सलतान के पास ही पलंग पर तीन सुंदर युवतियां लेटी हुई है। सुलतान की तरह उन्हें भी आस-पास की कोई चिंता नहीं है। उनके वस्त्र अस्त-व्यस्त हो गए हैं, फिर भी वे आराम से खर्राटे ले रही हैं।
पलंग के पास ही चांदी की चौकी पर सुराही और प्याला रखा है, जिससे मालम होता है कि सोने से पहले वहां शरबते-अनार का खुलकर दौर-दौरा हुआ था। सबब यही हैं कि सुलतान और छोकरियां एक तरह से बेसुध और चिंतारहित होकर सो रही हैं। ख्वबगाह के एक कोने में पीतल का एक छोटा-सा घंटा टंगा हुआ है, जिसकी चमक सोने जैसी है।
घंटा हिला। टन-टन का शब्द हुआ।, फिर हिला, फिर शब्द हुआ-टन-टन!!
"यह बेवक्त घंटे की आवाज कैसी?"... कहते हुए सुलतान काशगर हडबड कर उठ बैठे। उनकी दृष्टि तत्क्षण कोने में हिलते हुए घंटे पर जा पड। घंटा अभी तक हिल रहा था। उसकी आवाज अभी तक ख्वाबगाह में गूंज रही थी।
सलतान ने शीघ्रता से तीनों युवतियों को जगाया। सुलतान की आंखों में आश्चर्य का भाव देखकर उनका सुख स्वप्न भंग हो गया और वे सोने की अवस्था में उठकर खड़ी हो गई।
"अपने वस्त्र सम्हाल लो और दरवाजा खोल दो। वजीरे आजम इस बेवक्त मिलने आए हैं, कोई पेचीदा मामला जान पड़ता है- जल्दी करो।" सुलतान ने गंभीरता से कहा। उनके ललाट पर व्याकुलता के चिह्न प्रकट हो आए थे। उन्हें आश्चर्य हो रहा था कि इतनी रात गए वजीर क्यों आए हैं उनके पास?
वजीर के अतिरिक्त और किसी को भी सुलतान से असमय में मिलने की आज्ञा न थी।
युवतियों ने अपने अस्त-व्यस्त कपड_f को यथास्थान कर लिया। एक ने सुलतान का शाही चोगा लाकर रख दिया। दूसरे ने वजीर के लिए एक चांदी की कुर्सी लाकर रख दी और तीसरे ने आगे बढकर मुख्य द्वार धीरे से खोल दिया।
घबराहट की अवस्था में वजीर अंदर आया और उसने अदब के साथ सुलतान का अभिवादन किया। युवतियां श्रेणीबद्ध होकर चुपचाप खडी हो गई।
“इतनी रात को तुमने क्यों तकलीफ की? तुम्हारी सूरत पर इतनी परेशानी क्यों?" सुलतान ने प्रश्न किया।
“जहाँपनाह ! बात बडी खौफनाक है-" वजीर ने उत्तर दिया।
"जाओ-" सुलतान ने युवतियों को आदेश दिया और गांव तकिये के सहारे उठकर वजीर से पूछा, “बताओ, किस बात ने तुम्हें इतना परेशान कर रखा है? मुझे सख्त ताज्जुब हो रहा है कि तुम...।"
"बात बड। हैरत की शहंशाह ! मैं वजीर हूं, अदना वजीर ! और आप हैं दीन-दुनिया के मालिक। मैं किस मुंह से वह हैरतअंगेज दास्तान आपको सुनाऊं? डर है मुझे कहीं वह बात कहकर मैं खुद जहाँपनाह के गुस्से का शिकार न हो जाऊं, फिर भी जहाँपनाह यकीन रखें अगर मेरे खून का एक-एक कतरा, मेरे मांस का एक-एक जर्रा भी आपके काम आ सके तो मैं जां-निसारी के लिए तहेदिल से तैयार रहंगा..." वजीर ने मिश्रित स्वर में कहा।
Romance जलन
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Re: Romance जलन
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
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Re: Romance जलन
उसका शरीर बेतरह कांप रहा था। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह सुलतान के आगे किस तरह, किस साहस वह भयानक बात कहें, जिसे कहने के लिए वह इतनी रात गए यहाँ आया है।
"बात क्या है, मेरे बुजुर्ग वजीर? साफ-साफ कहो, मैं सब सुनने को तैयार हूं। कहर के अल्फाज भी मुझे मायूस नहीं कर सकेंगे। तुम कहो, दिल खोलकर कहो..." सुलतान ने वजीर को सांत्वना दी। उनकी भी उत्सुकता बढ़ती जा रही थीं।
"किस मुंह से कह, शहंशाह हजुर। आसमान फट पडगा , जमीन पर कहर मच जाएगा, चांद और तारे आसमान से टूट पड गे, मगर जहाँपनाह, सब कुछ कह दूंगा-सारा राज फाश कर दूंगा। आज तक अपनी आंखों से महल में जो-जो तमाशे देखे, उन्हें अब तक चुपचाप देखता रहा, मगर अब चुप न रहूंगा... सुनिए शहंशाह।" एक बार वजीर का शरीर रोमांचित होकर काप उठाए, धडकन बढ गई, होठ सूख गए।
जीभ से होंठ तार करता हआ वजीर बोला- “उफ! फरिश्ते जैसा खाविंद छोडकर जो बेगम, जो मल्का बुरे रास्ते पर कदम रखे, बदकारी करे-इससे बढ़ कर खौफनाक चीज और क्या हो सकती है।"
वजीर की अंतिम बात से सुलतान चौंक पड- वजीर! बात क्या है? जल्दी कहो, तूफान-सा मचा दिया है तुमने मेरे दिल में। मेरा वक्त जाया न करो। साफ-साफ बोलो, मेरे जईफ वजीर!"
