Incest परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई।
- Masterji1970
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Re: Incest परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई।
बहुत ही मस्त मस्त है भाई
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Re: Incest परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई।
पार्ट- 79
10 मिनट बाद डॉ दीदी बाथरूम से बाहर आई और आते ही मुझसे लिपट गयी और कहने लगी।
डॉ दीदी- भाई प्लीज, अब मुझे चोद दे और मुझे किस करने लगी।
मैं डॉ दीदी के ऊपर लेट गया और उनकी चुचियाँ पीने लगा।
डॉ दीदी मेरे बालों में हाथ फेरने लगी।
डॉ दीदी- भाई फ़क मी, प्लीज।
मैंने भी अब डॉ दीदी को ज्यादा तड़पाना ठीक नहीं समझा और उनकी चूत के ऊपर लंड रगड़ने लगा। डॉ दीदी लंड की रगड़ से और भी व्याकुल होने लगीं और अपनी गांड उठाने लगीं। मैंने भी सुपारा चूत की फांकों में फंसा दिया और धीरे धीरे लंड चूत के अन्दर डालने लगा।
वो भी अपनी चूत को उठाने लगीं। उनकी ये बदहवासी बता रही थी कि वो जल्द से जल्द मेरे लंड को अपनी चूत में समा लेना चाहती थीं।
पर मैं धीरे धीरे लंड पेल रहा था।
उन्होंने कहा- जल्दी से अन्दर तक घुसेड़ो न … क्यों सता रहे हो?
उनका इतना कहना हुआ और मैंने एक तेज झटका मार दिया।
‘इस्सस्स … उईई … माँ मर गई..’
डॉ दीदी लंड घुसते ही बहुत जोर से चीख पड़ीं … और खुद को छुड़वाने की कोशिश करने लगी पर मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और थोड़ा रुक रुक कर उनको किस करने लगा।
डॉ दीदी- भाई प्लीज निकाल ले, बहुत दर्द हो रहा है। वो छूटने की कोशिश करने लगी और टांगे हिलाने तो मैंने उन्हें कस कर दबा लिया ताकि सो छूट नआ सके।
10 मिनट बाद उनका दर्द कुछ कम हुआ तो दीदी मुझे किस करने लगीं।
लंड घुसेड़ने से मुझे एक बड़ा ताज्जुब हुआ कि उनकी सचमुच कुंवारी थी और बहुत टाइट थी।
मैंने पूछा, तो डॉ दीदी बोलीं- हां मैं कभी नही चुदी हूँ, बस उंगली ही ली है आज तक चुत में इसीलिए कुंवारी हूँ …
मैं- दीदी आप इतनी सेक्सी हो। आप पर तो हजारों लड़के मरते होंगे, फिर भी आप अभी तक बिना चुदी कैसे रह गयी।
डॉ दीदी- जब से मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे धोखा दिया है उसके बाद कोई मिला ही नही मुझे ऐसा जिसने मेरे दिल को छुआ हो, जिस से मुझे चुदने का दिल करे और तेरी एक स्माइल पर फ़िदा हो गई थी।
मैं- आई लव यू दीदी।
दीदी- आई लव यू टू भाई।
अब मैं लन्ड दीदी की चुत में पूरा डालने लगा, डॉ दीदी को थोड़ा दर्द और हुआ पर अब वो सहन कर गयी।
