Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो

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josef
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो

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UPDATE-65


खलनायक : खून ख़राबा हमें पसंद है लेकिन मौके पे…जब हम यहां से निकलेंगे वैसे ऊस लड़की रोज़ को भी हम साथ ले जाएँगे

निशणेबाज़ : पर सर ये आप क्या कह रहे है? वॉ तो हमारी दुश्मन उसके वजह से हमें कितना नुकसान उठना पड़ा माल को लेकर

काला लंड चुपचाप एक जगह खड़ा सुन रहा था…”नुकसान हुआ तो भरपाई भी कर दी है ऊसने”……..निशानेबाज़ और बाकी गुंडे हैरान थे….”अब भरपाई कैसे की उसका तुम्हें बयान करना मैं जरूरी नहीं समझता…रोज़ के पीछे लग जाओ और इस बार मैं इसमें ंसाथ दूँगा मुझे वो लौंडिया ज़िंदा चाहिए और उसके ठीक मेरे हाथों में आने के बाद मैं ऊस देवश और इस देश में एक हड़कंप मचके यहां से फरार हो जाऊंगा गॉट इट”……….निशानेबाज़ ने सिर्फ़ आदेश का पालन करते हुए सर झुकाया

“अब जाओ हमें कुछ देर आराम करने दो”…….सारे गुंडे और निशनीबाज़ बाहर निकल गये…क्सिी को भी हक़ नहीं की ऊस हाथों में ब्रा की बात छेद दे…यक़ीनन ऊन लोगों को लगा किसी का शिकार खलनायक ने किया है…पर वो जानते नहीं की रोज़ खलनायक के दिल में बस चुकी है

काला लंड बार बार ऊस ब्रा को देख राह था….और ऊसने पास आकर खलनायक के जाते ही ऊस दराज़ से ऊस ब्रा को सूँघा…और उसके आंखों में एक जुनून सवार हो गया और ऊसने ऊस ब्रा कोफौरन दराज़ में रख डाला..इसकी खुशबू में तो ऊस औरत की महक है”……काला लंड का गुस्सा सातनवे आसमान पे चढ़ गया उसे सब समझ आ चुका था….

उधर रोज़ देवश की तस्वीर को देखकर उदास थी…और खलनायक के खुद के जिस्मो पे हुए हर स्पर्श को महसूस कर सकती थी…ऊसने फौरन देवश के तस्वीर पे लगे आँसू को जल्दी से पोंछा…और फिर अपने कपड़ों की ओर देखा….ऊसने ऊन कपड़ों को जल्दी से पहन लिया..और फिर एक बार नक़ाबपोश रोज़ बन गयी..जिसके आंखों में अंगार था….आज वो फिर गश्त के लिए बाइक पे सवार होकर निकल जाती है…और ऊस्की आंखें आज खलनायक के आदमियों को ढूदन्ह रही होती है….

आँधी तूफान की तरह बाइक को पूरी रफ्तार से चलते हुए…रोज़ हेलमेट के अंदर से ही चारों ओर के सन्नाटे अंधेरे में देख रही थी….बस ऊस्की बाइक की मोटर की आवाज़ उसे सुनाई दे सकती थी…इस वीरने में एक चिटी भी नहीं दिख रहा था…लेकिन तभी ऊस्की निगाह एकदम से सामने हुई और बाइक को फौरन ब्रेक मर दी…बाइक ने एक ज़ोर का झटका खाया और रुक गयी…रोज़ वैसे ही बाइक पे सवार बस सामने घूर्र रही थी

वन की गाड़ी में बैठा एक जाना पहचाना शॅक्स था जिसके चेहरे के नक़ाबपोश से साफ मालूम हो चुका था की यह कौन है?….खलनायक ऊस्की ओर देखते हुए जैसे उठा…उसके मोष्टंडे गुंडे और पेड़ की दूसरी ओर छुपे टहनियो पे निशानेबाज़ ऊसपे निशाना लगाए बैठा है….

रोज़ बाइक को बंद करके चाबी निकलती है…और फिर फुरती से खड़ी हो जाती है…ऊन गुंडों की तरफ देखते हुए एक बार हल्का मुस्कुराती है और खलनायक के तरफ आने लगती है “आज तुम्हें मेरे गुंडों से लार्न की जरूरत नहीं तुम्हें रोज़…आज ये गुंडे तुम्हें उठाने आए है”…….खलनायक की बात सुन वही रोज़ रुक जाती है

रोज़ : मुझे क्या कोई कमज़ोर औरत समझ रखा है तूने कमीने?

खलनायक : हाहाहा इसी आइडिया पे तो मैं फिदा हूँ तुम्हारे रोज़ अपनी महक मेरे जिंदगी में भी डाल दो तो शायद इस ज़िल्लत भारी जिंदगी दो पल का प्यार मिल सके

रोज़ : तुम जैसा आदमी प्यार तो क्या नफरत के भी काबिल नहीं

खलनायक : क्या सोचती हो तुम? की यहां इस दो कौड़ी के लोगों के लिए तुम इतना जोखिम उठाकर क्राइम का सफ़ाया कर डोगी..हां हां हां तुमसे भी शातिर मुज़रिम है दुनिया में और मैं जनता हूँ ऊस कमीने इंस्पेक्टर के लिए तूने ये रास्ता छूना तेरा पूरा हिस्ट्री पता लग चुका है मुझे अपनी हाँ दे दे और मेरा हाथ थाम ले

रोज़ : मुज़रिम हाला तो ने बनाया और ऊसने तो एक अच्छा रास्ता दिखाया आज मैं उसी में सुकून महसूस करती हूँ जिसे तू दो ताकि की कह रहा है वो मेरे अपने है और तू जिसका नाम गाल्त लवज़ो से लेरहा है ऊस्की मैं कोई लगती हूँ

खलनायक का गुस्सा सातनवे आसमान पे था…निशानेबाज़ बस खलनायक की कमज़ोरी पे ऊस्की खिल्ली मन ही मन उड़ा रहा था…खलनायक ने अपने आदमियों को इशारा किया….ऊन्हें पहले से ही बताया गया था जैसे भी हो आज रोज़ को उठाना है ताकि वो उसे किडनॅप करके अपनी बना सके और फिर उसे अपने साथ इस देश को एक गहरा जख्म देकर बांग्लादेश ले जाए

जैसे ही गुंडे रोज़ की तरफ आए…रोज़ फुरती से उनके ऊपर खुद ही बरस पड़ी…रोज़ ने फौरन अपनी बेक किक सामने वाले गुंडे के छाती पे मारी..और ऊन गुंडों से भीढ़ गयी….निशनीबाज़ बस हमको के इंतजार में था…वैसे ही वो खिजलाया हुआ था देवश की वजह से पर सख्त ऑर्डर्स थे खलनायक के एक खरॉच भी ऊस्की जान लेने के लिए काफी थी….


