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Incest माँ का मायका

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Masoom
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Incest माँ का मायका

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◆ माँ का मायका◆
Written by Sexy baby

All credit goes to unsung original writer...

Season १

(Episode-1)

मेरी मा पिताजी का लव मैरेज हुआ था।मा बड़े घर की और पिताजी छोटे गरीब घराने से।नतीजन उन्हें भागकर शादी करनी पड़ी थी।अभी मेरी 12 वि की शिक्षा चालू हो गयी थी।बहुत आगे की पढ़ाई करू ये पिताजी की बहुत इच्छा थी।पिताजी दूसरे शहर में ड्राइवर का काम करते थे।जब बारहवीं का नतीजा आया।वो गांव आने के लिए अपनी काम की गाड़ी लेके निकले पर कभी पहुंचे ही नही।अभी मैं अनाथ मा विधवा।पिताजी की क्रियाकर्म विधि पूरी हुई।दूसरे दिन दरवाजे पर दादा(मा के पिताजी)खड़े दिखे।

मा दादा को देख उनसे रोते हुए बिलक गयी।सबसे छोटी लड़की थी तो मा दादा की बहुत लाडली थी।दादा ने मुझे भी वहां बुलाया और गले से लगाया।आखिरकार वही हुआ जो होना था,मेरे पापा के परिवार से सिर्फ एक ही भाई था और उनकी पत्नी.उनको संतान नही थी।चाची मुझे ही अपना बच्चा मानती थी।उम्र 40 पर गयी थी दोनो की तो अभी संतान होने का कोई निशान न था।दादा ने मा को अपने साथ आने का प्रस्ताव रखा।मा ने उसको बहुत ना नकुर किया।पर बाद में चाचा और चाची के कहे अनुसार ओ मान गयी।शादी के बाद चाचा ने मा को बड़े भाई और चाची ने बड़ी बहन की तरह सहारा दिया था तो वो उनको मना नही कर पाई।
पर अभी सवाल मेरा था।मा का मायका शहर में था।हमारे गांव से कोसो दूर।मुझे वहां से कॉलेज आना जाना नही जमने वाला था।
तो चाची बोली "एग्जाम खत्म होने तक विराज यही रुक लेगा।छुटियो में आ जाएगा।वैसे भी आगे की पढ़ाई तो वो वही करने जाने वाला था।"
सबको ये बात सही लगी।दो दिन बाद मा दादा के साथ अपने मायके निकल गयी।मेरा भी ओ आखरी दिन था कॉलेज का,उसके बाद अगले 1 महीने घर से ही पढ़ाई करनी थी।मै हॉल टिकट ले कर घर आया।

मैं घर में जैसे ही घुसा तो सामने का नजारा बडा कामनिय था।चाची v आकर के पेंटी में मेरे तरफ पिछवाड़ा किये खड़ी थी।


लग रहा था की अभी स्नान करके आई है।बहुत सुगंध आ रही थी।उस अवस्था में मेरे हाथ में जो किताबे थी वो फट से गिर गयी।



अभी मेरे सामने 36 साइज के खुले चुचे छुपाते सावले रंग की रेड पेंटी में अधनंगी 43 साल की मजबूत हॉट माल चाची खड़ी थी।कुछ देर जो हुआ उसका हम दोनो को कुछ समझ न आया।हम सिर्फ अपनी कमान (प्रायवेट पार्ट)संभाल रहे थे।तभी चुचो,पेंटी से मेरी नजर घूमते चाची की आँखों में थम सी गयी,क्योकि उनकी नजर एक ही जगह पर रुकी थी और वो जगह मेरी पेंट में बना हुआ टेंट था।क्या कहे उस पल का आनंद नीचेवाले ने झटका देके अपनी खुशी जाहिर की,मन में लड्डू फूटा पर मुझे अजीब फील हुआ और मैं वहां से सीडी चढ़ के ऊपरी मंजिल गया।

(हमारे घर में नीचे हॉल किचन छोटा रूम उसके बाजू में कॉमन बाथरूम और ऊपर एक रूम था जिसमे एक बेड और बाजू में सब समान भरा हुआ(बैडरूम कम स्टोर रूम)था।)

मैं खाना खाने भी नीचे नही आया।पूरा दिन हमने एक दूसरे से आंखे नही मिलाई।आज 18 होने चुका था पर इन अठारह सालो में कभी चाची को देख अइसे विचार नही आये।स्कूल में भी मा के दर से गंदे बच्चो की संगत में नही गया।उसी वजह से मेरे दोस्त भी बहुत कम थे।

रात 9 बजे हम लोगोने खाना खाया।पर खाना खाने पर सिर्फ हम दोनो ही थे,चाचा मुझे दिखाई न दिए।सुबह के हादसे के बाद हम बात नही किये थे,और आगे से बात करू इतनी हिम्मत मुझमे थी नही।मैं खाना खाके उपर जाके सोने गया।करीब 11 बजे चाची ऊपर आके दरवाजा खटखटाने लगी,और पुकार भी रही थी।मैं थोड़ा डर सा गया।मन में बिजली सी चल गयी की "क्या हुआ होगा?"।

मैं दरवाजा खोला चाची नाइटी (मैक्सी जैसा एक लॉन्ग ड्रेस)में मेरे सामने खड़ी थी।मैंने ऊपर से नीचे देखा।सुबह से मेरा नजरिया ही बदल रहा था।पर चाची के चेहरे पर पसीना था।


चाची:वीरू मुझे नीचे अकेले में डर लगता है।तुम आज चलो न मेरे साथ,चाचा भी कल आएंगे,शहर का काम पूरा करके।

मैं थोड़ा सोच के:ठीक है बड़ी मा मैं आता हु आप आगे चलो मैं आता हु।

मैं चाची को बचपन से ही बड़ी मा बुलाता था।पर अभी की हालाते बदलती नजर आ रही रही।उस टाइम मैं अंडरवेअर में था तो उन्होंने इतना नोटिस नही किया अंधेरे में।मैं शॉर्ट ढूंढा।पर मुझे मिल नही रही थी।चाची ने सीढ़ियों के नीचे आके फिरसे पुकारा तो मैं टॉवल लपेट के उनके साथ सो गया उनके रूम में।


मैं गया तबतक चाची पलंग पे सो चुकी थी।मैं पलंग बोल रहा हु पर वैसे कुछ आलीशान नही था।एक खटिया था जिसे उसने ही दहेज में लाया था।पर बहोत छोटा था।दो लोग सोने के बाद खत्म हो जाता है।

मैं उनके बाजू में जाकर सो गया।बचपन में जब भी चाचा और पिताजी बाहर रहते थे तब मैं चाची के पास सो जाता था।आज भी मैं उसी लिहाजे में उनके करीब सो गया।उनकी तरफ पीठ करके सोया तो मैं नींद में नीचे गिरने लगा ।तो मैंने उनकी तरफ मुह करके सोना सही समझा।जैसे ही मैं घुमा चाची की बालो की खुशबू दिलो दिमाग में घुस गयी।मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था।


मेरा मन बहोत चंचल था।उसी सुगंध के हवाओ में मुझे सुबह का नजारा याद आने लगा।नींद गहरी नही थी पर सपना तो कैसे भी आ सकता है,चाहे उसमे हकीकत शामिल हो।क्योकि जिंदगी का पहला नजारा था की मैंने किसी औरत को अधनंगा देखा था और मेरे अवजार ने हरकत की थी।

मैं उस हकीकत वाले हसीन कामनिय सपने में इस तरह खो गया उसमे मेरे लन्ड का आकर एकदम से बढ़ गया।टॉवल ढीला था तो आकर बढ़ने के बाद बिखर गया।तो अंडर वेअर के साथ मेरा लन्ड किसी बड़े कोमल से चट्टानों पे घिसने लगा।कुछ देर मैंने मजा लिया।बहुत अच्छा महसूस करने लगा था।अंडरवेअर में मुझे कंफर्टेबल महसूस नही हुआ तो मैंने लन्ड को बाहर निकाल के उस गदरिले चट्टानों पे उसके बीच के दरी में घुमाने,घिसाने लगा।कुछ समय बाद मैं अकड़ सा गया और मेरे लन्डसे पानी निकल गया।पर मैं सपने में था तो मुझे ओ चट्टानों सी बहती नदी की तरह लगा।मैं अभी तक सपने में था।पर जब मुझे गिला महसूस हुआ मैं उठ गया।



