Adultery शीतल का समर्पण

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Adultery शीतल का समर्पण

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शीतल का समर्पण

पात्र (किरदार) परिचय

01. विकास- शीतल का पति, उम 25 साल, बैंक मैनेजर, तीन महीने पहले शादी,

02. शीतल- विकास की पत्नी, उम 23 साल, फिगर 32-26-34 का, कमसिन काया

03. संजना- शीतल की बहन, उम्र 20 साल, कद 5'5", फिगर 32-24-32 की, कुँवारी, बेहद हसीन,

04 वसीम- उम 50 साल, मकान मालिक,

05. मकसूद- उम्र 50 साल, क़द 5'5" इंच, विकास के बैंक में चपरासी, बहुत ही बदसूरत,

06. असलम- वसीम और मकसूद से उम में बड़ा,

07. दीप्ति- शीतल की सहपाठी दोस्त, उम 23 साल, बहुत खूबसूरत,

08. गायत्री- विकास की मौं, बहुत खूबसूरत,

09. विनीता विकास की बहन, उम 23 साल, फीगर 36-26-36 की, हँसमुख, खुले विचार, गदराया बदन,

10. आमिर- रिक्शावाला,

11. ताहिर- मुहल्ले का गुन्डा, हट्टा-कट्टा,

नमस्कार दोस्तों, मैं एक बार फिर से आपका स्वागत करता हूँ और पेश करता हूँ आप लोगों की मनपसंद कहानी "शीतल का समर्पण" इस कहानी को यहाँ आप लोगों के लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है और उनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है और अगर ऐसा कुछ होता है तो यह मात्र एक संयोग हो सकता है। इस कहानी का उद्देश्य सिर्फ लोगों का मनोरंजन करना है और किसी भी धर्म, जाती, भाषा, समुदाय का अपमान करना नहीं। इस कहानी के कुछ हम आपको विचलित कर सकते हैं, पाठकगण कृपया अपने विवेक में निर्णय लें। यह कहानी मात्र बयस्कों के लिए लिखी गई है, इसलिए 18 वर्ष से अधिक की उम होने पर ही आप इस कहानी को पढ़ें।

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कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: शीतल का समर्पण

Post by 007 »

शीतल ने अपनी पैटी और ब्रा से वसीम का वीर्य सूँघा और चाटा ये कहानी है शीतल की। शीतल के समर्पण की। मात्र 23 साल की शीतल अपनी कमसिन काया से किसी भी मर्द के जिम में उबाल ला सकती थी। अमीर और बड़े घर में पली बढ़ी शीतल की नई-नई शादी हुई थी। अभी वो मात्र 23 साल की थी और अपने जवान जिस्म और मन में ढेरों अरमान लिए वो अपने पति के घर आई थी।

उसका पति विकास भी एक बैंक में काम करता था। शीतल बेहद खूबसूरत और मासूम चेहरे वाली लड़की थी जिसका कमसिन जिश्म कातिल अंदाज का था। 32-26-34 के फिगर के साथ वो किसी का भी मदमस्त कर सकती थी। शीतल एक बेहद ही शरीफ लड़की थी और यकीन मानिए की उसका कभी किसी के साथ कोई चक्कर नहीं रहा। बचपन से वो लड़कों को अपनी तरफ आकर्षित होता देखती आई है और इसे बहुत ही सलीके से वा इग्नोर करती आई है।

शीपल ऐसे साफ महाल में पली बदी, जहाँ लोगों की मदद करना, शिष्टाचार से रहना सीखी थी। शीतल की शादी के अभी तीन महीने ही हुए थे की उसके पति का ट्रांसफर एक दूसरे शहर में हो गया। शीतल अपने जिंदगी में पूरी तरह खुश थी और उसे अपने जीवन में कोई समस्या नहीं थी। ये तीन महीने बड़े ही मजे से गुजरे थे शीतल के। पति के साथ एक शानदार हनीमून मनाकर लौटी थी शीतल। एक लड़की को जो जो चाहिए था सब मिला था उसे। बिकास हैंडसम था और बहुत केयरिंग था। वो भी शीतल जैसी हसीन बीवी पाकर बहुत खुश था और दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे।

