Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो

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josef
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो

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(UPDATE-42)


देवश : अब साली बनाएगी भी और ये चेहरे से मास्क हटा मास्क्क हटा रनडीी (मैं जैसे ही मास्क हटाने को हुआ ऊसने क़ास्सके मुझे एक धक्का मारा पर मेरी रिवाल्वर साला अंधेरे में कहाँ गिरी शितत)

वो लड़की भागी मैं भी भागा उसके पीछे…”आबेयी रुक्क”……वो कुछ नहीं कह रही थी यक़ीनन वो अपनी आइडेंटिटी छुपाने के लिए भागें जा रही त…मैं लंगड़ा लंगड़ा के उसके पीछे भाग रहा था…अचानक वो जंगल के भीतर घुसी…मैं भी घुस गया ना परवाह की जानवर की और ना ही साँप मिया की

सुना था इस जंगल में काफी ज़हरीले साँप होते है…वो भागें जा रही थी शायद वॉ डर गयी हो उसे लगा हो की मेरे हाथ में अब भी पिस्तौल है…मैंने भी झूठ बोलते हुए चिल्लाया “रुक जा वरना गोली मर दूँगा रुक्क जा”….मेरी आवाज़ पूरे जंगल में गूंज रही थी इतने में अचानक वो एक खंडहर के ऊपर चढ़ गयी

“मां की चुत साला इतना पुराना भुतिया खंडहर…कभी यहां मैंने काला साया बनकर शरण ली थी…मुझे एक चप्पा चप्पा पता था ऊस जगह का मैं भी उसके पीछे भागा….अचानक वो छत्त वाले हिस्से पे चढ़ गई…ये पुराना मंदिर होया करता था…लेकिन इंडो-बांग्लादेश वॉर के चक्कर में यहां के लोग सबकुछ चोद चाढ़ के भाग गये और जगह ऐसी जगह में मंदिर है डर से लोग बहुत प्रेत का नाम लगाकर नहीं आते…”आबेयी रुक्क जा अंदर साँप है”……मैंने चिल्लाया मैं उसके भले के लिए ही कह तो रहा था

अचानक देखता हूँ वो ठिठक गयी है चारों ओर खुला छत्त अब कूदेगी तो मरेगी..”मैं उसे सीडियो पे ही खड़ा होकर मना करने लगा की वापिस आ जाए और कानून को अपने हवाले कर दे…पर वो मेरी बात मानने के बजाय कूदने की फिराक में थी…अचानक देखा एक चीज़ रैंग्ता हुआ उसके करीब चल रहा है..”आबेयी पीछे देखह साँप हाीइ बचके साँप हाीइ”…..ऊसने सुना नहीं और अचानक से ऊस साँप ने उसके पाओ पे कांट लिया…वॉ बहुत ज़ोर से चीखी और फिर वही गिर पड़ी

मैं फौरन ऊपर आया…साँप तब्टलाक़ भाग चुका था…बाप रे ये तो काला साँप है गनीमत थी किसी कोब्रा ने नहीं दसा था…मैंने फौरन उसे उठाया और सीडियो से नीचे ले जाने लगा..अचंकक गरर गरर करके बारिश शुरू हो गयी…ठंड तरफ गयी…फौरन उसे खंडहर के अंदर ले आया एक सुरक्षित उक्चे जगह पे उसे लाइटाया चारों ओर पत्ते परे हुए थे…ऊन्हें साफ किया फिर उसके कपड़े को हटाया उफ़फ्फ़ दो दाँत के निशान थे…लड़की पूरी तरीके से काँप रही थी…मैंने सोचा इसका मुकोता उतार ही देता हूँ

पर ऊस्की हालत ठीक नहीं थी…ज़हेर फैल जाएगा इतने देर में तो…ना जाने किस तरह का साँप था…चाहता तो ओसॉके हालत पे उसे चोद देता..पर इंसानियत भी कोई चीज़ थी…मेरी जगह काला साया होता तो वो भी यही करता मैंने फौरन ना आँव देखा ना ताँव और उसके ज़ख़्मो पे मुँह लगाकर उसका ज़हेर खीचने लगा..और उसे थूकते हुए हुए उसे चूसने लगा….बदल गाराज़ रहे थे बारिश ज़ोर से हो रही थी…कुछ देर बाद मैंने जल्दी से उसी हालत में भीगते हुए जीप से एक वॉटर बॉटल लाई…और कुल्हा किया…कुछ नुस्खे आते थे जब ऑर्फनेज में था तो एक गुरु थे जो योगा के साथ साथ ओझा भी थे…साँप का झाढ़ पता था ऊन्होने हमें कुछ चीज़ें भी बताई…

मैं उसी जड़ी बूटी को ढूंढ़ने लगा कारण बांग्लादेश से सटे होने पे यहां कुछ ऐसी जाडिया पत्तो के भैईस में पाई जाती है जिससे ज़हरीले सानपो का ज़हेर भी कट जाता है…मैंने फौरन ऊस पौडे को खोजने लगा करीब पास ही वो लत्तड़ो में मिला उसे उखाड़ा और उसके पत्तो को सहित ज़ोर से निचोड़ा उससे निकलता रस सीधे जख्म पे टपका तो लड़की ज़ोर से चीख उठी उसे दर्द हो रहा था…उसे ज़हेर पे मलने के बाद मैंने भी थोड़ा सा मुँह में ऊस रस को चुस्स लिया…भगवान का शुक्र था की मुझे कुछ हुआ नहीं पर मैं थोड़ा कमज़ोर सा महसूस कर रहा था