मैं बाथरूम जाके फ्रेश होकर आया तो मुझे सामने दिखा की चाची की पिछवाड़े सब गिला था।नाइटी गांड के छेद में घुसी थी।मुझे अब पूरा मामला समझ आया की सपने में मैंने क्या कर दिया है।



चाची सोई थी तो मैं भी चुप चाप जाके सो गया।कुछ पल बाद चाची की नींद खुली।मैं फ्रेश हुआ था तो मुझे नींद नही आयी थी।चाची की गीलेपन की वजह से नींद टूटी थी।वो उठ के बैठी और थोड़ा घूम कर जो गीली जगह थी उसको हाथ में लेके सूंघा।और कुछ पल मेरी तरफ देखा।मैं सोने का नाटक कर रहा था।जब उन्होंने मेरी ओर से नजर हटाई तो मैंने आंखे खोली।ओ मेरे लण्ड के पानी को मसल रही थी उंगलियों में,पर उनके चेहरे पर न गुस्सा था न खुशी।ओ कुछ पल एसेही बैठी सोचती रही कुछ और सो गयी।मैं भी निशचिंत होकर सो गया,की मेरी गलती पकड़ी नही गयी।

सुबह के टाइम नाश्ता करने के बाद मैं पढाई कर रहा था।चाची घर की रोजाना की तरह सफाई कर रहा था।फरवरी था तो ऊपरी कमरे में गर्मी रहती है तो मैं चाचा चाची के रूम में पढ़ाई कर रहा था।चाची हमेशा देर से नहाती थी,क्योकि घर की साफ सफाई करनी रहती थी।बाहर का साफसफाई पूरा होने के बाद मुख्य द्वार बन्द कर के वो कमरे में आ गयी।उनका बदन पसीना पसीना था।अभी सिर्फ उनके कमरे की ही सफाई बाकी थी जहाँपर मैं पढ़ाई कर रहा था।मैं पलंग पे था।चाची रूम के अंदर आते ही।हवाई खाने लगी।उनको बहुत गर्मी सी लग रही थी।उन्होंने साड़ी जो पहनी थी उसको निकाल दिया।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: माँ का मायका

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अभी वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी।उन्होंने सारा समान जो रूम में बिखरा पड़ा था वो समेट लिया।और जो अलमारी में रखना था उसे लेकर अलमारी खोलने गयी।पर पेटीकोट की नाड़ी अलमारी के दरवाजे में फसी और पेटीकोट नीचे गिर गया।उनको संभालने का मौका ही नही मिला।उन्होंने झट से पीछे देखा तो मैं उनको नीचे गर्दन झुकाए दिखाई दिया।ओ वैसे ही पेंटी में अपना काम चालू रखी।



झुक कर पढ़ाई करनेसे मेरी कमर दुखने लगी तो मैंने अंगड़ाई ली तभी सामने का नजारा देख कर मैं अइसे ही देखता रह गया।अलमारी का एक दरवाजा जिसपर शीशा होता है ओ बंद था तो मैं चाची को घूर रहा हु ये चाची ने नोटिस किया।पर वो वैसे ही काम में लगी रही।

पर कल जैसे उन्होंने खुदको ढकने की कोशिश नही की।ऊपर से गांड को मजबूर तरीकेसे हिला मचल रही थी।मैं अभी एकदम से ठंडा पड़ गया।


लन्ड उत्तेजना से खड़ा हो गया।मेरी ये हालत देख चाची मुस्करा रही थी।उन्हें इसका मजा आ रहा था।वो वैसे ही कमर को झटके देते हुई गांड मटकाते हुए अलमारी बन्द करके वहां से बाहर निकल गयी।

मैं झट से उठा और बाथरूम चला गया और पेंट अंडरवेअर के साथ निकाल दिया।देखा तो लन्ड लोहा हो गया था।मैंने लण्ड को बहोत दबाया।की ओ जैसे थे हो जाए।मैं इस खेल पे कच्चा खिलाड़ी था।मुझे मालूम नही था की कैसे भड़के हुए लन्ड को शांत किया जाता है।तभी मेरे सामने के शीशे में मुझे चाची दिखाई दी।मुझे तब अहसास हो गया की जल्दबाजी में मैंने दरवाजा बन्द ही नही किया।मैं अचानक से चाची की तरफ घूम गया।

पर चाची का रिएक्शन मेरी हवाइयां उड़ाने वाला था।

चाची:अरे वीरू ये क्या हुआ?तेरे लुल्ली को क्या हुआ?

चाची को इतनी खुल के बाते करके सुन मुझे भी सुकून आ गया।कलसे जो अपराधी से महसूस हो रहा था उससे मैं थोड़ा बाहर आ गया।और जो था सब बकने लगा।

मैं:क्या मालूम चाची जब भी आपके पिछवाड़े को देखता हु मेरी लुल्ली अइसे हो जाती है।

चाची ये सुन के चौक सी गयी और अपनी गांड घूमाते हुई बोली:ये वाला हिस्सा?

जैसे ही वो घूम जाती है वैसे ही मेरा लन्ड भी झटका खाता है।उस झटके को देख चाची आपमे ओंठ दांतो तले चबाती है।

चाची:उसका कुछ कर नही तो तबियत बिगड़ जाएगी तेरी।

बीमारी होने की आशंका से ही मैं कंप सा गया।पर क्या करू मुझे मालूम न था।
मैं:क्या करू पर।कल से ट्राय कर रहा हु।कुछ नही हो रहा।बहुत दर्द भी होता है।इससे तो मेरी पढ़ाई भी नही होगी।

चाची:मैं तेरी हेल्प कर दूंगी पर किसीको बताना नही।नही तो लोगो को मुह दिखाने लायक नही रहेगा तू।

मैं:नही चाची किसीको नही बताऊंगा।

चाची मेरे करीब आ गयी।उसने मेरे लण्ड को छुआ और सुपडे का चमड़ी नीचे कर उंगली घुमाया।और मुह में डाल उसकी टेस्ट ली।मेरे लन्ड के सुपडे से लेके पूरे शरीर में करंट सा फैल गया।उन्होंने मुझे बाहर बैठाया।पूरे घर का खिड़की दरवाजा बंद करके फिरसे मेरे पास आ गयी।मुझे पूरे कपड़े निकलने बोली ।अभी मैं पुरा नंगा पलँग पर पैर फैलाये बैठा था।वो पास आयी।लण्ड को हाथ में लेके चमड़ी को ऊपर नीचे करके हिलाने लगी।मेरी नजर सिर्फ चाची की आंखों में थी।उनके आंखों में भयानक हवस की प्यास थी।

उनके हिलाने की वजह से लण्ड अभी लोहा बन गया था।चाची ने मेरे लण्ड को मुह में लेके चूसने लगी।
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ओ लण्ड के सुपडे से लेके अंडों तक चाट चूस रही थी।मैं उन्हे निहार राहा था।उनका एक हाथ उनके पेंटी में घुसा था।ओ लण्ड को कुल्फी की तरह चूस चाट रही थी।काफी समय वो चूसती रही।उनकी पेंटी भी अभी गीली थी।लगता है वो उस समय झड गयी थी।मेरा भी समय हो गया।मैंने चाची को बोला:चाची मेरे लुल्ली से पानी निकलने वाला है।
चाची सिर्फ मुस्कराई और लन्ड को जोरसे हिलाने लगी।मैं झड़ गया तो अंदर से निकला सफेद पानी भी चाची ने अपने मुह में ले लिया और गटक गयी।मेरा लन्ड पूरा गिला था तो चाची ने उसे चाट के साफ कर दिया।
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चाची:जाओ पानी से साफ कर दो।मैं खाना बना लेती हु।

मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आया।हम लोगो ने मिलकर खाना खाया।शाम को चाचा आने वाले थे तबतक चाची ने 2 बार मेरा लन्ड चुसाई कर ली थी।चाचा शहर शहर घूम कर कपड़ा बेचते थे तो कईबार बाहर ही रहते थे।अभी जब भी चाचा बाहर रहते चाची घर में ब्रा पेंटी में ही रहती और लण्ड को मजा देती।

