Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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josef
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Re: Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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सन्नी
लक्ष्मी आंटी ने जैसे तैसे अपने आप को संभाला और हम सब लड़खड़ाते कदमों से आगे निकल पड़े। लक्ष्मी आंटी के पैर झडने से नरम हो गए थे तो हमारे पैरों के बीच लोहे के गरम डंडे ने घर बना लिया था।

थोड़ी दूर जाते ही लक्ष्मी आंटी ने डर से एक गहरी सांस ली।

लक्ष्मी आंटी, "बाबू, ऐसी जगह पर भी लोग जाते हैं? अगर पैर फिसला तो?"

सामने एक पट्टी लगी थी जिस पर लिखा था "विंचू कट्टा"

एक पतली पगडंडी किले में से निकल कर आगे लंबे पतले पहाड़ की चोटी पर के जा रही थी। ये पहाड़ की बाहर निकली लकीर नक्शे में किसी बिच्छू की पूंछ लग रही होगी। लक्ष्मी आंटी को ऊंचाई से डर लगना कोई बड़ी बात नहीं थी और इस लिए हम दोनों ने उसका हाथ पकड़ कर आगे बढ़े।

दोनों ओर गहरी खाई और ठीक सीधे दूरी पर लगा झंडा। यह दृश्य जितना अनोखा था उतना ही डरावना। एक एक कदम आगे बढ़कर हम आगे बढ़े। आगे रस्ता चौड़ा हो गया तो हम सब ने चैन की सांस ली। आगे रास्ते में एक छोटा तालाब जैसा अवशेष था उस पार कर के हम झंडे तक पहुंचे।

दूर दूर तक हवा की आवाज के सिवा कुछ नहीं था। किनारे पर बनी दीवार से नीचे गांव के घर किसी खिलौने की तरह दिख रहे थे। लक्ष्मी आंटी ने हम दोनों को अपनी बाहों में भर लिया और हम दोनों को चूमा। भूखे शेरों को सहलाने की गलती का अंजाम लक्ष्मी आंटी को तुरंत पता चला।

मैंने लक्ष्मी आंटी को उठाकर झंडे के नीचे बने चबूतरे के नीचे लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया। लक्ष्मी आंटी ने "सन्नी बाबू!!" कर के मुझे रोकना चाहा पर अब रुकना मुमकिन नहीं था। मैंने लक्ष्मी आंटी की शॉर्ट्स को घुटनों के नीचे तक उतार कर उसके पैर फैलाए। अपनी पैंट की ज़िप खोल कर अपने गरम लोहे को आजाद किया।

लक्ष्मी आंटी ने ऐतराज़ में कहा, "कोई आ जाएगा… आ… हा… आह…"

लक्ष्मी आंटी के टॉप ऊपर सरका कर मैंने उसके मम्मे दबोच लिए और तेज रफ्तार से चोदने लगा।

लक्ष्मी आंटी ने मेरी पाशविक हवस से बचने के लिए विक्की की ओर देखते हुए पुकारा, "विक्की बाबू!! हा… बचाओ मुझे!! आ… कोई देख लेगा!! आह…"

विक्की ने कहा, "सन्नी अगर किसी ने देख लिया तो बेहती गंगा में हाथ धो लेगा। हमें यहां ज्यादा वक़्त नहीं लगाना चाहिए।"

विक्की की बात समझ कर मैंने पलट कर लक्ष्मी आंटी को अपने ऊपर खींच लिया। लक्ष्मी आंटी की एड़ियां शॉट्स में जकड़ कर मेरे घुटनों के बीच थी तो उसके घुटने मेरे दोनों ओर थे। लक्ष्मी आंटी ने उठने की कोशिश की तो मैंने उसे खींच कर चूमते हुए नीचे किया।

लक्ष्मी आंटी, "सन्नी बाबू, बाद में जो चाहे कर लो पर कोई आ गया आ!… आह… विक्की बाबू!!…"

