Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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"बस, आप गया और अभी आया।" राज ने कहा और कपड़ें बदलने के लिए तेजी से अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। इस वक्त उसने ज्योति के साथ पिक्चर जाने का फैसला दो वजहों से किया था। एक तो यह कि उसने बड़े प्रार्थना भरे स्वर में आग्रह किया था, जो सभ्यातावश वो मना नहीं कर सका था।

दूसरे उसने सोचा था कि शायद एकांत में और अच्छे मूड में होने की वजह से ज्योति के मुंह से कोई बात निकल जाए जिससे मामले की उलझी डोर का कोई सिरा हाथा आ सके। वर्ना न तो राज पिक्चरो का इतना शौकीन था, और न ही उसे ज्योति के साथ एकांत में वक्त गुजारने की कोई इच्छा थी।

अपने कमरे में पहुंच कर राज ने जल्दी-जल्दी कपड़े बदले और फौरन ही वापिस ज्योति के कमरे की तरफ चल पड़ा था। इस सारे काम में उसे ज्यादा से ज्याद तीन-मिनट लगे होंगे।

"चलिए भाभी..........मैं..........।

ज्योति के कमरे में पहुचकर उसने इतना ही कहा था कि उसे चौंक कर खामोशी हो जाना पड़ा था। कमरे मे घुसते ही उसनेदेखा कि सामने सोफे पर बैठा डॉक्टर जय सिगरेट के कश लगा रहा था और ज्योति आईने के सामने खड़ी अपने मेकअप को आखिरी टच दे रही थी। वो दोबारा लिपस्टिक लगा रही थी।

राज ने गौर से देखा तो उसने ज्योति के होंठों की लाल लिपस्टिक को कही-कहीं से उतरा हुआ पाया, जैसे जल्दी में किसी चीज से रगड़ खाकर उतर गई हो। बाकी मेकअप एकदम फिट थां

राज ने सोचा, अभी कुछ मिनट पहले वो अपना मेकअप पूरा कर चुकी थी, होंठों पर लिपस्टिक भी बड़े अच्छे और मोहक ढंग से लगाई हुई थी उसने फिर इतनी सी देर में क्या हो गया कि उसे दोबारा लिपस्टिक लगाने की जरूरत पड़ गई?

ये तमाम सवाल उसके जहन में सिर्फ आधे मिनट में ही होकर गुजर गई थे। फिर फौरन ही उसे डॉक्टर जय का ख्याल आ गया

"हैलों डॉक्टर साहब, कहिए, क्या हालचाल हैं ?" राज ने जल्दी से अपना हाथ बढ़ा कर कहा।

.

"कृपा हैं ऊपर वाले की.......।" डॉक्टर जय ने मुस्कराकर नलीकण्ठ का हाथ पकड़ लिया, दोनों एक ही सोफे पर अगल-बगल बैठ गई

"राज!'' ज्योति ने आईने में देखते हुए कहा-“डॉक्टर जय भी हमारे साथ पिक्चर देखने चल रहे है......

“यह तो बड़ी खुशी की बात हैं।" राज ने कहा।

"अजी कहां आप लोगों को बोर ही तो करूंगा। लेकिन ज्योति की जिद हैं तो हमारी गर्दन झुकी हुई हैं।" डॉक्टर जय ने मुस्कराकर कहा। फिर अपनी घड़ी देखकर बोला, "मेरा ख्याल हैं, टाईम हो गया हैं.........हब हमें चलना चाहिए।"

"हां, अब चलना चाहिए.....वर्ना फिल्म निकल जाएगी।

राज ने उसका समर्थन किया और वो दोनों चलने के लिए उठ खड़े हुए।

ज्योति भी मेकअप से फारिग हो चुकी थी उसने भी अपना पर्स उठाया और चल दी।

किसी किस्म की घटना घटे बगैर वो दोनों पिक्चर देखकर वापिजस आ गए। लेकिन राज का जेहन अब भी इस बात में उलझा हुआ था कि आखिर ज्योति को दोबारा लिपस्टिक लगाने की क्या जरूरत पड़ गई ? लिपस्टिक उतर जाने से राज के उस सन्देह को बल मिला था जो उसे ज्योति और डॉक्टर जय पर था।

कमरे मे एकांत एक खूबसूरत औरत एक चालाक मर्द ऐसे माहौल उमें होठों की लाली उड़ जाना कोई बड़ी बात तो नही थी।

