क्रेजी ज़िंदगी

Post Reply
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: क्रेजी ज़िंदगी

Post by Masoom »

27
दिन की रोशनी में हमें सबकुछ साफ-साफ दिखने लगता है, हमारी गलतियाँ भी। सुबह होने पर मैंने औखें खोलीं। मैं यह समझने की कोशिश कर रही थी कि अभी मैं कहाँ हूँ। मेरा मुँह सूख रहा था और सिर में दर्द था। नील मेरे पास सोया हुआ था।
‘नो वे, ’ मैंने मन-ही-मन बुड़बुडाते हुए कहा। ‘नो वे, सुषमा। नो वे।
मेरे कपड़े पास ही में पडे हुए थे। मैंने उन्हें जितनी जल्दी हो सकता था, पहन लिया। फिर मै उठ खड़ी हुई और सोचने लगी कि क्या मुझे नील को जगाना चाहिए। फिर मैंने सोचा कि ऐसा नहीं करना चाहिए। मैंने ग्लासेस और खाली बोतलें उठाई, जिनकी वजह से पिछली रात का वह हादसा हुआ था, और पैदल चलने लगी। सूरज चढ़ता जा रहा था। मैं नील को फ़ेस नहीं करना चाहती थी। इन फैक्ट, मैं आज के बाद कभी उसे फ़ेस नहीं करना चाहती थी।
अपने रूम में आकर मैं बेड पर लेट गई और छत को ताकने लगी।
‘फ़क’ मैंने ज़ोर से चिल्लाकर कहा। ‘ये तुमने क्या कर डाला, सुषमा?’
मैं बिना हिले डुले वहाँ लेटी रही। मेरे दिमाग में बहुत सारी बातें घूम रही थीं। ये मैंने क्या कर दिया। मैं गोल्डमान साक्स के पार्टनर के साथ सोई। मैं एक ऐसे मर्द के साथ सोई, जो मुझसे बीस साल बड़ा था! मुझे याद आया कि नील मेरे पापा से दस साल ही छोटा था।
सुषमा, तुम यह कैसे कर सकती हो? मिनी-मी अपनी गुफा में से उछलकर बाहर आ चुकी थी और उसने मुझ पर पूरी तरह से काबू कर लिया था।
तुम्हारे साथ कुछ गड़बड़ है। तुम एक ब्लड़ी यूज़लेस लिटिल इडियट हो।
मेरा हैप्पी मूड जाने कहाँ गायब हो गया था। कल तक मैं कितनी खुश थी। मैंने एक बिग डील फाइनल की थी। मेरा प्रमोशन होने वाला था। मैं देबू को भी लगभग पूरी तरह भूल चुकी थी। मैं अपने बारे में अच्छा महसूस कर रही थी। अब वह सब कचरा हो गया! मैं बिस्तर में सिमटी-सी रोने लगी। मिनी-मी मुझ पर हावी होती चली गई।
ही इज़ फ़किगं मैरिड। उसके दो बच्चे हैं। बीवी है। वे सभी हांगकांग में उसका इंतज़ार कर रहे होंगे, जहाँ तुम रहती हो।
यह सच है। और मैं यह सब जानती थी। तो फिर कल रात वह सब करते हुए मैं क्या सोच रही थी? और अगर नहीं सोच रही थी, तो क्यों नहीं सोच रही थी?
लाइफ फिलीपींस का कोई प्राइवेट आइलैंड नहीं है, मिनी-मी ने मुझ पर चिल्लाते हुए कहा। मुझे पता है, पता है मुझे, मैंने मिनी-मी का सामना करने की कोशिश की।
इसी कारण देबू ने तुम्हें छोड़ दिया था। तुम एक स्लटी बिच हो। समथिंग इज़ सीरियसली रॉन्ग विद यू!
मैं सुबक-सुबककर रो रही थी। पता नहीं क्यों, लेकिन मैं रोए चली जा रही थी। मैंने अपनी सीमा लांघ दी थी। लांघना तो क्या, मैंने उस सीमा के ऊपर से कूदकर मीलों लंबी छलांग लगा दी थी!
तुम्हारी ज़िंदगी में एक ही चीज़ अच्छी हो रही थी, तुम्हारा कैरियर। अब तुमने उसके भी बारह बजा दिए है, मिनी - मी कहती रही।
इसी में खासा समय बीत गया। फिर मुझे महसूस हुआ कि मुझे एक घंटे में तैयार होकर सी-प्लेन पकड़ना है। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उसको कैसे फ़ेस करूँगी। मैं इसके लिए तैयार नहीं हो पा रही थी। क्या यह मुमकिन है कि हम अलग-अलग फ्लाइट से जाएँ? या फिर क्या यह हो सकता है कि मैं जाकर समुद्र में डूब मरूँ?
फिर मैं सोचने लगी कि नील कहाँ है। क्या होगा अगर वह अभी तक उठा नहीं हो तो? क्या मुझे उसे कॉल करना चाहिए?
तभी मुझे दरवाज़े पर एक दस्तक सुनाई दी। मैं सिहर गई। मैंने दरवाज़ा खोला, लेकिन वहाँ पर होटल स्टाफ का एक बंदा खड़ा था।
‘मैडम, आपकी जूतियाँ। आप कल रात इन्हें रेस्तरां में भूल आई थीं।’
‘ओह, श्योर। थैंक्स।’ मैंने कहा।
‘मैंने सर के जूते भी लौटा दिए हैं।’
‘बहुत अच्छा किया। क्या वे अपने रूम में थे?’
‘हाँ। और उन्होंने मुझसे कहा कि आपसे कहूँ कि आधे घंटे बाद उनसे सी-प्लेन रिसेप्शन एरिया मे मिलें।’
‘श्योर।’ मैने राहत की साँस लेते हुए कहा। मुझे अभी तो उसे फ़ेस नहीं करना पड़ेगा। मैंने शॉवर लिया और एक चारकोल-ग्रे सूट पहन लिया। वह बहुत फॉर्मल था। जिस जगह पर मैं थी, उसके हिसाब से बहुत मिसफिट था, लेकिन मेरी मनोदशा के हिसाब से वह बिलकुल दुरुस्त था। जैसे कि वह मुझे इस फॉर्मल सूट में देखेगा तो चीज़ें फिर से पहले जैसी हो जाएँगी।
‘हे, गुड मॉर्निग।’ उसने मुस्कराते हुए कहा। मेरी तरह उसने भी सनग्लासेस पहन रखे थे। कम-से-कम इस तरह हम आई कॉन्टैक्ट को तो अवॉइड कर ही सकते थे।
‘हाय।’ मैंने कहा।
‘ऑल सेट? पेंगालूशियन को गुडबाय करने का टाइम आ गया है।’ उसने कैजुअल अंदाज़ में कहा। उसे देखकर लग रहा था मानो कुछ हुआ ही ना हो, जबकि मेरे भीतर उथलपुथल मची हुई थी।
हम प्लेन में बैठे। टेक ऑफ हुआ। इस बार मैंने नीचे दिखाई दे रहे खूबसूरत नज़ारे से आँख चुरा ली। मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। मैं सोच रही थी कि वह इतना शांत और कैजुअल क्यों है। क्या उसके लिए यह सब कोई मायने नहीं रखता?
मैंने उससे विपरीत दिशा में खिड़की से बाहर देखा, लेकिन मेरे दिमाग पर वही छाया हुआ था।
क्या यह उसके लिए एक रेगुलर चीज़ है? क्या वह दूसरी लड़कियों के साथ भी ऐसा करता रहा है? ओह, तो क्या मैं उसके लिए केवल जीतने की एक चीज़ थी?
सी-प्लेन ने लैंड किया। हम बाहर निकले और पलावन एयरपोर्ट तक जाने के लिए एक कार की। उसने मेरी ओर देखा। मैं दूसरी तरफ देखती रही। एयरपोर्ट आया। हमने हांगकांग की अपनी फ्लाइट पकड़ी। पूरे रास्ते हमने लगभग कोई बात नहीं की। मैंने अपना लैपटॉप खोला और यह दिखावा करने लगी मानो मैं कोई काम कर रही हूँ। उसने भी ऐसा ही किया। मैं खुद को मन-ही-मन कोसती रही। कितनी बड़ी बेवकूफ हूँ मैं। वह घर जाएगा, एक और बॉक्स पर टिक करेगा, एक और शिकार की गिनती करेगा और हँसने लगेगा। वह मेरे बारे मे क्या सोचेगा? वह इंडियन एसोसिएट चिक? चेक। बीन देयर, डन डैट, देसी बेब! डैम इट, सुषमा। स्टुपिड, स्टुपिड, स्टुपिड!
हमने हांगकांग में लैंड किया। वहाँ से एयरपोर्ट कार पिक-अप प्वॉइंट पहुँचे। बियान्सा ने हमारे लिए दो कार बुक करा रखी थीं। मैं अपनी कार में बैठने के लिए आगे बड़ी।
‘सुषमा।’ नील ने कहा।
‘हाँ।’
‘मैं जानता हूँ कि अभी शायद तुम्हारे दिमाग में ढेरों बातें होंगी। मेरे साथ भी ऐसा ही है।’
‘कौन-सी बातें? एक्सक्यूज़ मी?’
‘कल रात के बारे में।’
मैंने अपने कंधे उचका दिए : ‘उस बारे में ज़्यादा सोचने का समय नहीं मिला।‘
‘वेल, जबकि मैं दिनभर उसी बारे में सोचता रहा।’
गुड, मिस्टर। तो कम-से-कम तुम्हारे लिए उसके कुछ मायने थे। गो ऑन। मैंने उसकी तरफ देखते हुए मन-ही-मन सोचा।
‘हालाँकि मैं अभी चीज़ों को समझने की कोशिश ही कर रहा हूँ, लेकिन मैं तुमसे यह जरूर कहना चाहता हूँ कि कल की रात मेरे लिए बहुत खास थी। मैंने वैसा इससे पहले कभी महसूस नहीं किया।’
‘ओह।’ मैंने कहा। मैंने इसकी उम्मीद नहीं की थी। ‘ओह, ओके, वेल।’ मैं उसकी तरफ भावहीन चेहरे से देखती रही।
‘हाँ, वह अमेजिंग, वंडरफुल, टचिंग था, और भी बहुत कुछ।’
‘दैट्स इंट्रेस्टिंग।’
‘इंट्रेस्टिंग?’
‘अब मुझे चलना चाहिए। सी यू लेटर।’ मैंने कहा। ड्राइवर ने मेरी कार का दरवाज़ा खोला।
‘श्योर।’ उसने कहा और मुझे वेव किया। उसे मेरी बेरुखी देखकर मायूसी हो रही थी। कार एयरपोर्ट टर्मिनल से बाहर की ओर चल दी। वह देर तक मेरी कार की तरफ ही देखता रहा।
अगर मैं यह दिखावा करूँ कि वो सब कभी हुआ ही नहीं था, तो शायद उसका यह मतलब हो कि वैसा सच में नहीं हुआ था।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: क्रेजी ज़िंदगी