बहोत दिनों से हमारा यही कार्यक्रम चलता रहा।एकदिन मैं रात को चाची के साथ ही सोया था।चाची लण्ड चूस के शांत करवा कर सो गयी थी।रात को मेरी नींद खुली।तो सामने चाची के चुचे थे,बहोत बड़े।जैसे ही चाची की सांसे ऊपर नीचे जाती वैसे वो भी नीचे ऊपर हो रहे थे।मेरा लण्ड अभी हरकत में आ गया,पूरा तन के खड़ा था।सेक्सुअल में हम दोनो बहोत घुल मिल गए थे पर उनके बाकी अंगों को हाथ लगाने के लिए अभी भी डर सा लग रहा था।पर यहा लण्ड का तनाव भी सहन नही हो रहा था।मैंने चाची के चुचो को ब्रा के ऊपर से मसलना चालू किया।और उनकी कमर पर लण्ड घिसा रहा था।चुचे मसलने की वजह से चाची की भी नींद खुल गयी थी।उन्होंने ब्रा खोल के चुचे आज़ाद कर दिए।
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मैं चुचे बड़े मजे से मसल रहा था।मुझे उनके ऊपर जो निप्पल्स थे उनको खींचने में मजा आ रहा था।चाची सिसक रही थी।चुचो को देख मेरे में जो बच्चा था ओ जग गया।मुझे चुचे चूसने की बड़ी इच्छा होने लगी।

मैं:चाची मुझे चुचे चूसने की बहुत इच्छा हो रही है।

चाची मुस्कारते बोली:तो चूस ले ना मेरे बेटे तेरे ही तो है ।

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उनकी अनुमति मिली और मैं थोड़ा ऊपर होकर उनके चुचे चूसने लगा।निप्पल को ओंठो से खींचने लगा।वो मेरे सर पर हाथ से सहला रही थी।मेरा पानी अभी छुंटने को था।मैं पलंग से उठा और बाथरूम गया।और सारा माल छोड़ दिया।

दूसरे दिन जब सुबह उठा तो चाची घर में नही थी।लगता है बाजार समान लेने गयी होगी क्योकि रूम में पर्स भी नही था।पर उनकी अलमारी खुली थी।मैं बाथरूम जाने से पहले अलमारी बंद करने गया तो मुझे एक साइड में एक किताब मिली।उसके ऊपर नंगी औरतो की फोटो थी।मैं उसको लिया और बाथरूम में चला गया।पूरी पुस्तक कहानी और फ़ोटो से भरी पड़ी थी।
मैंने पूरी किताब पढ़ ली।बाद में जहा थी वह पर आके रख दी।जब वह पे रख रहा था तो मुझे एक पैकेट मिला,कॉन्डोम का।किताब में मैंने उसके उपयोग और जरूरत के बारे में पढ़ा था।मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था।मैंने सोचा की मैं भी देख लू की मेरे लन्ड पर ये कैसे आता ह।

मै पूरा नंगा होकर बेड पे लेट गया।मेरा लण्ड आसमान को सलामी दे रहा था।मैंने पैकेट खोला और कॉन्डोम को लंड में घिसड रहा था।मुझसे वो हो नही रहा था।तभी झट से दरवाजा खुला।सामने चाची खड़ी थी।

चाची:अरे वीरू क्या कर रहा है?

मैं:वो चाची ये घुसाने की कोशिश कर रहा था पर जा नही रहा।

चाची ने अलमारी के पास देखा।हैरान सी शक्ल करते हुए मेरे पास आयी।उनको अहसास हो गया की वो जल्दबाजी में अलमारी खुली छोड़ गयी है।

मेरे पास आकर बोली:रुक मैं हेल्प कर देती हु।पर तू लगाके करेगा क्या?

मुझे क्या जवाब दु समझ नही आ रहा था ।मैने हवा में जवाब दे दिया:"मालूम नही?!?!?!?"

चाची हस्ते हुए:पागल है मेरा बच्चा।रुक तुझे मैं इसका पूरा इस्तेमाल बताती हु।

और उन्होंने खुद को नंगा कर दिया।और मेरे सामने खड़ी हो गयी।छोटे छोटे झांट वाली चुत मेरे सामने थी।प्रत्यक्ष में पहली बार मैं चुत देख रहा था।
मैंने उत्साह में आगे हाथ करके चुत को सहलाया।चाची की मुह से आआह निकल गयी।फिर उन्होंने मुझे लिटाया और लन्ड को थोड़ा हिलाकर कॉन्डम चढ़ा दिया।फिर मुह से थोड़ी थूंक मेरे लन्ड पे डाल सहलाया और थोड़ी चुत पे डाल के चुत को भी मसला।फिर धिरे से दोनो पैर मेरे दोनो तरफ फैला कर मेरे लन्ड पर चुत का छेद लगाया और आहिस्ता नीचे बैठ गयी।
दोनो की मुह से प्यारी दर्द भारी आआह निकल गयी।
चाची थोड़ी देर अयसेही बैठी रही फिर आहिस्ते आहिस्ते ऊपर नीचे होने लगी।उनके दाँत ओंठ को चबा रहे थे।उनके मुह से " आआह आआह सीईई आआह आउच्च" जैसी कामनिय आवाजे निकल रही थी।
.
कुछ देर धीरे धीरे करने के बाद उन्होंने मेरे हाथ अपने चुचो पे रख दिए और अपने ही हाथो से मेरे हाथो पर दबाव देके चुचे दबाने मसलने लगी।अभी उनके ऊपर नीचे होने की गति और आवाज भी बढ़ गयी थी।हम दोनो एक साथ ही अकड़ के झड़ गए।

दोपहर को चाची किसी सहेली के साथ बाहर चली गयी।मैंने दिनभर पढ़ाई की।रात को खाना खाने के बाद मैं जाकर बेडरूम में सो गया।आज दिनभर चुदाई और पढ़ाई से आज मुझे जल्दी नींद आ गयी।करीब रात 12 बजे मुझे आवाजे सुनाई दी जिससे मेरी नींद खुल गयी।

वो आवाजे चाची की थी वो चुत में उंगली कर रही थी और चुचे मसल रही थी।मैंने उनको पूछा:क्या हुआ?क्यो चिल्ला रहे हो?आपके चुत को क्या हुआ?

चाची:वो जो तुझे होता है हर दिन?

मैं:फिर उसके लिए क्या करना पड़ेगा?

चाची:वही जो मैं करती हु तेरे साथ?

मैं उनके चुत के पास गया और उनके चुत में जीभ लगाया और चाटने लगा।चाची उससे और उत्तेजित हो गयी।ओ मेरा मुह और अंदर डाल के दबाने लगी।करीब आधा घंटे तक उसकी चुत को चूसने के बाद भी उनका चुत रस नही निकल रहा था।तो उन्होंने मुझे उसमे लण्ड घुसाने बोला।

मैं:पर कॉन्डोम नही है अभी!?!?

चाची:अरे भाड़ में जाने दो कॉन्डम को अभी चुत की आग मिटानी जरूरी है।
.
इतना बोल के उन्होंने मेरा लण्ड हाथ में लेके हिलाया उसे थूक से नहलाया और चुत पे टिका दिया।और मुझे धक्का देने बोली।मैंने आहिस्ता आगे पीछे होना चालू किया।कुछ देर बात "आआह आआह सीईई"पर टिकी रही बाद में चाची के कहने पर गति को बढ़ा दिया।
.
अभी रूम में

"आआह चोद चोद और जोर से चोद भड़वे,पूरी ताकत से चुत मार,बड़ी आग है इस रंडी में,और आआह उहह जोर से"

की आवाज गूंज रही थी।चाची कुछ 15 20 मिनिट में झड़ गयी।और उसके कुछ पल बाद मैं भी झड़ने वाला था।जैसे ही मैं अकड़ गया चाची ने मुझे ऊपर बुलाया और लण्ड को अपने मुह में रख हिलाने लगी।
.
मेरा सारा लण्ड का रस उसकी मुह में।उसने शरबत की तरह उसे गटक लिया।फिर जब मैं सोया तब मुझे चिपक कर गले लगा के सो गयी।


दूसरे दिन मैं उठा तो चाची किचन में थी।मैं बाथरूम जाके आया।जैसे ही बाहर आया चाची ने मेरे हाथ पैसे दिए और कहा "बाजू के गांव में चाचा आये है वहां से फिर शहर लौटना है उन्हें।उनको जाके दे आ।"मैं घर से निकला।गांव दूर था तो वापस लौटने तक शाम हो गयी।

रोज मैं चाची के साथ खाना खाता था पर आज ज्यादा थकान थी इसलिए मैं खाना खाके ऊपर चला गया ।पर आज दिन का पढ़ाई का कोटा पूरा भी करना था।तो मैं थोड़ा पढ़ने बैठा।उसमे ही मैं थक के सो गया।रात को मेरे लण्ड ने फिरसे आग झोंकना चालू किया।मेरी नींद टूट गयी थी।मुझे नींद आने के लिए लण्ड शांत होना जरूरी था।