लक्ष्मी आंटी की चीख दूर की पहाड़ियों तक गूंज उठी और हम दोनों ने लक्ष्मी आंटी को जोर जोर से पेलना शुरू किया। अब लक्ष्मी आंटी ने अपने होंठ दबाकर चुधने लगी पर उसकी आहें फिर भी निकल रही थीं।

"ऊंह… अम्म… हा… हनः… आह…"

सुबह से भूखे आदमखोर बाघ अपने शिकार पर झपटे तो क्या होना था। मैंने लक्ष्मी आंटी की चूचियां दबोच कर उन्हें मसलते हुए पीने लगा तो विक्की ने लक्ष्मी आंटी की गरदन पकड़ कर उसके कानों को चूमते हुए उसकी गांड़ में धमाचौकड़ी मचाने लगा।

लक्ष्मी आंटी अभी अभी झडकर जैसे तैसे अपनी सांसों को काबू में कर पाई थी पर अब उसका बांध फिर टूटने लगा। पर्वत के किनारे, सीधी गहरी खाई को देखते हुए मौत का डर होता है। साथ ही कभी भी किसी के भी हाथों पकड़े जाने का डर। इन सब के बीच चुधाई की जिंदगी की खुशी दिलाने वाला एहसास। ये सब मिलकर ऐसा उत्तेजक बनता है कि लक्ष्मी आंटी के गले से पतली चीख निकल पड़ी और उसकी चूत और गांड़ ने हम दोनों के लौड़ों को कस कर पकड़ कर निचोड़ लिया। हमारे लौड़ों ने तोप की तरह अपना गरम लोहा लक्ष्मी आंटी की गरमी में भर दिया और हम सब वहीं थक कर गिर गए।

"बुरे बाबू!! बारी बारी लेते तो क्या होता? उफ्फ अब मैं सीढ़ियों से नहीं उतरूंगी। आप दोनों मुझे नीचे ले चलो।", लक्ष्मी आंटी ने आदेश दिया।

विक्की ने लक्ष्मी आंटी के गले को पीछे से चूमते हुए कहा, "अरे लक्ष्मी आंटी, ऐसा मज़ा आने के बाद हम दोनों तो सीढ़ियों के उपर भी ले जाएं।"

पकड़े जाने के डर से हम तीनों ने अपने कपड़े ठीक किए और वापस जाने के लिए निकले। सुबह के 11 बज रहे थे और महादेव मंदिर के करीब हमें कुछ और सैलानी दिखे। शायद हमारे चेहरे से कुछ समझ आ रहा था कि लड़के लक्ष्मी आंटी को घुर रहे थे और लड़कियां आंखे फाड़ कर हमें देख रही थीं।

जब हम टिकट घर पहुंचे तो हमें देख टिकिट बेचने वाला हमें देखता रहा। हवस का नशा उतरने के बाद अब धीरे धीरे समझ आने लगा कि लोगों को पता कैसे चल रहा था। मेरी और लक्ष्मी आंटी के पीठ और घुटनों पर मिट्टी लगी थी तो विक्की के सिर्फ घुटनों पर मिट्टी थी। बालों की हालत, आंखों में चमक, लक्ष्मी आंटी के चेहरे पर लाली और हम सब के चेहरे की मुस्कान कुछ छुपाने के लिए नहीं थी। विक्की ने हंसना शुरु किया और हम दोनों उसके साथ मिल गए। मैंने विक्की का बैग पकड़ा और उसने ' रानी साहिबा' लक्ष्मी आंटी को अपनी पीठ पर उठा लिया। आधे रास्ते में विक्की से उसका हसीन बोझ छीन लेने के बाद जब मैं गाड़ी के पास पहुंचा तो लक्ष्मी आंटी ने शर्म से अपना मुंह छुपा लिया था। लक्ष्मी आंटी की इस मासूम अदाने हम दोनों को छू लिया। ऐसे लग रहा था कि लक्ष्मी आंटी को यहीं बीच बाजार चोद दें पर हमें आगे जाना था।

लक्ष्मी आंटी पीछे बैठी और हम सब वहां से गाड़ी में बाहर निकले।

लक्ष्मी आंटी, "बाबू आप दोनों तो हद कर दी!! अब तो आप दोनों के साथ मैं भीड़ की जगह कभी नहीं जाऊंगी।"

