ओह माय फ़किंग गॉड
हेल्लो, सब मुझे बिन्नी नाम से पुकारते है. पूरा नाम यहाँ बताने की जरूरत नहीं है. मैंने काफ़ी सारी कहानिया पढ़ी है. अब मुझे लगता है कि मेरी कहानी भी बतानी चाहिए. ज्यादा वक्त नहीं लेते हुए मैं अपने बारे में बताता हूँ. मै 28 साल का नौजवान हूँ. मैं 5"10' लंबा और एक अच्छे चेहरे वाला लड़का हूँ. फिलहाल मैं सॉफ्टवेयर डेवलपर के तौर पर पिछले 3 साल से काम कर रहा हूँ. आपको पता चल गया होगा की मेरी जॉब कितनी बोरिंग होगी. सच में मैं काफी बोर हो गया था. तो बाकया इस गर्मी की है.
होली के बाद में घर आया था. मेरे घर में ऊपर मंजिल का काम चल रहा था. इसलिए में ऑफिस से छुट्टी लेकर कुछ दिनों के लिए घर पर ही रुक गया. काम काफी हद तक हो चूका था. कुछ छुट-पुट काम बचा हुआ था जो धीरे-धीरे चल रहा था. मेरे घर पर रुकने से मेरे परिवार को फुर्सत मिला और सब मिल कर रिश्तेदारों के पास घुमने चले गए. मैं घर में अकेला काफी बोर हो रहा था. बस टीवी और इन्टरनेट से दिन काट रहा था. मकान का काम भी चल रहा था.
हमारे यहाँ सुबह 9 बजे मिस्त्री-मजदूर आ जाते है. दोपहर को 1 बजे खाना खाने चले जाते है. घन्टे भर के आराम के बाद दुबारा काम पे लगते है और शाम को 5 बजे छुट्टी होती है. यहाँ औरतें भी काम करती है. मैं अनमने ढंग से कभी मिस्त्री का काम देखता तो कभी टीवी. इस तरह से दिन कट रहा था. गर्मी की वजह से बाहर भी नहीं जाता था. एक दिन काम कम होने की वजह से सिर्फ एक मिस्त्री, दो मर्द मजदूर और एक औरत मजदूर आये थे. जब मजदूरिन काम कर रही थी, तो उसकी साड़ी का आँचल थोड़ा गिर गया था और ब्लाउज दिख रहा था, जो की हाथ उठाने के समय ऊपर उठ जा रहा था. उस समय उसकी चुचिओं का निचला हिस्सा बाहर आ रहा था. मैं चोर नजरों से यह देख रहा था. एक दो बार देखने के बाद मजदूरिन से मेरी नजर मिल गयी. उसे मेरी चोरी का पता चल गया. उसने साड़ी ठीक की और बिना मेरी तरफ देखे काम करने लगी. मैं घर के अन्दर चला गया.
दोपहर को सब खाना खाने पास के चौक पे चले गए. सिर्फ मजदूरिन नहीं गयी. वह अपना खाना घर से लाती थी और यहीं खाती थी. वोह बाहर बरामदे में खाना खा रही थी और मैं अन्दर टीवी देख रहा था. अचानक वो अन्दर आई और बोली – “बाबु, पीने का पानी मिलेगा?”
मै किचन से पानी का जग ले उसे दिए. वो खड़े होकर जग से पानी पीने लगी. पानी पीते वक्त काफी पानी उसके छाती में गिर गया. पानी पिने के बाद उसने जग मुझे लौटाया और साड़ी व ब्लाउज में गिरा पानी पोंछने लगी. पानी से उसका ब्लाउज चुचियों से चिपक गया था, जिससे उसके खड़े निप्पल दिख रहे थे. यह देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया था. गर्मी में घर में ज्यादातर बनियान और बॉक्सर ही पहनता था. मेरा लंड बॉक्सर में तम्बू बना रहा था और वो इसे देख रही थी. मैं शर्म से बॉक्सर को ठीक करने लगा.
उसने बड़े आराम से पूछा – “बाबु, तुम्हारी शादी हो गयी है?”
मैं कहा – “नहीं”.
