Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

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josef
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

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उसकी ३४ब साइज़ की सफ़ेद रंग की चूचियां तन कर खड़ी थी, और उन स्तनों की शोभा बढ़ाते दो छोटे-२ निप्पल्स किसी हीरे की तरह चमक रहे थे.
फिर उसने अपने हाथ अपनी जांघो के बीच में डाला और अपनी चूत में से वो काला डिल्डो निकाला , वो पूरी तरह से गीला था, उसका रस डिल्डो से बहता हुआ ऋतू की उँगलियों तक जा रहा था, मैंने उसके हाथ से डिल्डो लिया और उसको चाटने लगा, गर्म और ताज़ा, मैं जल्द ही उसे पूरी तरह से चाट गया, वो ये देखकर खुश हो गई.
मैं : " मुझे भी तुम्हारा रस अच्छा लगा"
ऋतू बोली "अब मुझे भी तुम्हारा थोडा रस और चखना है...अपना लंड अपने हाथ में पकड़ो..."
मेरे लंड के हाथ में पकड़ते ही वो झुकी और मेरे लंड के चारो तरफ अपने होंठो का फंदा बना कर उसमे बची हुई आखिरी बूँद को झट से चूस गई.. मैं तो सीधा स्वर्ग में ही पहुँच गया.
"वाउ ..." मैंने कहा "ये तो और भी अच्छा है"
ऋतू बोली " तुम्हारा लंड भी इस नकली से लाख गुना अच्छा है"
"क्या मैं भी तुम्हे टेस्ट कर सकता हूँ"...मैंने शर्माते हुए ऋतू से पुचा.
"तुम्हारा मतलब है जैसे मैंने किया....क्यों नहीं....ये लो."
इतना कहकर वो मेरे बेड पर अपनी कोहनी के बल लेट गयी और चोडी करके अपनी टाँगे मोड़ ली, उसकी गीली चूत मेरे बिलकुल सामने थी.मैं अपने घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया और उसकी जांघो को पकड़ कर अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी...वो सिसक पड़ी और अपना सर पीछे की तरफ गिरा दिया..
उसकी मादक खुशबु मेरे नथुनों में भर गयी ...फिर तो जैसे मुझे कोई नशा सा चढ़ गया, मैं अपनी पूरी जीभ से उसकी चूत किसी आइसक्रीम की तरह चाटने लगा, ऋतू का तो बुरा हाल था, उसने अपने दोनों हांथो से मेरे बाल पकड़ लिए और खुद ही मेरे मुंह को ऊपर नीचे करके उसे कण्ट्रोल करने लगी, मेरी जीभ और होंठ उसकी चूत में रगड़कर एक घर्षण पैदा कर रहे थे और मुझे ऐसा लग रहा था की मैं किसी गरम मखमल के गीले कपडे पर अपना मुंह रगड़ रहा हूँ....उसकी सिस्कारियां पुरे कमरे में गूंज रही थी..और फिर वो एक झटके के साथ झड़ने लगी और उसकी चूत में से एक लावा सा बहकर बाहर आने लगा.
मैं जल्दी से उसे चाटने और पीने लगा, और जब पूरा चाटकर साफ़ कर दिया तो पीछे हटकर देखा, ऋतू का शारीर बेजान सा पड़ा था और उसकी अद्खुली ऑंखें और मुस्कुराता हुआ चेहरा हलकी रौशनी में गजब का लग रहा था.
मेरा पूरा चेहरा उसके रस से भीगा हुआ था.
वो हंसी और बोली "मुझे विश्वास नहीं होता की आज मुझमें से इतना रस निकला....ऐसा लग रहा था की आज तो मैं मर ही गई"
मैंने पूछा "तो तुम्हारा जवाब क्या है"?
"हाँ बाबा हाँ, मैं तैयार हूँ" वो हँसते हुए बोली.
वो आगे बोली "लेकिन वो भी पहली बार सिर्फ तुम्हारे लिए, तब तुम अपने दोस्तों को नहीं बुलाओगे....फिर बाद में हम डिसाईड करेंगे की आगे क्या करना है"
"ठीक है...मुझे मंजूर है" मैंने कहा.
