पटेल नामक उस आदमी ने दस मिनट के अन्दर-अन्दर वो दोनों चीजें उन्हें ला दीं।
सलीम अनवर को मेरे चूंकि काफी देर हो चुकी थी, इसलिए लाश का खून जम गया था, लेकिन डॉक्टर पटेल ने उसमें कोई दवा मिलाकर खून फिर पतला कर लिया था। उसके बाद दोनों चीजें उन्हें मिल गई थीं और वो उन्हें लेकर घर वापस लौट आए थे।
उस दिन क्योंकि वो पहले ही काफी थक चुके थे, इसलिए प्रयोग
का काम उन्होंने अगले दिन पर टाल दिया था और राज वापस अपने घर चला गया था।
अगले दिन निश्चित समय पर राज डॉक्टर सावंत की लेब्रॉटरी में पहुंच गया।
प्रयोग इस तरह शुरू किया गया कि राज ने लेब्रॉटरी के खतरनाक हिस्स में से एक खरगोश मंगवाया और उस सांप का थोड़ा सा जहर लेकर इंजेक्शन के जरिये खरगोश के जिस्म में उतार दिया।
जहरीला इंजेक्शन लगाये जाने के आधे घंटे बाद ही खरगोश ने दम तोड़ दिया। उन दोनों ने फौरन खरगोश की लाश खोल कर उसका दिल चेक किया तो उन्होंने देखा कि उसके दिल पर छाले से उभर आए हैं और वो इस तरह सिकुड़ गया था जैसे उसे खौलते हुए तेल में डालकर निकाल लिया गया हो।
सलीम अनवर की लाश का पोस्टमार्टम करने के बाद उन्हें पता चला था कि उसका दिल बिल्कुल सही शक्ल में था। जहर का असर अन्दरूनी हिस्से में था, जिसकी वजह से धीरे-धीरे दिल कमजोर होता गया था और अंत में रूक गया था।
इसका मतलब था कि सलीम अनवर की मौत सांप के काटने के तुरंत बाद नहीं हो गई थी, बल्कि छःसात घंटे में वो धीरे-धीरे फैलने वाल जहर से असर से मरा था। हालांकि होटल के कमरे में पाए गए सांप का जहर इतना तेज था कि उसके एक मिनट के अन्दर-अन्दर सलीम को मर जाना चाहिए था। उसके दिल की हालत भी ऐसी ही हो जानी चाहिए थी, जैसी कि खरगोश के दिल की हुई थी।
डॉक्टर सावंत भी इस भिन्नता को देखकर हैरान रह गया था। उसने कहा
"इसमें कोई शक नहीं डॉक्टर राज कि आपकी जिज्ञासु प्रवृति बहुत फायदेमंद साबित हुई है। मैंने तो लाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भेज दी थी और मेरा काम खत्म हो गया था।"
"जी हां।" राज ने माईक्रोस्कोप में खरगोश के खून में मिले जहर के कणों का मुआयना करते हुए कहा
"अब जरा यह भी देख लीजिए कि खरगोश के जिस्म से मिले खून में जहर के कण और सलीम अनवर के खून में पाए गए जहर के कणों में कितनी भिन्नता है।"
"हां। वाकई आप सही कह रहे हैं। इसका मतलब है।" डॉक्टर सावंत कुछ देर मुआयना करके खड़ा हो गया और बोला, "सलीम अनवर को उस सांप ने नहीं काटा, जो कमरे में से पकड़ा गया है ?"
