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Adultery शीतल का समर्पण
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Re: Adultery शीतल का समर्पण
शीतल को भी लगा की सही बात है, इसमें क्या शर्माना और इनसे क्या शर्माना? वो अपनी झेंप मिटाते हुए पैटी ब्रा को वसीम के सामने कर दी और बोली- "नहीं, छिपा नहीं रही थी, बेड था इसलिए बस हटा रही थी..."
वसीम ने पैंटी ब्रा उसके हाथ में ले लिया और शीतल की गर्दन के पीछे हाथ रखकर उसके होंठ चूसने लगा। शीतल गरम तो थी ही, वसीम से चिपक गई। वसीम दसरे हाथ से उसकी चूची मसलने लगा इतने जोर से तो नहीं मसल रहा था फिर भी इतना जोर तो था ही की शीतल को दर्द हो रहा था। वसीम ने होंठ चूसना बंद किया और थोड़ा झुका। वा टाप के ऊपर से चूची मसलते हुए निपल को चूसने लगा। उसकी थूक से टाप भीग रहा था। उसने शीतल को बैड में गिरा दिया और निपल को टाप के ऊपर से चूसने लगा। वसीम चूचियों का कस के मसल रहा था और निपल का भी उंगली से मसलते हुए शीतल को दर्द दे रहा था।
वसीम चैक कर रहा था की उसकी रंडी उसके लिए कितना दर्द सह सकती है? इसी हिसाब से वो अपने प्लान को आगे बढ़ाता। वसीम निपल को चूसता हुआ दाँत काटने लगा। अब शीतल के लिए दर्द बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था फिर भी वो आह्ह... उह्ह ... करती हुई बदन को हिला रही थी और दर्द को सह रही थी।
वसीम खुश हो गया। पहले तो दोनों निपल टाप के ऊपर से पता लग रहे थे लेकिन अब तो साफ-साफ दिख रहे थे। टाप वसीम के थक लगने से ट्रांसपेरेंट हो चका था और निपल साफ-साफ दिख रहें थे। टाप शीतल के बदन से निपल के पास चिपका हुआ था। शीतल सीधी ही लेटी हुई थी बेड पे। वसीम उठकर दोनों निपल को देखने लगा। उसे इस तरह देखता देखकर शीतल शर्मा गई।
वसीम बोला- "अगर तुम्हें ऐतराज ना हो तो क्या मैं इसकी पिक ले सकता हूँ अपने मोबाइल में.."
शीतल वसीम को किसी चीज के लिए मना नहीं करना चाहती थी। वो इतना जानती थी की जब वो वसीम चाचा की मदद करने के लिए अपना जिश्म देने के लिए तैयार है तो वो सब कुछ सहेगी। वो वसीम को सब कुछ करने देगी जो वो चाहेगा। क्योंकी मना करने की स्थिति में हो सकता है की वो रुक जाएंग
शीतल तुरंत बोली. "हाँ बिल्कुल। आप कुछ भी कर सकते हैं वसीम चाचा.."
वसीम खुश होता हुआ बाहर गया और अपना मोबाइल ले आया। उसके मोबाइल में बहुत अच्छा कैमरा तो नहीं था लेकिन फिर भी ठीक ठाक था। रूम में आते ही वो बोला- "तुम घबराओ मत, तुम्हारा चहरा नहीं लूँगा, बस इस निपल की पिक लूगा। मुझे इस तरह बिना ब्रा के ट्रांसपेरेंट कपड़े बहुत पसंद है."
शीतल तुरंत बोली. "कोई बात नहीं है, आप जैसे चाहे वैसे पिक ले सकते हैं। आप चेहरे के साथ भी पिक ले सकते हैं। टाम उतारकर भी आप पिक लीजिए मुझे कोई प्राब्लम नहीं है। मैं बोली थी ना की मैं पूरी तरह आपके लिए हैं, तो आप जो चाहे कर सकते हैं वसीम चाचा। मुझे आप पे भरोसा है.."
