Incest परिवार बिना कुछ नहीं

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mastram
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Re: परिवार बिना कुछ नहीं

Post by mastram »

जैसे ही माही को कुछ समझ में आता है वो तुरंत अपनी सलवार को थामे की कोशिश करती हैं तो काम्या अपने दोनो हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा खोल देती हैं और खींच कर अलग कर देती हैं जिससे उसके दोनो सफेद कबूतर फड़फड़ाते हुए बाहर आ जाते हैं । माही बोखलाहट के मारे अपने दोनो हाथ अपनी चूचियों पर रखती हैं तो इसकी सलवार जिसका नाड़ा पहले ही खुल चुका था सरक कर नीचे आती हैं और उसकी काले रंग की पेंटी नजर आ जाती हैं जिसमें उसकी भारी और उभरी हुई गांड़ समाए नहीं समा पा रही थी ।

काम्या जोर जोर से हंसते हुए माही का मजाक उड़ाती है और बोलती हैं कि अब मजा आया कि नहीं ।



माही की हालत ऐसी मानो काटो तो खून नहीं और वो बोखलाहट के मारे अपनी सलवार उपर उठाती है जिससे उसकी चूचियां फिर से नंगी हो जाती हैं जिन्हें देख कर काम्या की फिर से हंसी छूट जाती हैं । माही को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे तो वो चुपचाप शर्म के मारे आंखे बंद कर लेती हैं । काम्या आज पहली बार उसके नंगे जिस्म को ध्यान से देखती हैं तो नारी स्वभाव के कारण उसे जलन होने लगती है।

उपर के नीचे तक पूरी कयामत थी माही । गोल चेहरा, झुकी हुई बड़ी बड़ी आंखे, गुलाब की पंखुड़ियों से नाजुक रसीले होंठ जोकि कुदरती ही पिंक रंग के थे मानो उन्हें लिपिस्टिक लगा दी गई हो, लंबी पतली गर्दन, और उठा हुए सीना, जिसके दोनो तरफ सेब के आकार के उसकी दो ठोस चूचियां, एक दम सही साइज़, और उन पर तने हुए पिंक रंग के निप्पल जो किसी के झुकाए भी ना झुके , मानो उन्हें टाइट खड़े रहने का कोई वरदान मिला हो , सपाट पेट बिल्कुल अंदर की तरफ, पतली कटावदार कमर, सुडौल चिकनी जांघें और गांड़ ऐसी मानो जो बड़े ढोल हो , बिल्कुल उठी हुई और बाहर की ओर निकली हुई ।

इस वक़्त वो काम्या को किसी काम देवी से कम नहीं लग रही थी, काम्या आगे बढ़ती हैं और उसे अपनी बांहों में ले लेती हैं तो शर्म और डर के मारे वो घबराकर तेजी से काम्या के गले लग जाती हैं । जैसे ही दोनो की नंगी चूचियां आपस में टकराती हैं तो दोनो के मुंह से एक मीठी आह निकल जैत हैं और माही उसे और कस के जकड़ लेती है जिस कारण माही की चूचियों को कठोरता का एहसास हुए अपने सीने पर होता हैं और वो उन्हें अपनी चूचियों से दबाने लगती है ।
माही का तो उत्तेजना के कारण पूरा जिस्म कांप रहा था , काम्या फिर धीरे धीरे उसकी कमर पर हाथ फिराने लगती हैं और उसकी कमर को हल्के हल्के दबाने लगती हैं जिस कारण काम्या की चूत गीली होने लगती हैं ।

तभी वो माही के गालों पर किस करती हैं और उसके चेहरे को पकड़ कर ऊपर उठाती हैं तो माही अपनी नाजुक पलके झुका लेती हैं और काम्या उसके होंठो की तरफ देखते हुए आगे बढ़ती है , जैसे ही काम्या के होंठ माही ले होंठो से टकराते हैं उसका जिस्म रोमांच से भर जाती हैं क्योंकि उसकी जिंदगी का आज पहला किस होने जा रहा था । और वो काम्या से किसी अमरबेल की तरफ लिपट जाती हैं। काम्या प्यार से उसके होंठो को चूमने लगती है , कभी उपर वाले को तो कभी नीचे वाले को। माही भी उसका साथ देते हुए उसके होंठो को चूसने लगती हैं ।