Post by Masoom »

28
दो हफ्ते बाद
‘ओके, इनफ़। जो कुछ हुआ था, हमें उस पर डिस्कस करना होगा।’ नील ने कहा।
‘क्यों?’ मैंने कहा। नील ने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया था। हम एक-दूसरे के सामने बैठे थे।
‘क्योंकि यह ठीक नहीं है। तुम फिलीपींस से लौटने के बाद से ही मुझे अवॉइड कर रही हो।’
मैंने नीचे देखते हुए कहा : ‘इसमें बात करने जैसा क्या है? जो हुआ, वह गलत था।’
‘वेल। बताओ कि गलत क्या होता है?’
‘वह गलत था, नील। और तुम यह जानते हो।’ मैंने ऊपर देखते हुए कहा।
‘ओके, हो सकता है वह थोड़ा गलत हो। लेकिन मुझे वह सही लगा था।’
‘रियली?’
‘बिलकुल। क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगा?’
‘इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। मैं तुम्हारे लिए काम करती हूँ। तुम मैरिड हो। दो बच्चों के पिता हो।’
‘ये तमाम बातें मुझे भी मालूम हैं।’
‘तो फिर यह सब क्यों? उसे एक बार की गलती मानकर भूल जाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं।’
वह बेचैनी के साथ उठ खड़ा हुआ और हार्बर की तरफ खुलने वाली खिड़की की ओर चला गया।
‘लेकिन मैं उसे एक गलती नहीं मानता। आखिर कोई अपनी ज़िंदगी के सबसे स्पेशल एक्सपीरियंस को गलती कैसे बोल सकता है?’
यह आदमी बातें बनाना जानता है, इससे होशियार रहना। मैने मन-ही-मन कहा।
‘तुम इसे जो चाहे कह तो। लेकिन प्वॉइंट यही है कि वह सही नहीं था। और वह सब अब फिर नहीं होगा। कभी नहीं।’
नील अपनी सीट पर लौट आया और मेरे सामने बैठ गया।
‘ओके ओके, काम डाउन। मैं समझ गया।’
‘हमें काम पर फ़ोकस करना चाहिए।’
‘फाइन। वी कूल देन?’
‘यस।’
‘तो अगर मुझे किसी और डील में तुम्हारी मदद लेना पड़ी तो?’
‘ऑफ कोर्स। यू आर द बॉस।’
‘और अगर तुम्हें कहीं मेरे साथ जाना पड़ा तो?’
‘मैं ही क्यों?’
‘ग्रीनवुड कोरिया मे कुछ और डिस्ट्रेस्ड होटल्स खरीदना चाहता है। वे चाहते हैं कि हम कुछ ऑप्शंस पर सोचें। उन्हें तुम्हारा काम पसंद आया है। तो...’
‘जो तुम कहो।’
‘यदि तुम यह नहीं करना चाहो, तो मैं उन्हें कह दूँगा कि तुम अवेलेबल नहीं हो।’
‘तो क्या मैं अपने क्लाइंट्स को खो दूँ?’
‘बिलकुल नहीं। सो, यू आर ऑन। टारगेट कंपनी सिओल में है। हम जल्द ही वहाँ जाएँगे।’

