Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो

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josef
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो

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(UPDATE-46)



डीओॉश : पहले तो ये बताओ ये सब क्यों करती हो? हालत मज़बूरी या फिर गरीबी

लड़की : अगर वादा करोगे की तुम कभी ये बात किसी को ना कहो तो यक़ीनन कहूँगीइ एक एक चीज़ बतौँगिइइ कितना दर्द है मेरी जिंदगी में सबकुछ

डीओॉश : मैं सुनाने को बेताब हूँ पर क्या ऊन सब के बावजूद अपना मास्क उतारके मुझे अपना चेहरा दिखावगी

लड़की : यहां आई जरूर हूँ पर भरोसा अभी पूरा नहीं हुआ…

डीओॉश : तुमने मेरे दोनों चेहरे को देख लिया है इसलिए मैं तुमसे कुछ छुआपाया नहीं हूँ अब चुप्पने को बाकी क्या है? मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ

फिर ऊस नक़ाबपोश लड़की के आंखों में आँसू घुल गये और इसकी आवाज़ भारी हो गयी वो रो रही थी दिल ही दिल में कहीं…ऊसने बताया की वो आंजेला नाम की नूं की बेटी है..जिसकी मां आंग्लो इंडियन थी…पर उसके बाप ने उसे इंडिया लाया था…यहां आकर उसका बाप का सारा पैसा कारोबार सब बंद हो गया….बाद में उसका बाप शराबी बन गया…मां इधर उधर फूल बैचके पैसे इकहट्टे करके घर का गुजारा करती थी….ऊस्की खूबसूरती और बढ़ती उमर से ऊस्की जवानी पे हर किसी की हवस भारी निगाहें थी कोई भी भेड़िया उसका शिकार करने को बेताब था बस मौका ढूंढता था

और एक दिन कोहराम सा आ गया उसका बाप शराब की लत्त से मारा गया ऊस्की टड़िया और लंग्ज़ जल गये थे…घर का गुजारा बहुत गरीबी से चल रहा था…और फिर अचानक आंजेला जिसने अपनी प्यार के लिए नूं को भी चोद दिया था इतनी बड़ी क़ुर्बानी दी थी…सदमें घिरर सी गयी…और ठीक एक दिन ऊस्की भी मौत हो गयी ऊसने ज़हेर कहा लिया था…कर्ज वाले दरवाजे पे दस्तक देते थे ये भी एक वजह थी…इधर उधर की फूल बैचते बैचते एक दिन ऊसपे कुछ लोगों की निया खराब हो गयी वो भागी भागती रही और इसी भागा दौड़ी और चुप्पा छुपी में उसके पास रखकर पत्थर से ऊसने एक बदमाश को जान से मर डाला

पुलिस उसके पीछे लग गयी…और वो कलकत्ता भाग गयी…वहां जाकर पहले तो ऊसने किसी तरह इधर अपना वक्त काँटा और फिर गरीबी से झुंझते झूंते किसी बारे पठान के हाथों में बिक गयी पठान का खून करने के बाद कोई चारा नहीं था…और फिर वही से वो क़ातिल बन गयी और ऊसने अपने चेहरे को गुप्त रूप से छिपाते छिपाते खुद को एक नक़ाबपोश चोर बना लिए जिसका पेशा चोरी और क़ातिलाना हमला था…पुलिस उसका कोई सुराग आजतक नहीं लगा पाई थी

मेरे निगाहों में उसके प्रति बहुत दुख था…हालाँकि ऊस्की कहानी भी मेरी कहानी से मिलती जुलती थी…लेकिन जितना दर्द ऊस लड़की के जिंदगी में था वो मुझमें कहा मैंने धीरे से उसके कंधे पे हाथ रखा

देवश : हालत तो मैं बदल नहीं सकता तुम कहीं भी जा नहीं सकती पुलिस मौके पे ही तुमको गोली से उड़ा देगी

लड़की : मेरे पास कोई भी चारा नहीं है मैं कुछ नहीं कर सकती इन कमीने सेठ लोगों के चलते ही आज मेरी जिंदगी नरक बनी जिन जिन को मैंने लूटा वो लोग पेशेवर सेठ है या फिर इनकम टॅक्स ऑफिसर जो लोगों को लूटते है और फिर खुद के जेब को भरते है ऐसे लोगों से मुझे चिढ़ है

देवश : मैंने भी कई खून किए है लेकिन कभी इसे अपनी मज़बूरी नहीं समझी कभी हावी नहीं होने दिया…अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें सपोर्ट करूँगा वही काम तुम अच्छे के लिए करो तो शायद मैं तुम्हें इंसाफ दिला पौ

लड़की : यहां का लॉ इतना अँधा है ये मेरी काहं सुनेगा? जल्दी ही पकड़ी गयी तो उमर कैद होगी

देवश : और अगर मैं कहूँ की चैन से लड़ने की आज़ादी तो (लड़की बारे ही गौर से मेरी बातों को गौर करके चुप हो गयी)

लड़की : मुझे वक्त चाहिए मेरी बाइक भी ऊन लोगों के हाथ लग गयी दूसरी का इंतजाम करना होगा

देवश : चोरी करके

लड़की ने मेरी ओर तीखी नज़रो से देखा “ये लो पैसे”….उसे गिनाते ही उसके होश उड़ गये करीब 20000 थे…”इन चाँद रुपयों के लिए जो गुनाह तुम अपने सर ले रही हो वो कानून कभी ना कभी नजरअंदाज कर देगा पर ऊपरवाला कभी नहीं”….मेरी बात को सुनकर चुप सी हो गई “बस मुझे सोचने का कुछ वक्त दो”….चुपचाप वो बस गुमसूँ रही

“ओह हेलो जा रही हो शायद फिर ना मियालने की बात कहो क्या नाम से पुकार उतूम्हें?”…….मैंने मुस्कराए उसके जाते कदमों को रोकते हुए कहा

