Incest स्पेशल करवाचौथ

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josef
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Re: Incest स्पेशल करवाचौथ

Post by josef »

अनूप को लगा जैसे साहिल ने उसे सरे बाजार नंगा कर दिया हो । अनूप का मूड फिर से खराब हो गया और गुस्से से साहिल की तरफ देखते हुए बोला:"

" साहिल चुप चाप अपना नाश्ता कर, मुझे कैसे जीना हैं मैं ये अच्छे से जानता हूं, मैं तेरा बाप हूं तू मेरा बाप नहीं ये हमेशा ध्यान रखना तुम आगे से

घर में बिल्कुल सन्नाटा, सभी को मानो सांप सूंघ गया, साहिल को अपने बाप से इस तरह के जवाब की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी।उसका मन उदास हो गया और मुंह नीचे किए हुए नाश्ता करने लगा। साहिल को लगा कि उसको अपने बाप को ऐसे मम्मी के सामने नहीं बोलना चाहिए था।अब साहिल ये सोचने लगा कि अपने बाप का दिल कैसे जीता जाए। साहिल की नजर शांता ताई पर पड़ी। शांता ताई बेचारी थक चुकी थी लेकिन फिर भी उनके लिए अंदर से सामान धीरे धीरे ला रही थी। ये देखकर साहिल का आंखे चमक उठी एक तो बेचारी बूढ़ी औरत उपर से इतना काम।

साहिल नाश्ता बीच में छोड़कर उठा और बोला:"

" अरे शांता ताई आप तो इस घर की सदस्य हैं, आओ आप भी हमारे साथ नाश्ता कर लो।

शांता ताई के दिल को जमाने भर की खुशी महसूस हुई लेकिन अनूप को वो अच्छे से जानती थी इसलिए बोली:"

" नहीं बेटा पहले आप सब कर लो, मैं बाद में कर लूंगी।

साहिल ने उसका हाथ पकड़ लिया और जबरदस्ती चेयर पर बिठा दिया और बोली:"

" बचपन से देख रहा हूं आपकी कितनी मेहनत करती हैं, आपके हाथ का खाना खाकर पापा बड़े हुए और मैं खुद कभी कभी आपका बनाया हुआ खाना खाता हूं, आपने हमारी इतनी सेवा करी तो अब हमारा फ़र्ज़ बनता हैं कि हम आपका ध्यान रखे।

शांता बेचारी कुछ बोलना चाहती थी लेकिन रूबी ने एक प्लेट में खाना निकाल कर उसकी तरफ बढ़ा दिया तो शांता कांप उठी और उसने डरते हुए एक बार अपनी नजरे अनूप की तरफ उठाई मानो बकरी हलाल होने से पहले कसाई को रहम भरी नजरो से देख रही हो।

अनूप के चेहरे पर तो हवाइयां सी उड़ रही थी, ये तो सीधे सीधे उसके ऊंचे खानदान, उसकी प्रतिष्ठा, स्टैंडर्ड पर एक जोरदार तमाचे की तरह था। गुस्से से उसकी मुट्ठियां भिंची जा रही थी और वो अपने दांतो को जोर जोर से पीस रहा था कि उसके मुंह से निकलती हुई दांतो के टकराने की आवाज रूबी को साफ सुनाई दे रही थी और रूबी के लिए तो तो आज जैसे उसकी ज़िन्दगी का सबसे ज्यादा खुशी भरा दिन था। उसके अंदर खुशी के मारे दीवाली के पटाखे, अनार, फुलझडियां सब एक साथ चल रहे थे लेकिन वो अपने आपको बुरी तरह से काबू में लिए हुए थी।

साहिल:' अरे शांता ताई खाओ अब पापा का मुंह क्या देख रही हो, सबसे ज्यादा खुशी तो इन्हे हो होगी क्योंकि आपने ही तो इन्हे पाल पोस कर इतना बड़ा किया, मैं सच कह रहा हूं ना पापा।

साहिल ने अनूप की तरफ देखते हुए कहा तो अनूप ने एक बार घूरकर साहिल की तरफ देखा और बोला:"

" हान बेटा, जब छोटा था तो उन्होंने ही खिलाया, उसके बाद तो मैं खुद ही अपना ध्यान रखने लगा था।

साहिल ने शांता की तरफ देखा कि खाने की तरफ बढ़ रहे उसके हाथ बुरी तरह से कांप रहे है तो साहिल उठा और आपके हाथ से खाने का निवाला बनाया और बोला:"

