Erotica मुझे लगी लगन लंड की

Post Reply
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: Erotica मुझे लगी लगन लंड की

Post by kunal »

मेरे आंसू पौंछते हुए पापा बोले- देखो, मैं तुमसे पहले ही माफी मांग चुका हूँ। चूँकि मेरे पास इसके अलावा कोई चारा नहीं था, तो मैंने किया। चलो अब जो हुआ वो हो चुका है, उठ कर तैयार हो जाओ, तुम्हें डॉक्टर को दिखा देता हूँ और फिर मैं कोई दूसरे होटल में शिफ्ट हो जाता हूँ, जब तुम्हारा काम खत्म हो जाये तो फिर हम लोग वापस अपने घर चले जायेंगे।

कहकर वो उठने लगे।

मुझे उनकी बात समझ में आ चुकी थी, क्योंकि मुझे बुखार बहुत तेज था और मैं बेहोश थी। कोई हेल्प न मिलने के कारण उन्होंने मेरे साथ सम्भोग किया,

मैंने उनका हाथ पकड़ा और बोली- पापा जी, आज से आप मेरे दोस्त भी हो, जो आदमी उस समय हेल्प करे जब उसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो तो उससे अच्छा तो कोई दोस्त हो ही नहीं सकता।

पापाजी ने मेरे सर पर हाथ फेरा और सोफे पर बैठ कर अखबार पढ़ने लगे।

अब मैं सोचने लगी, भले ही बेहोशी में ही सही, पापाजी का इतना लम्बा और मोटा लंड मेरी चूत की सैर कर चुका है।

तभी मुझे पॉटी महसूस हुई, मैंने रजाई को अपने सीने से चिपकाये रखा और उठने की कोशिश करने लगी। लेकिन इस समय कमजोरी बहुत लग रही थी, मैं वापस बेड पर गिर गई। पापा जी तुरन्त मेरे पास आये और बार बार मुझसे पूछने लगे। मुझे पता था कि वो समझ चुके है कि मुझे क्या समस्या है लेकिन फिर भी पापा मुझसे पूछे जा रहे थे।

तभी पापा ने कहा- देखो, अभी तुमने मुझे अपना दोस्त कहा है और अब तुम ही अपने दोस्त को नहीं बता रही हो?

उनके इतना कहते ही मैं उनकी तरफ देखकर बोली- पापा जी, पॉटी बहुत तेज आ रही है और कमजोरी के कारण मैं चल नहीं पा रही हूँ।

मुझे नंगी ही बिना किसी हिचक के उन्होंने अपनी गोदी में उठा लिया और बोले चलो- मैं तुम्हें लिये चलता हूँ, ऐसा न हो रात की तरह तुम बिस्तर पर ही पॉटी भी कर दो।

पापा ने मुझे ले जाकर पॉटी सीट पर बैठा दिया।

पॉटी करके जब मैं उठने लगी तो मेरे ससुर जी ने वहीं पास पड़ी हुई कुर्सी को बाथरूम के अन्दर रख दिया और फिर मुझे सहारा देकर उस पर बैठा दिया ताकि मैं ब्रश कर सकूं। उन्होंने मेरे ऊपर चादर डाल दी। जितनी देर तक मैं ब्रश करती रही, उतनी ही देर में ससुर जी ने एक बाल्टी को गर्म पानी से भर दिया। मुझे बहुत दुख हो रहा था कि मैं इस अवस्था में हूँ और मेरे ससुर जी को मेरी सेवा करनी पड़ रही थी। वो मेरे ऊपर इतना ध्यान रख रहे थे कि मैं उसको बता नहीं सकती थी। उसके बाद ससुर जी ने गर्म पानी में तौलिया भिगो कर मेरे जिस्म को अच्छी तरह से साफ किया और बाहर लाकर मुझे पैन्टी, ब्रा पहनाने लगे। और फिर मेरी जो सबसे अच्छी ड्रेस (सलवार-सूट) उनके हिसाब से थी, वो पहना दी और बाकी सजने संवरने का सामान मुझे दे दिया। उसके बाद नाश्ता करके ससुर जी मुझे लेकर जो होटल के आस-पास डॉक्टर था, ले कर गये। डॉक्टर ने मुझे दो-तीन दिन आराम करने के लिये कहा।