“जो तुम कहते हो मुझे काली साया ब्लैक शॅडो”……..ऊसने मुझे आँख मारी और मुस्कुराईइ “कलेजे को ठंडक पहुँची तुम जैसे शॅक्स से मिलकर जो लोगों के लिए इतना कुछ करता है खुद को मुरज़रीम आज महसूस कर रही हूँ चाहती तो मैं भी कर सकती थी लेकिन ये मुलाकात हमेशा याद रखूँगी अलविदा”…….इतना कहकर वो मुस्कराए बाहर भाग गयी

अब किस तरफ गयी पता नहीं अंधेरा हो गया था…जब बाहर निकाला तो पाया की उसका मुकोता गिरा हुआ था…हूबहू मेरे मुखहोते जैसा…और उसके पीछे लिपस्टिक से लिखा हुआ था “काली साया”………मैं मुस्कुराकर ऊस मुकोते को चूम के चार और देखने लगा यक़ीनन किसी के नज़रो में वो नक़ाबपोश सहित ना आ जाए इसलिए ऊसने खुद के कपड़े और नक़ाब को उतार डाला था

उसका असल चेहरा बेहद खूबसूरत होगा या मैं अंदाज़ा लगाने लगा..


वो रात काफी यादगार थी मेरे लिए…काली साया से मिलने के बाद तो जैसे दिल पे ऊसने एक लकीर चोद दी थी…मैंने आजतक कभी किसी को अपना सच नहीं बताया लेकिन ना जाने क्यों उसके दुख और गम ने मुझे ऐसा मज़बूर किया की मैं बिना अपना पर्दाफाश करे रही नहीं पाया उसे यह कह डाला की मैं ही काला साया हूँ…अगर बयचाँसे वो ये बात मेरे दुश्मनों को कह दे या फिर ये एक चाल हो महेज़ दो पल की कशिश ने मुझे ऊस्की तरफ यूँ खींच डाला और मैं सबकुछ भूलके उसे एकदम अपना मानने लगा

इन सब कशमकशो के बीच फौरन काली साया को बचाने का इंतजाम करना था..पहले तो चोरी किए गये सेठ के घर से चुराए पैसों की गठरी को पुलिस स्टेशन में सुपुर्द किया और ऐसा जताया की छानबीन में चोर ने गठरी भागते वक्त फैक दी जो जंगल में पाई गयी…ताकि इससे शक कम हो….लेकिन साला ऊस्की बाइक पुलिस ऑफिसर्स के हाथ लग चुकी थी और ऊस्की जाँच पर्ताल हो रही थी किससे ली गयी या चोरी की है? सारा दाता पुलिस ऑफिसर्स ने छानबीन करना शुरू किया

लेकिन काली साया भी कोई कम नहीं थी मुझसे…शातिरो की रानी थी…ऊसने बेहद सरल तरीके से चोरी की थी वो बाइक…और जब इन्वेस्टिगेशन हुआ…तो किसी अमीर सेठ अंबानी के बेटे की चोरी हुई बाइक थी जो अबतक नहीं मिली थी….हां हां हां पुलिस फिर खाक छानते रही गयी और काली साया का कोई सबूत नहीं मिला सब हाथ मलते रही गये…खैर ऐसे दो दिन बीत गये

उसके ऊपर का खतरा तो जैसे तैसे टाल गया था…लेकिन क्या मेरा राज़ जानके? वो चोरी का लाइन छोढ़के मेरे संग जुर्म के खिलाफ लारेगी?…इस बात की मुझे कम ही उम्मीद लग रही थी भला चोरी का काम छोढ़के वो मेरा साथ क्यों देगी? उसे पुलिस की गोली खाने का तो शौक नहीं होगा..खैर मैंने भी उसके संग बिताए लम्हो को भुलाया नहीं..लेकिन मैं इन दो दीनों में ही उसे मिस करने लगा ना जाने क्यों उसके हाँ का इंतजार था बस उसके मुकोते को लिए सहलाता रहता

दिव्या भी आजकल मेरे नये बर्ताव से थोड़ी अचरज थी…मैं बिस्तर पे आंखें मुंडें लेटा हुआ था…और फिर ऊसने मेरे सीने पे हाथ फिराया…”क्या हुआ बारे ही गौर से देख रहे हो इस मुखहोते को”…….ऊसने धीमे लव्ज़ में कान में फुसफुसाया…उसे पता नहीं था की मेरी मुलाकात किससे हुई थी

देवश : बस ऐसे ही
दिव्या : आजकल तुम पहले जैसे रहे नहीं बहुत सोच में डूबे रहते हो अब तो सब नॉर्मल हो चुका फिर किस बात का तुम्हें गम?
देवश : देखो दिव्या कुछ बातें बताई नहीं जाती
दिव्या : अच्छा ग

दिव्या ने जब देखा की मैं एकदम उसे इग्नोर कर रहा हूँ..तो वो खुद करवट बदलके सोने लगी…मैं भी अपनी सोच से जागा और मुखहोते को दराज़ के अंदर रखकर वापिस बिस्तर पे आया..पहले दिव्या को जगाना चाहा लेकिन मन नहीं ताना..मेरे दिलों दिमाग में ऐसी वो हावी हुई थी की मैं दिव्या को ही इग्नोर करने लगा…क्यों? क्या सिर्फ़ मेरे अंदर बाकियो तरह वासना है?…जबकि दिव्या ने मेरे लिए इतना कुछ किया है..मैंने फौरन दिव्या के बगल में लायतके उसके ज़ुल्फो को सहलाया..दिव्या फौरन ही मुझसे लिपट गई

मैंने दिव्या की प्यज़ामे के अंदर ही हाथ डाले पैंटी के भीतर झांतों पे उंगली फहीराई और फिर दो उंगली किसी तरह चुत में करनी शुरू की…दिव्या कसमसा उठी..मैं उसके टांगों पे टाँग रखकर खूब ज़ोर से अंगुल करने लगा दिव्या कसमसाए जा रही थी…और फिर ऊसने बेतहाशा मेरे मुँह पे चूमना शुरू कर दिया…मैंने उसे सीधा लिटाया और चुत में उंगली करता रहा..फिर उसके सलवार को भी खोल डाला पैंटी भी उतार फैक्ी…जंपर भी उतार फ़ैक्हा….और उसके चुत के मुआने में ही मुँह डाल दिया

