काल – सर्प

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rajababu
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Re: काल – सर्प

Post by rajababu »

एक दम मस्त और शानदार अपडेट है भाई
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा


(^@@^-1rs2) (^@@^-1rs7) (^^^-1$i7)
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naik
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Re: काल – सर्प

Post by naik »

(^^^-1$i7) (#%j&((7) (^@@^-1rs7)
fantastic update brother keep posting
waiting for the next update 😪
josef
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Re: काल – सर्प

Post by josef »

12.......


रात के 10.45 हो रहे थे हम सभी खाना खा कर अभी बस फ्री ही हुए थे कि हॉल मै पड़ा लैंडलाइन घनघना उठा....

चाची फोन उठाने के लिए डायनिंग टेबल से उठने ही वाली थी कि मम्मी ने ये कहते हुए उन्हें रोक दिया....

"" प्रीति बच्चो को आइस क्रीम खीला दे ,में देखती हूं फोन किसने किया...""

इतना कह कर मम्मी हॉल में चली गई और में भी अपने रूम की तरफ कुछ लाने के लिए बढ़ गया....

"" हैलो...जी बाबा जी प्रणाम....""

मम्मी बाबा जी की आवाज सुनते ही उन्हें पहचान गई, रूम मै दाखिल होते हुए में बस मम्मी के मुंह से बस इतना ही सुन पाया...

"" ये कैसे मुमकिन है बाबा जी...??""

में अपने कुछ डॉक्यूमेंट ढूंढ़ रहा था जैसे पासपोर्ट वगैरह जो मुझे कबर्ड मै जल्दी ही मिल गए....उन्हें लेकर मै रूम से बाहर निकला तो देखा मम्मी अभी भी फोन पे थी लेकिन उनके चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वो बहुत परेशान हैं....

मै कुछ सोच कर वापस मम्मी कि तरफ बढ़ा लेकिन में उन तक पहुंच पाता उस से पहले ही फोन डिस्कनेक्ट हो गया....

"" क्या हुआ...आप इतनी परेशान क्यों दिख रही है...??""

मुझे इस तरह सवाल करते देख मम्मी थोड़ा घबरा गई लेकिन खुद को संभालते हुए उन्होंने मुझ से कहा....

"" बाबा जी का फोन था....आज पूजा के वक़्त जो उन्होंने कहा बस उसी के बारे में मुझे कुछ बेटा रहे थे....चल अब सबके साथ बैठ....प्रीति आइस क्रीम ले अाई है...""

में बिना कुछ बोले उनके पीछे हो लिया और जाकर फिर से डायनिंग टेबल की कुर्सी पर खुद को बैठा लिया....

आराध्या और सलोनी आपस मै बातें कर रहे थे जबकि आरोही अपने टैबलेट पर कुछ सर्च कर रही थी....

चाची ने आइस क्रीम सर्व करी सबको और वो भी मम्मी के पास वाली कुर्सी पर बैठ गई....मैंने अभी आइस क्रीम खाने के लिए स्पून उठाया ही था कि मम्मी बोल पड़ी....

"" प्रीति महाराज को बोलना की हम कुछ दिनों के लिए कल बाहर जा रहे है, और उसके बाद मेरे पास आना तुझ से कुछ जरूरी बात करनी है...""

इतना बोल कर मम्मी चुप हो गई और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए आइसक्रीम खाने के लिए कहा.....

हम सब अब अपने अपने रूम मै दाखिल हो चुके थे सलोनी और आराध्या फिलहाल एक रूम मै ही थे जबकि आरोही अपने रूम मै.....मैंने चाची को मम्मी के रूम की तरफ जाते हुए देखा और अपना दरवाजा बंद करके बिस्तर पर लेट गया....

मम्मी के रूम मै....

"" प्रीति अभी कुछ ही देर पहले बाबा जी का कॉल आया था.....ना जाने उन्हें कैसे पता चला की आराध्या भी हमारे साथ रुकी हुई है....""