रोज़ गुंडों से मुकाबला करने लगी…ऐसा लग ही नहीं रहा था की यह खतरनाक हसीना किसी के हाथ में आने वाली है…खलनायक बस चुपचाप देखता रहा…कुछ ही पल में रोज़ ने ऊन सब गुंडों को दरशाही कर दिया…वो लोग ऊस देवी से भीख मागने लगे…”देख लिया कुत्ते अपने गुंडों को कैसे भीख माँग रहे है जान की बेहतर है अपने आपको मेरे हवाले कर दे”………खलनायक तहाका लगाकर हस्सने लगा…कुछ समझ नहीं पाई रोज़ पर वो जानती थी खलनायक का कोई खतरनाक ही मूव था उसी पल एक तीर उसके कंधे को छूते निकल गयी रोज़ ने जैसे ही ऊपर उठना चाहा…दूसरा तीर उसके मुखहोते पे लग्के उसके मुखहोते को चेहरे से जुड़ा करके पेड़ पे धासा…तीर पे उसका मुखहोटा लटक सा गया

रोज़ आशय होकर गिर पड़ी ऊसने अपना चहरा छुपा लिया…निशनीबाज़ ने खलनायक की ओर देखा ऊसने निशानेबाज़ को उतार जाने को कहा…बिना मुखहोटा के रोज़ का लरना नामुमकिन ही था वो बस अपने बेबसी पे एक बार फिर पछताने लगी वो चेहरे को हाथों में लिए टांगों को सिमते ज़मीन पे लाइट गयी…”ज़रा देखे तो इस चेहरे की मालकिन कैसी है?”….खलनायक के हाथ अभी रोज़ के चेहरे तक पहुंचे ही थे….और ऊसने उसका हाथ को लगभग हटाने की कोशिश की ही थी…इतने में एक और बाइक की आवाज़ सुनाई दी..हेडलाइट की चकाचौंड रोशनी से खलनाया की आँखें बंद सी हो गयी वो अपने मुखहोते पे हाथ रखकर पीछे होकर खड़ा हो गया

वो बाइक सवार ठीक खलनायक से 20 कदम दूरी पे आ खड़ा हुआ…निशानेबाज़ भी उसे घूर्र घूर्र के देखने लगा…खलनायक को कुछ समझ नहीं आया..लेकिन जब हेडलाइट ऑन करके वो धीरे धीरे बाइक से उतरा…और उसके नज़दीक आने लगा…तो निशानेबाज़ और खलनायक दोनों हैरान हो गये ऊन्हें मालूम नहीं था ये कौन है?……सामने वही काले कपड़ों में…काले नक़ाब के ऊपर एक और मुखहोटा…जिसे देखकर कोई भी कह देगा की ये कोई और नहीं “काला साया” है

खलनायक : कौन है तू?

काला साया : काला साया (रोज़ फुरती से एकदम चेहरे को ढके ही खड़ी हो गयी जो गुंडे उसे जानते थे उनकी साँसें रुक सी गयी सब ठिठक गये सिवाय खलनायक के और निशानेबाज़ के जो उसे जानते नहीं थे)

खलनायक : तो शायद ये नहीं जनता की क्सिी के रास्ते में आने का क्या अंजाम होता है?

काला साया : तू शायद ये नहीं जनता की इस शहर का पहले कभी कोई योद्धा भी रही चुका है…जिससे तू अंजान है अपने अंजाम की सोच

खलनायक गुस्से में तो था ही ऊसने अपनी गुण निकाल ली…काला साया ने फुरती से अपने छुपे हाथ की गुण सीधे खलनायक के हाथों पे मर दी…गोली सीधे नीचे गिर पड़ी खलनायक के हाथों से वो अपने हाथ पे लगे गोली से दहेक उठा…काला साया उसके करीब जैसे आया…निशानेबाज़ ने निशाना सांड़ दिया…काला साया फुरती से दूसरी ओर जा कूड़ा…निशानो पे निशाना लेकिन हर हमले से ऐसे बच रहा था जैसे कोई तेज तरह नेवला….खलनायक ने अपनी गोलियों से निशाना सांड़ दिया…जो सीधे निशनीबाज़ के ऊपर बरस उठी वो संभाल ना पाया और उसे लास्ट में जंगल के ढलान में कूद जाना पड़ा..

दूसरी ओर खलनायक ठिठक सा गया उसके आदमी वैसे ही लाहुलुहान परे थे जो बचे कुचे थे वो तो काला साया के नाम से ही भाग गये…खलनायक ने खुद ही मोर्चा संभाला…और रोज़ पे जैसे हाथ लगाने की कोशिश की…काला साया एकदम से उसके चेहरे पे लात दे मारता है…खलनायक दूर जा गिरता है

खलनायक पहली बार किसी से टकरा राहत हां….वो अपने जेब से लंबा सा चाकू निकलता है और काला साया पे फुरती से चलाने लगता है…काला साया उसके हर हमले से बचते हुए उसके हाथ को पकड़ लेता है लेकिन उसके पेंट पे खलनायक की लात जैसे लगती है वो पीछे हो जाता है खलनायक जैसे ही दूसरा लात मारता…काला साया ने उसके टाँग को पकड़ा और उसे एक ही झटके में अपने दूसरे बेक किक से गिरा डाला…अभी चाकू उठाने के लिए खलनायक पलटा ही था काला साया ने उसके गोली लगे हाथ पे पाओ रख दिया…खलनायक ज़ोर से दहढ़ उठा

काला साया कुछ समझ नहीं पा रहा था की इस मुखहोते के भीतर कौन है…लेकिन तभी उसके कमर पे निशनीबाज़ का तीर एक बार फिर छू जाता है…काला साया दर्द से बिबिला उठता है…और वो गुस्से भारी निगाहों से निशानेबाज़ की ओर देखता है इससे पहले निशानेबाज़ और तीर लगा पता वो उसके ऊपर अपनी स्विस नाइफ निकलकर फैक देता है जो सीधे उसके टहनी पे जा लगती है और निशानेबाज़ गिर परता है
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UPDATE-66


खलनायक को इतने देर में मौका मिल चुका था काला साया को धकेलके गाड़ी पे सवार होने का….काला साया तब्टलाक़ तीर से मुखहोटा निकलकर रोज़ को देता है…रोज़ चुपचाप बस काला साया की ओर देखती है…काला साया उसके चेहरे पे हाथ रखकर मुस्कुराता है..और फिर गुस्से से खलनायक के पीछे भागता है निशनीबाज़ गुस्से में सामने खड़ा हो जाता है…काला साया जैसे ऊसपे हमला करता है वो अपने करते डर मूव्स को उसे करता है…काला साया अपने नानचाकू को निकलकर ऊसपे बरसाने लगता है उसके करते धरे के धरे रही जाते है