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josef
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विक्की



थक कर चूर चूर लक्ष्मी आंटी अपना सर पीछे रख कर पड़ी रही और हम गाड़ी अपने अगले पड़ाव तक ले गए। आधे घंटे बाद हम ने अपनी गाड़ी रोकी और नीचे उतरने लगे।



लक्ष्मी आंटी ने अपनी आंखे खोली और पूछा,

"हम इतनी जल्दी वापस आ गए? (बाहर झांक कर) बाबू, हम कहां आए हैं? ये सब क्या है?"



"हमारी प्यारी लक्ष्मी आंटी, ये camping ground है और आज हम सब यहां रहेंगे।"



"बाबू आप दोनों को यूं खुले में करने से डर नहीं लगता? किसने देख लिया तो मैं बरबाद हो जाऊंगी।", लक्ष्मी आंटी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।



सन्नी, " लक्ष्मी आंटी तुम हमारे लिए कोई खिलौना नहीं जो हम औरों से बांटे। हमारी प्रेमिका सिर्फ हमारी रहेगी। ये जगह एक कैंपिंग साइट है और लोग यहां होटल की तरह ही रहते हैं। यहां खाना पानी तो है ही पर बिजली भी है। चलो दिखता हूं।"

लक्ष्मी आंटी को हम ने पूरे इलाके का मुआयना करने दिया। पावना तालाब के किनारे पर बना ये कैंप शहरी सुख सुविधाओं से लैस पर्यावरण का सुरक्षित आनंद लेने के लिए बना था। यहां शनिवार रविवार को भीड़ होती है पर गुरुवार को सब खाली था।

हम सब अपनी जगह पर लौट आए तब तक वहां कैंप के लोगों ने एक तंबू लगा दिया था और साथ ही बाहर सेंकने के लिए अलाव की व्यवस्था भी की थी। कैंप मैनेजर ने खाना परोसा था जो हम सब ने चट कर दिया। कैंप मैनेजर ने शाम को चाय लाने का वादा किया और चला गया।

सुबह की सैर या बाद में की गई खुले में चुदाई पता नहीं पर हम सब अब शांति का अनुभव कर रहे थे। गरमी के मौसम में दोपहर की धूप से बचने के लिए हम सब तंबू में पंखे के सामने बैठ कर गप्पे लडा रहे थे कि प्रतीक ने लक्ष्मी आंटी को कॉल किया।

लक्ष्मी आंटी ने अपनी खुशी का पिटारा खोल कर प्रतीक को बताया कि हम सब सैर करने आए हैं और बड़े अरसे के बाद उसे यूं खुले आसमान को देखने की खुशी मिली है।

लक्ष्मी आंटी की बातें सुनकर प्रतीक ने उसे विश्वास दिलाया कि वह लक्ष्मी आंटी की खुशी में ही खुश है। प्रतीक ने आगे बताया कि MBS को उसका बनाया काम बहुत पसंद आया है और उसने प्रतीक को अपने खास गिरोह में शामिल कर लिया है। प्रतीक ने कहा कि और भी अच्छी बातें हो सकती हैं पर वह होने के बाद ही पता चलेगा।

लक्ष्मी आंटी ने अपने पति के खुशी में खुशी मान कर फोन रखा। मै और सन्नी कुछ देर बाद पास में रखी नाव में सवार होकर तालाब की सैर के लिए निकले। हमें पता था कि लक्ष्मी आंटी अपनी पढ़ाई के लिए उतावली हो रही थी। तालाब के बीच जा कर हम दोनों ने मछली पकड़ने के लिए पानी में कांटा डाला। खाली दिमाग शैतान का घर होता है तो हम उस शैतान का पूरा इसतेमाल करने का ठान चुके थे।