"जी, और यही मेरा मकसद थी था।"
"मैं समझा नहीं कि आपको सन्देह क्यों था?" डॉक्टर सावंत ने पूछा।
"सीधी सी बात थी। प्लाजा एक फाइव स्टार होटल है जिसकी सफाई दिन में चार-चार बार होती है। उसके किसी कमरे में ऐसे जहरीले सांप का पाया जाना ही सन्देह पैदा करने के लिए काफी था।" राज ने कहा-''और जब हम पर खंजर से हमला किया गया था तो हमने जांच में पाया था कि वो खंजर एक सांप के जहर में बुझा हुआ है....और खंजर फेंकने वाले आदमी को उस रहस्यमयी हसीना शिंगूरा से कोई-न-कोई सम्बंध जरूर है। इसका मतलब यह है कि शिंगूरा से कोई-न-कोई सम्बंध जरूर है। इसका मतलब यह है कि शिंगूरा का सम्बंध या सम्पर्क सांपों के जहर के किसी स्पेशलिस्ट से जरूर है, या फिर वो खुद ही इस काम में एक्सपर्ट हैं।"
डॉक्टर सावंत ने सोचपूर्ण ढंग से सिर हिला दिया। राज
आगे बोला
"और जब मुझे मालूम हुआ कि वहीं खतरनाक हसीना शिंगूरा उस नौजवान से शादी करने वाली है, जो कतलत्ते को बहुत बड़ा दौलतमंद था, तो उसी दिन से मुझे उस नौजवान की जान खतरे में महसूस होने लगी थी। अब आप की बताइए, क्या ऐसी स्थिति में, मेरी जगह आप होते तो क्या आपको शक नहीं हो
जाता?"
"बिल्कुल हो जाता।" डॉक्टर सावंत ने स्वीकार कर लिया।
" और इससे यह भी जाहिर होता है कि शिंगूरा ने किसी तरह उसे बहका कर, फुसलाकर उससे पैंतीस-चालीस लाख रूपया ले लिया और उसे मार डाला, ताकि वो रूपये के मामले में तकाजा
न कर सके। यह यह भी हो सकता है कि सलीम अनवर को शिंगरा पर किसी किस्म का शक हो गया हो और बात खुलने के भय से शिंगूरा ने उसे रासते से हटा दिया हो। बहरहाल, वो मर गया है और अपने राज अपने साथ ले गया...."
"तो हमारे प्रयोग का अब यह नतीजा निकला!'' डॉक्टर सावंत ने कहा-"कि सलीम अनवर की मौत उस सांप के काटने से नहीं हुई?"
"जी हां।' राज बोला, " बल्कि यह हुआ होगा कि शाम के वक्त उसके जिस्म में किसी तहर किसी दूसरे सांप का जह दाखिल कर दिया गया, तो धीरे-धीरे असर करता रहा, जहां तक कि सात-आठ घंटे बाद सलीम अनवर मर गया। उसी दौरान शिंगूरा या कोई और, यह खतरनाक सांप लेकर वहां पहुंचा और उसे उसके कमरे में छोड़ दिया। ताकि सुबह जब पुलिस तलाशी ले तो सारी जिम्मेदारी उसी सांप पर डाल दी जाए और शिंगूरा पर किसी किस्म का सन्देह न किया जा सके..."
"लेकिन सवाल यह है कि दूसरे सांप का जहर उसके जिस्म में कैसे दाखिल किया गया?" डॉक्टर सावंत ने कहा, "जाहिर है सलीम इतना बेवकूफ तो नहीं था तो आसानी से जहरीला इंजेक्शन लगवा लेता। इसके अलावा उसके जिस्म पर उसके सिवा कोई निशान नहीं है जो उसकी हथेली के पीछे पाया गया
था।"
Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
"यह कोई मुश्किल काम नहीं है।" राज ने कहा, "मैं अपना अनुमान बताता हूं। कल शाम सलीम शिंगूरा के साथ गया था। शिंगूरा पहले से उसे कल शाल सलीम शिंगूरा के साथ गया था। शिंगूरा पहले से उसे कल मारने का प्रोग्राम बनाए बैठी होगी। इसलिए वो अपने साथ कोई ऐसी नोकीली चीज, जिसकी नोक पर जहर लगा होगा, ले गई होगी और किसी छोटे से पाईप में वो सांप भी वहीं ले गई होगी। उसी दौरान किसी वक्त उसने वो नोकीली चीज एक-दो बार सलीम के हाथ पर चुभो दी होगी, जिससे उसके हाथ में खरोंचें आ गई होंगी। उस वक्त ज्यादा से ज्यादा यह होगा कि सलीम ने सिसकारी लेकर अपना हाथ खींच लिया होगा। प्यार मोहब्बत के क्षणों में ऐसी बातों पर कौन ध्यान देता है?" उसने भी जरा से दर्द को बर्दाश्त कर लिया होगा। उस वक्त तक शिंगूरा को प्रोग्राम का आधा हिस्सा पूरा हो गया होगा। जब वो सलीम के साथ होटल आई होगी तो उसने सलीम की नजर बचाकर कमरे में वो सांप छोड़ दिया होगा