चेक अप करवाने के बाद में वापस आई। मैं बड़ी चिन्तित थी, जिस काम के लिये कोलकाता आई थी, वो ही पूरा नहीं होगा और मुझे एक जगह बैठ कर टाईम बिताना अच्छा भी नहीं लग रहा था। फिर भी ससुर जी के कहने पर मैंने अभय सर को फोन किया और सारी स्थिति बता दी, लेकिन दूसरे दिन से ऑफिस जाने की बात भी कही। मेरे ससुर मेरी तरफ देख रहे थे।

जैसे ही मैंने फोन काटा, वो बोले पड़े- बेटा, जब डॉक्टर ने तुम्हें दो-तीन दिन का आराम करने को कहा है तो आराम करो। चलो आज शाम को वापस चलते हैं। जब तुम ठीक हो जाओगी, तो रितेश के साथ चली आना।

ससुर जी की बात मेरे कानो में गूंज रही थी, लेकिन मेरे दिमाग में कुछ और चल रहा था। अब ससुर जी के सामने मैं बेपर्दा हो चुकी थी और वो मेरे जिस्म के एक एक अंग को नंगा देख चुके थे, मैंने अपने ट्रिप को सही करने का सोचा।

तभी उन्होंने झकझोरा, बोले- क्या हुआ बेटी, क्या सोचने लगी?

मैं अचकचा कर बोली- कुछ नहीं पापा जी!

इन सब बातो में इतना पता तो मुझे चल गया था कि पापा जी के मन में मेरे प्रति कुछ भी गलत नहीं था, बस कल रात जो कुछ भी हुआ वो मेरी बिगड़ती तबीयत की वजह से हुआ और शायद इसीलिये वो इतना मुझे तवज्जो नहीं दे रहे थे। फिर भी मेरे दिमाग में कीड़ा चलने लगा।

वो एक बार फिर बोले- तो ठीक है, चलो मैं पैकिंग किये देता हूँ और शाम की कोई गाड़ी पकड़ लेंगे और टीटीई को कुछ ले देकर सीट का जुगाड़ बैठा लूंगा।

कहकर वो उठे और सामान उठाने लगे।

तभी मैं उनसे बोली- नहीं पापा जी, मेरी तबियत इतनी ठीक नहीं है कि मैं ट्रेवेल कर पाऊँ... आज रात रूकते हैं, अगर कल मैं ठीक नहीं हुई और घर चलने के काबिल रही तो हम कल चलेंगे।

कहकर मैं चुप हो गई और टी॰वी॰ देखने लगी। मैं बड़ी देर तक यही करती रही और सोच रही थी कि किसी तरह से पापा जी पहल करें तो कुछ बात बने। लेकिन पूरे दो घंटे बीत गये थे और पाप जी पेपर पढ़ने के बाद वही सोफे पर लेट गये, लेकिन अपनी तरफ से कुछ नहीं बोले।
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: Erotica मुझे लगी लगन लंड की

Post by kunal »

मैं परेशान थी और मेरी चूत में खुजली हो रही थी, मैं पापा जी का लंड एक बार और देखना चाह रही थी। मैंने ही बेशर्म बन कर पापा जी को आवाज लगाई और बेड पर मेरे पास आकर लेटने को बोली। वो बार-बार न करते रहे लेकिन अन्त में हार कर बेड पर आ गये। पापा जी के लेटते ही मैं उनकी तरफ करवट करके लेट गई और उनको एकटक देखने लगी, मेरा इस तरह से लगातार घूरते जाना वो बर्दाश्त नहीं कर पाये और,

पापाजी बोले- क्या हुआ, कुछ चाहिये क्या?