वसीम खुश हो गया। चेहरे की तो वो ऐसे भी लेता। अब उसके सब का बाँध टूटने ही वाला था। अब अगर विकास नहीं माना होगा तब भी वो अब इस रंडी को चोदेगा और अपनी कुतिया बनाकर चोदेगा। वसीम निपल
के ऊपर मोबाइल लाया और पिक लेने लगा। वा एक हाथ से पिक लेने लगा और एक हाथ से निपल को उमेठने लगा। फिर उसने एक निपल को टाप से बाहर निकल दिया और पूरी चूची को मसलता हुआ पिक लेने लगा।
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शीतल गरम तो थी ही, ये पल उसे और रोमांचित करने लगा। उसका चेहरा सेक्सी सा हो गया था। वसीम अब उसके चेहरा के साथ चूची को पिक लेने लगा। उसने दोनों चूची को बाहर कर दिया और चेहरे के साथ पिक लेने लगा।
वसीम ने पैंटी ब्रा उसके हाथ में ले लिया और शीतल की गर्दन के पीछे हाथ रखकर उसके होंठ चूसने लगा। शीतल गरम तो थी ही, वसीम से चिपक गई। वसीम दसरे हाथ से उसकी चूची मसलने लगा इतने जोर से तो नहीं मसल रहा था फिर भी इतना जोर तो था ही की शीतल को दर्द हो रहा था। वसीम ने होंठ चूसना बंद किया और थोड़ा झुका। वा टाप के ऊपर से चूची मसलते हुए निपल को चूसने लगा। उसकी थूक से टाप भीग रहा था। उसने शीतल को बैड में गिरा दिया और निपल को टाप के ऊपर से चूसने लगा। वसीम चूचियों का कस के मसल रहा था और निपल का भी उंगली से मसलते हुए शीतल को दर्द दे रहा था।
वसीम चैक कर रहा था की उसकी रंडी उसके लिए कितना दर्द सह सकती है? इसी हिसाब से वो अपने प्लान को आगे बढ़ाता। वसीम निपल को चूसता हुआ दाँत काटने लगा। अब शीतल के लिए दर्द बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था फिर भी वो आह्ह... उह्ह ... करती हुई बदन को हिला रही थी और दर्द को सह रही थी।
वसीम खुश हो गया। पहले तो दोनों निपल टाप के ऊपर से पता लग रहे थे लेकिन अब तो साफ-साफ दिख रहे थे। टाप वसीम के थक लगने से ट्रांसपेरेंट हो चका था और निपल साफ-साफ दिख रहें थे। टाप शीतल के बदन से निपल के पास चिपका हुआ था। शीतल सीधी ही लेटी हुई थी बेड पे। वसीम उठकर दोनों निपल को देखने लगा। उसे इस तरह देखता देखकर शीतल शर्मा गई।
वसीम बोला- "अगर तुम्हें ऐतराज ना हो तो क्या मैं इसकी पिक ले सकता हूँ अपने मोबाइल में.."
शीतल वसीम को किसी चीज के लिए मना नहीं करना चाहती थी। वो इतना जानती थी की जब वो वसीम चाचा की मदद करने के लिए अपना जिश्म देने के लिए तैयार है तो वो सब कुछ सहेगी। वो वसीम को सब कुछ करने देगी जो वो चाहेगा। क्योंकी मना करने की स्थिति में हो सकता है की वो रुक जाएंग
शीतल तुरंत बोली. "हाँ बिल्कुल। आप कुछ भी कर सकते हैं वसीम चाचा.."
वसीम खुश होता हुआ बाहर गया और अपना मोबाइल ले आया। उसके मोबाइल में बहुत अच्छा कैमरा तो नहीं था लेकिन फिर भी ठीक ठाक था। रूम में आते ही वो बोला- "तुम घबराओ मत, तुम्हारा चहरा नहीं लूँगा, बस इस निपल की पिक लूगा। मुझे इस तरह बिना ब्रा के ट्रांसपेरेंट कपड़े बहुत पसंद है."
शीतल तुरंत बोली. "कोई बात नहीं है, आप जैसे चाहे वैसे पिक ले सकते हैं। आप चेहरे के साथ भी पिक ले सकते हैं। टाम उतारकर भी आप पिक लीजिए मुझे कोई प्राब्लम नहीं है। मैं बोली थी ना की मैं पूरी तरह आपके लिए हैं, तो आप जो चाहे कर सकते हैं वसीम चाचा। मुझे आप पे भरोसा है.."