मैं नीचे आया और अंधेरे में पलंग पर चढ़ के चाची के पीछे सो गया।और लन्ड को बाहर निकाल के गांड पे घिसने लगा।गांड का आकर बहोत बड़ा और गोल था।मुझे बहोत मजा आ रहा था।कुछ पल बाद सामने से गांड आगे पिछे करते हुए साथ मिलने लगी।मैंने बगल से हाथ डाल चुचो को दबाना चालू किया।आज चाची साड़ी में थी।और चुचे भी बड़े थे।मुझे आज बहुत मजा आ रहा था।

कुछ पल की बात मेरे लण्ड ने अपना रस छोड़ दिया।मैं दिनभर थका था तो आदत से वही पर सो गया।सुबह उठा तो देखा की जो मेरे साथ सोई है वो चाची जैसी नही थी।कोई और ही था।नीचे देखा तो लण्डरस का दाग वैसे का वैसा था।मैं थोड़ा डर सा गया।मैं झट से उठा और देखा तो चाची उस औरत के उस तरफ सोई थी।मतलब रातभर हम तीनो एक पलँग पे थे और मैं उस अनजान औरत के गांड पे अपना लण्ड रगड़ रहा था और जोश में चुचे भी दबा दिए।चद्दर की वजह से उनका मुह मुझे दिखाई नही दिया।

पर उसके अगले ही पल मुझे ये बात समझ आयी की मैंने इतना सब किया फिर भी ओ औरत चिल्लाई क्यो नही।नींद में होगी इसलिए नही चिल्लाई होगी पर उसने लण्ड घिसते हुए गांड भी हिलाई थी।मेरा सुबह सुबह सिर चकराने लगा।मैं झट से ऊपर की मंजिल पे जाके सो गया क्योकि अभी 6 ही बजे थे।

सुबह 10 बजे मैं नीचे आया और फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर आया और चाची से नाश्ता मांगा और ऊपर चला गया।कुछ देर बाद ऊपरी कमरे की टकटक हुई।पर मैं पढ़ने में इतना गढ़ गया था की मैं कुछ जवाब ही नही दिया।

वो अंदर आई,आके सामने नाश्ता रखा,मैंने सर ऊपर उठा कर देखा तो 55 साल पार 36'36'38 का यौवन सावली आधे सफेद आधे बालो वाली एक मदमस्त औरत मुझे देख मुस्कराते हुए खड़ी थी।

मेरे मुह से यकायक निकल गया:अरे अम्मा जी नमस्ते आप कब आई।

जी हा!!चाची की मा थी ओ। 5 साल पहले देखा था उनको।बड़ी खुले विचारों की औरत।थोड़ी अजीब भी थी।चाची के पिताजी के देहांत के वक्त आखरी मुलाकात हुई थी हमारी।पर तब मैं छोटा था।करीब 13 साल का।पति के मरने के बाद 1 हप्ते में ही वो हसने खिलखिलाने लगी थी।उनके गांव के लोग उसे पागल औरत समझते थे।क्योकि हो हद से ज्यादा खुले विचारो की थी।

जब मैं छोटा था तब से जब भी आती थी तो मुझे वही खाना खिलाना नहलाना सब करती थी।क्योकी उनकी बेटी को कोई संतान नही थी इसलिए।

अम्मा:अरे अभी ध्यान गया तेरा तेरी अम्मा पर,कबसे आई हु मैं।

मैं:अरे अम्मा 12 वी का वर्ष है।पढ़ाई कर रहा था।

अम्मा:मालूम है तेरी क्या पढ़ाई चल रही है।

मैं:मतलब?!? आपको क्या मालूम है?मैं कुछ समझा नही।

अम्मा:कल रात को जो टेस्ट दे रहा था एग्जाम की वही तेरे पढ़ाई की प्रोग्रेस पता चल गयी।
और इतना कहके उन्होंने आके मेरे गाल को खींच मेरे हाथ की खाली प्लेट लेके वहा से चली गयी।
मैं थोड़ा सहम से गया।क्योकि चाची के बजाय उनकी मा के साथ मैने हस्थमैथुन किया था।कहि चाची बुरा न मानले।इसलिए डर सा लग रहा था।

दोपहर को खाना खाने के बाद मैं सो गया क्योकि रात को देर से सोया और जल्दी भी नींद खुली थी और पढ़ाई से सबको नींद आती है।शाम को 6 बजे करीब मेरी नींद खुली।सोते वक्त रात का सारा मामला मेरे दिमाग में घूम रहा था।उसकी वजह से लण्ड तन चुका था।टाइट शॉर्ट से बहोत दर्द हो रहा था,इसलिए शॉर्ट उतार कर बनियान अंडरवेयर में नीचे आ गया।अंडरवेयर में खड़े लण्ड का आकर साफ दिखाई दे रहा था।
नीचे आके चाची को पुकारने लगा तो चाची ने किचन से आवाज दी की मैं यहाँ हु।मैं किचन में गया तो।चाची आटा बून्द रही थी और अम्मा बैठ के बाते कर रही थी।
चाची:क्यो बेटा अम्मा से मिला की नही?

अम्मा:हा तेरा लाडला मिला मुझे,बहुत अच्छे से।

मैं:चाची चाची सुनो तो।

चाची:हा हा बोल,क्यो चिल्ला रहा है।

मैं अम्मा के सामने वो बात बोलने से शर्मा कम रहा था डर ज्यादा रहा था।मैंने आंखे नीचे करली।मेरे आंखों को देखते हुए दोनो ने मेरे अंडरवेयर को देखा जो फुली हुई रोटी की तरह बन चुका था।और दोनो खिलखिलाकर हस पड़ी।
मैं दोनो को सिर्फ देखता ही रह गया।

चाची:अच्छा ये बात है,पर अभी मैं काम कर रही हु,मैं कैसे हेल्प करू?

मेरा मुह एकदम से मायूस होकर नीचे हो गया।मैं वह से जाने वाला था तभी अम्मा बोली:

"तू नही तो मैं हु न,मैं मदत कर दूंगी मेरे पोते की।आजा मेरे लल्ला।"
मैं थोड़ा हिचकिचाने लगा।पर लन्ड को शांत भी करना था तो मैं उनके पास गया।अभी मैं दोनो के बीच खड़ा था।चाची मेरे तरफ पीठ करके ओटे वे आटा बून्द रही थी।मैं उनके पीछे था और बाजू डायनिंग पर अम्मा ।मैं पास गया वैसे ही अम्मा ने अंडरवेयर के ऊपर से ही लण्ड को दबाया।मेरे मुह से आआह निकल गयी।मेरे सिसकी से चाची ने मुड़के देखा और हस दी।
अभी अम्मा ने अंडरवेअर नीचे कर लण्ड को बाहर निकाला
अम्मा:हाये दैया बड़ा तगड़ा लण्ड है रे तेरा।
अभी तक लण्ड शब्द मैंने किसी औरत के मुह से नही सुना था।चाची लुल्ला ही बोलती थी।

चाची:फिर क्या अम्मा,बेटा किसका है।

अम्मा लण्ड को सहलाये:हा वो तो है,एकदम दमदार है।तेरे पिताजी से भी तगड़ा।

चाची:मा क्या आप भी,उसके सामने अइसी बाते कर रही हो।

अम्मा:तो,,तो क्या हुआ,जो है वो है।तेरे पति का इतना तगड़ा है क्या?मेरे पति का तो नही है।

चाची का चेहरा लाल था वो अम्मा को चुप रहने का इशारा करती है।पर अम्मा उसे टोकती है:बोल न,जो है वो है।

चाची धीमे से नही बोलती है।अम्मा हस्ते हुए लण्ड को ऊपर से नीचे हिलाना चालू करती है।मुझे मजा बहोत आ रहा था पर दर्द भी उतना ही था।



अम्मा लन्ड को हिलाते हिलाते मेरे शरीर का जायजा लेने लगी।मेरे छाती बाजुओं पे हाथ घूमाने लगी।मैं भी उनके चुचो को घूरने लगा।उनका पल्लू चुचो से हटा हुआ था।उनकी नजर जब मेरे आंखों के दिशा में गयी तो उन्होंने भी मेरी नजर की हवस नोटिस कर ली।मुझे मालूम पड़ा की अम्मा में मेरी नजर ताड ली तो मैने भी नजर हटा दी और इधर उधर देखने लगा।पर मुझे नजर चुराते देख अम्मा ने लण्ड को हल्का सा दबाया।मेरे मुह से सिसकी/चींख निकलने ही वाली थी की अम्मा ने मेरे मुह पे हाथ रखा जिससे मेरी आवाज चाची तक न जाए।

अम्मा ने आंखों से कहा:चुचे चाहिए क्या?"