मैंने सिर हां में हिलाया,

तो पापाजी बोले- बताओ

मैंने तुरन्त ही उनसे वादा लिया कि मेरी किसी बात का वो बुरा नहीं मानेगे?

जब वो बोले कि 'ठीक है, पूछो, मैं तुम्हारी किसी बात का बुरा नहीं मानूंगा!'

तो मैंने तुरन्त ही उनके हाथ को अपने हाथ में लिया और बोली- पापा जी आपने मुझे जो सुबह कहानी सुनाई थी क्या वो सच थी?

पापा जी बोले- हाँ, बिल्कुल सोलह आने सच है। एक बार जब उनको बुखार था तो मेरा मन उनके साथ करने का था पर तेरी सास ने पहली बार मना किया लेकिन जब उन्होंने देखा कि मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूँ तो उन्होंने मुझे सम्भोग करने की इजाजत दे दी, उसके बाद मैंने उनके साथ सम्भोग किया और दूसरे दिन उनका बुखार उतरा हुआ था। कल रात यही विचार करके मैंने तुम्हारे साथ सम्भोग किया था। कहकर पापाजी चुप हो गये।

मैंने फिर पूछ लिया- पापाजी, मम्मी जी के अलावा और कोई था आपकी लाईफ में?

तुरन्त ही पापा बोले- न...ना... कोई भी नहीं, तुम्हारी मम्मी है ही इतनी खूबसूरत कि मुझे किसी दूसरे की जरूरत ही नहीं पड़ी। हां अब अगर कोई दूसरा है तो वो तुम हो जिसके साथ मैंने कल रात सम्भोग किया था, लेकिन वो भी मजबूरी में।

मैं- 'कोई बात नहीं पापा जी, लेकिन एक बात बताइए, जब आप मम्मी जी के साथ सम्भोग करते हैं तो सम्भोग को आप और मम्मी जी दोनों ही महसूस करते होंगे?' (धीरे धीरे मैं खुल रही थी) तभी आप दोनों को मजा भी आता होगा?

पापाजी- 'हां, हम दोनों ही सम्भोग को खुलकर महसूस करते थे और मजा लेते थे।'

उनकी बात खत्म होने से पहले ही मैं बोल उठी- लेकिन पापा जी, मैंने कल रात के सम्भोग को तो महसूस ही नहीं किया, इसका मतलब आपको भी सम्भोग का मजा तो नहीं आया होगा?

पापा जी मेरी बात सुनकर चौंके, बोले- क्या?

मैंने तुरन्त ही उनके हाथ को पकड़ा और अपने छाती पर रखते हुए बोली- पापा जी, मैं महसूस करना चाहती हूँ।

पापा जी ने झटके से अपना हाथ हटाया और बोले- नहीं, कल बात अलग थी जो मुझे करना पड़ा और अब मैं जानबूझ कर वो नहीं कर सकता, जो मुझे करना शोभा नहीं देता।

पापा जी मेरे काबू में नहीं आ रहे थे, उनकी जगह कोई और होता, तो शायद अब तक मैं दो बार तो कम से कम चुद चुकी होती। लेकिन पापा जी तो मुझे रात को चोद चुके हैं, मुझे पूरी नंगी देख चुके हैं, यहाँ तक कि मुझे नहालते समय मेरे जिस्म के एक-एक अंग को छुए हैं।

मैंने एक बार फिर उनका हाथ पकड़ा, इस बार वो अपने हाथ को बड़ी ताकत के साथ अपनी तरफ खींचे हुए थे।

मैंने फिर कहा- ठीक है पापाजी, रात को तो आप को मजबूरी थी, लेकिन आपने तो मुझे पूरी नंगी भी देखा है और मेरे नंगे बदन को छुआ भी है तो अब आप मेरे साथ सम्भोग क्यों नहीं करना चाहते?
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: Erotica मुझे लगी लगन लंड की

Post by kunal »