‘मुझे एक सोफा चाहिए। एक टू–सीटर, प्लीज़।’ मैंने कहा।
‘आपको एक सिंपल सोफा चाहिए या सोफा बेड?’ सेल्सपर्सन ने कहा।
मैं वीकेंड पर एक स्वीडिश फर्नीचर स्टोर में आई थी। 20 हज़ार स्क्वेयर फीट का यह आईकेईए स्टोर कॉजवे बे पर मौजूद है।
‘सोफा बेड।’ मैंने कहा। सेल्सपर्सन मुझे संबंधित एरिया में ले गई।
‘क्या आपकी कोई कलर प्रिफरेंस है?’
‘नॉट रियली। वो जो चारकोल ग्रे कलर वाला है, उसके बारे में क्या?’
‘ओह, वह तो हमारा बेस्टसेलर है। कंफर्टेबल और मिनिमलिस्ट।’
मैंने सोफे पर बैठकर देखा।
‘गुड। मुझे यह पसंद है।’
‘हाय!’ किसी ने दूर से मुझे कहा।
मैंने उस तरफ देखा। ‘नील!’
वह सोफा सेक्शन के दूसरे कॉर्नर पर खड़ा था।
‘हाय।’ उसने एक बार फिर कहा। मैं चलकर उसके पास जा चुकी थी। ‘तुम्हें यहाँ देखकर अच्छा लगा। हम यहाँ कुछ ईज़ी चेयर्स लेने आए हैं। हियर, मीट कुसुम। कुसुम, मीट सुषमा, मेरे ऑफिस से।’
कोई चालीस साल की एक इंडियन महिला उसके पास खड़ी थी। तीन साल का एक लड़का उसकी अंगुली थामे हुए था। सात साल की एक लड़की एक सोफे पर बैठी अपने आईफोन से खेल रही थी। और एक छब्बीस साल की लड़की यानी मैं ठीक उसी समय सोच रही थी कि काश धरती फट जाए और मैं उसमें समा जाऊँ।
‘सुषमा, सो नाइस टु मीट यू।’ कुसुम ने अमेरिकन एक्सेंट में कहा और अपना हाथ बड़ा दिया।
‘ओह, ओके।’ मैंने हाथ मिलाते हुए कहा। ‘आई मीन, हाय कुसुम।’
‘दिस इज़ आर्यन। आर्यन, सुषमा दीदी को हाय बोलो।’ नील ने कहा। आर्यन ने अपना छोटा-सा हाथ मेरी ओर बढ़ा दिया। मैंने उससे हाथ मिलाया। मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा।
‘और ये हैं सिया। सिया, से हाय टु दीदी।’ नील ने कहा। सिया ने स्क्रीन से नज़र उठाए बिना मेरा अभिवादन कर दिया।
‘नॉट डन, सिया।’ कुसुम ने सख्त आवाज़ में कहा। ‘क्या इसी तरह से लोगों को विश करते हैं?’
सिया ने फोन एक तरफ रखा और धीरे-धीरे चलते हुए मेरे पास आई।
‘हैलो दीदी, हाऊ आर यू।’ उसने रटे-रटाए तरीके से बोल दिया।
‘आई एम फाइन। थैंक यू।’
‘दैट्‌स बेटर, सिया। मुझे बैड बिहेवियर पसंद नहीं है।’ कुसुम ने कहा।
मुझे लगा सबसे ज़्यादा बैड बिहेवियर तो मैं ही कर रही थी। मैं कुसुम से ऑई कॉन्टैक्ट टालती रही। लेकिन मैंने कनखियों से देखा कि वह दुबली-पतली लेकिन सीधे तनकर खड़ी होने वाली महिला थी।
‘सॉरी, सुषमा। मैं उसे प्रशिक्षित क्षत कर रही हूँ। लेकिन वह तो जैसे अपने फोन की एडिक्ट हो चुकी है।’
‘इट्‌स ओके।’
‘नील ने तुम्हारे बारे में बताया था। तुम हांगकांग में अभी-अभी आई हो ना?’
‘हाँ, छह महीने पहले।’ मैंने कहा। मैं सोचने लगी कि नील ने मेरे बारे में और क्या क्या बताया होगा।
‘हम बहुत दिनों से सोच रहे थे कि टीम को घर पर बुलाएँ। लेकिन अभी तक तारीख ही तय नहीं कर पाए।’ कुसुम ने कहा।
‘कोई बात नहीं।’ मैं कम-से-कम बोलने की कोशिश कर रही थी, ताकि बातचीत जल्द-से-जल्द ख़त्म हो जाए।
‘तुम कहाँ रहती हो?’
‘ओल्ड पीक रोड।’
‘हम रिपल्स बे में रहते हैं। कभी घर आना। तुम्हें घर के इंडियन खाने की याद तो आती होगी ना?’
ओह प्लीज़, प्लीज़, डोंट बी नाइस टु मी, मैं कहना चाहती थी।
‘क्या तुम यहाँ अकेली आई हो?’
हाँ, मैं अकेली ही हूँ। इसीलिए तो एक रात के लिए आपके पतिदेव को उधार ले लिया था।
‘हाँ। संडे था, तो सोचा कि घर के लिए कुछ खरीददारी कर ली जाए।’
‘बाय द वे, तुम्हारी ड्रेस बहुत अच्छी है।’
वह एक भली महिला जान पड़ती थी। उसने मेरी सिंपल-सी ड्रेस की तारीफ की, जबकि वह खुद एक डिजाइनर ड्रेस पहने हुए थी। उसकी अच्छाई के कारण मैं और बुरा महसूस करने लगी थी।
‘यह तो बस यूँ ही है।’ मैंने कहा।
‘और तुम्हारा फिगर भी इसके लिए फिट है।’ उसने कहा। वह भी फिट ही लग रही थी। मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा। वह खूबसूरत थी। गोरा रंग। कुछ उभरी हुई चीकबोन्स। चालीस की उम्र में ऐसी दिखने के लिए मैं कुछ भी कर सकती थी। लेकिन मैंने देखा कि उसकी छातियाँ उभरी हुई नहीं थीं। मेरे बूब्स इससे बेहतर हैं, मैंने मन-ही-मन सोचा।
‘थैंक्स।’ मैंने कहा।
‘तुम्हारा कोई लंच प्लान है? हम बाहर एक फडू कोर्ट में जा रहे थे। फील फ्री टु ज्वॉइन अस।’
मैंने नील की तरफ देखा और मन-ही-मन सोचा कि क्या गोल्डमान साक्स का यह महान पार्टनर मुझे इस मुसीबत से बचा सकता है।
‘यस, ज्वॉइन अस। अगर तुम आओगी तो हमें अच्छा लगेगा। लेकिन अगर तुम्हारा मन ना हो तो रहने दो।’
मैंने घूरकर उसकी ओर देखा।
‘और कुछ नहीं तो सैलेड ही ले लेना।’ कुसुम ने कहा।
‘ओह, ओके।’ मैंने हार मानते हुए कहा।
अब ये क्या है? हम दोनों ये मेल-मिलाप क्यों कर रही थीं? वाइफ और मिस्ट्रेस? फ़क, क्या मैंने अभी-अभी अपने आपको एक मिस्ट्रेस कहकर पुकारा? नहीं, मैं मिस्ट्रेस नहीं हूँ। मैं वाइस प्रेसिडेंट हूँ।

