Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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Sexi Rebel
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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राज फौरन पहचान गया वो चेहरा उसी भयानक सूरत आदमी का था जिसे राज ने उस दिन रेड रोज क्लब के बाहर सड़क पर देखा था।
अगले पल कार सड़क पर हवा से बातें करती हुई उनकी निगाहों से ओझल हो गई थी । सतीश चूंकि सड़क की तरफ पीठ किए राज की तरफ देख रहा था, इसलिए उसे इस पूरे मामले की कोई खबर नहीं थी। वो गिर कर उठा था और खौफ भरे स्वर में बोला था

“य.......यह क्या था? वो अपने कपड़ें झाड़ रहा था।

"अभी बताता हूं।''राज बोला।

उसके बाद वो उसा पेड़ की तरफ गया जिसके तने में वो चमकता खंजर घुस गया था। वहां पहुच कर उसकी आशका सही साबित हुई। पेड़ के तने में एक अरबी ढंग का मुड़ा हुआ खंजर आधा घुसा हुआ था। राज ने उसे खीचकर बाहर निकाला और उसे लाकर सतीश को दिखाकर कहा

"यह चक्क र था........।"

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“ सतीश हैरान और परेशान था।

"क्-क्या मतलब ?"

“मतलब यह हैं कि किसी ने हम दोनों में से एक को खत्म करने के लिए इस खंजर से हमला किया था । लगता हैं वो चाकू फेंकने का माहिर हैं, वो तो ऐन वक्त पर मेरी निगाह पड़ गई, वर्ना आज हममें से एक ही जिन्दा बचता।

सतीश ने खौफ और हैरत से खंजर को हाथा में लेते हुए कहा
“आखिर कौन था वो ? बॉम्बे में हमारा कौन दुश्मन हो सकता

"मुझे क्या पता !" राज ने झूठ बोला।

क्योंकि उस भयानक चेहरे वाले की सूरत देखते ही उस दिन की सारी घटनाएं राज की आंखों के सामने घूम गई थी- जिनके बारे में उसके सिवा कोई नहीं जानता था। उस भयानक शख्स का उन्हें गौर से देखना, फिर उनके रवाना होते ही उसका दौड़कर शिंगूरा के भाई के पास जाना और फिर आज उन पर हमला करना, एक ही जंजीर की कड़ियां थीं

, राज के ख्याल से, शिगूरा चाहे कोई भी हो, वो उन दोनों फिर यही सवाल पैदा होता था कि शिंगूरा आखिर हैं कौन ?"

और क्यों उनसे भयभीत हैं ? और क्यों उन्हें रास्ते से हटाना चाहती हैं?

"क्या सोचने लगे ?' सतीश ने उसे सोच मे डूबे देखकर पूछा।

'राज चौंक उठा। फिर उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया

'कुछ नही। मैं सोच रहा था, वो कौन शख्स हैं जो हमें कत्ल करना चाहता है.......और क्यों कत्ल करना चाहता हैं हमें ?

'राज ने कई दिनों से शिंगूरा के प्रति अपने दिल मेंपहपने वाले सन्देहों को सतीश से छुपा लिया ताकि सतीश भयभीत न जो जाए।

"चलों अब जल्दी से घर चले।" सतीश ने कहा, "कहीं कोई लफड़ा न हो जाए। सुबह को हमारी लाशें ही उस सड़क पर पाई जाए।"

"चलो।"

राज बोला और वो दोनों वहां से चल पड़े। थोड़ी दूर चलने के बाद सतीश ने कहा

"अब हमें हमेशा बहुत सतर्क रहना चाहिए। आईन्दा हम कार में आया करेंगे।"

“मुझें क्या मालूम था कि मेरा पैदल चलने का शौक खतरनाक भी साबित हो सकता हैं?" राज ने कहा। बाकी रास्ता उन्होंने बड़ें चौंकन्ने होकर गुजारा और तेज-तेज चलते हुए सही सलामत घर पहुंच गए।