तो उसने कहा – “तो इसको कैसे शांत करते हो? हाथ से हिलाते हो?” मैं तो सन्न रह गया. जवाब देते नहीं बन रहा था.
फिर उसने मेरे बॉक्सर पर हाथ फेरते हुए कहा – “चलो, आज मैं हिला देती हूँ.” फिर उसने मुझे धक्के देकर कुर्सी पे बैठा दिया और मेरा बॉक्सर उतरने लगी. निचे मैंने कुछ नहीं पहना था. मेरा लंड उछल कर बाहर आ गया. उसने दोनों हथेलियों पे ढेर सारा थूक लिया और लंड पे मलने लगी. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह सपना है या हकीकत? मैं आंख बंद कर सिसकारी ले रहा था. मजदूरिन ने दोनों हाथे से मेरे लंड को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी. कभी वो मेरे सुपारा को दबाती, तो कभी मेरे गोलियों को. मैं तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था. अचानक उसने अपनी गति बढ़ा दी. मै आँख खोल कर देखा. वो मुझे देखकर मुस्कुरा दी.
10 मिनट के बाद मेरा पूरा शरीर जकड गया. मेरी धड़कन बढ़ गयी और एक तेज झटके के साथ मेरा बांध छुट गया. मेरा सारा का सारा वीर्य उसकी छाती और फ़र्श में जा गिरा. वो अब भी मेरी लिंग हो हिलाए जा रही थी. मेरे लंड से सारा रस निचोड़ने के बाद उसने अपनी साडी ठीक की और बाहर चली गयी. जाते वक्त मुस्कुराते हुए बोली – “बाबु, साफ़ कर लो.”
कुछ देर बाद सारे लोग आ गए. वह भी काम में लग गयी. वह वैसे वर्ताव कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं. शाम को मैंने सारे लोगो का मेहताना दिया. पैसे लेते वक्त वह बोली – “बाबु, मालकिन नहीं है?”
मैंने कहा – “नहीं, माँ रिश्तेदारों के यहाँ गयी है. 2-3 दिनों में आ जाएगी.”
उसने बिल्कुल साधारण भाव से कहा – “ठीक है.” उस रात को मै सो नहीं पाया. हमेशा उसकी चुचिओं का ख्याल आ रहा था और मेरा लंड खड़ा हो रहा था. रात को मैंने बिस्तर पर ही हस्त-मैथुन किया और सो गया.
सुबह बाहर के दरवाजे की घन्टी की आवाज से मेरी नींद खुली. मुझे देर से उठने की आदत है. मैं झुंझला गया की इतनी सुबह कौन परेशान करने आ गया. घड़ी देखा, साढ़े सात बज रहे थे. मैंने दरवाजा खोला. देखा वह मजदूरिन खड़ी है बाहर. मैं तो हैरान हो गया की इतनी जल्दी कैसे आ गयी. सारे मिस्त्री-मजदूर 9 बजे के बाद ही आते है. मेरे दरवाजा खोलते ही वह अन्दर आ गयी. मैंने उसे गौर से देखा. वह आज बिल्कुल साफ़-सुथरी होकर आई थी. साफ़ कपड़े भी पहने थे. थोड़ा श्रृंगार भी की थी. मैंने अंदाजे से उसकी उम्र लगभग 28-30 होगी. छोटा कद, गदराई बदन, सांवला चेहरा, बड़ी आँखे, बड़े लेकिन सुडौल स्तन, सपाट पेट और औसत गांड. कुल मिलाकर औरत के हिसाब से ख़राब नहीं थी.
अन्दर आते वह देखकर मुस्कुराई, मेरे लंड पर हल्की थपकी देके पूछा – “रात को नींद कैसी रही?”
मैंने साधारण ढंग से कहा – “ठीक था.” मैंने पूछा – “इतनी जल्दी काम पे आ गयी? अभी तो कोई भी नहीं आता है.”
उसने एक सेक्सी मुस्कान देते हुए कहा – “बाबु, आप बड़े भोले हो. कुछ काम सबके सामने नहीं किये जाते है.”
जवाब में मैं भी मुस्कुराया.