अगर राज को इस बात का सबूत मिल जाता कि ज्योति ही डॉक्टर जय की शादीशुदा प्रेमिका थी तो उसके लिए ज्योति का राज जानने में आसानी हो जाती। नाकामी के अन्धेरे में उसे रोशनी की किरण नजर आ जाती । उसे फौरन यकीन हो जाता कि ज्योति ही डॉक्टर जय से कोई जहर लाकर सतीश का दे रही है। एक बार इसका फैसला कर लेने के बाद सतीश का इलाज और देखभाल भी आसानी से की जा सकती थी। फिर उसे मौत के जाल से निकाल लेना कोई मुश्किल न होता।
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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उस घटना ने राज के सन्देह को मजबूर उरूर किया था, लेकिन इस आधार पर दोनों के सम्बन्धों के बारे में कोई ठोस फैसला नहीं किया जा सकता था।

उस दिन रात गए तक राज उसी बात पर सोचता रहा और किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका था। लेकिन उससे तीसरे दिन ही उसे अपने सवाल का सही जवाब मिल गया।

उस दिन यो ही बैठे-बैठे राज को ख्याल आया कि क्यों न डॉक्टर जय से मिला जाए? यह ख्याल आते ही वो सतीश की कार लेकर डॉक्टर जय की कोठी पर जा पहुंचा।

वो क्योंकि कई बार डॉक्टर जय की कोठी पर आ चुका था, और घंटों यहां गुजार चुका था, इसलिए पूर बेतकल्लुफी से किसी को कोई सूचना दिए बगैर सीधा अन्दर गया और ड्राइंगरूम मे जाकर बैठ गया। नौकर ने पूछने पर बताया कि साहब लॉन में माली को फूल-पौधों के बारे में कुछ निर्देश दे रहे थे।

“अच्छा, भागकर उन्हें कह कि राज आया हैं। राज ने कहा और नौकर वाकई भाग गया।

वो कोठी के पिछले हिस्से की तरफ गया था जहां डॉक्टर जय ने बड़ा खूबसूरत बगीचा लगा रखा था।

इन्तजार की घड़ियां गुजारने के लिए राज ने ड्राईगरूम अपने मालिक की ऊंची पसन्द का प्रत्यक्ष सबूत था।

कमरे के मध्य एक खूबसूरत काले रंग की मेज के गिर्द कुछ आराम कुर्सियां रखी हुई थी, दाई तरफ आतिशदान के करीब सोफा रखा हुआ था, उसी दीवार के साथ एक कोने में छोटी सी ड्रेसिंग टेबल भी लगी खड़ी थी।

राज अपनी सूरत देखने के लिए शीशे के सामने जा खड़ा हुआ। आईने में अच्छी तरह खुद का जायजा लेकर वो पलटने लगा तो उसकी नजर एक लेडीज रूमाल पर पड़ी, जो मेज पर रखी एक किताब की आड़ में पड़ा हुआ था। राज ने वो रूमाल उठाकर देखा और पहली नजर में ही उसे पहचान गया कि यह ज्योति का रूमाल था। रूमाल पर कही-कही लाल-लाल धब्बे थे।

एक फौरी ख्याल से राज ने उसे सूंघा तो रूमाल में से हल्की-हल्की चैनल फाइल की खुशबू आ रही थी, इसके अलावा लिपस्टिक की विशेष महक तो थी ही।

ज्योति का रूमाल और उस पर लिपस्टिक के दाग देखकर राज का दिमाग फौरन दो दिन पहले की उस घटना की तरफ घूम गया।

ज्योति का रूमाल, लिपस्टिक के धब्बे, दो दिन पहले ज्योति की उड़ी-उड़ी लिपस्टिक-ये तमाम बाते राज को एक ही सिलसिले की कड़ियां लग रही थी।

वैसे तो ज्योति का रूमाल डॉक्टर जय के यहां रह जाए, कोई सन्देह की बात नहीं थी, क्योंकि ज्योति डॉक्टर जय के यहां आती जाती रहती थी और वो अपना रूमाल भूल भी सकती थी। लेकिन रूमाल पर लिपस्टिक के धब्बो ने राज के सन्देह पूरे कर दिए थे। उसने सोचा, यकीनन ऐसा हुआ होगा कि ज्योति के होंठों की लिपस्टिक डॉक्टर जय के होंठों पर लग गई होगी और बाद में हड़बड़ी दे दिया होगा, जिसे ज्ञर लौटकर डॉक्अर जय ने लापरवाही से यहां डाल दिया होगा।