इतने में देखता हूँ की लड़की को होश नहीं आ रहा…लगता है की इसकी साँसें धीमी हो गयी है…शायद दर्द के मारें बेहोश हो गयी हो…अब क्या करूं?..साला बड़ा चक्कर बहुत गुस्सा तो आया था ऊसपे पर ऊस्की जवानी को देखकर गुस्सा भी पिघल गया…मैंने फुरती से उसके मुकोते का निचला भाग जो खुला था उसके होठों पे होंठ रख दिए….उफ़ कितना नरम गरम होंठ..कितना मुलायम मैं उसे मौत तो मौत साँस देने लगा ऊस्की मुँह के अंदर साँस देने लगा…दोस्तों मैं ऊस्की किस लेने में मजा आ रहा था पर गणीनात थी वो अभीतक उठी नहीं…अचानक दूसरी बार जब उसे किस किया…और उसके होंठ जैसे ही छोढ़के सीने पे दो हाथ रखकर दबाया वो खांसने लगी ऊस्की निगाह एकदम से मुझपर हुई और ेकूडम से घबरौ त बैठीी

देवश : ठीक हो? अरे दररो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं करूँगा खमोकः ऊपर चली गयी थी साँप ने कांट लिया था तुम्हें तुम्हारा ज़हेर निकालके फैका तुम्हें साँस दी अब कैसा महसूस कर रही हो

लड़की : टीटी..तुंन्ने मेरी जान बचाइइ?

देवश : क्यों गलत किया? या अब भी बदला लेना है मुझसी बोलो

लड़की : देखो एमेम..मुझे जाने दो

देवश : अच्छा जाने दूँगा पर एक वादा करना होगा की चोरी चोद डोगी

लड़की : मैंने कह दिया ना मुझे जाने दो

देवश : एक तो चोर ऊपर से सीना जोड़ी एक तो तुमको बचाया और ऊपर से तुम भाव कहा रही हो अगर चाहता तो तुम्हारा मुकोता उतरके चेहरा देख लेता लेकिन कुछ सेल्फ़-रिस्पेक्ट है दिल में (खांसने लगा और अचानक वही पष्ट पार गया साला लगता है जैसे हालत अब भी सही नहीं है वो मेरी हालत को गौर करने लगी)

मैं वही निढल सा पढ़ने लगा फिर किसी तरह उठा पर तब्टलाक़ वो मेरी हालत को गौर करते हुए एक एक कदम पीछे होने लगी…और मैं वही लरखरके गिर पड़ा…वो मेरे हालत को घूर्रती रही…फिर एक दो कदम करते हुए खंडहर से भाग गयी..और मैं वही लाचार निढल मज़बूर पड़ा रहा सही में मुझ जैसा चूतिया कोई नहीं कोई बात नहीं बचपन में धोखा मिला बारे में भी कौन सा प्यार मिलेगा? काश दिव्या यहां होती..अभी बर्बराह ई रहा था इतने में

देखता हूँ वो वापिस आई और ऊसने मुझे एक बार घूरा फिर मेरे पास रखी बंदूक ली और मुझे उठाया मेरी हालत बहुत ज्यादा खराब थी बहुत कमज़ोर हो गया था ज़हेर चूसने के चक्कर में…शायद कुछ रिएक्शन हो गया हो…ऊसने मुझे उसी हालत में उठाया और मैं बर्बरते हे उसके कंधे पे सर रखकर निढल हो गया

ऊसने कब मुझे किस तरह मज़बूती से जीप पे सवार किया और फिर खुद जीप पे बैठकर जीप स्टार्ट करके चलाने लगी कुछ पता नहीं…जब आँख खुली तो पता चला की मैं हॉस्पिटल में हूँ…डॉक्टर और हवलदार खड़े है…वो सब मुझे चेक कर रहे है खैर होश आया..तो पता चला की एक अंजान शॅक्स ने मुझे बाइक से हॉस्पिटल के पेशेंट वाले सीट पे लाइटाया और भाग गयी…मुझे पहचानते हुए डॉक्टर ने तुरंत एडमीशन किया असल में ज़हेर का कुछ कान मैंने पी लिया जिस वजह से मैं मौत के मुँह से बच्चा था…अब ज़हेर मैंने कैसे पिया इस बात का एक्सप्लनेशन देने के बजाय मैंने बारे ही सहेजता डॉक्टर को मुँह बंद रखने की ज्यादा हिदायत दी पुलिसवाला था ज्यादा कुछ हुआ नहीं ना ही ऊस रांड़ का कोई सुराग पुलिसवालो को बताया ताकि उसके पीछे वो लोग छानबीन ना करे
josef
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(UPDATE-43)



आख़िर वो ऐसा क्यों की? चाहती तो मरर्ने के लिए मुझे चोर देती तो क्या वो आहेसन के बदले आहेसन जाता रही थी नहीं पता?…रात का एडमीशन सुबह जब ठीक हो गया तो हवलदारो ने ही मुझे किसी तरह जीप तक लाया मैनब चल सकता था खुद को सवास्त महसूस कर रहा था..कल रात के वाक़ये ने मुझे हिला सा दिया था वो मुझे मारने आई और हालत कहाँ से कहाँ पहुंच गई?

