काल – सर्प
आह.... आह्ह.... आह....और जोर से बेटा और जोर से...फाड़ दे तेरी मां का भोसड़ा इस से पहले की तेरा बाप वापस आ जाए......
रात के 11.46 हो रहे थे लेकिन जंगल से गुजरती इस सुनसान रोड पर सिर्फ एक वाहन ही काफी देर से खड़ा हुआ था जिसकी पार्किंग लाइट जोरो शोरो से जल बुझ रही थी....वहीं रोड के किनारे झाड़ियों में से लगातार थप....थप...की आवाजे आए जा रही थी जैसे कोई तबले पे ताल दे रहा हो....
आह.....मजा आ गया मेरे बेटे.....मजा आ गया....आज इतने बरसों बाद तूने मेरी आग भुजाई है सच में आज तो मजा आ गया....
पूर्ण रूप से मादर जात नंगी औरत एक विशाल वृक्ष पे अपने हाथ टिकाकर घोड़ी बनी हुई थी, और और पीछे से घपा घप उसका सगा बेटा अपने हाहाकरी लौड़े से अपनी मां के पूरी तरह से खुले हुए भोसड़े मै अपना लन्ड पेले जा रहा था.....
कभी वो अपनी मां के लटकते हुए बोबे अपनी हथेलियों से दबाता और कभी घोड़ी बनी अपनी मां के चूतड़ अपने हाथो से चोडे करता....
तकरीबन पंद्रह मिनट चले इस खेल में दोनों की पोजिशन एक ही थी....अभी लड़के का पानी छूटने ही वाला था कि....
.... तड़ाक.....किसी ने एक मजबूत डंडे से उस लड़के के सिर पे प्रहार किया और चोट लगते ही वो लड़का किसी पर कटे पंछी की तरह जमीन पर आ पड़ा....
"" नहीं नहीं.... प्लीज मेरे बेटे को छोड़ दो.....इसमें इसका कोई कसूर नहीं है सारा किया धरा मेरा ही है.....""
लेकिन उस औरत की बात पे ध्यान ना देते हुए उस वयोवृद्ध ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ फरसा नीचे बेसुध पड़े युवा के सीने पे गाड़ दिया.....
पसलियों के बीचों बीच फरसा गड़ा हुआ था और तभी उस वयोवृद्ध ने अपने झोले से एक चाकू जैसा हथियार निकाला और उस लड़के का लिंग पकड़ के एक झटके मै काट डाला....
ये दृश्य देख कर वो औरत तुरंत ही बेहोश हो गई....
एक महीने बाद
महानगर मुंबई.....
कहते है मुंबई की हवा भी निराली होती है अगर आप कुछ करना चाहे तो मुंबई किसी रण्डी की तरह अपनी टांगे खोल कर स्वागत करती है....लेकिन यदि आप सिर्फ मुंबई के स्वभाव के अनुरूप ढलते हो तो दो वक़्त की रोटी भी नसीब हो जाए ये बड़ी बात है....
लेकिन वहीं कुछ ऐसे लोग भी है जिन्होंने कभी अपने आप से समझौता नहीं किया.... खूद भले से भूखे सो गए हो लेकिन किसी गरीब को भूखा सोने ना दिया.....और ये बात तो आप भी जानते हो की कोन ऐसी कुव्वत रखता होगा जो किसी गरीब को भूखा सोने ना दे....कम से कम कोई गरीब तो ऐसा कारनामा नहीं कर सकता....
यहां बात हो रही है सेठ नरेंद्र अग्रवाल के ज्येष्ठ पुत्र अशोक की.....ईश्वर का दिया क्या नहीं था उस परिवार के पास...अरबों खरबों की सम्पत्ति....ना जाने कितनी जमीन और ना जाने कितने बाग़ बगीचे....लेकिन अशोक के पिता का बस एक सपना था कि जहां भी उसका घर हो उसकी एक किलोमीटर परिधिं में कोई भी जीव भूखा ना सोए....शायद अपने इन्हीं पुण्य कर्मों की वजह से ये परिवार इतना सुदृढ़ था....