और सांप अपनी आदत के मुताबिक कालीन के नीचे घुस कर छुप गया होगा, क्योंकि कोई भी सांप तक तक नहीं काटता, जब तक कि उसे छेड़ा न जाए। अगर वो निशान सलीम के पांव पर होते तो सोचा जा सकता था कि अन्धेरे में सांप ने उसे डस लिया होगा। लेकिन खरोंचे हाथ पर थीं, इसका मतलब उसे सांप ने नहीं काटा।"
"वाकई, दलील तो बहुत मजबूत है।” डॉक्टर सावंत ने कहा।
"एक सबूत और है।" राज बोला, "रात को सलीम हमेशा की अपेक्षा उदास था और जल्दी सोने चला गया था। यानि उसके जिस्म में जहर फैलने लगा था और उसका असर उसके दिलो-दिमाग पर होने लगा था जिसने उसे निढाल सा कर रखा
था।"
"बिल्कुल ! अब मेरी समझ में पूरा किस्सा आ चुका है। सब कुछ इसी तरह घटा होगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि नई परिस्थितियों में हमें अब क्या करना चाहिए?"
"यही तो हमें सोचना है।" राज ने गहरी सांस लेकर कहा।
"क्यों ने पुलिस को हम अपने सारे अनुमान बता दें?"
"नहीं ! अभी मैं इसमें पुलिस को शामिल नहीं करना चाहता।" राज ने जवाब दिया।
"क्यों?" डॉक्टर सावंत ने पूछा।
"क्योंकि पुलिस एकदम बेढंगेपन से शिंगूरा के पीछे पड़ जाएगी और वो वक्त से पहले ही होशियार हो जाएगी और भागने के
रास्ते तलाश करने लगेगा। हमारे पास कोई सबूत तो है नहीं उसके खिलाफ । बस अनुमान ही अनुमान है। ऐसी हालत में अगर शिंगूरा को मालूम हो गया कि पुलिस उसके पीछे पड़ गई है तो वो फौरन या तो बम्बई छोड़ देगी या फिर वो बहुत ज्यादा सावधान हो जाएगी।"
"यह भी ठीक है।" डाक्टर सावंत ने कहा, "लेकिन अब उसकी तरफ से लापरवाह भी तो नहीं रहा जा सकता ?"
"उसके लिए हमें अब ज्यादा सतर्क हो जाना होगा और खासतौर पर उसकी गतिविधयों पर नजर रखनी होगी या फिर हममें से एक आदमी उसके साथर तैनात रहे।
"लेकिन वो हम सबको पहचानती है, फौरन समझ जाएगी। और यह बात ज्यादा देर उससे छुपी भी नहीं रह सकेगी।"
"इस काम के लिए उस टैक्सी ड्राईवर की सेवाएं प्राप्त की जा सकती हैं।" राज ने सुझाव दिया।
सतीश पहले भी यह सुझाव रख चुका था जिसका डॉक्टर सावंत ने विरोध किया था। लेकिन कुछ सोच-विचार के बाद उस वक्त वो इस सुझाव से सहमत हो गया।
उन तीनों ने मिल कर यह फैसला किया कि उस टैक्सी ड्राईवर को उचित मुआवजा देकर उसे शिंगूरा की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तैनात कर दिया जाए।
राज ने ड्राईवर का पता नोट कर रखा था। इसी दिन शाम
को उसने ड्राईवर को तलाश कर लिया और उसे अपने साथ लेकर डॉक्टर सावंत के घर पहुंच गया।
काम किस किस्म का है, जानकार वो पहले तो हिचकिचाया, फिर जब उसे सही पैसे मिलने का अनश्वासन दिया गया और डॉक्टर सावंत ने दो हजार रूपये उसके हाथ में रखे तो वह तैयार हो गया।
यह तय हुआ कि दिन भर किसी भी तरह जिस तरह वो चाहे शिंगूरा गतिविधियों पर नजर रखे। अगर वो अपनी कोठी पर हो तो छुपकर कोठी की निगरानी करता हरे और वहां हर आने-जाने वाले पर निगाह रखे। जब वो जाए, नोट कर ले और हर रोज रात को डॉक्टर सावंत के घर पर आकर पूरे दिन की रिपोर्ट दे दिया करे। पैसे जब जरूरत हो और मांग ले।
बातचीत के दौरात डॉक्टर सावंत ने कहा
"पीछा करने के दौरान तो खैर यह अपने आप को छुपा सकता है, लेकिन कोठी की निगरानी के वक्त यह कैसे छुप सकेगा ?