"मेरे मालिक!
मेरे आका!" बजीर हांफता हुआ बोला, "मेरा कसूर माफ करेंगे, मगर आप यह बात सुनकर अपने दिल पर काबू न रख सकेंगे। जहाँपनाह, या इलाही। या खुदा। मुझे कहने की हिम्मत दें और शहंशाह को सुनने की ताकत दें।"
वजीर!" एकाएक सुलतान का स्वर कठोर हो गया। उनकी मुखाकृति पर क्रोध की लाली दौड आई।
"गुस्सा न कीजिए, मेरे आका!" कहते-कहते बुड्डा वजीर अदब से सुलतान के पैरों पर झुक गया।
इतने रजील न बनो, मेरे बुजुर्ग। दिल को काबू में रखो और कह डालो उस बात को, जिसने जिगर में तूफान बनकर तुम्हें और मुझे दोनों को परेशान कर दिया है।"
-सुलतान की आवाज में मुलामियत से ज्यादा कडाई थी। "शहंशाह ! दीन-दुनिया के मालिक। सुनिए, मल्काए-आलम की काली करतूत।"
"मल्काए-आलम की काली करतूत? वजीर, यह तुम क्या कह रहे हो?"
"ठीक कह रहा है जहांपनाह! आप यहां रंग महल में मौज उडा रहे हैं और उधर अपने महल में मल्काए-आलम भी एक नौजवान गुलाम के साथ...।"
"गुलाम के साथ! यह तुम क्या कह रहे हो, वजीर? तुम्हें अपने सिर की परवाह है या नहीं? "मल्काए-आलम पर .."सुलतान गुस्से से कांपने लगे।
"बात क्या है, मेरे बुजुर्ग वजीर? साफ-साफ कहो, मैं सब सुनने को तैयार हूं। कहर के अल्फाज भी मुझे मायूस नहीं कर सकेंगे। तुम कहो, दिल खोलकर कहो..." सुलतान ने वजीर को सांत्वना दी। उनकी भी उत्सुकता बढ़ती जा रही थीं।
"किस मुंह से कह, शहंशाह हजुर। आसमान फट पडगा , जमीन पर कहर मच जाएगा, चांद और तारे आसमान से टूट पड गे, मगर जहाँपनाह, सब कुछ कह दूंगा-सारा राज फाश कर दूंगा। आज तक अपनी आंखों से महल में जो-जो तमाशे देखे, उन्हें अब तक चुपचाप देखता रहा, मगर अब चुप न रहूंगा... सुनिए शहंशाह।" एक बार वजीर का शरीर रोमांचित होकर काप उठाए, धडकन बढ गई, होठ सूख गए।
जीभ से होंठ तार करता हआ वजीर बोला- “उफ! फरिश्ते जैसा खाविंद छोडकर जो बेगम, जो मल्का बुरे रास्ते पर कदम रखे, बदकारी करे-इससे बढ़ कर खौफनाक चीज और क्या हो सकती है।"
वजीर की अंतिम बात से सुलतान चौंक पड- वजीर! बात क्या है? जल्दी कहो, तूफान-सा मचा दिया है तुमने मेरे दिल में। मेरा वक्त जाया न करो। साफ-साफ बोलो, मेरे जईफ वजीर!"
"मेरे मालिक!
मेरे आका!" बजीर हांफता हुआ बोला, "मेरा कसूर माफ करेंगे, मगर आप यह बात सुनकर अपने दिल पर काबू न रख सकेंगे। जहाँपनाह, या इलाही। या खुदा। मुझे कहने की हिम्मत दें और शहंशाह को सुनने की ताकत दें।"
वजीर!" एकाएक सुलतान का स्वर कठोर हो गया। उनकी मुखाकृति पर क्रोध की लाली दौड आई।
"गुस्सा न कीजिए, मेरे आका!" कहते-कहते बुड्डा वजीर अदब से सुलतान के पैरों पर झुक गया।
इतने रजील न बनो, मेरे बुजुर्ग। दिल को काबू में रखो और कह डालो उस बात को, जिसने जिगर में तूफान बनकर तुम्हें और मुझे दोनों को परेशान कर दिया है।"
-सुलतान की आवाज में मुलामियत से ज्यादा कडाई थी। "शहंशाह ! दीन-दुनिया के मालिक। सुनिए, मल्काए-आलम की काली करतूत।"
"मल्काए-आलम की काली करतूत? वजीर, यह तुम क्या कह रहे हो?"
"ठीक कह रहा है जहांपनाह! आप यहां रंग महल में मौज उडा रहे हैं और उधर अपने महल में मल्काए-आलम भी एक नौजवान गुलाम के साथ...।"
"गुलाम के साथ! यह तुम क्या कह रहे हो, वजीर? तुम्हें अपने सिर की परवाह है या नहीं? "मल्काए-आलम पर .."सुलतान गुस्से से कांपने लगे।
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Re: Romance जलन
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
- kunal
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Re: Romance जलन
बढ़िया मस्त अपडेट है दोस्त
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!
- naik
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Re: Romance जलन
congratulations for new thread