मैंने उसे खड़ा किया और उसे नंगे ही गले से लगा लिया "तुम्हे ये सब करना काफी अच्छा लगेगा "
वो कसमसाई और बोली "देखेंगे..."
और अपना गाउन पहन कर अपने डिल्डो को अंडर छुपा लिया और बोली "मुझे भी अपनी चूत पर तुम्हारे होंठो का स्पर्श काफी अच्छा लगा..ये एहसास बिलकुल अलग है...और मुझे इस बात की भी ख़ुशी है की मेरा अब कोई सिक्रेट भी नहीं है"
"हम दोनों मिलकर बहुत सारे पैसे कमाएंगे..." मैंने कहा..." और बहुत मज़ा भी करेंगे...."
"गुड नाईट " मैंने बोला.
"गुड नाईट " ये कहकर वो अपने रूम में चली गयी.
मैं भी ऋतू के बारे में और आने वाले समय के बारे में सोचता हुआ अपनी आगे की योजनायें बनाने लगा..
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josef
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

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अगले दिन जब मैं उठा तो कल रात की बातें सोचकर मुस्कुराने लगा, फिर कुछ सोचकर झटके से उठा और छेद में देखने लगा, पहले तो मुझे कुछ दिखाई ही नहीं दिया पर जब गौर से देखा तो हैरान रह गया, ऋतू की चूत मेरी आँखों के बिलकुल सामने थी, वो छेद के पास खड़ी हुई अपनी चूत में डिल्डो अन्दर बाहर कर रही थी....बिलकुल नंगी.
मैं तो ये देखकर पागल ही हो गया., मैंने झट से अपना तना हुआ लंड बाहर निकाला और उसे तेजी से आगे पीछे करने लगा, मेरा मन कर रहा था की मैं अपनी जीभ छेद में डाल कर अपनी बहन की चूत में डाल दू और उसे पूरा चाट डालूं. मैं ये सोचते-२ जल्दी ही झड़ने लगा....तभी छेद में से ऋतू को अपनी तरफ देखते देखकर मैं पास गया तो उसने पुछा "क्या तुम्हारा हो गया...?"
"हाँ..."मैंने जवाब दिया "और तुम्हारा ...?"
"हाँ मेरा भी..." वो मुस्कुराई.
"मुझे तो बड़ा ही मजा आया" मैंने कहा.
"मुझे भी....चलो अब नीचे नाश्ते की टेबल पर मिलते है.." ये कहकर वो बाथरूम में चली गयी, अपनी गांड मटकाती हुई.
आज मेरे दिल में एक अजीब सी ख़ुशी मचल रही थी, जिंदगी के ये नए रंग मुझे सचमुच अच्छे लग रहे थे, हांलांकि भाई बहिन के बीच ये सब पाप की नजर से देखा जाता है पर ना जाने क्यों ये पाप करना मुझे अच्छा लग रहा था.
मैं नाश्ता करके अपनी बाईक पर ऋतू को स्कूल छोड़ने चल दिया, रास्ते भर हम अपने इस नए "बिज़नेस" के बारे में बातें करते रहे, की कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएँ, अगर १ हफ्ते में २ बार हम २ लोगो को या फिर ४ लोगो को, या फिर ३ से ४ बार "स्पेशल शो" दिखाएँ तो कितने पैसे मिलेंगे...और हिसाब से पैसे हमेशा बड़ते जा रहे थे, ये देखकर ऋतू काफी खुश हो रही थी.