दूसरे दिल राज जब डॉक्टर सांवत के यहां गया तो वह चकमता खंजर भी साथ लेता गया था। राज ने उसे रात की पूरी घटनाएं विस्तार से सुनाइ तो वह हैरान रह गया।
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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डॉक्टर सावंत बहुत देर तक परेशान बैठा रहा, जब राज ने उसे शिंगूरा के बारें में अपने सन्देहों से आगाह किया और उस भयानक सूरत आदमी के बारे में बताया तो वह और ज्यादा हैरत में पड़ गया था और कुछ देर बाद बोला था
'इसका मतबल हैं राज साहब........कि शिंगूरा के बारे में आपका सन्देह और अन्दाजा गलत नहीं था। यकीनन वो रहस्यमयी....या उससे भी कुछ खतरनाक औरत है।' ।

“मैं तो उसी दिन समझ गया था, जब मैंनेउसे चौपाटी पर देखा थां हमें देख कर पहले तो वो बुरी तरह चौकी थी, उसके बाद घबरा कर वहां से भाग निकली थी मैं तभी समझ गया था। कि वो ओरत हमें पहचानती हैं और नकाब के पीछे अपना चेहरा छुपाना चाहती हैं। लेकिन यहां तक तो मैंने सोचा भी नहीं था कि वो हमें कत्ल करवाने पर ही तुम जाएगी।


“आखिर वो हैं कौन ?

“यही तो लाख टके का सवाल , जिसका जवाब मैं ढूंढ रहा हूं।

“तुम्हें याद नहीं आता कि आखिर तुमने उस औरत को कहां देखा था ?"

“नही! कुछ भी तो याद नही आ रहा कि हमने उसे कहां देखा हैं। लेकिन इतना जरूर हैं कि हमने उसे देखा हैं और कई बार बहुत करीब से देखा हैं।" नीकण्डठ ने गम्भीर लहजे में कहा, "आप उसे जानते होंगें, अगर किसी तरह से उसकी नकाब उतर जाए तो पहचान भी लेंगे कि वो कौन है?"

"और कुछ, इसके अलावा?" डॉक्टर सावंत ने पूछा।

"इसके अलावा यह कि उसका रंग और आकार तथा होंठों के ऊपर का हिस्सा एक ऐसी औरत से मिलते-जुलते हैं जिसका डेढ़ साल पहले देहांत हो चुका है। हमारी आंखों के सामने ।"

"क्या कोई दुर्घटना घटी थी उस औरत के साथ ? क्या वो औरत तुम्हारे बहुत करीब थी?”

"वो औरत...।" राज मुस्कराया-"हमारी सबसे बड़ी दुश्मन थी, जिसने सतीश को लगभग मार ही डाला था। अगर वो मर न जाती तो जरूर हम दोनों को ही मार डालती।"

राज ने रुक कर गहरी सांस ली और डॉक्टर सावंत की तरफ देखकर बोला
"अब आपसे क्या छुपाना....वो सतीश की बीवी थी।"

डॉक्टर सावंत का मुंह हैरत से खुल गया।
" सतीश की बीवी थी..?"

"जी हां।' सतीश की बीवी थी वो, जो सतीश से पहले अपने पांच पतियों को एक सांप का जहर चटा कर मार चुकी
थी...और आखिरकार खुद भी एक सांप के जहर से ही मारी गई थी।"

डाक्टर सावंत ने मेज पर आगे की तरफ झुक कर राज को गौर से देखा और फिर किसी सोच में गुम हो गया। थोड़ी देर सोच कर वो बोला
"हूं....। उसके बाद क्या हुआ था? जरा विस्तार से मुझे बताओ।"

राज ने ज्योति और डॉक्टर जय का पूरा किस्सा डॉक्टर सावंत को सुनाया। सारी घटनाओं को सुनकर डॉक्टर सावंत का मुंह हैरत से एक बार फिर खुले का खुल रह गया, काफी देर बात उसने एक लम्बी और ठंडी सांस ली और बोला
"राज साहब, ऐसी भयानक और रहस्यमयी घटना आज तक मेरी जानकारी में नहीं आई...।"