बातों बातों में हमारे दिमाग में एक कंपनी बनाने की कल्पना बनी। सूरज जमीन की ओर निकला तब तक हमारे हाथों में खाली कांटे और दिल में नए सपने थे। वापस लौट कर देखा तो चाय और नाश्ता लाया गया था। हमने लक्ष्मी आंटी को अपनी कल्पना बताई तो लक्ष्मी आंटी ने उसमें कई खामियां निकलते हुए उन्हें ठीक करने की सलाह भी दी।

सूरज ढलते हुए पहाड़ों की चोटियों के बीच समाने लगा और हम तीनों तालाब के बीच में नाव में बैठकर ये नजारा देख रहे थे। कोई अनजान ताकत हमें बता रही थी कि हमारी जिंदगी फिर से बदलने वाली है।

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Re: Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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सन्नी

अगर कोई छुप कर हमारी निगरानी कर रहा था कि लक्ष्मी आंटी के साथ हम दोनों कुछ करते हुए पकड़े जाएं तो उसे रात तक सिर्फ 3 दोस्त खेलते और हंसते हुए नजर आते। रात का खाना परोसा जाना था कि लक्ष्मी आंटी टॉयलेट की ओर गई। बस तभी प्रतीक ने मुझे message किया की उसका कॉल लक्ष्मी आंटी से छुप कर लिया जाए। इस प्रकार से उलझन में पड़ा था कि उसका कॉल आया। प्रतीक ने मुझे और विक्की को बताया कि MBS के लिए काम करते हुए उसे एक बड़ा आदमी मिला जिसने उसे एक खास शर्त पर बड़ी मदद करने का वादा किया है। शर्त और मदद दोनों बातों के बारे में सुनकर मैं समझ गया कि सच में हम सब की जिंदगी बदलने वाली है।

विक्की की आंखों में भी इस बात का असर दिख रहा था। हम दोनों ने प्रतीक से वादा किया कि हम दोनों उसकी हर संभव मदद करने के लिए तयार हैं। लक्ष्मी आंटी ने इठलाते हुए टेबल पर रखा खाना उठाया पर हमारे गंभीर चेहरे देख कर रुक गई।

लक्ष्मी आंटी ने पूछा, "क्या हुआ बाबू? आप दोनों मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?"

"कुछ नहीं, लक्ष्मी आंटी। हम दोनों बस ये सोच रहे थे कि पढ़ाई करना तो हमारी इच्छा थी जो हम दोनों की पूरी हो रही है। पर तुम तो मां बनना चाहती थी और हम दोनों ने तुम्हें अपनी इच्छा में खींच लिया।"

लक्ष्मी आंटी ने हम दोनों के बीच में बैठ कर, "बाबू आप दोनों ने तो मुझे नई दुनिया दिखाई है। अगर मैं पहले मां बनती तो अपने बच्चे को क्या अलग जिंदगी देती? अब मैं अपना सपना साकार कर के अपने बच्चे को अच्छी तरह बढ़ाऊंगी। क्या ये कम है?"

हम सब ने अलाव जलाकर खाना खाया और बहुत जल्दी ही सोने चले गए। हम दोनों के मुरझाए चेहरे को देखकर लक्ष्मी आंटी ने मामला अपने हाथ में लिया। लक्ष्मी आंटी ने टेंट में रखे गद्दे पर हम दोनों को लिटाकर हमारी पैंट उतारी। हमारे तने हुए लौड़े टेंट की छत की ओर बढ़े देख लक्ष्मी आंटी मुस्कुराई।

लक्ष्मी आंटी, "चाहे जितना मुंह फुलाकर बैठो आप दोनों की चाबी मैं अच्छे से जानती हूं।"

लक्ष्मी आंटी ने अपनी उंगलियों से हमारे लौड़े को सहलाते हुए अपनी जीभ से बारी बारी चाटना शुरू किया। लक्ष्मी आंटी को कोई जल्दी नहीं थी और वह हम दोनों को तड़पा तड़पा कर मज़े ले रही थी। हमारे लौड़े जब लोहे की लाल छड बन गए तब लक्ष्मी आंटी ने एक गहरी सांस लेकर पूछा,
"अब बताओ, एक एक करके आओगे या एक साथ? अपना माल मेरे मुंह में डाल कर उसे जाया मत करना।"