वसीम खुश हो गया। चेहरे की तो वो ऐसे भी लेता। अब उसके सब का बाँध टूटने ही वाला था। अब अगर विकास नहीं माना होगा तब भी वो अब इस रंडी को चोदेगा और अपनी कुतिया बनाकर चोदेगा। वसीम निपल
के ऊपर मोबाइल लाया और पिक लेने लगा। वा एक हाथ से पिक लेने लगा और एक हाथ से निपल को उमेठने लगा। फिर उसने एक निपल को टाप से बाहर निकल दिया और पूरी चूची को मसलता हुआ पिक लेने लगा।
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शीतल गरम तो थी ही, ये पल उसे और रोमांचित करने लगा। उसका चेहरा सेक्सी सा हो गया था। वसीम अब उसके चेहरा के साथ चूची को पिक लेने लगा। उसने दोनों चूची को बाहर कर दिया और चेहरे के साथ पिक लेने लगा।
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: Adultery शीतल का समर्पण
शीतल गरम तो थी ही, ये पल उसे और रोमांचित करने लगा। उसका चेहरा सेक्सी सा हो गया था। वसीम अब उसके चेहरा के साथ चूची को पिक लेने लगा। उसने दोनों चूची को बाहर कर दिया और चेहरे के साथ पिक लेने लगा।
माँग में सिंदूर, माथे पे बिंदी, गले का मंगलसूत्र नंगी चूचियों के बीच में तो कभी निपल में फंसाकर। बड़ी-ड़ी गोल-गोल गोरी सी चचियों के बीच बाउन कलर का छोटा सा सिक्का और उसके बीच उभरे हए निपला इन पिक्स को देखकर ही लोगों के लण्ड टाइट हो जाते। वसीम ने मोबाइल रखा और शीतल की शार्टस को उतार दिया। शीतल की नंगी चिकनी चूत चमक उठी।
वसीम सोचने लगा की- "मादरचोद, ये तो चुदवाने के लिए हमेशा तैयार रहती है.. उसने शीतल के पैर को फैला दिया। शीतल की चूत पूरी तरह गीली थी तो वो शर्मा गई। वो पैर तो फैला ली लेकिन अपनी जांघों को दबाए रखने की कोशिश की, और अपने हाथों को चूत पे रख ली।
वसीम फिर से पिक लेने लगा। नंगी चूत के साथ चेहरे की भी। वसीम में शीतल को टाप उतारने बोला। शीतल पूरी तरह नंगी होकर बैंड के बीच में लेट गई। वसीम उसकी फुल पिक ले रहा था। उसने शीतल को पैर फैलाने का इशारा किया। शीतल शर्म हया छोड़कर पैर फैला दी। वसीम पिक लेता हुआ चूत के नजदीक आता जा रहा था। ज्यादातर पिक में शीतल का चेहरा आ रहा था। वसीम ने एक हाथ से चूत के छेद को फैलाया और उंगली अंदर डाल दिया। वसीम के चूत छूते ही और उंगली अंदर जाते ही शीतल का बदन हिलने लगा। वो एक हाथ से तकियं को पकड़ी और दूसरे हाथ से चूची मसलते हये कमर के ऊपर का जिश्म हिलने लगी।
शीतल चूत की गर्मी से मचल रही थी। वसीम को चूत में उंगली डालते ही एहसास हो गया था की कल भी शीतल बिना चुदे ही रह गई थीं। अभी शीतल फ्री तरह से वसीम के कंट्रोल में थी।
वसीम ने मोबाइल रख दिया और शीतल की चूत को फैलाकर जीभ की नोक से चाटने लगा। उफफ्फ... शीतल पागल होने लगी। वसीम धीरे-धीरे उसकी चूत को चूसने लगा। वसीम की जीभ का कोमल टच शीतल की चूत को पिघला रहा था। शीतल उसके सिर को अपनी चूत पे दबा ली और कमर उठा ली। उसके चूत ने पानी छोड़ दिया। पानी गिरते ही शीतल कमर को बेड पे पटक दी और जोर-जोर से सांस लेने लगी। बीम उस कामरस को पी गया। वसीम अब सीधा खड़ा हुआ और अपने लण्ड को हिलाने लगा।
शीतल अब तक सोच रही थी की आज वसीम उसे चोदने वाला है लेकिन आज फिर उसके सपने चकनाचूर हो गये, कहा- "वसीम चाचा ये क्या कर रहे हैं आप? मुझमें भरोसा कीजिए, चोद लीजिए मझे। मेरी चूत में वीर्य गिराइए प्लीज.. वसीम चाचा खुद को इतना मत तड़पाइए.." कहकर शीतल हड़बड़ा कर उठ बैठी थी, और वो वसीम का हाथ पकड़ ली।
वसीम शीतल की हालत देखकर मन ही मन मुश्कुरा रहा था। खुद को ना तड़पाना रंडी की तुझे ना तड़पाना? वो तो सोच की तेरी चूत का पानी निकाल दिया। मन तो यही था की इसी तरह जलता हुआ छोड़ दूं की तू विकास के आते ही चूत फैलाकर तैयार हो जायें। लेकिन तब पता नहीं त बया करती? कही चूत की गर्मी में पागल होकर काम ही ना खराब कर देती।
वसीम बोला- "अभी नहीं, विकास से कन्फर्म हो जाने के बाद। इतना कुछ इसलिए किया क्योंकी तुमने कसम दी थी अपनी। तुम लोग सच में बहुत महान हो। फरिश्ता हो मेरे लिए। इतना कोई नहीं करेंगा किसी अंजान के लिए। लेकिन इससे ज्यादा आज नहीं.."
