पार्ट - 77
घर में कोई और था नहीं … तो डॉ दीदी खुल कर एन्जॉय क़रना चाहती थीं।
डॉ दीदी मुझे किस करने लगीं।
मैं उनके चुम्बन का मजा लेने लगा।
वो मुझे दो मिनट तक किस करने के बाद मुझसे अलग होकर बोलीं- तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो। मैं तुम्हारी तरफ से पहल करने का बहुत बेसब्री से वेट क़र रही थी, पर जब तुमने कुछ नहीं किया, तो मैंने खुद ही सोची कि मैं ही शुरू कर दूं।
मैंने बस इतना ही कहा- इतनी भी जल्दी क्या थी?
तो डॉ दीदी ने कहा- जल्दी इसलिए कि कहीं तुमको कोई दूसरी न पटा ले।
मैं हंस दिया।
मैंने कहा- मैं तो पहले से ही आप पर फ़िदा था। हां यदि आपकी तरफ से लिफ्ट न मिलती, तो अलग बात थी।
डॉ दीदी ने मुस्करा कर मेरी तरफ बांहें फैला दीं, तो मैंने उन्हें हग कर लिया और उनको चूमने लगा।
डॉ दीदी भी मुझसे नागिन सी लिपट गईं और मेरे बदन में सनसनी दौड़ने लगी। उनके चूचे मेरी छाती में गड़े जा रहे थे। उनकी गर्दन की चुम्मियां मुझे बौरा रही थीं और उनके बालों की महक मुझे पागल किये दे रही थी।
मैंने उनको अपनी बांहों में जकड़ते हुए अपने में समाने की कोशिश की तो मेरे लंड खड़ा होकर उनकी कमर से लड़ने लगा। दीदी भी मेरे कानों में गर्म सांसें छोड़ते हुए कह रही थीं।
‘यू आर हॉट बेबी।'
मैं भी उन्हें गर्दन पर किस करते हुए कहने लगा- यू टू माइ डॉल।
डॉ दीदी अपने बदन पर सेक्सी परफ्यूम लगाकर आई थीं।
उनकी उस महक से मैं मस्त महसूस करने लगा। मैं उनकी सेक्सी महक से खुद को मदहोश महसूस करने लगा था। मैंने उनको अपने से और भी ज्यादा चिपका लिया था। वो भी पूरी मेरे ऊपर लेट गई थीं और उन्होंने अपने आपको मेरे सुपुर्द कर दिया था।
मेरे कान में दीदी बोलीं- जान मैं बहुत प्यासी हूँ। आज मेरी प्यास बुझा दो। मैं आज तेरी हूँ।
डॉ दीदी की डिमांड पर मैं क्या बोलता, मैं उनकी चाहत को सुनकर खुद बहुत खुश हो गया था। मैं भी उन्हें खूब मजा देना चाहता था। उनमें समां जाना चाहता था।
मैं उनके होंठों को किस करते हुए उनके मम्मों को दबाने लगा। वो भी मेरे होंठों में अपने होंठ लगाते हुए अपना रस पिलाने लगीं। वाओ क्या रस से भरे होंठ थे। मैंने जीभर कर डॉ दीदी के होंठों को चूसा। दीदी ने अपनी जीभ भी मेरे मुँह में डाल दी थी। मैं तो एकदम से पागल ही हो गया था।
शायद प्रेम करते समय मर्द और औरत के मुँह जुड़ना लंड चूत की चुदाई से कहीं ज्यादा मजा देता है। ऐसा मेरा अनुभव है। तब भी चुदाई को प्रकृति ने बनाया है। उसी से सृजन होता है। तो उससे अधिक तो कुछ हो ही नहीं सकता है।
मैं डॉ दीदी के होंठों और जीभ को चूसने के साथ साथ नीचे हाथ ले गया और उनकी चूत को निक्कर के ऊपर से रगड़ने लगा।
अपनी चूत पर मेरा हाथ पाकर वो एकदम से मस्त और गर्म हो गईं।
चुदास की गर्मी थी और पहला मिलन था, तो कुछ ही पलों में उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
वो मेरी ऊपर में अपना वजन डालते हुए बोलीं- आंह राज … मेरे अन्दर बहुत दिनों की आग लगी थी। ऊपर से तुमको याद करके मैं हॉस्पिटल में तुम्हारे नाम से अपनी चूत में उंगली कर रही थी।
मैंने उनके गालों पर कट्टू करते हुए कहा- मुझे नहीं पता था कि आप इतनी प्यासी हो। एक इशारा तो दिया होता तो रात को ही चोद देता।
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Incest परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई।