और काला साया उसके चेहरे पे मिट्टी फैक्टा हुआ उसके पूरे बदन पे नानचाकू का वार बरसा देता है….निशानेबाज़ भी भागने लगता है….तब्टलाक़ खलनायक भी गाड़ी पे सवार होकर अपने ड्राइव को भागने के लिए कहता है…रोज़ पहले ही वन के पिछले भाग से अंदर घुस जाती है और खलनायक का गर्दन दबोच लेती है….खलनायक उसे धकेल देता है और रफ्तार तेज करने को बोलता है काला साया पीछे भागता है निशानेबाज़ को उठते देख वो अपनी गोली अपने बदले को याद करके निशानेबाज़ के उसी जगह पे मारता है जहाँ निशानेबाज़ ने उसे तब मारा था जब वो देवश था…निशानेबाज़ गोली खाके दूसरी ओर गिर परता है

काला साया पहाड़ी के ढलान पे चढ़ते हुए दूसरी ओर मुड़ती वन के ऊपर सीधे छलाँग लगा देता है पूरी बढ़ता की वन पे छलाँग लगते ही किसी मकड़े की तरह दोनों ओर हाथ से पकड़ते हुए बैलेन्स बनता है…खलनायक अपना चाकू वन के छत्त पे घुसाने लगता है…काला साया हर हमले से मुश्किल से बचता है

रोज़ इस बीच खलनायक को रोकने की कोशिश करती है और उसी पल काला साया शीशे पे अपने घुस्से का वार करके शीशा तोड़ देता है और ड्राइवर का गला पकड़ लेता है गाड़ी कभी इधर तो हकाभी उधर धंस खाने लगती है…इतने में काला साया अपनी गोली सीधे ड्राइवर के भेजे पे चला देता है…ड्राइवर मौके पे ही मर जाता है….खलनायक उसे धकेलटा हुआ खुद ही ड्राइविंग करने लगता है..काला साया पीछे के खुले फाटक से गाड़ी पे प्रवेश करता है….

काला साया : रोज़ अपना हाथ दो

रोज़ जैसे ही काला साया को अपना हाथ देने वाली होती है…खलनायक उसे पकड़ लेता है रोज़ उसके मुँह पे एक लात मार्टी है…खलनायक को गहरी चोट लगती है…और तब्टलाक़ काला साया रोज़ के साथ गाड़ी से छलाँग लगा देता है…खलनायक रुक नहीं पता अपनी हार को देख उसे वहां से भाग जाना ही परता है गाड़ी को पूरी रफ्तार में करके वो एक बार पीछे मुदके अपनी रोज़ को काला साया की बाहों में देखता है और फिर गाड़ी को बढ़ता में बहुत दूर ले जाता है

निशानेबाज़ भी दर्द में करहाते हुए किसी तरह अपनी बाइक पे बैठकर वहां से रफूचक्कर हो जाता है…काला साया और रोज़ एक दूसरे के गले मिलते है मानो जैसे दोनों के दुख आज एकदुसरेक ओ देखकर खत्म हुए हो….रोज़ प्यार से काला साया के गाल को चूमती है

रोज़ : मुझे मांफ कर देना देवश मैंने तुम्हें गलत समझा बहुत दिल दुखाया है तुम्हारा

काला साया बस उसे चुप रहने का इशारा करके मुस्कुराता है और उसके होठों पे उंगली रख देता है….कुछ देर बाद वो खुद ही पुलिस को फोन करके सूचित करता है…और फिर एक नज़र निशानेबाज़ पे दौरता है पर वो गायब हो चुका था…काला साया फौरन अपनी बाइक पे रोज़ को सवार करते हुए पूरी रफ्तार से वहां सीन इकल जाता है….इलाके में चाय पीते लोगों की निगाह जैसे ही रोज़ और साथ में अपने पुराने हीरो काला साया पे पड़ी वो लोग चिल्लाने लगते है खुशी से….पर पूरी रफ्तार से रास्ते से गुजरता हुआ काला साया सिर्फ़ मुस्कुराकर ऊन लोगों की तरफ देखता है


सबके होठों पे एक ही बात आ गयी थी “काला साया वापिस आ गया है”…अगली सुबह जल्द ही पुलिस हेडक्वॉर्टर में कमिशनर को फोन आया और जैसे ऊसने रिसीवर उठाया..ऊस्की साँसें थाम गयी उसका हाथ काँप गया “वॉट नॉनसेन्स?”……कमिशनर को कल रात की घटना पुलिस बताती है की मुठभैरर में काला साया खलनायक से लारा है उसके आदमियों को अरेस्ट करके बयान किया गया….अब शायद काला साया अकेले ही खलनायक का सफ़ाया कर देगा इस बात को सुन एक बार फिर कमिशनर कुर्सी पे गिर परता है

और उसके आंखों के सामने अख़बार में फ्रंट पेज पे छापा होता है

बदल गारज़ने लगते है मौसम जैसे बिगड़ने लगता है…जल्द ही अपने वीरान घर पहुंचकर काला साया और रोज़ दोनों अपने गुप्तिए कमरे में आकर पष्ट हो जाते है….रोज़ एकटक काला साया की ओर देखती है…जो अपने दर्द से सिसक रहा है…रोज़ उसके करीब आकर उसके बदन पे हाथ फेरते हुए जख्म को टटोलने लगती है…तभी उसे जॅकेट के पीछे एक हल्की सी थोड़ी गहरी जख्म दिखती है..गनीमत थी सिर्फ़ 1इंच ही तीर अंदर घुस पाया था…रोज़ काला साया के कपड़ों को उतारने लगती है

जैसे ही काला साया अपने सारे कपड़े उतारके अपने अंडरगार्मेंट्स में आता है…उसे देखते ही रोज़ मुँह पे हाथ रख लेती उसके पहले से ही बदन पे कई जगह पत्तियां थी..काला साया अहसास करके मुस्कुराता है

काला साया : ये निशानेबाज़ से पहली मुठभैर के है जो कुछ दिन पहले हुए थे

रोज़ : ओह माइ गॉड मेरी वजह.हे ये सब हुआ है मैंने ही तुम्हें अकेला अपनी बेवकूफ़ियो के लिए मुझे मांफ कर देना

काला साया : अरे यार इधर आओ (रोज़ को अपने जाँघ पे बिताते हुए)

उसके प्यार से ज़ुल्फो पे उंगलियां फहीयर्ता है “वो मज़बूर देवश था काला साया नहीं…तुम अगर मुझे धोखा भी डोगी ना तो भी मैं तुम्हें मांफ कर दूँगा ना जाने क्यों पर तुमसे कुछ जुड़ सा गया है”…….अपने दिल पे हाथ रखते हुए काला साया ने मुस्कराया