जैसे जैसे किस बढ़ता जा रहा था वैसे वैसे ही मजा भी बढ़ता जा रहा था। काम्या अपनी जीभ का दबाव उसके होंठो पर बनाती हैं जिससे माही को मुंह खुल जाता है और काम्या अपनी जीभ उसके मुंह के अंदर घुसा देती हैं जिससे माही के धैर्य का बांध टूट जाता है और वो भी जोश में आते हुए उसके मुंह के अंदर जीभ घुसा देती हैं और दोनो हाथ काम्या के चूतड़ों पर ले जाकर उन्हें दबाने लगती हैं। किस इतना मजेदार होता है आज उसे एहसास हुआ।

फिर काम्या किस तोड़कर थोड़ा नीचे आती है और माही के ठोस चूचियां को अपने हाथो में भर लेती हैं और दबाने लगती हैं जिससे माही की सिसकी की आवाज गूंजने लगती हैं और वो पागलों की तरफ अपनी चूचियों को उसके हाथ पर उभारने लगती हैं । काम्या आगे बढ़ते हुए उसके एक चूची को मुंह में भर लेती हैं और चूसने लगती है ।

माही का बुरा हाल हो गया था मजे के कारण , निप्पल पर जीभ का एहसास ऐसा मजा देता है उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी ।

माही : आह उफ्फ है भगवान , कितना आनंद हैं , और जोर से चूसो , खा जाओ भाभी । उफ्फ मर डालो आज तो मुझे । "
उसकी सिसकियां सुनकर काम्या जोश में आते हुए उसकी चूची को पूरा मुंह में भर कर चूसने लगती हैं जिसका असर सीधे माही की चूत पर होता है और उसकी पेंटी गीली हो गई थी। काम्या अब इसके निप्पल को चूसने लगती हैं जिससे माही के मजे की कोई सीमा नहीं थी , वो तो जैसे स्वर्ग में थी।

तभी काम्या नीचे आते हुए अपनी धीरे धीरे उसकी पेंटी जो कि पूरी गीली हो चुकी थी उसे निकाल देती हैं जिसका माही कोई विरोध नही करती और अपनी टांगे उठा कर उसका सहयोग करती है।

काम्या उसकी जांघ पर फैले उसके चूत रस को जीभ से चाट लेती है जिस कारण काम्या का गला सूख जाता है । और काम्या अगला हमला करते हुए उसकी चूत पर एक जोरदार किस करती हैं और फिर उसकी जांघो पर जीभ फिराने लगती हैं। चूत पर पहली बार हुआ जीभ का एहसास माही को दिन में तारे दिखा गया था। उसका रोम रोम सुलग उठा था, कितना सुखमय था वो एहसास , लेकिन काम्या ने अपने होठ हटा लिए और थे जिससे माही तड़प उठी थी । काम्या उसकी चूत के पास आती चूसते हुए और माही का बदन कांप जाता की अब उसके चूत वो चुसेगी लेकिन काम्या फिर से अपने होठ हटा लेती और जांघ चाटने लगती। माही का सब्र टूट चुका था, उससे अब बर्दाश्त नहीं होता और वो काम्या का सिर पकड़ कर अपनी चूत से चिपका देती हैं। काम्या तो जैसे इसी इंतजार में थी।
चूत पर लिप्स पड़ते ही माही अपनी टांगो को पूरा खोल देती हैं जिससे काम्या आराम से उसकी चूत चूसने लगती है। वो जीभ को पूरी लंबाई में उपर से नीचे घुमा रही थी । माही का जिस्म उछलने लगा था जिसे काम्या बाद मुश्किल से दबा रही थी । पूरे कमरे में माही की मस्त सिसकियां गूंज रही थी।
काम्या: आह आह उफ्फ , मर डाला री आज तो, और चूसो , चाट जाओ पूरी।
काम्या दोनो हाथ से उसकी चूत के होंठो को फैलाती है और एक उंगली चूत के छेद पर जैसे ही रखती है तो माही उसका हाथ पकड़ लेती हैं और बोलती हैं: आह आह नहीं भाभी उंगली मत डालो । आजतक नहीं डाली मैंने । में चाहती हूं कि सबसे पहले लौड़ा ही घुसे मेरी चूत में । "
काम्या उसकी बात मान लेती हैं और फिर से उसकी चूत चूसने लगती हैं । और चूत के लिप्स को खोलती हैं तो उसे काफी ताकत लगानी पड़ती है क्योंकि चूत बहुत टाइट थी। लिप्स पुट की आवाज के साथ खुल जाते हैं और उसकी थोड़ी सी जीभ चूत के अंदर घुस जाती हैं ।

