क्रेजी ज़िंदगी

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Masoom
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Re: क्रेजी ज़िंदगी

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31
ड्रैगन-1, रेस्तरां, सेंट्रल हांगकांग
नील और मैं पॉश ड्रैगन-1 रेस्तरां में चीनी डंपलिंग्स डिमसम खाने आए थे। मैं अपनी चॉपस्टिक की मदद से स्पिनच डंपलिंग्स खाने की कोशिश कर रही थी।
‘तो, मॉम ने मुझे एक साल की मोहलत दी है।’
‘तो तुम शादी करने जा रही हो? फिर हमारा क्या होगा?’
‘नील, मेरी ज़िंदगी का क्या होगा? डू यू केयर?’ मैंने सख़्त लहज़े में कहा। हमारी आँखें मिलीं।
‘ऑफ कोर्स, आई केयर। लेकिन ‘मैं’ के बजाय ‘हम’ ज़्यादा इंपोर्टेट नहीं है?’
‘कोई फ्यूचर होगा, तभी तो हम होंगे। हमारा कोई फ्यूचर नहीं है।’
‘पता नहीं। हमने कभी डिस्कस ही नहीं किया।’
‘और ये किसकी गलती है?’
‘लेकिन इससे पहले इस टॉपिक पर कभी बात ही नहीं हुई।’
‘कौन-सा टॉपिक, नील?’
‘हमारा। हमारे फ्यूचर का।’
‘यह यूज़लेस है।’
‘नहीं, ये स्पेशल है।’
‘वेल, पिछले डेढ़ साल में हमने इतना ही किया है कि ऑफिस में कलीग्स बनकर रहें और बिज़नेस ट्रिप्स के दौरान एक-दूसरे के साथ सोएँ। और अब तो मेरे घर पर भी।’
‘क्या तुम थोड़ा आवाज़ नीचे रखकर बात करोगी, प्लीज़?’
नील की इस बात ने मेरा पारा और चढ़ा दिया।
‘देखो, यहाँ पर भी, इस ड़ैगन-1 में भी हम कलीग्स ही हैं। मैं यहाँ ज़ोर से बोल नहीं सकती। तुम्हारा हाथ नहीं थाम सकती। भले ही रात को तुम मेरे साथ चाहे जो करो।’
नील ने आसपास देखा। सबसे करीब के कस्टमर हमसे तीन टेबल दूर बैठे थे।
‘अगर तुम बात करना चाहती हो, तो हम बात कर सकते हैं। किसी भी चीज़ के बारे में। लेकिन मुझे नहीं मालूम, तुम्हारा पारा इतना क्यों चढ़ा हुआ है।’
‘तुम कैसे बात करोगे? तुम्हारा क्या जा रहा है? ऑफिस में तो बॉस हो। घर में पति और दो बच्चों के बाप। साथ में एक यंग चिक, जिसके साथ तुम जब चाहे सो सकते हो। तुम्हें किस बात की चिंता होने लगी?’
‘इसी बात की।’
‘क्या?’
‘कि तुम्हें वह सब पसंद नहीं है, जबकि मुझे ऐसा नहीं लगता था।’
‘तुम्हें ऐसा क्यों लगा कि मुझे वह सब पसंद है।’
‘पता नहीं। जब हम प्यार करते हैं, बात करते है, या साथ में काम करते हैं, तो क्या वह सब बहुत ख़ास नहीं होता?’
‘लाइफ में इसके अलावा भी बहुत कुछ होता है, नील।’
सच कहूँ तो खुद मुझे नहीं मालूम था कि मैं इतना नाराज क्यों हो रही थी। शायद मॉम के एक साल के अल्टीमेटम ने मुझे बेचैन कर दिया था।
‘तुम्हें पता है, प्रॉब्लम क्या है नील? मैं हम दोनों के बारे में किसी से डिस्कस तक नहीं कर सकती।’
फिर मैं उठी और वॉशरूम चली गई। वहाँ से मुँह धोकर मैं लौटी। नील ने मुझे चिंता भरी नज़रों से देखा।
‘सॉरी।’ मैंने कहा। पता नहीं क्यों।
‘सॉरी की कोई बात नहीं। ये तुम्हारी फीलिंग्स है। इन्हें शेयर करने के लिए शुक्रिया।’
वेजीटेबल डंपलिंग्स की मेरी प्लेट ठंडी हो गई थी। एक वेटर ने उसे हटा दिया। नील और मै चुपचाप खाते रहे।
‘आई लव यू।’ नील ने कहा।
‘तो?’ मैंने कंधे उचकाते हुए कहा।’ इससे क्या फ़र्क पड़ता है?’
‘तुम चाहती क्या हो, सुषमा?’
मैं चुप रहाँ।
‘फ्यूचर? मैं तुमसे बीस साल बड़ा हूँ।’
‘तुमने तो कहा था कि प्यार में उम्र के कोई मायने नहीं होते।’
‘मैं मैरिड हूँ। मेरे बच्चे हैं। इतनी ज़िम्मेदारियाँ हैं।’
‘एक्ज़ैक्टली! तो मैं यहाँ पर तुम्हारे साथ क्या कर रही हूँ?’
‘हमारे बीच में जो भी है, क्या तुम उससे खुश नहीं हो?’
‘यदि तुम मेरी जगह होते तो क्या तुम खुश होते?’
‘हमारे पास काम है, प्यार है, एक्साइटमेंट है। हमारे पास जो नहीं है, वह है एक मैरिड कपल की ऊबाऊ ज़िंदगी।’
‘तुम्हारी बात सुनकर तो ऐसा लगता है जैसे शादी कोई बहुत बुरी चीज़ हो। तुम मैरिड हो। पूरी दुनिया शादी करती है।’
‘तुम खुद शादी करना चाहती हो या केवल अपनी मॉम के दबाव के कारण परेशान हो रही हो?’
‘मैं बिलकुल शादी करना चाहती हूँ। मुझे भी अपना परिवार, अपने बच्चे चाहिए।’
‘रियली?’