पापाजी एक बार मुझे समझाते हुए उठ कर बैठ गये और बोले- जिस समय मैंने तुम्हारे बदन को छुआ, उस समय भी तुम खुद से उठने के काबिल नहीं थी, इसलिये मुझे यह सब करना पड़ा। लेकिन अब तुम इस समय होश में हो और वो माँग रही हो जो मैं पूरी नहीं कर सकता।

कहकर वो वापिस सोफे पर बैठ गये।

मैं समझ नहीं पा रही थी कि पापाजी वास्तव मैं मेरे साथ करना नहीं चाह रहे या फिर दिखावा कर रहे हैं क्योंकि मेरा मन नहीं मान रहा था कि वो मुझे चोदना नहीं चाह रहे हो। और अगर मुझे चोदने की उनके मन में इच्छा नहीं थी तो फिर वो बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़कर क्यों मूत रहे थे, जबकि जब भी मेरी नींद खुलती, मेरी नजर सीधी वही जाती और यह बात पापा जी भी जानते थे। अगर मैं मतलब निकालती हूँ तो वो जानबूझ कर दरवाजा खुला रखकर मूत रहे थे ताकि मेरी नजर उनके लम्बे लंड पर पड़े। दूसरी बात जब वो मेरे जिस्म को पोंछ रहे थे तो भी मेरे उन अंगों को अच्छे से रगड़ रहे थे जहां से मैं उत्तेजित हो सकती थी। तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण कि वो दुबारा मेरे कहने पर जबकि मैंने ज्यादा जोर भी नहीं दिया था, फिर भी अपने और सास के बीच हुए सम्भोग की कहानी बताने लगे। यही सोच कर मैंने अबकी जो मेरी नजर में सबसे सटीक था, वही दांव चला, मैं एक बार फिर बिस्तर से उठी और लड़खड़ा कर गिर पड़ी जानबूझ कर...

पापा जी तुरन्त ही हड़बड़ा कर फिर उठकर आये और मुझे सँभालते हुए

पापाजी कहने लगे- तुम्हें कमजोरी बहुत है आज मुझे बता दो, मैं तुम्हारा सब काम कर दूंगा।

मैं धीरे से बोली- पापा जी, बहुत जोर से पॉटी आई थी, इसलिये मैं॰॰॰

मेरी बात को समझते हुए बोले- तो तुम मुझे बता दो न, मैं तुम्हें लेकर चलता हूँ

मैं- लेकिन मेरे हाथ पैर भी शून्य पड़े हैं, मैं कपड़े कैसे उतारूंगी?

मेरी इतनी बात सुनी कि मुझे एक बार फिर बेड पर बैठाया और पहले मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार को मेरे जिस्म से अलग किया। इस समय मैं उनकी एक एक हरकत पर ध्यान दे रही थी, सलवार उतराते समय उन्होंने कुछ खास नहीं किया लेकिन जब मेरी पैन्टी उतारने लगे तो वो मेरे चूतड़ को पैन्टी उतराने के साथ-साथ सहलाते जा रहे थे। फिर पापा ने मुझे गोदी में उठाया और ले जाकर मुझे सीट पर बैठा दिया, जितनी देर मैं वहां बैठी रही उतनी देर तक वो मुझे पकड़े खड़े रहे। मैंने जानबूझ कर वाशिंग पाईप उठाया और छोड़ दिया। मेरे हाथ से वाशिंग पाईप गिरते ही

पापाजी बोल उठे- बेटा, जब तुम्हें बहुत कमजोरी है तो तुम मुझसे बोलो, मैं साफ किये देता हूँ।

कहते हुए पापाजी ने मुझे थोड़ा सा अपनी तरफ खींचा और वाशिंग पाईप मेरे पीछे लाये और गांड धुलाने लगे, लेकिन इस बार वो छेद के अन्दर तक उंगली डाल रहे थे।