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Re: Incest परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई।
पार्ट - 78
उन्होंने हंस कर बोला- रात को तुम्हे मम्मी से फुरसत कहाँ थी।
ये सुन कर मैं चुप हो गया तो डॉ दीदी बोली- मैंने रात को सब देखा है कि तुमने मम्मी को कैसे मज़े कराए है। मुझे भी आज वैसे ही मजे करवाना।
मैं- ओके दीदी।
डॉ दीदी- अब तुम जल्दी से मुझे चोद दो।
पर अभी मैं जल्दीबाजी नहीं करना चाहता था।
मैंने कहा- जान आज तुम्हें पूरा मजा दूंगा।
वो गिड़गिड़ाने लगीं- मजा बाद में देते रहना। पहले एक बार मुझे ठंडा कर दो।
मैंने डॉ दीदी की बात मान ली और उनको नंगी कर दिया। डॉ दीदी का क्या मस्त बदन था मेरी तो आंखें चुंधिया गई थीं। एकदम मक्खन सा चिकना शरीर न जाने कितने दिनों से किसी मर्द के सम्पर्क में नहीं आया था। और सच मे वो अभी तक चुदी नही थी।
डॉ दीदी की चिकनी चूत को मैंने अपने हाथों से छुआ, आह क्या मखमली थी।
मैंने चूत पर अपनी हथेली को फेरा तो उनकी एक मादक ‘आह्ह..’ निकल गई।
फिर मैंने डॉ दीदी को लिटा दिया और उनकी टांगों को फैला कर उनकी चूत की चाशनी को चाट कर चखा।
क्या मस्त नमकीन स्वाद भरी चूत थी ‘आह’
मैंने फिर से अपनी जीभ को चूत की फांकों में लगा दी और ऊपर से नीचे तक फेरने लगा।
वो तो मचलने लगी थीं और उन्होंने अपनी टांगों को फैलाते हुए चूत ऊपर उठा दी थी। वो अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगीं और एकदम जानवरों जैसे करने लगीं। मैं भी उनकी चूत को जोर जोर से चाटने लगा।
मेरी नाक से गर्म सांसें चूत को और भी गर्म कर रही थीं। वो तो एकदम से पागल हो गई थीं। साथ मैं अपने हाथों को ऊपर ले जाकर उनके मम्मों को दबा रहा था। डॉ दीदी ने अपनी चुत मेरे मुँह पर दबनी शुरू कर दी और मैं जीभ उनकी चुत के पूरी अंदर तक ले गया।
अचानक उनकी चुत ने अमृतरस छोड़ दिया और मैं उनका सारा अमृत चाट गया।
डॉ दीदी अब निढाल सी पड़ी थी और मै अब भी उनकी चुत चाट कर उनको गरम कर रहा था।
कोई पांच मिनट में ही वो फिर से गरमा गईं और बोलने लगीं कि ये सब बाद में तुम खूब कर लेना मेरी जान, मगर अभी एक बार प्लीज मुझे चोद दो।
मैं खड़ा होकर अपना लन्ड उनके मुह के पास लाया और मैंने कहा- पहले मेरा लन्ड तो चुसो।
तो उन्होंने मेरा लन्ड पकड़ा और उसको हिलाने लगी, फिर लन्ड को अपने मुह में ले गयी और चुसने लगी।
मैं भी अपना लन्ड उनके मुह में पेलने लगा।
फिर डॉ दीदी ने लन्ड मुह से निकाला और अपने हाथ से लन्ड का आगे का मास पीछे करके गुलाबी टोपा निकाल लिया और टोपे पर जीभ लगाई।
मेरी तो सिसकारी निकल गयी।
फिर डॉ नेहा दीदी अपनी जीभ मेरे लन्ड के टोपे पर घुमाने लगी। मेरी तो मज़े में सिस्कारियाँ निकलने लगी, जो पूरे कमरे में गूंजने लगी।
मैं- आ आ ह ह ह ऊ ऊ, दीदी बस करो, मेरारारा आह निकल जायेगा।
पर डॉ दीदी फिर भी टोपे पर जीभ घुमाती रही।
5 मिनट बाद एकदम से मेरा पानी निकल गया, जो सीधा डॉ दीदी के मुँह पर गया, जिस से उनका माथा, नाक, गाल, होंठ सब भीग गए।
मैं निढाल हो कर बेड पर लेट गया। डॉ दीदी ने मेरा लन्ड चाट कर साफ किया। फिर खुद के मुह पर लगा सारा पानी उंगली से लगाकर चाट गयी और मुह धोने चली गई।
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उन्होंने हंस कर बोला- रात को तुम्हे मम्मी से फुरसत कहाँ थी।
ये सुन कर मैं चुप हो गया तो डॉ दीदी बोली- मैंने रात को सब देखा है कि तुमने मम्मी को कैसे मज़े कराए है। मुझे भी आज वैसे ही मजे करवाना।