लंड चूत की जड़ तक पहुंच चुका था। अब वो अपनी कमर को हिलाने लगीं। मैं उनका इशारा समझ गया तो अब मैं भी धक्का देने लगा और चुदाई होने लगी। चुदाई के साथ में मैं कभी उनके मम्मों को मसलता, तो कभी निप्पल को होंठों में दबा कर चूसने लगता … या कभी होंठों को चूसने लगता और स्वीट बाईट भी दे देता … तो डॉ दीदी मचल भी जातीं।
क्या मस्त पल थे। मैं डॉ दीदी को जोर जोर से … तो कभी धीरे धीरे पेल रहा था। पूरी चुदाई को तीन तरह के पोज़ में अंजाम दिया। करीब पच्चीस मिनट तक डॉ दीदी की चूत चोदने के बाद मैं झड़ने वाला हो गया था। इस बीच दीदी एक बार झड़ चुकी थी।
मैंने डॉ दीदी से बोला, तो वो बोलीं- अन्दर ही आ जाओ … मैं तुम्हारे पानी को फील करना चाहती हूँ।
उनकी सहमति मिलते ही मैं तो मानो चूत पर पिल पड़ा … फिर एक जोर के झटके के साथ उनके अन्दर झड़ गया और डॉ दीदी भी मेरे साथ फिर से झड़ गयी, मैं उनके ऊपर ही ढेर हो गया।
वो भी इस दरम्यान दो बार झड़ चुकी थीं तो काफी थक गई थीं।
डॉ दीदी मुझे अपनी बांहों में समेटे हुए मेरे बालों को सहलाने लगीं … और मेरे माथे पर चूमने लगीं।
इसी तरह से सहलाते चूमते मुझे और उनको कब नींद आ गई, कुछ पता ही नहीं चला।
फिर रात को 8 बजे डॉ दीदी का फ़ोन बजा, तो हमारी नींद खुली।
डॉ आँटी का फ़ोन था, उन्होंने कहा कि नागपाल अंकल को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया, लता मौसी और वो आशा आँटी के साथ उनके घर जा रही है, रात को वहीं रहेंगी। तुम बाहर से खाना मंगवा लेना और राज का ख्याल रखना।
rajveerarora6373 @ g mail . com
10 मिनट बाद डॉ दीदी बाथरूम से बाहर आई और आते ही मुझसे लिपट गयी और कहने लगी।
डॉ दीदी- भाई प्लीज, अब मुझे चोद दे और मुझे किस करने लगी।
मैं डॉ दीदी के ऊपर लेट गया और उनकी चुचियाँ पीने लगा।
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डॉ दीदी- भाई फ़क मी, प्लीज।
मैंने भी अब डॉ दीदी को ज्यादा तड़पाना ठीक नहीं समझा और उनकी चूत के ऊपर लंड रगड़ने लगा। डॉ दीदी लंड की रगड़ से और भी व्याकुल होने लगीं और अपनी गांड उठाने लगीं। मैंने भी सुपारा चूत की फांकों में फंसा दिया और धीरे धीरे लंड चूत के अन्दर डालने लगा।
वो भी अपनी चूत को उठाने लगीं। उनकी ये बदहवासी बता रही थी कि वो जल्द से जल्द मेरे लंड को अपनी चूत में समा लेना चाहती थीं।
पर मैं धीरे धीरे लंड पेल रहा था।
उन्होंने कहा- जल्दी से अन्दर तक घुसेड़ो न … क्यों सता रहे हो?
उनका इतना कहना हुआ और मैंने एक तेज झटका मार दिया।
‘इस्सस्स … उईई … माँ मर गई..’