उम्म्म आहह आअहह..वो खुद ही मेरे सर को अपने चुत पे रगड़ने लगी..हालाँकि उसके सपोर्ट के लिए ही मैं उसे प्यार कर रहा था ताकि वो खुद को अकेला ना महसूस करे….लेकिन दिल-ओ-दिमाग पे तो कोई और ही चाय थी..कुछ देर तक ऊस्की चुत को चाटने के बाद मैं ऊसपे चढ़ बैठा….और फिर लगाने लगा धक्के…दिव्या भी पूरा साथ दे रही थी कुछ ही देर में ही मेरे धक्के तेज हुए दिव्या के टाँगें मेरे कमर में खिस्स गयी ऊसने क़ास्सके अपने गान्ड को मेरे लंड से दबा लिया और फिर मेरे अंदर का सारा तूफान पानी बनकर उसके चुत में ही झड़ गया

कुछ देर में ही मैंने अपना लंड ऊस्की गीली लबालब चुत से बाहर खींचा और पष्ट परे ही बगल में लाइट गया…एक हल्की चादर ओढ़ दी दिव्या को और वो सोने लगी..मैं भी उठके वॉशबेसिन पे ब्रश करने लगा…बार बार काली साया का ख्याल आ रहा था दिमाग में कब आएगी वो कब मिलेगी? कही फिर किसी मुसीबत में…

त्रृिंगगग त्रिंगगग..करीब 3 दिन बाद थाने में एक सीरीयस केस मिला…”हेलो इंस्पेक्टर देवश चटरर्ज़ी स्पीकिंग”….फोन रिसीवर उठाते के साथ

“हे..हेल्लू सर मैं आप..काक हब्बरी बोल रहा हूँ”…..खबरी की आवाज़ थी
josef
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो

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(UPDATE-47)


देवश : क्या अरे वाहह ये तो बहुत खुशी की बात है?

शीतल : भैया क्या बात कर रहे हो आप? जानते भी हो की मैं किसी को पसंद नहीं करती सिवाय आपके और मैं किसी से शादी नहीं करना चाहती

देवश : देखो शीतल तुम अभी पूरी तरीके से समझदार नहीं हुई हो…सील टूटने से पूरी तरह से औरत नहीं बनी हो जब तुम शादी कर लाओगी ज़िम्मेदारिया संभालॉगी तब तुम एक संपपोर्ना औरत बनोगी देखो मानता हूँ तुम मुझसे प्यार करती हो पर मैं तुम्हारा भैईई हूँ तुम्हारी मां की नजारे में तुम्हें पता है अगर तुम्हारी मां को पता चला की ऊन्ही का बेटा अपनी ही बहन के साथ सोता है तो ऊन्हें हेअरटत्टकक हो जाएगा तुम चाहती हो ऐसा? की ऊन्हें हमारे रीलेशन ?

शीतल : नहीं भैया पार मैं आपसे ही शादी करना चाहती थी

देवश : ये मुमकिन तो नहीं है ना अब तुम मेरी मुँह बोली बहन हो दुनिया की नजारे में पर हमारा प्यार दुनिया नहीं मानेगी समझा करो जो हो गया वो सिर्फ़ तुम्हारा मेरे प्रति प्यार और मेरा तुम्हारे प्रति प्यार था

शीतल : लेकिन भैया फिर भी आप समझाओ ना मां को की आप मुझसे शादी!

ये तो गले पढ़ने वाली बात हो गयी साला एक तो इतना टेन्शन सबको शादी की ही पड़ी है…किस किस से शादी करूं? दिव्या से? इससे? लेकिन गलती मेरी भी थी शीतल को बहन भी मना और उससे चुदा भी कर ली ये भी तो पाप ही था लेकिन अब जो हो गया सो हो गया अगर अपर्णा क्काई की पता लगा तो हमारे संबंध में बवाल खड़ा हो जाएगा…और मुझे ना अपरा काकी को खोना था ना शीतल को और ना ऊन्हें बदनामी के डर में फसाना था मैंने फौरन शीतल को खूब समझना शुरू किया…और उससे कहा की मैं उसे ऐसा संपूर्ण मर्द दूँगा जो वो पसंद कर लेंगी मुझसे भी अच्छा होगा और उसे खूब खुश रखेगा पर शीतल नहीं मानी…और ऊसने उदास होकर फोन कांट दिया

अब यहां मुझे अपर्णा काकी से बात करनी थी पर आज नहीं कल ही हो पाएगा?…पूरा दिन मैं सोचता रहा…फीरसे दिव्या का कॉल आया…दिव्या को भी समझा भुजाके कहा की काम में फ़सा हुआ हूँ…फिर शाम के ढलते ही मैं अपने वीरान ख़ुफ़िया घर पहुंचा….वहां का सारा काम निपटना शुरू किया

जल्द ही..कोई दीवार से तदपके आए..जैसे मैंने दरवाजा खोला सामने मुकोता पहनी रोज़ खड़ी थी..अफ आज उसके बदन से खुशबू आ रही थी ऊसने मुस्कुर्या उसे लाल होठों की लाली ने मेरे पूरे दिन के दुख को जैसे गायब कर डाला

देवश : अर्र..ए वाह तुम आ गयी आओ अंदर?

रोज़ : हम आती कैसे नहीं? जब एक दोस्त से हाथ मिलाया है

देवश : अच्छा ग तो हब मैं आपका दोस्त बन गया मुझे तो लगा मैं आपका

रोज़ : थोड़ी काम की बात बताओ कहाँ से शुरू करना है ? क्या सेट-उप किया?