शीतल नीचे बैठ गई और बोली- "जैसी आपकी मजी, लेकिन वीर्य तो मुझे निकालने दीजिए, कम से कम ये तो मेरा हक है..." और वो लण्ड चूसने लगी।
वसीम ने मोबाइल उठा लिया और पिक लेने लगा। शीतल अपना चेहरा ऊपर कर ली और लण्ड चूसते हए पिक खिंचबाने लगी। वो जितना मैंह में भर सकती थी भरकर जोर-जोर से चस रही थी। वो थकने लगी तो वसीम लण्ड को हाथ में पकड़कर जोर-जोर से हिलाने लगा। शीतल को लगा की कहीं आज भी वसीम वीर्य को जमीन पे ना गिरा दे। वो अलर्ट हो गई। वो अभी भी पूरी तरह गरम थी।
शीतल अपनी दोनों चूचियों को मसलती हुई बोली- "वसीम चाचा, वीर्य को मेरी माँग में भर दीजिए। आपका वीर्य माँग में भरने पे लगता है की मैं आपकी ही हैं, तब मुझे लगता है की मेरे जिश्म में आपका भी हक है। तब मैं खुद को पूरी तरह आपको समर्पित कर पाती हैं। अपने वीर्य को मेरी माँग में भर दीजिए वसीम चाचा, और मेरे मैंह में गिराइए। कल जब आप मुझे चोदेंगे तो वीर्य को मेरी चूत में भर दीजिएगा..."
वसीम का लण्ड वीर्य छोड़ने लगा। शीतल आँख बंद करके सिर को आगे कर दी और वसीम वीर्य को शीतल के माथे पे माँग में गिराने लगा। वीर्य माँग में भरता हुआ माथे पे बहने लगा। शीतल जो अभी बोली थी वो महसूस करने लगी। वो अपने चेहरे को ऊपर उठाई और मुह खोल दी। वसीम वीर्य को उसके मुह में भरने लगा।
आअहह... इसी टेस्ट की तो दीवानी थी शीतला वसीम ने वीर्य की आखिरी बूंद भी उसके मुँह में गिरा दिया। शीतल की आँखें बंद थी। वसीम क्या हल्का महसूस करेगा, जितना हल्का वो महसूस कर रही थी। वसीम उसकी पिक ले रहा था।
माँग में सिंदूर, माथे पे बिंदी, गले का मंगलसूत्र नंगी चूचियों के बीच में तो कभी निपल में फंसाकर। बड़ी-ड़ी गोल-गोल गोरी सी चचियों के बीच बाउन कलर का छोटा सा सिक्का और उसके बीच उभरे हए निपला इन पिक्स को देखकर ही लोगों के लण्ड टाइट हो जाते। वसीम ने मोबाइल रखा और शीतल की शार्टस को उतार दिया। शीतल की नंगी चिकनी चूत चमक उठी।
वसीम सोचने लगा की- "मादरचोद, ये तो चुदवाने के लिए हमेशा तैयार रहती है.. उसने शीतल के पैर को फैला दिया। शीतल की चूत पूरी तरह गीली थी तो वो शर्मा गई। वो पैर तो फैला ली लेकिन अपनी जांघों को दबाए रखने की कोशिश की, और अपने हाथों को चूत पे रख ली।
वसीम फिर से पिक लेने लगा। नंगी चूत के साथ चेहरे की भी। वसीम में शीतल को टाप उतारने बोला। शीतल पूरी तरह नंगी होकर बैंड के बीच में लेट गई। वसीम उसकी फुल पिक ले रहा था। उसने शीतल को पैर फैलाने का इशारा किया। शीतल शर्म हया छोड़कर पैर फैला दी। वसीम पिक लेता हुआ चूत के नजदीक आता जा रहा था। ज्यादातर पिक में शीतल का चेहरा आ रहा था। वसीम ने एक हाथ से चूत के छेद को फैलाया और उंगली अंदर डाल दिया। वसीम के चूत छूते ही और उंगली अंदर जाते ही शीतल का बदन हिलने लगा। वो एक हाथ से तकियं को पकड़ी और दूसरे हाथ से चूची मसलते हये कमर के ऊपर का जिश्म हिलने लगी।
