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मेरे हाथ मेरे हथियार /अमित ख़ान

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Masoom
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मेरे हाथ मेरे हथियार /अमित ख़ान

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मेरे हथियार मेरे हाथ

“ह म इस समय बयालीस डिग्री पर बर्मा के खौफनाक जंगलों की तरफ उड़ान भर रहे हैं चीफ !”

“गुड ! तुम बिल्कुल सही दिशा में आगे बढ़ रहे हो करण !” गंगाधर महन्त गरमजोशी के साथ बोले- “पांच मिनट बाद तुमने उत्तर पश्चिमी दिशा में ही पैंतालीस डिग्री पर आगे बढ़ना है ।”


“ओके !”

“याद रहे, यह तुम्हारी जिंदगी का सबसे खतरनाक मिशन है करण ! इस मिशन में तुम्हारी जिंदगी दांव पर लगी है ।”


“मैं जानता हूँ चीफ ।” कमाण्डर कमाण्डर करण सक्सेना कॉकपिट में पायलेट के बराबर वाली सीट पर ही बैठा था ।”


“वह बारह योद्धा है ।” गंगाधर महन्त पुनः बोले- “बारह बहुत खतरनाक योद्धा-जिनसे तुम्हारी मुठभेड़ होनी है और जो बर्मा के खौफनाक जंगल में मौजूद हैं ।”

एअर इण्डिया का वह थ्री सीटर विमान बादलों को चीरता हुआ तूफानी स्पीड से उड़ा जा रहा था ।

“यूं तो उन सभी बारह यौद्धाओं के बारे में तुम्हें बताया जा चुका है करण ।” गंगाधर महन्त बोले- “परन्तु फिर भी उन सभी योद्धाओं के बारे में और इस पूरे मिशन के बारे में, मैं तुम्हें छोटी सी जानकारी एक बार फिर दे देना चाहता हूँ ।”

“मैं सुन रहा हूँ चीफ ।”

“दरअसल वह सभी बारह योद्धा अलग-अलग युद्ध-कलाओं के महारथी हैं और बहुत खतरनाक हैं । इसके अलावा वो बारह योद्धा दो ग्रुप में बंटे हुए हैं ।”

“दो ग्रुप !

“हाँ - पहला सपोर्ट ग्रुप ! दूसरा असॉल्ट ग्रुप ।”

कमाण्डर करण सक्सेना ने दोनों ग्रुपों के नाम अपने दिमाग़ में स्थापित कर लिये ।

सपोर्ट ग्रुप !
असाल्ट ग्रुप !

“पहले ‘सपोर्ट ग्रुप’ में भी छः योद्धा हैं और दूसरे ‘असॉल्ट ग्रुप’ में भी छः योद्धा ही हैं । सबसे पहले मैं तुम्हें ‘सपोर्ट ग्रुप’ के छः योद्धाओं के नाम बताता हूँ ।”

फिर गंगाधर महन्त ने ‘सपोर्ट ग्रुप’ के छः योद्धाओं के नाम कमाण्डर करण सक्सेना को बताये ।

मास्टर (हंसिये से क़त्ल करने का शौकीन)

हवाम (पेशेवर हत्यारा)

अबूनिदाल (वह अपनी ‘स्नाइपर राइफल’ से आदमी की गर्दन के एक ऐसे खास प्वॉइंट पर गोली मारता है कि गर्दन कटकर हवा में उछल जाती है)

माइक (दुर्दांत आतंकवादी)

रोनी (समुद्री लुटेरा)

“इन सबके अलावा योद्धाओं की इस टीम का सबसे आखि़री मैम्बर है- जैक क्रेमर !” गंगाधर महन्त बोले ।

“जैक क्रेमर !”