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mastram
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जैसे ही जीभ उसकी चूत कि अनछुई दीवारों को रगड़ती हुई अंदर घुसती है तो दर्द के मारे माही का सारा शरीर अकड़ जाता है और उसका मुंह खुल जाता है और एक दर्द भरी आह उसके मुंह से निकाल जाती हैं। माही की चूत एकदम गरम थी जिस कारण काम्या की जीभ भी जल रही थी । काम्या को लग रहा था जैसे उसने अपनी चूत किसी गरम भट्टी में घुसा दी हो। जैसे ही काम्या उसकी चूत कि दीवारों को चाटना शुरू करती हैं माही उत्तेजना के कारण पागल हो जाती हैं और उसका खुद पर कोई काबू नहीं रहता । काम्या की खुरदरी जीभ उसकी चूत को रगड़ रही थी जिस करण माही मस्ती से उछल पड रही थी। उसकी गान्ड अपने आप काम्या के मुंह पर दबाव बना रही थी और माही मस्ती में आते हुए सिसकती हैं :
माही: उफ्फ , आह आह ,ओह नो , कितना सुखद हैं ये सब, रगड़ रगड़ कर चाटो काम्या मेरी जान। अगर मुझे पता होता इतना मजा आएगा तो में तो कब से चटवा लेती। "
पूरे कमरे में माही की मस्ती भरी सिसकारियां गूंज रही थी । काम्या और जोर से उसकी चूत चाटने लगती हैं , तो माही के मजे की कोई सीमा नही थी। वो जो जी में आए रहा था बडबडा रही थी। मस्ती के कारण फिर से उसकी आंखो बंद हो चुकी थी । माही अपने एक निप्पल को हाथ से पकड़ कर मुंह में भर लेती हैं और चूसने लगती हैं । माही इस वक़्त पूरी तरह से पागल हो चुकी थी और काम्या की जीभ लगातार अपना कमाल दिखा रही थी। माही की चूत में बाढ़ सी आयु हुई थी जिसे काम्या चट करती जा रही थी ।
माही उसके सिर को पकड़ कर अपने चूत पर दबा रही थी और काम्या जोर जोर से उसकी चूत चूस रही थी । माही की गांड़ उपर नीचे उछल रही थी , उसका पूरा जिस्म मस्ती से भर रहा था। तभी उसकी चूत में हलचल शुरू होने लगती हैं तो वो अपनी चूत को जोर जोर से काम्या की जीभ पर पर मारने लगती हैं और तभी उसे लगता लगता हैं कि मजे के कारण उसकी चूत फट जाएगी और वो काम्या के सिर को पूरी ताकत से अपनी चूत पर दबा देती हैं और मस्ती के कारण उसका मुंह खुल जाता है : उफ्फ हाय मेरी चूत , आह है भगवान में गई "
और उसकी चूत का बांध टूट जाता है और उसका रस चूत काम रस बहा देती हैं जिसे काम्या चूसती जाती हैं ।
आनंदितिरेक में माही की आंखे बंद हों जाती हैं और वो बेड पर पड़ी पड़ी आन्हे भरती हैं । काम्या तो जैसे निहाल हो गई थी इतनी मस्त चूत को चूस कर और मजे के कारण उसका भी पानी निकाल जाता हैं और वो माही के चूचियों पर ढह जाती हैं ।