‘रियली का क्या मतलब? बिलकुल, मैं चाहती हूँ।’
‘रियली, सुषमा?’ नील ने मेरी तरफ कुछ इस तरह से देखते हुए कहा, मानो मैंने आइसिस में शामिल होने की बात कर दी हो। ‘मैं तो समझता था कि तुम कैरियर माइंडेड हो।’
‘एक्सक्यूज़ मी? इसका क्या मतलब है?’
‘नथिंग। बाद में बात करते हैं।’ नील ने कहा और वेटर को बिल लाने को बोल दिया।

‘नहीं, नील। आज रात नहीं।’ मैंने कहा।
हम बेड में लेटे थे। उसने मेरी गर्दन पर चूमा। यह सेक्स का सिगनल था। मैंने उसे दूर धकेल दिया।
‘नहीं, नील। मैं थकी हुई हूँ।’
वह इस हफ्ते में लगातार चौथी बार मेरे पास आया था। पता नहीं वह घर पर क्या बोलकर आता था। लेकिन सच कहूँ तो मुझे इसकी परवाह नहीं थी।
उसने अपने नाइटसूट के बटन लगा लिए।
‘तुमने मुझे चौथी बार मना किया है।’ वह सही था। हमने इस पुरे हफ्ते सेक्स नहीं किया था।
‘मैं थकी हुई हूँ।’
‘क्या बात है? मुझसे कोई गलती हुई?’
‘नहीं गलती मुझसे हुई है। आख़िरकार मैं अपने आपको इस पचड़े मे कैसे डाल सकती हूँ?’
‘हम एक-दूसरे को चाहते हैं, सुषमा।’
मैंने नाइट लैंप जला दिया और उसका मुँह मेरी तरफ कर दिया।
‘रियली, नील?’
‘क्या?’
‘मैं एक मैरिड आदमी के साथ इनवॉल्व हो गई। वन नाइट स्टैंड नहीं, बल्कि एक लंबा अफेयर। मैंने अपने को एक ऐसे रिश्ते में जाने दिया, जिसमें कोई फ्यूचर नहीं था।’
‘मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जा रहा हूँ।’
‘लेकिन तुम हालात मे बदलाव लाने के लिए क्या करने जा रहे हो?’
‘बदलाव करने की क्या ज़रूरत है? सबकुछ परफेक्ट है।’
‘और अगर कुसुम को इस बारे में पता चल गया तो?’
‘उसे पता नहीं चलेगा। तुम इन दिनों कुछ ज़्यादा ही परेशान हो रही हो। खासतौर पर दिल्ली से आने के बाद से। कहीं ये तुम्हारे वो वाले दिन तो नहीं चल रहे है?’
‘शायद यह अच्छा ही हुआ। यह ज़रूरी था कि मेरी आँखें खुले।’
‘तुम चीज़ों को साफ तरह से नहीं देख पा रही हो। रेस्तरां में तुमने जो बोला, वह भी यही बताता है।’
‘मैंने वहाँ पर कहा था कि मैं शादी करना चाहती हूँ, अपने बच्चे, अपना परिवार चाहती हूँ। इसमें चीज़ों को साफ तरह से नहीं देखने वाली क्या बात है?’
‘तुम ऑफिस में एक स्टार हो। तुम खुद को इन सब घरेलू मामलों में क्यों उलझाना चाहती हो? वह सब तो कोई भी औरत कर सकती है।’
‘कोई भी कर सकती है, लेकिन मैं नहीं कर सकती?’
‘मैंने यह तो नहीं कहा।’
‘तो?’
‘तुम स्पेशल हो। तुम एमडी बन सकती हो, पार्टनर बन सकती हो।’
‘हाँ, बिलकुल बन सकती हूँ। लेकिन इसके साथ ही मेरा अपना परिवार भी हो सकता है।’
‘सुषमा, तुमने उस दिन कुसुम को देखा ना और अब तुम मेरे साथ यह कर रही हो।’
मैं गुस्से से उठकर बैठ गई।
‘यह तुम्हारे बारे में नहीं है, मिस्टर नील गुप्ता। ये मेरे बारे में है। मेरी ज़रूरतों के बारे में। तुम्हें यह समझ आ रहा है या नहीं मिस्टर-आई-एम-सो-स्मार्ट गोल्डमान साक्स पार्टनर?’
‘तुम जो कहना चाहती हो, कहो। लेकिन मैंने कभी तुम्हारे बारे में यह नहीं सोचा था कि तुम माँ वगैरह बनने में दिलचस्पी लोगी।’
अब मेरे गुस्से का कोई पारावार नहीं रहा। मेरा शरीर गुस्से से काँपने लगा। नील को भी लगा कि उसने कुछ गलत कह दिया है।
‘ओके, वह मेरे मुँह से निकल गया।’
‘गेट आउट।’ मैंने धीमी आवाज़ में कहा।
वह अपनी जगह से नहीं हिला।
‘प्लीज़, लीव माय अपार्टमेंट, नील। गेट आउट नाऊ।’
‘कम हियर, मैं तुम्हे अच्छा फ़ील कराता हूँ, उसने आगे झुकते हुए कहा। वह मुझे किस करना चाहता था।
चटाक! मैंने उसे ज़ोर का थप्पड जड दिया। मुझे इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि वह कौन था।
‘तुम्हारी वह बात कहने की हिम्मत कैसे हुई?’ मैंने कहा।
‘आई एम सॉरी।’
‘जस्ट लीव। नहीं तो मैं कल पूरे गोल्डमान ग्रुप को हमारे रिश्ते के बारे में ई-मेल भेज दूँगी।’
वह चुपचाप उठा। कपड़े पहने, अपना लैपटॉप बैग उठाया और चला गया।
मैं बिस्तर में सिमटकर रोने लगी। मैं रातभर रोती रही। मैंने अपना सिर तकिये में छुपा लिया, जिसमें से अभी तक नील के परक्यूम की खुशबू आ रही थी।
नील को लगता था कि मै माँ बनने के काबिल नहीं हूँ। मैं इस आदमी से भला कैसे प्यार कर सकती थी? लेकिन क्या मुझे पहले से अंदाज़ा नहीं लगा लेना चाहिए था कि एक-ना-एक दिन यह होगा?
