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Adultery चूत लंड की राजनीति

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josef
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Adultery चूत लंड की राजनीति

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चूत लंड की राजनीति

यह एक काल्पनिक कहानी हैं. यह कहानी हैं एक पॉलिटीसियन की नाम हैं सतीश. सतीश की उम्र हैं 52 साल. सतीश के घर मे उसकी खूबसूरत बीवी ज्योति (42 य्र्स) हैं और दो बच्चे हैं. बड़ी बेटी डॉली 22 साल की हैं और छोटा लड़का जय 20 साल का हैं.

जब ज्योति 20 साल की थी तब उसकी शादी अपने से 10 साल बड़े सतीश के साथ हुई थी. ज्योति ने उस वक़्त अपने से इतनी बड़े उम्र के आदमी से शादी क्यू की यह एक रहस्य हैं.

ज्योति की खूबसूरती को देख कर कोई भी अच्छा लड़का मिल सकता था. अधिकतर लोगो का मानना हैं की ज्योति एक मिड्ल क्लास फॅमिली से हैं और उसके फादर सतीश के यहा मुनीम थे, इसलिए ज़्यादा पैसो के लालच मे ज्योति की शादी सतीश से करवा दी.

दबी ज़ुबान मे लोग अक्सर यह भी बात करते हैं की ज्योति इस बेमेल की शादी से नाखुश थी. और इसी कारण शादी के बाद उसका नाजायज़ रिश्ता उनके ही ड्राइवर राजेश के साथ हो गया.

ज्योति जब 20 की उम्र मे शादी कर के सतीश के घर आई थी तो राजेश को उसका पर्सनल ड्राइवर बनाया गया. ज्योति से राजेश सिर्फ़ 3 साल बड़ा था और दोनो एक दूसरे की तरफ अट्रॅक्ट हुए थे.

लोगो का यह भी मानना हैं की ज्योति के छोटे बच्चे जय का असली बाप दरअसल ड्राइवर राजेश ही हैं. लोग तो यहा तक कहते हैं की इसी बात से गुस्सा होकर सतीश ने अपने ड्राइवर राजेश की बीवी को चोद कर उसके पेट मे भी अपना बच्चा देकर बदला पूरा किया.

खैर यह सब तो अफवाहे थी. वरना क्यू सतीश अभी तक ज्योति को अपने पास वाइफ बना कर रखे हुए था और क्यू वो ज्योति के बच्चो जय और डॉली को एक जैसा प्यार करता हैं!

जैसे जैसे बच्चे बड़े हुए तो उनके कानो मे भी यह अफवाह गयी. जिसकी वजह से डॉली और जय मे भी टेन्षन शुरू हो गया. हालाँकि उनके मा बाप सतीश और ज्योति उनके साथ एक जैसा बर्ताव करते थे.

डॉली को लगता था की उसका असली बाप तो सतीश ही हैं पर जय का बाप ड्राइवर राजेश हैं. डॉली का सपना अपने पिता की तरह पॉलिटिक्स मे आने का था.

डॉली ने अपने पोलिटिकल करियर की शुरुआत 2 साल पहले कर दी जब वो नयी नयी कॉलेज के फर्स्ट एअर मे आई थी. सतीश का रुआब था की उसको एक पार्टी से टिकेट भी मिल गया.

उसकी पार्टी पिच्छले 3 साल से कॉलेज के इलेक्शन मे हार रही थी. डॉली ने सोच लिया की वो अपना पहला चुनाव जीत कर रहेगी. अपने पिता की तरह उसका दिमाग़ भी पॉलिटिक्स मे तेज चलता था.

उस वक़्त सिर्फ़ 20 साल की डॉली को पता चला की विपक्षी पार्टी ने थर्ड एअर मे पढ़ने वाले एक लड़के अनिल को टिकेट दिया हैं. अनिल की पूरे कॉलेज मे अच्छी इमेज थी और उसका जीतना तय था.