क्योंकि इसके पास टैक्सी होगी, बगैर टैक्सी के यह कोठ के बाहर शिंगूरा का पीछा कैसे कर सकेगा?"
"उसकी आप फिक्र ने करें।" ड्राईवर ने, जिसका नाम बन्ता सिंह था, कहा-"उनकी कोठी से कोई दो फाग के फासले पर ईटें बनाने की एक फैक्ट्री थी कि जमाने में। लेकिन अब वहां दूर-दूर तक सिर्फ गहरी खंदकें ही रह गई हैं। वो इतनी चौड़ी
और गहरी हैं कि टैक्सी उनमें आसानी से खड़ी हो सकती है। जब मैं दिन के वक्त कोठी की निगरानी किया करूंगा तो गाड़ी किसी खंदक में छुपा दिया करूंगा और खुद कहीं आड़ में बैठकर
कोठी की निगरानी किया करूंगा। जब पीछा करने की जरूरत पड़ेगी तो भागकर टैक्सी ले लिया करूंगा। वहां से शहर आने वाली सड़क चूंकि एकदम सीधी है, इसलिए वहां चार मिनट की देरी नाल कोई फर्क नहीं पड़ेगा जी। बाद में बढ़ाकर दूरी कवर हो जाया करेगी?"
"यह तरकीब बढ़िया है।” राज ने कहा।
"ओके, तो सुबह से तुम अपना काम शुरू कर दो।" डॉक्टर सावंत ने ड्राईवर से कहा।
"ठभ्क है बाऊ जी।" बन्ता सिंह ने कहा और सिर झुका कर चला गया।
दूसरे दिन प्रोग्राम के अनुसार बन्ता सिंह शाम को डॉक्टर सावंत के यहां पहुंचा गया। उसकी रिपोर्ट थी कि दिन भर शिंगूरा की कोठी में कोई नहीं गया। न कोई कोठी से बाहर निकला था।
और सांप अपनी आदत के मुताबिक कालीन के नीचे घुस कर छुप गया होगा, क्योंकि कोई भी सांप तक तक नहीं काटता, जब तक कि उसे छेड़ा न जाए। अगर वो निशान सलीम के पांव पर होते तो सोचा जा सकता था कि अन्धेरे में सांप ने उसे डस लिया होगा। लेकिन खरोंचे हाथ पर थीं, इसका मतलब उसे सांप ने नहीं काटा।"
"वाकई, दलील तो बहुत मजबूत है।” डॉक्टर सावंत ने कहा।
"एक सबूत और है।" राज बोला, "रात को सलीम हमेशा की अपेक्षा उदास था और जल्दी सोने चला गया था। यानि उसके जिस्म में जहर फैलने लगा था और उसका असर उसके दिलो-दिमाग पर होने लगा था जिसने उसे निढाल सा कर रखा
था।"
"बिल्कुल ! अब मेरी समझ में पूरा किस्सा आ चुका है। सब कुछ इसी तरह घटा होगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि नई परिस्थितियों में हमें अब क्या करना चाहिए?"
"यही तो हमें सोचना है।" राज ने गहरी सांस लेकर कहा।
"क्यों ने पुलिस को हम अपने सारे अनुमान बता दें?"