मैंने रोज़ को मुस्कुराकर देखा और फौरन हॉल की लाइट्स ऑन की धढ़ धढ़ करके पूरे हॉल में उजाला छा गया चारों ओर काफी अच्छे से मैंने अपने ख़ुफ़िया एजेन्सी को बनाया था…एक तरफ पीसी जिसमें सारे क्रिमिनल्स देता ट्रेसिंग डिवाइस रोज़ के लिए हर बचाव का इंतेज़मत था ऊसमें लोकेशन जीपीयेस सिस्टम सबकुछ दूसरी ओर स्कॅनिंग डिवाइसस थे जिसमें फिंगरप्रिंट्स प्रिनटाउट्स दी इन ए डिवाइसस भी परे हुए थे इन सब चीज़ों को मैंने बारे ही मुस्किलो से खरीदा था…हालाकी काला साया में मुझे इन चीज़ों की जरूरत नहीं पड़ी पर मैं काफी बरेक़्क़ी से जाँच पढ़ताल करके किसी सूपरहीरो की तरह ही दिमाग चला रहा था

दूसरी ओर दो बाइक्स खड़ी थी…जिससे मॉडिफाइ करवाया था मैंने ये भी इल्लेगली तीसरी तरफ काला साया का सारा मेरा काप्रा मौज़ूद था साथ ही साथ रोज़ के मुखहोते और उसके कपड़े मज़ूउद थे..इतने इंतेज़मत को देखें के बाद रोज़ के मुँह से वाहह निकली

रोज़ : वेरयय वेल्ल्ल डन

देवश : थॅंक्स सोचा आजसे हम जब पार्ट्नर्स है तो काम शुरू किया जाए सारें इंतेज़ांत है (मैं रोज़ को सब चेज़ों के बारे में बताने लगा वो कंप्यूटर एक्सपर्ट थी ऊसने सारे रेकॉर्ड्स चेक करने हसुरू किए…हर डिवाइस को चेक किया एक प्रोफेशनल चोर थी वॉ और मैं नपोलिसेवला तेहरा इसलिए मेरी भी छानबीन और डेवीसेस्क ए आड़हर् में मैं भी प्रोफेशनल था)

रोज़ : जब तुम्हारे पास इतना इंतेज़मत है तो फिर तुम काला साया क्यों बन गये?

देवश : कुछ चीज़ें आईस होती है जो बताई नहीं जाती…पुलिस वालो के लिए मैं डेड ओर अलाइव वाला पर्सन बन गया था मैंने कई खून किए इसलिए उनकी नजारे में मर गया पर तुम अब मेरी पोज़िशन को सम्भालो तो बेहतर रहेगा


रोज़ : तुमने मेरे लिए इतना कुछ किया है मैं कैसे भूल जाओ (कोमिससिओनेर वाली सायर बात उसे बता डाली वो बस चुप रही)

देवश : अच्छा तो फिर तुम तैयार हो

रोज़ : मुझे तैयार नहीं करोगे (ऊस्की आंखों में चमक सी थी मैंने मुस्कुराकर उसे जॅकेट दी ऊसने मेरे सामने ही अपनी हुक खोल के एक मोटा बुलेटप्रूफ जॅकेट के ऊपर लेदर जॅकेट पहना उसके क्लीवेज दिख रहे थे)

मैंने रोज़ के बदन पे हाथ रख रखकर उसे तैयार कर रहा था बीच बीच में ऊस्किसांसें मेरी साँसों से टकराए…बार बार रोज़ मेरी नजारे में झांटकी जब मैं उसे बेल्ट पहना रहा था क्योंकि मैं काला साया हूँ और उससे ज्यादा प्रोफेशनल…तैयार करने के बाद ऊसने अपने मुखहोते को ठीक करते हुए पास ही के टेबल पे अनगिनत वेपन्स में से नानचाकू के बजाय हॉकी का डंडा ले लिया….मैंने उसे ट्रेनिंग सेशन में पनचिंग बॅग्स और हेंड तो हेंड कंबेट्स के साथ साथ वर्काउट के लिए दुम्ब्ेल्लस और कुछेक्शेरसीसे एक्विपमेंट्स दिखाए…पर ऊसने मुझे आँख मरते हुए कहा की वो पहले से तैयार है

फिर ऊओसने बाइक स्टार्ट की और तीवर्ता से हॉल के ख़ुफ़िया दरवाजे से निकल गयी…मैं उसके लिए बेहद डर भी रहा था पर जनता था वो कौन सी काला साया से कम है?…मैंने फौरन हेडफोन लगाया और पीसी पे बैठकर उसी लोकेशन ट्रेस की…वो पूरे शहर का गश्त लगा रही थी बिना पुलिस के नजारे में आए
जैसे जैसे रात के साए में रोज़ निकलती…सन्नाटे को चीरती जुर्म पे ऊस्की दस्तक होती….अबतक तो टाउन के हिस्से लेकर पूरे डिस्ट्रिक्ट तक ये बात फैल चुकी थी…की हूबहू काला साया की तरह एक शॅक्स बाइक पे आता है हेलमेट और अंधेरे के वजह से उसके मुखहोते पहने चेहरे को देख नहीं पाता है…और फिर कहीं पे हो रहे अपराध पे रोक पे अपनी ही मोहर लगा देता है

सबकी नजारे में बस ऊस शॅक्स का नाम था….”रोज़”….वो अंधेरे साए में आती है…और गुंडे मवालीयो से अकेले ही भीढ़ जाती है उससे तरकने की तो दूर उससे भागने की भी ताक़त किसी के हाथों में नहीं होती…अपराधियों को मर के ऊन्हें पुलिस के आने से पहले उनके हाथों में सुपुर्द करके निकल जाती है और साथ ही साथ अपने हर दुश्मन के पॉकेट में एक लाल गुलाब चोद देती है