थोड़ी देर के बाद दोनो को होश आता है और नहाकर खाना खाती हैं और माही अपने कमरे में चली जाती है ।और बेड पर लेट जाती हैं । आज उसे एहसास हुआ कि चूत इतना मजा भी से सकती हैं । उफ्फ अगर सिर्फ जीभ घुसने से ही इतना मजा आया हैं तो जब लौड़ा अंदर जाएगा तो वो धन्य हो जाएगी । लौड़ा शब्द ध्यान में आते ही उसे करण का लन्ड याद आ जाता है क्योंकि उसने आज तक सिर्फ एक ही लन्ड देखा था वो भी अपने सगे भाई का। उफ्फ कितना बड़ा और मोटा था वो । कितना भयंकर लग रहा था जैसे कोई अजगर हो , उसे तो यकीन ही नहीं हुआ था कि वो उसकी भाभी की छोटी सी चूत के अंदर घुस गया था पूरा । हाय भाभी कैसे उसे रोज लेती होगी, कितना दर्द होता होगा उन्हें लेकिन वो तो उस दिन खूब मजे से चुदवा रही थी ।



है भागवान , हाय मैं क्या सोच रही हूं , ये सब गलत हैं वो मेरा सगा भाई हैं , मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए ।
और वो सोने की कोशिश करने लगी थी। थोड़ी देर बाद वो गहरी नींद में चली जाती हैं
उधर काम्या की तो जैसे आज लॉटरी निकाल गई थी। उसे रह रह माही की टाइट चूत याद आ रही ही जिसे आज उसने जी भरकर चूसा था । सारा दिन घर के कारण करने के कारण काम्या भी थक चुकी थी और वो भी अपने कमरे में सोने चली जाती हैं।


शाम को पूरे परिवार की मुलाकात शाम की चाय पर होती हैं । करण चाई पीते हुए : इतनी अच्छी चाई किसने बनाई है ?
माही खुश होते हुए : भैया सिर्फ एक में तो इतनी अच्छी चाय बना सकती हूं इस घर में "।
भाई मेरा इनाम कहां हैं अच्छी चाय बनाने का ?
करण : मिल जाएगा जल्दी है । उसके ही बारे में बात करते हैं ।मैंने आज पूरे दिन बहुत गहन विचार किया और आखिरकार मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि हमे एक अच्छा सा लड़का देख कर माही की शादी कर देनी चाहिए "
इस बात से जहां एक ओर समर, राम्या और काम्या के चेहरे खुशी से खिल जाते है वहीं माही उदास हो जाती हैं और बोलती हैं : मुझे नहीं करनी शादी अब । जो मेरी किस्मत में था हो गया ।
काम्या: लेकिन किस्मत बदल भी तो सकती हैं माही । जरूरी नहीं कि इंसान हादसों के बाद जीना छोड़ दे।"
करण: मेरी बात समझने की कोशिश करो , में को भी कर रहा हूं तुम्हारे अच्छे के लिए कर रहा हूं
माही: में आपकी सब बात मानने के लिए तैयार ही भाई लेकिन शादी नहीं करनी मुझे किसी भ शर्त पर । ये मेरा फाइनल निर्णय हैं "
और इतना बोलने के साथ ही उसकी रुलाई फुट पड़ती हैं और वो अपना चेहरा छुपा कर उपर भाग जाती हैं।
सभी अवाक से उसे देखते रह जाते हैं और वो सब भी उदास हो जाते हैं । माहौल एक दम गंभीर हो चुका था, कोई कुछ नहीं बोल रहा था तभी काम्या पहल करती है: राम्या तुम मेरे साथ किचन में चलो और मेरी हेल्प करो।
समर तुम ये कुछ जरूरी सामान ले कर बाजार से आओ। "
और उसके हाथ में एक लिस्ट थमा देती हैं ।
और फिर करण की और देखते हुए : आप जाइए और माही को मनाए , और जब आप नीचे आए तो वो आपके साथ मुस्कुराती हुई आनी चाहिए । "
करण धीरे धीरे भारी क़दमों से उपर जाता है और पूरी हिम्मत समेट कर माही का डोर नॉक करता है तो अंदर से कोई उत्तर नही आता।
करण: माही प्लीज़ गेट खोल,
माही सिसकते हुए : जाइए आप , मुझे नहीं करनी शादी,
करण: अरे पहले दरवाजा तो खोल, बैठकर आराम से बात करते हैं"
माही: नहीं मुझे कोई बात नहीं करनी आपसे। मैं क्या आप पर बोझ बन गई हूं
और ऐसा बोलकर जोर जोर से रोने लगती हैं ।
करण: अच्छा जो तू कहेंगी वो ही होगा , लेकिन प्लीज़ प्लीज़ गेट तो खोल"
माही: नहीं पहले मेरी कसम खाओ आप ।
करण कुछ दी सोचता हैं और और बोलता हैं ठीक है माही तुम्हारी कसम। जो तुम चाहोगी वो ही होगा लेकिन मेरी प्यारी गुड़िया अब तो दरवाजा खोल।
माही खुश होते हुए दरवाजा खोल देती हैं, करण देखता है कि उसका पूरा चेहरा आंसुओ से भीग गया था और रोने के कारण आंखे लाल हो गई थी।
वो आगे बढ़कर उसे गले लगा लेता और उसकी पीठ थपकने लगता हैं तो माही की रुलाई फुट जाती हैं और वो करण को जोर से अपनी बांहों में भरकर रोने लगती हैं
करण का भी मन भारी हो जाता है और उसकी आंखो में भी आंसू आ जाते हैं लेकिन वो खुद को संभालते हुए : मत रो मेरी बहन, मै तुम्हारी आंखों में आंसू नहीं देख सकता , और उसका आंसुओ से भीगा हुआ चेहरा ऊपर उठाकर उसके आंसू पीने लगता हैं तो माही अपने भाई का प्यार देख कर खुश हो जाती हैं और खुशी के मारे उसको कस कर अपने आप से चिपका लेती हैं और अपने आंसू रोकने लगती हैं