अचानक जीप पे अभी सवार ही हुआ था…की एक खत मिला..ऊसमें कुछ लिखा था…यक़ीनन ये खत ऊस लौंडिया ने ही मेरे जेब में छोडा था मैं उसे सबकी नजारे से बचाए पढ़ने लगा

“तुमने मेरी जान बचाई उसी का ये इंसानियत के नाते एक वास्ता रहा…तुमचहते तो मुझे गेरफ़्तार कर देते…कल रात को तुम अगर मुझे ना बचाते तो शायद मैं कभी नहीं उठती..और अगर ना उठती तो मेरे जिम्मेदारी अधूरे रही जाते…मैं कौन हूँ क्या हूँ? ये मैं तुम्हें नहीं बता सकती पर मैं जो कुछ कर रही हूँ? वो मेरी जरूरत है? मैंने कभी भी इतना कुछ एक पुलिसवाले को बयान नहीं किया यक़ीनन मैं पुलिस वालो को अपना दुश्मन मानी हूँ दो बार गोली भी कहा चुकी हूँ पर तुम जैसा पुलिसवाला जिसके अंदर इतनी इंसानियत थी पहली बार देखा मेरा दो ही सवाल है तुमने मुझे मरने के लिए क्यों नहीं छोडा? अगर बचना चाहते तो मुझे अरेस्ट क्यों नहीं किया? मैं एक मुज़रिम हूँ तुम्हारी निगाहों में? प्रमोशन मिल जाता बंगाल की आधे से ज्यादा पुलिस मुझे मोस्ट वांटेड क्रिमिनल मानती थी फिर भी तुमने मुझे अरेस्ट क्यों नहीं किया? ये आहेसन हमेशा याद रखूँगी लेकिन इस बार अगर तुम मेरे रास्ते में आए तो गोली मर दूंगीइ सोच लेना”………….उसके खत को पढ़ते पढ़ते मैं कब गुम सा हो गया मुझे पता नहीं

क्या क्या लव्ज़ थे उसके मन के? उसके मन के सवालों का जवाब सच में मैं दे नहीं पा रहा था…काश उसका कोई ई-मैल आइडी होता काश कोई फेसबुक होती तो चाट में बताता काश वो मुझसे फिर मुलाकात करती तो उसे बयान करता की ना जाने क्यों? उसे देखकर मेरा मन बदल गया…साली ने अच्छा खत चोद दिया मेरे लिए…लेकिन मिलेगी तो जरूर और मैं ऊस मिलन के लिए ही बेचैन उठा…चाहे वो मुझे सामने गोली क्यों ना मर दे जैसे ऊसने कहा? लेकिन इस बार उसके बारे में बिना जाने उसे जाने नहीं दूँगा

मैंने ऊस खत को पॉकेट में भर लिया…तब्टलाक़ दिव्या का फोन आ चुका था देखा 4 मिस्ड कॉल है…फटाफट उससे बात करके उसे शांताना देने लगा की मैं कहीं फ़ासस गया था इसलिए कल रात आ नहीं पाया…लेकिन सच पूछो तो दिल-ओ-दिमाग में बस वही लड़की बसी हुई ऊस्की बातें घूम रही थी

काश मैं उसका नाम जान पाता…क्या कहती है वो खुद को क्या नाम है उसका? मैंने खुद ही उसका एक नाम रख दिया काली साया अब काली साया से मिलने का प्रोग्राम बनाना बेहद ही जरूरी था..और ये प्रोग्राम किसी के घर में रातों रात चोरी की वारदात से शुरू होगी मुझे पता था लेकिन वो किस मज़बूरी का नाम ले रही थी…ये मेरी समझ नहीं आया शायद वो कोई गरीब हो हाला तो की मज़बूर अक्सर चोर तो ऐसे ही होते है…क्या पता उसका बच्चा हो? या फिर कोई परिवार मेरी कशमकश तब खत्म हुई जब ब्रांडे में खड़ी दिव्या को देखा मेरी जीप देखते हुए

“आहह हाहह सस्स आहह प्लीज़ आहह आअहह ओह टेररीि की”……..अचानक से देवश की नींद खुली तो एक झटके में शीतल ने उसे धकेल दिया

शीतल उठके अपने होठों पे लगे थूक को पोंछते हुए होंठ सहलाने लगी उंगलियों से “पागल हो गये क्या भैया चबा ही जाते इतना कोई क़ास्सके चुम्मा लेता है”…….देवश अंगड़ाई लेकर अपने बेवकूफी पे हस्सता है


शीतल : आप तो मुझपर टूट ही परे…नींद में भी पता नहीं काली साया काली साया कर रहे थे मैं क्या आपको बाला लगती हूँ (शीतल नाराज़ होकर अपने नंगी छातियो पे चढ़र धक्के मुँह फहर लेती है)

डीओॉश को लगा की वो शीतल के नहीं बल्कि काली साया को किस रहा था उसके साथ सेक्स कर रहा था दिलों दिमाग पे तो चाय थी अब साला नींद में भी उसी को तस्सावार करने लगा था डीओॉश उसे बेहद गुस्सा आया और साथ में शीतल के कटे होंठ को देखकर अफ़सोस भी हुआ