"यकीनन नहीं आई होगी।" राज बोला, "लेकिन यह भी सच है कि कई बार हरकतें किसी भी कहानी से ज्यादा खौफनाक और रहस्यमय होती हैं।''

"ठीक कहा है तुमने।" डॉक्टर ने सोचते हुए कहा।

फिर उसने मेज पर से वो चमकता खंजर उठाया और उसे उलट-पुलट कर देखने लगा। उसने खंजर की धार पर अंगुली फेर कर धार की तेजी का अन्दाजा लगाना चाहा तो राज जल्दी से बोला
"डॉक्टर साहब, इसकी धार को न छुएं, हो सकता है खंजर जहरबुझा हो।"

डॉक्टर सावंत ने फौरन अपनी अंगुली हटा ली और बोला
"हां, ऐसा हो तो सकता है।"

"दरअसल, मैं यह खंजर लाया ही आपके पास इसलिए हूं, ताकि यह जांच ही जा सके कि यह जहरबुझा है या नहीं।" राज ने कहा, ” और अगर यह जहरबुझा है तो फिर कौनसा जहर इस्तेमाल किया गया है...।"

"हां, यह ठीक रहेगा। चलो, अभी मालूम कर लेते हैं।'

"चलिये!'' राज ने कहा और उठ गया।

वो दोनों डॉक्टर सावंत की लेब्रॉटरी में जा पहुंचे। डॉक्टर सावंत की लेब्रॉटरी तीन हिस्सों में थी। पहले हिस्से में वो तरह-तरह के प्रयोग करता था जिसमें शीशे का सामान और कई नाजुक-नाजुक सी मशीनें पड़ी हुई थी और इलैक्ट्रिक और इलैक्ट्रानिक्स के कई यन्त्र भी खूबसूरती और करीने से फिट थे।

दूसरे हिस्से में डॉक्टर सावंत किस्म-किस्म के जहर इकट्टे रखता था जो वो सांपों, छिपकलियों और बिच्छुओं वगैरह से निकालता था।

लेब्रॉटरी का तीसरा हिस्सा वाकई सबसे ज्यादा खतरनाक था क्योंकि तीसरे हिस्से में ही शीशे के जारों और बोतलों में सांप-बिच्छु वगैरह सैकड़ों जहरीले जीव मरे पड़े थे। चूहे और खरगोश वगैरा यहीं पर पिजरों में बन्द करके रखे गए थे, उन्हीं पर जहरों का प्रयोग किया जाता था।
इस हिस्से के दरवाजे पर और अन्दर भी, डॉक्टर सावंत ने बड़े-बड़े अक्षरों में लिखकर लगा रखा था

"कृपया यहां की किसी भी चीज को न छुएं।"

राज और डॉक्टर सावंत आगे पीछे लेब्रॉटरी में दाखिल हुए। डॉक्टर ने खंजर को एक शीशे के बर्तन में डाला और बर्तन को एक बिजली के थर्मोस्टेट वाले हीटर पर रख दिया।

थोड़ी देर बाद पानी को चूल्हे पर से उतार लिया और गर्म पानी को बड़ी सावधानी से एक दूसरे बर्तन में डाला गया।

उसके बाद डॉक्टर अपनी लेबॉटरी के खतरनाक हिस्से से दो खरगोश पकड़ लाया। सबसे पहले उसने पानी में दस-बारह बूंदें गर्म पानी की डाली और वो पानी का बर्तन एक खरगोश के सामने रख दिया।

खरगोश पानी पीने लगा। लेकिन अभी आधा पानी भी उसके पेट में नहीं पहुंचा होगा कि खरगोश ने पानी पर से मुंह खींच लिया।

उसने गर्दन झटकी, एक हिचकी सी ली, और बेजान होकर एक तरफ ढलक गया। डॉक्टर सावंत ने खरगोश की तरफ इशारा करते हुए कहा
"आपका ख्याल ठीक निकला। देखा आपने, कैसा खतरनाक और तेल जहर था?"