अपने हाथ मै पकड़े उस काले पैकेट को एक तरफ रखते हुए सुमन प्रीति से कहती है...

"" उन्होंने कहा है को आराध्या के यहां आ जाने से उस पर भी खतरा हो गया है....""

"" लेकिन आराध्या का इन सब बातों से क्या लेना देना है.....वो तो हमारे परिवार का हिस्सा भी नहीं है जो उस पर किसी तरह का खतरा हो....""
प्रीति ने अपना पक्ष मजबूती से रखते हुए कहा वहीं सुमन से मिला जवाब उसके होश उड़ा देने के लिए काफी थे....

"" बाबा जी ने कहा है कि आराध्या वो भस्म मुझे लगाएगी जो पहले काली लगाने वाला था और जो भस्म मुझे दी गई थी काली को लगाने के लिए वो अब आराध्या लगाएगी काली को और बची हुई आधी भस्म काली आराध्या को लगाएगा....पता नहीं किस विपत्ति मै फस गए है हम लोग.....बाबा जी की कहीं बात पत्थर की लकीर होती है प्रीति.....मैंने जब उनसे पूछा कि आराध्या ही क्यों....उस बेचारी का तो कोई लेना देना ही नहीं है इस परिवार से फिर उस पर खतरा क्यों..??""

सुमन बोलते बोलते अचानक रुक गई और उन्हें इस तरह रुका देख प्रीति ने कहा....


"" आपके सवाल का जवाब मिला भाभी....बाबा जी ने क्या कहा जब आपने उन्हें ये कहा...???""


प्रीति की तरफ देखते हुए सुमन ने कहा....

"" हर राज खुलने का एक सही वक़्त होता है....और वो वक़्त अभी नहीं आया है.....बस इतना ही कहा बाबा जी ने और फोन डिस्कनेक्ट हो गया...""

प्रीति भी अब सुमन कि बगल मै अपना सर पकड़ कर बैठ गई और कहने लगी....

"" कैसे समझाऊं मै आराध्या को.... कैसे बोलू उसको की काली के सामने अपने कपड़े उतार दे या फिर काली के नग्न जिस्म पर वो भस्म लगा दे.....एक मन तो कहता है की ये सब कुछ अंधविश्वास है लेकिन दूसरी तरफ आप सब को देखती हूं तो ऐसा लगता है कहीं ये सब कुछ सच तो नहीं....पहले काली के पापा गुजर गए फिर आरोही ने नींद कि गोलियां खा ली उसके बाद नवीन के साथ जो कुछ भी हुआ वो असंभव ही तो था....हॉस्पिटल कि सीसी टीवी फुटेज मैंने भी देखी थी भाभी....किस तरह नवीन पर वो जुनून सवार हो गया था....हमारे परिवार को किसी की बुरी नजर लग गई है भाभी....में नवीन को तो नहीं बचा सकी लेकिन अब कोई नहीं मरेगा इस घर मै....में बात करती हूं आराध्या से.....उसको ये काम करना ही होगा....""

अपनी बात कह प्रीति फुर्ती से उठी और पास में पड़ा काले रंग का पैकेट उठा लिया जो काली के जिस्म पर लगना था....

वहां से निकल कर प्रिती सीधा सलोनी के रूम की तरफ बढ़ गई जहां आराध्या और सलोनी सोने की तैयारी कर रहे थे....

सलोनी -- चाची आप....क्या हुआ चाची सब ठीक तो है ना....

प्रीति को इस तरह गुस्से से धड़धड़ाते हुए अंदर दाखिल होते देख सलोनी घबरा सी गई....तभी प्रीति ने कुछ कहा....

"" सलोनी तू अभी तक यही है...?? बाबा जी ने वो भस्म दी थी वो आरोही को लगाई या नहीं अभी तक....??""


सलोनी ने कुछ जवाब नहीं दिया बस अपना सर नीचे झुका लिया.....सलोनी को इस तरह से देख प्रीति भड़क उठी....