देवश : अच्छा मेरी सफेद रसगुल्ला चल भाई को मांफ कर दे

शीतल : नहीं करूँगी पता है आपको आपने कितने ज़ोर से मेरे साथ सेक्स किया

देवश : अच्छा मेरी मां ई आम सोररय्ी कान पकड़ लिए ठीक (शीतल तभी मायूस थी..देवश ने मुस्कुराकर फ्रीज से एक बड़ा सा कितकट का चॉकलेट शीतल के हाथों में थमा दिया)

शीतल खुशी से पागल हो गयी चॉकलेट की दीवानी थी वो….और देवश मिया को औरत को खुश करने के छोटे छोटे चीज़ें पता है..शीतल का घुसा पलभर में प्यार में बदल गया…”श भैया आप कितने अच्छे हो”…..शीतल फिर देवश के गले लग गयी

देवश ने प्यार उसके गाल पे हल्का चुम्मा लिया और फिर उसके होंठ को प्यार से सहलाया..दोनों कुछ देर तक प्यार भारी बातें करते रहे और फिर देवश अपनी वर्दी पहनें तैयार होने लगा…शीतल भी उठके बर्तन ढोने चली गयी नंगी ही…देवश की नियत फिर नहीं बिगड़ी क्योंकि उसे इसकी आदत थी अब तो एक और सुररूर सा चढ़ चुका था काली साया के नाम की

देवश जल्दी से थाने पहुंचा…अचानक टेलीफोन बज उठा…”हेलो इंस्पेक्टर डीओॉश चटर्जी स्पीकिंग”……..पास ही एक सेठ की मरियल रोई आवाज़ सुनाई दी…पता चला की उनके घर में कोई लड़की घुस गयी है नक़ाब पहनें डकैती कर रही है…और अभी ही फरार हुई है…जगह का नाम सुनकर फौरन मैंने मुस्कुराकर दिल ही दिल में खुश हुआ

पुलिस की जीप भी तीन चार ऊस चोर को पकड़ने के लिए मेरे साथ निकल गयी…साइरन से पूरा रास्ता गूंज उठा…”हवलदार रामू तुम उतार जाओ मैं अकेले ही ऊस लौंडिया को देख ल्टा हूँ तुम बाकी जीप में बैठ जाओ ताकि मैं जब फोन करूं तब पहुंच जाना”……..हवलदार ठीक है साहेब बोलकर उतार गया उसे लगा शायद काला साया की तरह इसे भी मैं मर सकता हूँ

पर वो बंदर क्या जनता था की आद्रक का स्वाद क्या है?….मैंने जीप दूसरी रास्ते मोड़ दी….जल्द ही बाकी पुलिसवाले सेठ के घर पहुंचे…गुण से लेंस पुलिसवालो ने जगह को घैर लिया एक एक कमरा सबकुछ चेक किया चोर तो फरार थी ही साथ में तिजोरी का सामान भी गायब था

जैसे ही हवलदार ने मुझे बताया फौरन मैं दूसरी लोकेशन की ओर मुड़ा…दिमाग कह ही रहा था की वो ज्यादा दूर नहीं गयी है और तभी मैं हाइवे पे ही लौंडिया दिख गयी कैसे मस्तानी अपनी गान्ड बाइक सीट पे रखकर पूरी बढ़ता में बाइक चला रही थी….मैंने उसके पीछे हुआ…..वो काफी दूर थी मेरी जीप भी ठीक उसके पीछे थी…लड़की ने फौरन गाड़ी को फुरती से दूसरे रास्ते मोड़ दिया….वहां नाकाबंदी लगी थी…अब यहां मुझे फीरसे चाल खेलनी थी…”ये लड़की तो गयी अगर पकड़ी गयी तो फिर मेरा क्या होगा?”…..मैं बड़बड़ाते हुए फौरन ऊस रास्ते की ओर मुड़ा
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(UPDATE-44)



तभी नाकाबंदी चौंक पे लगे पुलिसवालो ने फाइरिंग स्टार्ट कर दी…वो लड़की पूरी तरह से घबरा गयी पर हार नहीं मानी…और ऊसने पूरी रफ्तार से अपनी प्रोफेशनल हुनर के बदौलत सामने बाइक के पोज़िशन को हवा मैंने उठाकर दूसरे हाथ से गोली चलानी शुरू कर दी…कुछ पुलिसवाले घायल हुए और ऊसने फौरन स्किट कहा ली…बाइक तिरछी होकर ऐसे फिसलते हुए चेक पोस्ट के नीचे घिस्सती हुई बढ़ता में दूसरी ओर निकल गयी की बचे कुचे पुलिस ऑफिसर्स बस गोलीचलते रहे…लेकिन तभी ऊस्की बाइक गाड़ी के सामने टकरा गयी…और वो सीधे गुलाटी खाते हुए सड़क पे गिरी…ऊस्की आहह सुनते ही मैंने फौरन जीप सामने रोक दी…जिस गाड़ी से टकराई थी ऊसमें बैठा शॅक्स उसे पकड़ने को हुआ पर बेचारा अपनी हड्डिया तुड़वाने के चक्कर में ही निकाला था घायल लड़की ने उसके मुँह पे एक बक्ककीकक ही इसे जागी की वो बेचारा वही गर्दन पकड़े गिर पड़ा…पुलिस आई नहीं तक इस रास्ते…वो आदमी बेहोश हो गया था मुआना करते ही मैंने जीप उसके सामने रोक दी वो मुझे देखकर चौक गयी