“हाँ, जैक क्रेमर ही इन सबका लीडर है । यही सारे फ़साद की जड़ है ।”

“यानि जैक क्रेमर ने ही दुनिया के इन खतरनाक योद्धाओं को एक साथ बर्मा के जंगल में जमा किया है ?” कमाण्डर करण सक्सेना चौंका ।
“बिल्कुल । जैक क्रेमर ने ही उन सबको जमा किया है । जैक क्रेमर ने ही इस सारे षड्यंत्र की आधारशिला रखी है ।”

“ओह !”

“दरअसल जैक क्रेमर एक अमरीकन है और जहर का विशेषज्ञ होने के साथ-साथ बहुत बुद्धिमान भी है । कभी वो अमरीका में नारकाटिक्स किंग हुआ करता था और सिर्फ अपने दिमाग की बदौलत उसने कई करोड़ डॉलर कमाये । फिर जब उस दौलत से भी उसे संतुष्टि न मिली, तो बर्मा के जंगल में आकर उसने खास षड्यंत्र के तहत इन सब योद्धाओं को जमा कर लिया ।”

“खास षड्यंत्र क्या था ?”

“वहाँ बर्मा के जंगल में ऊपरी तौर पर दिखावे के लिए तो यह तमाम योद्धा नारकाटिक्स का धंधा करते हैं, लेकिन वास्तव में इनका मकसद एक दिन पूरे बर्मा पर काबिज हो जाना है । दरअसल बर्मा में कीमती धातुओं की बड़ी-बड़ी खदानें हैं और यह सब बारह योद्धा एक दिन उन सब खदानों के मालिक बन जाना चाहते हैं । बर्मा सरकार को भी जैक क्रेमर और उसके साथी योद्धाओं के इन नापाक इरादों की जानकारी है । परन्तु वो उनके खिलाफ़ कुछ नहीं कर पा रही है । उन योद्धाओं ने बर्मा के जंगल में अपने पैर बड़ी मजबूती के साथ जमा लिये हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि अमरीकन गवर्नमेंट ने भी इस बारे में हिन्दुस्तान से मदद मांगी थी और इसीलिए अब बर्मा को इन बारह योद्धाओं के ख़ौफ से आजादी दिलाने के लिए तुम्हें भेजा जा रहा है ।”

कमाण्डर शांत था ।
बिल्कुल शांत !
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Re: Hindi novel-मेरे हथियार मेरे हाथ

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ट्रांसमीटर पर गंगाधर महन्त की आवाज लगातार सुनाई दे रही थी ।

“हमारा यह मिशन जहाँ बेहद खतरनाक है करण, वहीं बेहद सीक्रेट भी है ।” गंगाधर महन्त पुनः बड़ी गरमजोशी के साथ बोले- “जिस तरह तुम्हें बर्मा सरकार की मदद के लिए भेजा रहा है, दरअसल यह अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के विरुद्ध है । इससे उस एस्पियानेज कानून का उल्लंघन होता है, जिससे दुनिया के सारे देश बंधे हैं । इसीलिए अगर तुम्हें कुछ हुआ, तो यह बहुत खतरनाक होगा । हम यह भी कबूल नहीं कर सकेंगे कि तुम कमाण्डर करण सक्सेना हो और तुम्हें भारत सरकार ने किसी मुहिम पर बर्मा भेजा था ।”

“मैं सारे हालात अच्छी तरह समझ रहा हूँ चीफ ! और कुछ ?”

“नहीं, बाकी मुझे कुछ नहीं कहना । बाकी तो मैं सिर्फ यही कहूँगा कि अपना ख्याल रखना माई ब्वॉय । कभी-कभी सरकार के कहने पर मुझे कुछ ऐसे फैसले भी लेने पड़ते हैं, जो मैं नहीं लेना चाहता ।”

कमाण्डर करण सक्सेना को उस क्षण गंगाधर महन्त की आवाज साफ-साफ कंपकंपाती महसूस हुई ।
वो रूंधी हुई आवाज़ थी ।

वो जानता था, उसके चीफ उससे कितना प्यार करते हैं । अगर सचमुच उनके बस में होता, तो वह उस जानलेवा मिशन पर उसे कभी न भेजते ।

