Incest मेराअतृप्त कामुक यौवन complete

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koushal
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Incest मेराअतृप्त कामुक यौवन complete

Post by koushal »

मेराअतृप्त कामुक यौवन


दोस्तो, आज मैं आपके समक्ष एक ऐसी कहानी लाई हूँ.. जिसे पढ़कर आप लोग अपने हाथों को अपने कंट्रोल में नहीं रख पाएंगे।

मेरा नाम सोनाली है.. मेरी उम्र 40 साल है। मेरी शादी मेरे घर वालों ने 20 की उम्र में ही करा दी थी। मेरे पति का नाम रवि है, रवि एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और हर महीने टूर के लिए 7-8 दिन घर से बाहर रहते हैं।

मेरे दो बच्चे हैं, एक बड़ा लड़का रोहन 18 साल का है और मेरी एक बेटी उससे दो साल छोटी है।

यह कहानी मेरे और मेरे पति के बड़े भाई के लड़के यानि कि मेरे भतीजे के साथ हुई घटना पर आधारित है। मैं आपको अपने बारे में बता दूँ कि मेरा रंग एकदम गोरा है और मेरा 36-28-36 का फिगर बहुत ही कातिलाना है.. ऐसा मेरा नहीं मेरे पति का मानना है।

हमारी शादी को 20 साल हो गए.. पर मेरे पति मुझे ऐसे रखते हैं कि जैसे अभी कल ही हमारी शादी हुई हो।
मेरे स्तन अभी तक कसे हुए हैं और उन पर मेरे लाल निप्पल ऐसे लगते हैं जैसे कि रसगुल्ले पर गुलाब की पत्ती चिपकी हो। मेरे नितम्ब भी बहुत कसे हुए और गोल हैं.. जो भी उन्हें देखता है.. उनके लंड उनकी पैंट में ही कस जाते हैं।

बात कुछ ही दिन पहले की है। मेरा भतीजा आलोक.. जिसकी उम्र 20 है.. अपनी कॉलेज की छुट्टियों के चलते हमारे घर कुछ दिन रहने के लिए आया था।
वो स्वभाव का बहुत ही अच्छा था और उसकी मेरे बेटे के साथ बहुत बनती थी, वो भाई कम दोस्त ज्यादा लगते थे।

मेरे बेटे और बेटी सुबह 11:30 पर स्कूल के लिए जाते थे और फिर स्कूल छूटते ही कोचिंग के लिए चले जाते थे। उन्हें वहाँ से आने में 7 बज जाते थे।

आलोक को आए अभी दो ही दिन हुए थे वो दोपहर में अकेला हो जाता था.. तो टाइम पास के लिए मेरे साथ कुछ देर के लिए बैठ जाता था।

मेरे पति सुबह 9 बजे ऑफिस चले जाते थे और फिर 8 बजे ही आते थे।
koushal
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Re: Erotica मेराअतृप्त कामुक यौवन

Post by koushal »

एक दिन खाना बनाने के बाद मैंने अपने बच्चों को स्कूल भेजा और फिर आलोक को खाना खिलाकर घर के काम करने में लग गई। सब काम निपटाने के बाद में थक गई थी.. तो सोचा नहा लेती हूँ.. क्योंकि गर्मी बहुत पड़ रही थी।

मै नहाने के लिए तौलिया लेकर बाथरूम की तरफ चल पड़ी और नहाने लगी। नहाने के बाद मैंने तौलिये से अपने शरीर को पौंछा और फिर उसे अपने मम्मों के ऊपर से बांध लिया.. जिससे मेरा शरीर मम्मों से लेकर जांघों तक पूरा ढक गया।

जब मैं नहाकर बाथरूम से बाहर निकल रही थी.. तभी अचानक मेरा पैर फिसल गया और मैं गिर पड़ी। मेरी कमर और पीठ में बहुत चोट लगी थी और दर्द के मारे मैं रोने लगी।

मेरे गिरने और रोने की आवाज़ सुनकर आलोक भागकर बाथरूम की तरफ आया और मुझे गिरा हुआ देखकर अचानक से डर गया।
मैं खड़ी नहीं हो पा रही थी तो वो मुझे सहारा देने लगा.. पर मैं खड़ी होते-होते फिर से गिरने लगी.. तो उसने मुझे पकड़ लिया।

उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरे रूम की तरफ जाने लगा।

इसी बीच न जाने कब मेरा तौलिया खुल गया और मेरे आगे का बदन बिल्कुल नंगा हो गया। जैसे ही मुझे इस बात का अनुभव हुआ.. मैंने तुरंत खुद को फिर से ढक लिया।

फिर आलोक ने ले जाकर मुझे मेरे बिस्तर पर लिटा दिया। जब मैंने उसकी तरफ देखा तो वो आँखे झुकाए खड़ा था.. पर उसका लंड तना हुआ था।

मैं समझ गई कि इसने मेरे नंगे बदन को देख लिया है और मेरे बदन के स्पर्श से इसका लंड खड़ा हो गया है।
पर उस वक्त में कुछ कह पाने वाली हालत में नहीं थी और मेरे अन्दर इतनी भी ताकत नहीं थी कि मैं उठकर अपने कपड़े पहन सकूँ।

तब आलोक ने मुझसे पूछा- चाची आप ठीक तो हैं।
मैंने आलोक से कहा- आलोक मेरी कमर और पीठ में बहुत दर्द हो रहा है।
वो बोला- चाची मैं अभी बाजार से आपके लिए दवा लाता हूँ।

मैंने उससे मना किया- मेडिकल यहाँ से बहुत दूर है और बाइक भी नहीं है।
पर वो बोला- चाची मैं आपको ऐसी हालत में नहीं देख सकता।

मैंने उससे बोला- मेरी कमर की मालिश कर दे।
वो तैयार हो गया।

मैंने उसे ड्रावर से तेल की बोतल लाने को कहा और फिर वो बोतल लेकर आ गया और फिर मुझसे बोला- चाची मैं बोतल ले आया हूँ।
मैं- मेरी कमर और पीठ पर मालिश कर दे।
आलोक- पर चाची आप तो सीधी लेटी हो और तौलिया भी लगा हुआ है।

फिर मैंने उसे पीछे पलटने को कहा.. तो वो पलट गया और मैंने तौलिया खोलकर उसे अपनी कमर से नीचे बाँध लिया। अब मेरा कमर तक आधा शरीर पूरा नंगा था। फिर मैं बिस्तर पर उलटी लेट गई.. जिससे मेरे मम्मे बिस्तर में छुप गए और मेरी पीठ और कमर बिल्कुल नंगी आलोक से सामने थी।

मैंने उसे पलटने को कहा तो वो सीधा हो गया और मुझे देखकर मुझे निहारने लगा और फिर मेरी मालिश करने लगा।
अब मुझे थोड़ा आराम मिलने लगा था।

वो मेरी कमर पर बहुत ही प्यार से अपने हाथों को फेर रहा था। पीठ पर मालिश करते-करते उसके हाथ मेरे चूचों पर भी टच हो रहे थे.. पर मैंने उसे कुछ नहीं कहा.. क्योंकि मालिश करते टाइम अक्सर यहाँ-वहाँ हाथ लग जाते हैं।

अब वो मेरी कमर की मालिश करने लगा, उसने कहा- चाची जी आपके तौलिये के कारण कमर की ठीक से मालिश नहीं हो पा रही है।

मैं उस वक्त दर्द के कारण कुछ कर भी नहीं पा रही थी, मैंने उससे बोल दिया- तौलिया थोड़ा नीचे सरका दो।

उसने तौलिया को थोड़ा नीचे खिसका दिया.. जिससे मेरी गाण्ड की दरार उसे साफ नज़र आने लगी और फिर वो मेरी मालिश करने लगा।

फिर मालिश करते टाइम उसका हाथ कभी-कभी मेरी गाण्ड को भी छू लेता.. तो मैं एकदम से सिहर जाती। अब तो वो मेरी गाण्ड की दरार में भी तेल की मालिश करने लगा.. पर मैं उसे कुछ बोल नहीं सकी।