मतलब साफ-साफ था कि मजा चाहिये, लेकिन अच्छे बनने की कोशिश कर रहे थे।

मैं भी इस मामले में कम नहीं थी, जब दो-तीन बार उन्होंने मेरी गांड धोने के साथ-साथ मेरी चूत को भी सहलाने की कोशिश की तो मैंने पेशाब की धार छोड़ना शुरू कर दिया। पर पापाजी कुछ बोल नहीं रहे थे और लगातार अपने हाथ से मेरी चूत सहला रहे थे। जब मेरा पेशाब निकलना बंद हो गया तो पापा जी ने पानी बंद किया और सिस्टर्न चला कर मुझे गोदी में उठा लिया और बेड पर बैठा दिया।

बस अब मैंने अपना आखिरी दांव चला, पापाजी ने जब मुझे बेड पर बैठाया तो मैं तुरन्त ही बिस्तर पर लेट गई और अपने पैरों को सिकोड़ते हुए बिस्तर पर ही रख लिया और अपनी चिकनी चूत जो सूरज ने कल शाम को ही थी, पापा को खुले रूप से दर्शन कराने लगी। इस बात पर पापाजी बोल्ड हो गये और मेरी टांगों को फैलाकर मेरी चूत को चूमते हुए,

पापाजी बोले- तुम मानोगी नहीं! मैंने अपने ऊपर बहुत संयम रखने की कोशिश की पर तुमने अन्त में मेरा ईमान डिगा दिया!

और मेरी चूत को सूंघने लगे,

फिर बोले- बहुत ही बढ़िया खुशबू आ रही है तुम्हारी योनि से।

मैंने अपना हाथ बढ़ाया और पापा जी के सर को पकड़ते हुए बोली- पापाजी, यह आपकी ही योनि है और यह आपकी योनि कब से आपका ही इंताजार कर रही है। यह कह रही है आओ और मुझसे खेलो।

पापाजी- 'हां बेटा, अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है और अब मैं न तो खुद तड़पूंगा और न ही इस प्यारी योनि को तड़पाऊँगा।'

कह कर वो अपने जिस्म से कपड़े अलग करने लगे। अब उनके जिस्म में चड्डी के अतिरिक्त कुछ नहीं था। उनकी भरी भरी बांहें, चौड़ी छाती, गठीला नंगा बदन... सब मैं खुल कर देख रही थी। फिर वो नीचे बैठ गये और मेरे कुर्ते को पेट से ऊपर करके मेरे पेट को सहलाने के साथ साथ मेरी चूत से खेलने लगे, बड़े ही प्यार से बिना किसी जल्दी के अपनी जीभ से मेरी पुतिया को इस तरह से चूसते जैसे कोई आम की चुसाई कर रहा हो, उनकी पूरी कोशिश होती कि मेरी पुतिया भी उनके मुंह के अन्दर चली जाये। पापाजी चूत की फांक को चाटने के साथ-साथ जीभ को चूत के अन्दर तक पेल रहे थे और साथ ही मेरे पेट को सहलाते जाते और फिर मेरे दोनों गोलों को बड़े ही प्यार से और धीरे-धीरे दबा रहे थे। मैं बहुत मस्त हो चुकी थी, उम्म्ह... अहह... हय... याह... मैं भी अपनी कमर को उठा उठा कर अपनी चूत को पापाजी के जीभ के और पास ले जा रही थी जिससे उनकी जीभ और अन्दर चली जाये। मैं बार-बार अपनी कमर उठाती और पापा जी उसी तरह रिसपॉन्स करते। मेरी चूत उनकी थूक से काफी गीली हो चुकी थी, मैं झरने के करीब आ चुकी थी और इसलिये मैं अपनी चूत उनके मुंह से कस कस कर रगड़ रही थी।

सहसा मेरे मुंह से निकला- पापाजी, आपकी इस रंडी बहू की योनि से पानी निकलने वाला है!