" चलिए मुंह खोलिए ताई, आज तक आप हमें खिलाती आई हैं आज हम आपको खिलाते हैं।

शांता ताई की आंखे छलक उठी तो रूबी ने उनका मुंह साफ किया और शांता ने धीरे से आंखे नीची करते हुए अपना मुंह खोल दिया और निवाला खाने लगीं।

अनूप को काटो तो खून नहीं, वो किसी पत्थर की बेजान मूर्ति की तरह चुप चाप बैठा हुआ देख रहा था, ज़िन्दगी भर वो जिस मान मर्यादा और घमंड के साथ जिया और हमेशा अपने श्रेष्ठ होने का दम भरता रहा, उसके बेटे ने पल भर में उसका सारा आत्म सम्मान स्टैंडर्ड सब कुछ मिट्टी में मिला दी।

अनूप के मुंह के साथ आंखो नाक, कान यहां तक कि गांड़ से भी धुवां निकल रहा था।

साहिल:" पापा देखिए ना शांता ताई कितनी भावुक हो गई है हमारा प्यार देखकर, आइए आप भी इन्हे अपने हाथ से एक निवाला खिला दीजिए।

अनूप को लगा जैसे किसी ने सीधे सीधे उसकी इज्ज़त पर हमला कर दिया हो, एक पल के लिए तो उसे कुछ भी समझ नहीं आया लेकिन वो खुद को संभालते हुए बोला:"

" बेटा तुम खिलाओ आज, मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं हैं, मैं चलता हूं !

इतना कहकर वो चेयर से उठा गया तो रूबी बोली:"

" क्या हुआ आपको, रुकिए मैं डाक्टर को फोन करती हूं,

अनूप के लगा जैसे रूबी ने उसके जख्मों पर नमक छिड़क दिया हो, उसने एक बार गुस्से से उसकी तरफ देखा और अपने पैर पटकते हुए बाहर चला गया और जाते जाते उसने उसने एक आखिरी बार पीछे मुड़कर रूबी को देखा तो रूबी ने उसे जान बूझकर प्यारी सी स्माइल दी और अनूप बुरी तरह से जल भुन गया और बाहर चला गया।
साहिल प्यार से शांता को खाना खिलाता रहा और शांता आज समझ गई कि साहिल अपने बाप पर बिल्कुल भी नहीं गया हैं।

अनूप अपना बैग उठाकर ऑफिस जाने लगा और उसका मन किया कि एक आखरी बार देखे कि अंदर क्या ड्रामा चल रहा है तो उसने देखा कि शांता खुशी के मारे उसके बेटे का माथा चूम रही थी। उफ्फ एक मामूली सी नौकरानी मेरे बेटे का माथा चूम रही है, है भगवान मुझे अब ये ही दिन देखने बाकी थे।

अनूप चला गया तो रूबी बोली:"

" साहिल बेटा तुम भी जल्दी से तैयार हो जाओ, याद हैं ना तुझे मेरे साथ आज योगा क्लास चलना हैं ।

साहिल:" जी मम्मी।

इतना कहकर साहिल अपने कमरे में चला गया तो शांता खुशी से रूबी का हाथ पकड़ कर बोली:"

" रूबी अपना साहिल तो बिल्कुल भी अपने बाप पर नहीं गया हैं, तुम बहुत किस्मत वाली हो जो ऐसा अच्छा बेटा मिला है।

रूबी के चेहरे पर खुशी उभरी लेकिन फिर गंभीर होते हुए बोली:"

" मा अभी तक साहिल ठीक हैं लेकिन मैं अनूप को अच्छे से जानती हु वो इतनी आसानी से हार नहीं मानेगा। वो जरूर कुछ ना कुछ उल्टी सीधी हरकत करेगा।

शांता:" लेकिन मुझे तुझ पर पूरा यकीन हैं कि तुम उसकी हर साजिश को नाकाम कर दोगी।

रूबी:" मेरी कोशिश तो ये ही हैं, आप भगवान से मेरे और मेरे बेटे के लिए प्रार्थना करना। ठीक हैं मा आप आराम करो, मैं चलती हूं, करीब दो बजे तक वापिस आ जाऊंगी।

थोड़ी देर बाद ही साहिल और रूबी दोनो घर से निकल गए। कार रूबी खुद ड्राइव कर रही थी।

देखिए आगे क्या होता हैं !!?
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naik
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Re: Incest स्पेशल करवाचौथ

Post by naik »

😖 for new story brother
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