रोज़ ने उसके चेहरे से उसका मास्क और उसका काला काप्रा उतार दिया…वो चाहती थी की क्या ये सच में ऊस का देवश है जिसे लोग नाम से काला साया बुलाते है..मुखहोते के उतरते ही सामने देवश का पसीने भरा चेहरा देखकर रोज़ मुस्कुराकर देवश से गले लग गयी

“ई लॉवी यू ई वाज़ सो मिस्सिंग यू”…….रोज़ ने चिल्लाते हुए देवश से एकदम लिपटके कहा

देवश : सस्स्शह इट’से ओके आहह से

रोज़ : ओह तुम्हारा जख्म प्ल्स मुझे दवाई लगाने दो

देवश मुस्कुराकर बिना कुछ कहें पेंट के बाल लाइट जाता है…फिर रोज़ ऊस्की सिखाई तरह से ड्रेसिंग करने लगती है और ऊस जख्म पे दवाई लगाने लगती है…देवश बस अपने दर्द को भी भूल मुस्कुराकर रोज़ के गिरते ज़ुल्फो के साथ उसके चेहरे को देख रहा था…रोज़ की जब निगाह पड़ी रोज़ मुस्कराने लगी

उधर खलनायक चीज़ों पे चीज़ें तोड़ रहता…उसे शांत करना किसी के बस की बात नहीं थी…जब खलनायक घुर्राटें हुए ऊन गुंडों के करीब आकर उनके गर्दन को पकड़कर ऊन्हें धकेलने लगा…”सालों मां के लौदो किसी काम के नहीं हो तुम पहली बार एक दो कौदीी के आदमी से भागना पड़ा पहली बार खलनायक को जंग से पीछे हटना पड़ा…इस्शह”………खलनायक का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था
josef
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UPDATE-67


निशानेबाज़ जिसके कंधे से लेकर छाती तक पट्टी लगी थी चुपचाप पष्ट पड़ा लेटा हुआ था…डॉक्टर सहेंटे हुए बाहर निकल गया…खलनायक ने गुण निकाली और एक आदमी के मुँह में लगा दी “मुझे ऊस हरामी की एक एक इन्फार्मेशन चाहिए वो कौन है? कहाँ से आया? सबकुछ”……..खलनायक ने झल्लाते हुए बोला

आदमी 2 – सर इन्फार्मेशन ही क्या अपुन ऊस्की पूरी कुंडली जनता है तभी तो अपने पंतर लोग एक ही झटके में वहां से सतक लिए

खलनायक घुर्राटे हुए ऊस बंदे की हिम्मत की अंकल दे रहा था जो इतना कुछ कह गया…ऊस आदमी ने पुराने पुराने न्यूसपेपर्स के आर्टिकल्स तस्वीर के साथ खलनायक के सामने टेबल पे पेश की…खलनायक उसे उठा उठाकर पढ़ने लगा…ऊसमें उसी बंदे काला साया की तस्वीर थी…”हम”….वो बस धीमी साँस छोढ़ता हुआ पढ़ने लगा

आदमी 2 : यही नहीं सर ये आदमी इस शहर के पुलिस के साथ मुरज़रीमो के नाक में दम कर गया रॉबरी करप्षन मर्डर या कोई भी क्रिमिनल केस ही जो पुलिस के हॅंडोवर होने से पहले ये सुलझता है…ये ना ही किसी पे रहें करता है और अपने मुज़रिमो को गोली से उड़ा देता है…कलकत्ता की पुलिस भी इसे ढूँढ रही है लेकिन बाद में इसके बढ़ते अपराध के लिए पुलिस ने इसका एनकाउंटर जारी कर दिया था लेकिन ये साला बच निकाला…और वापिस आया आपसे लार्न

खलनायक : हम लेकिन रोज़ को देखकर लग रहा था जैसे वो उसे जानती हो…

निशानेबाज़ : आहह भी हूँ सकता है की ये रोज़ उसे पहले से जानती हो? क्या पता काला साया की वॉ (निशानेबाज़ ने और कुछ नहीं कहा क्योंकि जलते अंगरो भारी आंखों को खलनायक के वो और घूर्र नहीं सकता था)

खलनायक : मुझे किसी की बात नहीं सुन्नी रोज़ सिर्फ़ मेरी है रही बात इस नये दुश्मन की काला साया इसके जिंदगी पे तो मैं काला ग्रेें लगाउँगा पहली बार कोई टक्कर का आदमी मिला है…इसके लिए तो तुम ही ठीक हो है ना काला लंड

काला लंड अंधेरे से निकलकर सामने आया और ऊसने एक बार ऊस तस्वीर की ओर देखते हुए घूरा…काला लंड ने ऊस तस्वीर को एक ही झटके में फाड़ डाला…”समझो ये मेरा अगला अपोनेंट है रेसलिंग का”…..ऊस्की गारज़ान ने खालनयक को तहाका लगाने पे मज़बूर कर दिया…वो जनता था काला लंड से भीढना साक्षात बेदर्द मौत को गले लगाना….काला लंड बस चुपचाप खलनायक को घूर्र रहा था…और फिर ऊस फटे तस्वीर को

रोज़ काला साया के छातियो को चूमते हुए उसके लंड पे कूद रही थी…नीचे से काला साया धक्के लगते हुए रोज़ के चुचियों को मुँह में भरके थोड़ा उठके चुस्स रहा था….रोज़ बैठी बैठी बस लंड पे रगदाई खाके अपनी गान्ड को पूरी रफ्तार में ऊपर नीचे उछाल रही थी…काला साया फौरन रोज़ के छातियो को क़ास्सके दबाने लगा….रोज़ चाह रही थी की वो सारी बात काला साया को बता दे पर ऊस्की हिम्मत नहीं हो पा रही थी..फिर अचानक से काला साया ने रोज़ को अपने नीचे लेटा दिया और ऊस्की टांगों को अपनी कमर में फ़साए ऊस पे चढ़के धक्के लगाने लगा

रोज़ ऊन धक्को का जवाब अपने मीठे मीठे सिसकियों से दे रही थी….ऊस्की आंखें ढाल सी गयी थी…काला साया के हाथ रोज़ के मुखहोते पे आ गये…पर वो कटरा रहा था बिना मर्जी के बिना शायद रोज़ गुस्सा हो जाए….पर रोज़ शायद यही चाहती थी और आज इतने दीनों बाद खुद ऊसने अपना मास्क उतार फैका…उसके चेहरे को देखते ही जैसे सागर का पानी नहेर में गिर रहा हो ऐसा हाल काला साया का था…और दोनों प्यार से एक दूसरे से लिपट गये