डॉ दीदी लंड घुसते ही बहुत जोर से चीख पड़ीं … और खुद को छुड़वाने की कोशिश करने लगी पर मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और थोड़ा रुक रुक कर उनको किस करने लगा।
डॉ दीदी- भाई प्लीज निकाल ले, बहुत दर्द हो रहा है। वो छूटने की कोशिश करने लगी और टांगे हिलाने तो मैंने उन्हें कस कर दबा लिया ताकि सो छूट नआ सके।
10 मिनट बाद उनका दर्द कुछ कम हुआ तो दीदी मुझे किस करने लगीं।
लंड घुसेड़ने से मुझे एक बड़ा ताज्जुब हुआ कि उनकी सचमुच कुंवारी थी और बहुत टाइट थी।
मैंने पूछा, तो डॉ दीदी बोलीं- हां मैं कभी नही चुदी हूँ, बस उंगली ही ली है आज तक चुत में इसीलिए कुंवारी हूँ …
मैं- दीदी आप इतनी सेक्सी हो। आप पर तो हजारों लड़के मरते होंगे, फिर भी आप अभी तक बिना चुदी कैसे रह गयी।
डॉ दीदी- जब से मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे धोखा दिया है उसके बाद कोई मिला ही नही मुझे ऐसा जिसने मेरे दिल को छुआ हो, जिस से मुझे चुदने का दिल करे और तेरी एक स्माइल पर फ़िदा हो गई थी।
मैं- आई लव यू दीदी।
दीदी- आई लव यू टू भाई।
अब मैं लन्ड दीदी की चुत में पूरा डालने लगा, डॉ दीदी को थोड़ा दर्द और हुआ पर अब वो सहन कर गयी।
लंड चूत की जड़ तक पहुंच चुका था। अब वो अपनी कमर को हिलाने लगीं। मैं उनका इशारा समझ गया तो अब मैं भी धक्का देने लगा और चुदाई होने लगी। चुदाई के साथ में मैं कभी उनके मम्मों को मसलता, तो कभी निप्पल को होंठों में दबा कर चूसने लगता … या कभी होंठों को चूसने लगता और स्वीट बाईट भी दे देता … तो डॉ दीदी मचल भी जातीं।
क्या मस्त पल थे। मैं डॉ दीदी को जोर जोर से … तो कभी धीरे धीरे पेल रहा था। पूरी चुदाई को तीन तरह के पोज़ में अंजाम दिया। करीब पच्चीस मिनट तक डॉ दीदी की चूत चोदने के बाद मैं झड़ने वाला हो गया था। इस बीच दीदी एक बार झड़ चुकी थी।
मैंने डॉ दीदी से बोला, तो वो बोलीं- अन्दर ही आ जाओ … मैं तुम्हारे पानी को फील करना चाहती हूँ।
उनकी सहमति मिलते ही मैं तो मानो चूत पर पिल पड़ा … फिर एक जोर के झटके के साथ उनके अन्दर झड़ गया और डॉ दीदी भी मेरे साथ फिर से झड़ गयी, मैं उनके ऊपर ही ढेर हो गया।
वो भी इस दरम्यान दो बार झड़ चुकी थीं तो काफी थक गई थीं।
डॉ दीदी मुझे अपनी बांहों में समेटे हुए मेरे बालों को सहलाने लगीं … और मेरे माथे पर चूमने लगीं।
इसी तरह से सहलाते चूमते मुझे और उनको कब नींद आ गई, कुछ पता ही नहीं चला।
फिर रात को 8 बजे डॉ दीदी का फ़ोन बजा, तो हमारी नींद खुली।
डॉ आँटी का फ़ोन था, उन्होंने कहा कि नागपाल अंकल को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया, लता मौसी और वो आशा आँटी के साथ उनके घर जा रही है, रात को वहीं रहेंगी। तुम बाहर से खाना मंगवा लेना और राज का ख्याल रखना।
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Re: Incest परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई।
पार्ट -80
डॉ दीदी(मुझे किस करती हुई)- हाँ मम्मी, मैं राज का पूरा ख्याल रखूंगी।
फिर फ़ोन काट दिया और दीदी ने किसी को फ़ोन करके खाना व साथ मे बियर आर्डर कर दिया, और मुझे कहा कि राज फ्रेश हो जा और नहा ले, फिर खाना खा कर तुझे बहुत मजे करवाउंगी।
मैंने दीदी को कहा कि चलो एक साथ नहाते है, तो दीदी मान गयी।
हम दोनों अंदर बाथरूम में नहाने चले गए। मैंने बाथटब पूरा भर लिया। उपरवाले ने डॉ दीदी को बड़े आराम से और फुर्सत में बनाया था। डॉ दीदी बहुत गोरी और चिकना माल थी। उसकी छातियाँ बहुत ही भरी हुई थी। मैंने डॉ दीदी को सीने से लगा लिया और पागलों की तरह चूमने लगा।
“ओह्ह्ह्हह….दीदी..आप कितनी गजब की माल हो???