रोज़ के साथ ऐसा टीमवर्क भरा काम करते हुए 2 महीने बीत गये..इन 2 महीनों में शहर में ऐसी रोज़ के नाम की आग लगी…की सबके जुबान पे काला साया के बॅया दब रोज़ का नाम था…कोई कहता काला साया ही है..और कोई कहता नहीं ये कोई और है? पुलिस जानती थी की ये लड़की वही चोर है जिसने पूरे बंगाल स्टेट को हिला डाला था…पुलिस आजतक उसका पीछा ना कर पाई हूँ कौन थी ? कहाँ से आती थी?…इधर मेरा मूवमेंट और ऑपरेशन दोनों बखूबी रोज़ के संग चल रहा था उसके गुलाबी महक नेट ओह मुझे उसका दीवाना बना दिया साथ ही साथ उसके काबिल-ए-तारीफ हौसले और हिम्मत की दास्तान को रोज़ थाने में सुनकर दिल बैग बैग हो जाता गुलाब के फूलो से

पुलिस कभी कभी ट्रॅप बिछाके रोज़ को पकड़ने की कोशिश करती थी..लेकिन मैं अपने वर्दी के फायदे से कभी पुलिस को रॉंग वे में भेज देता या फिर कभी पुलिस के सामने अड़चन बनकर सामने आ जाता…जैसे रोज़ अगर बाइक लेकर जिस रास्ते से गुजरती और हूँ रास्ता दो रहा…तो उसके निकलते ही मैं भी उसी के भैईस में दूसरे रास्ते निकल जाता…पुलिस इससे चकमा कहा जाती…कभी रास्ते में पुलिस के पत्थरे बिछा देता…तो कभी रोज़ को झूते मूओते नाम पे पकड़ने के साथ साथ अपने हेडफोन से उसे डाइरेक्षन और लोकेशन दोनों बताते रहता…रोज़ के हर हरकत और उसके हर सिचुयेशन पे मेरी निगाह होती अनॅलिसिस ऑफिस से…रोज़ जल्द ही अपने पाप की दुनिया से निकलकर अक्चाई की लड़ाई में खुद को काफी तृप्त महसूस करती थी
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(UPDATE-48)



और धीरे धीरे मेरे अंदर भी रोज़ के प्रति कुछ कुछ होने लगा था…कमिशनर की मुझे कभी कभी बेहद दाँत सुन्नी पढ़ती…लेकिन उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं था रोज़ के खिलाफ इसी लिए उसे कभी गेरफ़्तार करने की नौबत ही नहीं आई…मैं कमिशनर की दाँत को खाके बस मुस्कराए केबिन से निकल जाता…और फिर रोज़ के साथ काम शुरू करता…जल्द ही रोज़ अपने नये नाम से प्रचलित हो गई सबको हैरानी थी आख़िर काला साया कहाँ गायब हो गया? और ऊस्की जगह रोज़ कहाँ से आ गयी? पुलिस का भांडा फहूट जाए इस बात का मैं पूरा ख्याल रखता था पुलिस निकाला साया को जान से मर डाला ये बात अगर पब्लिक को पता चली तो शायद बवाल हो जाए…सबकुछ सही जा रहा था…और मेरे दिल ही दिल में रोज़ को लेकर प्यार उमाधने लगा था

ऊस रात रोज़ गश्त लगाकर वापिस आयआई…ऊसने गॅंग्स्टर्स को आज पुलिस के हाथों अरेस्ट करवाया था..ऊसको थोड़ी चोटें आई थी….बाइक से उतरके मैंने फौरन उसे लाइट जाने को बोला….उसके पीठ में बहुत दर्द था…

देवश : के..क्या हुआ? रोज़ तुम ठीक हो?

रोज़ : पीठ पे गुंडों ने चाबुक बरसा दिया था..वो तो गनीमत थी की आहह मैंने तुम्हारे सिखाए रस्सी को काटने का हुनर सिख रखा था

देवश : श में गोद ई आम सॉरी मैं तुम्हारी ऊस वक्त मदद नहीं कर सका..ठीक है तुम एक काम करो पेंट के बाल लाइट जाओ मुझे एक इलाज आता है ला कर..इन तुम्हें अपना काप्रा उतारना पड़ेगा तुम्हारी पीठ के ज़ख़्मो को देखते ही मैंन्न

रोज़ : टीटी..हीक हे दर्द बहुत ज्यादा लग रहा है जो कुछ करना है कर दो…(मैंने मौके को समझते हुएफओुरन पास रखिी काली पट्टी अपने आंखों में बाँध ली)

रोज़ : ईए क्या कर रहे हो?

देवश : हाहाहा तुम्हारी झिझक दूर कर रहा हूँ मैं एक मर्द हूँ और तुम एक औरत इसलिए समझ रही हो ना (रोज़ ने मुस्कुराकर अपने लंबो पे लगी लाली दिखाई)

और फिर मेरे सामने पीठ कर ली….भैईलॉग आँख में पट्टी बँधी थी पर साली ट्रॅन्स्परेंट थी ..धीरे धीरे मेरे तरफ पीठ करके रोज़ ने अपना जॅकेट उटा फैका..और उसके बाद अंदर एक और बुलेटप्रूफ जॅकेट अफ उसके बड़ना के पीठ पे कितने लाल लाल निशान परे हुए थे…काश मैं ऊस वक्त मौज़ूद होता तो हूँ कुत्तों को जान से मर देता…रोज़ ने एक बार मुदके मेरी ओर देखा

और अपनी ब्रा जैसी पहनी डोरी को खोलने लगी बीच बीच में ओर देखती..मैं अंधेपण का नाटक करने लगा…दिख तो सब रहा था…फिर रोज़ ने मुस्कुराकर अपनी डोरी खोल डाली अब हूँ ब्रा में थी काली ब्रा में…हूँ वैसे ही छलके सोफे पे लाइट गयी…मैंने आवाज़ दी “हो गया क्या मैं लगौन?”….ऊसने भी जवाब दिया और अपने पास आने कहा मैं उसके पास आया