काला साया उर्फ देवश ने उसके मखमल जैसे चेहरे पे उंगलियां फहीराई उसके चेहरे को वो बहुत ही प्यार से घूर्र रहा था..फिर ऊसने उसके कंपकपाते होठों से होंठ लगा दिए…रोज़ ने अपनी गान्ड उठा ली…और देवश भी बारे ही काश क़ास्सके धक्के पेलने लगा…चुत से लंड फ़च से निकलता और धंस जाता
ऐसी हालत में सिर्फ़ देवश उसके चेहरे को चूम रहा था…और ऊसने फिर फौरन अपना लंड बाहर खींचा

और रोज़ के सामने ही उसके पेंट पे अपना रस उगलने लगा…जब उसके लंड से आखिरी बंद भी टपक के गिर पड़ी…तब जाकर देवश पष्ट होकर अपनी अँग्रेज़ गोरी में रोज़ के गले से लिपट गया….और उसके पेंट पे लगे रस को हाथों से पेंट और छातियो पे रोज़ के मलने लगा….”देवश मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ”…….रोज़ ने देवश के चेहरे की ओर देखते हुए बोला

फिर उसके बाद रोज़ ने खलनायक के संग हुए मुठभैर के बारे में सबकुछ बता दिया…की उसके साथ क्या क्या हुआ था?….देवश बस सुनता गया पहले तो उसे अपने कानों पे विश्वास नहीं हुआ की वो ये क्या सुन रहा है की रोज़ खलनायक के साथ…उसे बेहद गुस्सा आया आख़िर क्यों? क्यों वो अकेले लर्र्ने चली गयी जबकि उसे देवश ने मना किया था….देवश कुछ देर तक खामोश रहा शायद रोज़ को डर था कहीं देवश उससे दूर ना हो जाए

देवश ने रोज़ के चेहरे पे हाथ रखा..और ऊस्की तरफ देखा…रोज़ के आंखों में नांसु थे…”मैंने तुमसे क्या कहा था? की चाहे जो भी हो मैं तुमसे दूर नहीं हो सकता…लेकिन तुम्हें ये बात मुझे बतानी चाहिए थी…एनीवेस जो हुआ उसे भूल जाओ इतना सब हो गया और मैं कुछ ना कर सका”…..मैं गुस्से में बैठ गया

रोज़ भी बैत्टते हुए मेरे कंधे पे हाथ रखकर समझने लगी “प्ल्स देवश ट्राइ तो अंडरस्टॅंड गलती मेरी ही थी मुझे लगा की मैं उसे”…….मैंने रोज़ की तरफ देखा और उसके हाथ को हटाया “पर तुमने इतना भरा खतरा अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो यानि अब ऊस्की निगाह तुमपर है ये बात खतरे की है रोज़ और मैं नह्िचाहता तुम ऊन लोगों से और उलझो प्ल्ज़्ज़”……मैंने रोज़ को समझाया रोज़ चुप होकर सुबकने लगी


मैंने उसके आँसुयो को पोंछा और उसे अपने गले से लगा लिया…हालकनी मुझे खलनायक पे बेहद गुस्सा आ चुका था…पर मेरे पास सवर् के अलावा और कोई चारा नहीं था…ना ही मैं जनता था की मुझे मारने की खलनायक ने पूरी प्लॅनिंग कर ली थी…मुझे मर के वो रोज़ को हमेशा हमेशा के लिए अपने साथ ले जाएगा…इस बात से मैं कहीं ना कहीं थोड़ा बेख़बर था

अगले दिन जब मैं घर पहुंचा…तो पाया दिव्या टीवी पे न्यूज देख रही है…कल रात के हादसे और काला साया के वापिस आने की खबर शायद वो सुन चुकी थी जब मैं अंदर आया तो वो मुझे आँसुयो भारी निगाहों से घूर्रने लगी

दिव्या : क्यों ? तो क्या इसी लिए तुम रात रातभर गायब रहते थे? यही था तुम्हारा प्लान तुम फीरसे?
देवश : देखो दिव्या मुझे बनना जरूरी था…मेरे अपनों को मेरी जरूरत थी
दिव्या : तुमने मुझसे वादा किया था की तुम ये लाइन चोद दोगे फिर क्यों?
देवश : कुछ चीज़ें हमारे हाथों में नहीं होती यक़ीनन मैंने जो फैसला लिया आज ऊस फैसले से अलग हो रहा हूँ पर ये जरूरी था…खलनायक को रोकने के लिए जानती हो अब मेरे पास कोई चारा नहीं है जब चाहे तब कोई ना कोई दुश्मन मेरा आकर मुझे मर सकता है
दिव्या : पर!

दिव्या के पास कोई चारा नहीं था…देवश उसे समझने लगा पर वो देवश की जान जोखिम में डालने के लिए खिलाफ थी…दिव्या उसे कफा हो गयी…फिर ऊसेन खुद ही दिव्या को अपने पास बिठाया और उसे विश्वास दिलाया की अब पुलिस उसके पीछे नहीं लगेगी और ऊसने जो कसम ली है वॉ खलनायक को मर के ही खत्म होंगी….दिव्या को अपने मन को मज़बूत करना होगा..दिव्या सुनती चली गयी देवश के मकसद को…ऊसने रोज़ के बारे में पूछा उसे थोड़ा खटका लगा दोनों को साथ बाइक पे…देवश ने सारी बात खुलके बता दी की वो ऊस्की पार्ट्नर है…दिव्या ने कुछ और नहीं कहा और फिर देवश के कंधे पे सर रखकर उससे लिपट गयी…देवश जनता था जुर्म और लौंदियो को संभालना उससे कोई नहीं सीख सकता…लेकिन रोज़ के अपमान का उसे खलनायक से बदला लेना ही था
“वॉट नॉनसेन्स? इस तीस सीरियस्ली?”……..एकदम से कमिशनर पीछे मुदके अपने काबिल पुलिस ऑफिसर्स पे जो सर झुकाए खड़े थे ऊँपे कमिशनर बरस पड़ा…काला साया की खबर अख़बार में चप्प चुकी थी…पुलिस की निंदा की जा रही थी….और ऊपर से दबाव भी पब्लिक का बढ़ते जा रहा था…

कमिशनर : क्या मैं यही एक्सपेक्ट कर सकता हूँ? तुम गंदूयो से…एनकाउंटर स्पेशलिस्ट खुद को बोलते हो लानत है जो एक महेज़ इंसान को

पुलिस ऑफिसर से.पे – सॉरी पर अब ई डॉन’त थिंक की हमारी टीम ज़िल्ले में अच्छा काम कर रही है क्योंकि काला साया पुलिस से एक कदम आगे हमेशा होता है अब वो ऊस नदी में कूदके कैसे बच्चा ये तो खुदा ही जाने