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विकास नये शहर में जोयिन तो कर चुका था, लेकिन सही घर ना मिल पाने की वजह से वो शीतल को अपने साथ नहीं ला पाया था। दोनों के दिन और रात बड़ी बैचैनी से कर रहे थे। किसी तरह विकास ने एक सप्ताह गजारा और एक घर किराये में ले लिया। हड़बड़ी में विकास को कोई घर मिल नहीं रहा था तो उसके बैंक के चपरासी मकसूद ने उसे एक घर बताया जिसे विकास ने आनन-फानन में देखकर पसंद भी कर लिया और एडवांस देकर किराये में ले लिया।

विकास ने जो घर किराये में लिया था बा एक मुस्लिम का घर था। एक 50 साल का मुस्लिम मर्द वसीम खान जो अकेला रहता था। उसका घर बहुत बड़ा सा था और उसने विकास को अपने घर का पूरा ग्राउंड फ्लोर किराये में दे दिया था। ऊपर आधे छत पे दो बेडरूम हाल किचेन था जिसमें वसीम खुद अकेला रहता था। बाकी आधी छत खाली थी। सीढ़ी से चढ़ते ही लेफ्ट साइड में एक छोटा सा रूम था जिसमें बस कचरा भरा हुआ था। उसके बाद खाली जगह थी जहाँ कपड़े सुखाने की जगह थी और उसके बाद वसीम का रूम था।


पूरे छत पे 4' फुट की बाउंड्री की हुई थी। नीचे का पूरा ग्राउंड फ्लोर विकास और शीतल को मिल गया था। 4 बेडरूम, बड़ा सा डाइनिंग हाल, किचेन सब मिल गया था विकास को और बो भी बहुत कम किराये पे।

शीतल भी विकास के साथ नये शहर और नये घर में शिफ्ट हो गई। शीतल बहुत खुश थी। उसके सास, ससुर, ननद विनीता और मम्मी, पापा और बहन संजना भी यहाँ आकर कुछ दिन रहकर गये। सबको घर बहुत अच्छा लगा लेकिन सबको एक ही प्राब्लम थी की ये मुस्लिम का घर है, लेकिन विकास सबको समझा लिया था।
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Re: शीतल का समर्पण

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शीतल बेहद हसीन थी और अनिर और खुले विचारों के घर के होने की वजह से उसके कपड़े भी माडर्न टाइप के होते थे। हालाँकी वो ट्रेडीशनल और आधुनिक इंडियन कपड़े ही पहनती थी। लेकिन फिर भी उनमें थोड़ा खुलापन होता था। उसके लिए तो ये सब नार्मल बात थी, लेकिन लोगों को तो वो अप्सरा, परी, हूर नजर आती थी। नई नई शादी होने की वजह से उसका जिस्म और खिल गया था और फूल मेकप और ज्वेलरी वैसे ही आग लगा देता था।

दो-तीन महीने होते-होते शीतल की खूबसूरती की चर्चा पूरे महल्ले में होने लगी। शीतल जब भी घर से बाहर निकलती तो वो भीड़ में भी चमक जाती थी। लेकिन शीतल इन सब बातों से बेखबर रहती थी और मजे से अपनी जिंदगी जी रही थी।

विकास भी ऐसी खूबसूरत बीबी पाकर बहुत खुश था। हालाँकि विकास ने उससे कहा था की जब तुम मार्केट जाती हो तो सब तुम्हें ही घूरते रहते हैं तो शीतल का जवाब था की ये तो बचपन से हो रहा है मेरे साथ। इसमें मैं क्या कर सकती हूँ? विकास का मन हआ की उसे बाले की ऐसे कपड़े यहाँ मत पहनो, लेकिन कहीं उसपे मीन माइंडेड होने का ठप्पा ना लग जाए इस डर से वो कुछ बोल नहीं पाया।

वसीम खान यहाँ अकेला रहता था। उसके घर में कोई नहीं था। उसकी बीवी और बच्चे की एक आक्सिडेंट में मौत हो चुकी थी। उसकी एक जूते की दुकान थी और वो सुबह 9:00 बजे अपनी दुकान पे चला जाता था और दोपहर में एक बजे आता था। दो घंटे तक वो आराम करता और फिर 3:00 बजे चला जाता था। फिर वो रात में 8:00 बजे आता था। उसका रोज का यही नियम था। ।