"जी हां, देखा। और मुझे इस बात का यकीन भी था।" राज ने जवाब दिया।
इसके बाद डॉक्टर सावंत ने एक और बर्तन में सारा पानी डाला और सिर्फ दो बूंदें उस पर जहरीले पानी की उस सादे पानी में डालकर शीशे की एक लम्बी सलाई से पानी में जहरीला पानी मिला दिया।
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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उसके बाद बहुत हल्का सा जहर मिला वो पानी दूसरे खरगोश को पिलाया गया। दूसरे खरगोश ने सारा पानी पी लिया। दो मिनट तक वो भी खरगोश खूब उछला, भागा। फिर उस पर नशा सा छाने लगा, थोड़ी ही देर में वो बेहोश होकर गिर गया।

डॉक्टर सावंत खरगोश की आंखों के पपोटे उलट कर आंखें का, उसके दिल की धड़कनों का और सांसों के आने-जाने का मुआयना करता रहा।

मुआयना खत्म करने के बाद वो लेब्रॉटरी के जहर भण्डार वाले हिस्से में गया और वहां से एक छोटी सी शीशी निकाल लाया। फिर उसमें से थोड़ी सी दवा इंजेक्शन के जरिये उस खरगोश के शरीर में पहुंचा दी।

एक मिनट बाद ही खरगोश होश में आकर चलने-फिरने लगा। लेकिन हालत नशे वाली ही रही-"अब एक घंटे बाद यह ठीक हो जायेगा।" डॉक्टर सावंत ने कहा।

उसके बाद उसने खरगोश को पकड़कर दोबारा पिंजरे में बंद कर दिया। फिर बोला
"जहर कितना खरतनाक था, यह तो आपने देख ही लिया।

अब मैं आपको यह भी बता दूं कि यह जहर सिंगापुर के जंगलों में पाए जाने वाले एक घातक सांप का है। उस सांप के जहर पर मैं वैज्ञानिक प्रयोग कर चुका हूं। बाद में मैंने जो इंजेक्शन खरगोश को दिया था, उसमें इसी सांप से जहर लिया गया, जहर का तोड़ था। अगर जहर भारी मात्र में शरीर में पहुंचा हो तो तोड़ के जरिये आदमी की जान बचाई जा सकती है।"

यह जान लेने के बाद कि खंजर सांप के जहर में बुझा हुआ था, राज को सख्त हैरत हुई। इसका मतलब साफ था कि एक बार फिर वो सांपों, जहरों और हसीन दुश्मनों के जाल में फंसते जा रहे हैं।
इस वक्त राज के जेहन मे दिवंगत डॉक्टर जय वर्मा का चेहरा घूम गया, जो सांपों के जहर का माहिर था और जिसने बड़े-बड़े खतरनाक सांप पाल रखे थे और आखिरकार अपनी प्रेमिका ज्योति के मरने की खबर पाकर वो खुद भी एक सांप का जहर पीकर मर गया था।

वो तमाम घटनाएं राज के जेहन में दौड़ने लगीं। इसका मतलब था कि उनके कत्ल की कोशिश के पीछे भी किसी सांपों के जहर के माहिर शख्स का दिमाग काम कर रहा था। वर्ना आमतौर पर चाकू-छुरों को सांपों को जहरों में नहीं बुझाया जाता था। इस काम के लिए दूसरे कई घातक जहर इस्तेमाल किए जाते हैं। राज जितना सोचता था, मामला उतना ही उलझता जाता था।

एक रहस्यमयी औरत, उसकी ज्योति से समानता, उन पर सोचा-समझा कातिलाना हमला और खंजर का सांप के जहर में बुझा होना, यह सारी घटनाएं इतनी हैरत भरी थीं कि नीलकण्ड की समझ में ही कुछ नहीं आ रहा था।