“अई, इसस्स्स्स्स्स्स्स्….भाई मैं भी दिल ही दिल में तुमसे चुदवाना चाहती थी….अब मुझे तुम नहाते ही नहाते चोद लो”
उसके बाद हम दोनों गर्म गर्म किस करने लगे। एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे। उसके बाद मैंने दीदी को बाथतब में बिठा लिया। इसको मैंने पूरा भर लिया था और फुल कर लिया था। जब पानी में हम मजे से बैठ गये तो बहुत मजा आने लगा। एक तो मनभावन ठंडा ठंडा पानी और उपर से नंगी गदराई चुदासी डॉ दीदी का साथ। मानो पानी में ही आग लग रही थी। मैंने डॉ दीदी को बाहों में भर लिया। मैंने बाथटब पूरी तरह से भर लिया था, इसलिए जब दीदी पानी में बैठी तो उसके गुब्बारे, उसके दूध पूरा पानी में उतर गये। नंगी दीदी का गोरा जिस्म मानो पानी को आग लगा रहा था।
हम दोनों आपस में शरारत करने लगे और एक दुसरे के उपर हाथ से पानी फेकने लगे। मेरा हाथ पानी में चला गया और डॉ दीदी के दूध पर जाकर टिक गया। अह्ह्ह्हह्ह…कितने मुलायम मुलायम और जूसी मम्मे थे। मैं हाथ से दीदी के दूध दबाने लगा और फिर हम आपस में किस करने लगे। डॉ दीदी के कंधे भी आधे पानी में भीगे थे जो बहुत ही सेक्सी लग रहे थे। मैं उसके नर्म नर्म ओंठ पी रहा था और उसके दूध दबा रहा था। फिर मैं उसकी निपल्स को ऊँगली और अंगूठे से मसलने लगा। डॉ दीदी आह्ह्हह्ह ह्ह्ह करने लगी। मेरा हाथ पानी में अंदर चला गया। डॉ दीदी पूरी तरह से जलमग्न थी और उसकी चूत भी पानी के अंदर अन्दरग्राउंड थी। मैंने बाथटब के भीतर पानी में डॉ। दीदी की चूत खोज ली और चूत छूने लगा। फिर चूत में ऊँगली करने लगा। डॉ दीदी तड़पने लगी और उसकी निपल्स और भी जादा टाईट हो गयी।
उसके बाद मैंने तेज तेज डॉ दीदी की चूत में ऊँगली करने लगा। कुछ देर बाद मैंने दीदी के उपर आ गया। वो बाथरूम तब के एक किनारे लेट सी गयी। पानी के भीतर ही मैंने उसकी चूत में लंड डाल दिया और उसको चोदने लगा। दीदी ने बाथटब का किनारा कसकर पकड़ लिया वरना वो चुदवाते चुदवाते अंदर पानी में फिसल जाती। मैं उसे पानी में छप छप करके चोदने लगा तो बार बार पानी के बुलबुले मेरी चुदासी और लंड की प्यासी डॉ दीदी की चूत से निकलने लगे। ये देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं जोर जोर से अपनी डॉ दीदी को चोद रहा था। उसकी चूत की पट पट की आवाज भी मैं नही सुन पा रहा था, क्यूंकि दीदी की गांड और चूत दोनों पानी के अंदर थी।
पानी के भीतर चूत मारने का अपना विशेष आनंद था। सब कुछ बड़ा हल्का हलका लग रहा था। मैंने दीदी को 25 मिनट पानी में ही चोदा फिर माल गिरा दिया। आधे घंटे तक हम साथ में नहाते रहे और बाथटब में आनंद लेते रहे। फिर हम बाहर निकल आये। मैंने पानी का शावर खोल दिया और बाथरूम के फर्श पर लेट गया।
“दीदी…आओ जरा मेरा लंड चुसो आकर??” मैंने कहा