रोज़ : अब पट्टी खोल दो तुम वरना पीठ के बजाय बालों पे लगा दोगे क्रीम

देवश : त..एक है जैसी आपकी इच्छा मेमसाहेब

मैंने जैसे ही पट्टी उतारी साला संगमरमर जैसी पतली कमरिया क्या चिकना बदन था?…मैंने थूक घोंटते हुए फौरन इलाज शुरू किया…पहले छोटे बाल्टी में गुगुला पानी लाया और फिर उसे बारे ही आहिस्त आहिस्ते निसान पे लगाकर साफ करने लगा…गरम भीगे तौलिए के अहसास से रोज़ आंखें मुंडें सिहर जाती है…सिसक उठती


मैं भी सोफे पे पालती मारें बैठा उसके पीठ को तौलिए से पोंछ रहा था उसके बाद…उसके निशानो पे हाथ पाहिरा…और क्रीम लगाने लगा….एक आहह भी रोज़ के मुँह से ना निकली…हूँ बस अनके मुंडें पड़ी रही..बार बार उसका ब्रा बीच में लग जाता वहाँ पे एक निशान था जिसपे क्रीम लगाना मुश्किल था…मैंने रोज़ से कहा की हूँ अपनी ब्रा की हुक खोल दे ताकि मैं पूरे पीठ पे क्रीम लगा सुकून…रोज़ ने आंखें मुंडें ही अपना हाथ बढ़के हुक को खोल डाला..ब्रा 2 पीस में जैसे दोनों ओर गिर पड़ी उसका एकदम नंगा पीठ मेरे सामने था

मैंने बारे अच्छे से क्रीम लगाकर उसके दर्द में राहत दी….रोज़ को काफी सुकून मिला…”अगर तुम कहो तो मसाज भी कर दम”………मैंने मौके को समझके बोला “ऐसी वैसी हरकत तो नहीं करोगे ना”………रोज़ ने मुस्कुराकर बोला….”ईमान का पक्का हूँ”…….मैंने भी जवाब दिया…”ऑलराइट देन दो इट”…..ऊसने फिर आँख मूंद के लिए सोफे पे ही सर रख दिया

मैंने थोड़ा सा तेल लाया और उसके गर्दन और हाथ सब जगह की मालिश करने लगा पीठ पे बचे कुचे निशानो से दूर के हिस्सों में मालिश करते हुए उसके कमर में बार बार हाथ चला जाता फिसल के….रोज़ कोई हरकत नहीं कर रही थी…और ना कसमसा रही थी…मुझे नहीं लगता उसे कुछ फील होने वाला था…मैंने धीरे से ऊस्की निचले पीठ के हिस्सों पे तेल मलके वहाँ माँस को मुट्ठी में भरके मालिश किया…इस पे रोज़ थोड़ी कसमसा जाती…धीरे धीरे उसके हाथ को फिर मलते हुए ऊस्की नाज़ुक उंगलियों की भी मालिश की शायद हूँ सो गयी थी…मैंने सोचा क्यों ना टांगों की भी कर दम..साला तेल की कटोरी लिए उसके ताअंगो से थोड़ा थोड़ा करके एलास्टिक पेंट हटाया और वहां तेल मलने लगा…उसके पाओ पे भी…रोज़ ने कोई हरकत ही नहीं की…हूँ शायद सो चुकी थी…मैंने उसके घुटने तक फिर जाँघ तक तेल को माला…इस बीच में बार बार मेरा हाथ उसके गांड पे लग जाता..लेकिन ज्यादा आगे बढ़ना रीलेशन को खराब करने वाली बात थी…

अचानक मुझे अहसास हुआ की मालिश के चक्कर में साला अपना पेंट के अंदर में कबका खड़ा वज्र गोरी में के पीठ और टांगों पे भी दबा हुआ था…मुझे बहुत शर्मिंदा महसूस हुआ..और साथ में खुद पे गुस्सा भी आया मैं अभी उठने वाला ही था की रोज़ ने मेरे हाथ को पकड़ लिया
josef
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Re: Fantasy काला साया – रात का सूपर हीरो

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(UPDATE-49)


देवश : के..क्या हुआ रोज़? (मैंने मुदके पलटके देखा)

रोज़ : काफी सुकून मिला काश ऐसी कोई पहले कर देता थॅंक्स

देवश : तुम बोलो तो मैं रोज़ ही कर दम…अच्छे काम के लिए थॅंक्स कैसा? इतना तो मेरा फर्ज बनता है

रोज़ : वैसे ईमान के पक्के नहीं हो तूमम?

देवश : वॉ कैसी??

रोज़ : ये पेंट में क्या छुपा रखा है? गुण (मेरी तो साली बोलती बंद अब तो मेरी मां चुदेगी)

देवश : क्क्क…के क्या बक्क रही हो?? व्व..आस मैंने कहना गन?

रोज़ : अच्छा ग ज़रा पास आना तो (और ऊसने मुझे अपनेई तरफ एक झटके में खींचा हूँ उठ बैठ इयोर ऊसने मेरे प्यज़ामे से निकले उभर पे उंगली रखी या यूँ बोलो तो लंड पे उंगली रख दी मेरा तो पूरा बदन काँप गया एक कुँवारा लड़का बन गया था में जैसे)

देवश : यईए वॉ नहीं?

रोज़ : अच्छा ग जवान हूँ और तुम भी जवान हो और जवान लड़कों का ये क्यों खड़ा होता है ये तो जानते ही होंगे दूध पीते बच्चे तो नहीं है यहां कोई जो समझ नहीं सकता

देवश : देखो रोज़ हूँ मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ लेकिन मैं सच कहता हूँ आगे ऐसा!
रोज़ ने मेरे होठों पे उंगली रखकर दबाई और मुझे उसी पल अपने संग सोफे पे धकेल दिया मैं ये भूल चुका था उसके छातियो पे तंगी ब्रा अटकी हुई आध खुली छातिया दिख रही थी…पर मैं ऊस वक्त रोज़ के कररणामे से डरा हुआ था…ऊसने मेरे ऊपर चढ़के मेरे चेहरे पे हाथ पाहिरा और मेरे बालों को सहलाया

रोज़ : हुम्हें काम करते हुए इतना दिन हो गया लेकिन तुमने कभी अपने ज़ज़्बात नहीं बताए अब मुझे बोका मत समझो…तुम्हारी हूँ पर्सनल डेरी मेरे लिए जो इंग्लिश में शायरिया लिखते हो मैं सब पढ़ चुकी हूँ यहां तुम अनॅलिसिस करते हो या मुझे अनॅलिसिस करते हो बताओ बताओ

देवश : सच पूछो रोज़ तो में..मैं पागल सा हो गया हूँ जबसे तुम्हें देखा हूँ बस तुम्हारे साथ ही वक्त बिताना चाहता हूँ ना जाने क्या हो गया है तुमसे?