"नहीं ! अभी मैं इसमें पुलिस को शामिल नहीं करना चाहता।" राज ने जवाब दिया।
"क्यों?" डॉक्टर सावंत ने पूछा।
"क्योंकि पुलिस एकदम बेढंगेपन से शिंगूरा के पीछे पड़ जाएगी और वो वक्त से पहले ही होशियार हो जाएगी और भागने के
रास्ते तलाश करने लगेगा। हमारे पास कोई सबूत तो है नहीं उसके खिलाफ । बस अनुमान ही अनुमान है। ऐसी हालत में अगर शिंगूरा को मालूम हो गया कि पुलिस उसके पीछे पड़ गई है तो वो फौरन या तो बम्बई छोड़ देगी या फिर वो बहुत ज्यादा सावधान हो जाएगी।"
"यह भी ठीक है।" डाक्टर सावंत ने कहा, "लेकिन अब उसकी तरफ से लापरवाह भी तो नहीं रहा जा सकता ?"
"उसके लिए हमें अब ज्यादा सतर्क हो जाना होगा और खासतौर पर उसकी गतिविधयों पर नजर रखनी होगी या फिर हममें से एक आदमी उसके साथर तैनात रहे।
"लेकिन वो हम सबको पहचानती है, फौरन समझ जाएगी। और यह बात ज्यादा देर उससे छुपी भी नहीं रह सकेगी।"
"इस काम के लिए उस टैक्सी ड्राईवर की सेवाएं प्राप्त की जा सकती हैं।" राज ने सुझाव दिया।
सतीश पहले भी यह सुझाव रख चुका था जिसका डॉक्टर सावंत ने विरोध किया था। लेकिन कुछ सोच-विचार के बाद उस वक्त वो इस सुझाव से सहमत हो गया।
उन तीनों ने मिल कर यह फैसला किया कि उस टैक्सी ड्राईवर को उचित मुआवजा देकर उसे शिंगूरा की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तैनात कर दिया जाए।
राज ने ड्राईवर का पता नोट कर रखा था। इसी दिन शाम
को उसने ड्राईवर को तलाश कर लिया और उसे अपने साथ लेकर डॉक्टर सावंत के घर पहुंच गया।
काम किस किस्म का है, जानकार वो पहले तो हिचकिचाया, फिर जब उसे सही पैसे मिलने का अनश्वासन दिया गया और डॉक्टर सावंत ने दो हजार रूपये उसके हाथ में रखे तो वह तैयार हो गया।
यह तय हुआ कि दिन भर किसी भी तरह जिस तरह वो चाहे शिंगूरा गतिविधियों पर नजर रखे। अगर वो अपनी कोठी पर हो तो छुपकर कोठी की निगरानी करता हरे और वहां हर आने-जाने वाले पर निगाह रखे। जब वो जाए, नोट कर ले और हर रोज रात को डॉक्टर सावंत के घर पर आकर पूरे दिन की रिपोर्ट दे दिया करे। पैसे जब जरूरत हो और मांग ले।
बातचीत के दौरात डॉक्टर सावंत ने कहा
"पीछा करने के दौरान तो खैर यह अपने आप को छुपा सकता है, लेकिन कोठी की निगरानी के वक्त यह कैसे छुप सकेगा ?
क्योंकि इसके पास टैक्सी होगी, बगैर टैक्सी के यह कोठ के बाहर शिंगूरा का पीछा कैसे कर सकेगा?"
"उसकी आप फिक्र ने करें।" ड्राईवर ने, जिसका नाम बन्ता सिंह था, कहा-"उनकी कोठी से कोई दो फाग के फासले पर ईटें बनाने की एक फैक्ट्री थी कि जमाने में। लेकिन अब वहां दूर-दूर तक सिर्फ गहरी खंदकें ही रह गई हैं। वो इतनी चौड़ी
और गहरी हैं कि टैक्सी उनमें आसानी से खड़ी हो सकती है। जब मैं दिन के वक्त कोठी की निगरानी किया करूंगा तो गाड़ी किसी खंदक में छुपा दिया करूंगा और खुद कहीं आड़ में बैठकर
कोठी की निगरानी किया करूंगा। जब पीछा करने की जरूरत पड़ेगी तो भागकर टैक्सी ले लिया करूंगा। वहां से शहर आने वाली सड़क चूंकि एकदम सीधी है, इसलिए वहां चार मिनट की देरी नाल कोई फर्क नहीं पड़ेगा जी। बाद में बढ़ाकर दूरी कवर हो जाया करेगी?"