डॉ दीदी मेरे पास आकर बाथरूम के गीले फर्श पर बैठ गयी। शावर का पानी हम दोनों के उपर गिर रहा था। किसी रंडी की तरह मेरा मोटा गबरू जवान लंड मुंह में लेकर मुंह में लेकर चूसने लगी। उसने मेरा पूरा 9 इंच का लंड मुंह में भर लिया और गले तक अंदर ले जाकर चूसने लगी। दोस्तों मुझे सुकून मिल रहा था। डॉ दीदी के रसीले स्ट्राबेरी जैसे दांत मेरे लंड पर आगे पीछे हो रहे थे। उफ्फ्फ्फ़…क्या नशीली रगड़ थी । बाथरूम के शावर से बहुत सारा पानी हम दोनों के उपर लयबद्ध रूप में गिर रहा था। ठन्डे पानी में हम दोनों पूरी तरह नंगे होकर मजा ले रहे थे। डॉ। दीदी के सारे बाल भीग चुके थे और पानी से आपस में लिपट गये थे। शायद उसको लंड चूसने में बहुत मजा आ रहा था तभी वो बड़े आराम से मेरा लंड हाथ से मुठ देकर फेट रही थी।
मैंने उसकी भीगी चिकनी और नंगी पीठ में हाथ लगा दिया और सहलाने लगा। फिर मैंने उनके सर पर अपना हाथ रख दिया और नीचे से कमर चला चलाकर उसके मुंह में लंड देने लगा। फिर मैंने उसको बाथरूम के भीगे फर्श पर लिटा दिया और उसके उपर लेट गया और फिर से अपनी डॉ, दीदी के दूध पीने लगा।
शावर के ठन्डे पानी में हम दोनों अठखेलियाँ करने लगे और मैंने चुदासी डॉ दीदी के दूध फिर से पीने लगा।
“चूसो…..भैया अच्छे से चूसो!!” डॉ दीदी बोली
मैं जोश में आ गया और डॉ दीदी के आम पीने और चूसने लगा। दीदी के दूध के घेरे बहुत आकर्षक थे और निपल्स काफी बड़ी बड़ी थी जो मेरे चूसने से खड़ी हो गयी थी। फिर मैंने उसकी सेक्सी और गहरी नाभि चूमने लगा। शावर का पानी सीधा दीदी की चूत पर गिर रहा था, जिससे वो और जादा साफ़, सुथरी और चिकनी हुई जा रही थी। नाभि पीते पीते मैं अपनी दीदी की चूत पर पहुच गया। उसने अपनी दोगो सफ़ेद उजली भरी हुई जांघ खोल दी। मैंने उसकी बुर में घुस गया और उसकी रसीली चूत पीने लगा। अब शावर का पानी सीधा मेरे सर पर गिर रहा था जिससे मैं मजा आ रहा था। मैं जीभ चला चलाकर अपनी दीदी की बुर पीने लगा। फिर 10 मिनट बाद दीदी की चुत ने पानी छोड़ दिया और मैं सारा पानी पी गया। तभी दरवाजे की घंटी बजी। और हम जल्दी से कपड़े वह कर बाहर आ गए और डॉ दीदी ने गेट खोला तो उनकी फ्रेंड करिश्मा खाना और बियर लेकर आई थी।
rajveerarora 6373 @ g mail. com
डॉ दीदी(मुझे किस करती हुई)- हाँ मम्मी, मैं राज का पूरा ख्याल रखूंगी।
फिर फ़ोन काट दिया और दीदी ने किसी को फ़ोन करके खाना व साथ मे बियर आर्डर कर दिया, और मुझे कहा कि राज फ्रेश हो जा और नहा ले, फिर खाना खा कर तुझे बहुत मजे करवाउंगी।
मैंने दीदी को कहा कि चलो एक साथ नहाते है, तो दीदी मान गयी।
हम दोनों अंदर बाथरूम में नहाने चले गए। मैंने बाथटब पूरा भर लिया। उपरवाले ने डॉ दीदी को बड़े आराम से और फुर्सत में बनाया था। डॉ दीदी बहुत गोरी और चिकना माल थी। उसकी छातियाँ बहुत ही भरी हुई थी। मैंने डॉ दीदी को सीने से लगा लिया और पागलों की तरह चूमने लगा।
“ओह्ह्ह्हह….दीदी..आप कितनी गजब की माल हो???
