Adultery एक कायर भाई

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Rakeshsingh1999
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Re: Adultery एक कायर भाई

Post by Rakeshsingh1999 »

मुझे मालूम था उसके दाँतो के निशान मेरी प्रियंका दीदी के गुलाब की पंखुड़ियों से गालों पर अच्छे खासे पड़ जाएंगे ...
उसके होंठ जो हरकत मेरी प्रियंका दीदी के होंठों और गालों के साथ कर रह रहे थे ,वही हरकत असलम के हाथ मेरी दीदी का मस्त उभरे हुए 24 साल के बड़े-बड़े दोनों संतरे,कड़े कड़े जोबन के साथ कर रहे थे।
आज तक मेरी प्रियंका दीदी के जोबन ,चाहे शहर के हो या या गांव के लड़के ,उन्हें तंग करते ,ललचाते ,उनके पैंट में तम्बू बनाते फिरते थे ,

आज उन्हें कोई मिला था , टक्कर देने वाला।
और वो सूद ब्याज के साथ ,उनकी रगड़ाई कर रहा था ,
और शायद मेरी प्रियंका दीदी के जोबन चाहते भी तो यही थे।
कोई उन्हें कस के मसले ,कुचले ,रगड़े ,मीजे दबाये, और असलम भी यही कर रहा था पर चोली के ऊपर से ही...
और क्या कस कस के ,रगड़ रगड़ के मसल रहा था वो। मेरी प्रियंका दीदी तो बस सिसक रही थी...
उसने मेरी प्रियंका दीदी को उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया... एक झटके में उसने मेरी दीदी की चोली के सारे बटन तोड़ दिय... और चोली को उनके सीने से अलग कर दिया...
पता नही क्यूँ.. कुच्छ पल के लिए वह चुपचाप आँखें फाडे 'ब्रा' में क़ैद मेरी प्रियंका दीदी के चूचियो के बीच की गौरी घाटी को घूरता रहा.. फिर अचानक हाथ पिछे ले जाकर मेरी दीदी की 'ब्रा' की स्ट्रिप्स को उखाड़ देने पर उतारू हो गया... उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह मेरी दीदी की डिजाइनर ब्रा को किधर से खोलें..
चल तू ही खोल दुल्हनिया .. असलम में दीदी से कहा...
जी..... बोलते हुए मेरी प्रियंका दीदी ने खुद ही अपनी ब्रा स्ट्रिप खोल दी और स्ट्रिप्स को अपनी बाहों के नीचे दबाकर अपना सिर झुका लिया...
जैसा मुझे डर था.. वही हुआ.. असलम इतना बेशबरा हुआ जा रहा था कि उसने ब्रा को छाती से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया...
मेरी दीदी झटके से उसकी तरफ आई.. पर फिर भी कंधे की एक स्ट्रीप चटक गयी..
"ओह.. क्या करते हो?" मेरी दीदी के मुंह से निकला.. दीदी ने अपनी दूसरी बाजू से बाहर निकाल दिया स्ट्रिप..
....

पर उसने तो जैसे कुच्छ सुना ही नही... उसका पूरा ध्यान ब्रा पर नही.. बुल्की ब्रा की क़ैद से निकलते ही फदाक उठी मेरी प्रियंका दीदी की संतरे जैसी चूचियो पर था.. दूधिया रंग की मेरी दीदी की चूचियां भी मानो उसको चिडा रही हों.. छ्होटी क़िस्स्मिस्स के आकर के दोनों दानो की चौन्च उसकी आँखों की ओर ही उठी हुई ही.... वा अब भी उन्हे ही आँखें फाडे घूर रहा था.. जैसे और कुच्छ करना ही ना हो....
"क्या है..?" मेरी प्रियंका दीदी ने शर्मा कर अपनी चूचियो को अपनी हथेलियों में छिपा लिया.. तब जाकर कहीं उसके होश ठिकाने आए.. ठिकाने क्या आए.. होश तो उसके मानो तभी उड़े हों... मानो किसी ने उस'से जन्नत की खुशियाँ छीन ली हों.. उसने झपट्टा सा मारा और मेरी दीदी के हाथ 'वहाँ' से हटा कर अपने टीका दिए...
"उफफफफफ्फ़....तुम तो पूरी की पूरी मक्खन हो मक्खन!" मेरी जानू मेरी दुल्हनिया", मेरी प्रियंका दीदी की दोनो चूचियो को अपने एक एक हाथ में लपके हुए वह उन्हे 'प्यार से सहलाता हुआ बोला...,"
उसने अपनी चुटकियों में मेरी प्रियंका दीदी की चूचियो के दोनो दाने पकड़ लिए... और बड़े प्यार से मेरी दीदी को देखने लगा...
अपनी चूचियो से असलम की नजरों का लगाव देख कर मेरी दीदी गदरा सी गयी और मेरी दीदी की चूचियो का कसाव हल्का सा बढ़ गया...
सा बढ़ गया...
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Rakeshsingh1999
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Re: Adultery एक कायर भाई