‘मॉम, मुझे नूडल्स के साथ फ्रेंच फ्राईज़ चाहिए।’ सिया ने कहा।
‘नहीं, इसके बजाय तुम्हें कुछ वेजी लेना चाहिए।’ कुसुम ने कहा। सिया ने मुँह बनाया। कुसुम ने उसे घूरकर देखा। सिया चुपचाप खाने लगी। आर्यन घर से लाया खाना खा रहा था। नील ने चिकन रैप बुलवाया, कुसुम ने क्विनोआ सलाद। मैंने फ्राईड राइस चुने, हालाँकि मैं बहुत धीरे-धीरे खा रही थी।
‘तुम्हें हांगकांग पसंद आया?’ कुसुम ने कहा।
‘हाँ। कॉम्पैक्ट। कंविनियंट। गुड।’
‘यहाँ तुमने कुछ दोस्त बनाए?’
‘वेल, ऑफिस में ही ज़्यादातर।’
‘ये गोल्डमान वाले सच में इतना काम कराते हैं कि बाहर की लाइफ के लिए समय ही नहीं बचता।’
‘ये सही नहीं है।’ नील ने कहा। ‘मैं तो समय पर घर लौट जाता हूँ।’
‘तुम पार्टनर हो। इन बेचारे एसोसिएट्‌स और वीपी को तो बहुत सारा काम करना होता है।’
नील ने कंधे उचका दिए।
‘मैं भी जेपी मोर्गन में आठ साल काम कर चुकी हूँ। मुझे सच्चाई मालूम है।’
‘ओह, आप भी बैकिंग में थीं?’ मैंने कहा। नील ने मुझे यह नहीं बताया था। वास्तव में नील ने मुझे कुसुम के बारे में कुछ भी नहीं बताया था।
‘हाँ, मैं इक्विटी सेल्स में थी। लेकिन मैं थक गई थी। हालाँकि इन दोनों बच्चों की देखभाल में मैं आज पहले से भी ज़्यादा बिज़ी रहती हूँ। तब कभी-कभी खयाल आता है कि काश मैं ऑफिस में कुछ वक्त बिताने जा पाती।’
‘हम ऑफिस में वक्त बिताने नहीं काम करने जाते हैं।’ नील ने कहा।’
‘हाँ, जो भी हो। तुम्हें कम-से-कम वीकेंड्‌स तो मिल जाते है। एक माँ को वे भी नहीं मिलते। काम कभी खत्म ही नहीं होता। ओह, याद आया, मुझे एक कॉल लगाना था..’ कुसुम ने अपना लुई विटन हैंडबैग खोला।’
‘सिया, मेरा फोन कहाँ है?’
‘मॉमी, आपके मना करने के बाद मैंने उसे वहीं रख दिया था।’
‘ओह नो, मैं उसे आईकेईए में भूल आई हूँ, सोफे पर। मैं दो मिनट में आई।’
‘मैं भी साथ चलूँ?’ नील ने कहा।
‘कैसे? बच्चे यहाँ हैं, वे खाना खा रहे हैं। तुम यहीं रहो। मैं दस मिनट में आई।’
कुसुम चली गई। पीछे रह गए हम, मैं नील और उनके बच्चे। वह मेरी ज़िंदगी का सबसे असहज कर देने वाला खाना था। मैं नील से बात तक नहीं कर पा रही थी। आखिरकार सिया समझ सकती थी।
‘वेजिटेबल्स भी खाओ, सिया।’ नील ने कहा।
लेकिन सिया ने उसकी बात नहीं मानी। तब नील खुद उसकी तरफ गया और उसे चम्मच से खिलाने लगा। मैं चुपचाप अपना राइस खाती रही। आर्यन पास्ता खा रहा था और उसने अपने पूरे चेहरे पर रेड सॉस लगा लिया था। नील सिया को खिला रहा था और चाहकर भी उसे साफ नहीं कर सकता था।
‘डू यू माइंड?’ नील ने कहा। मैं उसका इशारा समझ गई और एक टिशू से उसका चेहरा पोंछ दिया।
‘धीरे-धीरे खाओ, आर्यन। ओके?’ मैंने कहा।
‘आप मुझे खिलाएँगी?’ उसने कहा।
‘क्या?’
‘आप मुझे खाना खिलाएँगी?’
नील मुस्करा दिया। इसमें मुस्कराने वाली कौन-सी बात है, मैंने सोचा। आर्यन मेरी गोदर में कूद गया और मुझे अपना फोर्क थमा दिया। मैं एक हाथ से उसे खिलाती रही और दूसरे से उसका मुँह पोंछती रही।
‘मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम लोग मिल जाओगे।’
‘वेल, मुझे भी कहाँ खयाल था।’
सिया ने हम दोनों की तरफ देखा। हम समझ गए कि अब आगे बात नहीं करनी है।
‘आप भी डैडी के ऑफिस जाती हो?’ सिया ने पूछा।
‘हाँ। और तुम कौन-सी क्लास में हो?’
‘ग्रेड थ्री।’
‘तुम्हारा फेवरेट सब्जेक्ट क्या है?’
‘मैथ।’
‘सुषमा दीदी मैथ्स में बहुत अच्छी हैं।’ नील ने मेरी तरफ देख मुस्कराते हुए कहा।
‘क्या आप बहुत स्मार्ट हैं?’
‘कुछ-कुछ।’
आर्यन को लगा कि अब उस पर कम ध्यान दिया जा रहा है, तो वह उठने लगा।
‘नहीं, तुम अपना लंच फिनिश करो, आर्यन।’ मैंने कहा। जाने कैसे आज मैंने अपने आपको नील के बच्चों को खाना खिलाते हुए पाया था। यह थोड़ा अजीब जरूर था, फिर भी नील को उसके बच्चों की केयर करते हुए देखकर वह मुझे और रीयल लगने लगा। पता नहीं, नील मुझे आर्यन को खाना खिलाते देखकर क्या सोच रहा होगा।
‘मिल गया।’ कुसुम ने भीतर आते हुए कहा। उसने मुझे आर्यन के साथ देखा।
‘ओह माय गॉड! आई एम सो सॉरी। आर्यन, तुम अपने आप से भी खाना खा सकते थे।’
कुसुम ने फोर्क के लिए हाथ बढ़ाया। मैंने उसे दे दिया। वह अपना हक मुझसे वापस ले रही थी। वह अपनी फैमिली मुझसे वापस ले रही थी। आर्यन अपनी माँ के पास चला गया। मेरी गोद खाली हो गई। तब मुझे लगा कि मुझे भी यह सब चाहिए। अपना परिवार और अपने बच्चे।
‘दीदी को थैंक यू बोलो।’ कुसुम ने कहा।
लेकिन आर्यन ने आगे बढ़कर मुझे गाल पर चूम लिया। मैं भी उसे बदले में प्यार करना चाहती थी, लेकिन किया नहीं। आख़िर ऐसा कैसे मुमकिन था? वह किसी और की फैमिली थी।
‘अब मुझे चलना चाहिए।’ मैंने कहा।
‘ओह, लेकिन तुमने तो ठीक से लंच भी नहीं किया।’ कुसुम ने कहा।
‘नहीं, मैंने काफी खा लिया। आपका बहुत शुक्रिया।’
‘रियली? लेकिन हमने तो ठीक से बात भी नहीं की?’
‘आई एम श्योर कि हम जल्द ही मिलेंगे।’
‘ऑफ कोर्स।’ नील ने बीच में दखल देते हुए कहा।
‘बाय, सिया। बाय, आर्यन।’ मैंने कहा और फूड कोर्ट से बाहर निकल गई।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: क्रेजी ज़िंदगी