मेरे पेट में दर्द हुआ। मैं बाथरूम गई तो मैने पाया कि नील सही था। यह महीने के वो वाले दिन ही थे। इस तमाम ड्रामे के बीच मुझे पीरियड्‌स के पहले दिन को भी झेलना था! क्या अब भी आपको लगता है कि लड़की होना आसान है?

‘ये क्या है?’ नील ने हैरत से कहा।
उसने एक लेटर मेरी ओर बढ़ा दिया। लेटर यह था:
जोश एंग,
डिस्ट्रेस्ड डेट ग्रुप
गोल्डमान साक्स
डियर जोश,
मैं ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट पद से इस्तीफा देना चाहती हूँ। इस वंडरफुल एक्सपीरियंस के लिए बहुत शुक्रिया।
सुषमा मेहता।
‘यह तुम्हारे पास बहुत जल्दी पहुँच गया।’
‘ज़ाहिर है, इस पर मुझे ही साइन करना है।’
‘तो क्या साइन करने की मेहरबानी करेंगे, सर?’
‘विल यू स्टॉप इट, प्लीज़?’
‘फाइन। व्हाटेवर।’
‘यह तुम्हारा कैरियर है।’ नील ने कुछ देर बाद कहा।
‘मैं जानती हूँ।’
‘तो फिर?’
‘मेरे पास कोई और च्वॉइस नहीं है। मेरा कैरियर तुमसे जुड़ा हुआ है। अगर मुझे तुमको छोड़ना हो तो कैरियर को भी छोड़ना होगा।’
‘तो मुझे मत छोड़ो।’
‘और फिर क्या करूँ? तुम्हारी मिस्ट्रेस बनकर रहूँ?’
‘व्हाट रबिश! तुम मिस्ट्रेस नहीं हो। तुम अपना पैसा खुद कमाती हो।’
‘इसीलिए मैं अपने आपको एक मिस्ट्रेस से भी बदतर पाती हूँ। खैर, क्या हम जल्दी करें?’
‘तुम कहीं नहीं जा रही हो।’
‘मैं फ़ैसला कर चुकी हूँ। जैसा कि तुम देख सकते हो, मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है, तुम्हारे पास बहुत कुछ है। तो मैं ही जा रही हूँ।’
‘मैंने कल जो कहा, उसके लिए सॉरी।’
‘बात केवल कल की नहीं है। यह पूरा रिश्ता ही गलत है। और अगर मुझमें ज़रा भी सेल्फ-रिस्पेक्ट है, तो मुझे इसे ख़त्म कर देना चाहिए।’
नील ने मुझे गौर से देखा। मैं खिड़की से बाहर देख रही थी। हांगकांग हार्बर नज़र आ रहा था।
‘तुम मुझे ब्लडी गिल्टी फ़ील कराती हो।’
‘तुम्हें ब्लडी गिल्टी फ़ील करना ही चाहिए।’
‘हमने यह मिलकर किया था। तुम्हें किसी ने फोर्स नहीं किया था।’
‘मुझे मालूम है। मैं भी गिल्टी फ़ील करती हूँ और तुम्हें भी करना चाहिए।’
‘मुझे दो घंटे का समय दो।’
‘क्या?’
‘दो घंटे बाद लौटकर आओ।’
मैंने कंधे उचकाए और वहाँ से अपने क्यूबिकल में चली आई।
दो घंटे बाद मेरी डेस्क का फोन बजा। मैं नील के ऑफिस में गई।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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‘तुम चाहो तो मुझे छोड़ दो, लेकिन जॉब मत छोड़ो। तुम चाहो तो ट्रांसफर ले सकती हो। न्यूयॉर्क, लंदन, कहीं भी।’ नील ने कहा।
‘मैं...’
‘तुम्हें कहीं भी जॉब मिल जाएगा, फिर भी ग्रुप छोड़कर मत जाओ। अगर तुम चली गई तो मैं अपने आपको कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।’
‘तो क्या यह सब केवल इसलिए कि तुम अपने आपको माफ कर पाओ?’
उसने सिर झुका लिया। फिर उठा, खिड़की पर जाकर खडा हो गया।
‘ठीक है, मैं लंदन चली जाती हूँ। लेकिन वह नए जॉब की तरह होना चाहिए। मैं अब तुम्हें अपनी ज़िंदगी में नहीं चाहती।’
‘क्या मतलब?’
‘कॉमन डील्स करना। टच में रहना। यह सब नहीं। क्लीयर?’
‘लेकिन हम कैसे...’
‘नील, मैं सीरियस हूँ। अगर मैंने इसकी रिपोर्ट कर दी तो तुम मुसीबत में आ जाओगे। बॉस तुम हो, मैं नहीं।’
‘तुम मुझे धमका रही हो?’
‘मैं इतना ही कह रही हूँ कि मैं सीरियस हूँ। मै अब तुम्हें अपनी ज़िंदगी में नहीं चाहती, इसीलिए यहाँ से जा रही हूँ।’
‘ठीक है।’ नील ने भारी आवाज़ में कहा और अपनी सीट पर आकर बैठ गया।
‘क्या अब मैं जा सकती हूँ?’
‘सुषमा?’
‘यस?’