इससे पहले हुममें से कोई कुछ समझ पता..मैंने उसका हाथ पकड़ा और सीधे उसे अंदर खींच लिया..और उसके ऊपर मोटा गंदा सा कंबल उड़ा दिया प्लान के मुताबिक…तब्टलाक़ पुलिसवाले आ गये और मेरी जीप को देखकर बोल उठे “साहेब ऊस्की बाइक गिरी हुई है आपने उसे देखा”……मैंने ऊन बेवकुफो को बोला की वो जंगल के रास्ते भागी है पुलिस की एक टुकड़ी जंगल के रास्ते भागी किसी को शक नहीं था की मेरी ही जीप में वो चुप्पी हुई थी…जो शॅक्स गिरा था वो कुछ देख नहीं पाया वो बेहोश पड़ा था मर खाके

“तुम लोग इसी रास्ते पे चेक करो वो ज्यादा दूर नहीं गयी होंगी मैं दूसरे रास्ते जाकर पता करता हूँ”……..”ठीक है साहेब”……पुलिसवालो को समझाके मैं उल्टे रास्ते ऊस रास्ते से बेहद दूर निकल गया…..कुछ देर बाद ऊसने मुँह से कंबल हटा कर ख़ास्ते हुए पीछे की ओर देखा चारों ओर बेहद सन्नाटा भरा रास्ता था वो एकदम से उठ बैठी

देवश : में साहेब आप ठीक तो होआप?

लड़की : तुम पूरे पागल हो मेरी वजह से तुम भी साज़िश के नाम पे फ़ासस जाते क्यों बच्चा रहे हो मुझे? एक पुलिसवाले होकर मेरी मदद क्यों कर रहे हो?

देवश : अब ये मत कहना मैंने फिर आहेसां किया…तुम्हारे पास वो बैग है जो तुमने अभी चोरी की

लड़की : हे..हाँ ये रही

देवश : फौरन मुझे दो अब ये मैं ज़ब्त कर रहा हूँ

लड़की : दीखू मेरे के..आम में आड़.छान मत डालू मुझे पैसों की जरूरत है यही तो मेरा काम हाीइ प्लीज़ मुझे वो पैसे दे दो वरना मैं

देवश : वरना क्या? आप हुम्हें भी बाकियो की तरह हाड़िया तोड़के बेहाल चोद देंगी ऊस रात का वाक्य अब भी याद है साँप का ज़हेर तो मैंने निकाला जान भी आपकी बचाई पर शायद आपने हमें अकेला नहीं छोडा अपने तब सोचा नहीं आप एक पुलिसवाले की मदद

लड़की : गलती हो गयी मुझसे मांफ कर दो प्लीज़ (ऊसने हाथ जोधते हुए रोई सूरत बनाई) मैं नहीं जानती थी तुम इतने चिपकू निकलोगे पुलिसवाले होकर छिछोरे भी हो तुम

देवश : श मिस काली साया मैं सिर्फ़ आपकी मदद करना चाहता हूँ ताकि आप को इस दलदल से निकल सुकून इसमें मेरा कोई लाभ नहीं बस मैं आपकी मदद चाहता हूँ…


लड़की : पता नहीं तुम मुझसे क्या चाहते हो? देखो अगर मेरी मज़बूरी का फायदा उठा रहे हो तो अच्छा नहीं होगा तुम मुझे नहीं जानते

देवश : और अगर मैं कहूँ की आप मुझे नहीं जानती तब क्या करेंगी आप?

लड़की : क्या मतलब?

देवश ने फौरन और कुछ नहीं बोला बस ऊस लड़की को वापिस लाइत्न्े को कहा और उसके ऊपर कंबल ओढ़ दी दो चेक पोस्ट से गुजारा फिर अलर्ट किया की ऐसी लड़की को ऊसने देखा तक नहीं…पुलिस भी दूसरी रास्ते की ओर जा चुकी थी अब लड़की पूरी तरह से सेफ है…देवश ने मुस्कराए गाड़ी रोक दी…और फिर मैं दरवाजा को खोल के जीप को फिर अंदर लाया

ये काला साया वाला ख़ुफ़िया घर था जहाँ वो दिव्या को लेकर आया था….लड़की एकदम से उठ बैठी और फिर चारों ओर देखने लगी…दोनों अंदर आए…और फिर अंदर आकर…ऊसने फौरन मैं स्विच ऑन किया…घर के अंदर आकर एक रूम का दरवाजा खुल गया…लड़की चारों ओर हैरत से देख रही थी इतने जल्दी एक पुलिसवाले पे भरोसा करके वो खुद के लिए खतरा भी पैदा कर रही थी पर शायद उसे कहीं ना कहीं यकीन था

जल्द ही रूम के खुलते ही वर्दी के दो स्तनों खोल के देवश ने मुस्कुराकर एक तरफ के कपड़े को हटाया दराज़ में दो मुखहोते परे हुए थे और हॅंगर में काला साया के कपड़े…और उसके कुछ हत्यार एक तरफ..ये सब देखकर लड़की कभी हैरत से डीओॉश को तो कभी ऊन दराज़ में रखकर चीज़ों को देख रही थी