शीतल चूत की गर्मी से मचल रही थी। वसीम को चूत में उंगली डालते ही एहसास हो गया था की कल भी शीतल बिना चुदे ही रह गई थीं। अभी शीतल फ्री तरह से वसीम के कंट्रोल में थी।
वसीम ने मोबाइल रख दिया और शीतल की चूत को फैलाकर जीभ की नोक से चाटने लगा। उफफ्फ... शीतल पागल होने लगी। वसीम धीरे-धीरे उसकी चूत को चूसने लगा। वसीम की जीभ का कोमल टच शीतल की चूत को पिघला रहा था। शीतल उसके सिर को अपनी चूत पे दबा ली और कमर उठा ली। उसके चूत ने पानी छोड़ दिया। पानी गिरते ही शीतल कमर को बेड पे पटक दी और जोर-जोर से सांस लेने लगी। बीम उस कामरस को पी गया। वसीम अब सीधा खड़ा हुआ और अपने लण्ड को हिलाने लगा।
शीतल अब तक सोच रही थी की आज वसीम उसे चोदने वाला है लेकिन आज फिर उसके सपने चकनाचूर हो गये, कहा- "वसीम चाचा ये क्या कर रहे हैं आप? मुझमें भरोसा कीजिए, चोद लीजिए मझे। मेरी चूत में वीर्य गिराइए प्लीज.. वसीम चाचा खुद को इतना मत तड़पाइए.." कहकर शीतल हड़बड़ा कर उठ बैठी थी, और वो वसीम का हाथ पकड़ ली।
वसीम शीतल की हालत देखकर मन ही मन मुश्कुरा रहा था। खुद को ना तड़पाना रंडी की तुझे ना तड़पाना? वो तो सोच की तेरी चूत का पानी निकाल दिया। मन तो यही था की इसी तरह जलता हुआ छोड़ दूं की तू विकास के आते ही चूत फैलाकर तैयार हो जायें। लेकिन तब पता नहीं त बया करती? कही चूत की गर्मी में पागल होकर काम ही ना खराब कर देती।
वसीम बोला- "अभी नहीं, विकास से कन्फर्म हो जाने के बाद। इतना कुछ इसलिए किया क्योंकी तुमने कसम दी थी अपनी। तुम लोग सच में बहुत महान हो। फरिश्ता हो मेरे लिए। इतना कोई नहीं करेंगा किसी अंजान के लिए। लेकिन इससे ज्यादा आज नहीं.."
शीतल नीचे बैठ गई और बोली- "जैसी आपकी मजी, लेकिन वीर्य तो मुझे निकालने दीजिए, कम से कम ये तो मेरा हक है..." और वो लण्ड चूसने लगी।
वसीम ने मोबाइल उठा लिया और पिक लेने लगा। शीतल अपना चेहरा ऊपर कर ली और लण्ड चूसते हए पिक खिंचबाने लगी। वो जितना मैंह में भर सकती थी भरकर जोर-जोर से चस रही थी। वो थकने लगी तो वसीम लण्ड को हाथ में पकड़कर जोर-जोर से हिलाने लगा। शीतल को लगा की कहीं आज भी वसीम वीर्य को जमीन पे ना गिरा दे। वो अलर्ट हो गई। वो अभी भी पूरी तरह गरम थी।
शीतल अपनी दोनों चूचियों को मसलती हुई बोली- "वसीम चाचा, वीर्य को मेरी माँग में भर दीजिए। आपका वीर्य माँग में भरने पे लगता है की मैं आपकी ही हैं, तब मुझे लगता है की मेरे जिश्म में आपका भी हक है। तब मैं खुद को पूरी तरह आपको समर्पित कर पाती हैं। अपने वीर्य को मेरी माँग में भर दीजिए वसीम चाचा, और मेरे मैंह में गिराइए। कल जब आप मुझे चोदेंगे तो वीर्य को मेरी चूत में भर दीजिएगा..."