Post by Rakeshsingh1999 »

"मैं इन्हे चूस कर देख लूँ एक बार...?" वह अपने होंटो पर जीभ घूमता हुआ बोला... शायद अपनी लार को बाहर टपकने से रोक रहा होगा...
पर मुझे आश्चर्य तब हुआ जब मेरी प्रियंका दीदी ने कुछ भी जवाब नहीं दिया बल्कि जवाब उनकी चुचियों ने खुद ही दिया.... उनके नितंब थोड़ा पिछे सरक गये और कमर थोड़ी आगे खिसक आई.
मेरी प्रियंका दीदी ने अपनी चूचियो को आगे किया और उभार कर असलम के होंटो से च्छुआ दिया.....
एक बार को तो भूखे शेर की भाँति उन्न पर टूट पड़ा... जितना मुँह खोल सकता था, खोल कर मेरी प्रियंका दीदी की एक छाती को पूरा ही मुँह में तूसने की कोशिश की... और जितना ले पाया... अपनी आँखें बंद करके उसको पपोल'ने लगा......
पर एक से शायद उसको सब्र नही हो रहा था... एक हाथ मेरी दीदी की कमर के पिछे ले जाकर उसने मेरी दीदी के कुल्हों पर रखा और नीचे से मेरी दीदी को अपनी और खींचते हुए उपर से पिछे की और झुका लिया.. अब उसका पिछे वाला हाथ मेरी दीदी को सहारा देने के लिए उनकी गर्दन पर था और दूसरे हाथ से उसने मेरी दीदी की दूसरी चूची को किसी निरीह कबूतर की तरह दबोच लिया.....
मेरी प्रियंका दीदी भी अधमरी सी होकर बड़बड़ाने लगी थी... उनके ऊपर भी " प्यार का जादू " सर चढ़कर बोलने लगा था...
मीठी मीठी सिसकियाँ लेती हुई मेरी दीदी आनंदित होकर रह रह कर सिहर सी जा रही थी....
मेरी दीदी की हर सिसकी के साथ असलम को उनकी रजामंदी का आभास हो रहा था और पागल हो कर असलम चूसे जा रहा था..
करीब 5-6 मिनिट तक अपनी अल्हड़ मस्त चूचियो को बारी बारी से चुस्वाते रहने के बाद मेरी प्रियंका दीदी पिछे झुकी हुई होने के कारण तंग हो गयी और उसके कॉलर पकड़ कर उपर उठने की कोशिश करने लगी... वह शायद मेरी दीदी की परेशानी समझ गया और उनकी चूची को मुंह से निकाल कर उनको सीधा बिठा दिया...
मेरी प्रियंका दीदी की चूचियो में जैसे खून उतर आया था और दोनो ही चूचिया असलम के मुखरास (थूक) से सनी हुई थी...
मेरी प्रियंका दीदी मस्त हो चली थी... बड़ी शरारत से उन्होंने असलम की आंखों में अपनी कजरारी आंखें बड़ी बड़ी, डाल के बोली...
बुरा ना मानो तो एक बात कहूं जी" दिल भर गया हो तो अब हमें जाने दीजिए"
असलम ने मेरी दीदी की बात ठीक से सुनी भी नहीं.. वह तो मदहोश था उनकी चूची चूस चूस कर..
उसने एक एक बार मेरी दीदी की दोनो चूचियो के दानो को अपने होंटो में लेकर 'सीप' किया और फिर नशीले से अंदाज में मेरी दीदी की ओर देख कर बोला..,"बोलो ना जान!"
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Re: Adultery एक कायर भाई

Post by Rakeshsingh1999 »

Kahani jaari rahegi.kahani kaisi lagi awashya likhe.agla update jaldi hi.thanks
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