डॉली और अन्ल का कॉलेज इलेक्शन मे सीधा मुकाबला था. नॉमिनेशन वापिस लेने की डेट आ गयी थी और डॉली ने अनिल को अपने पार्टी ऑफीस मे अकेले मिलने को बुलाया.
josef
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अनिल के सपोर्टर्स को लगा की कुच्छ तो गड़बड़ हैं. 4-5 लड़के अनिल के साथ गये. अनिल जब डॉली के पार्टी ऑफीस मे पहुचा तो देखा की वहाँ डॉली अकेली हैं.

डॉली: “एक अकेली लड़की से इतना डर लगता हैं की अपने साथ इतने लड़के लाने पड़ गये. मैने यहा लड़ाई के लिए नही बुलाया हैं.मैं चाहती हूँ की प्यार से मिलकर कॉलेज के लिए काम करे. हम अकेले मे बात कर सकते हैं?”

अनिल ने अपने साथ आए लड़को से कहा की कोई ख़तरा नही हैं और वो लोग जा सकते हैं. मगर उन सपोर्टर लड़को ने कहा की वो मैनगेट के बाहर थोड़ी दूर इंतेजार करेंगे, ताकि कोई गड़बड़ ना हो.

डॉली: “जाते जाते दरवाजा बंद कर जाना”

सारे लड़के दरवाज़ बंद कर बाहर चले गये और अब पार्टी ऑफीस मे सिर्फ़ डॉली अपनी कुर्सी पर बैठी थी और टेबल के दूसरी तरफ सामने बैठा था अनिल.

डॉली: “मैं चाहती हूँ की आपसी सहमति से बिना इलेक्शन के ही कॉलेज का प्रेसीडेंट चुन लिया जाए”

अनिल: “तो ठीक हैं. तुम अपना नॉमिनेशन वापिस ले लो”

डॉली: “तुम इसके बदले मुझे क्या दे सकते हो?”

अनिल: “मेरे पास देने के लिए कुच्छ हैं भी नही. मैं तुम्हारी तरह अमीर फॅमिली से नही हूँ”

डॉली: “मगर मैं दे सकती हूँ. बोलो कितना पैसा चाहिए”

अनिल: “मुझे पता था तुम यही कहोगी. मगर मैं पैसो मे बिकाऊ नही हूँ. मैं यहा इलेक्शन जीतने आया हूँ”

डॉली अपनी कुर्सी से खड़ी हो गयी और घूम कर टेबल के दूसरी तरफ अनिल की कुर्सी के पास आ गयी. डॉली ने दुपट्टा गले से निकाला और अपनी कुर्सी पर फेंक दिया.

डॉली फिर टेबल पर बैठ गयी और अपना पाव अनिल की चेयर पर रख दिया, अनिल के दोनो घुटनो के बीच मे. अनिल थोड़ा घबराया.

डॉली ने अनिल की एक कलाई पकड़ी और उसकी हथेली को अपने एक बूब्स पर रख कर दबा दिया. अनिल देखता रह गया. फिर डॉली ने अनिल का हाथ छोड़ दिया.

डॉली भी अपनी मा ज्योति की तरह गजब की खूबसूरत थी. गौरा रंग, पतली कमर, भूरे रंगे हुए और कट्रल किए हुए बाल. कई लड़को का दिल उसके लिए धड़कता था.

अनिल: “यह क्या था!”

डॉली: “मैं जिस टेबल पर बैठी हूँ, इसी टेबल पर मैं अपने सारे कपड़े उतार कर लेट सकती हूँ. तुम्हे मेरे साथ जो करना हैं कर लेना. मगर तुम्हे अपना नॉमिनेशन वापिस लेना होगा”

अनिल: “तो तुम अपनी इज़्ज़त का सौदा एक कुर्सी के लिए कर रही हो. तुम्हे क्यू लगता हैं की मैं मान जाउन्गा!”