Post by Masoom »

29
‘आज नहीं, मॉम, प्लीज़। ये शादी का राग किसी और दिन छेड़ना।’ मैंने कहा।
‘क्यों? आज संडे है। एक यही तो दिन होता है, जब तुम रिलैक्स होती हो और ठीक से बात कर पाती हो।’
‘लेकिन आज मैं रिलैक्स नहीं हूँ।’ मैंने लैपटॉप खोला और फ़ेसबुक में लॉग इन कर लिया।
‘तुम काम कर रही हो?’
‘नहीं।’
‘तो? घर पर ही हो ना? तुमने वो सोफा बेड ले लिया?’
‘नहीं। मैं गई थी आज दोपहर उसे लेने के लिए। एक पसंद भी कर लिया था। लेकिन खरीदने का मौका ही नहीं मिला।’
‘क्यों?’
‘रहने दो, मॉम। मैंने कहा ना, आज का दिन ठीक नहीं है।’
‘लेकिन अगर तुम्हारे पास सोफा बेड नहीं होगा तो हम वहाँ कैसे आएँगे?’
‘मैं ले लूंगी।’
‘तुम इतनी इरिटेटेड क्यों हो?’
‘क्योंकि मुझे मालूम है आप क्या कहने जा रही है।’
‘क्या?’
‘अपनी प्रोफाइल रजिस्टर करो। कुछ लड़कों की तलाश करो। मॉम, आप शादी को लेकर इतनी चिंतित क्यों है?’
मैंने फ़ेसबुक पर देबू को सर्च किया। उसने अपनी प्रोफाइल प्राइवेट रखी थी। जाने क्यों मैं उसकी प्रोफाइल पिक्चर देखना चाहती थी। शायद वह फिर से सिंगल था।
‘अच्छा सुनो, एक प्रपोज़ल आया है।’
‘देखा, मैंने कहा था ना?’
‘इस फैमिली की दिल्ली के बीचोबीच छह केमिस्ट शॉप्स है। एक तो एम्स के सामने ही है। तुम्हें पता है वे कितना बिज़नेस करती है?’
‘मॉम, आप चाहती है कि मेरा हसबैंड दवाइयों की दुकान में बैठने वाला हो?’
‘वह यह सारा बिज़नेस मैनेज करता है, दुकान में बैठकर क्रोसिन नहीं बेचता है।’
‘उसकी क्वालिफिकेशन क्या है’
‘उसने बी-फार्मा किया है और कॉरसपोंडेस से एमबीए करने की सोच रहा है।’
‘कॉरसपोंडेस?’
‘आजकल तो ऑनलाइन भी किया जा सकता है।’
‘मॉम, बाय।’
‘बंगाली बाज़ार में उनकी एक कोठी है। लड़के के अपने फ्लोर पर चार बेडरूम हैं।’
‘आई डोंट केयर। मैं किसी रीयल एस्टेट की तलाश नहीं कर रही हूँ।’
‘उससे एक बार बात तो करके देखो।’
‘क्यों, मॉम? मैं विदेश में काम कर रही हूँ। इसे छोड़कर मैं इंडिया क्यों आना चाहूँगी?’
‘तो तुम्हें एनआरआई लड़का चाहिए?’
‘मुझे कुछ नहीं चाहिए। प्लीज़, लीव मी अलोन।’
‘तुम्हें हुआ क्या है?’
‘मुझे जाना है, बाय।’
मैंने फोन रख दिया। मेरे सामने फ़ेसबुक पेज खुला था। अविनाश अब भी देबू की लिस्ट में था। मैंने उसे फोन लगाया।
‘हे, सुषमा। कितना समय हो गया!’ उसने कहा।
‘हाँ, और क्या चल रहा है?’
‘अभी तो उठा ही हूँ। यहाँ पर संडे की सुबह है। हांगकांग में काम कैसा चल रहा है?’
‘सब ठीक है। हे अविनाश! क्या मैं तुम मेरा एक फ़ेवर करोगे?’
‘श्योर।’
‘प्रॉमिस कि तुम मुझे जज नहीं करोगे या किसी को बताओगे नहीं।’
‘श्योर।’
‘मैं फ़ेसबुक पर देबू की प्रोफाइल चेक करना चाहती हूँ।’
‘रियली?’
‘देखो, तुम मुझे जज करने लगे।’
‘नो, नो। वेट। मैं तुम्हें जज नहीं कर रहा हूँ। लेकिन तुम मुझसे क्या चाहती हो?’
‘मैं तुम्हें फ़ेसटाइम करूँगी। तुम अपना फ़ोन कैमरा कंप्यूटर स्क्रीन की ओर लेकर जाओ और देबू की प्रोफाइल लोड करो।’
वह हँस दिया। ‘यह तो बहुत इनोवेटिव है।’
‘बहुत दु:साहसी भी है।’
‘हे, दैट्‌स फाइन। मुझे फ़ेसटाइम करो।’
मैंने उसे एक वीडियो कॉल दिया।
‘हियर वी गो, देबाशीष सेन, ’ अविनाश ने कहा। मैं उसकी कंप्यूटर स्क्रीन को अपने फोन पर देख सकती थी। उसने देबू की प्रोफाइल पिक्चर पर ज़ूम-इन किया। वह सेंट्रल पार्क में लाल बालों वाली एक लड़की के साथ खड़ा मुस्करा रहा था। मेरा दिल बैठ गया। वह मेरे बाद दो और रिलेशनशिप में रह चुका था। और मैं अपने बॉस के साथ सोने के बाद उसके बच्चों को खाना खिला रही थी।
‘उसकी आखिरी पोस्ट एक कलीग की बर्थडे पार्टी पर थी। तुम उस तस्वीर को देखना चाहोगी?’
‘यस, श्योर।’
देबू एक रेस्तरां की टेबल पर कोरोना बीयर की बॉटल लिए बैठा था। वह लड़की उसके बगल में बैठी हुई थी। वे दोनों खुश नज़र आ रहे थे। उनकी टेबल पर रखी शराब भी खुश लग रही थी। एक मैं ही खुश नहीं थी।
‘तुम और देखना चाहोगी?’ अविनाश ने कहा।
‘थैंक्स, अविनाश। दैट्‌स इनफ।’
मैंने कॉल खत्म किया और अपने बेड पर जाकर बैठ गई। आधी रात हो रही थी। मैंने अपने रात के कपड़े पहन लिए। अपनी ड्रेस को लॉन्ड्री बैग में रखते समय मेरी नज़र मेरी आस्तीन पर रेड पास्ता सॉस के एक दाग पर गई। अचानक मुझे बहुत अकेलापन महसूस होने लगा। नील घर पर बच्चों के साथ खेल रहा होगा। कुसुम नील को प्यार कर रही होगी। लेकिन मैं यह सब क्यो सोच रही थी?
मेरा फोन घनघनाया। नील का वॉट्‌सएप मैसेज था : ‘आज के लिए सॉरी। होप तुम अभी तक उससे रिकवर कर चुकी होगी।’
ओके, तो वह अभी अपनी बीवी के साथ बिस्तर में नहीं था। इसके बजाय वह मुझे मैसेज लिख रहा था।
‘यह तुम्हारी गलती नहीं थी।’
‘लेकिन अजीब बात है कि मुझे अच्छा लगा तुम मेरे बच्चों से मिली।’
‘रियली?’
‘हाँ। वे मेरी ज़िंदगी का बहुत अहम हिस्सा है। आज उन्हें तुमसे शेयर करना अच्छा लगा।’
‘दैट्‌स स्वीट ऑफ यू टु से। तुम्हारे बच्चे बहुत प्यारे हैं।’
‘थैंक्स। और उन्होंने तुम्हें पसंद किया। आर्यन तो बार–बार तुम्हारा नाम ले रहा है।’
मैंने एक स्माइली बनाकर भेज दी।
‘आजकल तुम मुझसे बात भी नहीं करती हो।’
‘व्हाट्स द प्वॉइंट?’
‘हम बात करेंगे, तभी तो पता चलेगा कि बात करने का प्वॉइंट क्या है।’
‘इट्‌स फाइन। कहने को कुछ है भी नहीं। गलतियाँ हो जाती हैं।’
‘उसे बार-बार गलती मत कहो, प्लीज़।’
‘फाइन।’
‘क्या हम एक-दूसरे को अवॉइड करने के बजाय बैठकर बात कर सकते हैं’
‘पता नहीं। नील, अभी मेरा मूड ठीक नहीं है।’
‘क्या मैं तुम्हारी ज़िंदगी का थोड़ा-सा हिस्सा साझा कर सकता हूँ?’
‘हम बाद में बात करेंगे।’
‘हम अगले हफ्ते सिओल जा रहे हैं। क्या वहाँ हम बात कर सकते हैं?’
‘श्योर।’
‘थैंक यू। बस मुझे अवॉइड मत करो।’
‘मैं तो वीकेंड्स पर भी तुमसे कहीं-न-कहीं टकरा जाती हूँ तो अवॉइड कैसे करूँगी?’
‘यू आर फनी। एनीवे, गुड नाइट।’
‘गुड नाइट। बाय द वे, कुसुम बहुत स्वीट है।’
‘थैंक्स। उसे भी तुम अच्छी लगीं।’
‘क्योंकि वो अभी मुझे जानती नहीं है।’
‘ऐसा मत कहो।’
मैंने स्माइली बनाकर भेज दी।
‘कुसम अच्छी है। मैं यह कभी नहीं कहूँगा कि वो बुरी है, लेकिन हम दोनों के बीच कोई कनेक्शन नहीं है। जितना तुम्हारे और मेरे बीच में है, उसका दसवां हिस्सा भी नहीं। एक्चुअली, बिलकुल भी नहीं।’
मैंने मैसेज पढ़ लिया, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया।
‘क्या?’ उसने दूसरा मैसेज भेजा।
‘तुम मुझसे क्या सुनना चाहते हो? यह कि जाकर किसी काउंसलर से मिलो? अपनी शादीशुदा ज़िंदगी को बेहतर बनाओ? क्या?’
‘कुछ नहीं। मैं तुम्हें अपनी तरफ से फ़ैक्ट्स बता रहा हूँ। मैं बस यही चाहता हूँ कि तुम भी अपनी कुछ फ़ीलिंग्स को एडमिट करो।’
‘क्यों? तुम मेरी फ़ीलिंग्स क्यों जानना चाहते हो?’
‘क्योंकि भले ही यह पूरी तरह से गलत हो, लेकिन सच्चाई यही है कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ। गुड नाइट।’ नील ने जवाब दिया।

