।
नेहा- हाँ अहह... सस्स्सी ... अब छोड़ इन बातों को."
टीना भी जल्दी-जल्दी अपने कपड़े उतार देती है, और बोलती है- "नेहा अब मुझे सवारी करने दे...”
नेहा- “मेरा होने वाला है अहह.. अहह... आह..”
समीर- क्या बात है बड़ी जल्दी में हो?
टीना- नजारा ही ऐसा देख आई हूँ?
समीर- क्या देख लिया?
टीना- आपके मम्मी पापा पिछले घर में पार्टी कर रहे हैं, समझे कुछ?
समीर- क्या?
टीना- हाँ जी... अब जल्दी से नेहा को उठाओ..."
समीर के दो-चार धक्कों में ही नेहा फारिग हो गई।
टीना जल्दी से समीर के लण्ड पर बैठी, तो गप्प से पूरा लण्ड घुसता चला गया, और खुद ही ऊपर-नीचे बैठने लगी। आज टीना को सब्र नहीं हो रहा था, जल्दी-जल्दी ऊपर-नीचे होती रही, और 5 मिनट में ही झड़ गई।
समीर- लगता है तुझे भी गाण्ड मरवानी है।
टीना- नहीं जी, मैंने देखा आँटी की हालत। इस उमर में भी आँसू निकाल रहे थे।
और इस वक्त सबकी काम-लीला शांत हो चुकी थी।
*
Incest घर की मुर्गियाँ
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ
सुबह सभी देर से उठते हैं। नेहा और टीना 9:00 बजे तक सोते रहे। समीर और अजय नाश्ता करके निकल चुके थे। अंजली नेहा के रूम में पहुँचती है।
अंजली- अरें... मेरे बच्चों, 9:00 बज गये। तुम अभी तक सो रहे हो चलो उठो।
टीना आँखें मलते हुए- “क्या आँटी 9:00 बज गये?"
अंजली- जी हाँ।
टीना- ओह माई गोड.. मुझे तो ब्यूटी पार्लर भी जाना था।
अंजली- बेटा अब तुम भी जब तक नेहा और समीर की शादी नहीं होती, कहीं नहीं जाओगी।
टीना- आँटी मुझसे क्या करवाओगी?
अंजली- बेटा शादी की कितनी तैयारी होती है? कपड़े ज्यूयेलरी, मेकप ये सारी शापिंग तुम्हें ही तो करनी है, और शादी के कार्ड भी छापने हैं। सिर्फ 14 दिन बाकी हैं, कैसे होगा इतना सब? आज शाम को तेरे अंकल आ जायें तो लिस्ट बनवा लेना, कितने कार्ड छापने हैं?
टीना- जी आँटी।
अंजली- मैं किरण भाभी से बोल दूं की तेरे कपड़े यहीं भेज दें?
टीना- आँटी मैं ले आऊँगी जाकर। मम्मी को नहीं मालूम मेरे कपड़ों का।
अंजली- “ठीक है.." और अंजली किचेन में चली गई।
टीना- यार अब तो मुझे 15 दिन तेरे पास ही रुकना पड़ेगा।
नेहा- “ये तो बड़ी अच्छी बात है.." और एक आँख मारते हुए- “तेरे लिए भी.."
टीना- चल, मैं अब चलती हूँ। घर से मुझे अपने कपड़े भी लाने हैं।
नेहा- “मैं भी चलती हूँ तेरे साथ..” और दोनों टीना के घर के लिए निकल गये।
टीना- नेहा तेरी शादी के बाद तो मैं एकदम अकेली पड़ जाऊँगी।
नेहा- मैं करूं आँटी से बात की तेरी भी शादी करवा दें?
टीना- हाँ यार अब तो मुझे भी लगता है की मेरी भी शादी हो जानी चाहिए। मैं अकेले कैसे रहंगी?
नेहा- तेरी रोहित से फिर कोई बात नहीं हुई?
टीना- नहीं यार, अभी तो नहीं। तेरी शादी के बाद शायद जरूरत पड़े?
नेहा- एक बात सुन... रोहित बाहर का लड़का है, ऐसा कुछ मत करना जिससे किसी प्राब्लम में फँस जाओ।
टीना- कैसी प्राब्लम?
नेहा- कहीं कोई तेरा एम.एम.एस. बनाकर ब्लैकमेल ना करने लगे?