तकरीबन दो वर्ष पहले नरेंद्र अग्रवाल की मृत्यु हृदयघात से हो गई थी....उसके बाद ही सारे काम काज कि जिम्मेदारी अशोक के उपर आ गई जो कि लगभग 52 साल का होने आया था.....
45 साल की अशोक की धर्म पत्नी सुमन जो कहीं से भी युवा नहीं लगती थी,
यहां मै पाठकों को बताना चाहता हूं कि सेक्स के लिए युवा होना बिल्कुल भी जरूरी नहीं है...
अक्सर सुमन ईश्वर की आराधना में ही अपना वक़्त लगाती थी.....कभी संतो को भोजन कभी निर्धनों को दान....या फिर एक तरह से कहे तो अपने ससुर नरेंद्र अग्रवाल की ही तरह दिव्यात्म्मा थी सुमन....
अशोक और सुमन की सबसे बड़ी लड़की आरोही.... कद तकरीबन 5 फीट 6 इंच .... संगमरमर की तरह आकर और वर्ण मै ढला उसका बदन जो किसी भी कमजोर दिल इंसान की सांसे रोक देने के लिए काफी था....
उसके बाद नंबर आता है सलोनी का जो कि अपने नाम के अनुरूप सांवला रूप लेकिन दीप्तिमान रूप में इस धरा पे प्रकट हुई है.....सिर्फ रंग की वजह से ही सलोनी आरोही से मात खाती है लेकिन अगर कोई उन दोनों बहनों की तुलना करने पे आए तो सलोनी जीते बल्कि उन लोगो का घमंड भी चकना चुर कर दे जो सिर नाप जोख कि दुनिया में विश्वास रखते है.....
मेरा नंबर सबसे आखिरी मै आता है....सलोनी से महज तीन मिनट छोटा हूं मैं....वैसे तो दिखने में मैं ठीक ठाक ही हूं लेकिन रंग मेरा सांवला बिल्कुल भी नहीं है....मुझे जन्म देते वक़्त शायद मां को कोई इंफेक्शन हुआ था जिस वजह से सलोनी सांवली और मेरी रंगत काली हो गई थी....
ये मेरा छोटा सा परिवार है.....होने को तो चाचा ताऊ या फिर मामा लोगो का भी परिवार है....लेकिन जो मैंने बताया वो सिर्फ मेरा परिवार है...
.......................................
काल – सर्प
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काल – सर्प
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Re: काल – सर्प
आज का दिन बेहद खास था , और खास हो भी क्यों ना अशोक अग्रवाल और सुमन की शादी की सालगिरह जो थी....
सुबह से ही हर कोई हमारे घर के बाहर खड़ा अपनी शुभकामनाए देने के लिए इंतजार कर रहा था....
"" काली... उठ यार कितनी देर तक सोएगा....देख बाहर कितनी भीड़ इकट्ठा हो गई पापा मम्मी को एनिवर्सरी की बधाई देने के लिए....चल उठ अब और जल्दी से रेडी हो जा , नहीं तो तू यही सोता रह जाएगा और हम मंदिर चले जाएंगे..""
सलोनी मुझे झकझोरती है कि में उठ जाऊं लेकिन में फिर भी ऐसे ही पड़ा रहता हूं....तभी मेरे कानो में एक आवाज पड़ती है...
"" काली उठ रहा है या डंडा लाऊ....""
पापा की आवाज सुनते ही एक जोर का झटका लगा मुझे और मै बिना एक क्षण गवाए उठ के खड़ा हो गया....
पापा की लाल सुर्ख आंखे मुझे ही घूर रही थी....दुनिया में अगर मुझे किसी चीज से डर लगता है तो वो सिर्फ पापा से....
सलोनी भी थोड़ी घबरा सी गई थी मैंने जब उसकी तरफ देखा तो वो बेहद घबराई अपनी हथेली आपस में रगड़ रही थी....
मैंने ज्यादा वक़्त ना लगते हुए बाथरूम की तरफ दौड़ लगा दी जो कि मेरे कमरे में ही अटैच था....
तकरीबन 15 मिनट बाद मैं बाथरूम से बाहर निकला और देखा सलोनी भी तैयार हो कर आ चुकी थी...
उसने एक फ्रॉक पहना था जो कि उसके घुटनों तक था शोल्डर पे कपड़ा ना के बराबर था ....उसकी सांवली लेकिन मांसल बांहे पूरी तरह से नुमाया थी...