‘आई एम सॉरी।’
‘किस बात के लिए।’
‘तुम्हें मायूस करने के लिए।’
मैं जाने के लिए उठ खड़ी हुई।
‘नहीं, तुमने नहीं, मैने ही खुद को मायूस किया है, नील।’

32
हांगकांग में बिताए दिनों को याद करके मेरा गला रूँध गया। मेरे हाथ में नाश्ते की प्लेट काँपने लगी। नील ने मेरी ओर देखा। मेरे नाते-रिश्तेदार डायनिंग रूम में आने लगे थे। मैंने एक गिलास पानी पिया।
‘क्या हम कुछ देर प्राइवेट में बात कर सकते हैं, प्लीज़?’नील ने कहा।
‘कैसे, नील? तुम देख सकते हो, ये मेरी वेडिंग है।’
‘यहाँ पर मैंने एक रूम लिया है। वहाँ कुछ देर के लिए आ जाओ प्लीज़।’
‘लेकिन तुम्हें रूम मिला कैसे? यहाँ तो सारे रूम भर चुके थे।’
‘यह ज़रूरी नहीं है। केवल पंद्रह मिनट के लिए।’
‘लेकिन तुम्हें रूम मिला कैसे?’ मैं इस वक्त लॉबी मैनेजर पर चीखना चाहती थी।
‘मैंने प्रेसिडेंशियल स्यूट ले लिया है। उनके पास एक वही खाली था। क्या अब तुम वहाँ आओगी? रूम नंबर 101?’
ज़ाहिर है, मिस्टर पार्टनर एक प्रेसिडेंशियल स्यूट लेना अफोर्ड कर सकते थे। दूर से मेरे कज़िन्स ने हाथ हिलाते हुए मुझे बुलाया।
‘मुझे अपने कज़िन्स के साथ ब्रेकफास्ट करने जाना है। आधे घंटे में मिलते हैं।’ मैंने कहा।

‘तुमने तो कहा था कि तुम मुझे अकेला छोड़ दोगे।’ मैने 3000 स्क्वेयर फीट के उस आलीशान प्रेसिडेंशियल स्यूट में दाखिल होते हुए कहा। मैं स्यूट के लिविंग रूम में एक सोफे पर बैठ गई। उसने कोई जवाब नहीं दिया और रूम में एक कोने में रखी इलेक्ट्रिक केटल में पानी भर दिया।
’चाय लोगी?’
‘नील, मेरे पास टाइम नहीं है। तुमने कहा था कि तुम मुझे फिर परेशान नहीं करोगे।’
‘क्या मैंने इस दौरान कभी तुम्हें परेशान किया? तुम ग्रीन टी लेना चाहोगी?’
‘तुम मुझे क्या कहना चाहते हो?’
‘कैन यू रिलैक्स? तुम चाहो तो यह भी पूछ सकती हो कि नील, तुम कैसे हो।’
‘नील, मेरे पास इस सबके लिए टाइम नहीं है।’
‘मैं केवल बात करने की कोशिश कर रहा हूँ। अगर मैं चाय बनाते-बनाते बात कर रहा हूँ, तो उसमें क्या बुराई है?’
‘श्योर।’
‘हमने एक साल से बात नहीं की है। लंदन कैसा लगा? तुम्हें तो पता है कि मेरी परवरिश लंदन में हुई थी?’
‘जानती हूँ।’
‘तो कैसा लगा वहाँ?’
मैं उसकी तरफ देखती रहाँ।
‘क्या?’
‘मैं यहाँ पर लंदन के बारे में बात करने नहीं आई हूँ।’
‘मुझे एक मिनट तो दो। में अगले रूम से कुछ लेकर आ रहा हूँ।’
मैंने हामी भर दी। वह बेडरूम में चला गया। मैने खिड़की से बाहर देखा। डबल-ग्लेज्ड ग्लास के बाहर समुद्र बहुत खामोश लग रहा था। नील ने लंदन का नाम क्या लिया, वहाँ की यादें मेरे ज़ेहन में उमड़ आई।

लंदन
एक साल पहले
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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33
लंदन में गोल्डमान साक्स का ऑफिस ओल्ड टेलीग्राफ बिल्डिंग में, 133 फ्लीट स्ट्रीट पर पीटरबोर्ग कोर्ट में था। ग्रुप सेक्रेटरी पैट्रिशिया मुझे अपने नए क्यूबिकल में ले गई। लंदन ऑफिस के लोगों का ब्रिटिश एक्सेंट मुझे नील की याद दिलाता था। नील मेरी आदत बन चुका था। या बेहतर होगा अगर कहूँ, एक लत, एक एडिक्शन। मेरा दिल दूसरी बार टूटा था और मैंने पाया कि अनुभव इसमें हमारी मदद नहीं करता। हर बार दिल के टूटने पर वैसी ही तकलीफ होती है, जैसी पहली बार हुई थी। इस बार बस इतना ही सुकून था कि ब्रेकअप की पहल मैंने की थी।
मैं उसकी आवाज़ को मिस कर रही थी। उसकी आँखों को, उसके स्पर्श को। मैं उस सबको मिस कर रही थी, जो वह मेरे साथ बिस्तर में करता था। तो क्या हुआ, अगर वह मैरिड है? वह मुझे प्यार करता है और प्यार से बढ़कर क्या?
हमारा दिमाग हमारे साथ इसी तरह के खेल करता है। जब हम कुछ करना चाहते है, तो हमारा दिमाग उसे जस्टिफाई करने के लिए अनेक कारण खोज लाता है। लिहाज़ा मैंने नील से बात करने के लिए अपनी डेस्क पर रखा इंटर्नल फोन उठाया।
लेकिन तभी मेरे सेलफोन से आई आवाज़ ने मेरा ध्यान भटका दिया। मॉम का वाट्‌सएप मैसेज आया था।
‘तुमने प्रोफाइल चेक की?’
‘बस, वही कर रही हूँ।’
मैंने शादी डॉट कॉम खोला। उसकी स्क्रीन पर हैप्पी कपल्स के चेहरे दिखाई दे रहे थे। बताया जा रहा था कि किस तरह से एक कपल की मुलाकात इस साइट पर हुई और तीन महीने बाद ही उन्होंने शादी कर ली। अब उनका बच्चा होने वाला है। क्या अपने प्यार को पाना इतना सरल होता है?