डॉली: “तुमने अभी मेरे बूब को छुआ, तुम्हे कैसा लगा?”

अनिल: “अच्छा ही लगेगा. उपर से तुम खूबसूरत भी हो”

डॉली: “तो फिर तुम मेरी इस खूब सूरत जवानी को नंगा नही देखना चाहते! एक हसीन लड़की को चोदना नही चाहते?”

अनिल: “तुम्हे नंगा देखना और चोदना हर एक लड़के का सपना हैं. मैं भी चाहता हूँ पर उसके लिए मैं नॉमिनेशन वापिस नही लेना चाहता”

डॉली: “तो और क्या चाहिए!”

अनिल: “एक बार फिर से हाथ लगा कर देखु?”

डॉली: “लगा लो”
josef
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Re: चूत लंड की राजनीति

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अनिल ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और डॉली के बूब को एक बार फिर अपने हाथ से पकड़ कर थोड़ा दबा दिया.

डॉली: “मेरा कुर्ता और अंदर पहना ब्रा नही होगा तो तुमको हाथ लगाने और ज़्यादा मज़ा आएगा”

अनिल सोच मे पड़ गया. एक तरफ कुर्सी थी तो दूसरी तरफ एक खूबसूरत लड़की को चोदने का मौका, जो उसकी औकात के हिसाब से कभी मुमकिन नही हो सकता था.

डॉली: “मैं चाहती तो इस वक़्त अपने कपड़े फाड़ कर तुम पर रेप का ग़लत इल्ज़ाम लगा कर भी फसा सकती थी. मगर मैं फेर गेम खेलूँगी. बोलो क्या फ़ैसला हैं तुम्हारा? कुर्सी चाहिए या मेरी चूत!”

अनिल: “अपने कपड़े निकालो और लेट जाओ”

डॉली ने एक स्माइल दी और अनिल की कुर्सी से अपना पैर हटाया और टेबल से उतर कर नीचे खड़ी हो गयी. अनिल भी अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ.

डॉली ने अपना कुर्ता सर से होकर निकाल दिया और अपनी लेगिंग भी निकाल दी. एक खूबसूरत सी जवानी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी मे अनिल के सामने खड़ी थी और उसका लंड उसकी पैंट मे फड़फड़ाने लगा.

डॉली ने जल्दी से अपना ब्रा और पैंटी निकाली और अनिल की आँखें फटी की फटी रह गयी. उसने कभी सोचा नही था की कोई लड़की बिना कपड़ो के इतनी खूबसूरत भी दिख सकती हैं.

अनिल ने जल्दी से अपने कपड़े निकाले और नंगा हो गया. तब तक डॉली टेबल पर चढ़ कर लेट गयी. अनिल ने आगे बढ़कर अपने एक हाथ को डॉली के नंगे बदन पर फेरना शुरू किया.

बूब्स के उभार से होते हुए उसका हाथ डॉली की पतली कमर और नाभि पर होते हुए उसकी चूत तक गया. फ्र आगे झुककर उसने डॉली के निपल्स को चूसना शुरू कर दिया.

एक निपल से दूसरे निपल तक वो झपट्टा मार कर चूस रहा था और डॉली के बूब्स को दबा भी रहा था. छपर्र छपर्र की आवाज़ो के साथ उसने जल्दी ही डॉली के दोनो बूब्स को गीला कर दिया था.
josef
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इस बीच एक हाथ से डॉली की चूत को अपनी उंगलियो से रगड़ता भी जा रहा था. जब उसका मन डॉली के बूब्स का रस लेकर भर गया तो उसने अपना मूह डॉली के होंठो की तरफ किया.

डॉली ने उसके होंठो पर हाथ रख दिया.

डॉली: “सिर्फ़ गर्दन के नीचे का शरीर तुमको इस्तेमाल करने को दिया हैं. वही तक रहो”

इतनी देर से डॉली को इतने करीब से देख कर उसके गुलाबी होंठो को देख कर उनको चूमने का बहुत मन था पर अनिल को अपनी तमन्ना अपने मन मे ही दबानी पड़ी.