"" चल अब जल्दी से कपड़े पहन ले....और नीचे आ जा , और प्लीज़ अब देर मत करना वरना पापा का गुस्सा तो तू जानता ही है ""
इतना कह के सलोनी नीचे हॉल में चली गई और में एक जींस और लाइट ब्राउन कलर की राउंड नेक टीशर्ट पहन के उसपर डेनिम जैकेट डाल ली....
वैसे मै कुछ भी पहन लू मेरे ऊपर कुछ भी अच्छा नहीं लगता....और शायद मेरा रंग ही वो वजह थी जो मुझे पापा कि नफरत बचपन से ही तोहफे में मिली थी...
नीचे घर के सभी सदस्य थे सिवाए आरोही के ....सभी खुश लग रहे थे सिवाए सलोनी के...
मै उसके पास जाकर खड़ा हो गया और कहने लगा....
"" क्या हुआ अब तूने क्यों मुंह लटका रखा है....""
सलोनी ने मेरी आंखो में देखा और मुझे उसकी आंखो में जो नजर आया ,वैसा मैंने कभी नहीं देखा सलोनी की आंखो में...
"" काली तेरे साथ पापा अच्छा नहीं करते है....देखना भगवान इस जुर्म के लिए उन्हें सजा जरूर देगा...ये मेरी बद्दुआ है मेरे बाप के लिए...""
इतनी नफरत इतना गुस्सा....कैसे सलोनी अपने छोटे से दिल में रख के बैठी है....वो भी सिर्फ मेरे लिए जो ना चाहते हुए ऐसा रंग लेकर पैदा हुआ जो किसी को पसंद नहीं...
"" कैसी बातें कर रही है सलोनी...? पापा का मुझ पे गुस्सा करना कोई आज कि बात तो है नहीं....ये सब कुछ तो बरसो से चला आ रहा है इग्नोर मार इन सारी बातों को और एक अच्छी सी स्माइल लेकर आ अपने चेहरे पे...""
अपनी बात कह के मैंने सलोनी के गाल सहला दिया और वो भी किसी फूल कि तरह मुस्कुरा उठी....
अभी हम दोनों अपने आप में ही खोए थे कि पापा की आवाज फिर से सुनाई दी...
"" मंदिर के लिए नए जेवर और छत्र ले लिए ना सुमन...और आरोही कहा है....सुबह से मुझे वो दिखाई नहीं पड़ी""
मम्मी ने गहनों का बैग उठाते हुए कहा ...
"" आरोही मंदिर में ही मिलेगी हमे, वो सुबह जल्दी ही निकल गई थी मंदिर कि सजावट के लिए...""
पापा ने अपनी गर्दन हिलाई और कहा...
"" एक वहीं है जो अपने काम के प्रति जिम्मेदार है...यहां तक कि सलोनी भी कभी उसके जैसी फुर्ती नहीं दिखा पाती....बस एक नासूर ही पता नहीं कहां से पैदा हो गया....""
पापा का इतना बोलना ही हुआ था कि मैंने सलोनी का हाथ पकड़ लिया....मै नहीं चाहता था कि आज के दिन सलोनी मेरी वजह से पापा से कुछ कहे...लेकिन मम्मी का हाथ किसी ने नहीं पकड़ा था...
सुबह से ही हर कोई हमारे घर के बाहर खड़ा अपनी शुभकामनाए देने के लिए इंतजार कर रहा था....
"" काली... उठ यार कितनी देर तक सोएगा....देख बाहर कितनी भीड़ इकट्ठा हो गई पापा मम्मी को एनिवर्सरी की बधाई देने के लिए....चल उठ अब और जल्दी से रेडी हो जा , नहीं तो तू यही सोता रह जाएगा और हम मंदिर चले जाएंगे..""
सलोनी मुझे झकझोरती है कि में उठ जाऊं लेकिन में फिर भी ऐसे ही पड़ा रहता हूं....तभी मेरे कानो में एक आवाज पड़ती है...
"" काली उठ रहा है या डंडा लाऊ....""
पापा की आवाज सुनते ही एक जोर का झटका लगा मुझे और मै बिना एक क्षण गवाए उठ के खड़ा हो गया....