मैंने भी शैतानी मुस्कराहट में हा बोल दिया।वो भी मादक हस दी।उसने ब्लाउज खोल दिया।ब्रा तो वो पहनती नही ।

अभी गोल मटोल लटके हुए चुचे मेरे सामने थे।मैंने हल्के से हाथ बढ़ाये और उनके चुचे सहलाने लगा।हाथ घुमाते घुमाते उनके निप्पल को मसल दिया तो अम्मा के मुह से सिसकी निकलते निकलते रह गयी।उन्होंने दांत ओंठ दबा चबा के आनंद लूटना चालू रखा।ओ लन्ड को सिर्फ सहला रही थी।अभी लन्ड पूरा तन के आगबबूला हो गया था।अम्मा ने नीचे बैठ के उसको अपने मुह में लेके उसको चूसना चालू कर देती है।

अम्मा अपना पल्लू घुटनो से ऊपर करके चुत को मसलने लगी।मैं खड़ा था तो मुझे चुत नही दिखाई दे रही थी।

मेरा लन्ड अभी झड़ने को था।मैंने चाची को वैसे इशारे से बताया पर वो सिर्फ हसी।मतलब उनको मेरा लण्ड रस पीना था।ओ लण्ड के सुपड़े के ऊपर जीभ फेरने लगी।जिससे मेरे लण्ड का तनाव और बढ़ गया।और फुआरे उड़ाते हुए मेरे वीर्य की धारा अम्मा के मुह पे गिर गई।

संजोग अइसा की उसी वक्त चाची भी पीछे मुड़ी।उनके सामने गिला 5 इंच का लण्ड लटकाए मैं और मुह पे सफेद वीर्य से रंगा मुह लेके घुटनो पे बैठी अम्मा थी।

मुझे उस वक्त लगा की अब मेरी कोई खैर नही।चाची जरूर नाराज होंगी।पर यहाँ तो उल्टा हो रहा था।वीर्य से रंगा मुह लेके अम्मा बाथरूम जाने वाली थी की चाची ने अम्मा का हाथ पकड़ा और उन्हें करीब खींच के मेरा गिराया मुह पर का रस चाटने लगी।उन्होंने पूरा रस साफ कर दिया।उस चाट चटाई करते हुए,दोनो लेस्बियन हो गए।एक दूसरे के होठो को मिलके चूसने लगे।

क्या मादक नजारा था।दोनो उसमे इतना मन्त्र मुग्ध हो गयी की आवेश में पूरे कपड़े निकाल दिए।दोनो अभी बेड रूम में चली गयी।मैं तो सिर्फ खड़े खड़े देखता रहा।जो हो रहा था उसपे मुझे भरोसा नही हो रहा था।मुझे एकपल के लिए वो सपना लगा।

इसी सोच में पड़ा था तभी मुझे कुछ जलने की बदबू आयी।देखा तो रोटी जल रही थी।मैंने गैस बंद किया।किचन ठीक करके बेडरूम में घुस गया।अभी भी दोनो एक दूसरे से लिप्त थी।चाची अम्मा के चुचे चूस रही थी और अम्मा चुत में उँगली डाले चुत सहला रही थी।थोड़ी देर बाद नजारा बदला अभी चाची के चुचे अम्मा के मुह में और चाची अपनी चुत को सहला रही थी।मैं तो समझ गया की बेटी पूरी अम्मा पे गयी है।पूरी नशा है इन दोनो की रगों में।पर अभी मेरा लण्ड भी प्यासा हो रहा था।तो मैं भी पलंग पर चढ़ के अम्मा को जॉइन किया।

मैं और अम्मा एक एक चुचे को चूसने लगे।मैंने चाची का हाथ हटाया और मैं खुद चाची के चुत में उंगली अंदर बाहर करने लगा ।चाची मेरे बाल को खिंच ताने सिसक रही थी।उन्होंने हम दोनो के सिरों को अपने चुचो में दबाके रखा था।

बीच में ही उन्होंने मेरे सर को पकड़ा और अपने मुह के पास लेके अपने ओंठ मेरे ओंठ से मिला लिए।मेरे जिंदगी का पहला कीस(चुम्मा)।वो मेरे ओंठो को चूस रही थी।लाल कोमल पंखुड़िया रसमलाई की जैसा स्वाद था उनमें।

उन दोनो ने मुझे पलँग पर लिटा दिया।अभी अम्मा ने मेरे लण्ड को हिलाया और थोड़ी थूक अपनी झांटो वाली चुत पर डाल के मेरे लण्ड पर चुत लगाके आहिस्ता ऊपर नीचे होने लगी।वो बड़े मजे में अपनी चुत चुदवा रही थी।यह चाची भी गरम थी वो दोनो पैर फैला के मेरे मुह पे बैठ गयी और चुत को मुह में लगा दिया।अभी एक चुत मुह में और एक लण्ड के ऊपर थी।चाची मुह से चुत चोद रही थी और अम्मा लण्ड से।अम्मा उम्र के हिसाब से जल्दी झड़ गयी और।मेरा बाजू में सो गयी।

जैसे ही अम्मा लन्ड के ऊपर से हटी चाची ने वहां कब्जा कर लिया।वो चुत को चुदवाने लगी।मैं और मेरा बेचारा लण्ड सिर्फ चुदाई मशीन बने थे।चाची का भी ज्यादा देर चल न सका कुछ पल में वो भी ढेर हो गयी।1 से 2 घंटा सोने के बाद हम लोगो ने नंगा ही खाना खाया ।

बाद में मुझे मालूम पड़ा की अम्मा अबसे यही रहने वाली थी।जबतक चाचा नही रहते थे तबतक मैं अम्मा चाची तीनो एक साथ चुदाई का आनंद लेते थे।और जब चाचा रहते थे तब अम्मा मुझे मजा देती थी।उसमे मेरी एक गलती भी हुई की चाची पेट से हो गयी।चाचा संतान होने के खुशी में कुछ शक नही किये।उसके बाद मेरे एग्जाम भी स्टार्ट हुए तो मेरी चुदाई तो क्या चुसाई भी नही होती थी।एग्जाम में थकावट न आ जाए इसका डर था चाची को।अम्मा हमेशा तैयार रहती थी पर चाची ने उनको भी बोल दिया की एग्जाम है इससे मुझे दूर रखे।



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Re: माँ का मायका

Post by Masoom »

चाची के प्रेग्नेंसी का पहिला महीना था।जबसे ये खबर चाचा को लगी तबसे चाचा का रोज घर आना जाना चल रहा था।कई बार तो वो घर पे ही रुक जाता एक दो दिन के लिए।चाचा कम पढ़ा लिखा था।तो डॉक्टर वैगरा उसको समझ नही आता था।जब भी डॉक्टर आते मैं ही देखता था।बच्चा होने के खयाल से ही चाचा उछल रहा था।उसकी खुशी देख मैं भी बहोत खुश था।बचपन से जिसने मुझे अपने बेटे जैसा संभाला,जिसने बहुत कुछ किया मेरे लिए उसके लिए कुछ कर सका उसका आनंद था मेरे मन को।

चाची की प्रेग्नेंसी की बात सुन के उनकी सहेलियां घर के पड़ोसी सब अभिनदंन करने लगे।घर में लोगो की चलचलाहट बढ़ रही थी।तो दिन में मैं चाची के पास और अम्मा दोनो से दूर रहता था।क्योकि दिनभर के मेहमानों की बहोत तादात थी।

चाची दाँट से अम्मा भी मुझे कुछ करने नही देती थी। एग्जाम खत्म होने को था 4 दिन बाद आखरी विषय का एग्जाम था।विषय भी बहोत बडा नही था तो पढ़ाई भी ज्यादा नही थी।चाचा भी घर में था आज।पढ़ाई से फुर्सत मिलती तो दिनभर सिर्फ चाचा के साथ ही रहता था।पहिले दो दिन अयसेही निकल गए।