उसी रात डिन्नर के टाइम ऋतू ने मम्मी पापा से कहा की उसकी सहेली पूजा कल रात यहीं पर रहेगी क्योंकि उनके एक्साम्स आ रहे हैं और वो उसकी तय्यारी करना चाहतें हैं. पूजा का नाम सुनते ही मैं चौंक गया, मैंने कई बार पूजा को अपने घर पर ऋतू के साथ देखा है, वो एक पंजाबी लड़की है, काफी सांवली जैसे पुराने जमाने की एक्ट्रेस रेखा हुआ करती थी, पर उसके मुम्मे और हांड ग़जब की है, एकदम टाईट और फेली हुई गांड और तने हुए छोटे खरबूजे जैसे मुम्मे.मैंने उनके बारे में सोच सोचकर कई बार मुठ भी मारी थी.
तो वो ही वो लड़की है जिसने ऋतू को वो डिल्डो दिया था, तब तो वो काफी अडवांस होगी और मुझे भी काफी मौज करने को मिलेगी,, मैं यह सोचकर हलके हलके मुस्कुराने लगा. मुझे मुस्कुराते देखकर ऋतू भी रहस्यमयी हंसी हंस दी.
अपने कमरे में आने के बाद मैंने छेद में से झाँकने की कोशिश की पर वहां तो बिलकुल अँधेरा था, ऋतू ने लाइट बंद कर दी थी और वो अपने बिस्टर पर सो रही थी, मैं भी अपने बिस्तर पर जा कर सोने की कोशिश करने लगा.
तक़रीबन १ घंटे के बाद मुझे अपने दरवाजे पर हलचल महसूस हुई और मैंने देखा की ऋतू चुपके से मेरे कमरे मैं दाखिल हो रही है. उसने वोही नाईट गाउन पहन रखा था.
"क्या हुआ ..इतनी रात को तुम्हे क्या चाहिए ?" मैंने पुछा.
"क्या तुम फिर से मेरी चूत चाट सकते हो, जैसे कल चाटी थी, मुझे सच में बड़ा मजा आया था.." ऋतू ने कहा.
"क्या सच मैं..." मुझे तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हुआ..
"हाँ ...और अगर तुम चाहो तो बदले में मैं तुम्हारा लंड चूस दूंगी क्योंकि मेरे डिल्डो में से रस नहीं निकलता...हे हे ." वो खिलखिलाई.
"वाउ , ठीक है मैं तैयार हूँ " मैंने कहा.
"ओके..देन " ..फिर ऋतू ने एक झटके से अपना गाउन उतार फेंका उसने कल की तरह अन्दर कुछ भी नहीं पहन रखा था,...एकदम नंगी..मैंने अपने बेड के साइड का बल्ब जला दिया, दुधिया रौशनी में उसका गोरा बदन चमक उठा. वो आकर मेरे बेद पर अपनी टाँगे फैला कर लेट गयी, मैंने भी अपना मुंह उसकी चूत पर टिका दिया, और उसके निचले अधरों का रस पान करने लगा, आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी, उसकी गीली चूत में मुंह मारने में काफी मजा आ रहा था, वो लम्बी-२ सिस्कारियां ले रही थी और आशु...आशु...बडबडा रही थी.
आआआआआआआआह .......आआअशु ....म्म्म्मम्म्म्मम्म . मैंने उसकी क्लिट अपने दांत में लेकर चुब्लाना शुरू कर दिया...वो तो पागल ही हो गयी. मैंने सांस लेने के लिए जैसे ही अपना सर उठाया,उसने एक झटके से मेरे सर को दोबारा अपनी चूत पर टिका दिया और बोली.....बस्स्सस्स्स्सस्स्स थोडा आआआआआआऔर .......म्म्मम्म्म्मम्म ...चुसो मेरी चूत को....पी जाओ मेरा रस.......माआआआआआ ......
फिर तो जैसे एक सैलाब आया, मैं दीवानों की तरह उसकी चूत में अपनी जीभ और दांत से हमले करता चला गया....अंत में जब वो धराशायी हुई तो उसका पूरा बदन कांपने लगा और शरीर ढीला हो गया. मैंने जल्दी से उसका रस पीना शुरू कर दिया...अंत में वोह बोली...बस करो आशु...मैं मर जाउंगी...बस करो.. प्लीज़ ..
josef
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मैं हटा तो उसकी आँखों में मेरे लिए एक अलग ही भाव था. मैंने कहा "मुझे तो तुम्हारी चूत का रस काफी अच्छा लगता है, काफी मीठा है, मुझे तो अब इसकी आदत ही हो गयी है..."