टीना- "हाँ, मैं ध्यान रखूगी इस बात का." और दोनों बातें करते हुए घर पहुँच गये।
अंजली- अरें... मेरे बच्चों, 9:00 बज गये। तुम अभी तक सो रहे हो चलो उठो।
टीना आँखें मलते हुए- “क्या आँटी 9:00 बज गये?"
अंजली- जी हाँ।
टीना- ओह माई गोड.. मुझे तो ब्यूटी पार्लर भी जाना था।
अंजली- बेटा अब तुम भी जब तक नेहा और समीर की शादी नहीं होती, कहीं नहीं जाओगी।
टीना- आँटी मुझसे क्या करवाओगी?
अंजली- बेटा शादी की कितनी तैयारी होती है? कपड़े ज्यूयेलरी, मेकप ये सारी शापिंग तुम्हें ही तो करनी है, और शादी के कार्ड भी छापने हैं। सिर्फ 14 दिन बाकी हैं, कैसे होगा इतना सब? आज शाम को तेरे अंकल आ जायें तो लिस्ट बनवा लेना, कितने कार्ड छापने हैं?
टीना- जी आँटी।
अंजली- मैं किरण भाभी से बोल दूं की तेरे कपड़े यहीं भेज दें?
टीना- आँटी मैं ले आऊँगी जाकर। मम्मी को नहीं मालूम मेरे कपड़ों का।
अंजली- “ठीक है.." और अंजली किचेन में चली गई।
टीना- यार अब तो मुझे 15 दिन तेरे पास ही रुकना पड़ेगा।
नेहा- “ये तो बड़ी अच्छी बात है.." और एक आँख मारते हुए- “तेरे लिए भी.."
टीना- चल, मैं अब चलती हूँ। घर से मुझे अपने कपड़े भी लाने हैं।
नेहा- “मैं भी चलती हूँ तेरे साथ..” और दोनों टीना के घर के लिए निकल गये।
टीना- नेहा तेरी शादी के बाद तो मैं एकदम अकेली पड़ जाऊँगी।
नेहा- मैं करूं आँटी से बात की तेरी भी शादी करवा दें?
टीना- हाँ यार अब तो मुझे भी लगता है की मेरी भी शादी हो जानी चाहिए। मैं अकेले कैसे रहंगी?
नेहा- तेरी रोहित से फिर कोई बात नहीं हुई?
टीना- नहीं यार, अभी तो नहीं। तेरी शादी के बाद शायद जरूरत पड़े?
नेहा- एक बात सुन... रोहित बाहर का लड़का है, ऐसा कुछ मत करना जिससे किसी प्राब्लम में फँस जाओ।
टीना- कैसी प्राब्लम?
नेहा- कहीं कोई तेरा एम.एम.एस. बनाकर ब्लैकमेल ना करने लगे?
टीना- "हाँ, मैं ध्यान रखूगी इस बात का." और दोनों बातें करते हुए घर पहुँच गये।
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ
उधर अजय भी फार्महाउस पहुँच चुका था। संजना की गाड़ी देखकर अजय के चेहरे पर मुश्कान दौड़ गई- “ओहह... तो मेडम यहां पर पहले से मौजूद हैं..” और अजय अंदर पहुँचता है।
संजना सोफे पर बड़े ही हाट कपड़ों में बैठी कुछ सोच रही थी। संजना का ये रूप देखकर अजय का लण्ड फौरन पैंट में फुदकने लगा।
संजना की नजर अजय पर पहुँचती है- “अरे... अंकल आप कब आये?"
अजय- बस अभी-अभी।
संजना सोफे पर थोड़ी जगह अजय के लिए बनाते हुए- “आइए बैठिये.."
GO
अजय- आज फार्महाउस पर कोई दिखाई नहीं दिया।
संजना- हाँ, वो बहादर कई दिन से घर नहीं गया था। तो मैंने उससे शाम तक के लिए घर भेज दिया।
अजय- आह्ह... अच्छा है। बस यहां पर बहादुर ही रहता है?
संजना- नहीं नहीं, माली भी आता है पेड़ पोधों में पानी डालकर चला गया।
संजना- यहां पर कैसा रहेगा फंक्सन?
अजय- बहुत अच्छा। हमें समीर की बारात लेकर ज्यादा दूर भी नहीं जाना पड़ेगा। मगर आपको इतनी दूर से बारात लानी पड़ेगी।
संजना- अब किसी को तो परेशानी उठानी ही पड़ेगी। एक ही फंक्सन में दोनों की शादी निपट जायेगी।
अजय- संजना जी हलवाई का इंतजाम मैं करूं?