"यह तरकीब बढ़िया है।” राज ने कहा।
"ओके, तो सुबह से तुम अपना काम शुरू कर दो।" डॉक्टर सावंत ने ड्राईवर से कहा।
"ठभ्क है बाऊ जी।" बन्ता सिंह ने कहा और सिर झुका कर चला गया।
दूसरे दिन प्रोग्राम के अनुसार बन्ता सिंह शाम को डॉक्टर सावंत के यहां पहुंचा गया। उसकी रिपोर्ट थी कि दिन भर शिंगूरा की कोठी में कोई नहीं गया। न कोई कोठी से बाहर निकला था।
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
शाम को शिंगूरा और उसका भाई जमाल पाशा कार में सवार होकर शहर के लिए निकले थे तो बंता सिंह ने उनका पीछा किया था। पहले वो दोनों फोर्ट इलाके की कालोनी की एक बड़ी दुकान पर गए थे। फिर एक केमिस्टर से उन्होंने कुछ
दवाईयों खरीदी थी। वहां से वो सीधा क्लब गए थे और करीब दो घंटे उन्होंने क्लब में बिताए थे और बंता सिंह उस नाईट क्लब के बाहर उनका इन्तजार करता रहा था।
नौ बजे के करीब वो क्लब से निकले थे और सीधा अपनी कोठी पहुच गए थे। बंता सिंह उनके पीछे कोठी तक गया था
और वहां से वापसी पर सीधा डॉक्टर सावंत के घर आया था।
डॉक्टर सावंत और राज ने उसकी चतुराई की तारीफ की
और उसे ज्यादा से ज्यादा सतर्क रहने का निर्देश देकर वापिस भेज दिया।
ऊपरी तौर पर उन्हें आज की रिपोर्ट से कोई खास बात नहीं मालूम हुई थी। लेकिन चूंकि उसकी गतिविधियों पर ही नजर रखनी थी, इसलिए इससे ज्यादा किया भी क्या जा सकता था।
डॉक्टर सावंत की राय थी कि क्योंकि शिंगूरा बहुत चालाक है इसलिए वो इस बड़ी वारदात के बाद अभी कोई नया काण्ड नहीं करेगी, ताकि लगातार वारदातें उसे पुलिस और पब्लिक की नजरों में संदिग्ध न बना दें।
बंता सिंह को इस ड्यूटी के बारे में राज ने सतीश को भी विस्तार से बात दिया था। सतीश ने तो जिउ भी की थी कि वो बंता सिंह के साथ-साथ खुद भी शिंगूर की निगरानी करेगा।
लेकिन डॉक्टर सावंत और राज ने उस पर सोचकर उसकी जिद नहीं मानी कि सतीश एक लापरवाह सा आदमी है और
सीधा-सादा भी, अगर शिंगूरा को जरा भी उस पर शक हो गया तो उसे बेझिझक ठिकाने लगा देगी। जाहिर है, वो राज या सतीश पर रहम नहीं कर सकती थी।
एक बात और राज को कई दिन से परेशान कर रही थी कि शिंगूरा उनकी तरफ से खामोश क्यों बैठ गई है? आखिर वो किस सोच में है? न ही उस दिन के बाद वो भयानक सूरत
आदमी ही उन्हें नजर आया था, जिसने खंजर से उन पर हमला किया था।
नीलकण्ड की यकीन था कि शिंगूरा उनके बारे में कोई निहायत
की खतरनाक चाल साचे रही होगी। शायद बीच में सलीम अनवर का मामला फस जाने की वजह से उसने इनका मामला टाल दिया था।
इसी तरह दिन गुजरते रहे, हर काम सुख-शांति से होता रहा। बंता सिंह हर रोज शाम को उन्हें उस दिन की रिपोर्ट दे दिया करता। लेकिन अभी तक इन्हें ऐसी कोई बात नहीं पता चली थी जो सन्देह पैदा करती । इस तरह नौ-दस दिन गुजर चुके
वो लोग हालात की एकरसता से उपकता चुके थे कि अचानक एक दिन एक नई घटना घट गई। उस दिन पिछले दिनों की रूटीन के खिलाफ बंता सिंह डॉक्टर सावंत के यहां नहीं पहुंचा।