लड़की : त…आस क्या त..तूमम्म्म ही वो हो?? जो बहुत मशहूर हाीइ जो जुर्म के खिलाफ लधता है

डीओॉश : जी हाँ में साहेब हम ही वो नाचेज़ है मैं ही हूँ काला साया

लड़की : टीटी…अब तो तुम मुझे भी पकड़ने आए हो है ना पुलिस के हाथों दे दोगे

डीओॉश : जो इंसान सिर्फ़ अपने ईमान और अपने कानून से दुनिया की भलाई कर रहा था उसे इन्हीं पुलिसवालो ने मर डाला तो फिर तुम क्यों फिक्र कर रही हो? मैं तुम्हें क्यों उनके सुपुत्र कर दूँगा

लड़की : मुझे यकीन नहीं हो रहा की तुम काला साया थे…पर तुम मर कुछ समझी नहीं

फिर देवश बताता चला गया उसे अपनी जिंदगी का कड़वा सच कैसा बना वो एक काला साया? कैसे जिंदगी ने उसे ऐसे कटघरे में लाके खड़ा कर दिया जहाँ एक तरफ कानून की मदद तो दूसरी ओर कानून तोड़के वॉ इंसाफ करता आया था…अपनी नयी जिंदगी के चलते ऊसने काला साया को खत्म कर दिया था….सबकुछ जानके लड़की एकदम ठिठक गयी

डीओॉश : मैं नहीं चाहता तुम मुझसे भी बड़ा गुनाह करो…ना ही मैं तुम्हारी जिंदगी खतरे में डालना चाहता हूँ तुम्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे अपने अक्स को देख रहा हूँ

लड़की : तुम मुझसे क्या चाहते हो?
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(UPDATE-45)


डीओॉश : पहले तो ये बताओ ये सब क्यों करती हो? हालत मज़बूरी या फिर गरीबी

लड़की : अगर वादा करोगे की तुम कभी ये बात किसी को ना कहो तो यक़ीनन कहूँगीइ एक एक चीज़ बतौँगिइइ कितना दर्द है मेरी जिंदगी में सबकुछ

डीओॉश : मैं सुनाने को बेताब हूँ पर क्या ऊन सब के बावजूद अपना मास्क उतारके मुझे अपना चेहरा दिखावगी

लड़की : यहां आई जरूर हूँ पर भरोसा अभी पूरा नहीं हुआ…

डीओॉश : तुमने मेरे दोनों चेहरे को देख लिया है इसलिए मैं तुमसे कुछ छुआपाया नहीं हूँ अब चुप्पने को बाकी क्या है? मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ

फिर ऊस नक़ाबपोश लड़की के आंखों में आँसू घुल गये और इसकी आवाज़ भारी हो गयी वो रो रही थी दिल ही दिल में कहीं…ऊसने बताया की वो आंजेला नाम की नूं की बेटी है..जिसकी मां आंग्लो इंडियन थी…पर उसके बाप ने उसे इंडिया लाया था…यहां आकर उसका बाप का सारा पैसा कारोबार सब बंद हो गया….बाद में उसका बाप शराबी बन गया…मां इधर उधर फूल बैचके पैसे इकहट्टे करके घर का गुजारा करती थी….ऊस्की खूबसूरती और बढ़ती उमर से ऊस्की जवानी पे हर किसी की हवस भारी निगाहें थी कोई भी भेड़िया उसका शिकार करने को बेताब था बस मौका ढूंढता था

और एक दिन कोहराम सा आ गया उसका बाप शराब की लत्त से मारा गया ऊस्की टड़िया और लंग्ज़ जल गये थे…घर का गुजारा बहुत गरीबी से चल रहा था…और फिर अचानक आंजेला जिसने अपनी प्यार के लिए नूं को भी चोद दिया था इतनी बड़ी क़ुर्बानी दी थी…सदमें घिरर सी गयी…और ठीक एक दिन ऊस्की भी मौत हो गयी ऊसने ज़हेर कहा लिया था…कर्ज वाले दरवाजे पे दस्तक देते थे ये भी एक वजह थी…इधर उधर की फूल बैचते बैचते एक दिन ऊसपे कुछ लोगों की निया खराब हो गयी वो भागी भागती रही और इसी भागा दौड़ी और चुप्पा छुपी में उसके पास रखकर पत्थर से ऊसने एक बदमाश को जान से मर डाला

पुलिस उसके पीछे लग गयी…और वो कलकत्ता भाग गयी…वहां जाकर पहले तो ऊसने किसी तरह इधर अपना वक्त काँटा और फिर गरीबी से झुंझते झूंते किसी बारे पठान के हाथों में बिक गयी पठान का खून करने के बाद कोई चारा नहीं था…और फिर वही से वो क़ातिल बन गयी और ऊसने अपने चेहरे को गुप्त रूप से छिपाते छिपाते खुद को एक नक़ाबपोश चोर बना लिए जिसका पेशा चोरी और क़ातिलाना हमला था…पुलिस उसका कोई सुराग आजतक नहीं लगा पाई थी