जबकि कमाण्डर कमाण्डर उस मिशन पर जाते हुए खुद को रोमांचित अनुभव कर रहा था ।

“आप बेफिक्र रहें चीफ ।” कमाण्डर करण सक्सेना की आवाज में विश्वास का पुट था- “मुझे कुछ नहीं होगा । मैं बर्मा के खौफनाक जंगलों में भी जीतकर लौटूंगा । एक बार फिर कमाण्डर करण सक्सेना को कामयाबी हासिल होगी ।”

“काश ऐसा ही हो ! इस समय तुम्हारा हवाई जहाज किस दिशा में उड़ रहा है ?”

“वह उत्तर-पश्चिम में पचास डिग्री अक्षांश पर है ।” कमाण्डर नेवीगेटर की सूइयां देखता हुआ बोला- “हम बस बर्मा के घने जंगलों में पहुँचने ही वाले हैं ।”

“विश यू ऑल द बैस्ट माई ब्वॉय ।”

“थैंक्यू !”
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Re: Hindi novel-मेरे हथियार मेरे हाथ

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कहने की आवश्यकता नहीं, कमाण्डर करण सक्सेना को इस बार सीधे मौत के मुंह में धकेला जा रहा था ।

कमाण्डर, हर बार मौत के पंजे से पंजा लड़ाना जिसका शौक बन चुका है । रॉ (रिसर्च एंड एनलायसिस विंग) का वह जांबाज जासूस, जिसके नाममात्र से ही आज दुनिया के बड़े-बड़े अपराधी और दुश्मन देश के जासूस थर्रा उठते हैं । छः फुट से भी निकलता हुआ क़द । गोरा-चिट्टा रंग । काला लम्बा ओवरकोट और काला गोल क्लेंसी हैट पहनने का शौकीन है ।

एक कोल्ट रिवॉल्वर वह हमेशा अपने ओवरकोट की जेब में रखता है, जबकि दूसरी कोल्ट रिवॉल्वर अपने काले गोल क्लेंसी हैट की ग्लिप में रखता है । हैट की ग्लिप में मौजूद रिवॉल्वर किसी खतरनाक जगह फंसने पर उसके काफी काम आती है । वह अपने दिमाग की मांस-पेशियों को जरा भी हरकत देता है, तो फौरन हैट की ग्लिप में फंसी रिवॉल्वर निकलकर खुद-ब-खुद उसके हाथ में आ जाती है । गोली चलाने से पूर्व वह रिवॉल्वर के साथ ‘जगलरी’ भी करता है । रिवॉल्वर उसकी उंगलियों की गिर्द फिरकनी की तरह घूमती है ।

“कमाण्डर !” हवाई जहाज का पायलेट बड़ी सहानुभूतिपूर्ण नज़रों से कमाण्डर की तरफ देखता हुआ बोला- “क्या आपको ऐसा नहीं लग रहा कि भारत सरकार ने इस बार एक बहुत गलत कदम उठाया है ?”

“क्यों ?”

“आखिर आपको जानबूझकर मौत के एक ऐसे अंधे कुएं में धकेला जा रहा है, जहाँ से आपके जीवित वापस लौटने का कोई चांस नहीं है ।”

कमाण्डर मुस्कराया ।

“मैं मानता हूँ , इस बार मिशन कुछ ज़्यादा खतरनाक है ।” कमाण्डर बोला-“परन्तु मैं इतना नाउम्मीद नहीं हूँ, जो अभी से मरने की बात सोचने लगूं ।”

“लेकिन वो दुनिया के सबसे ज़्यादा खतरनाक बारह योद्धा हैं कमाण्डर !” पायलेट शुष्क स्वर में बोला ।

“वह न सिर्फ खतरनाक बारह योद्धा है बल्कि मैं यह भी जानता हूँ कि वह बर्मा के खौफनाक जंगल में अपनी पूरी फौज के साथ मौजूद हैं ।”

“फिर भी आप नाउम्मीद नहीं है ।”

“हाँ ।”

“जबकि आप वहाँ बिल्कुल अकेले होंगे कमाण्डर !” पायलेट के चेहरे पर हैरानी के भाव पैदा हुए- “आपकी कोई मदद करने वाला भी वहाँ नहीं है । फिर आप इतने खतरनाक योद्धाओं का अकेले मुकाबला कैसे कर पायेंगे ?”