राज यह भी जानता था कि डॉक्टर जय की कोठी में कोई औरत नही रहती , जिसके बारे में सोचा जा सकता कि यह रूमाल उसका होगा। न ही ज्योति अपने बढ़िया रूमालों से मेकअप पोछने की आदी थी। इस काम के लिए उसने ड्रेसिंग टेबल के पास ही दो गहरे रंग के नर्म तौलिये टांग रखे थें

इस ख्याल ने जैसे यह बात साफ कर दी थी कि ज्योति ही डॉक्टर जय की गुप्त प्रेमिका हैं

कमरे के बाहर से कदमों की आहट सुनकर राज ने वो रूमाल बही डाल दिया और वापस आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया। एक मिनट बाद ही डॉक्टर जय वर्मा कमरे में दाखिल हुआ।

"हेलों राज साहब !'' उसने आते ही कहा- आज अचानक कैसे दर्शन दे दिए ?"

"आपकी याद खींच लाइ .........।” राज ने कुर्सी से उठकर हंसते हुए कहा।

हाथ मिलाने के बाद दोनों आमने-सामने कुर्सियों पर बैठ गए और इधर-उधर की बाते शुरू कर दी।
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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हालांकि रूमाल देख कर राज यह फैसला करचुका था। कि डॉक्टर जय और ज्योति में निश्चित ही प्रेम सम्बंध हैं और यह सबूत पाकर उसे कुछ खुशी भी हुई थी, क्योंकि अपने ख्याल में उसने आज इस उलझी हुई गुत्थी का एक सिरा पा लिया था, फिर भी उसने रूमाल के बारे मे पुष्टि करने का फैसला कर लिया और सोचने लगा। जितनी देर से दोनों हाथ मिलाकर बैठे, इधर-उधर की बातें कीं, उतनी देर में एक तरकीब सूझ गई थी।

उसने बातें करते-करते डॉक्टर जय से कहा
"मेरा ख्याल हैं कि आजकल तो आप बहुत ज्यादा मस्त होंगे

"मस्त तो हम हमेशा ही रहते हैं।" जय बोला, "लेकिन आपने खासतौर से आज ही क्यों कहा ?"

"क्योंकि मेरे अन्दाजे के मुताबिक हाल में ही में आप अपनी प्रेमिा से मिल चुके हैं"

उसने राज को गौर से देखा और व्यंग्य से बोला-'तो आप ज्योतिषी भी हैं राज जी ?"

"ऐसा ही समझ लीजिए डॉक्टर साहब ।" राज ने हंस कर कहा।

"तो श्रीमान जी , मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं ज्योतिष को बिल्कुल नहीं मानता। रही लवर से मिलने की बात, तो अक्सर उससे मुलाकाते होती ही रहती हैं। अपनी तो जिन्दगी ही उन मुलाकातों के सहारे गुजर रही हैं, और ......।"

"नही साहब मैं आम मुलाकातों का जिक्र नही कर रहा हूं।" राज ने उसकी बात काटकर कहा, “मैं तो उसे खास मुलाकात की बात कर रहा हूं जिसमें प्यार मोहब्बत वगैरह सब कुछ शामिल हैं और जो दो दिन कि अन्दर-अन्दर ही हुई।

“ओफ्फोह........। आप तो बड़ी गम्भीरता से अपनी ज्योतिष विद्या का प्रयोग करने लगे ।” उसने यह बात सुनी तो जरा चौंककर बोला थां

“जी हां। और यह प्रार्थना भी कर दूं कि ये बाते में ज्योतिष विद्या के आधार पर नही कह रहा हूं। बल्कि अपनी जनरल नॉलिज के आधार पर कह रहा हूं।"

"जनरल नॉलिज.....।" डॉक्टर जय ने हैरानी से उसके शब्द दोहराए।

एक क्षणा के लिए उसके चेहरे पर घबराहट के भाव प्रकट हुए, लेकिन अगले ही क्षण उसने अपने आप पर काबू पा लिया। शायद उसे खौफ हो गया हो कि कहीं राज उसका राज तो नहीं जान गया। इसलिए उसने बड़ी बेचैनी से पूछा।

"हालांकि मतलब तो बिल्कुल साफ है।" राज ने जरा व्यंग्स से कहा-'अच्छा ठहरिये। इस तरह शायद आप समझ नही सकेंगे। मैं सबूत ही क्यों न पेश कर दूं?"