संजना- अरें... नहीं अंकल आप ये सब मुझे पर छोड़ दीजिए। आपके बारात में कितने मेहमान हो जायेंगे?
अजय- आज लिस्ट बनाकर बता दूँगा।
संजना- अंकल मैं सोच रही हूँ ये फार्महाउस समीर को गिफ्ट कर दूं।
अजय-आहह... मेडम आप क्यों हम पर इतना अहसान चढ़ा रही हो? हम आपका अहसान कैसे उतारेंगे?
संजना सोफे पर बड़े ही हाट कपड़ों में बैठी कुछ सोच रही थी। संजना का ये रूप देखकर अजय का लण्ड फौरन पैंट में फुदकने लगा।
संजना की नजर अजय पर पहुँचती है- “अरे... अंकल आप कब आये?"
अजय- बस अभी-अभी।
संजना सोफे पर थोड़ी जगह अजय के लिए बनाते हुए- “आइए बैठिये.."
GO
अजय- आज फार्महाउस पर कोई दिखाई नहीं दिया।
संजना- हाँ, वो बहादर कई दिन से घर नहीं गया था। तो मैंने उससे शाम तक के लिए घर भेज दिया।
अजय- आह्ह... अच्छा है। बस यहां पर बहादुर ही रहता है?
संजना- नहीं नहीं, माली भी आता है पेड़ पोधों में पानी डालकर चला गया।
संजना- यहां पर कैसा रहेगा फंक्सन?
अजय- बहुत अच्छा। हमें समीर की बारात लेकर ज्यादा दूर भी नहीं जाना पड़ेगा। मगर आपको इतनी दूर से बारात लानी पड़ेगी।
संजना- अब किसी को तो परेशानी उठानी ही पड़ेगी। एक ही फंक्सन में दोनों की शादी निपट जायेगी।
अजय- संजना जी हलवाई का इंतजाम मैं करूं?
संजना- अरें... नहीं अंकल आप ये सब मुझे पर छोड़ दीजिए। आपके बारात में कितने मेहमान हो जायेंगे?
अजय- आज लिस्ट बनाकर बता दूँगा।
संजना- अंकल मैं सोच रही हूँ ये फार्महाउस समीर को गिफ्ट कर दूं।
अजय-आहह... मेडम आप क्यों हम पर इतना अहसान चढ़ा रही हो? हम आपका अहसान कैसे उतारेंगे?
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ
संजना एक हाथ से अपनी नाइटी जरा सा ऊपर करते हुए- “उतार सकते हो...'
अजय मुश्कुराता हुआ- “मैं तो सारी उमर ये अहसान उतार सकता हूँ..."
संजना अजय की जाँघ पर हाथ रखती है- “आज सोफे पर उतार दो.."
अजय- “क्यों नहीं संजना जी?” और अजय ने भी संजना के हाथों को थाम लिया, और अपने होंठों को संजना के होंठों के करीब लेजाकर रुक गया।
संजना की सांसें अजय की सांसों में घुलने लगी, और संजना ने अपने होंठ अजय के होंठ से मिला दिए, और अजय की जीभ से खेलने लगी। अजय भी संजना को करना चाहता था। आज जो संजना ने गिफ्ट दिया, उसका अहसान तो सारी उमर भी ना उतरे। दोनों की चुसाई बड़ी मस्त चल रही थी। छपार-छपार आवाज आ रही थी। फिर संजना अजय की शर्ट के बटन खोलने लगी और अजय की छातियों के निप्पल को मुंह में भर लिया। छोटे-छोटे निप्पल ठीक से मुँह में भी नहीं आ रहे थे।
मगर अजय का जोश बढ़ता जा रहा था, और अजय ने भी संजना की नाइटी पकड़कर ऊपर खींच दी। आहह... क्या मस्त नजारा सामने था। संजना की चूत एकदम क्लीन शेव थी। अजय से देखकर रुका नहीं गया और अपने हाथ चूत पर टिका दिए।
संजना की सिसकी निकलने लग गई- “आईईई... इसस्स्स्स
.."