“उनका मुकाबला करने के लिए कुछ न कुछ तो मैं ज़रूर करूँगा ।” कमाण्डर मुस्कुराया- “हो सकता है, बर्मा के जंगल में घुसते ही वह सब ख़ुद-ब-ख़ुद मेरा शिकार बन जायें ।”

“आप शायद मजाक कर रहे हैं कमाण्डर !”

“कभी-कभी मजाक करना भी सेहत के लिए काफी लाभदायक होता है यंगमैन !”

पायलेट के चेहरे पर हैरानी के भाव बढ़ गये ।

उसे महसूस हुआ, कमाण्डर करण सक्सेना सचमुच हाड़-मांस का बना इंसान नहीं है ।

वह फौलाद था ।
फौलाद !

कोई फौलाद ही ऐसे हालात में भी मुस्करा सकता था ।

बर्मा की सीमा अब शुरू हो चुकी थी, नीचे दूर-दूर तक फैले वो ख़तरनाक जंगल नजर आ रहे थे, जो अपनी भयानकता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है ।

“आपसे विदाई का समय आ चुका है कमाण्डर !”

“ठीक कह रहे हो तुम ।”

कमाण्डर फौरन सब-पायलेट वाली सीट छोड़कर खड़ा हो गया और लगभग दौड़ता हुआ कॉकपिट से बाहर निकला ।
उस पूरे थ्री सीटर विमान में उन दोनों के सिवाय कोई न था ।

वह विमान सिर्फ कमाण्डर को ही बर्मा के खौफनाक जंगल में छोड़ने के लिए आया था ।

वहीं एक हैवरसेक बैग (फौजियों का पीठ पर बांधने वाला पिट्ठू) रखा था ।
हैवरसेक बैग- जिसमें कमाण्डर का काफी सारा सामान था ।
कमाण्डर ने फौरन उस हैवरसेक बैग को उठाकर अपनी पीठ पर कस लिया तथा फिर पैराशूट को बाँधना शुरू किया ।
“कमाण्डर, क्या आप मेरी आवाज सुन रहे हैं ?” तभी विमान के एक लाउडस्पीकर पर पायलेट की आवाज उभरी ।
“हाँ , मैं सुन रहा हूँ ।” कमाण्डर ने वहीं दीवार पर लगे एक माइक में कहा ।
“क्या आप नीचे कूदने के लिए तैयार हैं ?”
“यस, आई एम रेडी !” कमाण्डर जल्दी-जल्दी पैराशूट को बांधता हुआ बोला ।
“मे यू ऑलवेज बी लकी कमाण्डर !”
“थैंक्स !”
उसी क्षण उस थ्री सीटर विमान की स्पीड कम होने लगी ।
अब विमान बर्मा के ख़ौफनाक जंगल के चारों तरफ मंडरा रहा था ।
तब तक कमाण्डर ने भी पैराशूट अच्छी तरह कसकर बांध लिया ।
पैराशूट बांधते ही उसने खिड़की खोल दी । तत्काल हवा का एक तेज झोंका उसके शरीर से आकर टकराया ।
हवा बहुत ठण्डी थी ।
वह सुइयों की तरह उसके शरीर में चुभी ।
“गुड बाय कमाण्डर !” पायलेट की आवाज़ लाउडस्पीकर पर फिर उभरी ।
“गुड बॉय ।”
कमाण्डर ने उड़ते हुए विमान से नीचे छलांग लगा दी ।
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Re: Hindi novel-मेरे हथियार मेरे हाथ