लक्ष्मी आंटी की बात से मेरी आंखे खुली और मैंने उसे पीठ के बल लिटाकर उसके पैरों के बीच की गंगा को पीते हुए अपनी जीभ से उपर बने मोती सहलाने लगा। लक्ष्मी आंटी अब उत्तेजना से भर कर कसमसाने लगी। लक्ष्मी आंटी की बहती चूत में मैंने दो उंगलियां डाल कर उसकी योनी को अंदर से सहलाते हुए लक्ष्मी शरीर सुख के शिखर तक पहुंचाया। इस दौरान विक्की लक्ष्मी आंटी के मम्मों को निचोड़ कर चूमते हुए उस पर जड़ी बेरीयों को दांत लगाकर उत्तेजित कर रहा था।

लक्ष्मी आंटी ने गिड़गिड़ाते हुए, "बाबू… आह… मत तड़पा… ओ… मुझे अपने आईं… लौड़े दो… चोदो…!!!"

मेरी उंगलियों को लक्ष्मी आंटी की तंग गली में पकड़ा गया और लक्ष्मी आंटी ने सिसकियां भर कर मेरी जीभ पर अपना रस उड़ेल दिया। लक्ष्मी आंटी झड कर निढाल हो गई तो मैंने विक्की के साथ अपनी जगह बदल ली।

ढीली पड़ी लक्ष्मी आंटी पर विक्की ने बेरहमी से हमला किया और अपनी उंगलियों से लक्ष्मी आंटी की चूत के रस लक्ष्मी आंटी की कसी हुई गांड़ के पोतने लगा। लक्ष्मी आंटी कुछ सुध लेने से पहले ही दूसरे हाथ की उंगलियों ने चूत में अपनी जगह बना ली और लक्ष्मी आंटी फिर से सिहरने लगी। लक्ष्मी आंटी की चूचियों पर उभरे हुए लाल मेवे को अपने दातों और होंठों से चूसते हुए अपनी उत्तेजना मैंने लक्ष्मी आंटी पर न्योछावर कर दी। लक्ष्मी आंटी को इस तरह लगातार झडने की आदत पड़ चुकी थी और उसके बदन में थरथराहट से लक्ष्मी आंटी की चीख निकल गई।

लक्ष्मी आंटी के पैरों को फैला कर विक्की ने उन्हें लक्ष्मी आंटी के कंधों से लगाया। मैंने लक्ष्मी आंटी को चूमते हुए उसके बालों में से हाथ फेरे और विक्की ने धीरे धीरे अपना सामान लक्ष्मी आंटी की कुप्पी में भर दिया।

प्यासे को पानी मिले वैसे लक्ष्मी आंटी ने विक्की के लौड़े को लेते हुए मुझे चूमा। विक्की ने लक्ष्मी आंटी को लंबे और धीरे धक्का देते हुए उसे चरम सुख की ओर ले गया। इस तरह प्यार से कि गई चूधाई से लक्ष्मी आंटी लगातार झडती रही पर विक्की ने अपना संयम नहीं खोया।

लक्ष्मी आंटी की तालीम में हम दोनों बहुत सीख चुके थे और आज हमारी गुरु दक्षिणा थी। लक्ष्मी आंटी को चोदते हुए जब विक्की को अपना नियंत्रण छूटता लगा तो मैंने उसकी जगह ले ली। लक्ष्मी आंटी की योनि गीली आग की तरह धुं धूं कर जल रही थी और मेरा लौड़ा इस हवन में जलकर उस आग को बढ़ा रहा था। लक्ष्मी आंटी ने अब गिड़गिड़ाना छोड़ दिया था।

"हंह… हुम्मम… आनः… आह… हाः… ऊंह… उम्म्म… उम्मम… हा… हा… हा… हा…ह!!", की पुकार के साथ लक्ष्मी आंटी तो बस काम उत्तेजना में जलता हुआ देह था।