अजय भी पूरी मस्ती के मूड में था। अजय ने अपनी एक उंगली चूत की फांकों में घुसा दी। संजना तो बिल्कुल गीली हो चुकी थी। उंगली अपना रास्ता बनाती अंदर घुसने लगी। अजय ये देखकर अपनी दूसरी उंगली भी घुसाने लगा। संजना की चूत दोनों उंगली आराम से ले गई। अब अजय दोनों उंगली धीरे-धीरे हिलाने लगा।
संजना को बड़ा अच्छा लग रहा था- “अहह... हाय... स्स्सी ... आहह... आहह... अंकल जी मजा आ रहा है... आहह... अजय फक मी...” और संजना पहली बार अजय का नाम लेती है।
अजय- "पहले शहद की मिठास तो ले लूँ?” और अजय अपने होंठों को चूत से लगा देता है।
संजना तड़प गई- “सस्स्सी ... अहह... अहह... अहह... उईईई... उईईई.."
अजय बड़े ही प्यार से शहद की मिठास चूस रहा था।
संजना- अहह... अजय प्लीज़्ज़ फक मीईई... अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है...” और संजना उठती है, अजय की पैंट भी उतार देती है।
अजय का लण्ड एकदम स्प्रिंग की भाँति लहराता हआ बाहर निकलता है। संजना लण्ड को ललचाई नजरों से देखती है, और दोनों हाथों में पकड़कर मुँह में ले लेती है। अब अजय की सिसकी निकलने लगी।
अजय- "आअहह... आहह.. संजना जी... मजा आ गया...”
अजय मुश्कुराता हुआ- “मैं तो सारी उमर ये अहसान उतार सकता हूँ..."
संजना अजय की जाँघ पर हाथ रखती है- “आज सोफे पर उतार दो.."
अजय- “क्यों नहीं संजना जी?” और अजय ने भी संजना के हाथों को थाम लिया, और अपने होंठों को संजना के होंठों के करीब लेजाकर रुक गया।
संजना की सांसें अजय की सांसों में घुलने लगी, और संजना ने अपने होंठ अजय के होंठ से मिला दिए, और अजय की जीभ से खेलने लगी। अजय भी संजना को करना चाहता था। आज जो संजना ने गिफ्ट दिया, उसका अहसान तो सारी उमर भी ना उतरे। दोनों की चुसाई बड़ी मस्त चल रही थी। छपार-छपार आवाज आ रही थी। फिर संजना अजय की शर्ट के बटन खोलने लगी और अजय की छातियों के निप्पल को मुंह में भर लिया। छोटे-छोटे निप्पल ठीक से मुँह में भी नहीं आ रहे थे।
मगर अजय का जोश बढ़ता जा रहा था, और अजय ने भी संजना की नाइटी पकड़कर ऊपर खींच दी। आहह... क्या मस्त नजारा सामने था। संजना की चूत एकदम क्लीन शेव थी। अजय से देखकर रुका नहीं गया और अपने हाथ चूत पर टिका दिए।
संजना की सिसकी निकलने लग गई- “आईईई... इसस्स्स्स
.."
अजय भी पूरी मस्ती के मूड में था। अजय ने अपनी एक उंगली चूत की फांकों में घुसा दी। संजना तो बिल्कुल गीली हो चुकी थी। उंगली अपना रास्ता बनाती अंदर घुसने लगी। अजय ये देखकर अपनी दूसरी उंगली भी घुसाने लगा। संजना की चूत दोनों उंगली आराम से ले गई। अब अजय दोनों उंगली धीरे-धीरे हिलाने लगा।
संजना को बड़ा अच्छा लग रहा था- “अहह... हाय... स्स्सी ... आहह... आहह... अंकल जी मजा आ रहा है... आहह... अजय फक मी...” और संजना पहली बार अजय का नाम लेती है।
अजय- "पहले शहद की मिठास तो ले लूँ?” और अजय अपने होंठों को चूत से लगा देता है।
संजना तड़प गई- “सस्स्सी ... अहह... अहह... अहह... उईईई... उईईई.."
अजय बड़े ही प्यार से शहद की मिठास चूस रहा था।
संजना- अहह... अजय प्लीज़्ज़ फक मीईई... अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है...” और संजना उठती है, अजय की पैंट भी उतार देती है।
अजय का लण्ड एकदम स्प्रिंग की भाँति लहराता हआ बाहर निकलता है। संजना लण्ड को ललचाई नजरों से देखती है, और दोनों हाथों में पकड़कर मुँह में ले लेती है। अब अजय की सिसकी निकलने लगी।
अजय- "आअहह... आहह.. संजना जी... मजा आ गया...”
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