करण उसकी कमर को ऐसे ही सहलाता रखता है, माही के ज्यादा जोर से चिपकने के कारण उसकी बूब्स करण के सीने में गाड़ गए थे और उनके कठोर निप्पल उसे अपने सीने में चुभते हुए महसूस हो रहे थे। उफ्फ कितने बड़े और मस्त हैं उसकी बहन की चूचियां । जैसे ही उसे रात का दृश्य याद आता है तो उसकी आंखो के सामने माही की नंगी चूची आ जाती हैं, जिसका असर सीधे उसके लन्ड पर होता है और वो अपना सिर उठाना शुरू कर देता है ।


वो एक हाथ से धीरे धीरे उसकी कमर सहला रहा था । माही की रुलाई पूरी तरह से रुक चुकी थी । अब कमर पर घूमता उसके भाई का हाथ उसे अच्छा लग रहा था।
माही की नाजुक और चिकनी कमर का एहसास पाकर उसका लन्ड अब बुरी तरह से अकड़ गया था जो अब माही चूत पर अड़ा पड़ा था। जैसे ही करण के लन्ड का एहसास उसे अपनी चूत पर होता है उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं वो शर्म के मारे करण से और जोर से चिपक जाती हैं जिस कारण लन्ड उसकी चूत को अच्छे से रगड़ रहा था। इस कामुक रगड़ से उसके मुंह से आहत निकाल जाती हैं जिसे करण साफ सुनता हैं और वो जोश में आते हुए अपने दोनो हाथ सलवार के उपर से ही उसके उठे हुए भारी चूतड़ों पर के जाता है और उन्हें दबा देता है जिसका सीधा असर माही की चूत पर होता है और उसमें तरंगे उठने लगती हैं ।
तभी करन दोनो हाथो से उसका चेहरा ऊपर उठाता है और पहले उसकी आंखो में देखता है तो और फिर उसके नाजुक सेक्सी लिप्स को देखता है और अपने होंठो पर जीभ फिराने लगता है ।
जैसे ही माही उसकी नजरो का पीछा करती हैं तो उसे एहसास हो जाता है कि उसके भाई की नजरे उसके लिप्स पर हैं तो वो शर्म से पानी पानी हो जाती हैं और वो अपनी जीभ निकाल कर अपने होंठो को गीला करती हैं और अपनी नजरे झुका लेती हैं और उसकी छाती में घुसे बरसाने लगती हैं ।
करण को ग्रीन सिग्नल मिल गया था।
वो बेसब्री से उसका चेहरे उपर करता हैं और अपने प्यासे जलते हुए लिप्स को अपने बहन के नाजुक, कामुक और रसीले होंठो से चिपका देता हैं । जैसे ही माही को अपने होती पर अपने भाई के होंठो का एहसास होता है उसकी सांसे जैसे रुक सी जाती हैं और वो अपनी चूत को बुरी तरह से उसके पूरे तरह से खड़े हुए लन्ड पर रगड़ती हैं और उसके होंठो को चूमती हुई कमरे से बाहर भाग जाती हैं ।
जैसे ही माही बाहर आती हैं अभी हुए हादसे को याद करके उसके होंठो पर स्माइल आ जाती हैं और वो भागते हुए नीचे आ जाती हैं । जैसे ही काम्या उसके होंठो और मुस्कान देखती हैं तो वो भी खुशी के मारे उसे अपने गले लगा लेती हैं ।
उधर जैसे ही माही उसकी बांहों से निकल कर बाहर जाती हैं उसे जैसे होश आता है और सोचता हैं कि ये भगवान है क्या हो गया।
ऐसा नहीं होना चाहिए था वो मेरी सगी बहन हैं ।
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Re: परिवार बिना कुछ नहीं