पापा की लाल सुर्ख आंखे मुझे ही घूर रही थी....दुनिया में अगर मुझे किसी चीज से डर लगता है तो वो सिर्फ पापा से....
सलोनी भी थोड़ी घबरा सी गई थी मैंने जब उसकी तरफ देखा तो वो बेहद घबराई अपनी हथेली आपस में रगड़ रही थी....
मैंने ज्यादा वक़्त ना लगते हुए बाथरूम की तरफ दौड़ लगा दी जो कि मेरे कमरे में ही अटैच था....
तकरीबन 15 मिनट बाद मैं बाथरूम से बाहर निकला और देखा सलोनी भी तैयार हो कर आ चुकी थी...
उसने एक फ्रॉक पहना था जो कि उसके घुटनों तक था शोल्डर पे कपड़ा ना के बराबर था ....उसकी सांवली लेकिन मांसल बांहे पूरी तरह से नुमाया थी...
"" चल अब जल्दी से कपड़े पहन ले....और नीचे आ जा , और प्लीज़ अब देर मत करना वरना पापा का गुस्सा तो तू जानता ही है ""
इतना कह के सलोनी नीचे हॉल में चली गई और में एक जींस और लाइट ब्राउन कलर की राउंड नेक टीशर्ट पहन के उसपर डेनिम जैकेट डाल ली....
वैसे मै कुछ भी पहन लू मेरे ऊपर कुछ भी अच्छा नहीं लगता....और शायद मेरा रंग ही वो वजह थी जो मुझे पापा कि नफरत बचपन से ही तोहफे में मिली थी...
नीचे घर के सभी सदस्य थे सिवाए आरोही के ....सभी खुश लग रहे थे सिवाए सलोनी के...
मै उसके पास जाकर खड़ा हो गया और कहने लगा....
"" क्या हुआ अब तूने क्यों मुंह लटका रखा है....""
सलोनी ने मेरी आंखो में देखा और मुझे उसकी आंखो में जो नजर आया ,वैसा मैंने कभी नहीं देखा सलोनी की आंखो में...
"" काली तेरे साथ पापा अच्छा नहीं करते है....देखना भगवान इस जुर्म के लिए उन्हें सजा जरूर देगा...ये मेरी बद्दुआ है मेरे बाप के लिए...""
इतनी नफरत इतना गुस्सा....कैसे सलोनी अपने छोटे से दिल में रख के बैठी है....वो भी सिर्फ मेरे लिए जो ना चाहते हुए ऐसा रंग लेकर पैदा हुआ जो किसी को पसंद नहीं...
"" कैसी बातें कर रही है सलोनी...? पापा का मुझ पे गुस्सा करना कोई आज कि बात तो है नहीं....ये सब कुछ तो बरसो से चला आ रहा है इग्नोर मार इन सारी बातों को और एक अच्छी सी स्माइल लेकर आ अपने चेहरे पे...""
अपनी बात कह के मैंने सलोनी के गाल सहला दिया और वो भी किसी फूल कि तरह मुस्कुरा उठी....
अभी हम दोनों अपने आप में ही खोए थे कि पापा की आवाज फिर से सुनाई दी...
"" मंदिर के लिए नए जेवर और छत्र ले लिए ना सुमन...और आरोही कहा है....सुबह से मुझे वो दिखाई नहीं पड़ी""
मम्मी ने गहनों का बैग उठाते हुए कहा ...
"" आरोही मंदिर में ही मिलेगी हमे, वो सुबह जल्दी ही निकल गई थी मंदिर कि सजावट के लिए...""
पापा ने अपनी गर्दन हिलाई और कहा...
"" एक वहीं है जो अपने काम के प्रति जिम्मेदार है...यहां तक कि सलोनी भी कभी उसके जैसी फुर्ती नहीं दिखा पाती....बस एक नासूर ही पता नहीं कहां से पैदा हो गया....""
पापा का इतना बोलना ही हुआ था कि मैंने सलोनी का हाथ पकड़ लिया....मै नहीं चाहता था कि आज के दिन सलोनी मेरी वजह से पापा से कुछ कहे...लेकिन मम्मी का हाथ किसी ने नहीं पकड़ा था...