अगर ज्योति उसके सामने न मर गई होती और डॉक्टर जय की लाश का उसने खुद मुआयना न किया होता तो उसने यही समझना था कि वा औरत सोना ही है इन घटनाओं के पीछे पहले की तरह ही डॉक्टर जय का दिमाग ही काम कर रहा है।

लेकिन हकीकत उसके समाने थी, वो दोनों ही मर चुके थे। फिर इस स्थिति में तो किस पर सन्देह कर सकता था? सिर्फ शिंगूरा की शख्सियत उसके सामने थी। वो ज्योति से मिलती-जुलती क्यों थी? क्यों वो उनको मार डालना चाहती थी? ये तमाम सवाल उसके जेहन में चकरा रहे थे।

अचानक राज के दिमाग में एक बात आई और उसने डॉक्टर सावंत से पूछा
"क्या ख्याल है अगर हम दोनों दोस्त बम्बई छोड़ दें?"

"हाँ! इस तरह तुम लोग खतरे से जरूर दूर हो जाओगे।" डॉक्टर सावंत ने कहा-"लेकिन जरूरी नहीं कि तुम बच ही जाओ। हो सकता है तुम्हारा पीछा किया जाए और ये हमले जारी रखें जाएं। तब तक जब तक कि वो अपने उद्देश्य में सफल ने हो जाएं, या फिर उनका भेद ही न खुल जाए। जहां तक मैंने इस मामले पर सोचा है, आप उस औरत के यानि शिंगूरा के बहुत करीब रहे हैं और उसके किसी अहम राज से वाकिफ हो गए हैं। अब अचानक वो आप लोगों को सामने देख कर घबरा गई है। वो समझती है कि आपेन उसे पहचान लिया है और चूंकि आप उसके गहरे राजों से वाकिफ हैं, इसलिए उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं। यही वजह हो सकती है कि वह आप लोगों को कत्ल करवा कर यह किस्सा ही खत्म कर देना चाहती
"आपके ख्याल बहुत दिलचस्प हैं। लेकिन हकीकत यह है कि न तो अभी तक हमने उसे पूरी तरह पहचाना है और न ही हम उसके किसी राज से वाकिफ हैं।"

"यह अलग बात है कि तुम उसकी शख्सियत या उसके किसी राज से वाकिफ ने हो।" डॉक्टर सावंत ने कहा-"लेकिन वो ऐसा समझती है। नहीं तो खामखां दो अजनबियों की जान के पीछे हाथ धोकर क्यों पड़ जाती ?" ।

"अब क्या कहा जा सकता है?" राज ने गहरी सांस ली।
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"मेरी राय तो यही है कि आप दोनों सावधान रहें और किसी तरह यह मालूम करने की कोशिश करें कि शिंगूरा कौन है और आखिर चाहती क्या है। अगर आप लोग चाहें तो इस मामले में पुलिस की मदद भी ले सकते हैं। खुफिया विभाग के इंस्पेक्टर विशाल खन्ना मेरे दोस्त हैं, अगर आप चाहें तो मैं आपका उनसे परिचय करवा दूंगा।"

"नहीं डॉक्टर साहब। फिलहाल इसकी जरूरत नहीं है।" राज जल्दी से बोला, "मैं ऐसे मामलों में पुलिस या सीक्र आईक्र डीक्र का दखल पसन्द नहीं करता। ऐसे खतरों का सामना करने में मुझे खुद मजा आता है और इससे पहले भी इसी तरह के खतरों को मुकाबल पुलिस सहायता के बगैर ही कर चुका हूं।"

"जैसी आपकी इच्छा।" डॉक्टर सावंत ने कहा, "लेकिन फिर भी इतना जरूर कहूंगा कि आपको बहुत ज्यादा सावधान रहना चाहिए। इस बारे में मेरी जब भी जरूर पड़े, मैं हाजिर हूं।"