अनिल: “उपर के होंठ ना सही, पर तुम्हारे नीचे के होंठो को तो चूम ही सकता हूँ”

यह कहते हुए अनिल टेबल के दूसरी तरफ डॉली की टाँगो की तरफ आया और उसके दोनो पैर चौड़े कर उसकी चूत को खोला. फिर अपने होंठ डॉली की चूत के होंठो पर रख दिए.

डॉली की चूत के गीले होंठो को अपने होंठो से छूते ही अनिल बावरा सा हो गया. उसने अपने होंठो मे डॉली की चूत के होंठो को भर भर कर चूसा.

अपनी ज़ुबान को आरी की तरह डॉली की चूत की दरार मे चला कर मज़े लिए. अपनी ज़ुबान को डॉली की चूत के छेद मे डाल कर अंदर बाहर करते हुए थोड़ी देर चोदता रहा.

सिसकती हुई डॉली को देख कर अनिल का लंड और भी ज़्यादा फड़फड़ाने लगा. अनिल से और इंतेजार नही हुआ और वो चढ़ गया डॉली के उपर.

अनिल का लंड छू गया डॉली की चूत को और छाती से मिल गयी छाती. अनिल की छाती को भी महसूस हुआ की उसने मुलायम से बूब्स को दबा दिया हैं.

इसके पहले की अनिल अपना लंड डॉली की चूत मे डाल कर चोदना शुरू करे, डॉली ने अनिल को ड्रॉयर से कॉंडम निकाल कर पहनने को कहा.

अनिल नीचे उतरा और कॉंडम पहन कर फिर से डॉली पर चढ़ गया. अनिल ने जल्दी से अपना लंड डॉली की चूत के हवाले कर दिया.

डॉली की चूत की गर्मी मिलते ही अनिल का शरीर पर काबू नही रहा और वो तेज़ी से उपर नीचे हिलता हुआ डॉली के नाज़ुक बदन को रगड़ने लगा.

अनिल का मूह डॉली की गर्दन को चूम रहा था और वहाँ से आती हुई डॉली के शरीर की सुगंध से वो मदहोश हुए जा रहा था. अनिल धक्के पर धक्के मारता हुआ डॉली को चोद रहा था.

डॉली छत की तरफ देखे आहें भरते हुए खुश हो रही थी. डॉली को छत पर लटके पंखे मे कुर्सी का रिफ्लेक्षन दिख रहा था.

हालाँकि पंखे मे अनिल का हिलता हुआ नंगा बदन भी दिख रहा था पर उसका फोकस सिर्फ़ कुर्सी पर था. थोड़ी देर बाद पंखे की आवाज़ से ज़्यादा टेबल के हिलने की आवाज़ आने लगी थी.
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अनिल का जोश अब बढ़ चुका था क्यू की वो झड़ने की कगार पर था. मरने से पहले जैसे मछली छटपटाती हैं वैसे ही अनिल झड़ने के पहले पूरा ज़ोर लगा कर चोद रहा था.

अनिल ने इतना ज़ोर लगाया की टेबल पूरा हिलने लगा था. डॉली की चूत की क्या हालत थी वो तो डॉली ही जानती थी. अनिल ने अपने हाथ के दोनो पंजो के सहारे अपना सीना उपर उठाया और एक के बाद एक ज़ोर के झटके अपने लंड से डॉली की चूत मे मारे.

पहली बार डॉली की चीख निकली. “आआअहह आआआहह आआहह आआईए” डॉली की थोड़ी और चीखे निकली और उसके बाद अनिल एक बार फिर धडाम से डॉली की छाती पर अपना सीना रखे लेट गया.

अनिल का लंड डॉली की चूत मे गहराई मे गया और वो वही झड़ गया. अनिल का नंगा बदन अभी भी डॉली के नंगे बदन से चिपका हुआ पड़ा था.