तीसरे दिन दोपहर खाना होने के बाद चाचा ने मुझे उपर से नीचे बुलाया।

चाचा: वीरू मैंने पहाड़ी वाली देवी से मन्नत मांगी थी तो चाची को वहाँ लेके जाना है।शाम तक आ जाएंगे।

मैंने कहा:ठीक है चाचा,आराम से जाना,खयाल रखना।

चाची भी पीछे पीछे निकलते हुए धीमे से बोली
"मैं नही हु इसका मतलब मजे नही करना,पढ़ाई पे ध्यान दो,शर्मिला ने तेरी जिम्मेदारी मुझपर छोड़ी थी,और मैं उसमे असफल नही होना चाहती।अभी चलती हु,पर ध्यान रखना सिर्फ पढ़ाई।एग्जाम होने तक और कुछ नही"

पीछे अम्मा खड़ी थी उनको भी"माँ तुम भी समझ गयी न।दूसरे की अमानत है।कुछ हो गया तो तुम जिम्मेदार।"

चाचा:अरि वो बहोत दूर जाना है,घर की बातें आने के बाद कर लेना ।

चाचा चाची निकल जाते है।उनके जाने तक मैं दरवाजे पर खड़ा था।जब मैं अंदर गया रो अम्मा बर्तन साफ कर रही थी बाथरूम में।मुझे शैतानी सूझी और मैं उनके पास गया।वो नीचे छोटे टेबल पे बैठ कर बर्तन साफ कर रही थी।मैं उनके सामने जाके लण्ड निकाल के सहलाने लगा।पर अम्मा इगनोर कर रही थी।काफी देर सहलाने के बाद लण्ड तन गया।पर अम्मा ने कुछ रिएक्ट नही किया।

मैं लण्ड लेके उनके पीछे गया और थोड़ा घुटना मोड़ के लण्ड को उनके पीठ पर घिसाने की कोशिश की पर वो और नीचे झुकी जिससे मैं घिस न पाउ।

अम्मा:देख लल्ला अगर तुम्हारी चाची को मालूम पड़ गया तो एकबार तुझे छोड़ देगी पर मेरी खैर नही।तू परेशान मत के।जा पढ़ाई कर।

मैं:पर अम्मा?!!!!?

अम्मा:मैंने कहा ना जा पढ़ाई कर।जा..।

मैं मायूस होकर वहां से चला गया।पर लण्ड को शांत करना था।तो चाची के अलमारी से चुदाई कहानिया वाली किताब ली और ऊपर चला गया।कहानी और फ़ोटो को देख मैंने हिलाया और लण्ड को शांत कराया।फिर किताब पलँग के निचे रखके सो गया।

करीब 4 बजे मुझे अम्मा ने जगाया और चाय दिया।मैंने खिसक के चाय का कप लिया।और चाय पीने लगा।उन्होंने सर पे हाथ सहलाना चालू किया प्यार से तो मैं वहां से उठकर खिड़की के पास गया।अम्मा मेरे इग्नोरेंस से चौक सी गयी।वो कुछ बोल पाती उससे पहले मैंने उनके हाथ में कप थमाया।
उनको कहा:जरा बाहर घूम के आता हु बहोत बोअरिंग फील हो रहा है।
अम्मा कुछ बोली नही सिर्फ देखती रही।

शाम को जब घर आया तो चाचा चाची आ गए थे।उन्होंने जो प्रशाद लाया वो हमने खा लिया।हम अभी बातचीत में लगे थे।जब भी अम्मा मुझसे आये मुझसे जुड़े किसी बात को छेड़ती तो मैं या तो टोक देता याफिर वो बात को किस और बात में मोड़ देता।चाची को लगता की मैं अम्मा की खिंचाई कर रहा हु पर अम्मा को उस बात से बहोत परेशानी हो रही थी।वो मायूस चेहरा करके मेरे पास देखती थी।मुझे गुस्सा तो बहुत आया था पर उनकी मायूस चेहरे से पिघल न जाऊ इसलिए उनकी तरफ नजर भी नही की मैंने।

रात को आज जल्दी खाना खा लिया था।क्योकि चाचा चाची दोनो थके थे।अम्मा किचन का काम खत्म कर रही थी।मैं उपर जाके अपनी जगह सो गया।मुझे मालूम था।आज चाचा है तो वो यही आएगी सोने।पर मैं बहोत सख्त होने की कोशिश में था।

करीब एक घंटा गुजरा।तबतक मुझे नींद आ चुकी थी।अम्मा मेरे बाजू में आके सो गयी।ऊपरी पलंग बहोत बड़ा था करीब 3 लोग सो सकते थे।उनके आहट से मैं जग गया।पर उनको लग रहा था की मैं अब भी सोया हु।

कुछ वक्त निकल जाने के बाद मैं उठा और बाथरूम जाकर आया।और सो गया।नींद आने ही वाली थी की तभी पीछे से मेरे लण्ड पे हाथ का स्पर्श हुआ।

मैं:अम्मा सोने दो मुझे,हटो।

अम्मा: अरे मेरा लल्ला अभी भी गुस्सा है अपनी अम्मा से।

मैं:मैं बोला तुम सो जाओ नही तो चाची डाँटेगी,सही बोला न।
अम्मा हस पड़ी:अच्छा मेरी बात मेरे पे पलटी दे रहे हो।

अम्मा ने मेरे ऊपर की चद्दर हटा दी ।और मेरे सामने ही कपड़े उतारने लगी।मुझे उन्हें देखने की बहोत इच्छा हो रही थी पर गुस्से वाला नाटक मुझे रोक रहा था।

अभी अम्मा पूरी नंगी थी।मैं बनियान और अंडरवेयर मे था।
वो मेरे पीछे आके चिपक के सो गयी।उन्होंने मुझे कस के पकड़ लिया।मैने छूटने की नाकाम कोशिश की।पर मेरे अंदर का काम देव उनके स्पर्श से उत्तेजित हो गया था।

उन्होंने मेरी अंडरवेअर खिसका दी और पैरों से भी नीचे खिसका दी।अभी मेरा लण्ड पूरा आझाद था।अम्मा के हाथ के स्पर्श से लण्ड झूम उठा था।

मैं उनकी तरफ घुमा।धीमे रोशनी में आज मुझे अम्मा एक जवान अप्सरा लग रही थी,लगता है कामुकता की नजर से मैं उनको देख रहा था।आगे क्या करू ये सोचने से पहलेही अम्मा ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया।उनके चुचे मेरे छाती पर दब गए थे।मेरा लण्ड उनके झांटेदार नही बिना झांट वाले रासीलि चुत पर घिस रहा था।उनकी कटी हुई झांटे मेरे लण्ड को चुभ रही थी।बड़ा मजा आ रहा था।हमारी गरम सांसे एक दूसरे को और कामुक बना रही थी।

उन्होंने मेरे ओंठो को अपने ओंठो से मिलाया और चूसने लगी। उनके ओंठो में चाची से भी ज्यादा मिठास थी।ओ बीच में मेरे जीभ को भी मुह में लेके चूसती थी।मैंने उनके चुचो को भी अपने पंजो की जखड में ले लिया।उनके निप्पल्स कड़क बन गए थे।

हमारा रसपान खत्म होते ही मैंने चुचो को बारी बारी चूसना चालू किया।उनके निप्पल्स बड़े मादक थे ।उनके निप्पल्स को चूसने में और ही मजा था।थोड़ा नीचे उनकी मुनिया थी जिसकी आज साफ सफाई हुई थी।गीली होने से और ही चमक रही थी।कामोत्तेजना से उनकी चुत की लब्ज थिरक रहे थे ।चूत रस की सुगन्ध बहोत ही अछि थी।मैंने जीभ उनकी गीली चुत में घुसाई वैसे ही उन्होंने मेरा सर अम्मा ने चुत पर दबाया और उनके मुह से सुखद सिसकारी निकल गयी।उनके चुत में जीभ घूम रही थी।उनकी रासीलि चुत का खट्टा मीठा स्वाद बहोत आनंद दे रहा था।

अम्मा:लल्ला चल बहोत हो गया मेरे झड़ने से पहले चुत के होल में तेरा लन्ड घुसा और चोद दे तेरी अम्मा को।जल्दी कर।अभी आग सहन नही होती।