"बहुत-बहुत शुक्रिया। लेकिन फिलहाल अगर इन बातों का जिक्र सतीश से न ही करें तो बेहतर है, खामखां उसे डराने से क्या फायदा ?" राज ने कहा, ''मैं अकेला ही इसे मामले की तफ्तीश करना चाहता हूं।"

"ठीक है, मैं सतीश साहब से कुद नहीं कहूंगा।' डाक्टर सावंत ने कहा।

उसके बाद राज डॉक्टर सावंत से विदा होकर वापस अपने फ्लैट पर वापस आ गया।

उसके बाद भी कई दिन तक वो लगातार यही सोचता रहा कि क्या करना चाहिए? अपनी खोजबीन को वहां से शुरू करे? लेकिन उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
राज और सतीश बहुत ज्यादा सावधान रहने लगे थे। रात को सोते वक्त वो फ्लैट के दरवाजे व खिड़कियां खुद बन्द करते थे और फ्लैट का कोना-कोना देख कर तसल्ली कर लेते थे, उसके बाद ही बिस्तर पर लेटते थे। बाहर जाते वक्त वो अपने ऑटोमैटिक रिवाल्वर साफ कर लेते थे। अब कार में ही आते-जाते थे और कोशिश करते थे कि रात को जल्दी वापए लौट आएं।

समझदारी का तकाजा भी यही था कि वो सतर्क रहें, क्योंकि ऐसे खतरनाक दुश्मन का क्या भरोसा कि कोई गुण्डा फ्लैट में घुसकर और छुप कर बैठ जाए और सोते हुए ही उनका काम तमाम कर जाए। या कोई दरवाजा या खिड़की खुली रह जाए और दुश्मन को घर में घुसने को मौका मिल पाए।

सतीश कभी-कभी हंस कर कहता था
"दिल्ली से यह सोचकर भागे थे कि बम्बई में निश्चित होकर मजे करेंगे। कहीं ऐसा न हो कि यहां से हमारी खबर ही बाहर जाए।"

इसी तरह दस-बाहर दिन और गुजर गए।
उस दौरान ने तो उन्हें शिंगूरा नजर आई थी और न ही कोई असाधारण घटना ही घटी थी। एक बार मार्केट में राज ने शिंगूरा के भाई को दूर से जरूर देखा था, लेकिन जब तक राज भागकर उसके करीब पहुंचा, वो भीड़ में गुम हो गया था।

शिंगूरा आजकल रेड रोज क्लब में भी नहीं जाती थी। डॉक्टर सावंत का कहना था कि जब से वो बम्बई आई है, यह पहला मौका है जब शिंगूरा क्लब से गैरहाजिर हुई है। इसका मतलब था कि राज और सतीश के दिखाई देने का उस पर यह असर हुआ था कि उसकी दिनचर्या भी प्रभावित हुई थी।

क्योंकि उनका पहला वार खाली गया था, इसलिए राज को पूरा यकीन था कि अब दूसरा वार वो बहुत सोच-समझ कर और भरपूर तरीके से करेंगे और अगर इन्होंने जरा सी भी लापरवाही बरती तो मौत के मुंह में समस जाएंगे। शिंगूरा की खामोशी तूफान से पहले की खामोशी थी और वो यकीनन कोई भयंकर योजना बना रही थी। वो किसी ऐसे पहलू से वार करना चाहते थे जहां उनकी सावधानी का घेरा कमजोर हो।

कई बार उन्होंने बम्बई छोड़ने के बारे में भी सोचा, लेकिन शिंगूरा के बारे में उनकी जिज्ञासा ने उन्हें बम्बई छोड़ने से रोक दिया।

राज और सतीश दोनों आखिर एकमत से इस नतीजे पर पहुंचे थे कि एक रहस्यमय औरत से डरकर बम्बई छोड़ने से अच्छा है कि मर जाएं। जब तक वो इस राज से पूरी तरह पर्दा नहीं उठा देंगे, तब तक वो बम्बई छोड़कर नहीं जाएंगे। चाहे हजारों खतरे उनकी राहों में आ खड़े हों।
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