करीबन आधे घंटे मालिश करने के बाद मैंने उसको बोला- आलोक अब रहने दो। अब मुझे पहले से ठीक लग रहा है.. बाकी अब कल कर देना।

वो ‘जी चाचीजी’ बोलकर वहाँ से दूसरे कमरे में चला गया।
मैं भी वैसे ही पड़े-पड़े सो गई।
koushal
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Re: Erotica मेराअतृप्त कामुक यौवन

Post by koushal »

जब मेरी नींद खुली तो मैं बिल्कुल नंगी बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उस वक्त पाँच बजने वाले थे।

मैं उठी और उठकर कपड़े पहनने लगी। मैंने एक टाइट गाउन पहन लिया था और अन्दर केवल पैंटी ही पहनी थी।
फिर मैंने चाय बनाई और आलोक के पास जाने लगी।

आलोक मोबाइल में कुछ देख रहा था और जैसे ही मैं कमरे में पहुँची.. उसने मोबाइल रख दिया।

मुझे देखते ही बोला- अरे चाची अब आपका दर्द कैसा है.. और आपने चाय बनाने की तकलीफ क्यों की.. मुझसे बोल देती.. मैं ही बना देता।
मैंने बोला- आज तुमने मेरी बहुत मदद की.. अगर तुम ना होते तो आज मैं दर्द से तड़प कर मर जाती।
आलोक बोला- चाची फालतू बातें मत करो आप।

मैंने आलोक को मालिश के लिए धन्यवाद बोला और उसे पीने के लिए चाय का कप दिया। चाय पीने के बाद हम वहीं बैठकर बात करने लगे।

थोड़ी देर बात करने के बाद मैंने उससे बोला- आलोक जरा मेरे लिए एक गिलास पानी ले आओ..

वो पानी लेने चला गया।
मैंने उसका मोबाइल उठाया.. उसमें कोई लॉक नहीं था और जब मैंने देखा तो वो उसमे पोर्न देख रहा था।
उसके आने की आहट सुनकर मैंने उसका मोबाइल वैसा ही रख दिया।

पानी पीने के बाद मैंने उसे बोला- आलोक आज तुमने मुझे जिस अवस्था में देखा.. प्लीज उसके बारे में किसी से मत कहना।
वो बोला- अरे चाची आप पागल हो क्या.. मैं किसी से क्यों बोलूँगा.. आपको मुझ पर भरोसा नहीं है क्या?
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है.. बस मैं तो तुझे बोल रही थी।

फिर मैंने उससे पूछा- तू मोबाइल में क्या देख रहा था?
तो वो घबरा गया और बोला- बस ऐसे ही टाइमपास के लिए मूवी देख रहा था।

मैंने बोला- मुझे भी दिखा कौन सी मूवी देख रहा था।
वो बोला- अच्छी मूवी नहीं है आपके देखने लायक नहीं है।
फिर मैंने कहा- ठीक है।

फिर वो बात को पलटते हुए बोला- चाची जी वैसे आप इस गाउन में बहुत ही सेक्सी दिख रही हो।
मैंने बोला- तूने तो मुझे बिना गाउन के भी देख लिया है.. तब सेक्सी नहीं दिखी तुझे।

वो हँसने लगा और मैंने अपने गाउन का ऊपर का बटन खोल दिया.. जिससे मेरे आधे चूचे बाहर निकलने लगे।

अब मैं भी उसके मजे लेने लगी, मैं बोली- जब तूने मुझे उठाया था.. तब तेरा भी कुछ उठ गया था।
वो हँसने लगा बोला- चाची आप भी..

मैंने उससे पूछा- मेरा नंगा बदन देख कर कैसा लगा तुझे?
वो बोला- चाची आप का फिगर बहुत शानदार है.. अगर आपके जैसी वाइफ मुझे मिल जाए तो उसे रोज प्यार करूँगा।

मैंने कहा- मुझ जैसी ही क्यों?
तो बोला- आप जैसा फिगर होना चाहिए बस।
मैंने चुदास भरे स्वर में कहा- तुझे मेरे फिगर में क्या अच्छा लगा?
वो कुछ मुस्कुराते हुए बोला- बताऊँ?
‘बता..’