मेरे निगाहों में उसके प्रति बहुत दुख था…हालाँकि ऊस्की कहानी भी मेरी कहानी से मिलती जुलती थी…लेकिन जितना दर्द ऊस लड़की के जिंदगी में था वो मुझमें कहा मैंने धीरे से उसके कंधे पे हाथ रखा

देवश : हालत तो मैं बदल नहीं सकता तुम कहीं भी जा नहीं सकती पुलिस मौके पे ही तुमको गोली से उड़ा देगी

लड़की : मेरे पास कोई भी चारा नहीं है मैं कुछ नहीं कर सकती इन कमीने सेठ लोगों के चलते ही आज मेरी जिंदगी नरक बनी जिन जिन को मैंने लूटा वो लोग पेशेवर सेठ है या फिर इनकम टॅक्स ऑफिसर जो लोगों को लूटते है और फिर खुद के जेब को भरते है ऐसे लोगों से मुझे चिढ़ है

देवश : मैंने भी कई खून किए है लेकिन कभी इसे अपनी मज़बूरी नहीं समझी कभी हावी नहीं होने दिया…अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें सपोर्ट करूँगा वही काम तुम अच्छे के लिए करो तो शायद मैं तुम्हें इंसाफ दिला पौ

लड़की : यहां का लॉ इतना अँधा है ये मेरी काहं सुनेगा? जल्दी ही पकड़ी गयी तो उमर कैद होगी

देवश : और अगर मैं कहूँ की चैन से लड़ने की आज़ादी तो (लड़की बारे ही गौर से मेरी बातों को गौर करके चुप हो गयी)

लड़की : मुझे वक्त चाहिए मेरी बाइक भी ऊन लोगों के हाथ लग गयी दूसरी का इंतजाम करना होगा

देवश : चोरी करके

लड़की ने मेरी ओर तीखी नज़रो से देखा “ये लो पैसे”….उसे गिनाते ही उसके होश उड़ गये करीब 20000 थे…”इन चाँद रुपयों के लिए जो गुनाह तुम अपने सर ले रही हो वो कानून कभी ना कभी नजरअंदाज कर देगा पर ऊपरवाला कभी नहीं”….मेरी बात को सुनकर चुप सी हो गई “बस मुझे सोचने का कुछ वक्त दो”….चुपचाप वो बस गुमसूँ रही

“ओह हेलो जा रही हो शायद फिर ना मियालने की बात कहो क्या नाम से पुकार उतूम्हें?”…….मैंने मुस्कराए उसके जाते कदमों को रोकते हुए कहा

“जो तुम कहते हो मुझे काली साया ब्लैक शॅडो”……..ऊसने मुझे आँख मारी और मुस्कुराईइ “कलेजे को ठंडक पहुँची तुम जैसे शॅक्स से मिलकर जो लोगों के लिए इतना कुछ करता है खुद को मुरज़रीम आज महसूस कर रही हूँ चाहती तो मैं भी कर सकती थी लेकिन ये मुलाकात हमेशा याद रखूँगी अलविदा”…….इतना कहकर वो मुस्कराए बाहर भाग गयी

अब किस तरफ गयी पता नहीं अंधेरा हो गया था…जब बाहर निकाला तो पाया की उसका मुकोता गिरा हुआ था…हूबहू मेरे मुखहोते जैसा…और उसके पीछे लिपस्टिक से लिखा हुआ था “काली साया”………मैं मुस्कुराकर ऊस मुकोते को चूम के चार और देखने लगा यक़ीनन किसी के नज़रो में वो नक़ाबपोश सहित ना आ जाए इसलिए ऊसने खुद के कपड़े और नक़ाब को उतार डाला था

उसका असल चेहरा बेहद खूबसूरत होगा या मैं अंदाज़ा लगाने लगा..


वो रात काफी यादगार थी मेरे लिए…काली साया से मिलने के बाद तो जैसे दिल पे ऊसने एक लकीर चोद दी थी…मैंने आजतक कभी किसी को अपना सच नहीं बताया लेकिन ना जाने क्यों उसके दुख और गम ने मुझे ऐसा मज़बूर किया की मैं बिना अपना पर्दाफाश करे रही नहीं पाया उसे यह कह डाला की मैं ही काला साया हूँ…अगर बयचाँसे वो ये बात मेरे दुश्मनों को कह दे या फिर ये एक चाल हो महेज़ दो पल की कशिश ने मुझे ऊस्की तरफ यूँ खींच डाला और मैं सबकुछ भूलके उसे एकदम अपना मानने लगा

इन सब कशमकशो के बीच फौरन काली साया को बचाने का इंतजाम करना था..पहले तो चोरी किए गये सेठ के घर से चुराए पैसों की गठरी को पुलिस स्टेशन में सुपुर्द किया और ऐसा जताया की छानबीन में चोर ने गठरी भागते वक्त फैक दी जो जंगल में पाई गयी…ताकि इससे शक कम हो….लेकिन साला ऊस्की बाइक पुलिस ऑफिसर्स के हाथ लग चुकी थी और ऊस्की जाँच पर्ताल हो रही थी किससे ली गयी या चोरी की है? सारा दाता पुलिस ऑफिसर्स ने छानबीन करना शुरू किया