मैंने अकाउंट में लॉग-इन किया था, जो मुझे मॉम ने सेट करके दिया था। पेज पर मेरी प्रोफाइल की समरी खुली। उन्होंने मेरी इंडिया गेट वाली तस्वीर इस्तेमाल की थी, जो मैंने दिल्ली की अपनी पिछली यात्रा के दौरान खिंचवाई थी। फोटो में मेरे चेहरे पर छाया गिर रही थी और मेरी आँखें अधमुँदी थीं। मेरी इससे बेकार कोई और तस्वीर नहीं हो सकती थी।
मैंने अपनी प्रोफाइल पढ़ी:
‘हाय, मैं एक यगं, स्लिम, गोरी, पंजाबी खत्री लड़की हूँ। उम्र 26 साल। हाईट 5 फीट 4 इंच। मैं अभी लंदन मे काम कर रही हूँ, लेकिन अपने हसबैंड के साथ कहीं भी मूव करने को तैयार हूँ। मैं फैमिली-माइंडेड हूँ और ज्वॉइंट फैमिली में रहने से भी मुझे कोई हर्ज़ नहीं है।
मेरा हाथ अपने फोन पर गया कि मॉम को फोन लगाऊँ और उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाऊँ। लेकिन मैंने खुद को रोका और आगे पढ़ने लगी:
मैं नाँर्थ इंडियन खाना बहुत अच्छी तरह से बना लेती हूँ। मेरी एक बड़ी बहन है, जो पहले ही शादी करके सेटल हो चुकी है। मेरे पैरेंट्‌स की और कोई लायबिलिटीज़ नहीं हैं। मेरे पिता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एक बहुत अच्छी पोज़िशन से रिटायर हुए हैं और मेरी माँ एक हाउसवाइफ हैं। हम वेल-ऑफ हैं और एक हाई-स्टेटस वेडिंग भी कर सकते हैं।
मेरी भौंहे तन गईं। मैंने अगला सेक्शन पढ़ा:
मैं एक अच्छी पंजाबी फैमिली से एक वेल-क्वालिफाइड, वेल-सेटल्ड स्यूटेबल मैच की तलाश कर रही हूँ। कोई ऐसा, जो मेरी फैमिली का भी ख्याल रख सके और बड़ों का सम्मान कर सके। यदि इंट्रेस्टेड हों तो प्लीज़ अपने डिटेल्स के साथ रिस्पॉन्ड कीजिए, जिसमें होरोस्कोप और जन्म की दिनांक और समय भी होने चाहिए। रिगार्ड्स, सुषमा मेहता।
‘सीरियसली? मॉम, सीरियसली?’ मैंने ज़ोर से चिल्लाकर कहा। मैंने तत्काल शादी.कॉम विंडो को बंद कर दिया। मुझे मॉम को फोन लगाना था, लेकिन ऑफिस से मैं ऐसा कर नहीं सकती थी। इसलिए मैंने अपना लैपटॉप बंद किया और बाहर आ गई।
मैं फ्लीटस्ट्रीट पहुँची, जहा जापान से प्रेरित एक फास्ट-फूड चेन इत्सु पर वेजीटेबल्स और ब्राउन राइस पोत्सु पॉट ऑर्डर किया। खाते-खाते मैंने मॉम को फोन लगाया। एक हाथ में फोर्क और दूसरे में फोन लिए मैं मॉम पर टूट पड़ी।
‘मॉम, आप क्या कर रही हैं?’
‘क्या?’
मैंने अपने लैपटॉप की स्क्रीन पर अपनी प्रोफाइल खोली।
‘मैंने अपनी प्रोफाइल देखी।’
‘अच्छी लगी?’
‘मॉम, आर यू सीरियस? ये सब क्या है?’
‘क्या? मैंने वही लिखा, जिस पर सबसे अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा। पड़ोस में रहने वाली शर्मा आंटी ने मेरी मदद की।
‘इट्‌स हॉरिबल, मॉम। रियली, ये आपने किसके बारे में लिखा है? ये मेरे बारे में तो नहीं है।’
‘क्या कह रही हो? ये तुम्हारे बारे में ही है। क्या तुम्हारी हाइट 5 फीट 4 इंच नहीं है?’
‘सबसे पहले तो यही कि मेरी फोटो बहुत गंदी लगाई है।’
‘मेरे पास यही थी। जब तुम यहाँ आई थीं तो हमें एक पोर्टफोलियो करवा लेना चाहिए था। तुम अपने पास से कोई फोटो भेज दो। फोटो इंडियन क्लॉथ्स में होनी चाहिए।’
‘क्यों?’
‘तो क्या तुम ऑफिस सूट में अपना फोटो भेजोगी? तुम शादी करना चाहती हो या जॉब के लिए अप्लाई करना?’
‘यही मेरी असल पहचान है।’
‘स्टॉप इट, सुषमा। क्या फोटो को लेकर ही प्रॉब्लम है?’
‘सत्रह सौ छत्तीस प्रॉब्लम्स हैं! ये क्या होता है, मैं गोरी हूँ? मेरा रंग गोरा नहीं गेहुँआ है।’
‘अगर तुम गेहुँआ लिखोगी तो लोग समझेंगे कि लड़की साँवली है।’
‘ओह रियली? और अगर कोई लिखे कि लड़की साँवली है, तब?’
‘तब उसका मतलब होगा कि लड़की काली है। जैसे अफ्रीकन नीग्रो होते हैं, वैसी। खैर, ये रंग वगैरा की माइनर बातें हैं।’
‘मैं आपको बताती हूँ कि मेजर बातें क्या हैं। ये क्या होता है कि मैं अपने हसबैंड के साथ कहीं भी जाने के लिए तैयार हूँ? ये किसने कहा? इट डिपेंड्स, राइट? यह भी हो सकता है कि उसको मूव करना पड़े। दूसरी बात, इसका क्या मतलब है कि मेरे पैरेंट्‌स की कोई और लायबिलिटीज़ नहीं हैं? और ये हाई-स्टेटस वेडिंग क्या होती है? और, केवल पंजाबी फैमिली ही क्यों? और ये क्या होता है कि लड़का हमारा खयाल रखे? और ये होरोस्कोप की क्या ज़रूरत है? मॉम, रियली मुझे समझ नहीं आ रहा है कि क्या कहूँ।’
मैं सॉस लेने के लिए रुकी। मेरे सामने की टेबल पर बैठे कस्टमर ने मुझे पानी का एक ग्लास दिया। मैंने उसे थैंक्स का इशारा किया और एक घूँट पानी पिया।
‘तुम बहुत बोल चुकी हो। पैरेंट्‌स के लिए कोई रिस्पेक्ट तुममें नहीं बची है।’
‘सवाल रिस्पेक्ट का नहीं है। लेकिन यह सब इतना गलत है। मैं इसका हिस्सा नहीं बनना चाहती।’
‘तुम स्ट्रेटेजी नहीं समझती हो।’
‘स्ट्रेटेजी?’