पापाजी- 'निकलने दे बहू... निकलने दे! मेरी बहू तड़पे मुझे पसंद नहीं है, निकाल अपना पानी।'

मेरी चूत के अन्दर अजीब सी खुजली मची हुई थी, मैं अपनी खुजली को मिटाने के लिये पापाजी के मुंह से चूत को रगड़े जा रही थी कि तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। पापाजी का मुंह अभी भी मेरी चूत से लगा हुआ था, वो उसी तरह से चूत को चाटे जा रहे थे। फिर पापाजी ने जब अपना काम पूरा कर लिया तो वो मेरे बगल में आकर लेटे,

और पापाजी बोले- वास्तव में आज तुमने पिछले 10 वर्षों की प्यास फिर जगा दी! बहुत मजा आया!

कहते हुए मेरे होंठों को चूसने लगे और मेरी चूत को सहलाने लगे। फिर मेरे होंठ चूसते हुए अपनी उंगली को मेरी चूत में डालकर चलाते हुए,

पापाजी फिर बोले- तुम्हारा रस मुझे बहुत अच्छा लगा, मेरा मन कर रहा है कि तुम्हारी योनि के पास से अपना मुंह न हटाऊं और जो भी रस तुम्हारी योनि से निकले, उसे मैं पीता रहूँ।

अब उन्होंने चूत से उंगली निकाली और अपने मुंह में डालकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगे। फिर मुझे अपने ऊपर खींचकर अपने ऊपर कर लिया,

और पापाजी मुझसे बोले- योनि का स्वाद तो दे दिया, अब अपने स्तन (चूची) का भी मजा दे दो।

पापा जी का इतना बोलना था कि मैं थोड़ा और ऊपर हो गई और उनके मुंह पर अपनी चूची को लगा दिया, पापा जी बारी बारी से मेरी चूची को पीते रहे और मेरे चूतड़ों को दबाते रहे। फिर मेरी गांड के अन्दर उंगली करने लगे। जितनी देर मेरे चूची को पीते रहे उतनी ही देर तक वो मेरी गांड में उंगली करते रहे, फिर उंगली निकालकर सूंघते हुये

पापाजी बोले- बेटी, तुम्हारी गुदा के अन्दर की महक भी बहुत मस्त है।

कहकर एक बार फिर उस उंगली को चूसने लगे। मेरे चूत की खुजली बढ़ती जा रही थी,

हार कर मैं ही बोली- पापा जी, आपका लिंग मुझे मेरी योनि में चाहिये ताकि मैं आपको महसूस कर सकूं।

मेरी बात सुनते ही पापाजी बोले- बिल्कुल, लेकिन मेरे लिंग को गीला कर दो, ताकि तुम्हारी योनि में आसानी से जा सके।
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: Erotica मुझे लगी लगन लंड की

Post by kunal »

मैं तुरन्त ही उनके ऊपर से उतरी और उनकी तरफ अपना पिछवाड़ा करके जैसे ही उनके लंड को अपने मुंह में लेने लगी,

मेरे मुंह से निकला- हाय दय्या!!

पापाजी तुरन्त बोले- क्या हुआ बेटी?

मैं- 'कुछ नहीं पापाजी, आपका कितना बड़ा है। ऐसा लगता है जैसे गधे का लंड!' मैं एक सांस में पूरी बात बोल गई और मेरे मुंह से लिंग की जगह लंड निकल गया।

लेकिन पापा जी ने तुरन्त मेरी बात को पकड़ लिया और बोले- एक बार फिर बोलो जो अभी तुमने बोला है?

मैं अपनी बात को थोड़ा बदलते हुए बोली- आपका लिंग इतना बड़ा है ऐसा लगता है कि गधे का लिंग।

पापाजी- 'नही नहीं... यह नहीं, जो तुमने बोला है, वो बोलो!'

पापाजी की बात सुनकर मैं समझ गई कि उनको मेरे मुंह से लंड शब्द सुनना है,

मैंने कहा- जैसे गधे का लंड!

पापाजी तुरन्त मेरे चूतड़ पर एक चपत लगाते हुए बोले- लेकिन तुम्हें कैसे मालूम कि मेरा लंड गधे जैसा है?