सिओल में हमने बात नहीं की। हमने सेक्स किया। क्रेज़ी, क्रेज़ी सेक्स। और ऐसा ही हमने दूसरी बिज़नेस ट्रिप्स पर भी किया। हर बार हमारी नजदीकियाँ बढ़ती चली गईं। यह गलत तो था, लेकिन यह मेरे अकेलेपन को दूर कर देता था। मैं नील को अपनी ज़िंदगी में चाहती थी। मैं चाहती थी कि कोई मुझे स्पेशल फ़ील कराए और मुझसे प्यार करे। शायद मैंने भी उसे कुछ दिया था। शायद मेरे साथ वह भी अपने को और ज़िंदा और जवान महसूस करता था।
लेकिन जैसे-जैसे हमारी बिज़नेस ट्रिप्स बढ़ती गईं, हमारी गिल्ट ट्रिप्स भी बढ़ती गईं। उसने कहा कि वह और कुसुम बहुत सारी बातों पर असहमत थे, बच्चों की परवरिश से लेकर उसके काम तक। लेकिन मैंने उसे वैसा ही स्वीकार किया था, जैसा कि वह था। उसके साथ बिताई गई हर रात के बाद मैं उसके और करीब आती चली गई। लेकिन इसके बावजूद मैंने उसे कभी ‘आई लव यू’ नहीं कहा, जबकि वह हर बार मुझसे मिलने पर यही कहता।
ग्रीनवुड कोरिया में और डिस्ट्रेस्ड होटल्स खोजना चाहता था और हमें इससे कोई ऐतराज़ नहीं था। क्योंकि इसका मतलब था सिओल की ज़्यादा-से-ज़्यादा यात्राएँ और नील के साथ बिताई जाने वाली ज़्यादा-से-ज़्यादा रातें!
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: क्रेजी ज़िंदगी

Post by Masoom »