‘हाँ। हम अच्छे लड़कों को डराकर उन्हें अपने से दूर नहीं करना चाहते।’
‘किससे डर?’
‘जब वे एक इंडिपेंडेंट-माइंडेड, क्वालिफाइड, कामयाब लड़की देखते हैं, तो वे डर जाते हैं।’
‘व्हाट नॉनसेंस!’
‘यही सच है। ये नियम मैंने नहीं बनाए, बेटा।’
‘इसी से याद आया। आपने क्या लिखा है, मैं अभी लंदन में काम कर रही हूँ? नहीं, मैं गोल्डमान साक्स में वाइस प्रेसिडेंट हूँ और साल में आधा मिलियन डॉलर कमाती हूँ।’
‘एक्ज़ैक्टली। यही तो स्ट्रेटेजी है।’
‘क्या?’
‘कभी-कभी अपनी अचीवमेंट्‌स बताने के बजाय उन्हें छुपाना भी पड़ता है। अगर तुम लड़का होती तो हम तुम्हारी सैलेरी को सबसे पहले मेंशन करते। लेकिन तुम लड़की हो, इसलिए हमें केयरफुल होना पड़ेगा।’
मैंने सिर पीट लिया। शायद नील की बात सही थी कि मैं इस सबके लिए नहीं बनी हूँ।
‘आर यू देयर? मैं वहाँ आ रही हूँ।’
‘कहाँ?’
‘लंदन। हम कुछ वक्त साथ बिताएँगे और वहीं पर इस सबके बारे में बातें करेंगे।’

‘बहुत हुआ, मॉम।’ मैंने कहा। मॉम ने मेरी प्लेट में एक और परांठा रख दिया था।
‘तुम चेल्सी में क्यों रहती हो? साउथॉल में कितने इंडियंस हैं।’ उन्होंने कहा।
‘आपने बाहर का पार्क व्यू देखा है? कितना सुंदर है वो?’
‘लेकिन यहाँ अचार और चटनी कहाँ मिलता होगा। साउथॉल में यह सब मिलता है।’ ‘यहाँ पर भी मिलता है। नहीं मिलते हैं तो आपके हाथ के बने परांठे। आप यहीं पर रह जाइए।’ मैंने दूसरा परांठा खाते हुए कहा।
‘देखा, तुम्हें भी घरेलू माहौल की याद तो आती ही है। भला ये भी कोई लाइफ हुई। सुबह दौड़ते-भागते ऑफिस जाओ। देर रात को खाली घर में लौटो।’
‘मॉम, मेरा पास वो जॉब है, जिसके लिए दुनिया के लोग तरसते हैं।’
‘और मेरे पास वह जॉब है, जो कोई नहीं करना चाहता, फिर भी मैं खुशी-खुशी करती हूँ : अपने परिवार की देखभाल।’ मॉम ने मुझे एक ग्लास लस्सी देते हुए कहा।
‘चलो, अब मुझे रिस्पॉन्सेस बताओ। तुमने मुझे पूरे हफ्ते वेट कराया है।’ मॉम ने कहा।
मैंने मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर अपनी प्रोफाइल मोडिफाइड की थी। उसमें से बेकार की चीज़ें हटाते हुए यह जोड़ दिया था कि ‘दुनिया की टॉप इंवेस्टमेंट बैंक्स में से एक में मेरा एक सक्सेसफुल कैरियर है।’ साथ ही मैंने यह भी कहा था कि मुझे एक सिक्योर और ईज़ी-गोइंग हसबैंड चाहिए।
मैंने लैपटॉप खोला और लॉग इन किया।
‘पचास रिस्पॉन्स, वेरी गुड। खोलो उन्हें।’ मॉम ने एक्साइट होते हुए कहा।
‘खोल रही हूँ। बी पेशेंट।’
पहली क्वेरी किसी मोहित आहूजा की थी, जो दिल्ली की किसी बिज़नेस फैमिली से था। उनके तीन रेस्तरां थे। उन्हीं में से एक को मोहित मैनेज करता था।
‘नहीं।’ मैंने इनकार कर दिया।
‘क्यों?’
‘मैं किसी ऐसे इंसान के साथ नहीं रह सकती, जो फैमिली रेस्तरां चलाता हो।’
‘इसमें क्या गलत है?’
‘मॉम, क्वालिफिकेशंस तो देखिए। किसी रैंडम यूनिवर्सिटी से बीए। बिलकुल नहीं। नेक्स्ट।’
हम अगले कुछ घंटों तक रिस्पॉन्सेस देखते रहे।
‘यह देखने में कितना बुरा है। मैं सुबह उठकर ऐसे किसी का चेहरा नहीं देखना चाहती।’ एक कैंडिडेट को देखकर मैंने कहा।
मॉम ने कहा : ‘दुनिया में बुरा दिखने वाला कोई आदमी नहीं होता।’
लेकिन मैं लुक्स के आधार पर ही कुछ को रिजेक्ट कर चुकी थी। बाकियों को इसलिए रिजेक्ट किया, क्योंकि वे इंडिया में जॉब करते थे और मुझसे बहुत ही कम पैसा कमाते थे।
‘नहीं मॉम, यह भी नहीं। यह बुलंदशहर में रहता है। ज्वॉइंट फैमिली। फैमिली बिज़नेस। नो, नो, नो।’
जब मैंने एक इंसान को केवल इसलिए रिजेक्ट कर दिया, क्योंकि मुझे उसकी प्रिंटेड हवाइयन शर्ट पसंद नहीं आई थी, तो मॉम ने कहा कि मैं चीज़ों को प्रॉपरली नहीं ले रही हूँ।
‘लेकिन मुझे नफ़रत है इस तरह के शर्ट से। कोई भी ऐसी शर्ट कैसे पहन सकता है?’