लक्ष्मी आंटी की गरम गहराइयों में अपनी शिक्षा से मिले हुनर को साबित करने के बाद मैंने अपने लौड़े के जड़ पर अपना उबलता हुआ वीर्य महसूस कर अपना लौड़ा बाहर खींच लिया। विक्की अब अपनी बेसबरी पर काबू पाने में सफल हो गया था और उसने मेरी जगह ले ली।

लक्ष्मी आंटी ने हमारी जगह बदलने का फायदा उठाकर विक्की को अपने पैरों से जकड़ लिया। विक्की भी अब ज्यादा रुक नहीं पता पर फिर भी उसने बड़ी हिम्मत से लक्ष्मी आंटी का पानी दो बार निकालने के बाद ही कराहते हुए अपना रस लक्ष्मी आंटी की कोख में उड़ेलकर लक्ष्मी आंटी को चूमने लगा।

लक्ष्मी आंटी की आंखों में थकान से आंसू थे और उसने विक्की को अपनी बाहों में भर कर मानो उसकी ताकत महसूस कि। विक्की ने लक्ष्मी आंटी की बाहों में से बाहर निकलते हुए मुझे जगह दी तो लक्ष्मी आंटी ने विरोध किया।

लक्ष्मी आंटी, "मैं थक गई हूं सन्नी बाबू। कल सुबह आप जितना चाहे प्यार कर लो। छिल जाऊंगी अब और प्यार मिला तो। सन्नी बाबू आह… आ… हा… हा… उन्हहह… आहा… आ!"

मैंने लक्ष्मी आंटी की चूत के अंदर सन्नी के वीर्य को अपने लौड़े से मथते हुए अपना हथियार जड़ तक भर दिया। लक्ष्मी आंटी के माथे को चूमते हुए उसकी भौं में जमे पसीने के अपने होठों पर लगाया। लक्ष्मी आंटी की योनि रसों की टंकी बन कर बह रही थी और मैंने अपने लौड़े को बाहर निकाल कर तेज धक्का दिया।

"मां… आह… सन्नी बाबू… पेलो… चोदो… लूटो मुझे… हां… हां… अन्ह… आंहा… और… और… और…", लक्ष्मी आंटी ने आहें चीखें बन गई और पूरा तालाब हमारे यौन मिलन के संगीत में डूब गया। लक्ष्मी आंटी के कान कि बाली को अपने होठों में दबा मैंने लक्ष्मी आंटी को तेज रफ्तार लंबे धक्कों से पेलना शुरू किया। लक्ष्मी आंटी फिर से शब्द भूल कर जानवरों की तरह चिल्लाते हुए अपनी हवस का पिटारा खोल मेरा लौड़ा अपनी योनि से निचोड़ने लगी। अगर झडता तो गुरु दक्षिणा अधूरी रह जाती इसी लिए मैंने ताबड़तोड़ ठुकाई के बीच भी अपने नियंत्रण के कच्चे धागे को थामे रखा।

लक्ष्मी आंटी ने घायल शेरनी की तरह अपने नाखून मेरे पिछवाड़े में धंसा ते हुए अपनी कमर को उठाया। लक्ष्मी आंटी के दातों ने अब मेरा कंधा दबोच कर मेरी त्वचा फाड़ दी थी।

दर्द का भी अपना मज़ा होता है।

लक्ष्मी आंटी की दूसरी चीख ने मेरा बांध तोड़ा और मैंने लक्ष्मी आंटी को अपनी गरमी का पूरा मज़ा दिया। लक्ष्मी आंटी ने मुझे अपनी बाहों में भर कर रोना शुरू किया दिया।

"क्या हुआ लक्ष्मी आंटी? दर्द हुए? छिल गया? तकलीफ हुई?"

लक्ष्मी आंटी ने बस मेरे गले में अपना मुंह छुपा कर मुझे पकड़े रखा। कुछ समय बाद लक्ष्मी आंटी ने मुझे थोड़ा छोडा पर सिर्फ विक्की को अपने साथ लेने के लिए। आगे शब्द बेकार थे और सांसे सच्चाई बयां कर रही थीं। हम सब अपने अपने विचारों में डूब कर सो गए।

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