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वह किसी भारी-भरकम सामान की तरह बड़ी तेजी के साथ नीचे गिरता चला गया था ।
हवा उसे खदेड़े दे रही थी ।
तभी पैराशूट खुल गया ।
पैराशूट खुलते ही कमाण्डर के शरीर को जोरदार झटका लगा ।
अब पैराशूट की बड़ी छतरी ऊपर की तरफ बन गयी और उसका शरीर नीचे लटक गया ।
उसके गिरने में अब संतुलन आ गया था ।
कमाण्डर करण सक्सेना को एक ही खतरा था, वह किसी पेड़ पर न जा गिरे ।
बहरहाल ऐसा कुछ न हुआ ।
वह धम्म से जंगल की हल्की दलदली जमीन पर जाकर गिरा और फिर पैराशूट बांधे-बांधे काफी दूर तक दौड़ता चला गया ।
वह बिल्कुल सुरक्षित रूप से नीचे उतर आया था ।
सिर्फ घुटने में हल्की खरोंचें आयीं ।
तब रात में दो बज रहे थे और चारों तरफ घोर अंधकार था ।
नीचे उतरते ही उसने सबसे पहले पैराशूट अपने जिस्म से अलग किया । फिर उसके अंदर भरी हवा निकालकर उसका बंडल बनाया और उसके बाद उसमें आग लगा दी ।
पैराशूट धूं-धूं करके जल उठा ।
पलक झपकते ही वो राख हो चुका था ।
“हैलो-हैलो !” दूसरी तरफ से ट्रांसमीटर सैट पर निरंतर गंगाधर महन्त की आवाजें आ रही थीं- “तुम इस वक्त कहाँ हो करण ? क्या तुम सुरक्षित रूप से नीचे उतर चुके हो ?”
सबसे बड़ी बात ये है कि गंगाधर महन्त अब एक ऐसी कोड भाषा में बोल रहे थे, जिसे इस पूरी दुनिया में सिर्फ कमाण्डर करण सक्सेना ही समझ सकता था ।
उस मिशन के लिए खासतौर पर वो कोड भाषा ईजाद की गयी थी ।
“करण, तुम मेरी आवाज सुन रहे हो या नहीं ?” गंगाधर महन्त की ट्रांसमीटर सैट पर पुनः आवाज गूंजी- “तुम सुरक्षित रूप से नीचे उतर चुके हो या नहीं ?”
“यस चीफ !” कमाण्डर करण सक्सेना ने भी बड़े तत्पर अंदाज में उसी कोड भाषा में जवाब दिया- “मैं बिल्कुल सुरक्षित बर्मा के जंगल में पहुँच चुका हूँ और मैं महसूस करता हूँ कि बहुत जल्द मेरा अब दुश्मन से मुकाबला होगा ।”
“ओह !” दूसरी तरफ गहरी खामोशी छा गयी ।
“दुश्मन बेहद ताकतवर है चीफ !” कमाण्डर पुनः बोला- “उसके पास ऐेसे इलैक्ट्रानिक गैजेट भी हो सकते हैं, जो वह ट्रांसमीटर पर होने वाली हमारी इस बातचीत की फ्रीक्वेंसी को कैच कर लें । इसलिये इस पल के बाद हमारे बीच ट्रांसमीटर पर भी कोई बातचीत नहीं होगी ।”
“ओके करण ! लेकिन अगर तुम किसी बड़ी मुश्किल में फंस जाओ, तो मुझे जरूर इन्फार्मेशन देना ।”
“जरुर चीफ !”
“गॉड ब्लैस यू माई सन एण्ड गुड नाइट ।”
“गुड नाइट !”
सम्बन्ध विच्छेद हो गया ।
कमाण्डर ने ट्रांसमीटर का हैडफोन अपने सिर से उतारा और पूरा ट्रांसमीटर सैट अपने ओवरकोट की गुप्त जेब में रख लिया ।
उसने सितारों टंके काले आसमान की तरफ देखा ।