मैंने अपने लण्ड को हिलाया।चुत पे थूक डालके चुत के दाने को सहलाया।और लन्ड छेद पे टीका के अंदर घुसेड़ा और आगे पीछे होने लगा। नीचे झुक कर उनके चुचे चाट रहा था।जब मुझे लगा की लण्ड सही से घुसा और सेट हो गया तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।अम्मा के मुह से सिसकारी निकल रही थी पर उनकी इच्छा चिल्लाने की हो रही थी पर उससे गड़बड़ होगी इसलिए वो खुदको संभाल रही थी।उनकी कशमकश देख मैंने उनके ओंठो को मेरे ओंठो के कब्जे में कर दिया।

चुत के लगने वाले धक्कों से चुत से पच पच की आवाजे आ रही थी मैं बड़े जोर से धक्के लगाए जा रहा था।पक्छ पच्छ की आवाजे भी बढ़ने लगी और अम्मा का शरीर ढीला पड़ गया।

पर मेरा लण्ड अभी भी कामुकता की आग में था।अम्मा ने मेरी परेशानी को समझा और मुझे उपर बुला के लण्ड को मुह में लिया।और मेरी गांड को पकड़ के आगे पीछे करने लगी।इस नए प्रयोग से मैं भी उत्साहित था।मुझे भी मजा आ रहा था।पूरा लण्ड अम्मा के मुह में आगे पीछे हो रहा था।जैसे ही मुझे लगा की मैं झड़ने वाला हु मैन मुह चुदने का स्पीड बढ़ा दिया।मेरा सारा माल मुह में छोड़ दिया।उन्होंने भी उसे मजे से गटका,फिर पूरा लन्ड को चूस चाट के साफ किया ।मैंने अंडरवेअर पहना और सो गया।



दुसरे दिन पुरा पढाई मे निकाल दिया।अगले दिन एग्जाम का आखरी दिन था।पेपर भी अच्छा निकल गया।शाम को घर आया तो चाचा कही बाहर जा रहे थे।मुझे देख उन्होंने मुझे पास बुलाया।

चाचा:अरे वीरू कैसा गया एग्जाम?

मैं: बहोत बढ़िया।

चाचा:फिर कल तो तू जाएगा यहासे,बस चाचा को भूल न जाना।

मैं:नही चाचा अइसे क्यो बोल रहे हो,जिंदगीभर के लिए जा रहा हु,बीच बीच में आता रहूंगा।

चाचा:चलो ठीक है।अभी मेरा कुछ काम है पड़ोस की गांव में।कल सुबह तक तैयार रहना,हम निकल जाएंगे तुम्हारे नाना के यह पे।ठीक है?

मैं:अच्छा ठीक है,जैसा आप कहे।

चाचा निकल जाने के बाद मैं चाची को पुकारने लगा,क्योकि भूख बहुत लगी थी।पर चाची का कुछ आवाज नही आ रहा था।मैंने अम्मा को भी पुकारा,उनका भी कोई ठिकाना नही था।

मैं किचन में घुस गया तो देखा की मा बेटी की जोड़ी किचन में बैठी है।

मैं:क्या चाची आप दोनो यहां हो फिर भी आवाज नही दे रही हो।

तभी दोनो जो मेरे तरफ पीठ करके खड़ी थी।मेरे सामने मूड गयी।दोनो के आंखों से आँसू निकल रहे थे।

मैं:क्या आप दोनो भी गंगा जमुना बहा रहे हो।क्या हुआ?

तो चाची ने मुझे अपने पास बुलाया और अपने बाहों में भर लिया।उनके आंसू और शरीर की गर्मी मुझे बेचैन कर रही थी।

मैं:अच्छा,कल मैं जा रहा हु इसलिए रो रही हो...क्या आप भी हमेशा के लिए थोड़ी जा रहा हु,जो अइसे रो रही हो।

चाची:तुम्हे बोलने में क्या जाता है,तुम्हारी बचपन से आदत हो गयी है।अभी घर सुना सुना रह जाएगा।

मैं:अरे मेरा छोटा भाई उस सुनसुनाहट को भर देगा।तुम रो मत।

मैंने उनकी आंखे पोंछी।अम्मा को भी शांत कराया।

मैं:क्या बनाया खाने में बहोत भूख लगी है।

मैंने घर में मिठाई लायी थी वो खाई और ऊपर जाके अपना सारा समान लगा दिया।शाम को मा का कॉल आया।उनसे ही बात करते करते समय निकल गया।

शाम को खाना खाने जब नीचे आया तो घर के सारे दरवाजे खिड़कियां बंद थी।हॉल में भी धीमी रोशनी वाला दिया चालू था।किचन में भी कोई नही था।और बेडरूम में पूरा अंधेरा।मुझे बहुत अजीब फील हुआ।किचन में तो वो लोग नही थे।मैं सोचने लगा खाने से पहले ये सो गए क्या!!या बाहर गए है!?!

मैं उत्सुकता में बेडरूम की लाइट ऑन कर दी।अंदर देखा तो अम्मा चाची की चुत चाट रही थी।लाइट ऑन होते ही दोनो सोधी हो गयी।उनके हिसाब से उनको लगा की चाचा न आये हो।पर मुझे खड़ा देख उनके जान में जान आ गई।

मैं भी उनके खेल में शामिल हुआ।चाची की चुत अम्मा चाट रही थी और अम्मा की चुत मैं और मेरा लण्ड चाची के मुह में था।बड़ा ही आनंद था उस चुसमचूस में।

आज चाची को चोद तो नही सकता था पर चुत चूसना और लण्ड को चुसवा सकता था।

हम तीनो झड़ गए थे।चाची ने मेरे लटके लण्ड को फिरसे मुह में लिया और चूसने लगी।सासों की गर्माहट मुझे साफ महसूस हो रही थी मेरे लण्ड पे।जैसे ही मेरा लण्ड खड़ा हुआ।अम्मा घोड़ी बन गयी।और चाची ने मेरा लंड उनके चुत पे लगा दिया।मैं पीछे से धक्का देना शुरू किया।चाची ने मेरे ओंठो पे कब्जा कर लिया।मैंने उनके चुचे मसलना चालू किया।अम्मा की उम्र हो गयी थी तो वो ज्यादा देर टिक नही पाती थी तो वो जल्दी ही झड़ गयी।

पर अभी मेरा लन्ड को शांत करना बाकी था तो चाची ने मेरा लण्ड चूसना चालू किया।मैं भी थोड़ी देर में झड़ गया।

हमने खाना खा लिया।अम्मा ने सारा काम निपटा लिया।तबतक मैं और चाची बेडरूम में थे।चाची मेरे बहो में थी।हम दोनो एक दूसरे को लिपटे हुए थे।

चाची:वीरू तू अभी मुझे छोड़ के जाएगा।

मैं:क्या चाची फिरसे चालू हो गयी तुम।तुमने मा को क्यो भेज दिया फिर।नही तो मैं यही रह जाता।

चाची:अरे वो चाचा ने किया ,मेरा मन नही था।

अम्मा भी मेरे पास आके नंगी होकर बैठ जाती है।

अम्मा मेरे लण्ड को सहलाते हुए:मुझे इसकी बहोत याद आएगी।बहोत मजा दिया इसने मुझे कम दिनों में।

मैंने भी उनकी चुत में उंगली घुसा के बोला: इसको भी तो भूल न पाऊंगा

तभी मेरा लन्ड खड़े होने लगता है।

मैं:देख मेरा लण्ड भी उससे सहमत है।

और इस बात पर हम हस दिए।

चाची ने नीचे जाके मेरे लण्ड के टोपे(सुपडे) को जीभ से चाटना चालू किया।मुझे शरीर में सिहरन सी हो रही थी।अम्मा ने झट से मेरे ओंठ चुम लिए।उन्होंने ओंठो को चूसना चालू किया।चाची पूरा लन्ड चूस रही थी।अब लण्ड भी लोहा बन गया था।
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Re: माँ का मायका

Post by Masoom »

चाची को मैं चोद नही सकता था तो अम्मा मेरे लण्ड पर कब्जा कर ली।वो धीमे से जाके उसपर बैठ गयी और चूतड़ उठा उठा के चुदने लगी।चाची भी गर्म हो गयी तो।उसने चुत को मेरे मुह में लगा दिया।उनके चुत से लाव्हा रस बाहर आ रहा था।मैं उनके चुत के लब्जो को चूसने लगा,चाटने लगा।धिमेसे उंगली डाल के जीभ को जितना अंदर जाए उतना घुसेड़ने लगा।चाची भी धीमे से आगे पीछे होते हुए जीभ से चुत चुदवाने लगी।