फिर वो उठकर मेरे बगल में आ गया और बोला- चाची आपकी बॉल्स बाहर आ रही हैं।
मैं- तो तू अन्दर कर दे इन्हें।

फिर उसने मेरे चूचों को छुआ और उन्हें सहलाने लगा.. मैं भी गर्म हो गई थी। फिर उसने मेरी गाउन का दूसरा बटन भी खोल दिया.. जिससे मेरे दोनों ख़रबूज़ बाहर आ गए और वो उन्हें किस करने लगा।

मेरे मुँह से ‘आहहहहह.. उहहहह..’ की सिसकारियाँ निकलने लगीं।

फिर वो मेरे मम्मों को मसलने लगा और अपने होंठों को मेरे होंठों के ऊपर रख कर उन्हें चूमने लगा, मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी।

करीब दस मिनट के बाद उसने मेरे होंठों को छोड़ा और मेरे मम्मों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया। इस सब में मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं भी खुलकर उसका साथ दे रही थी।
मेरे मुँह से निकलती सिसकारियाँ उसे बहुत ही उत्तेजित कर रही थीं।

अब उसने मेरा गाउन उतार दिया और मैं उसके सामने बस पैंटी में थी। उसने मुझे बिस्तर पर लेटाया और ऊपर से लेकर नीचे तक मेरे पूरे बदन को चाटने लगा।
मेरे गोरे बदन पर काली पैंटी को देखकर उसकी आँखें कामुकता से भर आई थीं।
koushal
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Re: Erotica मेराअतृप्त कामुक यौवन

Post by koushal »

अब वो बेहिचक मेरे पूरे बदन के साथ खेल रहा था। कभी मेरे मम्मों को चूसता.. कभी मेरी नाभि को अपनी जीभ से कुरेदता.. कभी मेरे पेट को अपनी आरी जैसी जीभ से चाटता।

फिर उसने अपने कपड़े उतार दिए, अब वो मेरे सामने केवल अपनी फ्रेन्ची में था.. जिसमें से उसका लंड किसी मिसाइल की तरह दिखाई दे रहा था।

वो मेरे मुँह के पास आकर खड़ा हो गया और बोला- चाची जी, मेरा मुन्ना आपको देखना चाहता है।

उसके इतना बोलते ही मैंने उसके लण्ड को उसकी चड्डी से बाहर निकाल दिया और उसे अपने हाथों से सहलाने लगी।

आलोक- चाची अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा.. आप इसे अब इसकी मंजिल तक पहुँचा दो।

मैंने उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी।

थोड़ी देर चूसने के बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाला और बोला- चाची ये तो अब बस आपकी चूत में जाना चाहता है।
मैंने उससे बोला- अभी नहीं, अभी बच्चों के आने का टाइम हो गया है और फिर तेरे चाचा भी आने वाले हैं।
आलोक- तो ठीक है.. अभी तो इसे शांत कर दो।

वो नीचे आया और मेरी पैंटी उतार दी। उत्तेजना के कारण मेरी चूत से पानी आने लगा था और पैंटी पूरी गीली हो गई थी।
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, वो मेरे नीचे था और मैं उसके ऊपर थी।

अब वो मेरी चूत चाट रहा था और अपनी जीभ से उसे कुरेद रहा था। मैं किसी आइसक्रीम की तरह उसके लंड को चूस रही थी।
थोड़ी देर बाद जैसे ही उसे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ.. तो वो और जोर-जोर से मेरी चूत को चाटने लगा और तुरंत मैं झड़ गई।

इतनी उत्तेजना मैंने जिंदगी में पहली बार महसूस की थी।
आलोक मेरे पानी को चाटने लगा और पी गया।

अब आलोक खड़ा हुआ और मुझे घुटनों के बल बिठा दिया। फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और मेरे बालों को पकड़कर मेरे सर को आगे-पीछे करने लगा।

कुछ ही देर बाद वीर्य की तेज धार उसके लण्ड से निकलने लगी और वो पूरा पानी मेरे मुँह में भर गया और मैं उसे निगल गई।
उसके वीर्य का बहुत ही मस्त स्वाद था, काश ऐसा पानी रोज मेरी प्यास बुझाता।

