क्रेजी ज़िंदगी
‘रूम नहीं हैं? क्या मतलब कि रूम नहीं हैं?’ मैंने गोवा मैरियट के लॉबी मैनेजर पुनीत बनर्जी से कहा।
‘देखिए मैं आपको यह समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि...’ पुनीत ने अपनी नपी-तुली आवाज़ में बोलना शुरू ही किया था कि मॉम ने उसे बीच में टोक दिया।
‘ये मेरी बेटी की शादी है। क्या आप हमारी नाक कटवाओगे?’ उन्होंने इतनी ऊँची आवाज़ में कहा कि रिसेप्शन स्टाफ के बाकी के तमाम लोग चौंक गए।
‘नो मैम, केवल 20 रूम्स की शॉर्टेज है। आपने सौ रूम्स बुक कराए थे, लेकिन हमने तब भी 80 रूम्स देने का ही प्रॉमिस किया था। हम आपको और भी रूम देना चाहते थे, लेकिन चीफ मिनिस्टर के फंक्शन के कारण...’
‘लेकिन हम अपने गेस्ट्स को क्या बोलें, जो अमेरिका से यहाँ आ रहे हैं?’ मॉम ने कहा।
‘मैं तो सजेस्ट करूंगा कि यहां से दो किलोमीटर दूर एक और होटल है, ’ पुनीत ने कहा।
‘हम सब लोग यहाँ एक साथ ही रहेंगे। तुम एक सरकारी फंक्शन के लिए मेरी बेटी की शादी खराब कर दोगे क्या!’ मॉम ने कहा। उनकी साँसें फूलने लगी थीं, जो कि आने वाले तूफान का साफ इशारा था।
‘मॉम, आप प्लीज़ डैड के पास जाकर बैठो, मैं इधर संभाल लूँगी, ’ मैंने कहा। माँ ने घूरकर मेरी ओर देखा। मैं दुल्हन थी। मैं ये सारे काम कैसे संभाल सकती थी! मुझे तो रूम्स के बजाय अपने फेशियल की फिक्र करनी चाहिए।
‘लड़के वाले तीन घंटे में यहाँ पहुँच रहे हैं। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि यहाँ हो क्या रहा है, ’ उन्होंने लॉबी के बीचोबीच रखे सोफे की तरफ जाते हुए बड़बड़ाते हुए कहा। मेरे पिता वहाँ पर अपनी बड़ी बहन कमला बुआ के साथ बैठे थे। लॉबी के बाकी काउचेस पर दूसरे अंकल और आंटी जमकर बैठे थे। मैरियट पर मेहताओं का कब्ज़ा हो चुका था! माँ ने मेरे पिता को भी तनिक घूरकर देखा, जिसका मतलब यह था कि तुम कभी किसी मामले में खुद कुछ करोगे या नहीं!
पिता पलटकर बैठ गए। मैं फिर लॉबी मैनेजर की ओर मुखातिब हुई।
‘क्या किया जा सकता है, पुनीत? मेरी पूरी फैमिली यहाँ पर है।’ मैंने कहा।
हम दिल्ली से सुबह की फ्लाइट से आए थे। शर्मा परिवार, यानी लड़के वाले, मुंबई से 3 बजे उड़कर 4 बजे गोवा पहुँचने वाले थे। उन्हें 5 बजे तक होटल ले आने के लिए 20 इनोवा हायर की गई थीं। मैंने टाइम चेक किया : ढाई बज चुके थे।
‘देखिए मैम, हमने मेहता-शर्मा वेडिंग के लिए एक स्पेशल डेस्क सेट की है और अभी हम आपके फैमिली मेम्बर्स के लिए ही चेक-इन कर रहे हैं, ’ पुनीत ने कहा।
उसने लॉबी के एक कोने की ओर इशारा किया, जहां मैरियट स्टाफ की तीन लड़कियाँ चेहरे पर परमानेंट स्माइल लिए बैठी थीं। वे सभी का हाथ जोड़कर स्वागत कर रही थीं। हर गेस्ट का सीपियों की माला पहनाकर स्वागत किया जाता और उन्हें रूम की चाबियाँ, मैरियट गोवा का नक्शा और एक वेडिंग इंफॉर्मेशन बुकलेट दी जाती। बुकलेट में आने वाले सप्ताह का पूरा कार्यक्रम लिखा होता, जिसमें सेरेमनीज़ के समय-स्थान वगैरह की सूचनाएँ होतीं।
‘हमारी साइड के लोग 50 रूम्स लेंगे तो शर्माज़ को भी इतने ही रूम्स लगेंगे।’ मैंने कहा।
‘मैम, यदि आप 50 रूम्स ले लेंगी तो हमारे पास उनके लिए 30 रूम्स ही रह जाएँगे, ’ पुनीत ने कहा।
‘सूरज कहाँ है?’ मैंने कहा। सूरज मूनशाइन इवेंट्स का ओनर था, हमने इसी इवेंट मैनेजर को शादी के लिए अप्वॉइंट किया था। ‘हम आखिरी वक्त में कुछ मैनेज कर लेंगे, ’ ऐसा उसने मुझसे कहा था।
‘एयरपोर्ट पर, ’ पुनीत ने जवाब दिया।
मेरे पिता रिसेप्शन डेस्क पर पहुँचे और पूछा : ‘सब ठीक तो है ना, बेटा!’