30
तीन महीने बाद
‘कौन है?’ मैंने कहा। मेरे घर की डोरबेल बजी थी और मैं नाइटक्लॉथ्स में ही दरवाज़े पर चली गई थी। मैं हांगकांग में अपने घर में फिल्मफेयर अवार्ड्स देख रही थी, जिसमें फिल्म ‘क्वीन’ एक के बाद दूसरे पुरस्कार जीते चली जा रही थी। डोरबेल फिर बजी।
मैंने दरवाज़ा खोला।
‘नील?’ मैंने कहा। रात के 11 बज रहे थे।
‘सॉरी, मैं तुम्हें डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था।’
नील और मेरे बीच कुछ अनस्पोकन रूल्स थे। वह कभी मेरे अपार्टमेंट में नहीं आया था। और ना ही मैं कभी उसके घर गई थी। हम हांगकांग में भी कहीं साथ नहीं गए थे। इस शहर से दूर बिज़नेस ट्रिप्स में कायम होने वाली नज़दीकियाँ कम बुरी मालूम होती थीं।
‘क्या बात है?’
‘क्या मैं आज रात यहाँ रुक सकता हूँ?’
‘क्यों? हमने ऐसा पहले कभी नहीं किया।’
‘मेरी कुसुम से लड़ाई हुई है।’
‘कुछ खास?’
‘बात कुछ ज़्यादा ही बिगड़ गई। मैंने उसे कह दिया कि मैं एक बिज़नेस ट्रिप पर जा रहा हूँ और वहाँ से चला आया। मैंने सोचा था कि किसी होटल में रुक जाऊँगा, लेकिन...’ उसने कहा और मेरी ओर देखा।
लेकिन क्या? तुमने सोचा कि होटल में पैसे देकर अकेले क्यो रहा जाए, जब यहाँ मुफ्त में घर और सेक्स दोनों मिल रहा है? मैंने मन-ही-मन सोचा।
‘यस, ऑफ कोर्स। तुम यहाँ रह सकते हो। कम इन।’ मैने कहा।
‘थैंक्स।’
‘हंग्री?’
उसने सिर हिला दिया। उसने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और चूमने लगा। लेकिन मैंने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया।
‘मैं तुम्हारे लिए क्या हूँ, नील? एक स्ट्रेस बॉल? कि जब तुम तनाव में होओ तो आओ और मेरे साथ खेलकर मन बहला लो?’
‘नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है, सुषमा।’ उसने शॉक्ड आवाज़ में कहा।
‘तो फिर तुम यहाँ पर क्यों आए हो? क्या हमने यह तय नहीं किया था कि हम हांगकांग में कुछ नहीं करेंगे?’
‘क्या हमने ऐसा कुछ तय किया था? आई मीन, इससे फ़र्क ही क्या पड़ता है?’
‘मुझे फ़र्क पड़ता है। बिज़नेस ट्रिप्स पर मैं खुद को कम गलत महसूस करती हूँ। लेकिन यहाँ पर..’
‘क्या?’
‘यहाँ मुझे मालूम नहीं हो सकता कि तुम कब आ जाओगे और कब नहीं। आज तुम्हारा अपनी बीवी से झगड़ा हुआ तो तुम यहाँ आ गए। कल वो तुम्हारे लिए कुकीज़ बनाएगी तो फिर तुम वापस लौट जाओगे। तुम दोनों के बीच मैं क्या हुई? मिस स्टैंडबाय?’
‘मैं बस वहाँ से दूर चला जाना चाहता था, खुली हवा में। मैंने सोचा कि तुमसे बेहतर मैं और किसके पास आ सकता हूँ। आई एम सॉरी अगर...’
‘इट्‌स फाइन टुनाइट। लेकिन मैं हांगकांग के बाहर ही प्रिफर करती हूँ। उससे मेरा दिमाग ठिकाने रहता है।’
‘आर यू ओके, सुषमा?’
‘लेट्‌स गो टु बेड।’

हम बिस्तर में लेटे थे। मैंने बत्तियाँ बुझा दी थीं। उसने अपना एक हाथ मुझ पर रख दिया। मैंने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया।
‘मैं जानता हूँ तुम क्या सोच रही हो।’
‘क्या?’
‘कि यह एक बूटी कॉल है।’
‘शायद हाँ। शायद इसीलिए तुम यहाँ हो।’
‘मैं बस तुम्हारे साथ होना चाहता हूँ। चलो आज रात कुछ नहीं करते तुम बस मेरे पास रहो।’
‘रियली?’
‘हाँ, क्यों?’
‘तुम एक मर्द हो। हमारा अफेयर चल रहा है। यदि हम सेक्स नहीं करें तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होगी?’
‘बिलकुल नहीं होगी।’
‘यदि तुम चाहो तो हम कर सकते हैं।’
‘नहीं, आज नहीं। आज मैं केवल तुम्हारे पास होना चाहता हूँ। गुड नाइट, आई लव यू।’
‘गुड नाइट।’ मैंने माइल्ड शॉक के साथ कहा।
वह मेरी बाँहों में सो गया। वह मुझसे बीस साल बड़ा था, इसके बावजूद मुझे ऐसा लगा कि कोई बच्चा मेरे पास सो रहा है। शायद वह मेरी केयर करता था। शायद हम जो कर रहे हों, वह गलत हो, लेकिन उसमें से कुछ अच्छा निकलकर सामने आ जाए।
‘आई लव यू, नील गुप्ता।’ मैंने उसके कानों में फुसफुसाते हुए कहा।
‘मैंने सुन लिया।’
‘यू आर सो बैड।’ मैंने उसके कंधों पर मुक्का मारते हुए कहा। वह आँखें बंद किए हुए ही हँस दिया।

‘जोश तुम्हारा सीनियर है। ऐसे में यही ठीक होगा कि वह बोनस डे पर तुम्हें तुम्हारे नंबर्स बताए।’ नील ने कहा।
जोश नील के ऑफिस में बैठा था। मैं उसके पास एक सीट पर बैठी थी।
’श्योर।’ मैंने कहा। नील और मैं काम के दौरान बहुत प्रोफेशनल थे।
जोश ने मुझे मेरे परफॉर्मेस रिव्यू की एक समरी दी। मेरे साथियों ने मुझे साढ़े चार की रेटिंग दी थी।
‘ये तो बहुत अच्छी रेटिंग है।’ नील ने कहा। मैं सोच रही थी कि नील ने मुझे कितनी रेटिंग दी होगी।
‘थैंक्स।’ मैंने कहा।
‘और बाँटमलाइन यह है कि इस साल के लिए तुम्हारा बोनस है साढ़े तीन लाख डॉलर्स!’
मेरे दिल की धड़कने जैसे रुक-सी गई।
‘वॉव।’
जोश मुस्करा दिया।
‘इससे तो यही पता चलता है कि तुम्हें यह सुनकर अच्छा लगा है।’
‘थैंक्स।’ मैंने कहा। मेरी टोटल बेस सैलरी और बोनस मिलाकर आधा मिलियन डॉलर तक आ गए थे।
‘यू डिज़र्व इट! तुम्हारी डील्स कंपनी के लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित हुई हैं।’ नील ने कहा और मुस्करा दिया।
मैं अपनी डेस्क पर लौट आई और मॉम को फोन लगाया। नंबर सुनकर उनका सिर चकरा गया, खासतौर पर तब, जब मैंने रुपयों में उसे कन्वर्ट करके बताया। पापा भी झटका खा गए।
‘हाँ-हाँ, ये सब लीगल ही है, डैड। आप क्या बात कर रहे हैं? गोल्डमान साक्स एक रेपुटेड फर्म है।’
‘लेकिन तीन करोड़ रुपए सालाना आमदनी!’
‘ये आपकी लिटिल गर्ल का कारनामा है।’
वे हँस दिए।
‘आप लोग गुडगाँव मे नए घर में रहने जाना चाहेंगे? स्विमिंग पूल और जिम वाले अपार्टमेंट्‌स?’
‘नो बेटा, हम यहीं ठीक हैं।’
‘अगर आपको कोई चीज़ चाहिए, कोई भी चीज़, तो बस मुझे बता दीजिए।’
‘बस तुम जल्दी हमसे मिलने यहाँ आ जाओ।’
‘मैं आऊँगी। लव यू।’
शाम छह बजे जोश अपना काम खत्म करके चला गया। मैंने नील के दरवाज़े पर दस्तक दी।
‘हे, अंदर आ जाओ।’ उसने कहा।
मैं उसके सामने जाकर बैठ गई।
‘तुम्हें जितना बोनस मिला, उससे खुश हो ना?’
‘हाँ, मैं बस एक चीज़ को लेकर श्योर होना चाहती थी।’
‘क्या?’
‘इसमें से कितना बोनस मेरे काम के लिए है और कितना हमारे बीच जो चल रहा है उसके लिए?’
‘आर यू किडिंग मी, सुषमा? यह सब तुम्हारे अच्छे काम के कारण है। तुम तो जानती ही हो तुम्हारी डील्स पर कितना प्रॉफिट हुआ है।’
‘हाँ, फिर भी मैं श्योर होना चाहती थी।’
‘आई डोंट बिलीव इट।’ उसने सिर हिलाते हुए कहा।
‘क्या?’
‘तुम्हें यह बोनस इसलिए दिया गया, क्योंकि तुम्हारा काम अच्छा था। एक्चुअली, तुम इससे भी ज़्यादा की हकदार थीं। लेकिन फर्स्ट-ईयर वीपी को कितना पैसा दिया जा सकता है, इसको लेकर लिमिटेशंस हैं। मैं न्यूयॉर्क में बात करके इस लिमिट को बढ़ना सकता था।’
‘प्लीज़, ऐसा कुछ मत करना।’
‘वेल, मैंने ऐसा किया तो नहीं, लेकिन तुम जो कह रही हो, वह मुझे हर्ट कर रहा है। तुम्हारा प्यार पाने के लिए मुझे तुम्हें ज़्यादा सैलरी देने की ज़रूरत नहीं है।’
‘ओके। थैंक्स देन।’
‘इस तरह की बातें सोचना बंद कर दो। मैं शादी के एक रिश्ते में फँसा हुआ हूँ, लेकिन काश कि चीज़ें दूसरी तरह से होतीं। मै तुम्हें प्यार करता हूँ, इसीलिए मैं तुम्हारे साथ हूँ। मुझे तुम पर गर्व है। तुम यह सब डिज़र्व करती हो।’
‘आई एम सॉरी।’
‘इट्स फाइन।’
‘और तुम्हारा बोनस कैसा रहा?’
‘वो मैं तुम्हें नहीं बता सकता।’ उसने मुस्कराते हुए कहा।
‘आप और भी बहुत कुछ चीज़ें नहीं कर सकते थे, मिस्टर, फिर भी आपने कीं।’
‘तीन।’
‘तीन क्या?’
‘तीन मिलियन डॉलर्स! ’
‘तीस लाख डॉलर्स! ‘मेरा सिर चकरा गया।
‘इसीलिए मैं तुम्हें नहीं बता रहा था, क्योंकि सुनने में यह बहुत ज़्यादा लगता है।’
‘यह बहुत ज़्यादा है ही! यू मीन, तुम्हें बोनस में तीन फ़किंग मिलियन डॉलर्स मिले!!’
जीवन में कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आपको साढ़े तीन लाख डॉलर का बोनस मिले और थोड़ी देर बाद ही वह बहुत कम मालूम होने लगे।
‘मैंने कहा था ना कि तुम और भी डिज़र्व करती हो। थोड़े और बड़े सपने देखो, गर्ल!’ नील ने आँख मारते हुए कहा।