वसीम का लण्ड वीर्य छोड़ने लगा। शीतल आँख बंद करके सिर को आगे कर दी और वसीम वीर्य को शीतल के माथे पे माँग में गिराने लगा। वीर्य माँग में भरता हुआ माथे पे बहने लगा। शीतल जो अभी बोली थी वो महसूस करने लगी। वो अपने चेहरे को ऊपर उठाई और मुह खोल दी। वसीम वीर्य को उसके मुह में भरने लगा।
आअहह... इसी टेस्ट की तो दीवानी थी शीतला वसीम ने वीर्य की आखिरी बूंद भी उसके मुँह में गिरा दिया। शीतल की आँखें बंद थी। वसीम क्या हल्का महसूस करेगा, जितना हल्का वो महसूस कर रही थी। वसीम उसकी पिक ले रहा था।
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Re: Adultery शीतल का समर्पण
शीतल की माँग में लाल और सफेद कलर का मिक्स लिक्विड भरा हुआ था, जिसे देखकर कोई भी कह देता की में वीर्य ही है। वीर्य मौंग से बहता हुआ सीधी रेखा में बिंदी को भिगा दिया था, और नीचं आता हुआ आँखों के बगल से होकर गाल पे बह रहा था। वसीम ने शुरू का बीर्य माथे पे गिराया था, जो बहुत ज्यादा था तो वो बहकर शीतल के परे चेहरा में फैल गया था। शीतल की ये पिक सबसे ज्यादा सेक्सी थी। वसीम ने अपने लण्ड के साथ शीतल के बौर्य से भरे चेहरा का पिक भी लिया था। 50 साल के वीर्य से भरी हुई नगी शीतल।
वसीम बाहर आ गया और अपनी लुंगी को पहनकर ऊपर अपने सम चला गया। शीतल उसी तरह बैठी, बहकर आ रहे वीर्य को चाटती हुई जन्नत का सुख भोगती रही।
वसीम ऊपर जाकर अपनी दुकान भी जा चुका था।
शीतल उसी तरह बैठी हुई थी और अपनी उंगली से चहरे पे लगे वीर्य को चाटती हुई साफ करने लगी थी। उसने आँख के पास साफ कर लिया था और अब वो आँखें खोल चुकी थी। वो उठकर आईने के सामने चली गई की वो अभी कितनी हसीन लग रही है। फुल साइज आईने के सामने खड़ी नंगी शीतल खुद को देख रही थी।
अपनी माँग में और बिंदी पे लगे वीर्य को देखकर उसे बहुत मजा आया। वो समझने लगी की वसीम भी उसका पति है और उसके जिस्म पे वसीम का भी पूरा हक है। वो अपने चेहरे पे लगे वीर्य को उंगली से फैलाकर पूरे चेहरा पे लगा ली, जैसे कोई फेसपैक लगाते हैं।
"आहह... वसीम चाचा आप कितने अच्छे हैं। इतना कुछ होने के बाद भी मुझे चोदे नहीं। लेकिन बिना चाहें भी क्या सुख देते हैं आप। उफफ्फ... चूत में जब जीभ सटाए तो लगा की जैसे करेंट मार रहा हो। चूची को और निपल को ऐसे मसले की अभी ही दूध निकल देंगे। थोड़ा और जोर से चूसते तो शायद आज ही दूध निकाल भी देते। क्या खुश्बू है आपके वीर्य की। आज ये इसी तरह मेरे चहरे पें रहेगा। विकास के आने के बाद भी। उसे ये दिखाकर बताऊँगी की आज क्या-क्या हुआ और आप मुझे कैसे चोदेंगे? वसीम चाचा आप मुझे चोदिए। जैसे चाहे चोदिए। रोकिए मत खुद को। मैं आपको किसी चीज में मना नहीं करेंगी। मैं आपकी रंडी हैं। पूरी तरह समर्पित रंडी। आप अगर निपल काटकर खून भी निकाल देंगे तब भी में आपको नहीं रोकंगी। मैं आपका वीर्य अपनी माँग में सिंदूर के साथ भरी हैं वसीम चाचा। आपकी पूरी पत्नी ना सही रंडी या गखेल तो हैं ही अब मैं। क्या हुआ जो आपने मुझे आज नहीं चोदा। कल तो आप चोदिएगा। ओहह... जो आदमी जीभ से ऐसे चोद सकता है पता नहीं लण्ड से कैसे चोदेगा? मझे तो अब चैन ही नहीं पड़ेगा जब तक आपसे चुदवा ना लें..."
.
शीतल इसी तरह नंगी और वीर्य का फेसपैक लगाए रूम से बाहर निकली तो देखी की उसके घर का दरवाजा खुला है। वो चकित हो गई की आज फिर मैं घर में नंगी हैं और मेरे घर का दरवाजा खुला है। ये तो अच्छा है की कोई नहीं आया, नहीं तो पता नहीं क्या होता? ऐसे में अगर मकसूद या उस जैसा कोई कमीना आदमी आ गया तो वसीम चाचा के चोदने से पहले वो चोद जाएगा। वो जाकर दरवाजा बंद कर ली और घर के कामों में लग गई। बो नंगी ही थी और चेहरा में लगा वीर्य का फेसपैक सख गया था।
शीतल बिजी थी जब उसका फोन बजा। विकास का काल था। पहले तो उसने पूछा- "क्यों काल की धी?"