रोज़ : यू स्टुपिड इसे ही तो लव कहते है यू आर फॉलिंग इन लव विड में (रोज़ यक़ीनन बाहरी देश की आई गोरी में थी..लेकिन उसके अल्फाज़ो में कुछ ऐसे वर्ड्स थे जो यक़ीनन मुझे समझणाए में डायरी ना लगी)

रोज़ ने फौरन मुस्कुराकर अपने चेहरे को मेरी ओर झुकाया और मेरे होठों में अपने होंठ रख डालें…हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे…मैंने आंखें बंद नहीं की मैं इस मंजर को अपने आंखों से महसूस करना चाहता था…एक के पल को महसूस करते हुए मैं जैसे डूब गया उसके लाल लाल होठों को चुस्सते हुए मुझे इतना मजा कभी नहीं आया

रोज़ पागलों की तरह मुझे किस कर रही थी शायद विरासत में मेक आउट करना अपनी अँग्रेज़ मां से सीखा था…फिर हूँ कभी नाक कभी कान कभी गाल कभी माथे पे चूमते हुए मुझसे लिपट चुकी थी….”वादा करोगे की तुम मेरा साथ निबहोगे मुझसे शादी करोगे कभी छोढ़के नहीं जाओगे”…..साला ये लाइन जब लड़कियों के मुँह से सुनता होंठ ओह पूरा बदन काँप जाता है प्यार का बुखार चढ़ जाता है और ऊस वक्त मेरे जैसा दीवाना आदमी सिर्फ़ यही कहता हाीइ “क्यूउ नहीं? बिल्लकुल्ल्ल”…मैंने उसके प्रपोज़ल को स्वीकार कर लिया था

और फौरन उसे कमर से अपने गेरफ्त में लेते ही पलट डाला अब हूँ सोफे पे मैं उसके ऊपर मैं उसके होठों को बुरी तरह से चुस्सने लगा…हूँ मुझे पागलों की तरह चूमें जा रही थी..मैंने फ़ौरना उठके अपना शर्ट उतार डाला..और फिर उसके ब्रा पे हाथ रखकर झिझक उठा

मेरी गरम सांसों को हूँ अपने गालों पे महसूस कर रही तो ऊस्की भी गरम साँसें मेरे मुँह से टकरा रही थी “के.या हुआ?”….ऊसने मेरे चेहरे को हाथों में भ्रष्ट हुए बोला
“क्या मैं तुम्हारा देख सकता हूँ?”……..रोज़ ने प्यार से मुस्कराया और खुद ही मेरे हाथ को अपने छाती पे रखा और फौरन मेरे हाथ को उठाया ऊस्की ब्रा मेरे हाथों में आ गयी और साथ ही साथ ऊस्की चुचियां भी

मैंने ऊस्की छातियो पे हाथों को रखा तो जैसे करेंट सा दौड़ने लगा मैंने बारे ही प्यार से ओस्कि छातियो को दबाया…मैंने फिर उसके होठों पे होंठ रख डालें…मैंने उसके मुकोते को उतारना चाहा लेकिन ऊसने मेरा हाथ नीचे कर दिया “न..नहीं वादा करूं अभी तुम ये चेहरा नहीं देखोगे”…..मुझे किस करते हुए…”पर क्यों?”…..ऊसने मेरे चेहरे को फिर हाथों में भरा…”मुझे वक्त चाहिए”…..उसके जवाब को सुन मैंने भी हामी भारी कोई बात नहीं मुझे उससे प्यार था उसके चेहरे से नहीं…चाहे हूँ दिखाए ना दिखाए मैं तो उसके सामने पूरा हाज़िर था

ऊसने फिर मुझे अपने ऊपर सवार किया और हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे..फिर मैंने ऊस्की छातियो को डबाते हुए उसके निपल्स को मुँह में भरके चुस्स्सा..”आहहस्स आहह”…..ऊसने झाढ़ झाढ़ के अपना पेंट भी उतार डाला हूँ अब पैंटी में थी और मैं प्याजमे में…उसका हाथ मेरे चड्डी पे सख्त हो गया..वो मेरे उभर को दबाने लगी..और मैं उसके छातियो को दबा दबा के चुस्सने लगा ऊस रात बादलो की भयंकर गरगरहट भारी गुँज़ज़ पूरे माहौल में दाखिल हो रही थी…

और हम दोनों एक दूसरे से बस लिपटे रहे जल्द ही लाइट चली गयी…लेकिन हम दोनों एक दूसरे से अलग नहीं हुए…


भारी भाऋीश से पूरा शहर भीग रहा था…जल्द ही हूँ गाड़ी खंडहर में पहुँची…और उसके रुकते ही एक नक़ाबपोश गाड़ी से उतरा ऊसने काले रंग का मुखहोटा पहना हुआ था जिसमें सिर्फ़ आँख नाक और होंठ दिख रहे थे…फिर उसके उतरते ही ऊसने गाड़ी का फाटका खोला….और फिर हूँ शॅक्स अपने मगरमच्छ के चंदे के बने जुटते एक एक कदमों के साथ रखते हुए ऊस बंद खंडहर में लिए दाखिल हुआ