रात को उन्होंने यह समझा कि शायद वो देर से शहर लौटा होगा, इसलिए इधर आने के बजाय सीधा घर चला गया होगा। लेकिन जब सुबह को भी वो नहीं आया तो राज ने दस जे के बाद बंता सिंह के घर जाकर पूछा तो उसे पता चला कि वो रात को घर भी नहीं लौटा था।
यह सचूना पाकर राज को सख्त चिंता हुई थी और वो भागा-भागा डॉक्टर सावंत के यहां पहुंचा था और उसने डॉक्टर सावंत को बंता सिंह के लापता होने के बारे में बताया।
यह खबर पाकर डॉक्टर सावंत भी परेशान हो गया। बहुत देर
तक वो दोनों मशविरे करते रहे। स्थिति की समीक्षा करते रहे।
आखिर काफी देर बाद उन्होंने यह फैसला किया कि राज टैक्सी पकड़ कर ब्रिक फैक्ट्री की उन खंदकों की तरह जाए जहां से फैक्ट्री के जमाने में ईंट बनाने के लिए मी निकाली जाती थी
और जिनका जिक्र बंता सिंह ने किया था कि वो टैक्सी उनमें से किसी एक में खड़ी किया करेगा।
पैंतीस मिनट बाद राज उन खंदकों के किनारे पहुंचा गया
टैक्सी वाले को साथ लेकर राज उन खंदकों में उतरा। बड़ी भयानक और रहसयमय जगह थी। जमीन काफी गहरी खुदी हुई
थी और इसी तरह की पतली-पतली गलियां थीं कि दिन के वक्त भी वहां खौफ सा महसूस होता था।
राज ने सोचा
"इस जगह अगर कोई किसी को कत्ल करके डाल दे तो किसी को महीनों पता न चले....।"
उसे आशंका हुई कि कहीं बंता सिंह के साथ भी ऐसा ही तो कुछ नहीं घट गया? हो सकता है शिंगरा या उसके साथी को शक हो गया हो और उन्होंने बंता सिंह का काम तमाम कर दिया हो? यह सोचते ही मारे खौफ को राज के रोंगटे खड़े हो गए।
टैक्सी ड्राईवर को उसने बता दिया कि ड्राईवर बंता सिंह कल यहां किसी काम से अपनी टैक्सी लेकर आया था, उसके बाद
वापिस नहीं गया, उसे तलाश करना है।
दवाईयों खरीदी थी। वहां से वो सीधा क्लब गए थे और करीब दो घंटे उन्होंने क्लब में बिताए थे और बंता सिंह उस नाईट क्लब के बाहर उनका इन्तजार करता रहा था।
नौ बजे के करीब वो क्लब से निकले थे और सीधा अपनी कोठी पहुच गए थे। बंता सिंह उनके पीछे कोठी तक गया था
और वहां से वापसी पर सीधा डॉक्टर सावंत के घर आया था।
डॉक्टर सावंत और राज ने उसकी चतुराई की तारीफ की
और उसे ज्यादा से ज्यादा सतर्क रहने का निर्देश देकर वापिस भेज दिया।
ऊपरी तौर पर उन्हें आज की रिपोर्ट से कोई खास बात नहीं मालूम हुई थी। लेकिन चूंकि उसकी गतिविधियों पर ही नजर रखनी थी, इसलिए इससे ज्यादा किया भी क्या जा सकता था।
डॉक्टर सावंत की राय थी कि क्योंकि शिंगूरा बहुत चालाक है इसलिए वो इस बड़ी वारदात के बाद अभी कोई नया काण्ड नहीं करेगी, ताकि लगातार वारदातें उसे पुलिस और पब्लिक की नजरों में संदिग्ध न बना दें।
बंता सिंह को इस ड्यूटी के बारे में राज ने सतीश को भी विस्तार से बात दिया था। सतीश ने तो जिउ भी की थी कि वो बंता सिंह के साथ-साथ खुद भी शिंगूर की निगरानी करेगा।
लेकिन डॉक्टर सावंत और राज ने उस पर सोचकर उसकी जिद नहीं मानी कि सतीश एक लापरवाह सा आदमी है और