फिर हम दोनों उठे और एक-दूसरे को फिर से एक प्यार भरी चुम्मी दी। फिर हमने अपने कपड़े पहने और खुद को साफ किया।
इसके बाद आलोक पीछे से आकर मुझसे लिपट गया और अपना लंड मेरी गाण्ड में सटा दिया.. जिसका साफ अनुभव में कर सकती थी।

फिर वो मुझसे बोला- चाची आप बहुत क़यामत हो.. मेरा लंड आपकी मोटी गाण्ड में घुसने के लिए बेक़रार हो रहा है।
मैंने बोला- सब्र कर.. तू भी यहीं है.. और मैं भी।

उसके बाद उसने मेरी गाण्ड पर एक चपत मारी तो मेरे मुँह से ‘उई माँ..’ निकल गया और फिर वो मेरे होंठों पर किस करने लगा।

इतने में ही डोरबेल बजी और हम अलग हो गए।

मैंने कहा- बच्चे आ गए हैं।
मैंने बाहर जाकर गेट खोला तो बच्चे अन्दर आए।

रोहन मुझसे बोला- माँ आज आप बहुत खुश लग रही हो और सुन्दर भी।

मैंने अपने बेटे को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर हम लोग अन्दर आ गए। थोड़ी देर बाद मेरे पति रवि भी आ गए.. फिर हम सब लोगों ने मिलकर खाना खाया और फिर सब सोने चले गए।

रात को मैं और मेरे पति बेडरूम में थे तब रवि बोला- आज तुम इस गाउन में बहुत सेक्सी लग रही हो।

वो मुझे किस करने लगे और फिर उन्होंने मुझे नंगी कर दिया और मुझे चोदने लगे.. कुछ देर बाद मैं झड़ गई और फिर वो भी झड़ गए और हम दोनों वैसे ही एक-दूसरे के ऊपर सो गए।

मुझे ऐसा लग रहा था कि सेक्स करते वक्त खिड़की से हमें कोई देख रहा था। अँधेरा होने के कारण मुझे दिख नहीं रहा था… पर मुझे पता था कि आलोक ही होगा.. तो मैंने कुछ नहीं किया।

इससे आगे क्या हुआ वो सब बाद में।

एक बार मैं अपनी सहेली मनीषा के साथ शॉपिंग करने मार्किट गई थी। उस वक्त अन्नू स्कूल गई हुई थी और रोहन भी अपने कोलेज गया था, दोनों को वहाँ से आने में पांच बज जाते हैं और मेरे पति रवि को भी ऑफिस से आने में आठ बज जाते हैं।

अब रोहन के साथ भी मुझे मुश्किल से टाइम मिल पाता था क्योंकि वो सुबह कॉलेज चला जाता था और शाम को ही आता था।
तो दोपहर का समय मुझे अकेले ही काटना पड़ता है इसलिए मैं टाइम पास करने के लिए मनीषा के साथ मार्किट चली गई।

मनीषा मेरे घर के नजदीक ही रहती थी तो हमारी आपस में बहुत अच्छी बनती थी।
मनीषा दिखने में सुन्दर है, उसकी उम्र कुछ 35 साल है और एक अच्छे फिगर की मालकिन है।

हम लोग आपस में बहुत खुले हुए है और हम दोनों के बीच हर तरह की बातें होती हैं।

शॉपिंग करने के लिए हम लोग एक अच्छी साड़ी की शॉप पर गये थे। वो शॉप मनीषा के किसी दोस्त की ही थी। मैंने काली साड़ी पहनी हुई थी जो कमर से बहुत नीचे बंधी हुई थी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जो लो कट था।

दुकान पर सब मुझे ही घूर रहे थे। मेरे मम्मों और नंगी कमर पर सबकी निगाहें अटकी हुई थी जिसे मैं बार बार नोटिस कर रही थी।कुछ लोग तो मेरे पास से गुजरने के बहाने मेरी कमर और गांड को छू लेते थे।
मैं भी मूड में आ गई थी और जान बूझकर और उन्हें उकसा रही थी।