मैंने उन्हें पूरी सिचुएशन समझाई।
‘30 रूम्स! शर्माज़ के साथ 120 गेस्ट्स हैं।’ उन्होंने कहा।
‘एग्जैक्टली!’ मैंने अपने हाथ पटकते हुए कहा।
अब मॉम और कमला बुआ भी रिसेप्शन डेस्क पर आ गए। कमला बुआ ने कहा : ‘ मैंने सुदर्शन से पहले ही कहा था, गोवा में क्या रक्खा है? दिल्ली में मैरिज हॉल और फार्म हाउसेस का कोई टोटा है क्या! लेकिन लगता है तुम लोगों के पास फिज़ूलखर्ची करने के लिए बहुत सारा पैसा है!’
मैं उन्हें पलटकर जवाब देना चाहती थी, लेकिन माँ ने मुझे एक ‘मदर लुक’ दी तो मैं चुप रही।
आखिरकार वे हमारी मेहमान हैं, मैंने खुद को दिलासा दिया और एक लंबी साँस छोड़ी।
‘हमारी तरफ से कितने मेहमान हैं?’ माँ ने पूछा।
‘मेहता फैमिली की तरफ से 117 गेस्ट्स हैं, ’ पुनीत ने अपनी रिजर्वेशन शीट में से गिनती करते हुए कहा।
‘यदि हम 80 लोग होते तो दोनों साइड के लोग एडजस्ट कर लेते, ’ मैंने कहा। ‘लेकिन अब तो कहीं और जाना होगा। मेहताज़ के लिए चेक-इन फौरन बंद कर दो।’
पुनीत ने कोने में बैठी स्माइल करने वाली लड़कियों को इशारा किया। उन्होंने स्माइल करना बंद कर दिया और चेक-इन्स रोकते हुए सीपियों की माला अपनी दराजों में रखने लगीं।
‘लेकिन हम लड़के वालों के लिए कमरों की संख्या कम कैसे कर सकते हैं?’ माँ ने शॉक्ड आवाज़ में कहा।
‘हमारे पास कोई और चारा नहीं है।’ मैंने कहा।
‘उन्हें कितने रूम्स की उम्मीद थी?’ उन्होंने पूछा।
‘पचास।’ मैंने कहा। ‘उन्हें अभी फोन लगाओ। वे यहाँ तक आने से पहले री-एडजस्ट कर लेंगे।’
‘लेकिन हम लड़के वालों से एडजस्ट करने को कैसे बोल सकते हैं?’ कमला बुआ ने कहा। ‘अपर्णा, आर यू सीरियस?’
माँ ने कमला बुआ और मेरी तरफ देखा।
‘लेकिन हम केवल 30 रूम्स में कैसे मैनेज करेंगे?’ मैंने कहा और अपने पिता की ओर मुड़ते हुए उनसे बोली, ‘डैड, उन्हें अभी फोन लगाओ!’
‘सुदर्शन, उनके यहाँ पहुँचने से पहले ही उनकी इनसल्ट मत करो।’ कमला बुआ ने कहा। ‘हम 30 कमरों में ही मैनेज कर लेंगे। ठीक है। हममें से कुछ लोग फर्श पर सो जाएँगे।’
‘किसी को भी फर्श पर सोने की ज़रूरत नहीं है, बुआ।’ मैंने कहा। ‘आई एम सॉरी कि ऐसे हालात बन रहे हैं। लेकिन अगर हमारे पास 80 रूम्स हैं, तो सीधा हिसाब यही है कि एक रूम में तीन लोग रहेंगे। फिर इतने सारे बच्चे भी आ रहे हैं, तो कोई दिक्कत नहीं होगी।’
‘हम 30 में ही मैनेज कर लेंगे।’ माँ ने कहा।
‘मॉम, तब हमें एक रूम में चार लोगों को एडजस्ट करना होगा, जबकि शर्माज़ के पास इतना सारा स्पेस होगा। उन्हें बता देते हैं।’
‘नहीं, हम ऐसा नहीं कर सकते।’ माँ ने कहा।
‘क्यों?’