‘वह एक डॉक्टर है और मैं उसको शॉर्टलिस्ट कर रही हूँ। तुम शादी करने के बाद उसके कपड़े बदल देना।’
इसी में शाम के चार बज गए। हम दस संभावित दूल्हों की शॉर्टलिस्ट बना चुके थे।
‘मैं थक गई हूँ। कॉफी पीने चलें?’
‘बिलकुल।’
हम अर्ल्स कोर्ट ट्‌यूब स्टेशन के पास प्रेट-ए-मैंगर कैफे की ओर बढ़ चले।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: क्रेजी ज़िंदगी

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‘हाय, कैन यू सी मी?’ मैंने कहा। मैं डायनिंग टेबल पर अपने लैपटॉप के सामने बैठी थी।
मेरा राज बख्शी से एक स्काइप कॉल फिक्स हुआ था। राज बोस्टन, अमेरिका में डॉक्टर था।
‘यस, लेकिन थोड़ा अंधेरा है। क्या आप एक और लाइट जला सकती हैं?’ राज ने कहा। वह तीस साल का था, उसकी पतली मूँछें थीं और उसने लाइट ब्लू शर्ट पहन रखा था।
इससे पहले कि मैं जवाब देती, मॉम ने अपार्टमेंट की सारी लाइटें जला दीं।
‘मॉम, आप यहाँ क्या कर रही हैं?’ मैंने फुसफुसाते हुए कहा।
‘हाँ, अब बेहतर है।’ राज ने कहा।
‘वन सेकेंड, राज।’ मैंने कहा और उसे म्यूट कर दिया। फिर मैंने लैपटॉप को झुका दिया।
‘क्या हुआ? उसे इंतज़ार मत कराओ। बातें करो।’
‘मॉम, अगर यह होगा तो यह मेरे हिसाब से होगा। आप मुझे कम-से-कम बात करने का मौका तो दीजिए।’
मॉम ने मुँह बनाया और बाहर चली गईं।
‘हाय।’ मैंने कहा।
‘हेलो, वहाँ पर तो बहुत देर हो गई होगी?’
‘हाँ, यहाँ अभी आधी रात है।’
‘सॉरी, मैं काम से अभी लौटा हूँ।’
‘तुम डॉक्टर हो, राइट?’
‘हाँ। और तुम क्या करती हो? तुम्हारी प्रोफाइल में बैकिंग लिखा है।’
‘मैं गोल्डमान साक्स में वाइस प्रेसिडेंट हूँ।
‘ओह।’
‘सो यस।’ मैंने कहा। मैं समझ नहीं पा रही थी कि अब क्या बोलूँ। ‘आप किस तरह के डॉक्टर हैं?’
‘बोस्टन सिटी हॉस्पिटल में जनरल प्रैक्टिशनर। डुइंग माय रेसीडेंसी।’
‘मैं कभी डॉक्टर नहीं बन सकती। मैं तो खून देखकर ही चकराकर गिर जाऊँ।’
‘यह जीवन का एक हिस्सा है। लोग मर रहे हैं। किसी को तो उनके लिए आगे आना होगा।’
डॉ. बख्शी सीरियस टाइप के लगते हैं।
‘गोल्डमान साक्स में काम कैसा चल रहा है?’
‘गुड। हेक्टिक। लेकिन मुझे पसंद है।’
‘मैंने सुना है वे लोग बहुत अच्छा पे करते हैं।’
‘यह परफॉर्मेस से तय होता है। लेकिन हाँ, वो लोग पैसा देने में कंजूसी नहीं करते।’
‘इफ यू डोंट माइंड, आप कितना कमा लेती हैं?’
क्या यह बहुत जल्दी नहीं हो गया? प्रोटोकॉल क्या है? क्या इस तरह की बातें पहले ही कॉल में पूछी जाती हैं?
‘क्या हमें अभी से एक-दूसरे को यह बता देना चाहिए?’
‘क्यों नहीं? इसमें छुपाने वाली बात क्या है? मुझे सालाना एक लाख डॉलर मिलते हैं। प्लस बेनेफिट्‌स। और तुम्हें?’
मेरा उसको बताने का मन नहीं हुआ। लेकिन मैं मर्दों के इगो को थोड़ा समझना जरूर चाहती थी।
‘हम इस बारे में बाद में भी बात कर सकते हैं। तो आप किस चीज़ के स्पेशलिस्ट बनना चाहते हैं?’
‘ऑफ्थैमॉलॉजिस्ट। आँख का डॉक्टर।’
मुझे भीतर-ही-भीतर यह लगने लगा था कि यहाँ बात नहीं बनने वाली है। इस तरह के कॉल को कैसे ख़त्म किया जाए?
‘तो आपकी सैलेरी कितनी है?’ उसने फिर पूछा।
‘वेल, अगर तुम जानना ही चाहते हो तो मैंने पिछले साल आधा मिलियन डॉलर्स कमाए थे।’
मुझे उसकी कुर्सी की चरमराहट की आवाज़ आई।
‘पाँच लाख डॉलर्स?’
‘हाँ, आखिर आधा मिलियन तो इतना ही होता है।’
‘ओके।’
कई बार मुझे लगता है कि बातचीत में इस ओके शब्द को बैन कर देना चाहिए। इसका कोई मतलब नहीं होता।
‘तो, तुम काम के अलावा और क्या करते हो?’
‘एक्सक्यूज़ मी, लेकिन मुझे जाना होगा।’
‘ओह रियली, क्या हुआ?
‘नथिंग। ओके, मैं तुम्हें बता देता हूँ। दिस इज़ नॉट गोइंग टु वर्क। तुम्हें बहुत सैलेरी मिलती है।’
‘सैलेरी कभी भी बहुत ज़्यादा नहीं लगती है।’
‘मेरा मतलब था मेरे मुकाबले बहुत ज़्यादा।
‘ओह, तो क्या इस बात से तुम्हारी मर्दानगी को ठेस पहुँच रही है?’