वो उठी और बोली "लाओ अब मैं तुम्हारा लंड चूस देती हूँ..."
"नेकी और पूछ पूछ.." मैं तेजी से उठा और अपना पायजामा जॉकी समेत उतार दिया और बेड के किनारे पर लेट गया.
वो मेरे सामने बैठी और बोली "मेरे पास डिल्डो सिर्फ एक वजह से है क्योंकि मेरे पास ये चीज असली में नहीं हैं.." उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और मसलने लगी.. नरम हाथों में आते ही मेरा पप्पू अपनी औकात पर आ गया और फूल कर कुप्पा हो गया.
"ये कितना नरम और गरम है" ऋतू बोली.
फिर उसने मेरे लंड को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया..जल्दी ही मेरे लंड के सिरे पर प्रिकम की बूँद चमकने लगी, वो थोडा झुकी और अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसे चाट गयी और फिर धीरे धीरे अपनी जीभ मेरे लंड के सुपदे पर फिरने लगी, मैं कोहनियों के बल बैठा आँखे फाड़े ये सब देख रहा था, फिर ऋतू ने अपने होंठ खोले और मेरे लंड को अपने मुंह में डाल लिया...वो तब तक नहीं रुकी जब तक मेरा सात इंच का लंड उसके गले से नहीं टकरा गया. फिर उसने अपने लब बंद कर लिए और अन्दर ही अन्दर अपनी जीभ मेरे लंड के चारो तरफ फिराने लगी.
मेरा तो बुरा हाल हो गया, उसके मुंह के अन्दर जाते ही वो कुछ ज्यादा ही मोटा और बड़ा हो गया था, मैं अपने लंड की नसें चमकते हुए देख सकता था. फिर उसने धीरे-२ लंड को बाहर निकला और बोली...ये तो टेस्टी भी है,,,और ये कहकर दुगने जोश के साथ उसको फिर मुंह में लेकर चूसने लगी. वो अपने एक हाथ से मेरी बाल्स को भी मसल रही थी, मैं जल्दी ही झड़ने के कगार पर पहुँच गया और जोर -२ से साँसे लेने लगा, वो समझ गयी और जोर से चूसने लगी, तभी मेरे लंड ने पिचकारी मार दी जो सीधे उसके गले के अन्दर टकराई, वो रुकी नहीं और हर पिचकारी को अपने पेट में समाती चली गयी, और अंत में जब कुछ नहीं बचा तभी उसने मेरा लंड छोड़ा.."वओ ...मजा आ गया...लंड चूसने में तो मजा है ही...रस पीने का मजा भी अलग ही है."
"ईट फीलस अनबिलेविल " मैंने उखड़ी सांसो से कहा.
"वेल... गुड नाईट " वो बोली और उठते हुए मेरे लंड पर एक किस करदी.
"गुड नाईट "
फिर वो अपना गाउन पहन कर चुपके से अपने रूम मैं चली गयी और मैं कल के बारे में सोचकर रंगीन सपने बुनने लगा.
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josef
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(^%$^-1rs((7)
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अगले दिन ऋतू को स्कूल छोड़कर जब मैं collage गया तो मेरा मन पढाई में नहीं लगा, सारा दिन मैं होने वाली रात के बारे में सोचता रहा, जब सन्नी और विकास ने भी मुझसे बात करने की कोशिश की तो उन्हें भी मैंने कहा बाद में बात करेंगे, वो दरअसल अगले "शो" के बारे मैं जानना चाहते थे. शाम को जब मैं घर पहुंचा तो मुझे ऋतू का इन्तजार था, थोड़ी देर में ही दरवाजे की बेल बजी और मैं भागकर गया, दरवाजा खोला तो ऋतू अपनी सहेली पूजा के साथ खड़ी थी, मुझे देखते ही ऋतू ने मुझे आँख मारी और बोली "भाई दरवाजे पे ही खड़े रहोगे या हमें अन्दर भी आने दोगे." और ये कहकर वो पूजा की तरफ देखकर जोर से खिखिअकर हंस दी. मैं साइड हो गया, पूजा ने अन्दर जाते हुए मुझे मुस्कुराके धीरे से हाई बोला, मैं तो उसकी सफेद शर्ट में फंसी हुई चूचियां ही देखता रह गया, जो शर्ट फाड़कर बाहर आने को तैयार थी, मैंने मन में सोचा ये लडकियां इतना भार अपने सीने पर संभालती कैसे हैं?.