विकास भी सुबह 9:00 बजे बैंक चला जाता था और फिर सीधे शाम में 6:00 बजे घर आता था। दोनों की जिंदगी बड़े प्यार और मजे से कट रही थी। दोनों फिर से एक सप्ताह के लिए बाहर से घूम आए थे। विकास और शीतल दोनों में से कोई भी अभी बच्चा नहीं चाहता था, इसलिए शीतल 6 महीने से प्रेगनेंसी रोकने वाली गाली खाती थी। दोनों की मर्जी अभी खूब मस्ती करने की थी। शीतल को यहाँ आए तीन महीने हो चुके थे और उन लोगों के जीवन का सफर मजे से काट रहा था।

शीतल अपने कपड़े को छत पे सूखने देती थी। वसीम खान जिस माले में रहता था उसके सामने आधा छत खाली थी और कपड़े सूखने के लिए वही जगह थी। आज जब शीतल अपने कपड़े लेकर अपने रूम में आई और उसे समंटने लगी तो उसे अपनी पैंटी कुछ गंदी सी लगी। उसे कुछ खास समझ में नहीं आया। शीतल ने इग्नोर कर दिया। उसे लगा की शायद ठीक से साफ नहीं हआ होगा।


अगले दिन भी यही हआ की उसकी पैंटी चूत के पास वाले हिस्से में काफी गंदी जैसी हो गई थी। जब उसने गौर से अपनी पैटी को देखा तो उसे लगा की कोई लिक्विड जैसी चीज पेंटी में गिरी है जो सूखकर इतना टाइट हो ईहै। इधर वा विकास के साथ सेक्स भी नहीं की थी तो फिर ये क्या है? उसे कुछ समझ में नहीं आया। शीतल की पैंटी भी मैंहगी और डिजाइनर थी। अगले दिन नहाने के बाद पॅटी को अच्छे से साफ करके सूखने दी। अगले दिन उसकी पैंटी तो ठीक थी लौकन उसकी ब्रा टाइट जैसी थी। शीतल को समझ में नहीं आ रहा था की हो क्या रहा है?

आज शीतल जा डिजाइनर पैंटी ब्रा पहनी थी वो बिल्कुल नई और फुलली ट्रांसपेरेंट थी। अगले दिन जब शीतल छत से कपड़े उतारने गई तो उसकी गुलाबी ट्रांसपेरेंट पैंटी चूत के एरिया में पूरी तरह से टाइट थी। शीतल जब गौर से देखी तो उसे किसी लिक्विड का दाग उसमें नजर आया। नई पैटी जिसे वो अच्छे से धोई थी, दाग होने का सवाल ही नहीं था।

शीतल उसे अच्छे से छूकर देखने लगी और फिर अपनी नाक के पास ले गई। एक अजीब सी गंध थी जो शीतल को बहुत अच्छी लगी। शीतल फिर से उसे सूंघने लगी, और पूरी तरह से उस गध को अपने सीने में भरने लगी। दो-चार बार सूंघने पर भी उसका मन नहीं भरा तो वा फिर अपनी पेंटी को चाटकर भी देखी। उसे बहुत अच्छा लगा लेकिन वो कुछ समझ नहीं पाई। शीतल के दिमाग में बस वही खुश्बू और वही टेस्ट बसी थी।

अगले दिन शीतल थोड़ा जल्दी कपड़े को छत से ले आई और नीचें लाते ही वो अपनी पैंटी देखने लगी। देखी तो पैटी कछ-कुछ गीली ही थी। आज भी उसमें लिक्विड गिरा हुआ था जो अभी पूरी तरह सूखा नहीं था। शीतल अपनी पैंटी को सूंघने लगी और आज उसे कल से भी ज्यादा अच्छा लगा। सूंघते-सूंघते ही उस अजीब सा नशा जैसा छाने लगा और वो अपनी पैटी पे लगे लिक्विड को चाटने लगी।
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Re: शीतल का समर्पण

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शीतल का बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन ये नहीं समझ में आया की ये आखिर है क्या? ना तो वो कभी अपने पति का लण्ड चूसी थी, और न ही विकास में कभी उसे ऐसा कहा था। विकास भी शीतल की चूत को कभी चाटा नहीं था। शीतल अभी तक कभी ठीक से पार्न भी नहीं देखी थी। दो-चार बार उसकी सहेलियों ने उसे दिखाया था, लेकिन थोड़ा सा देखकर वो मना कर देती थी और कहती थी की- "छीः तुम लोग ये क्या गंदी चीज देख रही हो?"