सीधा-सादा भी, अगर शिंगूरा को जरा भी उस पर शक हो गया तो उसे बेझिझक ठिकाने लगा देगी। जाहिर है, वो राज या सतीश पर रहम नहीं कर सकती थी।
एक बात और राज को कई दिन से परेशान कर रही थी कि शिंगूरा उनकी तरफ से खामोश क्यों बैठ गई है? आखिर वो किस सोच में है? न ही उस दिन के बाद वो भयानक सूरत
आदमी ही उन्हें नजर आया था, जिसने खंजर से उन पर हमला किया था।
नीलकण्ड की यकीन था कि शिंगूरा उनके बारे में कोई निहायत
की खतरनाक चाल साचे रही होगी। शायद बीच में सलीम अनवर का मामला फस जाने की वजह से उसने इनका मामला टाल दिया था।
इसी तरह दिन गुजरते रहे, हर काम सुख-शांति से होता रहा। बंता सिंह हर रोज शाम को उन्हें उस दिन की रिपोर्ट दे दिया करता। लेकिन अभी तक इन्हें ऐसी कोई बात नहीं पता चली थी जो सन्देह पैदा करती । इस तरह नौ-दस दिन गुजर चुके
वो लोग हालात की एकरसता से उपकता चुके थे कि अचानक एक दिन एक नई घटना घट गई। उस दिन पिछले दिनों की रूटीन के खिलाफ बंता सिंह डॉक्टर सावंत के यहां नहीं पहुंचा।
रात को उन्होंने यह समझा कि शायद वो देर से शहर लौटा होगा, इसलिए इधर आने के बजाय सीधा घर चला गया होगा। लेकिन जब सुबह को भी वो नहीं आया तो राज ने दस जे के बाद बंता सिंह के घर जाकर पूछा तो उसे पता चला कि वो रात को घर भी नहीं लौटा था।
यह सचूना पाकर राज को सख्त चिंता हुई थी और वो भागा-भागा डॉक्टर सावंत के यहां पहुंचा था और उसने डॉक्टर सावंत को बंता सिंह के लापता होने के बारे में बताया।
यह खबर पाकर डॉक्टर सावंत भी परेशान हो गया। बहुत देर
तक वो दोनों मशविरे करते रहे। स्थिति की समीक्षा करते रहे।
आखिर काफी देर बाद उन्होंने यह फैसला किया कि राज टैक्सी पकड़ कर ब्रिक फैक्ट्री की उन खंदकों की तरह जाए जहां से फैक्ट्री के जमाने में ईंट बनाने के लिए मी निकाली जाती थी
और जिनका जिक्र बंता सिंह ने किया था कि वो टैक्सी उनमें से किसी एक में खड़ी किया करेगा।
पैंतीस मिनट बाद राज उन खंदकों के किनारे पहुंचा गया
टैक्सी वाले को साथ लेकर राज उन खंदकों में उतरा। बड़ी भयानक और रहसयमय जगह थी। जमीन काफी गहरी खुदी हुई
थी और इसी तरह की पतली-पतली गलियां थीं कि दिन के वक्त भी वहां खौफ सा महसूस होता था।
राज ने सोचा
"इस जगह अगर कोई किसी को कत्ल करके डाल दे तो किसी को महीनों पता न चले....।"
उसे आशंका हुई कि कहीं बंता सिंह के साथ भी ऐसा ही तो कुछ नहीं घट गया? हो सकता है शिंगरा या उसके साथी को शक हो गया हो और उन्होंने बंता सिंह का काम तमाम कर दिया हो? यह सोचते ही मारे खौफ को राज के रोंगटे खड़े हो गए।
टैक्सी ड्राईवर को उसने बता दिया कि ड्राईवर बंता सिंह कल यहां किसी काम से अपनी टैक्सी लेकर आया था, उसके बाद
वापिस नहीं गया, उसे तलाश करना है।
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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