देवेश जो दुकान का मालिक और मनीषा का दोस्त था हमें साड़ी दिखा रहा था और सबसे ज्यादा वही मुझे घूर रहा था।
मैं भी उसे अपनी और कुछ ज्यादा ही आकर्षित कर रही थी, साड़ी दिखाते टाइम मैं अपना पल्लू उठाकर ठीक करने लगी जिससे देवेश को मेरे अधनंगे मम्मों के दर्शन हो गए।

मैंने देखा की उसका लंड उसके पैंट में तना जा रहा है और वो उसे अपने हाथों से मसल कर बार बार अंदर दबा रहा था।
मैं उसे बार बार ऐसा करते हुए देख रही थी।
एक बार तो हम दोनों की नज़रे भी आपस में टकरा गई तो हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए और फिर से वही सिलसिला शुरू हो गया।

मनीषा ने अपने लिए साड़ियाँ खरीद ली थी पर मुझे अपने लिए कोई पसंद नहीं आई। तो देवेश मुझसे बोला अगर आपको और साड़ियाँ देखनी हो तो आप एक बार गोदाम में चल कर देख लीजिये, शायद आपको पसंद आ जाये।

मैंने मनीषा को भी साथ चलने का बोला पर वो और सामान खरीदने लगी तो मुझे देवेश के साथ अकेले ही गोदाम में जाना पड़ा जो दुकान के तीसरे माले पर था।

गोदाम में जाते ही उसने मुझे बैठने का बोला और फिर साड़ियाँ दिखाने लगा।

वो मेरे बगल में ही खड़ा था जिससे मुझे उसका खड़ा लंड मेरे मुंह के पास ही महसूस हो रहा था। जब मैंने नज़र उठा कर उसकी तरफ देखा तो वो मेरे मम्मों को घूर रहा था।
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Re: Erotica मेराअतृप्त कामुक यौवन

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मैं उससे बोली- क्या हुआ जनाब? ऐसा क्या देख रहे हो आप मुझको?
वो मुस्कुरा कर बोला- आप इस साड़ी में बहुत सुन्दर दिख रही हैं।
मैं भी उसको छेड़ते हुए बोली- हाँ, वो तो आपकी पैंट देख कर ही पता लग रहा है।

मेरी इस बात से वो पहले तो चुप रहा और फिर बोला- भाभी जी, आप का ब्लाउज तो बहुत ही लो कट का है। आप बहुत सेक्सी लग रही हो इसमें!
मैंने हंसते हुए उसे धन्यवाद बोला।

मुझे एक साड़ी पसंद आ गई थी और मैंने उसे पैक करवा ली थी तभी देवेश बोला- अगर आपको स्टाइलिश मैचिंग अंडर गारमेंट्स भी लेने है तो वो भी मिल जाएंगे।
तो मैं अपने लिए अंडर गारमेंट्स देखने लगी।

उनमें से कुछ मुझे पसंद आये तो मैं देवेश से बोली- मैं इन्हें ट्राय करना चाहती हूँ।
तो देवेश बोला- ट्रायल रूम तो नहीं है, अगर आपको ट्राय करना है तो यहीं कर सकती हैं।

मैं उससे बोली- मैं क्या तुम्हारे सामने चेंज करुँगी?
तो देवेश बोला- आप फ़िक्र न करें, यह तो मेरे रोज का काम है।

मैं देवेश के मन की भड़ास को समझ चुकी थी और अब मैं भी इसका मजा लेना चाहती थी तो मैं भी उसके सामने ट्राय करने के लिए तैयार थी।

मैंने देवेश की तरफ पीठ की और फिर अपने पल्लू को नीचे गिराकर अपने ब्लाउज के हुक को खोल दिया और ब्लाउज उतार कर साइड में रख दिया।
फिर मैंने अपनी ब्रा को भी उतार दिया।

अब मैं ऊपर से बिल्कुल नंगी और कमर से साड़ी में थी।


मैंने अब नई ब्रा को उठाया और पहनने लगी, मैंने उसे ठीक से अपने मम्मो पर सेट किया और फिर हुक लगाने लगी।
ब्रा का हुक मुझसे नहीं लग रहा था तो मैंने देवेश की तरफ सर घुमा कर उसे इशारा किया।
वो समझ गया और आकार ब्रा का हुक लगाने लगा।