सामने एक बड़ी बल्ब की रोशनी जल रही थी…एक बड़ा सा डाइनिंग टेबल था…ऊसमें पहले से ही शहर के बारे बारे माफिया लोग बैठे हुए थे…और सब उसी का इंतजार कर रहे थे…ऊस शॅक्स के बगल में चल रहा हूँ काला मास्क पहना आदमी दूसरी ओर देखता है…दूसरी ओर भी एक शॅक्स जिसने अजूबा जैसा मुखहोटा पहना हुआ था अपने तीर से बार बार खेल रहा था

इन अज़ीबो गरीब लोगों को देखकर सब फुसर फुसर कर रहे थे…हूँ शॅक्स टेबल पे बैठा..लेकिन उसके बैठने से पहले ही सब उठ खड़े हुए..मानो जैसे उसका लोहा मानते थे…”मीटिंग शुरू की जाए हमारे सर खलनायक यही चाहते है”…..सिगर्रेतटे फहूंकते हुए अपने होठों से निकलकर ऊसने मुखहोते को फिर ठीक किया

उसके अज़ेब से मुकोते को देख सब गुंडे चुपचाप थे बस ऊस्की उबलटी निगाहों को देख रहे थे इन तीन नक़ाबपोशो को देखने के बाद बातें शुरू हुई ऊस शॅक्स ने सबकी बातें सुनी की कितना इस बार पुलिस का शिकंजा है और उनके ड्रग्स दवाइयों की शकल में पकड़ी गायहाई

“तुम हरामजादो को खलनायक के साथ बैठने का कोई राइट नहीं बनता…जिस तरह हमारे कंपनी का नुकसान हुआ उससे कई ज्यादा हुम्हें इस बात का गुस्सा है की हमारे कोकेन और घना से लाई इल्लीगल इंपोर्टेड ड्रग्स भी पकड़ी गयी उसका कौन जिम्मेदार था बताओ”……खलनायक ने चिल्लाते हुए कहा

काला नक़बपसो जो डाई ओर खड़ा था खलान्यक के ऊसने बताया की उसका ज़िमीडार जावेद हुस्सियान है जो पुलिस के हटते चढ़ गया उसके पकड़े जाने की बड़ी वजह एक पुलिस इंस्पेक्टर था और साथ ही साथ एक बाइकर लड़की जो आजकल शहर की हीरोइन भारी फिर रही है रोज़

खलनायक मुस्कराया…और ऊसने उठके जावेद हूसेन के पारटनेस को वही पे गोली से चली कर दिया..सब सहम उठे “आप लोगों को डरने की जरूरत नहीं जिसने गुनाह किया खलनायक ने उसे सजा दी खलनायक को दो लोगों से भर इचिढ़ है एक तो औरत ज़ात और एक बड़ज़ात इन हरमियो ने मेरा पकड़वाया काला लंड”…..खलनायक ने मुस्कुराकर अपने काले मास्क पहने नक़बोश को नाम पुकारा

काला लंड : कहिए हुज़ूर
खलनायक : दुबई से ब्ड फिर वहां से हिन्दुस्तान आना हमारा एक ही मंसूबा था…जल्द से जल्द जावेद हूसेन को मौके पे ही निशानेबाज़ के हाथ से मरवा दो…और दूसरी चीज़ ऊस लड़की रोज़ का पता लगाओ और जिस पुलिस की इन्वॉल्व्मेंट थी ऊन सबका नाम मुज़ेः च्चाईए
निशानेबाज़ : आप चाहे तो हम ऊँका काम ऐसे ही तबाह कर देते (अजूबा का मुखहोटा पहने दाएँ ओर खड़े खलनायक के आदमी ने कहा)
खलनायक : नहीं मैं चाहता हूँ की ऊन सबकी मौत मेरे सामने हो अभी हम इस देश से नहीं जाएँगे..हमारे रहने का इंतेज़मत करो

बदल की गरहट के साथ सब वापिस अपने अपने गाड़ी में सवार होकर निकल गये

रात के डेढ़ बज चुके थे….लेकिन ना तो रोज़ के आंखों में नींद थी और ना ही मेरे….रोज़ और मैं कब अपने अपने कपड़ों से निवस्त्र होकर एक दूसरे के अंगों को सोफे पे ही लेटे लेटे सहला रहे थे पता नहीं….बस रोज़ के चेहरे पे उसका मुखहोटा था ऊस्की चमकीली आंखें बार बार मुझे उसके चेहरे की तरफ ले जा रही थी उसके होंठ जो लाल लिपस्टिक से साने हुए थे उसे अपने मुँह में भरके मैंने चुस्स लिया रोज़ गरमा गयी थी “आहह उम्म्म”….ऊओसने आहें भारी

मैंने ऊस्की छातियो को काश क़ास्सके दबाया रोज़ के टाँग साँप की तरह मेरे टांगों से लिपट गये फिर वो मेरे ऊपर किसी बिल्ली की तरह चलते हुए चढ़ने लगी और फिर बिल्ली की मुद्रा से बदलते हुए मेरे चेहरे पे बैठ गयी वो नंगी थी ऊस्की पूरी चुत मेरे मुँह पे..मेरा साँस और दम दोनों घूँट गया…अब मेरा चेहरा उसके चुत से रगड़ कहा रहा था…जबकि मेरे नाक उसके चुत के मुआने में दबी हुई थी…मैं गहरी गहरी साँसें लेकर साँस खींच रहा था और ओस्कि चुत की महेकदर पांकुदियो के बीच से निकलती हवा को सूंघ रहा था अफ क्या महक थी उसके पूरी गान्ड से लेकर चुत तक की मैंने अपनी जुबान खोली और ऊस्की चुत में चलाने लगा…

“आअहह आहह”…..रोज़ ने मेरे बालों को सहलाते हुए बैठे बैठे ही अपनी चुत को मेरे मुँह पे रगड़ने लगी…और मैं उसके दोनों जांघों को हाथों से क़ास्सके जकरे हुए उसके चुत को चुस्सने लगा….उसके दाने पे नाक रगड़ने लगा उसके चुत के छेद के भीतर अपनी थूक भारी जबान घुसा दी….रोज़ की आंखों के पुतलिया बंद खुल रहे थे…रोज़ा आहें भरे जा रही थी
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