शीतल के मन में उस खुश्बू के टेस्ट की याद बस चुकी थी। वो पैंटी ब्रा को सुबह भी सूंघ कर देखी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। शीतल अब बस शाम का इंतजार कर रही थी ताकी वो फिर से उस खुश्बू को अपने सीने में ले सके।

अगले दिन शीतल थोड़ा और जल्दी कपड़े को छत से ले आई। उसकी पैंटी पूरी तरह गीली थी और उसपे गाढ़ा सफेद लिक्विड लगा हुआ था, जिसे देखकर उसका दिमाग सन्न रह गया की ये तो वीर्य है किसी का। उसकी शादी को 6 महीने हो चुके थे और वो अब वीर्य के कलर को तो जानती ही थी। पहले तो उसका मन घृणा से भर गया और उसे गुस्सा भी बहुत आया की कौन है वो कमीना गंदा इंसान जो इस तरह की नीच हरकत कर रहा है? लेकिन इसकी खुशबू उसे बहुत अच्छी लगी थी तो वो वीर्य को फिर से सूंघने लगी और फिर मदहोश होकर उसे अपनी जीभ से भी सटा ली। फिर वो तुरंत ही अपनी जीभ हटा ली, लेकिन अब उसपे अजीब सा खुमार चढ़ चुका था, तो वो उसे धीरे-धीरे सूंघते हुए पूरी तरह चाटकर साफ कर ली। उसे पहले भी बहुत मजा आया था, लेकिन आज ये सोचकर उसकी चूत गीली हो गई की वो किसी अंजान आदमी का वीर्य सूंघ और चाट रही है जो उसने अपने पति के साथ भी नहीं किया है।

शीतल के दिमाग में यही सब चलता रहा।

शीतल ने आज बैड पहली दफा पहल की और विकास से अपनी चुदाई करवाई। लेकिन आज पहली बार उसे लगा की जितना मजा आना चाहिए था वो नहीं आया। उसे लगा की बिकास को और अंदर तक डालना चाहिए था। उसे लगा की विकास को और देर तक उसकी चूत को चोदना चाहिए था। लेकिन वो कह ना सकी और करवट बदलकर उस बीर्य की खुश्बू को याद करती सो गई।

अगले दिन सनडे था और विकास घर पे ही था और वसीम चाचा कहीं बाहर गये हुए थे। आज शीतल जब अपने कपड़े लेकर आई तो उसकी पैटी ऐसे ही रह गई थी और शीतल प्यासी ही रह गई आज उस खुश्बू के लिए। उसका मूड आफ हो गया।

विकास ने पूछा भी- "क्यों, क्या हआ अचानक उदास हो गई?"

लेकिन शीतल कुछ जवाब नहीं दी। रात में शीतल फिर से चुदवाना चाहती थी, क्योंकी कल उसकी प्यास बुझी नहीं थी। लेकिन अपने संस्कारों और शर्मो -हया की बजह से वो बिकास के सामने इजहार नहीं कर पाईं। विकास अपनी प्यासी बीबी को मैं ही छोड़कर सो चुका था।

अब शीतल उस खुश्बू और टेस्ट के लिए पागल होने लगी थी। आज शीतल दोपहर में छत पे जाकर सीढ़ी के बगल में बने स्टोरम में जाकर छिप गई और देखने लगी की क्या होता है। कौन है जो अपना वीर्य मेरी पैंटी में गिरा कर चला जाता है?

थोड़ी देर में एक बजते ही वसीम खान अपने घर आया और अपने रूम में चला गया। अपने रूम में जाते वक़्त उसने शीतल की पैटी बा को देखा जा आज शीतल ज्यादा अच्छे से फैलाकर टांगी थी। शीतल के दिमाग में अभी तक वसीम खान का ख्याल नहीं आया था की ये ऐसा कर रहा होगा।
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Re: शीतल का समर्पण

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