Incest क्या.......ये गलत है? complete

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Re: Incest क्या.......ये गलत है?

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Dhansu update bhai Bahut hi Shandar aur lajawab ekdum jhakaas mind-blowing.

Keep going

We will wait for next update
(^^^-1$i7)
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Rakeshsingh1999
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Re: Incest क्या.......ये गलत है?

Post by Rakeshsingh1999 »

दरवाज़े पर दस्तक हुई, जय ने पूछा," कौन है??
उधर से आवाज़ आई," सर, रूम सर्विस, योर डिनर।"
कविता ने खुद को सफेद चादर से ढक लिया। और हड़बड़ाते हुए उठकर जल्दबाजी में बाथरूम में घुस गई। वो बाथरूम में घुसी तो, दरवाज़े की ओर ही देख रही थी। तभी उसे लगा कि उसके पैरों को किसीने पकड़ लिया। उसने झटके से नीचे देखा तो ममता उसके पैरों में गिरकर रो रही थी। कविता ने आश्चर्य से उसकी ओर देखा फिर उसे उठाने की कोशिश की पर वो उसके पैर नहीं छोड़ रही थी।
कविता- माँ, ये क्या कर रही हो तुम? चलो उठो ना।
ममता- नहीं, दीदी हम आपके चरण की धूल के बराबर हैं। जो पाप हम किये हैं, उसके लिए माफी माँगना चाहते हैं।
कविता- क्या किया तुमने माँ? कौनसा पाप, कैसी माफी?
ममता- दीदी, कोई भी औरत अपने हनीमून पर अपनी सौतन को नहीं ले जाती। ये हनीमून तो आप दोनों का था पर हम बीच में आ गए। आपका हक़ पहले बनता है, जय पर। आप अपना हनीमून भी सौतन के साथ मना रही है। और हम बेशर्म चले भी आये, ये भी नहीं सोचा कि हम सौतन होने से पहले तुमदोनों की माँ भी है। अपने बच्चों के बीच, हम भी किसी बच्चे की तरह चले आये। यहां तो तुमदोनों का हक़ है।
कविता- माँ, हमारे पैर छोड़ो, हमको तुम्हारा पैर छूना चाहिए। और उल्टा तुम हमारा पैर छू रही हो। तुम हमसे बड़ी हो, और ये क्या आप आप बोल रही हो....उठो ना प्लीज...
ममता- नहीं, हम आपके माँ जरूर हैं, आपसे उम्र में बड़े हैं, पर आप हमसे बहुत बड़ी हैं सोच से। हमको माफ करेंगी की नहीं। तभी हम पैर छोड़ेंगे।
कविता- माँ, उफ्फ्फ अच्छा ठीक है, माफ कर देंगे पहले हमारी बात तो सुनो।
ममता- नहीं, पहले माफ करो।
कविता- अच्छा, ठीक है । उठो
ममता के कंधे पकड़के उसने उसको उठाया और फिर उसके आंसू पोछने लगी। फिर उसकी ओर देखा कविता बोली," ये बताओ, तुम जय की बीवी हो और हम भी उसकी पत्नी हैं। उसने तो हमदोनों को अपनी जीवनसंगिनी बनाया है। हम दोनों को ही उसका खुशी का ध्यान रखना है। हम दोनों पर उसका समान अधिकार है। और जितना अधिकार हमारा उसपर है, उतना ही तुम्हारा भी है। वो भले ही हम दोनों को अभी भी माँ और बहन माने,पर हमको तो अब उसकी पत्नी बनकर रहना है। ये बात सच है कि उसने हमसे पहले शादी की पर, उसने तुम्हारे साथ भी सात फेरे ही लिए, और मांग में वही लाल सिंदूर डाला, और गले में वैसे ही मंगलसूत्र डाला। अब ये कौन तय करेगा, कि उसपर हममें से किसका अधिकार पहले या ज्यादा है?
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Rakeshsingh1999
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Re: Incest क्या.......ये गलत है?

Post by Rakeshsingh1999 »

ममता- तुम्हारा अधिकार पहला है, और ज़्यादा भी। आखिर तुम राज़ी नहीं होती, तो हमदोनो की शादी कैसे हो पाती?
कविता- शादी तो तुम दोनों कर चुके थे, खजुराहो में। और रहा बात राज़ी होने का, तो जय के साथ हमारी शादी की मंजूरी तूम ही दी थी। तो दोनों बराबर हैं।
ममता- पर......
कविता- पर.....वर..... कुछ नहीं। आजसे हमारा हमदोनों के पति के साथ हनीमून है। और हनीमून में पति को इंतज़ार नहीं कराते। चलो ना मज़ा करना है।" बोलकर वो जैसे ही ममता का हाथ पकड़ बाहर निकलने को हुई, तो देखा सामने, जय था। वो जय को देख मुस्कुराई और बोली," चलो खाना खाते हैं।" उसने दोनों की ओर देखा, और बोला," दोनों बाथरूम में क्या बातें कर रही थी? सब ठीक है ना।
कविता- आपकी दूसरी पत्नी, हमारी माँ को लगता है कि वो हमदोनों के बीच कबाब में हड्डी हैं, इस हनीमून पर। अब आप समझाइए इनको।"
जय- माँ ये क्या सोच रही हो तुम? तुमदोनों अब हमारे जीवन के हर हिस्से की बराबर की हक़दार हो। तुमको ये सब सोचना बंद कर देना चाहिए। तुम दोनों को अंतिम साँस तक...."



ममता और कविता दोनों ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया, और एक साथ बोली," क्या अनाप शनाप बोलते हैं, आपको हमारी उम्र लग जाये।" जय ने उनका हाथ हटाकर, उन दोनों को अपने गले से लगा लिया। दोनों के माथे को चूम लिया और उसके होंठ बुदबुदाए," भारतीय नारी" फिर मुस्कुराने लगा।
ममता और कविता ने बदले में उसके दोनों गालों को चूम लिया। जय बोला," खाना आ गया है। लेकिन उसके पहले हमको नहाना है। क्या तुम दोनों हमको नहलाना चाहोगी? हम बहुत थक चुके हैं।"
ममता बोली," आइए हुज़ूर हम दोनों मिलके अपने स्वामी को खूब मज़े से नहलायेंगी। क्यों कविता ?
कविता,"इसमें तो बहुत मज़ा आएगा। अपने पति का, भाई का हर अंग हम खुद अपने हाथों से साफ करेंगे। चलिए ना जल्दी से अंदर।
दोनों जय की बांह पकड़ अंदर ले गयी। अंदर टब में पानी भरा हुआ था। कविता ने जय का तौलिया निकाल दिया। उसको फिर टब में उतारने के लिए दोनों माँ बेटी ने अपने कंधे झुकाए। जय उनके कंधों पर हाथ रखके, आराम से टब में उतर गया। वो लेटने ही वाला था कि, कविता ने उसे रोक दिया। फिर ममता और कविता भी टब में उतर आई। ममता और कविता दोनों किनारों पर थी। फिर दोनों ने बेशर्मों की तरह हंसते हुए अपने बदन से कपड़े उतार फेंक दिए। जय दोनों की ओर बारी बारी से देख रहा था। दोनों ने बाल खोल दिये। दोनों अपने अपने किनारों पर खड़ी अपने नंगे बदन की कामुक नुमाइश में लगी थी।
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