मैं- ओके दीदी।
डॉ दीदी- अब तुम जल्दी से मुझे चोद दो।
पर अभी मैं जल्दीबाजी नहीं करना चाहता था।
मैंने कहा- जान आज तुम्हें पूरा मजा दूंगा।
वो गिड़गिड़ाने लगीं- मजा बाद में देते रहना। पहले एक बार मुझे ठंडा कर दो।
मैंने डॉ दीदी की बात मान ली और उनको नंगी कर दिया। डॉ दीदी का क्या मस्त बदन था मेरी तो आंखें चुंधिया गई थीं। एकदम मक्खन सा चिकना शरीर न जाने कितने दिनों से किसी मर्द के सम्पर्क में नहीं आया था। और सच मे वो अभी तक चुदी नही थी।
डॉ दीदी की चिकनी चूत को मैंने अपने हाथों से छुआ, आह क्या मखमली थी।
मैंने चूत पर अपनी हथेली को फेरा तो उनकी एक मादक ‘आह्ह..’ निकल गई।
फिर मैंने डॉ दीदी को लिटा दिया और उनकी टांगों को फैला कर उनकी चूत की चाशनी को चाट कर चखा।
क्या मस्त नमकीन स्वाद भरी चूत थी ‘आह’
मैंने फिर से अपनी जीभ को चूत की फांकों में लगा दी और ऊपर से नीचे तक फेरने लगा।
वो तो मचलने लगी थीं और उन्होंने अपनी टांगों को फैलाते हुए चूत ऊपर उठा दी थी। वो अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगीं और एकदम जानवरों जैसे करने लगीं। मैं भी उनकी चूत को जोर जोर से चाटने लगा।
मेरी नाक से गर्म सांसें चूत को और भी गर्म कर रही थीं। वो तो एकदम से पागल हो गई थीं। साथ मैं अपने हाथों को ऊपर ले जाकर उनके मम्मों को दबा रहा था। डॉ दीदी ने अपनी चुत मेरे मुँह पर दबनी शुरू कर दी और मैं जीभ उनकी चुत के पूरी अंदर तक ले गया।
अचानक उनकी चुत ने अमृतरस छोड़ दिया और मैं उनका सारा अमृत चाट गया।
डॉ दीदी अब निढाल सी पड़ी थी और मै अब भी उनकी चुत चाट कर उनको गरम कर रहा था।
कोई पांच मिनट में ही वो फिर से गरमा गईं और बोलने लगीं कि ये सब बाद में तुम खूब कर लेना मेरी जान, मगर अभी एक बार प्लीज मुझे चोद दो।
मैं खड़ा होकर अपना लन्ड उनके मुह के पास लाया और मैंने कहा- पहले मेरा लन्ड तो चुसो।
तो उन्होंने मेरा लन्ड पकड़ा और उसको हिलाने लगी, फिर लन्ड को अपने मुह में ले गयी और चुसने लगी।
मैं भी अपना लन्ड उनके मुह में पेलने लगा।
फिर डॉ दीदी ने लन्ड मुह से निकाला और अपने हाथ से लन्ड का आगे का मास पीछे करके गुलाबी टोपा निकाल लिया और टोपे पर जीभ लगाई।
मेरी तो सिसकारी निकल गयी।
फिर डॉ नेहा दीदी अपनी जीभ मेरे लन्ड के टोपे पर घुमाने लगी। मेरी तो मज़े में सिस्कारियाँ निकलने लगी, जो पूरे कमरे में गूंजने लगी।
मैं- आ आ ह ह ह ऊ ऊ, दीदी बस करो, मेरारारा आह निकल जायेगा।
पर डॉ दीदी फिर भी टोपे पर जीभ घुमाती रही।
5 मिनट बाद एकदम से मेरा पानी निकल गया, जो सीधा डॉ दीदी के मुँह पर गया, जिस से उनका माथा, नाक, गाल, होंठ सब भीग गए।
मैं निढाल हो कर बेड पर लेट गया। डॉ दीदी ने मेरा लन्ड चाट कर साफ किया। फिर खुद के मुह पर लगा सारा पानी उंगली से लगाकर चाट गयी और मुह धोने चली गई।
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Re: Incest परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई।
sahii.....................
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Re: Incest परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई।
शानदार अपडेट
ऐसे ही अपडेट देते रहिये ।
ऐसे ही अपडेट देते रहिये ।
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Re: Incest परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई।
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