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Re: काल – सर्प
"" आप हर वक़्त ही क्यों काली को दोष देते रहते हो...?? अगर आपको किसी को इस बारे में दोष देना ही है तो वो सिर्फ आपको मुझे देना चाहिए.....ये मेरी गलती थी जो मुझे इंफेक्शन हुआ और उसकी वजह से काली को मेरी कोख में ही इंफेक्शन हो गया....हजार बार आपको समझा दिया भगवान ने हमे जो दिया है वो काफी है....लेकिन नहीं आपके लिए तो मेरी कोख से एक नासूर पैदा हो गया....बस बहुत हुआ मेरे बेटे के लिए एक ओर शब्द में बर्दाश्त नहीं करूंगी...""
पापा अपनी जगह से उठे और कहने लगे....
"" जब तक मैं जिंदा हूं, मैं कभी इस नासूर की शक्ल भी नहीं देखूंगा....दिया होगा भगवान ने तुम्हे तोहफा...पालती रहो इस नासूर को....मेरे खानदान का नाम रोशन करने वाला कम से कम इतना बदशकल तो नहीं हो सकता....अगर ये भगवान का दिया तोहफा है तो में चाहूंगा कि वो ये तोहफा वापस ले जाए....नहीं चाहिए मुझे ऐसा तोहफा....""
अपनी बात कह कर पापा मम्मी के हाथ से गहनों का बैग लगभग छीन कर घर से बाहर निकल जाते है....उनके जाते ही मम्मी कि रुलाई फुट पड़ती है....उनको इस तरह से बिखरता देख में और सलोनी उन्हें कस के गले से लगा लेते है....
"" क्या दोष है मेरे मासूम बच्चे का....इतनी नफरत किस लिए....मेरे बच्चे से इतनी नफरत किस लिए....???""
मम्मी लगभग चीखने ही लगी थी, इतना गुस्सा कभी भी नहीं देखा मैंने उनके अंदर...लेकिन आज पहली बार अहसास हुआ की वो कितना कोसती होंगी खुद को वो बार बार चिखे जा रही थी...
"" मेरे बच्चे से इतनी नफरत किस लिए....मेरे बच्चे से इतनी नफरत किस लिए....??""
"" मम्मी प्लीज़ शांत हो जाओ....आप अगर ऐसा करोगी तो कैसे जी पाऊंगा में....एक आप और एक सलोनी ही तो हैं जिसने मुझे इतना प्यार दिया....नहीं चाहिए मुझे पिता का प्यार....मुझे बस आप दोनों चाहिए हमेशा मेरे साथ और कुछ नहीं चाहिए मुझे.... प्लीज़ मम्मी चुप हो जाओ आपको इस हालत में नहीं देख सकता में....""
अचानक मम्मी ने खुद के आंसू पोंछे और खड़ी हो कर घर में बने मंदिर की तरफ भागने लगी और वहां पहुंच कर भगवान के सामने दंडवत हो गई ...
"" मेरा पति कहता है कि मेरा बेटा नासूर है.....वो उसकी शक्ल कभी नहीं देखेगा....तो मैं सुमन आज ये प्रतिज्ञा लेती हूं आज के बाद अशोक अग्रवाल से मेरा कोई रिश्ता नहीं है....वो मर भी जाएगा तो में कभी उसकी शक्ल नहीं देखूंगी....मेरे बच्चे ने क्या बिगाड़ा किसी का....मेरे बच्चे से इतनी नफरत क्यों..........
..................................
मम्मी अभी भी बैठी सुबक रही थी....पिछले आधे घंटे के अंदर घर कि सारी तस्वीरें टूट चुकी थी जिसमे अशोक अग्रवाल की शक्ल हो....
आज इतने सालों मै पहली बार मैंने मम्मी को इतने गुस्से में देखा....हमेशा जब मुझे पापा कि बातों से तकलीफ होती थी तब वो ही मुझे बिखरने से बचाती थी और साथ ही साथ समझाती भी थी कि जैसे जैसे तेरी उमर होगी वैसे वैसे पापा के दिल से भी नफरत निकल जाएगी....लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ....अब तो ऐसा लग रहा था कि जैसे जैसे मेरी उमर बढ़ रही है , पापा कि नफरत भी बढ़ती जा रही है....