अनिल ने अपने आप को संभाला और टेबल से नीचे आ गया और अपने कपड़े फिर पहनने लगा. डॉली भी टेबल पर उठ कर बैठ गयी और अपनी चूत को देखने लगी.

डॉली ने भी टेबल से उतर कर अपनी पैंटी और ब्रा पहने. अनिल बराबर कपड़े पहनती डॉली को घूर रहा था. थोड़ी देर मे ही दोनो ने अपने कपड़े पहने और फिर से सभ्य लोग बन गये.

डॉली ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और अनिल से हाथ मिला लिया. दोनो ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे को बाइ किया और अनिल वहाँ से चला गया.

अगले ही दिन कॉलेज मे हलचल मच गयी. सबको पता चला की अनिल ने अपना नॉमिनेशन वापिस ले लिया हैं. उसकी पार्टी वाले सन्न रह गये की कल रात मीटिंग मे ऐसा क्या हुआ!

हालाँकि कुच्छ समझदार लोगो को गेस करते टाइम नही लगा की अनिल ने क्या रिश्वत ली होगी. पार्टी ने अनिल को बाहर निकाल दिया. नॉमिनेशन डेट पहले ही निकल चुकी थी तो वो नया कॅंडिडेट खड़ा भी नही कर सकते थे.

बिना इलेक्शन के ही डॉली निर्विरोध इलेक्शन जीत कर कॉलेज स्टूडेंट यूनियन की प्रेसीडेंट बन गयी. डॉली ने अपना पहला चुनाव बिना लड़े ही जीत लिया था. डॉली की गंदी राजनीति की यह तो सिर्फ़ एक शुरुआत थी.

अगले एपिसोड मे पढ़िए क्या डॉली सेकेंड एअर मे भी इलेक्शन जीत पाएगी.
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अब तक आपने पढ़ा की पॉलिटीशियन सतीश की बेटी डॉली ने अपनी इज़्ज़त का सौदा करते हुए कॉलेज का इलेक्शन बिना लड़े ही जीत लिया था.
डॉली की ज़िद थी की वो कॉलेज के तीनो साल का चुनाव जीतेगी और प्रेसीडेंट बनी रहेगी. सेकेंड एअर मे भी पार्टी ने डॉली को अपना टिकेट दिया.
सामने की पार्टी पिच्छले चुनाव मे हुई गड़बड़ी के बाद संभल चुकी थी. इस बार उन्होने थर्ड एअर मे पढ़ने वाली एक दलित लड़की अभिलाषा को टिकेट दिया.
सारे दलित के वोट उसको मिलने वाले थे. डॉली के सामने ख़तरा था. पिच्छली बार की तरह इस बार तो वो अपनी इज़्ज़त का सौदा भी नही कर सकती थी.
मगर डॉली अपनी ज़िद की पक्की थी. उसको कुच्छ तो करना था यह चुनाव जीतने के लिए. सबको लग रहा था की इस बार भी डॉली कुच्छ ऐसा करेगी की अभिलाषा अपना नॉमिनेशन वापिस ले लेगी.
अभिलाषा की पार्टी ने उसके हॉस्टिल के बाहर पहरा ही बैठा दिया. डॉली या उसके किसी पार्टी वर्कर को अभिलाषा से मिलने ही नही दिया. यहा तक की अबिलाषा का फोन तक वर्कर के पास ही था.
वोटिंग के एक दिन पहले ही कॉलेज के स्टूडेंट्स को एक एमएमएस मिला और कॉलेज मे हंगामा हो गया. हर तरफ अभिलाषा की ही बात हो रही थी.
अभिलाषा का एक सेक्स वीडियो विराल हो चुका था. अभिलाषा ने पोलीस मे डॉली के खिलाफ कंप्लेंट की. मगर डॉली का दोष साबित करना नामुमकिन था.
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