कह कर राज उठा और ड्रेसिंग टेबल पर से वो रूमाल उठा लाया और डॉक्टर जय को दिखा कर बोला

“देखिये डॉक्टर साहब, आपकी ताजा मुलाकात का अन्दाजा मैने इसी रूमाल से लगाया है। अभी-अभी जब आए बागीचे में थे तो मैंने कमरे में एकांत से उकताकर कमरे का जायजा लेना शुरू कर दिया था। इत्तेफाक से मुझें ड्रेसिंग टेबल पर यह रूमाल रखा हुआ मिला गया, जिस पर लगे लिपस्टिक के धब्बे इस बात का सबूत हैं कि किसी रूप सुन्दरी के होंठों की लाली आपके प्यासे होंठों ने चुराई होगी और उसी हसीना ने बाद में आपकों होंठ साफ करने के लिए यह रूमाल पेश किया होगा।"

वो राज को धूर रहा था। राज बोला

"अब बताइए, मेरी जनरल नॉलिज किसी ज्योतिषी से कम हैं क्या ?"

रूमाल राज के हाथ में देखकर एक बार फिर पल भर के लिए डॉक्टर फौरन ही वो फिर सम्भल गया। राज की बात खत्म हो जाने के बाद उसने एक लम्बी चैन की सांस ली और आराम से मेज पर टांगें फैलाता हुआ बोला

"ओह........ । इस रूमाल की बात कर रहे हैं आप ? मैने सोचा, न जाने क्या नॉलिज हो गई हैं आपकों........।'

"अच्छा, आप सच-सच बताइए, क्या मेरा अन्दाजा गलत हैं?

क्या इस रूमाल पर लिपस्टिक के धब्बे आपके जोशीले चुम्बनों की कथा नहीं कह रहे ?"

'बेशक, आपका अन्दाजा एकदम सही है।' डॉक्टर जय ने सहमति से सिर हिलाते हुए कहा- 'मैं हाल ही मैं अपनी प्रेमिका से मिला हुं और हमने प्यार भी किया था, लेकिन यह रूमाल जो आपके हाथ में हैं, वो न मेरा हैं ना ही मेरी प्रेमिका का।"

"मैं कैसे यकीन कर सकता हूं ?" राज बोला, “जबकि मैं अच्छी तरह जानता हूं कि आपकी इस कोठी में कोई औरत नही रहती हैं जो ऐसी कीमती रूमाल इस्तेमाल कर सकती हो और इस तरह खुले दिल से लिपस्टिक बर्बाद करती हो।

“ज्यादा बड़ें जासूस बनने की कोशिश मत करो मेरे दोस्त । यह काम बहुत मुश्किल है।” डॉक्टर जय ने इस तरह मुस्कराकर कहा, जैसें राज की बाते मूर्खतापूर्ण वहम पर आधारित हों

"में सच कह रहा हूं। यह रूमाल मेरा या मेरी प्रेमिका का नही हैं बल्कि यह रूमाल मिसेज ज्योति का हैं, वो ही इसे पिछले हफ्ते यहां भूल गई थी, गलती से। इसे मैंने कल इसलिए इस्तेमाल कर लिया था क्योंकि उस वक्त मुंह साफ करने के लिए और कोई साफ कपड़ा नही मिला था। नौकरो की अर्थपूर्ण मुस्कराहटों से बचने के लिए रंगे हुए होंठ साफ कर लेना बहुत जरूरी था।

सच पूछो तो इन फैशनेबल औरतों से मिलने पर मुझें उलझन ही होती हैं कि कमबख्त लिपस्टिक इतनी ज्यादा थोप लेती हैं कि अगर कोई जल्दबाजी में किस करे तो लिपस्टिक इश्तहार बन जाती हैं, उधर उनका खूद का चेहरा लुटा-पिटा नजर आने लगता है। इधर हम होते हैं कि होठ रगड़ते फिरते है।"

वो खामोशी हुआ तो राज ने पूछा
“क्या वाकई यह रूमाल ज्योति भाभी का हैं ?"