अन्दर जाकर दोनों ने चेंज किया ,डिन्नर के टाइम में दोनों स्कूल, बोयस, मूवीज़ और आने वाली छुट्टियों के बारे में ही बातें करते रहे, फिर दोनों अपने रूम में चले गए, मैंने जल्दी से जाकर छेद से देखा तो दोनों बेड पर बैठकर पढाई कर रहे थे, मैं वापिस आकर लेट गया...उसके बाद कई बार चेक किया पर हर बार उन्हें पड़ते हुए ही पाया.
१ घंटे बाद मम्मी पापा ने सबको गुड नाईट बोला और अपने कमरे में सोने चले गए, मैंने फिर से छेद में देखा तो पाया की दोनों अपनी किताबें समेट रही हैं, फिर थोड़ी देर बैठकर बातें करने के बाद ऋतू ने धीरे से अपना गाउन खोल दिया ...लेकिन आज उसने अन्दर ब्रा और पेंटी पहन रखी थी, फिर पूजा ने भी अपनी टी शर्ट और केप्री उतार दी, उसने अन्दर ब्लैक कलर का सेट पहन रखा था. फिर दोनों ने बारी बारी से बाकी बचे कपडे भी उतार दिए, मेरी नजर अब सिर्फ पूजा पर ही थी, क्या ग़जब के चुचे थे यार..एकदम गोल-२ और तने हुए ऐसा लग रहा था जैसे कोई ताकत उन्हें ऊपर खींच रही है, और वो तन कर खड़े हुए हैं, उसके निप्पलस डार्क ब्लैक कलर के थे और एरोहोले काफी बड़े और फैले हुए थे, पेट एकदम सपाट, नाभि अन्दर की और घुसी हुई, चूत पर हलके - २ काले रंग के बाल थे, मोटी टाँगे और कासी हुई पिंडलियाँ, वो पलटी तो उसकी गांड देखकर ऐसा लगा की कोई गद्दा फिट किया हुआ हाई साली ने अपनी गांड में....मैंने एक मिनट में ही उसकी बॉडी का एक्सरे कर डाला, मेरा पप्पू अपने फुल मूड में आ चूका था.
ऋतू ने बेड के नीचे से अपना काला डिल्डो निकाला और मुंह में चूस कर पूजा को दिखाया, फिर दोनों हंसने लगी, ऋतू बेड पर लेट गयी और अपनी उँगलियों से अपनी चूत मसलने लगी, फिर पूजा लेटी और वो भी अपनी उंगलियाँ अपनी चूत में डालकर आँखें बंद करके मजे लेने लगी, उसकी चूत के अन्दर की बनावट मुझे साफ़ नजर आ रही थी, वो भी एकदम गुलाबी रंग की थी, थोड़ी फूली हुई, लेटने से उसकी गांड का छेद भी दिखाई दे रहा था, भूरा और एकदम टाईट
दोनों सिस्कारियां ले लेकर अपनी उंगलियाँ अपनी चूत में डाल रही थी.