"" हम ये घर छोड़ देंगे....नहीं रहना मुझे वहां जहां मेरे बच्चो को सम्मान नहीं मिले...""
मम्मी ने सुबकते हुए सलोनी से अपने दिल की बात कही....
मम्मी की बात सुनकर मेरा भी गला भर आया...
"" नहीं मम्मी... नहीं....आप लोग कही नहीं जाएंगे ये घर छोड़ कर.....अब वक़्त आ गया है कि में यहां से निकल जाऊं...में आज ही नानी के यहां जा रहा हूं...""
"" तू पागल तो नहीं हो गया....एक तो पहले ही मम्मी का रो रो के बुरा हाल हुआ है , और तू अब घर छोड़ने की बात कर रहा है....कम से कम हमारा तो ख्याल कर की तेरे बिना हमारा क्या होगा....कोई कहीं नहीं जाएगा घर छोड़ के...और मम्मी प्लीज़ अब आप भी शांत हो जाओ ""
सलोनी ने जो कुछ भी कहा वो एक तरह से सही था, लेकिन मेरे लिए अब इस घर में रहना काफी मुश्किल हो चुका था.... कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब करूं भी तो क्या....
""ट्रिंग.....ट्रिंग....ट्रिंग.....ट्रिंग.......""
हॉल में पड़ा लैंड लाइन अचानक से बजने लगा....
मैंने सलोनी की तरफ देखा और उसने मेरी बात समझ के वो फोन पिक कर लिया....
"" हैलो ....??""
"" क्या....??""
""क्या बोल रही हो दीदी.... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा...""
"" किसका...?? ""
"" हम लोग आ रहे है आप चिंता मत करो""
इतना बोल कर सलोनी ने फोन वापस अपनी जगह रखा और बोलने लगी...
"" आरोही दीदी का फोन था.....वो रोए जा रही थी और बस बार बार यही बोले जा रही थी कि फोर्टिस आ जाओ....खून बह रहा है जल्दी आ जाओ....??? ""
सलोनी की बात सुनकर मम्मी भी घबरा गई में भाग कर बाहर निकला और पार्किंग से ऑडी आर एस फाइव निकाल कर ले आया....
हॉर्न की आवाज सुनते ही सलोनी और मम्मी लगभग भागते हुए कार तक आए और मैंने द्रुत गति से कार नजदीकी फोर्टिस हॉस्पिटल की तरफ बढ़ा दी....
पापा अपनी जगह से उठे और कहने लगे....
"" जब तक मैं जिंदा हूं, मैं कभी इस नासूर की शक्ल भी नहीं देखूंगा....दिया होगा भगवान ने तुम्हे तोहफा...पालती रहो इस नासूर को....मेरे खानदान का नाम रोशन करने वाला कम से कम इतना बदशकल तो नहीं हो सकता....अगर ये भगवान का दिया तोहफा है तो में चाहूंगा कि वो ये तोहफा वापस ले जाए....नहीं चाहिए मुझे ऐसा तोहफा....""
अपनी बात कह कर पापा मम्मी के हाथ से गहनों का बैग लगभग छीन कर घर से बाहर निकल जाते है....उनके जाते ही मम्मी कि रुलाई फुट पड़ती है....उनको इस तरह से बिखरता देख में और सलोनी उन्हें कस के गले से लगा लेते है....
"" क्या दोष है मेरे मासूम बच्चे का....इतनी नफरत किस लिए....मेरे बच्चे से इतनी नफरत किस लिए....???""
मम्मी लगभग चीखने ही लगी थी, इतना गुस्सा कभी भी नहीं देखा मैंने उनके अंदर...लेकिन आज पहली बार अहसास हुआ की वो कितना कोसती होंगी खुद को वो बार बार चिखे जा रही थी...
"" मेरे बच्चे से इतनी नफरत किस लिए....मेरे बच्चे से इतनी नफरत किस लिए....??""