वो मुझसे सटकर खड़ा था जिससे उसका लंड मेरी गांड में झटके दे रहा था।
मैं भी अपनी गांड को पीछे की ओर उसके लंड पर दबा रही थी और शायद इसका एहसास उसको हो गया था तो उसने ब्रा के ऊपर से ही अपने हाथों को मेरे मम्मों पर रख दिया।
और फिर धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा।

अब उसने मुझे अपनी और घुमाया और मेरे होंठों को चूमने लगा। उसने ब्रा भी उतार कर फेंक दी और अब वो मेरे नंगे मम्मों को मसल रहा था।

उसने ज्यादा देर ना करते हुए मेरी साड़ी, पेटिकोट को उतार दिया।
अब मैं केवल पैंटी में उससे लिपटी हुई खड़ी थी।

देवेश ने मुझे उठाकर काउंटर पर बैठा दिया और मेरी टाँगें उठाकर पैंटी उतार दी। अब वो मेरी चूत पर थूक कर उसे अपनी उंगलियों से मलने लगा।
उसने मेरी चूत के दाने को सहलाना शुरू कर दिया और फिर एक उंगली मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा।

मेरी चूत गीली होने लगी थी तो उसने उंगली निकाल कर अपने पैंट को उतार दिया और लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथों में थमा दिया।

मैंने थोड़ी देर तक लंड को सहलाने के बाद लंड पर ढेर सारा थूक लगा लिया और फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत पर लगा कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।
दो तीन धक्कों में उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा चुका था और मैं मस्ती में सिसकारियाँ ले रही थी।

मैं वही काउंटर पर टाँगें फैलाये बैठी थी और देवेश अपने लंड को चूत में अंदर बाहर किये जा रहा था।
अब देवेश ने जोरों के धक्के देना शुरू कर दिए उसका लंड मेरी चूत में अंदर तक जा रहा था जो मुझे मीठा सा दर्द दे रहा था।

मैंने अपने दोनों हाथों से देवेश की कमर को पकड़ लिया था जिससे मेरे नाखून उसकी कमर पर चुभ रहे थे।
मेरे मुंह से आआहह हहहहह आआआ ओऊऊहहह ऊऊऊऊहह हहहह की आवाज़ें निकल रही थी जिसे बंद करने के लिए देवेश ने मेरे मुंह में अपनी तीन उंगलियाँ डाल दी।

उसके धक्कों की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी।
थोड़ी देर उसी तरह चोदने के बाद उसने मुझे काउंटर से नीचे उतारा और मुझे काउंटर की तरफ झुकने को बोला।

मैंने अपने दोनों हाथों को काउंटर पर रखा और देवेश की तरफ पीठ करते हुए झुक गई।
मेरे इस आसन में खड़े होने के कारण मेरी बड़ी गोल गांड देवेश के सामने थी।

देवेश ने अब अपने लंड को पीछे से मेरी चूत पर लगाया और एक ही धक्के के साथ पूरे लंड को मेरी चूत में उतार दिया।
मैं दर्द से कराह उठी इस आसान में मेरी चूत कुछ ज्यादा ही कसी हुई लग रही थी।

देवेश के लगातार धक्कों की वजह से मेरी गीली चूत से पानी निकलने लगा और मैं झड़ने लगी।
झड़ते वक्त मैं अपने एक हाथ से दाने को रगड़ने लगी जिससे मैं और जोर जोर से झड़ने लगी।

देवेश भी अपने चरम पर था और मेरी चूत से निकले हुए पानी के कारण उसका लंड पूरा गीला हो चुका था।
तभी देवेश ने पीछे से ही अपने हाथों से मेरे मम्मों को जकड़ लिया और फिर जोरदार धक्कों के ही साथ मेरी चूत में झड़ने लगा।
उसके वीर्य की लगातार धार मेरी चूत को अंदर तक गीला कर रही थी।

मैं इतनी मदहोश थी कि मुझे इस बात की भी याद नहीं थी कि मनीषा मेरा इंतजार कर रही होगी।
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