इससे पहले की शीतल कुछ बताती वो बोला- "शाम में मेरा एक साथी अपनी बाइफ के साथ डिनर पे घर आ रहा है। तो अच्छा खाना बना लेना और अच्छे से सज संबर कर तैयार हो जाना...'
शीतल कुछ बाल भी नहीं पाई की विकास ने काल काट दिया।
शीतल का मन उदास हो गया की वीर्य को अब धाना होगा, जो उसकी माँग में है और फेसपैक जैसा लगा है। शीतल पहले घर को साफ करती हुई ठीक से अइजस्ट करने लगी। तभी उसकी नजर सोफा में रखे मोबाइल पे पड़ी। ये तो क्सीम चाचा का मोबाइल हैं। वो यहाँ कैसे छोड़कर चले गये? तभी उसे याद आया की वसीम चाचा ने उसकी पिक्स लिया है। उसका चेहरा शर्म और शरारत से भर गया।
शीतल फोन गैलरी में जाकर पिक्स देखने लगी। अपनी ही चूत और चूची को वो इस तरह कभी नहीं देखी थी। बहुत सारे पिक्स में उसके फेस एक्सप्रेशन ऐसे थे जैसे वो चुदाई के लिए पागल हो रही हो। अपनी ही नंगी पिक देखकर शीतल शर्मा गई। उसकी पिक्स उसे बहुत अच्छी लगी। सच में में उनकी रंडी बन गई हैं। कैसे अपनी ही चूची मसल रही हैं। लण्ड तो ऐसे चूस रही हैं जैसे चाकलेट आइस्क्रीम हो। खासकर माथे और चेहरे पे वीर्य में भरा हा वाला। शीतल 8-10 पिक अपने मोबाइल में ट्रांसफर कर ली।
तभी उनका मोबाइल बज उठा। दुकान लिखा हुआ आ रहा था। शीतल काल रिसीव तो कर ली लेकिन कुछ बोली नहीं। उधर से वसीम की आवाज आई. "हेलो... हेल्लू... हेलो शीतल..."
शीतल तब तक आवाज पहचान चुकी थी, बोली- "हेलो वसीम चाचा.."
वसीम- "हाँ, वसीम बोल रहा है। मेरा मोबाइल वहीं छुट गया है, उसे कुछ करना मत, आफ करके छोड़ दो। मैं रात में आऊँगा तो ले लूँगा..."
अब शीतल की शरारत बढ़ गई। वो वसीम को छेड़ने के अंदाज में बोली- "कुछ करेंगी नहीं, बस इसमें किसी की कुछ पिक्चर है वहीं देख रही हैं..."
वसीम बाहर आ गया और अपनी लुंगी को पहनकर ऊपर अपने सम चला गया। शीतल उसी तरह बैठी, बहकर आ रहे वीर्य को चाटती हुई जन्नत का सुख भोगती रही।
वसीम ऊपर जाकर अपनी दुकान भी जा चुका था।
शीतल उसी तरह बैठी हुई थी और अपनी उंगली से चहरे पे लगे वीर्य को चाटती हुई साफ करने लगी थी। उसने आँख के पास साफ कर लिया था और अब वो आँखें खोल चुकी थी। वो उठकर आईने के सामने चली गई की वो अभी कितनी हसीन लग रही है। फुल साइज आईने के सामने खड़ी नंगी शीतल खुद को देख रही थी।
अपनी माँग में और बिंदी पे लगे वीर्य को देखकर उसे बहुत मजा आया। वो समझने लगी की वसीम भी उसका पति है और उसके जिस्म पे वसीम का भी पूरा हक है। वो अपने चेहरे पे लगे वीर्य को उंगली से फैलाकर पूरे चेहरा पे लगा ली, जैसे कोई फेसपैक लगाते हैं।
"आहह... वसीम चाचा आप कितने अच्छे हैं। इतना कुछ होने के बाद भी मुझे चोदे नहीं। लेकिन बिना चाहें भी क्या सुख देते हैं आप। उफफ्फ... चूत में जब जीभ सटाए तो लगा की जैसे करेंट मार रहा हो। चूची को और निपल को ऐसे मसले की अभी ही दूध निकल देंगे। थोड़ा और जोर से चूसते तो शायद आज ही दूध निकाल भी देते। क्या खुश्बू है आपके वीर्य की। आज ये इसी तरह मेरे चहरे पें रहेगा। विकास के आने के बाद भी। उसे ये दिखाकर बताऊँगी की आज क्या-क्या हुआ और आप मुझे कैसे चोदेंगे? वसीम चाचा आप मुझे चोदिए। जैसे चाहे चोदिए। रोकिए मत खुद को। मैं आपको किसी चीज में मना नहीं करेंगी। मैं आपकी रंडी हैं। पूरी तरह समर्पित रंडी। आप अगर निपल काटकर खून भी निकाल देंगे तब भी में आपको नहीं रोकंगी। मैं आपका वीर्य अपनी माँग में सिंदूर के साथ भरी हैं वसीम चाचा। आपकी पूरी पत्नी ना सही रंडी या गखेल तो हैं ही अब मैं। क्या हुआ जो आपने मुझे आज नहीं चोदा। कल तो आप चोदिएगा। ओहह... जो आदमी जीभ से ऐसे चोद सकता है पता नहीं लण्ड से कैसे चोदेगा? मझे तो अब चैन ही नहीं पड़ेगा जब तक आपसे चुदवा ना लें..."