लेकिन काली साया भी कोई कम नहीं थी मुझसे…शातिरो की रानी थी…ऊसने बेहद सरल तरीके से चोरी की थी वो बाइक…और जब इन्वेस्टिगेशन हुआ…तो किसी अमीर सेठ अंबानी के बेटे की चोरी हुई बाइक थी जो अबतक नहीं मिली थी….हां हां हां पुलिस फिर खाक छानते रही गयी और काली साया का कोई सबूत नहीं मिला सब हाथ मलते रही गये…खैर ऐसे दो दिन बीत गये

उसके ऊपर का खतरा तो जैसे तैसे टाल गया था…लेकिन क्या मेरा राज़ जानके? वो चोरी का लाइन छोढ़के मेरे संग जुर्म के खिलाफ लारेगी?…इस बात की मुझे कम ही उम्मीद लग रही थी भला चोरी का काम छोढ़के वो मेरा साथ क्यों देगी? उसे पुलिस की गोली खाने का तो शौक नहीं होगा..खैर मैंने भी उसके संग बिताए लम्हो को भुलाया नहीं..लेकिन मैं इन दो दीनों में ही उसे मिस करने लगा ना जाने क्यों उसके हाँ का इंतजार था बस उसके मुकोते को लिए सहलाता रहता

दिव्या भी आजकल मेरे नये बर्ताव से थोड़ी अचरज थी…मैं बिस्तर पे आंखें मुंडें लेटा हुआ था…और फिर ऊसने मेरे सीने पे हाथ फिराया…”क्या हुआ बारे ही गौर से देख रहे हो इस मुखहोते को”…….ऊसने धीमे लव्ज़ में कान में फुसफुसाया…उसे पता नहीं था की मेरी मुलाकात किससे हुई थी

देवश : बस ऐसे ही
दिव्या : आजकल तुम पहले जैसे रहे नहीं बहुत सोच में डूबे रहते हो अब तो सब नॉर्मल हो चुका फिर किस बात का तुम्हें गम?
देवश : देखो दिव्या कुछ बातें बताई नहीं जाती
दिव्या : अच्छा ग

दिव्या ने जब देखा की मैं एकदम उसे इग्नोर कर रहा हूँ..तो वो खुद करवट बदलके सोने लगी…मैं भी अपनी सोच से जागा और मुखहोते को दराज़ के अंदर रखकर वापिस बिस्तर पे आया..पहले दिव्या को जगाना चाहा लेकिन मन नहीं ताना..मेरे दिलों दिमाग में ऐसी वो हावी हुई थी की मैं दिव्या को ही इग्नोर करने लगा…क्यों? क्या सिर्फ़ मेरे अंदर बाकियो तरह वासना है?…जबकि दिव्या ने मेरे लिए इतना कुछ किया है..मैंने फौरन दिव्या के बगल में लायतके उसके ज़ुल्फो को सहलाया..दिव्या फौरन ही मुझसे लिपट गई

मैंने दिव्या की प्यज़ामे के अंदर ही हाथ डाले पैंटी के भीतर झांतों पे उंगली फहीराई और फिर दो उंगली किसी तरह चुत में करनी शुरू की…दिव्या कसमसा उठी..मैं उसके टांगों पे टाँग रखकर खूब ज़ोर से अंगुल करने लगा दिव्या कसमसाए जा रही थी…और फिर ऊसने बेतहाशा मेरे मुँह पे चूमना शुरू कर दिया…मैंने उसे सीधा लिटाया और चुत में उंगली करता रहा..फिर उसके सलवार को भी खोल डाला पैंटी भी उतार फैक्ी…जंपर भी उतार फ़ैक्हा….और उसके चुत के मुआने में ही मुँह डाल दिया

उम्म्म आहह आअहह..वो खुद ही मेरे सर को अपने चुत पे रगड़ने लगी..हालाँकि उसके सपोर्ट के लिए ही मैं उसे प्यार कर रहा था ताकि वो खुद को अकेला ना महसूस करे….लेकिन दिल-ओ-दिमाग पे तो कोई और ही चाय थी..कुछ देर तक ऊस्की चुत को चाटने के बाद मैं ऊसपे चढ़ बैठा….और फिर लगाने लगा धक्के…दिव्या भी पूरा साथ दे रही थी कुछ ही देर में ही मेरे धक्के तेज हुए दिव्या के टाँगें मेरे कमर में खिस्स गयी ऊसने क़ास्सके अपने गान्ड को मेरे लंड से दबा लिया और फिर मेरे अंदर का सारा तूफान पानी बनकर उसके चुत में ही झड़ गया

कुछ देर में ही मैंने अपना लंड ऊस्की गीली लबालब चुत से बाहर खींचा और पष्ट परे ही बगल में लाइट गया…एक हल्की चादर ओढ़ दी दिव्या को और वो सोने लगी..मैं भी उठके वॉशबेसिन पे ब्रश करने लगा…बार बार काली साया का ख्याल आ रहा था दिमाग में कब आएगी वो कब मिलेगी? कही फिर किसी मुसीबत में…

त्रृिंगगग त्रिंगगग..करीब 3 दिन बाद थाने में एक सीरीयस केस मिला…”हेलो इंस्पेक्टर देवश चटरर्ज़ी स्पीकिंग”….फोन रिसीवर उठाते के साथ

“हे..हेल्लू सर मैं आप..काक हब्बरी बोल रहा हूँ”…..खबरी की आवाज़ थी
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