उसने बिना कोई जवाब दिए फोन रख दिया। तो, पहला विकेट डाउन। मैंने मन-ही-मन कहा।

तीन हफ्ते में शॉर्टलिस्ट किए गए सभी दस नामों का सफाया हो चुका था।
‘इस तरह से बात नहीं बनने वाली है, मॉम।’
हम डिशूम में आए थे, कावेंट गार्डन में मौजूद एक मॉडर्न इंडियन कैफे। हमने पाव भाजी और मसाला चाय ऑर्डर की थी।
‘मैंने तुम्हें पहले ही कह दिया था कि अपने कैरियर के बारे में ज़्यादा मेंशन मत करना।’
‘मैं अपनी पहचान तो नहीं छुपा सकती हूँ ना।’
‘तुम अपनी बहन जैसी क्यों नहीं हो सकती?’
‘क्योंकि मैं उनके जैसी होना नहीं चाहती।’
हम घर लौट आए। मॉम ने एक और आइडिया निकाला। वे हमारी शादी.कॉम की मेंबरशिप को वीआईपी कैटेगरी में अपग्रेड करना चाहती थीं, जहाँ स्पेशल एजेंट्‌स हमारी मदद करते हैं।
‘स्पेशल ज़रूरतों के लिए स्पेशल मदद।’ मॉम ने कहा।
लेकिन शायद मैं ही स्पेशल थी। स्पेशियली फ़क्ड- अप! आश्चर्य नहीं कि मेरी मॉम को मेरे लिए दूल्हा ढूँढने के लिए स्पेशलिस्टों की एक फौज की ज़रूरत महसूस हो रही थी।
‘मेरी एक बेटी देखते-ही-देखते सेटल हो गई। मैं दुआ करती हूँ कि दूसरी का भी कुछ हो जाए।’ उन्होंने बुदबुदाते हुए कहा।
‘इसमें दुआ करने की क्या ज़रूरत है? क्या मैं कोई बीमारी हूँ?’ मैंने उनकी तरफ देखे बिना कहा।
‘तुम टची होना कब बंद करोगी? सच तो यही है कि अदिति की शादी चुटकियों में हो गई थी। वह तुमसे ज़्यादा गोरी है, लेकिन उसका एटिट्‌यूड भी तुमसे बेहतर है।’
‘बेहतर एटिट्‌यूड से क्या मतलब? मुझे दब्बू होना चाहिए? घरेलू? आप यही चाहती हैं ना?’
‘वेल, हाँ।’
‘लेकिन मैं वैसी हूँ नहीं। तो शायद मैं सिंगल ही रहना पसंद करूँगी।’
‘ऐसी अशुभ बातें मत बोलो।’
‘इसमें कुछ भी अशुभ नहीं है।’
‘ये पैसा और नौकरी तुम्हारे सिर चढ गए हैं। तुम अब एक लड़की नहीं रह गई हो।’
‘क्या?’
‘रहने दो।’
‘जब मैं छोटी थी तो पापा मुझसे कहते थे कि बेटा जब तुम बड़ी हो जाओगी, तो तुम जो चाहो, वह कर सकोगी। पता नहीं लोग अपनी बेटियों को ऐसी बातें क्यों बोलते हैं। पहले वे उनसे कुछ अचीव करने को कहते हैं और जब वे अचीव कर लेती हैं तो उनसे क्या कहा जाता है? यह कि तुम अब एक लड़की नहीं रह गई हो।’
‘मुझे यह सब नहीं मालूम। मैंने कभी जॉब नहीं किया। लेकिन शायद औरतों के लिए काम नहीं करना ही बेहतर है।’
‘मॉम! मैंने चिल्लाकर कहा।
‘क्या है?’
‘मेरा जॉब मेरे लिए बहुत मायने रखता है। प्लीज़, उसकी इज़्ज़त करना सीखो।’
‘और तुम मेरी बेइज़्ज़ती करती रहो?’ मॉम ने कहा और रोने लगीं। जल्द ही उनका रोना मातम में बदल गया। शायद वे उन दस शॉर्टलिस्टेड दामादों के हाथ से चले जाने का मातम मना रही थीं।
मैंने आसपास देखा। टेबल पर मुझे एक टिशू बॉक्स दिखा। उसे मैंने उनकी ओर बढ़ा दिया। उन्होंने आँसू पोंछ लिए।
‘तुम्हें अंदाज़ा भी है तुम्हें पैदा करने में मुझे कितने दर्द का सामना करना पड़ा था?’
उसको लेबर पेन बोलते हैं मॉम और माँ बनने वाली हर औरत को होता है।
‘मैंने तो सुना है कि आप मुझे अबोर्ट करना चाहती थीं?’
‘किसने कहा तुम्हें यह?’
‘उसका कोई महत्त्व नहीं है। लेकिन क्या यह सच नहीं है कि डॉक्टर से गलती हो गई थी और उसने बोल दिया था कि लड़का होगा?’
‘वो एक अलग वक्त था। अदिति हो चुकी थी। तुम्हारी दादी अब एक लड़का चाहती थीं।’
‘आप भी तो चाहती थीं।’
‘हाँ।’
‘सॉरी मॉम, उसके बजाय मैं आ गई। आपके साथ धोखा हो गया।’
‘डोंट बी स्टुपिड, आई लव यू।’
उन्होंने मुझे बाँहो में भर लिया। थोड़े समय बाद मैंने भी उन्हें बाँहों में भर लिया।
‘तो फिर मैं जैसी हूँ, वैसी ही रहने दीजिए। जो भी हो, हर हाल में मेरा साथ दीजिए।’
‘डोंट वरी। हम कल और प्रोफाइल्स देखेंगे। तुम्हारा राजकुमार तुम्हें हर हाल में मिलेगा।’
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Re: क्रेजी ज़िंदगी

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