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शीतल इसी तरह नंगी और वीर्य का फेसपैक लगाए रूम से बाहर निकली तो देखी की उसके घर का दरवाजा खुला है। वो चकित हो गई की आज फिर मैं घर में नंगी हैं और मेरे घर का दरवाजा खुला है। ये तो अच्छा है की कोई नहीं आया, नहीं तो पता नहीं क्या होता? ऐसे में अगर मकसूद या उस जैसा कोई कमीना आदमी आ गया तो वसीम चाचा के चोदने से पहले वो चोद जाएगा। वो जाकर दरवाजा बंद कर ली और घर के कामों में लग गई। बो नंगी ही थी और चेहरा में लगा वीर्य का फेसपैक सख गया था।
शीतल बिजी थी जब उसका फोन बजा। विकास का काल था। पहले तो उसने पूछा- "क्यों काल की धी?"
इससे पहले की शीतल कुछ बताती वो बोला- "शाम में मेरा एक साथी अपनी बाइफ के साथ डिनर पे घर आ रहा है। तो अच्छा खाना बना लेना और अच्छे से सज संबर कर तैयार हो जाना...'
शीतल कुछ बाल भी नहीं पाई की विकास ने काल काट दिया।
शीतल का मन उदास हो गया की वीर्य को अब धाना होगा, जो उसकी माँग में है और फेसपैक जैसा लगा है। शीतल पहले घर को साफ करती हुई ठीक से अइजस्ट करने लगी। तभी उसकी नजर सोफा में रखे मोबाइल पे पड़ी। ये तो क्सीम चाचा का मोबाइल हैं। वो यहाँ कैसे छोड़कर चले गये? तभी उसे याद आया की वसीम चाचा ने उसकी पिक्स लिया है। उसका चेहरा शर्म और शरारत से भर गया।
शीतल फोन गैलरी में जाकर पिक्स देखने लगी। अपनी ही चूत और चूची को वो इस तरह कभी नहीं देखी थी। बहुत सारे पिक्स में उसके फेस एक्सप्रेशन ऐसे थे जैसे वो चुदाई के लिए पागल हो रही हो। अपनी ही नंगी पिक देखकर शीतल शर्मा गई। उसकी पिक्स उसे बहुत अच्छी लगी। सच में में उनकी रंडी बन गई हैं। कैसे अपनी ही चूची मसल रही हैं। लण्ड तो ऐसे चूस रही हैं जैसे चाकलेट आइस्क्रीम हो। खासकर माथे और चेहरे पे वीर्य में भरा हा वाला। शीतल 8-10 पिक अपने मोबाइल में ट्रांसफर कर ली।
तभी उनका मोबाइल बज उठा। दुकान लिखा हुआ आ रहा था। शीतल काल रिसीव तो कर ली लेकिन कुछ बोली नहीं। उधर से वसीम की आवाज आई. "हेलो... हेल्लू... हेलो शीतल..."
शीतल तब तक आवाज पहचान चुकी थी, बोली- "हेलो वसीम चाचा.."
वसीम- "हाँ, वसीम बोल रहा है। मेरा मोबाइल वहीं छुट गया है, उसे कुछ करना मत, आफ करके छोड़ दो। मैं रात में आऊँगा तो ले लूँगा..."
अब शीतल की शरारत बढ़ गई। वो वसीम को छेड़ने के अंदाज में बोली- "कुछ करेंगी नहीं, बस इसमें किसी की कुछ पिक्चर है वहीं देख रही हैं..."
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: Adultery शीतल का समर्पण
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