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तभी उसे अपने खड़े हुए लन्ड का एहसास होता है जो कि पेंट के उपर से साफ नजर आ रहा था और पूरी तरह से अकड़ा हुआ था , उसे हैरानी होती है तभी उसे माही की हरकत याद आती हैं कि कैसे उसने खुद अपनी चूत को उसके लन्ड पर दबाया था और अपने होंठो पर जीभ फिराकर उसे ग्रीन सिग्नल दिया था। उफ्फ कितने गरम थे उसके होंठ , मानो जलते हुए अंगारे हो और साथ ही साथ कितने रसभरे थे। काश मैं अच्छे से चूस पाता।
और ऐसा सोचते हुए उसका लन्ड पेंट में ऐसे उछलता है जिसे उसे फाड़कर बाहर आ जायगा।
करण उसे हाथ से हल्के से दबाता हैं और बोलता हैं कि थोड़ा सब्र किया कर लन्ड महाराज । वो मेरी बहन कि चूत हैं "
लेकिन लन्ड को क्या फर्क पड़ता है चूत होनी चाहिए चाहे वो मा की हो या बहन की उसका काम तो बस चोदना होता है



उधर समर बाजार जाता हैं और काम्या ने हो सामान कि लिस्ट दी थी उसके हिसाब से सारा सामान्य खरीद कर घर की तरफ वापिस लौट पड़ता है , आस उसका भी मन उदास था अपनी बुआ के आंसू देखकर । माही उसे कितना प्यार करती हैं , उसकी हर ख्वाहिश पूरी करती हैं , जब उसे किसी चीज की जरूरत होती है तो वो चुपके से माही को बोलता था और माही उसकी मदद कर देती थी, लेकिन आज जो कुछ हुआ घर पर उससे माही को कितना दुख हुआ इसका अंदाज़ा वो लगा पा रहा था ।
समर सोचता है कि अगर उसकी बुआ शादी नहीं करना चाहती तो कोई बात नहीं लेकिन जब तक वो जिंदा हैं अपनी बुआ का ख्याल रखेगा ताकि वो खुशी से रह सके।
इसी उधेड़बुन में डूबा हुआ वो घर पहुंचता है तो देखता हैं कि खाना बन चुका था वो सभी लोग उसका ही इंतजार कर रहे है । वो जल्दी से फ्रेश होकर आता हैं और डायनिंग टेबल पर बैठ जाता है अपनी प्यारी बुआ के पास जो को अब उससे खुश नजर आ रही थी, उसका मतलब पापा ने उसे मना लिया है ।
सभी खाना शुरू करते हैं और माही की माही उपर नहीं उठ रही थी क्योंकि उसके ठीक सामने करण बैठा हुआ था, अभी उपर रूम में को उनके बीच हुआ था उससे सोच सोच कर उसे शर्म आ रही थी कि उसका भाई क्या सोच रहा होगा उसके बारे में । ये सब सोचकर उसका मन खाने में नहीं लग रहा था।
समर: बुआ देखो ना पनीर की सब्जी कितनी अच्छी बनी हैं आप खाओ इसे भी ," और इतना कहकर वो उसकी प्लेट में सब्जी निकाल देता है ।
माही : नहीं समर , मुझे ज्यादा भूख नहीं हैं ,
काम्या: इसका मतलब करण तुम्हे ठीक से नहीं मना पाए हैं " ।
और काम्या गुस्से से करण की तरफ देखते हुए: क्यों जी आपको जो काम दिया था अच्छे से क्यों पूरा नहीं हुए " मेरी रानी अब तक नाराज क्यों हैं " ।
करण के कुछ बोलने से पहले ही माही बोल पड़ती है : नहीं भाभी, में बिल्कुल खुश हूं , भैया को कुछ मत कहो आप ।