"" मम्मी प्लीज़ शांत हो जाओ....आप अगर ऐसा करोगी तो कैसे जी पाऊंगा में....एक आप और एक सलोनी ही तो हैं जिसने मुझे इतना प्यार दिया....नहीं चाहिए मुझे पिता का प्यार....मुझे बस आप दोनों चाहिए हमेशा मेरे साथ और कुछ नहीं चाहिए मुझे.... प्लीज़ मम्मी चुप हो जाओ आपको इस हालत में नहीं देख सकता में....""
अचानक मम्मी ने खुद के आंसू पोंछे और खड़ी हो कर घर में बने मंदिर की तरफ भागने लगी और वहां पहुंच कर भगवान के सामने दंडवत हो गई ...
"" मेरा पति कहता है कि मेरा बेटा नासूर है.....वो उसकी शक्ल कभी नहीं देखेगा....तो मैं सुमन आज ये प्रतिज्ञा लेती हूं आज के बाद अशोक अग्रवाल से मेरा कोई रिश्ता नहीं है....वो मर भी जाएगा तो में कभी उसकी शक्ल नहीं देखूंगी....मेरे बच्चे ने क्या बिगाड़ा किसी का....मेरे बच्चे से इतनी नफरत क्यों..........
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मम्मी अभी भी बैठी सुबक रही थी....पिछले आधे घंटे के अंदर घर कि सारी तस्वीरें टूट चुकी थी जिसमे अशोक अग्रवाल की शक्ल हो....
आज इतने सालों मै पहली बार मैंने मम्मी को इतने गुस्से में देखा....हमेशा जब मुझे पापा कि बातों से तकलीफ होती थी तब वो ही मुझे बिखरने से बचाती थी और साथ ही साथ समझाती भी थी कि जैसे जैसे तेरी उमर होगी वैसे वैसे पापा के दिल से भी नफरत निकल जाएगी....लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ....अब तो ऐसा लग रहा था कि जैसे जैसे मेरी उमर बढ़ रही है , पापा कि नफरत भी बढ़ती जा रही है....
"" हम ये घर छोड़ देंगे....नहीं रहना मुझे वहां जहां मेरे बच्चो को सम्मान नहीं मिले...""
मम्मी ने सुबकते हुए सलोनी से अपने दिल की बात कही....
मम्मी की बात सुनकर मेरा भी गला भर आया...
"" नहीं मम्मी... नहीं....आप लोग कही नहीं जाएंगे ये घर छोड़ कर.....अब वक़्त आ गया है कि में यहां से निकल जाऊं...में आज ही नानी के यहां जा रहा हूं...""
"" तू पागल तो नहीं हो गया....एक तो पहले ही मम्मी का रो रो के बुरा हाल हुआ है , और तू अब घर छोड़ने की बात कर रहा है....कम से कम हमारा तो ख्याल कर की तेरे बिना हमारा क्या होगा....कोई कहीं नहीं जाएगा घर छोड़ के...और मम्मी प्लीज़ अब आप भी शांत हो जाओ ""
सलोनी ने जो कुछ भी कहा वो एक तरह से सही था, लेकिन मेरे लिए अब इस घर में रहना काफी मुश्किल हो चुका था.... कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब करूं भी तो क्या....
""ट्रिंग.....ट्रिंग....ट्रिंग.....ट्रिंग.......""
हॉल में पड़ा लैंड लाइन अचानक से बजने लगा....
मैंने सलोनी की तरफ देखा और उसने मेरी बात समझ के वो फोन पिक कर लिया....
"" हैलो ....??""
"" क्या....??""
""क्या बोल रही हो दीदी.... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा...""
"" किसका...?? ""
"" हम लोग आ रहे है आप चिंता मत करो""
इतना बोल कर सलोनी ने फोन वापस अपनी जगह रखा और बोलने लगी...
"" आरोही दीदी का फोन था.....वो रोए जा रही थी और बस बार बार यही बोले जा रही थी कि फोर्टिस आ जाओ....खून बह रहा है जल्दी आ जाओ....??? ""
सलोनी की बात सुनकर मम्मी भी घबरा गई में भाग कर बाहर निकला और पार्किंग से ऑडी आर एस फाइव निकाल कर ले आया....
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Re: काल – सर्प
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- SATISH
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Re: काल – सर्प
बहुत शानदार शुरुवात है जोसेफ़ भाई नयी कहानी शुरू करने के लिये आपका बहुत धन्यवाद
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