“आपको मेरे जवाब पर शक क्यों हैं ?" उसने अपनी तेज आंखों से राज के चेहरे को देखा- “वाकई यह रूमाल मिसेज सतीश का है। लेकिन इससे आपके दावे का खण्डन तो नहीं हो जाताा । मेरी प्रेमिका वाकई कल मुझसे मिलने आई थी और यह लिपस्टिक उसी के गुलाबी होंठों पर से मेरे होंठो पर शिफ्ट हुई थी।
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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डॉक्टर जय के मुंह से यह बात सुन कर राज की उम्मीदों पर ओस पड़ गई । उसने रूमाल देखने के बाद अपने जेहर में स्थिति का एक जो खाका सा बनाया था, वो बिल्कुल बेकार साबित हुआ था।
उसने सोचा था कि अगर ज्योति का डॉक्टर जय से अफेयर हैं तो ज्योति डॉक्टर जय से ही कोई जहर लेकर सतीश पर इस्तेमाल कर रही होगी और अब वो डॉक्टर जय की लेब्रोटेरी मैं मौजूद सारे सांपों और जहरों की पहचान करेगा ओर किसी तरह सबके जहर प्राप्त करने की कोशिश करेगा और ऐसा तोड़ बनाने की कोशिश करेगा जो तमाम जहरों की मारक क्षमता खत्क करने में समर्थ हो।

ऐसा तोड़ बना लेने बाद सतीश का सेहतमंद हो जाना भी कोई मुश्किल काम नही साबित होता था। लेकिन इस सबके लिए यह जरूरी था कि डॉक्टर और ज्योति के बारे में उसका सन्देह सही साबित हो।

लेकिन जब डॉक्टर जय ने अनापेक्षित रूम से बिना किसी हिचकिचाहट के यह कबूल कर लिया कि वो रूमाल वाकई ज्योति का हैं तो राज चकरा कर रह गया था। क्योंकि उसका अन्दाजा था कि अगर रूमाल ज्योति का हैं जा उसने परसों डॉक्टर जय को दिया था तो जय यह बात भी कबूल नहीं करेगा, वो इतना बेवकूल नहीं था कि अपनी प्रेमिका के लिखाफ एक सबूत कबूला ले।

लेकिन जब उसने वो सबूत कबूल कर लिया था तो राज को परेशान जरूरी थी। उसका यह स्वीकारना इस तरह संकेत करता था कि उसके ज्योति से प्रेम सम्बंध नही थे, तभी तो उसने खुले दिल से रूमाल ज्योति का होने की बात मान ली थी।

: अब क्या सोचने लगे?" डॉक्टर जय ने राज को सोच में डूबे देखकर कहा।

"कुछ भी नही ।राज चौंक सा उठा, उसने जबरन मुस्कराते हुए कहा-“चलिए मेरी दो सूचनाओं में से एक सूचना तो सही हैं ही , यह रूमाल ज्योति भाभी का ही सही, इस पर लिपस्टिक के दाग तो आपकी प्रेमिका के होंठो पर से उतरी लिपस्टिक के ही

“यह बात तो मैं हपले ही कबूल कर चुका हूं।" डॉक्टर जय मुस्कराकर बोला-“इन चक्करों में पड़ने की क्या जरूरत हैं? मैं माने लेता हूं कि आपकी विश्लेषण करने की शक्ति जबर्दस्त हैं। अब बताइए, चाय पिएगें।

राज ने वो रूमाल ड्रेसिंग टेबल पर रख दिया। ऊपरी लापरवाहियों को देखकर यकीनन यह सझते होग

"चाय को कौन इन्कार कर सकता हैं ? इसमें पूछेने की क्या जरूरत है।

“आज मेरी तरह आप भी खूब मूड में नजर आते है।” डाक्टर जय ने सेन्टर टेबल पर अंगुलियों से तबला बजाते हुए कहा। फिर उसने नौकर की बुलाकर चाय के लिए बोल दिया। उसके बाद राज की तरफ आकर्षित होकर कुछ दार्शनिक से लहजे में बोला

"राज साहब, आप मेरी ऊपरी लापरवाहियों को देखकर यकीनन यह समझते होगें कि मैं कुछ अजीब सा आदमी हुँ ।हालांकि मैं भी एक आम इन्सान ही हूं। यकीन कीजिए , कि मैं अपनी प्रेमिका के बगैर एक दिन भी जिन्दा नही रह सकता।
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