कमिशनर : वाहह तुम्हें खुद ही यकीन नहीं की तुम्हारी बंदूक से निकली गोली एक मुज़रिम को छू भी सकती है…हुहह मुझे तुम बॅस्टर्ड्स को केस ही नाहिदेना चाहिए था एक तो ऊस देवश इंस्पेक्टर देवश जिन्हें मैंने बारे ही आदर से ट्रांसफर दी और आज वॉ हुहह सस्पेंडेड क्या किया ऊसने हम सब की गान्ड में लंड डालकर चला गया

पुलिस ऑफिसर – सर गुस्ताख़ी मांफ कीजिएगा पर देवश सर अपना काम काबिल-ए-तारीफ से कर रहे थे…हाँ सर से.पे सर सही कह रहे है आपके ऑर्डर्स पे ही देवश सर ऊन्हें मारने का हमको दिया था….यही नहीं सर हमने पूरी कोशिश की थी…लेकिन हम ये नहीं समझ पा रहे की आप काला साया को छोढ़के खलनायक जैसे शातिर मुज़रिम को मारने का क्यों नहीं ऑर्ड रहे

कमिशनर : ओह अब तुम पुलिस ऑफिसर्स मुझपर अपने सर पे ही उंगली उठा रहे हो…ये सब ऊस देवश किया धारा है ई वन’त फर्गिव हिं ई वन’त गेट आउट ई साइड गेट आउट

कमिशनर चिल्ला उठा..पुलिस ऑफिसर्स दाँतों पे दाँत पीसके बाहर निकल गये…सब अंदर ही अंदर कमिशनर को गाली दे रहे थे महेज़ अपने पैसे और लालच के चक्कर में वो अडमेंट हो चुका है

उधर जल्द ही पुलिस वालो ने देवश को ये खबर दी..की कमिशनर आजकल ज्यादा ही खिस्सिया गये है….देवश उनके साथ हँसी मज़ाक करने लगा…ऊन्हें भी फक्र था की देवश ने नौकरी सही राह के लिए छोढ़ी….काला साया के बारे में बताते ही देवश ने भी हैरानी भाव का नाटक प्रकट किया…कुछ ही देर में पुलिस फोर्स चली गयी….लेकिन देवश थमा नहीं था काला साया तो आज नहीं तो कल उसे फिर बनकर निकलना ही था

देवश अपने जैसे घर लौटा…दिव्या को छोढ़के तो ऊसने देखा मामुन बैग पैक कर रहा है….”और भाई क्या फुर्सत मिल गयी?”…….मामुन ने मुस्कुराते हुए कहा

देवश : हाँ भाई सॉरी यार तुझे ज्यादा टाइम नहीं दे पाया वो दरअसल काम में इतना उलझा हुआ था की (मामुन ने देवश के कंधे पे हाथ रखा)

मामुन : अरे यार क्या बात है? भाई से मिल लिया मेरे लिए बहुत है चल मेरा टाइम भी हो गया अब मुझे भी जाना है कलकत्ता वापिस

देवश : थोड़े दिन और रुक जाता तो सही रहता

मामुन : भाई वक्त कभी किसी के लिए नहीं रुकता खैर तुझे मिस करूँगा भाई और आते रहना यार कलकत्ता आता क्यों नहीं?
josef
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो

Post by josef »

UPDATE-68


देवश : फिलहाल तो वक्त नहीं सब ठीक हो जाए फिर (देवश ने मामुन को ये नहीं बताया की उसे नौकरी से निकाल दिया गया है क्या पता मामुन अफ़सोस जताए वैसे भी उसे अपने पर्सनल चीज़ें शेयर करने का कोई शओक नहीं था)

मामुन देवश से गले मिलकर मुस्कान देकर निकल गया…देवश ने उसे स्टेशन तक चोद दिया…मामुन के जाने के बाद…देवश वापिस घर लौटा…और अपने कमरे में आकर सुस्टते हुए लाइट गया इतने में…खिड़की से झाँक रहे ऊस शॅक्स ने अपना नंबर मिलाया जो दूरबीन को एक हाथ में लिए बारीक़ी से फोन के उठने के इंतजार में था

“हाँ भाई वॉ घर पे है अबतक तो कोई नहीं आया उसके वहाँ ठीक है भाई”…..खलनायक के आदमी ने अपनी दूरबीन को रखा और फिर झधियो से निकलकर चला गया…इधर देवश अनजाने मुसीबत से बेख़बर बस सो रहा था…इतने में दरवाजे पे दस्तक हुई

देवश की एकदम से नींद टूटी…ना घर पे कोई था कंचन तो गयी हुई है शीतल की शादी में दूसरे गाँव…रोज़ को घर मालूम नहीं..शायद दिव्या ही होगी…सोचकर देवश उठ खड़ा हुआ…हूँ तेज कदमों से दरवाजे की तरफ आने लगा…और दरवाजे के दूसरी तरफ गुंडे हाथों में हॉकी का डंडा और गुण लिए बस दरवाजे के खुलने की प्रतीक्षा में थे

दरवाजा एकदम से खुला..वो लोग सतर्क हो गये.दरवाजा अभी खुलता उससे पहले ही दरवाजे पे सटा ऊस गुंडे के पेंट से गोली निकल गयी…गुंडा वही पेंट पकड़ा गिर पड़ा..उसके मरते ही चारों गुंडे सावधान हो गये और वो भी कोई हरकत कर पाते किसी ने खैच के दरवाजे पे एक लात अंदर से दे मारी..दरवाजों सहित हूँ गुंडे हड़बड़ाकर सीडियो से नीचे गिरते चले गये

सामने काला साया खड़ा था..ऊस्की मुस्कान ऊन लोगों को बताने के लिए काफी थी की उनकी प्रतीक्षा में हूँ खुद पलखे बिछाए बैठा हुआ था…”साले तेरी मां की”…अभी दूसरा गुंडा उठके गोलीचलता…उसके गर्दन पे काला साया के फुर्रत चाकू का निशाना धस्ता चला गया..काला साय कूदके ऊन गुंडों पे हावी हुआ….ऊँका शक यकीन में तब्दील हो सा गया की कहीं ये देवश ही तो नहीं हूँ लोग बस ऊसपे टूट परे…चाहे हूँ बचे या नॅब अच्छे…अब ऊँका शिकार एक ही था

देवश ने फुरती से हॉकी के डंडे से ऊँपे वार करना शुरू कर दिया..और जब वो लोग अपने हत्यार निकल पाते…काला साया ऊँपे गोली दंग देता…पांचों के पाँच गुंडे वही मारें गये…काला साया ने फौरन अपने मुखहोते को उतारके इधर उधर देखा..और फौरन रोज़ को फोन किया…मोहल्ले की आस पास घर नहीं था…इस वजह से देवश को दोपहर के वीरान में लर्र्ने का मौका मिल गया..वो एक पल चारों ओर निगाह डालते हुए लाशों को अंदर ले आया…तब्टलाक़ रोज़ भी आ गयी और ऊसने देवश की ओर देखा