“अई, इसस्स्स्स्स्स्स्स्….भाई मैं भी दिल ही दिल में तुमसे चुदवाना चाहती थी….अब मुझे तुम नहाते ही नहाते चोद लो”
उसके बाद हम दोनों गर्म गर्म किस करने लगे। एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे। उसके बाद मैंने दीदी को बाथतब में बिठा लिया। इसको मैंने पूरा भर लिया था और फुल कर लिया था। जब पानी में हम मजे से बैठ गये तो बहुत मजा आने लगा। एक तो मनभावन ठंडा ठंडा पानी और उपर से नंगी गदराई चुदासी डॉ दीदी का साथ। मानो पानी में ही आग लग रही थी। मैंने डॉ दीदी को बाहों में भर लिया। मैंने बाथटब पूरी तरह से भर लिया था, इसलिए जब दीदी पानी में बैठी तो उसके गुब्बारे, उसके दूध पूरा पानी में उतर गये। नंगी दीदी का गोरा जिस्म मानो पानी को आग लगा रहा था।
हम दोनों आपस में शरारत करने लगे और एक दुसरे के उपर हाथ से पानी फेकने लगे। मेरा हाथ पानी में चला गया और डॉ दीदी के दूध पर जाकर टिक गया। अह्ह्ह्हह्ह…कितने मुलायम मुलायम और जूसी मम्मे थे। मैं हाथ से दीदी के दूध दबाने लगा और फिर हम आपस में किस करने लगे। डॉ दीदी के कंधे भी आधे पानी में भीगे थे जो बहुत ही सेक्सी लग रहे थे। मैं उसके नर्म नर्म ओंठ पी रहा था और उसके दूध दबा रहा था। फिर मैं उसकी निपल्स को ऊँगली और अंगूठे से मसलने लगा। डॉ दीदी आह्ह्हह्ह ह्ह्ह करने लगी। मेरा हाथ पानी में अंदर चला गया। डॉ दीदी पूरी तरह से जलमग्न थी और उसकी चूत भी पानी के अंदर अन्दरग्राउंड थी। मैंने बाथटब के भीतर पानी में डॉ। दीदी की चूत खोज ली और चूत छूने लगा। फिर चूत में ऊँगली करने लगा। डॉ दीदी तड़पने लगी और उसकी निपल्स और भी जादा टाईट हो गयी।
उसके बाद मैंने तेज तेज डॉ दीदी की चूत में ऊँगली करने लगा। कुछ देर बाद मैंने दीदी के उपर आ गया। वो बाथरूम तब के एक किनारे लेट सी गयी। पानी के भीतर ही मैंने उसकी चूत में लंड डाल दिया और उसको चोदने लगा। दीदी ने बाथटब का किनारा कसकर पकड़ लिया वरना वो चुदवाते चुदवाते अंदर पानी में फिसल जाती। मैं उसे पानी में छप छप करके चोदने लगा तो बार बार पानी के बुलबुले मेरी चुदासी और लंड की प्यासी डॉ दीदी की चूत से निकलने लगे। ये देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं जोर जोर से अपनी डॉ दीदी को चोद रहा था। उसकी चूत की पट पट की आवाज भी मैं नही सुन पा रहा था, क्यूंकि दीदी की गांड और चूत दोनों पानी के अंदर थी।
पानी के भीतर चूत मारने का अपना विशेष आनंद था। सब कुछ बड़ा हल्का हलका लग रहा था। मैंने दीदी को 25 मिनट पानी में ही चोदा फिर माल गिरा दिया। आधे घंटे तक हम साथ में नहाते रहे और बाथटब में आनंद लेते रहे। फिर हम बाहर निकल आये। मैंने पानी का शावर खोल दिया और बाथरूम के फर्श पर लेट गया।