उस थ्री सीटर विमान का अब वहाँ दूर-दूर तक कहीं कुछ पता नहीं था, जो उसे वहाँ छोड़ गया था ।
जंगल में ठण्डी-ठण्डी हवा अभी भी चल रही थी ।
दूर कहीं से किसी सियार के रोने की आवाज आ रही थी, जिसने जंगल के उस वातावरण को और भी ज्यादा खौफनाक बना दिया था ।
सचमुच बर्मा का वह जंगल बड़ा खतरनाक था । दुनिया के सबसे बड़े ‘अनाकोंडा’ अजगर अगर वहाँ थे, तो उन बारह योद्धाओं ने अफ्रीका के माम्बा सांप भी वहाँ लाकर छोड़ रखे थे । लाल चींटियों के तो वहाँ झुंड के झुंड थे और अफ्रीकन गुरिल्लों की भी एक बड़ी प्रजाति उस जंगल में मौजूद थी ।
कमाण्डर को इस बार काफी तैयारियों के साथ उस मिशन पर भेजा गया था ।
उसकी चुस्त पेंट पर दोनों साइडों में स्प्रिंग ब्लेड बंधे थे ।
स्प्रिंग ब्लेड खास तरह के चाकू थे, जिन्हें उस मिशन के लिए स्पेशल तौर पर तैयार किया गया था ।
उन स्प्रिंग ब्लेड के दोनों तरफ तेजधार थीं । उनका फल कोई नौ इंच लम्बा था और उनकी मूठ के पास स्प्रिंग कुछ इस तरह से सैट की गई थी कि जब उन स्प्रिंग ब्लेडों से किसी पर हमला किया जाता, तो उस परिस्थिति में स्प्रिंग ब्लेडों की वेलोसिटी दोगुनी हो जाती और वह दुश्मन के छक्के छुटा डालते ।
इसके अलावा कमाण्डर के हैवरसेक बैंग में भी काफी सारा सामान था ।
जैसे दो कम्बल !
पानी की कैन !
काफी सारी खाद्य सामग्री !
फर्स्ट-एड-बॉक्स !
हैंडग्रेनेड बम !
प्वाइंट अड़तीस कैलीबर की रिवॉल्वर में चलाने के लिए गोलियों के कई पैकिट ।
कुल मिलाकर कमाण्डर करण सक्सेना के पास इतना साज-सामान था, जो वह कई दिन उस खतरनाक जंगल में गुजार सके ।
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उधर !
भारत में समुद्रतट के किनारे बसा शहर मुम्बई !
और मुम्बई में भी एक कई मंजिला ऊंचा रॉ का वह विशालतम हैडक्वार्टर, जहाँ इस समय अफरा-तफरी जैसा माहौल था ।
आधी रात के समय भी पूरे हैडक्वार्टर की लाइटें जली हुई थीं ।
वह फिल्म-रूम था । जहाँ इस समय गंगाधर महन्त और काफी सारे रॉ एजेंट बैठे हुए थे । सामने पैंतीस मिलीमीटर की स्क्रीन जगमगा रही थी । इस वक्त फिल्म रूम में जितने भी व्यक्ति मौजूद थे, सबकी आँखें आश्चर्य और दहशत की वजह से फटी हुई थीं । उस वक्त स्क्रीन पर एअर इण्डिया का वो थ्री सीटर विमान मंडराता हुआ नजर आ रहा था । जो कमाण्डर को छोड़ने बर्मा के जंगल में गया था ।
तभी उस विमान का दरवाजा खुलता हुआ सभी ने देखा और फिर दरवाजे पर पैराशूट बांधे कमाण्डर करण सक्सेना नजर आया ।
कमाण्डर की पीठ पर हैवरसेक बैग बंधा था ।
चेहरे पर दृढ़ता के भाव !
क्या मजाल जो वह जरा भी डरा हुआ हो ।