देवश : मुझे आए थे मारने…यक़ीनन अब मैं खलनायक का नेक्स्ट टारगेट हूँ

रोज़ : बाप रे अच्छा हुआ तुम सतर्क थे..मैंने तो तुम्हें शायद आज खो ही दिया था (रोज़ ने देवश के गले लगते हुए कहा)

देवश : जल्दी से इन लाशों को ठिकाने लगाना है…अगर कोई आ गया तो प्राब्लम हो जाएगी पुलिस को पता नहीं चलना चाहिए

रोज़ : ठीक है (रोज़ और देवश ने मिलकर ऊन लाशों को बारे ही अच्छे से जीप में डाल दिया…और फिर देवश खुद लाश को खलनाया के एड एक पास ले जाकर फैक आया)

निशानेबाज़ को फोन आया “दमनीत इतना घंटा लगता है एक इंस्पेक्टर की लाश यहां लाने को”…..निशानेबाज़ ने जो फिर सुना अपने गुंडों से दंग रही गया…जल्द ही हूँ घटना स्थल पे पहुंचा और अपने गुंडों की लाश देखी हर किसी के ऊपर स्प्रे से लिखा था काला साया..जिसे पढ़कर निशानेबाज़ का खून खौल उठा

खलनायक : वाहह एक इंस्पेक्टर को मर नहीं पाए तुम लोग हुहह जबसे मैं इंडिया आया हूँ तबसे ना हार नाकामयाबी ही झेल रहा हूँ…पहले तो रोज़ फिर हूँ इंस्पेक्टर और भी ये काला साया…ऐसा क्यों लगता है? जैसे ये तीनों एक दूसरे के कड़ी हो

निशानेबाज़ शर्म से सर झुकाए था…ऊसने खलनायक से पूछा की हूँ चाहे तो खुद देवश को खत्म कर दे..उसे एक मौका चाहिए…लेकिन खलनायक को सूझने लगा की नहीं एक बार पहले ही तो उसे चान्स दिया था..अब देना बेवकूफी है…हार मानके निशानेबाज़ चुप हो गया…खलनायक ने फिर से काला साया की तस्वीर को देखा और फिर कुछ कुछ सोचने लगा…तब्टलाक़ काला लंड भी अपने शिकार को पकड़ने के लिए तैयार हो चुका था

खलनायक : एक तुम ही मेरी उम्मीद हो काला लंड क्या तुमसे मैं होप रख सकता हूँ (काला लंड कुछ नहीं बोला सिर्फ़ चुप रहा)

खलनायक : हम मतलब तुम मुझे निराश नहीं करने वाले तुम्हारी ये दहेकत्ि आँखें ये क़ास्सी मुट्ठी साफ बता रही है की तुम काला साया का खून देखने के लिए बरक़रार हो..एनीवेस उसके ठिकाने का पता लगाओ साथ में निशानेबाज़ को भी ले जाओ आज मुझे किसी भी हाल में काला साया मुर्दा चाहिए…वैसे भी ज़िंदा तो उसे काला लंड छोढ़ेगा नहीं क्यों है ना? (खलनायक ने मुस्कुराकर काला लंड की तरफ देखा..जो गुस्से से बस हामी भर रहा था)

खलनायक के आदेश पे ही…निशानेबाज़ और काला लंड अपने गुंडों को लेकर निकल गये…तब्टलाक़ टीवी पे कमिशनर की इंटरव्यू को सुन खलनायक कुर्सी पे बैठ गया…उधर रोज़ और देवश भी टीवी न्यूज को देख रहे थे

“कहा जा रहा है आज कमिशनर की बैठक में ऊन्होने हमें सूचित किया है की वो अब इस शहर में और खून ख़राबा नहीं होने देंगे केवल 10 किलोमीटर दूर कलकत्ता से इतर जैसे छोटे शहर में आज उगरवादी और मुज़रिमो का दायरा बन सा गया है…खलनायक जैसे बारे इंटरनॅशनल अपराधी इस छोटे से शहर में हाहाकार मचा रहे है…कमिशनर ने बताया की आज हूँ ये निश्चय कर रहे है की खलनायक और उससे जुड़े सभी अपराधी मारें जाएँगे…ये फैसला ऊन्होने यक़ीनन आक्च के लिए लिया हो पर कहीं ना कहीं पब्लिक के दबाव और सरकार को जवाब देन एक लिए ही ऐसा निर्णय लिया गया है…अभी हाल ही में एक इंस्पेक्टर को बर्कष्ट कर दिया गया कारण ऊँका मुज़रिमो से जुड़े होने का अंदेशा था…कमिशनर अब चुप बैठने वाले नहीं”…….चुपचाप रोज़ मुस्कुराकर देवश की तरफ देख रही थी

देवश : ये कमिशनर बहुत बरबोला है सबकुछ पब्लिक ने करवाया है

रोज़ : वैसे ये क्या? मर पाएगा खलनायक को एनकाउंटर तो कर नहीं सकता

देवश : हम अपने लिए शायद खलनायक के हाथों खुद की क़ब्र खुद्वा रहा है..


रोज़ : हुम्हें कुछ करना च्चाईए देवश ये बात तरफ रही है…खलनायक बहुत खतरनाक है आज ऊसने अपने गुंडों को भेजा कल भी निशानेबाज़ का तुमपे हमला होना…कहीं हूँ ये तो नहीं जान गये की तुम ही काला साया

देवश : नहीं रोज़ ऐसा नहीं है…खैर अगर ऐसा होता भी है तो मैं तैयार हूँ मैं उसे खुद इस देश से मिथौँगा…चाहे कुछ भी क्यों ना हो? चलो देर करना ठीक नहीं गश्त लगाना शुरू कर देना चाहिए आज मैं कहलनयक के आदमियों का सफ़ाया हर हाल में करूँगा

रोज़ : शायद वो भी ढूँढ रहे हो

देवश बस मुस्कराया और ऊसने अपने लिबास को पहनते हुए बाइक स्टार्ट कर ली…रोज़ भी बाइक स्टार्ट करके निकल गये….उधर खलनायक कमिशनर के न्यूज को सुन गुस्से से तमतमा उठा….एक के बाद एक दुश्मन बढ़ते जा रहे है…और ऊँपे लगाम कसने की दूर खलनायक ऊँका कुछ कर भी नहीं पा रहा सोचते ही खलनायक का गुस्सा दुगुना हो उठा

हूँ बस मुस्कुराकर कमिशनर के बने तेलएवेरसिओं स्क्रीन पी आ रहे तस्वीर को घूर्र रहा था..और दूसरी तरफ काला साय की मौत का लुत्फ़ उठाने की कोशिश में न्ता….