"" तू चाहती क्या है सलोनी.....तेरे पापा और चाचा की मौत को तू इतना लाईटली कैसे ले सकती है....क्या तू चाहती है भाभी को कुछ हो जाए...??""

प्रीति को इस तरह आग बबूला देख सलोनी घबरा गई जबकि आराध्या बिस्तर छोड़ दीवार के सहारे खड़ी हो कर थरथराने लगी.....

तभी प्रीति ने एक बार फिर से सलोनी को डांटते हुए कहा....

"" तुझे जो करने के लिए कहा गया है वो बहुत आसान है सलोनी.....अगर तुझे पता होता कि तेरी मम्मी मैं और आराध्या क्या करने वाले है तू यहीं बेहोश हो जाती.....अब इस से पहले की में कुछ कर बेठू जा और जा कर वो काम कर जो तुझे और आरोही को बाबा जी ने कहा था....""

प्रीति इस वक़्त गुस्से से सरोबार हो गई थी.....गुस्सा आए भी क्यों नहीं बात उसकी बहन आराध्या की जो थी....प्रीति कैसे समझौता कर लेती की उसकी बहन एक लडके के सामने नंगी हो जाए.....लेकिन फिर भी अपना गुस्सा काफी हद्द तक दबा लिया प्रीति ने....

सलोनी अपने रूम से बाहर निकल चुकी थी और वो पैकेट साथ ले जाना बिल्कुल भी नहीं भूली जो उसे आरोही को लगाना था....


सलोनी के जाते ही प्रीति ने आराध्या से कहा....



"" अारू....मेरे बच्चे बता तू तेरी बहन के लिए क्या कर सकती है....""

दीवार के सहारे खड़ी आराध्या के पैर इस वक़्त कम्पन कर रहे थे लेकिन अपनी बड़ी बहन की प्यार भरी आवाज सुन आराध्या ने कहा....

"" दी क्या हुआ.....आज आप इतना गुस्से मैं क्यों हो.....आप जो बोलोगी मै वो करूंगी लेकिन प्लीज पहले बताओ तो की बात क्या है...""


आराध्या अभी इतना ही बोल पाई थी कि प्रीति बरस पड़ी उस पर....

"" तुझे इतना लाड़ किया मैंने जिसका कोई मोल नहीं....तू एक बार मुझ से पूछती कि प्रीति दीदी आप मेरे लिए क्या कर सकती हो.....जान दे देती में तेरे इक बार कहने भर से या फिर जान ले भी लेती.....लेकिन तूने आज तेरी दी का दिल दुखाया है आराध्या.....जा आज के बाद तू मेरी कोई भी नहीं....""

प्रीति की बात सुनते ही आराध्या की आंखो से आंसुओ कि धारा बह निकली.... उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर ये सब हो क्या रहा है....क्यों उसकी सबसे प्यारी सहेली उसकी बहन उस से इतनी नाराज है कि आज पहली बार अारु की जगह आराध्या नाम उसके मुंह पर आया....वो रोती बिलखती प्रीति के पैरों मै गिर पड़ी और आंसुओं से डूबी आंखो से अपनी प्यारी दी की तरफ देख कर बोली.....


"" दी आप जो कहोगी में करूंगी.... प्लीज आप मुझ से गुस्सा मत रहो.....मम्मी ने कभी मुझे प्यार नहीं किया लेकिन बस पापा के अलावा बस आप ही थी जो मेरी बड़ी बहन से ज्यादा मेरी दोस्त भी थी......आपका दिया हुआ प्यार मै कभी भूल नहीं सकती दी..... प्लीज मुझे बताओ कि मुझ से क्या गलती हो गई....""

दुनिया में सब से ज्यादा जिसे चाहा प्रीति ने वो उसकी बहन आराध्या ही थी, कैसे कहेगी प्रीति अपनी प्यारी बहन को किसी लड़के के सामने नंगी हो जाने के लिए कैसे कहेगी की किसी नग्न युवक के जिस्म पर भस्म भी रमानी है उसे....


फिर मिलते है........
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