फिर उन सबके देखते-देखते उसने उड़ते हुए हवाई जहाज में से नीचे जंगल में छलांग लगा दी ।
उसके बाद वो नजरों के सामने से ओंझल होता चला गया ।
“हैलो-हैलो !” गंगाधर महन्त अब ट्रांसमीटर सैट पर जोर-जोर से चिल्लाने लगे- “तुम इस वक्त कहाँ हो करण ? क्या तुम सुरक्षित रूप से नीचे उतर चुके हो ?”
शीघ्र ही उन्हें कमाण्डर की आवाज ट्रांसमीटर पर सुनाई दी ।
उनके बीच बातें हुई ।
और फिर कमाण्डर ने यह कहकर वो बातचीत खत्म कर दी कि अब उस पूरे मिशन के दौरान उनके बीच कोई वार्तालाप नहीं होगा ।
“हे भगवान, कितना जांबाज है यह लड़का !” गंगाधर महन्त आश्चर्यमिश्रित स्वर में बोले- “अब सारे विश्व से इसका सम्पर्क कट चुका है । अब कोई इसकी मदद नहीं कर सकता । अब बर्मा के खौफनाक जंगलों में यह बिल्कुल अकेला है ।”
“लेकिन कमाण्डर ने यह क्यों कहा है ।” तभी रचना मुखर्जी नाम की एक रॉ एजेंट बोली- “कि वह पूरे मिशन के दौरान आपसे ट्रांसमीटर पर भी बातचीत नहीं करेंगे?”
“क्योंकि कमाण्डर जानता है कि उन बारह यौद्धाओं के पास मॉडर्न गैजेट हैं ।” गंगाधर महन्त की आवाज भावुक हो उठी- “अगर उनमें से कोई भी योद्धा ट्रांसमीटर पर होने वाली हमारी उन बातचीत को सुन लेगा, तो उसी पल हमारा यह मिशन फेल हो जायेगा । उसी पल उसके ऊपर संकट के बादल मंडराने लगेंगे । इसीलिए उस जांबाज लड़के ने इतनी बड़ी मुश्किल में फंसने के बावजूद भी उस रास्ते को ही बंद कर दिया है, जिससे खतरा पैदा हो ।”
“लेकिन कमांडर का यह डिसीज़न गलत भी हो सकता है चीफ !”
“तुम शायद नहीं जानतीं, करण राईट डिसीज़न लेने में बिलीव नहीं करता । वह पहले डिसीज़न लेता है, फिर उसे राईट करता है । यही करण की सबसे बड़ी खासियत है । करण फाउंडर है, फॉलोवर नहीं ।”
रचना मुखर्जी की आँखों में आंसू छलछला आये ।
जबकि गंगाधर महन्त ने बड़े जोश के साथ खड़े होकर स्क्रीन पर धुंधलाती कमाण्डर की तस्वीर को जोरदार सैल्यूट मारा था ।
“तुम सचमुच महान हो कमाण्डर, सचमुच महान हों । यह गंगाधर महन्त भी तुम्हारी बहादुरी के लिए तुम्हें सैल्यूट करता है ।”
और !
भीगती चली गयी थीं गंगाधर महन्त की आँखें ।
उस क्षण फिल्म रूम में बैठे तमाम रॉ एजेंटों की आँखें नम थीं ।
वह सब उसकी बहादुरी से अभिभूत थे ।
“काश !” रचना मुखर्जी ने गहरी सांस छोड़ी- “काश कमाण्डर के साथ मुझे भी इस मिशन पर जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ होता । काश उनके साथ-साथ मैं भी अपनी जिंदगी का यह दांव खेल पाती ।”
उसकी आवाज हसरत से भरी थी ।
उसे अफसोस था, उसे यह मौका क्यों नहीं मिला ।
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