अम्मा हमेशा की तरह झड़ कर लन्ड पे ही बैठ गयी।उसके कुछ पल बाद मेरे मुह में चुत रस की नदी बह गयी।चाची भी अभी झड़ गयी थी। वो बाजू हो कर सो गयी ।मैने अम्मा को बाजू किया और अपना लन्ड उनके मुह में दाल दिया।और गांड हिला के उनका मुह चोदने लगा।और सारा पानी उनके मुह में छोड़ दिया।पूरी रात मैं उन दो नंगी परियो के साथ रासलीला करता रहा।आखिरी दिन था तो पूरे मजे लूट लिए।

सुबह को जब उठा तो 9 बज गए थे।मैं बाथरूम जेक फ्रेश होकर नहाकर तैयार हुआ औऱ नाश्ता करके चाचा की राह देख रहा था।जैसे ही चाचा आया मैं नाना के घर निकल गया।मेरे जाने से चाची अम्मा बहोत रो रही थी।

Season 1 over.....
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
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Re: माँ का मायका

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Season २
◆ माँ का मायका◆
(incest,group, suspens)
(Episode-1)
चाचा और मैं देर रात नाना के यहाँ पहुंचे।नाना शहरी इलाके में रहते थे ।बड़े लोगो की कॉलोनी।सबके बंगले थे।जन्म के बाद 18 साल बाद पहली बार यहाँ आया था।मा और एक और औरत दरवाजे पे खड़े थे।घर की नौकरानी होगी शायद।हम गरीब घर से आते थे तो चाचा को वह रुकना सही नही लगा।मा ने चाचा को रोकने की बहोत कोशिश की पर चाचा नही रुके।वो अपने कंपनी के दोस्त के पास चले गए।
नौकरानी अम्मा(नौ.अम्मा): दीदी तुम्हारा बेटा तो बडा सुंदर है,पूरा तुम पे गया है।

मा:फिर,है ही मेरा बेटा।

दोनो हँसे और मुझे लेके अंदर चले गए।

बंगला काफी बड़ा था।दो मंजिला रहेगा।घर में घुसते है दाएं हांथ को भगवान का मंदिर उसके बाजू में किचन।बीच में सीढ़िया ऊपर जाने के लिए।दरवाजे से बाए हांथ एक छोटा रूम(स्टोर रूम) फिर नाना जी का कमरा फिर मा का कमरा ।ऊपरी मंजील पर दो मामा थे मेरे।उनका कमरा दाएं ओर बड़े मामा की बेटी का और छोटे मामा के बेटे का कमरा बाए ओर।उसमे और एक कमरा बनाया गया था ,लगता है मेरे लिए था।


काफी देर हो गयी तो मा ने मुझे कमरे तक छोड़ा,और वो अपने कमरे में चली गयी।कमरा अच्छा खासा सजाया हुआ था जैसे फिल्मों में होता है।यहां खुद की अलमारी खुद का बाथरूम और बेड भी।मैंने ज्यादा समान नही लाया था।बैग को अलमारी की बाजू में रखा और बाथरूम चला गया।

बाथरूम से फ्रेश होकर जैसे ही बाहर निकलने वाला था मुझे वो वाली आवाजे सुनाई दी।

"आआह आआह रवि और जोर लगा आआह"

"हा मेरी जान लेले और लेले आआह और चाहिए,आज लुटले कल से मैं टूर पे जाऊंगा तो फिर जलती रहेगी।"

"अरे यार तुम भी अइसा ना करो हर 2 हप्ते में टूर,मेरी हालत बहोत खराब होती है,मत जाओ न।"

अभी मुझे मालूम नही पड़ रहा था की आवाज नीचे की कमरे से है बाजू के ।बाजू के है तो दाएं या बाए।क्योकि मैं मामा और उनके बेटा बेटी के रूम के बीच के कमरे में था।तो वो मामा मामी या भैया और कोई भी हो सकता है।

उनकी आवाज से मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।थक गया था तो हिलाने के लिए मन नही किया।और मैं वैसे ही जाके सो गया।

सुबह मेरी नींद खुली।पर मैं नींद खुलने के बाद भी वैसे ही पड़ा रहता था बेड में,बचपन की आदत।तभी कोई मेरे कमरे में आया।पहले क्नॉक किया पर मैंने कोई जवाब नही दिया।

वो अंदर आयी।हा,वो औरत थी।वही जो रात को मा के साथ थी।उसके हाथ में झाडू पोंछा था।वो आयी मेरे तरफ देखती रही फिर अपना काम करने लगी।वो बार बार मेरे तरफ आंखे घुमाके देख रही थी।बीच में अजीब से मुह बनाके हस रही थी।

उसकी उम्र करीब 45 साल शरीर पतला था।पर गांड भरी हुई थी।जैसे रोज किसीसे चुदती हो।चुचे भी काफी हद तक थे,पर इतने बड़े भी नही थे।सावला रंग,बीच बीच में काले बाल।

वो अपना काम खत्म करके चली गयी।वो जाने के बाद मैं उठा तो मुझे थोड़ा अजीब से फील हुआ।शरीर पूरा अकड़ गया अइसे लग रहा था।पर जब ध्यान दिया तो मालूम पड़ा की शॉर्ट में लन्ड ने तंबू बनाया है।अभी मुझे समझ आया की वो क्यों हस रही थी।

मैं बाथरूम गया।फ्रेश होक बाहर आया तो मा खड़ी थी।

मा:आ गया मेरा लाल,कैसा है?एग्जाम सही से गयी न?बड़ी दीदी को तकलीफ तो नही दी?

मैं:मा'' मा ''मा'' रुको,रुको।सांस तो लेने दो।क्या आते ही सवाल पूछने लग गयी।सब ठीक है।एग्जाम भी सही गयी।चाची पेट से है ।पहिला महीना है।और अम्मा भी आयी है ओअभि वही रहेगी।बस की और जानकारी चाहिए।

मा:क्या बड़ी दीदी पेट से!!!ईश्वर की लीला अपरंपार।

मा ने आगे आकर मुझे गले लगा लिया।वैसे हर बार लगाती है।पर इस बार मुझे उनके बारे में मा की गोद वाली फीलिंग नही आयी।उनके स्पर्श में जो गर्माहट थी उससे मेरे तन बदन में आग सी जल गयी।कुछ गलत से लगा इसलिए मैं हट के बाजू हो गया।

मा:चल नाश्ते का समय हो गया।सब आ गए होंगे।तुम भी आओ।

मैं:चलो तुम मैं कपड़े पहनके आता हु।

मा के जाने के बाद मैंने कपड़े बदले।और नीचे आ सीढ़ियों से उतरने लगा।

मुझे सब लोग ताक रहे थे।मुझे Uncomfortable सा फील होने लगा।नाना से पापा के देहांत के वक्त मुलाकात हुई थी।पर बाकी सब नए थे।मैं अंदर ही अंदर डर से गया था।

मैं खाने के मेज तक पहुंचते ही मुझे नाना ने मुझे अपने पास बुलाया:"आओ विराज यहां आ जाओ!!!"

नाना सारे घर वालो से:"ये है विराज अपनी शर्मिला का एकलौता चिराग।अबसे हमारे साथ ही रहेगा।आशा है किसीको एतराज नही है।"

मैंने स्माइल से सब की तरफ देखा उसमे बड़े मामा और छोटी मामी मुझे अलग ही नजरो से देख रहे थे।जैसे उन्हें खुशी नही हुई हो।

नाना (सबका परिचय कराते हुए) :देख बेटा विराज ये तुम्हारे बड़े मामा विजय उनकी पत्नी यानी की तुम्हारी बड़ी मामी सुशीला ओ उनकी बेटी संजना(संजू) उनके साइड में बैठी वो तुम्हारे बड़े भैया की बीवी सिद्धि।ये तुम्हारे छोटे मामा संजय उनकी पत्नी ,तुम्हारी छोटी मामी अवंतिका,उनका बेटा मतलब तुम्हारे बड़े भैया रवि।

वो कांता चाची है यह पर काम करती है।वो बाहर जो गाड़ी के पास खड़े है वो उनके पति और हमारे ड्राइवर शिवकरण।"

सब की जानकारी हो गयी थी।और ये भी की रात की चुदाई का रवि मेरा कौन है,पर औरत भाभी थी इसपे मुझे शक था क्योकि नाश्ते के समय मैंने भाभी की आवाज सुनी वो रात वाली आवाज नही लगी।मैं नाश्ता करके अपने रूम में अपना कमरा अपनी तरह से सेट करने गया।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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