‘तुमने इतना पैसा कमा लिया। तुम वाइस प्रेसिडेंट बन गई। तुम्हें अपने कैरियर में और क्या हासिल करना है?’
‘मॉम, बात केवल कैरियर की नहीं है। मैं अभी तैयार नहीं हूँ।’
मैंने अपने पैरेंट्‌स को सरप्राइज़ कर दिया था। चाइनीज़ न्यू ईयर पर हांगकांग में चार दिनों का वीकेंड था और मैं इंडिया आ गई थी। अदिति दीदी भी तब अपने ससुराल से आई हुई थीं। हम सभी इंडिया गेट घूमने गए। वहीं पर मॉम ने हमेशा की तरह अपना प्रिय विषय छेड़ दिया।
‘तुम तो कभी भी पूरी तरह से तैयार नहीं होओगी। तुम कुछ ज़्यादा ही कामयाब हो गई हो और तुम्हारे लिए एक उपयुक्त लड़का ढूँढना पहले ही बहुत कठिन हो गया है।’
‘यह क्या चीज़ होती है : कुछ ज़्यादा ही कामयाब?’
‘यह लड़कियों के लिए होती है। क्या किया जाए?’
‘मॉम, आप फिर वह सब शुरू मत कीजिए, मैं यहाँ केवल चार दिनों लिए आई हूँ।’
‘क्या फायदा? कुछ लोगों से बात करके तो देखो।’
‘नहीं मॉम, मैं अभी नहीं चाहती।’
‘तुम्हारी ज़िंदगी में कोई है?’
हाँ, मेरी ज़िंदगी में कोई है और वह तुमसे केवल पाँच साल ही छोटा है, मॉम। मैंने मन-ही-मन कहा।
‘नहीं तो।’
‘नहीं तो का मतलब?’
‘नहीं तो का मतलब नहीं।’
‘तो तुम्हें अपनी जीवन में किसी पुरुष की ज़रूरत नहीं है, जो कि हर औरत को होती है।’
‘मुझे तो नहीं लगता।’
‘उम्र भी कोई चीज़ होती है बेटा। उस उम्र के बाद फिर अच्छे मैच नहीं मिलते। तुम पहले ही छब्बीस की हो गई हो।’
‘मैं क्या कार मॉडल हूँ, जिसकी कीमत वक्त के साथ घटती जाएगी?’
‘तुमसे तो बात करना ही बेकार है।’
मॉम अगले आधे घटे तक मुँह फुलाए रहीं यानी आधे घंटे की शांति।
आख़िरकार मैंने कहा : ‘आप चाहती क्या हैं, मॉम?’
‘तुम कहती हो कि तुम तैयार नहीं हो। लेकिन मुझे एक टाइम-प्रेम तो दो।’
‘पता नहीं। तीन साल, या शायद चार।’
‘तब तक तुम तीस की हो जाओगी। तब तुम्हारे लिए अच्छा लड़का कैसे मिलेगा?’
‘तब तक मैं और कामयाब बैंकर भी बन जाऊँगी।’
‘उसी बात का तो डर है।’
मैंने नज़रें तरेरकर उन्हें देखा। ‘तब तक मेरे पास खूब पैसा होगा। उसी की मदद से अपने लिए एक हसबैंड भी ढुँढ लूंगी और अपनी नई ज़िंदगी भी शुरू कर लूंगी।’
‘मैं केवल एक साल इंतजार करूँगी। उसके बार तुम्हे मुझे को-ऑपरेट करना होगा।’
‘केवल एक साल?’
‘लड़का ढूँढना शुरू करने के बाद एक अच्छा लड़का खोजने में ही एक साल लग जाएगा। उसके बाद एक साल शादी में चला जाएगा, क्योंकि एनआरआई लोगों के साथ टाइम की अपनी दिक्कतें होती हैं। यह पूरा तीन साल का प्रोसेस है। तब तक तुम 29 की हो जाओगी। ऑलरेडी लेट।’
‘ठीक है, एक साल। लेकिन अब मुझ पर ज़ोर मत देना। मेरे लिए कोई ऐसा लड़का ढूँढना, जो सेंसिबल हो। जिसमें क्लास हो।’
‘मैं कौन-सा तुम्हारे लिए कोई झुग्गी-झोपड़ी वाला ढूँढने जा रही हूँ। मैं भी कोई जेंटलमैन ही ढूँढूँगी।’ जेंटलमैन शब्द सुनते ही मै मन-ही-मन मुस्करा दी और मुझे नील का खयाल आया। वह सही मायनों मे एक जेंटलमैन ही था, मेरे साथ उसका जो अफेयर चल रहा था, उसको अगर हटा दें तो।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: क्रेजी ज़िंदगी

Post by Masoom »

(^%$^-1rs((7)
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Post Reply