“दीदी…आओ जरा मेरा लंड चुसो आकर??” मैंने कहा
डॉ दीदी मेरे पास आकर बाथरूम के गीले फर्श पर बैठ गयी। शावर का पानी हम दोनों के उपर गिर रहा था। किसी रंडी की तरह मेरा मोटा गबरू जवान लंड मुंह में लेकर मुंह में लेकर चूसने लगी। उसने मेरा पूरा 9 इंच का लंड मुंह में भर लिया और गले तक अंदर ले जाकर चूसने लगी। दोस्तों मुझे सुकून मिल रहा था। डॉ दीदी के रसीले स्ट्राबेरी जैसे दांत मेरे लंड पर आगे पीछे हो रहे थे। उफ्फ्फ्फ़…क्या नशीली रगड़ थी । बाथरूम के शावर से बहुत सारा पानी हम दोनों के उपर लयबद्ध रूप में गिर रहा था। ठन्डे पानी में हम दोनों पूरी तरह नंगे होकर मजा ले रहे थे। डॉ। दीदी के सारे बाल भीग चुके थे और पानी से आपस में लिपट गये थे। शायद उसको लंड चूसने में बहुत मजा आ रहा था तभी वो बड़े आराम से मेरा लंड हाथ से मुठ देकर फेट रही थी।
मैंने उसकी भीगी चिकनी और नंगी पीठ में हाथ लगा दिया और सहलाने लगा। फिर मैंने उनके सर पर अपना हाथ रख दिया और नीचे से कमर चला चलाकर उसके मुंह में लंड देने लगा। फिर मैंने उसको बाथरूम के भीगे फर्श पर लिटा दिया और उसके उपर लेट गया और फिर से अपनी डॉ, दीदी के दूध पीने लगा।
शावर के ठन्डे पानी में हम दोनों अठखेलियाँ करने लगे और मैंने चुदासी डॉ दीदी के दूध फिर से पीने लगा।
“चूसो…..भैया अच्छे से चूसो!!” डॉ दीदी बोली
मैं जोश में आ गया और डॉ दीदी के आम पीने और चूसने लगा। दीदी के दूध के घेरे बहुत आकर्षक थे और निपल्स काफी बड़ी बड़ी थी जो मेरे चूसने से खड़ी हो गयी थी। फिर मैंने उसकी सेक्सी और गहरी नाभि चूमने लगा। शावर का पानी सीधा दीदी की चूत पर गिर रहा था, जिससे वो और जादा साफ़, सुथरी और चिकनी हुई जा रही थी। नाभि पीते पीते मैं अपनी दीदी की चूत पर पहुच गया। उसने अपनी दोगो सफ़ेद उजली भरी हुई जांघ खोल दी। मैंने उसकी बुर में घुस गया और उसकी रसीली चूत पीने लगा। अब शावर का पानी सीधा मेरे सर पर गिर रहा था जिससे मैं मजा आ रहा था। मैं जीभ चला चलाकर अपनी दीदी की बुर पीने लगा। फिर 10 मिनट बाद दीदी की चुत ने पानी छोड़ दिया और मैं सारा पानी पी गया। तभी दरवाजे की घंटी बजी। और हम जल्दी से कपड़े वह कर बाहर आ गए और डॉ दीदी ने गेट खोला तो उनकी फ्रेंड करिश्मा खाना और बियर लेकर आई थी।
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Re: Incest परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई।
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: Incest परिवार में सबके साथ धुंआधार चुदाई।
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