“पक्की खबर है”…….खबरी ने निशानेबाज़ को बताया…निशानेबाज़ एक बार वन में बैठे सिगार फहूंकते काला लंड की तरफ देखने लगा….”हम गाड़ी स्टार्ट कर और बताए पाते पर ले चल”…….जल्द ही गुंडे ने गाड़ी स्टार्ट की निशानेबाज़ भी सवार होकर निकल गया पीछे खबरी की लाश पड़ी हुई थी

काला लंड और निशानेबाज़ को पता लग चुका था की खलनायक आखिरी बार कहाँ देखा गया है…लेकिन खबरी ने जो बताया था हूँ सीधे दिव्या के घर का पता था…जिसे आखिरी बार उसके खबरी ने ऊधर ही देखा..जल्द ही गाड़ी सन्नते भारी रात में रुक गयी..और ऊस सड़क के चारों ओर घूर्रते हुए गुंडे बाहर निकल आए..सिगार को भुजाते हुए काला लंड और निशानेबाज़ मौत बनकर देवश केन आए वाले घर की ओर ही आ रहे थे

उधर घर के अंदर देवश की तस्वीर लिए दिव्या अनके मुंडें सो रही थी….इस बात से बेख़बर की एक अनचाहा ख़ौफफनाक मुसीबत दरवाजे पे दस्तक देने वाला हैबिके को तेज रफ्तार से रोज़ और काला साया दोनों दौड़ा रहे थे…काला साया की निगाहों में ना जाने एक अज़ीब सी बेचैनी थी ना ही अपने लिए पर किसी और के लिए…ऊसने फौरन बाइक बीच में रोक दी जब रोज़ ने उसे आवाज़ दी…रोज़ के बाइक के रुकते ही…काला साया भी बाइक को रोकके रोज़ की तरफ गंभीरता से देखने लगा..रोज़ एक लाश के तरफ जा रही थी

बाइक को रोकके…काला साया भी पीछे पीछे रोज़ के आया..तो पाया सड़क के बीचो बीच एक अधमरी लाश पड़ी हुई है…ये कोई और नहीं खलनायक का ही खबरी था जिसे मौत के घाट उतारके निशानेबाज़ और काला लंड निकल गये थे…

रोज़ : ओह में..य गोद इसकी साँसें थोड़ी बहुत मज़ूद है

काला साया : अरे ये तो खलनायक का खबरी लगता है आई आंखें खोल्लो तू..एमेम त..हीक हो

गाल को थपथपाते ही…साँस खींचते हुए बड़ी ही मुश्किल से गोली की जगह को पकड़े खबरी ने अधखुली आंखें खोली तो सामने काला साया को देखा…

काला साया : क्या हुआ तुम्हें? किसने किया ये सब?

खबरी : आ..हे से..हायद भ..अगवांन की लात..पे… हे… एमेम..मैंन आ… उघ (खबरी ने ऐत्ते हुए काला साया के गेरेबेअं को अपने खून भरे हाथों से पकड़ा काला साया ने उसके हथेली पे हाथ रखकर उसे आराम से बताने को कहा)

खबरी : एम्म..मैंन्न आहह सस्स डब्ल्यू..आस के..हलननेकक के गुंडे को आपक.ए ग..हरर का पा..था दी..या हूँ आहह वो लोग आपकी त..आलशह में..आइन आहह निकल्ली हे

काला साया : क्या? किस तरफ गये है वो कौन से घर का पता दे दिया तुमने?? जवाब दो सी’मॉनणन (काला साया के दिल की बेचैनी और बड़ी और ऊसने सख्त इसे खबरी को झिंजोध दिया रोज़ ने मना किया)

खबरी : में..आंफ का..र्ना शायद ज़्..इंदगी में..आइन ईकक पुना का काम कर पौउू आपकी मदद कर सकुउ वॉ लोग कॉलेज स्ट्रीट की तरफ (अभी कुछ और कह पता खबरी ने दम तोड़ दिया उसका हाथ ज़मीन पे गिर पड़ा)

काला साया एकदम से हताश उठ खड़ा हुआ…रोज़ ने उसके कंधे को झिंजोधा “के..या हुआ?”…….काला साया ने रोज़ की तरफ हड़बड़ाकर देखा और फिर एकदम से चिल्लाया “न्नहिी दिव्या घर पे है शितत्त सी’आंटी”…….रोज़ इससे पहले कुछ समझ पति एक बार लाश बने खबरी को देख वो फिर बाइक पे सवार होकर काला साया के साथ निकल आ गयी

काला साया पूरी रफ्तार से बाइक को नये खरीदे दादी वाले घर की ओर मूंड़ चुका था…वहां तो दिव्या है वो किस हाल में न्होगी..ये सब सोच सोचकर ही काला साया का बदन काँप राह था…जल्द ही वो लोग बांग्ला पहुंचे…वहां पहले से खड़ी खलनायक के जीप को देख…दोनों सटरक होकर दौड़ परे

काला साय ने फुरती से अपने लॉन में छलाँग लगते हुए टूटी खिड़की से आर पार हो गया…”द्डिवव्या दिवव्याअ”……काला साया दौड़ते हुए सीडियो पे चढ़के ऊपर वाले कमरे की ओर भागा..रोज़ जैसे अंदर आई ऊसने हैरानी से काला साय को दिव्या का नाम पुकारते सुना फिर चारों ओर के टूटे चीज़ों को बिखरा पड़ा देख गंभीरता लाया

काला साया अभी कमरे की तरफ पहुंचा ही त…उसके चेहरे पे एक पीपे का वार हुआ और काला साया हड़बड़ाकर दो तीन सीडी से नीचे आ गिरा…रोज़ ने उसे उसी पल उठाया…इतने में सामने से आते काला लंड जिसके गेरफ्त में दिव्या थी और उसके साथ दो गुंडे को देखकर दोनों भौक्ला उठे…दिव्या चिल्ला रही थी

काला साया ने उठके फौरन अपनी नानचाकू निकाली और उसके सामने वाले गुंडे पे एक ही वार कर डाला…गर्दन को पकड़े वो गुंडा देह गया…काला लंड सीधे दिव्या को चोद काला साया से जा टकराया….तब्टलाक़ पीछे से गोली के हमले से बचते हुए रोज़ सोफे के पीछे जा छुपी…और ऊसने भी अपने हत्यारों को निकालके वार करना शुरू किया…”दिवव्याअ इधर आओ”…रोज़ उसके पास जाना चाहती थी पर गोलियों के वजाहो से सोफे से उठ खड़ी नहीं हो पाई
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