काम्या: देखो कितना प्यार करती हैं अपने भाई से , इनको कोई कुछ भी कहे तो जलन होती है इसे" ।
और काम्या के ऐसे बोलते ही सब खिलखिलाकर हंस पड़ते हैं तभी समर आगे आता है और अपने हाथ में खाने का निवाला बनाता है और बोलता हैं कि अपनी बुआ को मैं खुद अपने हाथ से खाना खिलाऊंगा ।
और ऐसा बोलकर वो निवाला उसके मुंह के पास लेकर जाता है तो माही खुशी के मारे अपने होठ खोलती हैं और निवाला खा लेती हैं , समर जैसे ही दूसरा निवाला बनाता है माही उसे मना करती हैं और बोलती हैं कि मैं खुद खा लूंगी । लेकिन समर नहीं मानता और उसे फिर से खाना खिलाता है ।
समर के बाद बाद काम्या और राम्या भी उसे अपने हाथ से खाना खिलाती है और माही परिवार का इतना प्यार दिल कर उसका दिल भर आता हैं और आंखे नाम हो जाती हैं ।
काम्या : अजी आप भी खाना खिलाओ माही को , आ जाओ"
करण आगे आता है और निवाला बनाकर जैसे ही अपने हाथ उसके मुंह के पास ले जाता हैं तो दोनो की आंखे टकरा जाती हैं और दोनो के होंठो पर एक स्माइल आती हैं और माही अपने प्यार होंठो को खोल देती हैं और जैसे ही करण की उंगलियां उसके लिप्स से टकराती हैं माही के बदन के तार झनझना जाते हैं और वो निवाला अंदर ले लेती हैं और जैसे ही करण अपना हाथ बाहर करता हैं तो माही उसकी हाथ में काट लेती हैं तो करण के होंठो से एक दर्द भरी आह निकल जाती हैं जिस पर सब हसने लगते हैं और करण भी मुस्कुरा पड़ता हैं ।
काम्या: बहुत अच्छा लिया माही , आज इनकी वजह से ही तुम्हारा दिल दिखा और तूने अपना बदला ले ही लिया "।
माही मुस्कुराते हुए: अगर आज के बाद किसी ने मेरी शादी की बात करी तो उसके हाथ में नहीं काटूंगी बल्कि उसे कच्चा चबा जाऊंगी ।
और ऐसा बोलकर अपने दूध से गोरे दांत बाहर निकाल लेती है जैसे सब को डरा रही हो ।
काम्या और राम्या का तो हंसी के मारे बुरा हाल हो चुका था तो समर की भी हालत कुछ जुदा नहीं थी। हान करण बीच बीच में हंस रहा था।
ऐसे ही हंसते हंसते वो सभी खाना कहते हैं । घर के माहौल फिर से खुशनुमा बन चुका था। खाना खाने के बाद राम्या और माही किचन में चली जाती है और करण बाहर घूमने चला जाता है ।
काम्या और समर बाहर बने हॉल में आ जाते हैं और टीवी देखने लगते हैं ।
सामर: मा आज के बाद बुआ को कोई कुछ नहीं कहेगा। देखो आज वो कितना रोई हैं
काम्या : हां बेटे , मुझे भी बहुत दुख हुए उसकी आंखो में आंसू देखकर । लेकिन बेटा तेरे पापा ने भी तो ये बात माही के भले की लिए ही कहीं थी। अब हम दोनों कौन सा हमेशा बैठे रहगे, भगवान ना करे कल कुछ हो गया तो माही की ध्यान को रखेगा ?
समर जल्दी से अपनी मा के होंठो पर उंगली रख देता है : खबरदार जो आज के बाद ऐसे अशुभ शब्द आपकी जुबान पर आए तो" ।
और ऐसा बोलते हुए अपनी मम्मी की बांहों में भर लेता है और उसके चेहरे पर किस करने लगता हैं ।