फिर ऋतू ने डिल्डो उठाया और अपनी चूत में डालकर तेजी से अन्दर बाहर करने लगी, पूजा अभी भी अपनी उँगलियों से मजे ले रही थी, थोड़ी देर बाद ऋतू ने अपने रस से भीगा हुआ डिल्डो पूजा की चूत में लगाया, उसने आँखे खोली और साँसे रोककर ऋतू की तरफ देखा, ऋतू आगे बड़ी और अपने होंठ पूजा के खुले हुए लबों पर रख दिए, दोनों एकदम गीले थे, फिर ऋतू ने एक ही झटके में पूरा डिल्डो पूजा की नाजुक चूत में उतार दिया, उसकी आँखें बाहर की और निकल आई और वो छत्पटाने लगी, पर ऋतू ने उसके होंठ जकड़े हुए थे तो उसकी सिर्फ गूऊऊओ.गूऊऊऊऊ की आवाज ही सुनाई दी.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और जोर जोर से मुठ मारने लगा.
फिर ऋतू ने उसके होंठ छोड़ दिए, वो एकदम लाल हो चुके थे, उसके खुले मुंह से एक लार निकल कर उसके चुचे पर गिर गयी, ऋतू थोडा झुकी और पूजा की लार के साथ साथ उसके चुचे भी चाटने लगी, बड़ा ही कामुक द्रश्य था, पूजा अपने निप्पलस पर हुए इस हमले से मचलने लगी, उसके निप्पलस एकदम सख्त हो चुके थे, और लगभग एक इंच बाहर नजर आ रहे थे.
फिर ऋतू ने अपना पूरा ध्यान पूजा की चूत में लगा दिया, वो तेजी से डिल्डो अन्दर बाहर करने लगी, थोड़ी ही देर में एक आनंदमयी सीत्कार के साथ पूजा झड़ने लगी, उसका शरीर कांपते हुए चूत के जरिये अपना अनमोल रस छोड़ने लगा.
पूजा ने ऋतू का हाथ पकड़कर उसे रोक दिया, डिल्डो अभी भी पूजा की चूत में धंसा हुआ था, और पूजा का रस चूत में से रिस रहा था, ऋतू ने उसे निकाला और उसपर लिपटा हुआ जूस लपलपाकर चाटने लगी, फिर वोही डिल्डो अपनी चूत में डालकर पूजा के मुंह के आगे कर दिया, वो भी उसे चाटने लगी, तब तक ऋतू बेड पर उसी पोज़ में लेट गयी, अब पूजा ने धीरे -२ पूरा डिल्डो ऋतू की चूत में उतार दिया, वो भी उसके मजे लेने लगी, वो पहले से ही उत्तेजित थी तो झड़ने में ज्यादा वक़्त नहीं लगा, झड़ते ही उसने झटके से पूजा की गर्दन पकड़ी और एक गहरा चुम्बन उसके होंठो पर जड़ दिया. पूजा ने डिल्डो निकाल कर उसे चाटना शुरू कर दिया, रस ख़तम होने के बाद फिर से उसने चूत में डिल्डो डुबाया और चाटने लगी, जैसे चटनी के साथ समोसा खा रही हो.
थोड़ी देर बातें करने के बाद दोनों बेड पर लेट गयी और एक दुसरे की चूत पर हाथ रखकर उसे मसलने लगी, दोनों की आँखें बंद थी, फिर ऋतू धीरे से उठी और सीधे पूजा की चूत पर अपना मुंह लगा दिया.
उसने पूजा की दोनों जांघे पकड़ रखी थी पूजा ने ऋतू के बालों में अपनी उंगलियाँ फंसा दी और बेड पर जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी, ऋतू उसकी चूत नीचे से ऊपर तक चाट रही थी, और फिर अपनी जीभ से उसकी चूत कुरेदने लगी, पूजा अपने कुल्हे हवा में उठा कर सिसकारी ले रही थी,
आआआआआअ.रीईईईइतूऊऊऊउ मैं माआआआआआर गैईईईईईईईई ..... आआआआआआआआआआह्ह्ह ......जूऊऊऊऊऊऊर्र्र्र सीईईईईईईईईई ......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह !!!!!!!!!!!!!!!!हाआआआआन हाआआआआआन चाआआतो मेरीईईईइ चूऊऊऊऊओत ... आआआआआह.
और फिर वो झड़ने लगी.
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