‘अरे वो लड़के वाले हैं, तुम्हें क्या इतनी बात समझ नहीं आती?’
मैं अपनी ही शादी में हार का सामना नहीं करना चाहती थी। ख़ासतौर पर उन लोगों के यहाँ पहुँचने के एक घंटे के भीतर ही। लिहाजा मैंने अपने पिता से कहा, ‘डैड, ये कोई बड़ी बात नहीं है। उनकी फैमिली हमारी बात को समझ जाएगी। आखिर हम लोग यहाँ पर पूरे छह दिनों के लिए हैं। हमें बहुत दिक्कत हो जाएगी।’
ज़ाहिर है, डैड ने कुछ नहीं सुना। उनकी पत्नी और उनकी बहन, ये दो औरतें उन्हें रिमोट से चलाती थीं। और ऐसा पहली बार हो रहा था कि वे दोनों किसी बात पर सहमत थीं।
‘बेटा, ये रस्मो-रिवाज़ हैं। तुम अभी नहीं समझतीं। हमें उन लोगों का ख्याल रखना होगा। हमेशा लड़की वालों से ही उम्मीद की जाती है कि वे एडजस्ट करेंगे।’
मैंने और पाँच मिनट तक बहस की, लेकिन जब कोई नतीजा निकलता नज़र नहीं आया तो मैंने हार मान ली। हम एडजस्टमेंट के बारे में बात करने लगे।
‘तुम और अदिति एक कमरे में हो जाना, ’ माँ ने मेरी बहन की ओर इशारा करते हुए कहा।
‘नहीं, उसे अपने हसबैंड के साथ ही रहने दो। जीजू क्या सोचेंगे?’ मैंने कहा।
‘अनिल दूसरे जेंट्स के साथ एडजस्ट कर लेगा, ’ कमला बुआ ने कहा।
अगले बीस मिनटों तक ये दो औरतें 117 लोगों वाली मेहता फैमिली को 30 कमरों में एडजस्ट करने की प्लानिंग बनाती रहीं। उनके मानदंड बहुत अजीबोगरीब थे, जैसे रूम शेयर करने वालों को एक-दूसरे से नफरत नहीं होनी चाहिए (इसके लिए आपस में लड़ाई-फसाद वाले रिश्तेदारों को अलग-अलग ठहराया जाना था), या ऐसे लोगों को साथ नहीं रखा जाना था, जो एक-दूसरे की ओर आकर्षित हो सकते हों (इसके लिए मिक्स्ड जेंडर वालों को अलग रखा जाना था, फिर चाहे वे अस्सी साल से ऊपर के ही क्यों ना हों)। पाँच बच्चों को एक रूम में पैक किया जाना था, अकसर किसी बुज़ुर्ग के साथ। कमला बुआ, जो कि एक विधवा हैं, ने बहुत ही नाटकीय तरीके से कहा कि वे मेरे माता-पिता के कमरे में फर्श पर सो जाएँगी, जिस पर मेरे पिता को मजबूरन कहना पड़ा कि फर्श पर वे सोएँगे, वे उनके बेड पर सो सकती हैं। पुनीत लगातार कहता रहा कि वह रूम्स में एक्स्ट्रा बेड लगवा देगा। लेकिन फर्श पर सोने को तैयार एक पंजाबी बुआ के त्याग के सामने मैरियट होटल का एक्सट्रा बेड क्या चीज़ है!’
‘मैं तो रोटी और अचार खाकर ही अपना गुजारा कर लूँगी, ’ कमला बुआ ने कहा।
‘ये मैरियट है बुआ। यहाँ सभी के लिए काफी खाना है, ’ मैंने कहा।
‘मैं तो बस यूँ ही कह रही थी।’
‘इससे तो अच्छा होगा कि हम री-लोकेशंस पर ध्यान दें। हमें शर्माज़ के आने से पहले ही चेक-इन करना होगा, ’ मैंने कहा।