काम्या भी उसे अपने गले लगा लेती हैं और उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगती हैं ।
काम्या: बेटा आज की बात और हैं कल तेरी शादी के बाद तेरी पत्नी को अगर माही का घर में रहना पसंद नहीं आया तो , तब ?
समर कुछ देर के लिए सोच में पड़ जाता है वहीं दूसरी तरफ माही किचन से आ चुकी थी लेकिन जैसे ही उनकी बाते सुनती है तो वहीं रुक जाती हैं ।
समर काफी गंभीर हो जाता है। और फिर जैसे को फैसला करता है ।
समर: मम्मी मैं आपके सिर पर हाथ रखकर कसम खाता हूं कि ऐसा कभी नहीं होगा क्योंकि मैं शादी ही नहीं करूंगा । "
और ऐसे बोलते हुए अपने हाथ को काम्या के सिर पर रख देता है। काम्या की तो जैसे बोलती बंद हो जाती हैं ।उसका दिल तपड उठता है समर के शब्दों को सुनकर । वहीं दूसरी तरफ जैसे ही गेट के पास खड़ी माही समर के ये शब्द सुनती हैं उस जैसे लकवा मर जाता है और वहीं फर्श पर बैठ जाती हैं , उसके दिमाग में काम करना बंद कर दिया था।
काम्या: नहीं बेटा ऐसे नहीं बोलते, तू अभी बच्चा हैं , अपनी कसम वापिस ले ले ।
समर: मा एक राजपूत अपनी जुबान से पीछे नहीं हटता चाहे उसकी जान ही क्यों ना चली जाए"।
समर ऐसे बोलता हैं जैसे वो अपना आखिरी फैसला सुना चुका हैं । काम्या की तो जैसे आवाज ही नहीं निकल रही थी। बस उसकी आंखों से लगातार आंसू बहे जा रहे थे। समर आगे उसे फिर से अपने गले लगा लेता है और चुप कराने लगता हैं और उसके आंसुओ को अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगता है ।
अपने बेटे का प्यार देखकर के आंसू हल्के पड़ने लगते जाऊं और वो जोर से समर को अपने गले लगा लेती हैं और उसके गालो को चूमती है जैसे उस पर अपना सारा प्यार लूटा देना चाहती हों ।
समर: मा आप एक वादा करो मुझसे की आज के बाद हम इस बारे में कोई बात नहीं करेंगे और ना ही आप घर में किसी को मेरी कसम के बारे में बताओगे ।
माही बुआ को कभी ये बात पता नहीं लगनी चाहिए वरना उन्हें बहुत दुख होगा । "
काम्या: ठीक है बेटा मैं कभी किसी को नहीं बताउंगी ।
माही जैसे ही ये सब सुनती हैं उसका दिल रों पड़ता है और उसकी आंखों से पानी निकलने लगता हैं , और वो रोते हुए तेजी से अपने उपर बने कमरे में चली जाती हैं और कमरा अंदर से बंद कर लेती हैं ।
माही के आंसू आज रुक ही नहीं रहे थे , है भगवान ये सब क्या हो रहा है मेरी वजह से , आखिर मुझे क्यों सबके दुख का कारण बनाते हो बार बार ! मेरी ज़िन्दगी में खुशी ना हो तो ना सही लेकिन समर की खुशी क्यों मेरी वजह से बर्बाद होगी।
कहां जाऊं मैं, क्या करू , कुछ समझ नहीं आ रहा है ।
और ऐसा बोलते हुए जोर जोर से रोने लगती हैं ।
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