उनकी बात का जवाब देती हुई मैं बोली- रीतेश ही बोलता था कि उसका लंड गधे के लंड के जैसा है। लेकिन आपका तो उससे भी बड़ा है।

तभी मोबाईल बजने लगा।

जब तक मैं फोन को पिक करती, तब तक पापा ने फोन उठा लिया, फोन रितेश का था। पापा ने तुरन्त ही मोबाईल को स्पीकर मोड पर कर दिया, पापा के हैलो बोलते ही रितेश हॉल चाल पूछने लगा, पापा ने कल रात मुझे हुए फीवर के बारे में बता दिया।

जैसे ही मेरे फीवर के बारे में रितेश को पता चला, वो चिन्तित हो गया और मुझे फोन देने के लिये कहा।

पापा ने मुझे फोन पकड़ा दिया और मेरे पीठ को अपनी बांहों का घेरा बना कर मुझे अपने से चिपका दिया।

रितेश मेरा हाल चाल लेने लगा, फिर बोला- अगर पापा तुम्हारे पास हों तो थोड़ा उनसे दूर होकर बात करो।

मैं उठकर जाने लगी तो पापा ने मोबाईल को कस कर अपने हाथों में जकड़ लिया

और मेरे कान में बोले- यहीं मेरे पास रहकर बात कर लो, मैं भी सुनना चाहता हूँ कि मेरा बेटा मेरी इस प्यारी बहू को कितना प्यार करता है।

मुझे कोई तकलीफ नहीं थी, मैं पापाजी की बांहों में ही रहकर रितेश से बात करने लगी।

जैसे ही रितेश को यह विश्वास हो गया कि वो केवल मुझसे बात कर रहा है

तो बोला- यार, मेरे लंड की मेरी चूत रानी, तेरी चूत का क्या हाल चाल है?

मैं भी बिंदास बोली- कुछ खास नहीं यार, बस तेरे लौड़े की याद आ रही है तो उसका पानी टप टप कर रहा है।

रितेश- 'किसी से चुदवाने की इच्छा हो तो वही ऑफिस में देख... कोई जवान मर्द मिल जायेगा।'

जब रितेश ने यह बात बोली तो मैं थोड़ा शर्मा गई, पापा जी भी मेरी तरफ देख रहे थे, मैंने बात को खत्म करने के लिये बाद में बात करने की कही और फोन काट दिया।

पापाजी बोले- मतलब तुम लोग??

फिर पापा जी को मैंने पूरी कहानी बताई।

कहानी सुनने के बाद,

पापाजी बोले- यार, मुझे पता नहीं था कि मेरा बेटा और बहू बहुत ही एडवांस हैं, अगर मुझे मालूम होता तो मैं शराफत की चादर ट्रेन में ही छोड़ देता और फिर हम दोनों खूब मजे करते हुए यहां तक आते।

मैं बोली- चलिये पापा जी, अभी भी आप खूब मजे ले सकते हैं।

पापाजी मुझसे वापस रितेश को फोन लगाने के लिये बोले और रितेश को कहने के लिये बोले कि 'लंड का तो इंतजाम है लेकिन तुम्हारे बाप का है! देखो क्या कहता है?'

मैंने फोन लगाया तो जैसा पापा जी ने रितेश को बोलने के लिये बोला, वैसा ही मैंने रितेश को कहा।

मेरी बात को सुनने के बाद रितेश बोला- यार लंड तो लंड होता है। अगर तेरी चूत को इस समय मेरे बाप के लंड से शांति मिल सकती है तो उन्हीं से चुदवा लो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है।

बात सुनने के बाद मैं बोल पड़ी- यार भोंसड़ी के, तेरा बाप है और तुम कह रहे हो कि मैं उनसे चुदवा लूं?

रितेश मुझे समझाते हुए बोला- यार तुम और मैं, जैसा भी मौका मिला, लंड और चूत से खेल चुके हैं। तो अब क्या शर्माना, वैसे भी हमारी बात जब तक हम किसी को न बताये तो कैसे पता चलेगा।
Post Reply